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जब से मसीहा

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जब से मसीहा मेरे दिल में है आया नया हौंसला मैंने जीने का पाया जीवन सजाया सजाया । 1. मेरी जिन्दगी में थे नफ़रतों के साये, अपने हुए थे पराये, प्यार किसी ने दिखाया,दिखाया। 2. मेरी जिन्दगी में थे हसरतों के मेले, जीते थे फिर भी अकेले , साथ किसी का जो पाया,पाया । 3. मेरी जिन्दगी में थे गुरबतों के डेरे, बेबसी के सवेरे, मेरे मसीहा ने बचाया,बचाया