पाठ 30 : उद्धार

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सारांश

उद्धार का साधरण सा अर्थ है छुटकारा। यह उस क्रिया का वर्णन करता है जिसके द्वारा किसी व्यक्ति का किसी खतरे से बचाव किया जाता है। हम किसी व्यक्ति को डूबने से बचाना, जलती इमारत में से बचाना या डूबते जहाश में से बचाना आदि कहते हैं। प्रत्येक स्थिति में तीन बातें सोची जाती हैं-

  1. वह व्यक्ति खतरे में है जिसे बचाया जाता है।
  2. किसी ने उसकी विपत्ति देखी और उसे बचाने गया।
  3. बचाने वाला अपने उद्देश्य में सपफल रहा। उसने उस व्यक्ति को जो विपत्ति में था बचा लिया अतः उसका छुटकारा किया। परिभाषा: बचाना, छुड़ाना, उद्धार करना, उद्धारकर्ता, उद्धार आदि शब्द बाइबल में अनेक बार आए हैं जिनका तात्पर्य आत्मिक बचाव या छुटकारे से ही है। छुटकारे का विचार प्रभु यीशु के नाम पर ही केंद्रित होता है। इब्रानी नाम यहोशू का यूनानी रूप है ‘यीशु’। यहोशू का अर्थ है- यहोवा-छुड़ाने वाला। इस्राएल के सेनापति के लिए यह कितना महान नाम है। यहोशू और उसके यो(शत्रुओं को यह नाम स्मरण दिलाता रहा कि ‘‘उद्धार यहोवा ही से है।’’ इस नाम के अर्थ के कारण ही हमारे प्रभु को भी उसके जन्म के समय यह नाम दिया गया। ‘‘तू उसका नाम यीशु रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा।’’ ;मत्ती 1:21। हम तब तक प्रभु यीशु को नहीं जानते जब तक कि हम उन्हें अपने उद्धारकर्ता की तरह नहीं पहचानते। क्योंकि उनका नाम ही यह प्रकट करता है कि वह कौन हैं। मनुष्य को छुटकारे की आवश्यकता है क्योंकि वह पापी है। अपने कार्य का वर्णन करते हुए प्रभु ने कहा, ‘‘मनुष्य का पुत्रा खोए हुओं को ढूँढ़ने और उनका उद्धार करने आया है।’’ ;लूका 19:10। जिनका उद्धार नहीं हुआ वे खोए हुए हैं। बाइबल में उद्धार शब्द का अर्थ है-खोए हुए पापी को बचाना। आवश्यकता: मनुष्य का पापी स्वभाव एक सत्य है। समय-समय पर यह पापमय विचारों, शब्दों, कार्यों और रवैए के द्वारा परमेश्वर से शत्रुता को प्रकट करता है। निम्नलिखित पद इस बात को स्पष्ट करते हैं-रोमियों 5:12, 18, 19 (6:16( 8:5-8( उत्पत्ति 6:5( इफि. 2:1-3( 2 कुरि 4:3, 4( यशा. 53:6 यिर्म. 17:9( मरकुस 7:20-23( रोमियों 1:21-32( 3:19-23।इन पदों से यह स्पष्ट होता है कि मनुष्य पापी है और उसे क्षमा की आवश्यकता है। मनुष्य खोया हुआ है, उसे ढूँढ़े जाने की आवश्यकता है। वह बरबाद है उसे बचाया जाना है। मनुष्य दोषी है उसे क्षमा की आवश्यकता है। वह आत्मिक रूप से मरा हुआ है उसे जीवन की आवश्यकता है। वह अंध है उसे ज्योति की आवश्यकता है। वह गुलाम है उसे स्वतंत्राता की आवश्यकता है। मनुष्य स्वयं को बचाने में असामर्थ है।परमेश्वर पवित्रा हैं और पाप को दण्ड देना होगा। परमेश्वर ने यह स्पष्ट किया है कि वे पाप से घृणा करते हैं और जो लोग पाप में रहकर मर जाते हैं वे सदाकाल के लिए परमेश्वर की उपस्थिति से दूर रहेंगे। ;पढ़ें-यूहन्ना 8:21-24) मरकुस 9:43-48( लूका 16:22-31 यहूदा11-13 प्रका. 20:11-15। निष्कर्ष स्पष्ट है। क्योंकि मनुष्य पापी है और परमेश्वर धर्मी हैं, अतः पापी का उसके पापों के दण्ड से छुटकाराआवश्यक है।उसका प्रावधन: सुसमाचार परमेश्वर का शुभ संदेश है कि परमेश्वर ने अपने अद्भुत अनुग्रह से अपने प्रिय पुत्रा के द्वारा इस उद्धार का प्रावधन किया। मत्ती 1:21 के अनुसार वह पापियों का उद्धारकर्ता बनने के लिए आए। अनंत परमेश्वर और पवित्रा आत्मा के बराबर होने पर भी उद्धार का प्रावधन करने के लिए प्रभु यीशु ने देहधरण किया। ;यूहन्ना 3:16-17( 10:11, 15-18( मरकुस 10:45( मत्ती 9:12-13। परमेश्वर की अनंत योजनानुसार मसीह की मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा मनुष्यजाति के लिए इस उद्धार का प्रावधन किया गया। जब प्रभु स्वेच्छा से क्रूस पर लटके थे तब उन्होंने स्वेच्छा से हमारे पापों और अपराधों को अपने ऊपर उठा लिया और हमारे बदले अपना बलिदान दे दिया। मनुष्यजाति के पापों का न्याय और दण्ड प्रभु पर पड़ा और मसीह की मृत्यु के द्वारा परमेश्वर के धर्मिकता की माँग पूरी हुई। परमेश्वर ने प्रभु यीशु को मरे हुओं में से जिलाकर और अपने दाहिने हाथ बैठाकर इस विषय में पूर्ण स्वीकृति प्रदान की। ;1 कुरि. 15:1-4(2 कुरि5:21(1 पतरस 2:24) यशा. 53:5( रोमियों 5:6-9) प्रेरितों 4:10-12 5:31( 17:31।उसकी शर्त: एक पापी के उद्धार के लिए आवश्यक सभी कार्यों को प्रभु यीशु ने अपने बलिदान के द्वारा पूरा कर लिया। अब इस उद्धार को प्राप्त करने के लिए हमें क्या करना होगा? हमें पश्चाताप करना होगा। पश्चाताप मन का परिवर्तन है जिसके परिणामस्वरूप पाप के प्रति स्वयं के प्रति, उद्धार और उद्धारकर्ता के प्रति भी हमारा रवैया बदल जाता है। यह मन का परिवर्तन हमारे कार्यों के बदल जाने का प्रमाण है। ;लूका 13:3 प्रेरतों 17:31) (20:21।प्रभु यीशु मसीह के व्यक्तित्व और कार्य के विषय में सुसमाचार पर हमें विश्वास करना होगा ;1 यूहन्ना 5:9,10। एक खोए हुए पापी के रूप में हमें व्यक्तिगत रूप से यह विश्वास करना होगा कि प्रभु यीशु ने मेरे लिए अपना प्राण दिया। प्रभु ने मेरे पापों को उठाकर, मेरे बदले अपना प्राण दिया और इस प्रकार मेरे उद्धार के लिए आवश्यक कार्य को पूरा कर दिया। अपनी सम्पूर्ण स्वेच्छा से यह निर्णय लेना हेगा कि प्रभु यीशु ही मेरे उद्धारकर्ता हैं और अब से आगे के जीवन में वही मेरे प्रभु भी है।;यूहन्ना 1:12) रोमियों 10:9-10। उसका निश्चय:एक व्यक्ति को कैसे पता चलता है कि उसका उद्धार हुआ है?परमेश्वर के वचन के द्वारा। परमेश्वर ने यह स्पष्ट रूप से प्रकट किया है कि जो कोई परमेश्वर के पुत्रा पर विश्वास करता है उसे पापों की क्षमा प्राप्त होती है और उसका उद्धार होता है। उसे अनंत जीवन प्राप्त होता है और वह अनंतकाल के लिए सुरक्षित हो जाता है। ;प्रेरितों13:38) (1 यूहन्ना 2:12, इपिफ. 2:8( 1 कुरि. 6:11)( 1 यूहन्ना 5:13 रोमियों 5:1( 8:1( यूहन्ना 10:27-30। उसका विस्तार: भूतकाल: प्रभु यीशु को उद्धारकर्ता स्वीकार करने से पहले के पापों का परिणाम और दण्ड से भी हमें छुटकारा और क्षमा प्राप्त होती है क्योंकि प्रभु यीशु ने पूरा पूरा दण्ड अपने ऊपर उठा लिया। ;यूहन्ना 5:24( रोमियों 8:1। वर्तमान: वर्तमान में हमें पाप की सामर्थ और नियंत्राण से छुटकारा प्राप्त होता है क्योंकि परमेश्वर पवित्रा आत्मा हमारे अंदर वास करते हैं और हमें एक नया स्वभाव भी दिया जाता है। इस कारण पाप हमारे जीवन में राज्य नहीं कर पाता। ;1 कुरि. 6:19( 2 पतरस 1:3-4 रोमियों 6:1-14। इसका अर्थ यह नहीं है कि एक विश्वासी पाप करने में असमार्थ हो जाता है। हमारे भीतर पुराना स्वभाव रहता है और हम इस शरीर में रहते हैं इस कारण पाप हो सकता है। परन्तु यदि हम अपने जीवन का नियंत्राण पवित्रा आत्मा को सौंप देते हैं तब हम पाप के नियंत्राण से बचकर जीवन व्यतीत कर सकते हैं। यह निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है
  4. परमेश्वर के वचन को पढ़ना और उसका पालन करना ;2 तीमु2:15
  5. प्रार्थना के द्वारा प्रभु के साथ सदा संपर्क में रहना ;इब्रा. 4:14-16।
  6. अपने शरीर को परमेश्वर के कार्य और धर्मिकता के लिए उपयोग करना ;रोमि. 6:13( 12:1-2।
  7. परमेश्वर के सम्मुख तत्काल पाप अंगीकार करना और सभी ज्ञात पापों को छोड़ देना। ;1 यूह. 1:8-9 तीतुस 2:11-15। भविष्य: भविष्य में पाप की उपस्थिति से भी हमारा उद्धार होगा।यह तब होगा जब प्रभु यीशु दोबारा आएँगे और जो लोग प्रभु में मरे हैं वे जीवित किए जाएँगे और जो जीवित हैं वे सब भी बदल जाएँगे और उन्हें ऐसा शरीर दिया जाएगा जो न पाप कर सकता है और न मर सकता है। यह उद्धार का अंतिम पहलू है। ;इब्रा. 9:28( 1 थिस्स4:13-18।

बाइबल अध्यन

मत्ती 1:21 21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा। लूका 19:10 10 क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है॥ रोमियों 5:12,18,19 12 इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया। 18 इसलिये जैसा एक अपराध सब मनुष्यों के लिये दण्ड की आज्ञा का कारण हुआ, वैसा ही एक धर्म का काम भी सब मनुष्यों के लिये जीवन के निमित धर्मी ठहराए जाने का कारण हुआ। 19 क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य के आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरेंगे। रोमियों 6:16 16 क्या तुम नहीं जानते, कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों की नाईं सौंप देते हो, उसी के दास हो: और जिस की मानते हो, चाहे पाप के, जिस का अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिस का अन्त धामिर्कता है रोमियों 8:5-8 5 क्योंकि शरीरिक व्यक्ति शरीर की बातों पर मन लगाते हैं; परन्तु आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं। 6 शरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और शान्ति है। 7 क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्वर से बैर रखना है, क्योंकि न तो परमेश्वर की व्यवस्था के आधीन है, और न हो सकता है। 8 और जो शारीरिक दशा में है, वे परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते। उत्पत्ति 6:5 5 और यहोवा ने देखा, कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है सो निरन्तर बुरा ही होता है। इफिसियों 2:1 1 और उस ने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे। इफिसियों 3:2 2 यदि तुम ने परमेश्वर के उस अनुग्रह के प्रबन्ध का समाचार सुना हो, जो तुम्हारे लिये मुझे दिया गया। 2 कुरिन्थियों 4:3,4 3 परन्तु यदि हमारे सुसमाचार पर परदा पड़ा है, तो यह नाश होने वालों ही के लिये पड़ा है। 4 और उन अविश्वासियों के लिये, जिन की बुद्धि को इस संसार के ईश्वर ने अन्धी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप है, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके। यशायाह 53:6 6 हम तो सब के सब भेड़ों की नाईं भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया॥ यिर्मयाह 17:9 9 मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है? मरकुस 7:20-23 20 फिर उस ने कहा; जो मनुष्य में से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। 21 क्योंकि भीतर से अर्थात मनुष्य के मन से, बुरी बुरी चिन्ता, व्यभिचार। 22 चोरी, हत्या, पर स्त्रीगमन, लोभ, दुष्टता, छल, लुचपन, कुदृष्टि, निन्दा, अभिमान, और मूर्खता निकलती हैं। 23 ये सब बुरी बातें भीतर ही से निकलती हैं और मनुष्य को अशुद्ध करती हैं॥ रोमियों 1:21-32 21 इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्धेरा हो गया। 22 वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए। 23 और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशमान मनुष्य, और पक्षियों, और चौपायों, और रेंगने वाले जन्तुओं की मूरत की समानता में बदल डाला॥ 24 इस कारण परमेश्वर ने उन्हें उन के मन के अभिलाषाओं के अुनसार अशुद्धता के लिये छोड़ दिया, कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें। 25 क्योंकि उन्होंने परमेश्वर की सच्चाई को बदलकर झूठ बना डाला, और सृष्टि की उपासना और सेवा की, न कि उस सृजनहार की जो सदा धन्य है। आमीन॥ 26 इसलिये परमेश्वर ने उन्हें नीच कामनाओं के वश में छोड़ दिया; यहां तक कि उन की स्त्रियों ने भी स्वाभाविक व्यवहार को, उस से जो स्वभाव के विरूद्ध है, बदल डाला। 27 वैसे ही पुरूष भी स्त्रियों के साथ स्वाभाविक व्यवहार छोड़कर आपस में कामातुर होकर जलने लगे, और पुरूषों ने पुरूषों के साथ निर्लज्ज़ काम करके अपने भ्रम का ठीक फल पाया॥ 28 और जब उन्होंने परमेश्वर को पहिचानना न चाहा, इसलिये परमेश्वर ने भी उन्हें उन के निकम्मे मन पर छोड़ दिया; कि वे अनुचित काम करें। 29 सो वे सब प्रकार के अधर्म, और दुष्टता, और लोभ, और बैरभाव, से भर गए; और डाह, और हत्या, और झगड़े, और छल, और ईर्षा से भरपूर हो गए, और चुगलखोर, 30 बदनाम करने वाले, परमेश्वर के देखने में घृणित, औरों का अनादर करने वाले, अभिमानी, डींगमार, बुरी बुरी बातों के बनाने वाले, माता पिता की आज्ञा न मानने वाले। 31 निर्बुद्धि, विश्वासघाती, मायारिहत और निर्दय हो गए। 32 वे तो परमेश्वर की यह विधि जानते हैं, कि ऐसे ऐसे काम करने वाले मुत्यु के दण्ड के योग्य हैं, तौभी न केवल आप ही ऐसे काम करते हैं, वरन करने वालों से प्रसन्न भी होते हैं॥ रोमियों 3:19-23 19 हम जानते हैं, कि व्यवस्था जो कुछ कहती है उन्हीं से कहती है, जो व्यवस्था के आधीन हैं: इसलिये कि हर एक मुंह बन्द किया जाए, और सारा संसार परमेश्वर के दण्ड के योग्य ठहरे। 20 क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके साम्हने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है। 21 पर अब बिना व्यवस्था परमेश्वर की वह धामिर्कता प्रगट हुई है, जिस की गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं। 22 अर्थात परमेश्वर की वह धामिर्कता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करने वालों के लिये है; क्योंकि कुछ भेद नहीं। 23 इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं। यूहन्ना 8:21-24 21 उस ने फिर उन से कहा, मैं जाता हूं और तुम मुझे ढूंढ़ोगे और अपने पाप में मरोगे: जहां मैं जाता हूं, वहां तुम नहीं आ सकते। 22 इस पर यहूदियों ने कहा, क्या वह अपने आप को मार डालेगा, जो कहता है; कि जहां मैं जाता हूं वहां तुम नहीं आ सकते? 23 उस ने उन से कहा, तुम नीचे के हो, मैं ऊपर का हूं; तुम संसार के हो, मैं संसार का नहीं। 24 इसलिये मैं ने तुम से कहा, कि तुम अपने पापों में मरोगे; क्योंकि यदि तुम विश्वास न करोगे कि मैं वहीं हूं, तो अपने पापों में मरोगे। मरकुस 9:43-48 43 यदि तेरा हाथ तुझे ठोकर खिलाए तो उसे काट डाल टुण्डा होकर जीवन में प्रवेश करना, तेरे लिये इस से भला है कि दो हाथ रहते हुए नरक के बीच उस आग में डाला जाए जो कभी बुझने की नहीं। 44 .जहां उन का कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती। 45 और यदि तेरा पांव तुझे ठोकर खिलाए तो उसे काट डाल। 46 लंगड़ा होकर जीवन में प्रवेश करना तेरे लिये इस से भला है, कि दो पांव रहते हुए नरक में डाला जाए। 47 और यदि तेरी आंख तुझे ठोकर खिलाए तो उसे निकाल डाल, काना होकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना तेरे लिये इस से भला है, कि दो आंख रहते हुए तू नरक में डाला जाए। 48 जहां उन का कीड़ा नहीं मरता और आग नहीं बुझती। लूका 16:22-31 22 और ऐसा हुआ कि वह कंगाल मर गया, और स्वर्गदूतों ने उसे लेकर इब्राहीम की गोद में पहुंचाया; और वह धनवान भी मरा; और गाड़ा गया। 23 और अधोलोक में उस ने पीड़ा में पड़े हुए अपनी आंखें उठाई, और दूर से इब्राहीम की गोद में लाजर को देखा। 24 और उस ने पुकार कर कहा, हे पिता इब्राहीम, मुझ पर दया करके लाजर को भेज दे, ताकि वह अपनी उंगुली का सिरा पानी में भिगो कर मेरी जीभ को ठंडी करे, क्योंकि मैं इस ज्वाला में तड़प रहा हूं। 25 परन्तु इब्राहीम ने कहा; हे पुत्र स्मरण कर, कि तू अपने जीवन में अच्छी वस्तुएं ले चुका है, और वैसे ही लाजर बुरी वस्तुएं: परन्तु अब वह यहां शान्ति पा रहा है, और तू तड़प रहा है। 26 और इन सब बातों को छोड़ हमारे और तुम्हारे बीच एक भारी गड़हा ठहराया गया है कि जो यहां से उस पार तुम्हारे पास जाना चाहें, वे न जा सकें, और न कोई वहां से इस पार हमारे पास आ सके। 27 उस ने कहा; तो हे पिता मैं तुझ से बिनती करता हूं, कि तू उसे मेरे पिता के घर भेज। 28 क्योंकि मेरे पांच भाई हैं, वह उन के साम्हने इन बातों की गवाही दे, ऐसा न हो कि वे भी इस पीड़ा की जगह में आएं। 29 इब्राहीम ने उस से कहा, उन के पास तो मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकें हैं, वे उन की सुनें। 30 उस ने कहा; नहीं, हे पिता इब्राहीम; पर यदि कोई मरे हुओं में से उन के पास जाए, तो वे मन फिराएंगे। 31 उस ने उस से कहा, कि जब वे मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की नहीं सुनते, तो यदि मरे हुओं में से कोई भी जी उठे तौभी उस की नहीं मानेंगे॥ यहूदा 1:11-13 11 उन पर हाय! कि वे कैन की सी चाल चले, और मजदूरी के लिये बिलाम की नाईं भ्रष्ट हो गए हैं: और कोरह की नाईं विरोध करके नाश हुए हैं। 12 यह तुम्हारी प्रेम सभाओं में तुम्हारे साथ खाते-पीते, समुद्र में छिपी हुई चट्टान सरीखे हैं, और बेधड़क अपना ही पेट भरने वाले रखवाले हैं; वे निर्जल बादल हैं; जिन्हें हवा उड़ा ले जाती है; पतझड़ के निष्फल पेड़ हैं, जो दो बार मर चुके हैं; और जड़ से उखड़ गए हैं। 13 ये समुद्र के प्रचण्ड हिलकोरे हैं, जो अपनी लज्ज़ा का फेन उछालते हैं: ये डांवाडोल तारे हैं, जिन के लिये सदा काल तक घोर अन्धकार रखा गया है। प्रकाशितवाक्य 20:11-15 11 फिर मैं ने एक बड़ा श्वेत सिंहासन और उस को जो उस पर बैठा हुआ है, देखा, जिस के साम्हने से पृथ्वी और आकाश भाग गए, और उन के लिये जगह न मिली। 12 फिर मैं ने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के साम्हने खड़े हुए देखा, और पुस्तकें खोली गई; और फिर एक और पुस्तक खोली गई; और फिर एक और पुस्तक खोली गई, अर्थात जीवन की पुस्तक; और जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, उन के कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया। 13 और समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उस में थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक ने उन मरे हुओं को जो उन में थे दे दिया; और उन में से हर एक के कामों के अनुसार उन का न्याय किया गया। 14 और मृत्यु और अधोलोक भी आग की झील में डाले गए; यह आग की झील तो दूसरी मृत्यु है। 15 और जिस किसी का नाम जीवन की पुस्तक में लिखा हुआ न मिला, वह आग की झील में डाला गया॥ मत्ती 1:21 21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा। यूहन्ना 3:16,17 16 क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। 17 परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए। मत्ती 9:12,13 12 उस ने यह सुनकर उन से कहा, वैद्य भले चंगों को नहीं परन्तु बीमारों को अवश्य है। 13 सो तुम जाकर इस का अर्थ सीख लो, कि मैं बलिदान नहीं परन्तु दया चाहता हूं; क्योंकि मैं धमिर्यों को नहीं परन्तु पापियों को बुलाने आया हूं॥ 1 कुरिन्थियों 15:1-4
1 हे भाइयों, मैं तुम्हें वही सुसमाचार बताता हूं जो पहिले सुना चुका हूं, जिसे तुम ने अंगीकार भी किया था और जिस में तुम स्थिर भी हो। 2 उसी के द्वारा तुम्हारा उद्धार भी होता है, यदि उस सुसमाचार को जो मैं ने तुम्हें सुनाया था स्मरण रखते हो; नहीं तो तुम्हारा विश्वास करना व्यर्थ हुआ। 3 इसी कारण मैं ने सब से पहिले तुम्हें वही बात पहुंचा दी, जो मुझे पहुंची थी, कि पवित्र शास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया। 4 ओर गाड़ा गया; और पवित्र शास्त्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा। 2 कुरिन्थियों 5:21 21 जो पाप से अज्ञात था, उसी को उस ने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में होकर परमेश्वर की धामिर्कता बन जाएं॥ 1 पतरस 2:24
24 वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिए हुए क्रूस पर चढ़ गया जिस से हम पापों के लिये मर कर के धामिर्कता के लिये जीवन बिताएं: उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए। यशायाह 53:5 5 परन्तु वह हमारे ही अपराधो के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं। रोमियों 5:6-9 6 क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा। 7 किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे। 8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। 9 सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्यों न बचेंगे? प्रेरितों 4:10-12 ; 5:31 10 तो तुम सब और सारे इस्त्राएली लोग जान लें कि यीशु मसीह नासरी के नाम से जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, और परमेश्वर ने मरे हुओं में से जिलाया, यह मनुष्य तुम्हारे साम्हने भला चंगा खड़ा है। 11 यह वही पत्थर है जिसे तुम राजमिस्त्रियों ने तुच्छ जाना और वह कोने के सिरे का पत्थर हो गया। 12 और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें॥ 31 उसी को परमेश्वर ने प्रभु और उद्धारक ठहराकर, अपने दाहिने हाथ से सर्वोच्च कर दिया, कि वह इस्त्राएलियों को मन फिराव की शक्ति और पापों की क्षमा प्रदान करे। लूका 13:3 3 मैं तुम से कहता हूं, कि नहीं; परन्तु यदि तुम मन न फिराओगे तो तुम सब भी इसी रीति से नाश होगे। प्रेरितों 17:31;20:21 31 क्योंकि उस ने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उस ने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है॥ 21 वरन यहूदियों और यूनानियों के साम्हने गवाही देता रहा, कि परमेश्वर की ओर मन फिराना, और हमारे प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करना चाहिए। 1 यूहन्ना 5:9,10 9 जब हम मनुष्यों की गवाही मान लेते हैं, तो परमेश्वर की गवाही तो उस से बढ़कर है; और परमेश्वर की गवाही यह है, कि उस ने अपने पुत्र के विषय में गवाही दी है। 10 जो परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है, वह अपने ही में गवाही रखता है; जिस ने परमेश्वर को प्रतीति नहीं की, उस ने उसे झूठा ठहराया; क्योंकि उस ने उस गवाही पर विश्वास नहीं किया, जो परमेश्वर ने अपने पुत्र के विषय में दी है। यूहन्ना 1:12 12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। रोमियों 10:9,10 9 कि यदि तू अपने मुंह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे, कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा। 10 क्योंकि धामिर्कता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार किया जाता है। प्रेरितों 13:38 38 इसलिये, हे भाइयो; तुम जान लो कि इसी के द्वारा पापों की क्षमा का समाचार तुम्हें दिया जाता है। 1 यूहन्ना 2:12 12 हे बालकों, मैं तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि उसके नाम से तुम्हारे पाप क्षमा हुए। इफिसियों 2:8 8 क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है। 1 कुरिन्थियों 6:11 11 और तुम में से कितने ऐसे ही थे, परन्तु तुम प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए, और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे॥ 1 यूहन्ना 5:13 13 मैं ने तुम्हें, जो परमेश्वर के पुत्र के नाम पर विश्वास करते हो, इसलिये लिखा है; कि तुम जानो, कि अनन्त जीवन तुम्हारा है। रोमियों 5:1 1 सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें। रोमियों 8:1 1 सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं: क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं। यूहन्ना 10:27-30 27 मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं, और मैं उन्हें जानता हूं, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं। 28 और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा। 29 मेरा पिता, जिस ने उन्हें मुझ को दिया है, सब से बड़ा है, और कोई उन्हें पिता के हाथ से छीन नहीं सकता। 30 मैं और पिता एक हैं। यूहन्ना 5:24 24 मैं तुम से सच सच कहता हूं, जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजने वाले की प्रतीति करता है, अनन्त जीवन उसका है, और उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती परन्तु वह मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका है। रोमियों 8:1 1 सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं: क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं। 1 कुरिन्थियों 6:19 19 क्या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्दिर है; जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो? 2 पतरस 1:3-4 3 क्योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिस ने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है। 4 जिन के द्वारा उस ने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दी हैं: ताकि इन के द्वारा तुम उस सड़ाहट से छूट कर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, ईश्वरीय स्वभाव के समभागी हो जाओ। रोमियों 6:1-14 1 सो हम क्या कहें? क्या हम पाप करते रहें, कि अनुग्रह बहुत हो? 2 कदापि नहीं, हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उस में क्योंकर जीवन बिताएं? 3 क्या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उस की मृत्यु का बपतिस्मा लिया 4 सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें। 5 क्योंकि यदि हम उस की मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएंगे। 6 क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें। 7 क्योंकि जो मर गया, वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा। 8 सो यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि उसके साथ जीएंगे भी। 9 क्योंकि यह जानते हैं, कि मसीह मरे हुओं में से जी उठकर फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की। 10 क्योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया; परन्तु जो जीवित है, तो परमेश्वर के लिये जीवित है। 11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो। 12 इसलिये पाप तुम्हारे मरनहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के आधीन रहो। 13 और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो। 14 और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो॥ 2 तीमुथियुस 2:15 15 अपने आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करने वाला ठहराने का प्रयत्न कर, जो लज्ज़ित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो। इब्रानियों 4:14-16 14 सो जब हमारा ऐसा बड़ा महायाजक है, जो स्वर्गों से होकर गया है, अर्थात परमेश्वर का पुत्र यीशु; तो आओ, हम अपने अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहे। 15 क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्पाप निकला। 16 इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे॥ रोमियों 6:13;12:1,2 13 और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो। 1 इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है। 2 और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो॥ 1 यूहन्ना 1:8-9 8 यदि हम कहें, कि हम में कुछ भी पाप नहीं, तो अपने आप को धोखा देते हैं: और हम में सत्य नहीं। 9 यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। तीतुस 2:11-15 11 क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह प्रगट है, जो सब मनुष्यों के उद्धार का कारण है। 12 और हमें चिताता है, कि हम अभक्ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेर कर इस युग में संयम और धर्म और भक्ति से जीवन बिताएं। 13 और उस धन्य आशा की अर्थात अपने महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की बाट जोहते रहें। 14 जिस ने अपने आप को हमारे लिये दे दिया, कि हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले, और शुद्ध करके अपने लिये एक ऐसी जाति बना ले जो भले भले कामों में सरगर्म हो॥ 15 पूरे अधिकार के साथ ये बातें कह और समझा और सिखाता रह: कोई तुझे तुच्छ न जानने पाए॥ इब्रानियों 9:28 28 वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ और जो लोग उस की बाट जोहते हैं, उन के उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप के दिखाई देगा॥ 1 थिस्सलुनीकियों 4:13-18 13 हे भाइयों, हम नहीं चाहते, कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञान रहो; ऐसा न हो, कि तुम औरों की नाईं शोक करो जिन्हें आशा नहीं। 14 क्योंकि यदि हम प्रतीति करते हैं, कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा। 15 क्योंकि हम प्रभु के वचन के अनुसार तुम से यह कहते हैं, कि हम जो जीवित हैं, और प्रभु के आने तक बचे रहेंगे तो सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेंगे। 16 क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे। 17 तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे। 18 सो इन बातों से एक दूसरे को शान्ति दिया करो॥