पाठ 38 : प्रभु-भोज 1
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सारांश
याद करना आवश्यक है। बहुत सी बातें है जो हमें स्मरण रखनी चाहिए। जो कार्य होने हैं उन्हें स्मरण दिलाने के लिए हम लिखकर रख लेते हैं। उसी प्रकार हम किसी घटना या व्यक्ति को याद करने के लिए कुछ चिन्ह रख लेते हैं जो हमें उनकी याद दिलाते रहते हैं। उनको हम यादगार कहते हैं जो हमें पिछली घटनाओं का स्मरण दिलाते हैं। परमेश्वर का यादगार भोज: हमारे समय में परमेश्वर ने एक ऐसा अध्यादेश दिया जो हमारी याद को प्रेरित करता है। यह ‘‘प्रभु भोज’’ कहलाता है। प्रभु ने कहा-‘‘मेरे स्मरण के लिए यही किया करो’’ ;1 कुरि11:24 अंतिम पफसह: प्रभु यीशु अपने शिष्यों के साथ किराए की उपरौठी कोठरी में थे, जब उन्होंनं इस नए भोज की स्थापना की ;मत्ती 26:17-30। यह पफसह का समय था। मिस्र की दासता से इस्राएलियों के छुटकारे और प्रभु यीशु के आने की भविष्यद्वाणी जो बलिदान होने आने वाला मेम्ना था, उनकी यादगार में फसह का पर्व मनाया जाता था। अपने शिष्यों के साथ प्रभु यीशु ने यह अंतिम फसह मनाया, क्योंकि अगले ही दिन प्रभु एक मेम्ने की तरह अपने क्रूस की मृत्यु के द्वारा भविष्यद्वाणी के उस पहलू को पूरा करने वाले थे। ;पढ़ें - लूका 12:14-18।प्रभु-भोज की स्थापना: ‘‘प्रभु यीशु ने रोटी ली, और धन्यवाद करके उसे तोड़ी और कहा, ‘‘यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिए है, मेरे स्मरण के लिए यही किया करो।’ इसी रीति से प्रभु ने कटोरा भी लिया और कहा, ‘यह कटोरा मेरे लहू में नई वाचा है, जब कभी पीओ, तो मेरे स्मरण के लिए यही किया करो’।’’ इससे यह स्पष्ट होता है कि फसह के पर्व के पश्चात प्रभु ने जो किया वह ‘प्रभु भोज’ की स्थापना थी।वर्ण मेरी देह, मेरा लहू: प्रभु यीशु ने रोटी ली और ध्न्यवाद करके उसे तोड़ी और चेलों को देकर कहा, ‘‘लो, खाओ, यह मेरी देह है।’’ ;मत्ती 26:26। टूटी हुई रोटी को खाना हमें प्रभु की टूटी देह का स्मरण कराता है। यह रोटी जैसे एक है वैसे ही विश्वासी भी प्रभु के साथ एक हैं इस बात का भी स्मरण यह रोटी दिलाती है। ;1 कुरि10:17। यह प्रभु की मृत्यु का भी यादगार है। प्रभु ने कहा-‘‘मेरे स्मरण के लिए यही किया करो’’ ;1 कुरि. 11:24।‘‘फिर प्रभु ने कटोरा लेकर ध्न्यवाद किया और उन्हें देकर कहा,‘तुम सब इसमें से पीओ, क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिए पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है’।’’ ;मत्ती 26:27-28। यहाँ पर यादगार न केवल स्मरण दिलाता है परन्तु हमें सिखाता भी है। हमारे पापों की क्षमा प्रभु की मात्रा मृत्यु से ही नहीं बल्कि प्रभु ने जो लहू बहाया उस से भी होती है। आने वाला राज्य: फसह की तरह ही प्रभु-भोज एक भविष्यद्वाणी भी है। यह उस समय की ओर देखता है जब प्रभु हमारे साथ पिता के राज्य में नया दाख का रास पीएंगे। ;मत्ती 26:29। जैसे पफसह प्रभु यीशु की मृत्यु की भविष्यद्वाणी करता था, वैसे ही प्रभु-भोज भविष्यद्वाणी करता है कि हमारा प्रभु राज्य करने के लिए एक राजा के रूप में वापस आएगा। व्यक्तिगत जाँच: यह यादगार प्रभु की मृत्यु को पीछे की ओर देखती है और आगे की ओर प्रभु के द्वितीय आगमन की ओर। वर्तमान में यह हमें स्वयं की जाँच करने का कारण है जब हम उसमें भागीदार होते हैं। ;कुरि. 11:28। उचित व्यवस्था: नए नियम की कलीसिया इस भोज का संरक्षक व प्रशासक है। यह भोज भूख मिटाने के लिए नहीं है परन्तु हमें स्मरण दिलाने के लिए है। ;1 कुरि.11:20-22।‘‘प्रभु-भोज’ नाम से ही हम जान सकते हैं कि यह किसका अधिकार है जो हमें उस भोज के लिए निमंत्रित करता है। हम प्रभु की मेश पर आते हैं क्योंकि हम प्रभु के द्वारा नियंत्रित लोग हैं।प्रभु भोज एक अध्यादेश है जिसकी विशेषता उसकी सादगी है। तथापि उसका अर्थ गहरा है। कलीसिया के आरंभिक दिनों में प्रभु की यादगार रोश करते थे। स्पष्टतः एक साथ भोजन करने और प्रभु-भोज में भाग लेने, दोनों कार्यों के लिए ‘‘रोटी तोड़ना’’ ही कहा जाता था। बाद में प्रेरितों 20:7 से यह स्पष्ट होता है कि यह सप्ताह में एक बार किया जाता था। अक्सर पौलुस अपनी यात्राओं के दौरान प्रभु के दिन में रोटी तोड़ने के लिए रुक जाया करते थे।सप्ताह का पहला दिन हमें अपने प्रभु के पुनरुत्थान का स्मरण कराता है। जब उसी दिन हम प्रभु-भोज में से भाग लेते हैं, तब हम प्रभु की मृत्यु को उनके पुनरुत्थान के साथ भी जोड़ते हैं। और साथ ही प्रभु के दोबारा आगमन की भी आस लगाते हैं।जब हम प्रभु के दिन में एकत्रा होते हैं तब यह पवित्रा आत्मा है जो आराध्ना में हमारी अगुआई करते हैं। हम अपने पापों को स्मरण करने के लिए नहीं आते। और ना ही यह आशीषों को स्मरण करने का समय है। क्योंकि उद्धारकर्ता को भूलकर अन्य बातों में उलझ जाना संभव है। यह संभव है कि हम अपने छुटकारे पर पूरा ध्यान केंद्रित करें और छुड़ानेवाले को स्मरण न करें। लूका 17:15-18 में हम पढ़ते हैं कि प्रभु ने दस कोढ़ियों को चंगा किया। निस्संदेह दसों आभारी थे कि उनका कोढ़ दूर हो गया, परन्तु सिर्फ एक वापस आया और चंगा करने वाले प्रभु के चरणों पर गिरा। यही सच्चा ध्न्यवाद देना और चंगा करने वाले को स्मरण करना है।हमारी आत्मा की चाहत भी अपने प्रभु के नाम के लिए और प्रभु की यादगार के लिए हो। ;यशा. 26:8। भूल जाना मनुष्य की प्रवृत्ति है। हम दिन प्रतिदिन के जीवन में बहुत कुछ भूल जाते हैं। परन्तु कुछ ऐसी बातें हैं जो हमें बिल्कुल भी भूलना नहीं चाहिए। निश्चित रूप से हमारे प्रभु की मृत्यु उनमें से एक है। इस अध्यादेश को अच्छे से समझने के द्वारा ये बातें हमेशा हम स्मरण रखेंगे।
बाइबल अध्यन
1 कुरिन्थियों 11:24
24 और धन्यवाद करके उसे तोड़ी, और कहा; कि यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।
मत्ती 26:17-30
17 अखमीरी रोटी के पर्व्व के पहिले दिन, चेले यीशु के पास आकर पूछने लगे; तू कहां चाहता है कि हम तेरे लिये फसह खाने की तैयारी करें?
18 उस ने कहा, नगर में फुलाने के पास जाकर उस से कहो, कि गुरू कहता है, कि मेरा समय निकट है, मैं अपने चेलों के साथ तेरे यहां पर्व्व मनाऊंगा।
19 सो चेलों ने यीशु की आज्ञा मानी, और फसह तैयार किया।
20 जब सांझ हुई, तो वह बारहों के साथ भोजन करने के लिये बैठा।
21 जब वे खा रहे थे, तो उस ने कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम में से एक मुझे पकड़वाएगा।
22 इस पर वे बहुत उदास हुए, और हर एक उस से पूछने लगा, हे गुरू, क्या वह मैं हूं?
23 उस ने उत्तर दिया, कि जिस ने मेरे साथ थाली में हाथ डाला है, वही मुझे पकड़वाएगा।
24 मनुष्य का पुत्र तो जैसा उसके विषय में लिखा है, जाता ही है; परन्तु उस मनुष्य के लिये शोक है जिस के द्वारा मनुष्य का पुत्र पकड़वाया जाता है: यदि उस मनुष्य का जन्म न होता, तो उसके लिये भला होता।
25 तब उसके पकड़वाने वाले यहूदा ने कहा कि हे रब्बी, क्या वह मैं हूं?
26 उस ने उस से कहा, तू कह चुका: जब वे खा रहे थे, तो यीशु ने रोटी ली, और आशीष मांग कर तोड़ी, और चेलों को देकर कहा, लो, खाओ; यह मेरी देह है।
27 फिर उस ने कटोरा लेकर, धन्यवाद किया, और उन्हें देकर कहा, तुम सब इस में से पीओ।
28 क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लोहू है, जो बहुतों के लिये पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।
29 मैं तुम से कहता हूं, कि दाख का यह रस उस दिन तक कभी न पीऊंगा, जब तक तुम्हारे साथ अपने पिता के राज्य में नया न पीऊं॥
30 फिर वे भजन गाकर जैतून पहाड़ पर गए॥
लूका 12:14-18
14 उस ने उस से कहा; हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटने वाला नियुक्त किया है?
15 और उस ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता।
16 उस ने उन से एक दृष्टान्त कहा, कि किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई।
17 तब वह अपने मन में विचार करने लगा, कि मैं क्या करूं, क्योंकि मेरे यहां जगह नहीं, जहां अपनी उपज इत्यादि रखूं।
18 और उस ने कहा; मैं यह करूंगा: मैं अपनी बखारियां तोड़ कर उन से बड़ी बनाऊंगा;
मत्ती 26:26
26 उस ने उस से कहा, तू कह चुका: जब वे खा रहे थे, तो यीशु ने रोटी ली, और आशीष मांग कर तोड़ी, और चेलों को देकर कहा, लो, खाओ; यह मेरी देह है।
1कुरिन्थियों 10:17
17 इसलिये, कि एक ही रोटी है सो हम भी जो बहुत हैं, एक देह हैं: क्योंकि हम सब उसी एक रोटी में भागी होते हैं।
मत्ती 26:27-29
27 फिर उस ने कटोरा लेकर, धन्यवाद किया, और उन्हें देकर कहा, तुम सब इस में से पीओ।
28 क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लोहू है, जो बहुतों के लिये पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है।
29 मैं तुम से कहता हूं, कि दाख का यह रस उस दिन तक कभी न पीऊंगा, जब तक तुम्हारे साथ अपने पिता के राज्य में नया न पीऊं॥
1 कुरिन्थियों 11:20-22
20 सो तुम जो एक जगह में इकट्ठे होते हो तो यह प्रभु भोज खाने के लिये नहीं।
21 क्योंकि खाने के समय एक दूसरे से पहिले अपना भोज खा लेता है, सो कोई तो भूखा रहता है, और कोई मतवाला हो जाता है।
22 क्या खाने पीने के लिये तुम्हारे घर नहीं या परमेश्वर की कलीसिया को तुच्छ जानते हो, और जिन के पास नहीं है उन्हें लज्ज़ित करते हो मैं तुम से क्या कहूं? क्या इस बात में तुम्हारी प्रशंसा करूं? मैं प्रशंसा नहीं करता।
प्रेरितों 20:7
7 सप्ताह के पहिले दिन जब हम रोटी तोड़ने के लिये इकट्ठे हुए, तो पौलुस ने जो दूसरे दिन चले जाने पर था, उन से बातें की, और आधी रात तक बातें करता रहा।
लूका 17:15-18
15 तब उन में से एक यह देखकर कि मैं चंगा हो गया हूं, ऊंचे शब्द से परमेश्वर की बड़ाई करता हुआ लौटा।
16 और यीशु के पांवों पर मुंह के बल गिरकर, उसका धन्यवाद करने लगा; और वह सामरी था।
17 इस पर यीशु ने कहा, क्या दसों शुद्ध न हुए? तो फिर वे नौ कहां हैं?
18 क्या इस परदेशी को छोड़ कोई और न निकला, जो परमेश्वर की बड़ाई करता?
यशायाह 26:8
8 हे यहोवा, तेरे न्याय के मार्ग में हम लोग तेरी बाट जोहते आए हैं; तेरे नाम के स्मरण की हमारे प्राणों में लालसा बनी रहती है।