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ए बोझ से दबे हुए लोग तुम

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ए बोझ से दबे हुए लोग तुम, पाओ मेरे पास विश्राम तुम । 1. मैं चला फिरा हूँ उन राहों पर, जो सताये तुम को हर मोंड़ पर, जगत को जीतकर पाई मैंने फतह, निराश न हो तुम चलो मेरी तरह। 2. गुणाह की कीमतें चुकाते तुम थक चुके, विनाश के कतार पर खड़े हुए, मेरा यह खून बह गया सलीब पर, जो जिंदगी को पाक और साफ कर। 3. प्रेम को तुम इस जहान में ढूंढते झूठ व फरेब प्राप्त कर सके, मैं तुम्हीं को ढूंढने उतर आया, बचाने को तुम्हें, क्रूस चढ़ गया।