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प्रभु ख्रिस्त मेरे स्वामी मन के
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प्रभु ख्रिस्त मेरे स्वामी मन के तुम प्रेम मिलन को आ जाओ, मैं भटका राही जीवन में तुम राह नई दिखला जाओ। 1. ये जीवन पग-पग उजड़ा है, और हर पग-पग में अन्धेरा है, तुम ज्योति बनो मेरे मन की, और मन में ज्योति जला जाओ। 2. ये जीवन कण-कण बिखरा है और पाप का इस में बसेरा है, दो अपने से वरदान मुझे, और प्रेम का राग सिखा जाओ । 3. सोचा न कभी ये भी हमने, कितने ही कष्ट सहे तुमने, शैतान ने फंसाया फंदे में, तुम आके जरा सुलझा जाओ । 4 ये मन तुम बिन अब प्यासा है, राह तकते नैन सुलगते है, तुम तृप्त करो जीवन जल से, और मन की प्यास बुझा जाओ।