पाठ 8 : योना

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सारांश

योना का जीवन काल उस समय का था जब यारोबाम द्वितीय ने इस्राएल पर राज्य किया। ;2 राजा 14ः25द्ध। वह अमित्तै का पुत्रा था। योना नाम का अर्थ है ‘‘कबूतर’’। परमेश्वर ने योना से कहा कि अश्शूर की राजधनी, नीनवे नगर को जा और उसके विरु( प्रचार कर क्योंकि वहाँ के लोग बहुत ही दुष्ट हैं। यह ध्यान देने योग्य बात है कि वह पहला इस्राएली भविष्यद्वक्ता था जिसे अन्यजातियों के बीच भेजा गया था। इस पुस्तक को हम पाँच भागों में बाँट सकते हैं

  1. योना की अनाज्ञाकारिता ;1:1-3
  2. योना के कारण विपत्ति ;1:4-11
  3. परमेश्वर का दंड ;1:12-2:10
  4. योना का प्रचार-नीनवे में ;3:1-10
  5. योना सबक सीखता है ;4:1-11
  6. योना की अनाज्ञाकारिता: योना को बुलाया गया कि नीनवे को जाकर परमेश्वर के न्याय का प्रचार उन दुष्ट लोगों से करे। परंतु योना वहाँ जाना नहीं चाहता था। नीनवे जो पूर्व दिशा में है, वहाँ जाने के बजाय वह पश्चिम दिशा में तर्शीश को जाने वाले जहाश पर चढ़ गया। बाइबल के अध्कितर विद्वानों का मानना है कि यह तर्शीश स्पेन में स्थित है।
  7. योना के कारण विपत्ति: योना यहोवा के सम्मुख से भाग जाने को उठा और तर्शीश जाने वाले एक जहाश पर भाड़ा देकर चढ़ गया। परन्तु हमें याद रखना चाहिए कि परमेश्वर की दृष्टि से हम बच नहीं सकते ;भजन 130:7-12। योना जहाश के निचले भाग में उतरकर सो गया था और गहरी नींद में सो गया। तब यहोवा ने समुद्र में एक प्रचण्ड आँधी चलाई, यहाँ तक कि जहाश टूटने पर था। तब मल्लाह लोग डरकर अपने-अपने देवता की दोहाई देने लगे और जहाश में जो व्यापार की सामग्री थी उसे समुद्र में पफेंकने लगे कि जहाश हल्का हो जाए। माँझी ने योना से कहा, ‘‘तू भारी नींद में पड़ा हुआ क्या कर रहा है? उठ अपने देवता की दोहाई दे।’’ तब उन्होंने आपस में कहा, ‘‘आओ, हम चिट्ठी डालकर देख लेते हैं कि यह विपत्ति किसके कारण हम पर पड़ी है।’’ तब उन्होंने चिट्ठी डाली और वह योना के नाम पर निकली। उनके पूछने पर योना ने उन्हें सब सच बता दिया और उनसे कहा, ‘‘मुझे उठा कर समुद्र में पफेंक दो।’’ न चाहते हुए भी उन्होंने योना को समुद्र में पफेंक दिया और भयानक लहरें थम गईं।
  8. परमेश्वर का दंड: यहोवा ने एक बड़ा सा मच्छ ठहराया था कि योना को निगल ले, और योना उस महामच्छ के पेट में तीन दिन और तीन रात पड़ा रहा। वहाँ से उसने परमेश्वर से प्रार्थना की। हम कभी भी और कहीं भी रहकर प्रार्थना कर सकते हैं। परमेश्वर योना को घुटनों पर लाए, क्योंकि जब उसे प्रार्थना करनी चाहिए थी, तब उसने नहीं की।
  9. योना का प्रचार-नीनवे में: यहोवा ने महामच्छ को आज्ञा दी और उसने योना को स्थल पर उगल दिया। तब यहोवा का वचन दूसरी बार योना के पास पहुँचा, ‘‘उठकर उस बड़े नगर नीनवे को जा, और जो बात मैं तुझ से कहूँगा, उसका उसमें प्रचार कर।’’ इस बार योना ने यहोवा की आज्ञा का पालन किया और नीनवे को गया। उसने वहाँ प्रचार किया ‘‘अब से चालीस दिन के बीतने पर नीनवे उलट दिया जाएगा।’’ तब नीनवे के मनुष्यों ने परमेश्वर के वचन की प्रतीति की और उपवास का प्रचार किया गया और बड़े से लेकर छोटे तक सभी ने टाट ओढ़ा। जब नीनवे के राजा ने यह सुना तो उसने सिंहासन से उठकर अपने राजकीय वस्त्रा उतारे और टाट ओढ़ लिया और राख पर बैठ गया। तब सब लोगों ने उपवास किया और मन पिफराया और परमेश्वर से प्रार्थना की। जब परमेश्वर ने उनके कामों को देखा कि वे कुमार्ग से पिफर रहे हैं, तब परमेश्वर ने अपना निर्णय बदल दिया और उनकी जो हानि करने की ठानी थी, उसको न किया।
  10. योना सबक सीखता है: परमेश्वर की यह बात योना को बुरी लगी। उसने यहोवा से यह कहकर प्रार्थना की, ‘‘हे यहोवा, जब मैं अपने देश में था, तब क्या मैं यही बात न कहता था? इसी कारण मैं तर्शीश को भाग जाना चाहता था। मैं जानता था कि तू अनुग्रहकारी और दयालु है। इसलिए अब हे यहोवा, मेरा प्राण ले ले। क्योंकि मेरे लिए जीवित रहने से मरना ही भला है।’’ यहोवा ने योना से पूछा, ‘‘तेरा जो क्रोध् भड़का है क्या वह उचित है?’’तब योना उस नगर से निकलकर उसकी पूरब की ओर बैठ गया। और वहाँ एक छप्पर बनाकर उसकी छाया में बैठकर देखने लगा कि नीनवे का क्या होगा।तब परमेश्वर ने एक रेंड़ का पेड़ उगाकर ऐसा बढ़ाया कि योना के सिर पर छाया हो, जिससे उसका दुःख दूर हो। योना उस रेंड़ के पेड़ के कारण आनंदित हुआ। परन्तु परमेश्वर योना को एक सबक सिखाना चाहते थे। सवेरे जब पौ पफटने लगी, तब परमेश्वर ने एक कीड़े को भेजा, जिसने रेंड़ के पेड़ को ऐसा काटा कि वह सूख गया। जब सूर्य उगा, तब परमेश्वर ने पुरवाई बहाकर लू चलाई, और धूप योना के सिर पर ऐसी लगी कि वह मूर्छित होने लगा। और उसने यह कहकर मृत्यु माँगी, ‘‘मेरे लिए जीवित रहने से मरना ही अच्छा है।’’ परमेश्वर ने योना से कहा, ‘‘तेरा क्रोध् जो रेंड़ के पेड़ के कारण भड़का है, क्या वह उचित है?’’ योना ने कहा, ‘‘हाँ वह उचित है।’’ परमेश्वर ने उससे कहा, ‘‘जिस रेंड़ के पेड़ के लिए तू ने कुछ परिश्रम नहीं किया, न उसको बढ़ाया, जो एक ही रात में हुआ और एक ही रात में नष्ट भी हुआ, उस पर तू ने तरस खाई है। पिफर यह बड़ा नगर नीनवे, जिस में एक लाख बीस हशार से अध्कि मनुष्य हैं, जो अपने दाहिने बाएँ हाथों का भेद नहीं पहचानते, और बहुत से घरेलू पशु भी उसमें रहते हैं, तो क्या मैं उस पर तरस न खाऊँ?’’योना एक महान भविष्यद्वक्ता था। प्रभु यीशु ने स्वयं उसके विषय में मत्ती 12, 39, 41 में उल्लेख किया। अपने गाड़े जाने के विषय में भी प्रभु ने योना के तीन दिन रात महामच्छ के पेट में रहने से तुलना की थी।

बाइबल अध्यन

2 राजा 14:25 25 उसने इस्राएल का सिवाना हमात की घाटी से ले अराबा के ताल तक ज्यों का त्यों कर दिया, जैसा कि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने अमित्तै के पुत्र अपने दास गथेपेरवासी योना भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था। 2 राजा 1:1-11 1 अहाब के मरने के बाद मोआब इस्राएल के विरुद्ध हो गया। 2 और अहज्याह एक झिलमिलीदार खिड़की में से, जो शोमरोन में उसकी अटारी में थी, गिर पड़ा, और बीमार हो गया। तब उसने दूतों को यह कह कर भेजा, कि तुम जा कर एक्रोन के बालजबूब नाम देवता से यह पूछ आओ, कि क्या मैं इस बीमारी से बचूंगा कि नहीं? 3 तब यहोवा के दूत ने तिशबी एलिय्याह से कहा, उठ कर शोमरोन के राजा के दूतों से मिलने को जा, और उन से कह, क्या इस्राएल में कोई परमेश्वर नहीं जो तुम एक्रोन के बालजबूब देवता से पूछने जाते हो? 4 इसलिये अब यहोवा तुझ से यों कहता है, कि जिस पलंग पर तू पड़ा है, उस पर से कभी न उठेगा, परन्तु मर ही जाएगा। तब एलिय्याह चला गया। 5 जब अहज्याह के दूत उसके पास लौट आए, तब उसने उन से पूछा, तुम क्यों लौट आए हो? 6 उन्होंने उस से कहा, कि एक मनुष्य हम से मिलने को आया, और कहा, कि जिस राजा ने तुम को भेजा उसके पास लौटकर कहो, यहोवा यों कहता है, कि क्या इस्राएल में कोई परमेश्वर नहीं जो तू एक्रोन के बालजबूब देवता से पूछने को भेजता है? इस कारण जिस पलंग पर तू पड़ा है, उस पर से कभी न उठेगा, परन्तु मर ही जाएगा। 7 उसने उन से पूछा, जो मनुष्य तुम से मिलने को आया, और तुम से ये बातें कहीं, उसका कैसा रंग-रूप था? 8 उन्होंने उसको उत्तर दिया, वह तो रोंआर मनुष्य था और अपनी कमर में चमड़े का फेंटा बान्धे हुए था। उसने कहा, वह तिशबी एलिय्याह होगा। 9 तब उसने उसके पास पचास सिपाहियों के एक प्रधान को उसके पचासों सिपाहियों समेत भेजा। प्रधान ने उसके पास जा कर क्या देखा कि वह पहाड़ की चोटी पर बैठा है। और उसने उस से कहा, हे परमेश्वर के भक्त राजा ने कहा है, कि तू उतर आ। 10 एलिय्याह ने उस पचास सिपाहियों के प्रधान से कहा, यदि मैं परमेश्वर का भक्त हूँ तो आकाश से आग गिरकर तुझे तेरे पचासों समेत भस्म कर डाले। तब आकाश से आग उतरी और उसे उसके पचासों समेत भस्म कर दिया। 11 फिर राजा ने उसके पास पचास सिपाहियों के एक और प्रधान को, पचासों सिपाहियों समेत भेज दिया। प्रधान ने उस से कहा हे परमेश्वर के भक्त राजा ने कहा है, कि फुतीं से तू उतर आ। 2 राजा 2:10 10 एलिय्याह ने उस पचास सिपाहियों के प्रधान से कहा, यदि मैं परमेश्वर का भक्त हूँ तो आकाश से आग गिरकर तुझे तेरे पचासों समेत भस्म कर डाले। तब आकाश से आग उतरी और उसे उसके पचासों समेत भस्म कर दिया। 2 राजा 3:1-10 1 यहूदा के राजा यहोशापात के अठारहवें वर्ष में अहाब का पुत्र यहोराम शिमरोन में राज्य करने लगा, और बारह पर्ष तक राज्य करता रहा। 2 उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है तौभी उसने अपने माता-पिता के बराबर नहीं किया वरन अपने पिता की बनवाई हुई बाल की लाठ को दूर किया। 3 तौभी वह नबात के पुत्र यारोबाम के ऐसे पापों में जैसे उसने इस्राएल से भी कराए लिपटा रहा और उन से न फिरा। 4 मोआब का राजा मेशा बहुत सी भेड़-बकरियां रखता था, और इस्राएल के राजा को एक लाख बच्चे और एक लाख मेढ़ों का ऊन कर की रीति से दिया करता था। 5 जब अहाब मर गया, तब मोआब के राजा ने इस्राएल के राजा से बलवा किया। 6 उस समय राजा यहोराम ने शोमरोन से निकल कर सारे इस्राएल की गिनती ली। 7 और उसने जा कर यहूदा के राजा यहोशापात के पास यों कहला भेजा, कि मोआब के राजा ने मुझ से बलवा किया है, क्या तू मेरे संग मोआब से लड़ने को चलेगा? उसने कहा, हां मैं चलूंगा, जैसा तू वैसा मैं, जैसी तेरी प्रजा वैसी मेरी प्रजा, और जैसे तेरे घोड़े वैसे मेरे भी घोड़े हैं। 8 फिर उसने पूछा, हम किस मार्ग से जाएं? उसने उत्तर दिया, एदोम के जंगल से होकर। 9 तब इस्राएल का राजा, और यहूदा का राजा, और एदोम का राजा चले और जब सात दिन तक घूमकर चल चुके, तब सेना और उसके पीछे पीछे चलने वाले पशुओं के लिये कुछ पानी न मिला। 10 और इस्राएल के राजा ने कहा, हाय! यहोवा ने इन तीन राजाओं को इसलिये इकट्ठा किया, कि उन को मोआब के हाथ में कर दे। 2 राजा 4:1-11 1 भविष्यद्वक्ताओं के चेलों की पत्नियों में से एक स्त्री ने एलीशा की दोहाई देकर कहा, तेरा दास मेरा पति मर गया, और तू जानता है कि वह यहोवा का भय माननेवाला था, और जिसका वह कर्जदार था वह आया है कि मेरे दोनों पुत्रों को अपने दास बनाने के लिये ले जाए। 2 एलीशा ने उस से पूछा, मैं तेरे लिये क्या करूं? मुझ से कह, कि तेरे घर में क्या है? उसने कहा, तेरी दासी के घर में एक हांड़ी तेल को छोड़ और कुछ तहीं है। 3 उसने कहा, तू बाहर जा कर अपनी सब पड़ोसियों खाली बरतन मांग ले आ, और थोड़े बरतन न लाना। 4 फिर तू अपने बेटों समेत अपने घर में जा, और द्वार बन्द कर के उन सब बरतनों में तेल उण्डेल देना, और जो भर जाए उन्हें अलग रखना। 5 तब वह उसके पास से चली गई, और अपने बेटों समेत अपने घर जा कर द्वार बन्द किया; तब वे तो उसके पास बरतन लाते गए और वह उण्डेलती गई। 6 जब बरतन भर गए, तब उसने अपने बेटे से कहा, मेरे पास एक और भी ले आ, उसने उस से कहा, और बरतन तो नहीं रहा। तब तेल थम गया। 7 तब उसने जा कर परमेश्वर के भक्त को यह बता दिया। ओर उसने कहा, जा तेल बेच कर ऋण भर दे; और जो रह जाए, उस से तू अपने पुत्रों सहित अपना निर्वाह करना। 8 फिर एक दिन की बात है कि एलीशा शूनेम को गया, जहां एक कुलीन स्त्री थी, और उसने उसे रोटी खाने के लिये बिनती कर के विवश किया। और जब जब वह उधर से जाता, तब तब वह वहां रोटी खाने को उतरता था। 9 और उस स्त्री ने अपने पति से कहा, सुन यह जो बार बार हमारे यहां से हो कर जाया करता है वह मुझे परमेश्वर का कोई पवित्र भक्त जान पड़ता है। 10 तो हम भीत पर एक छोटी उपरौठी कोठरी बनाएं, और उस में उसके लिये एक खाट, एक मेज, एक कुसीं और एक दीवट रखें, कि जब जब वह हमारे यहां आए, तब तब उसी में टिका करे। 11 एक दिन की बात है, कि वह वहां जा कर उस उपरौठी कोठरी में टिका और उसी में लेट गया। भजन संहिता 130:7-8 7 इस्राएल यहोवा पर आशा लगाए रहे! क्योंकि यहोवा करूणा करने वाला और पूरा छुटकारा देने वाला है। 8 इस्राएल को उसके सारे अधर्म के कामों से वही छुटकारा देगा॥