पाठ 3 : योएल, ओबद्याह
Media
Content not prepared yet or Work in Progress.
Content not prepared yet or Work in Progress.
Content not prepared yet or Work in Progress.
Content not prepared yet or Work in Progress.
सारांश
- देश पर दंड: अध्याय 1 योएल की भविष्यद्वाणी के दिनों में देश पर बहुत सी आपदाएँ आईं।सारी पफसलें नष्ट हो गईं। सब कुछ टिड्डियाँ खा गईं। ;1:4द्ध इस कारण भयंकर अकाल पड़ गया। इस प्रकार के दंड के बारे में मूसा ने पहले से कहा था। ;व्यवस्था. 28:38-39द्ध। इस दंड से बचाव केवल पश्चाताप और प्रार्थना के द्वारा ही संभव है। ;1 राजा 8:37-39। परमेश्वर के लोग यहोवा को छोड़कर अन्य देवताओं की आराध्ना करने लगे जिसके परिणामस्वरूप यह दण्ड उन पर आया। भविष्यद्वक्ता उनसे कहता है कि मन पिफराएँ और परमेश्वर की ओर मुड़ें। ;पद 13-14। यह एक विश्वासी पर भी लागू हो सकता है जो पाप में पड़ गया हो। ;1 यूहन्ना 1:8-10द्ध। स्वयं भविष्यद्वक्ता परमेश्वर के लोगों के छुटकारे के लिए विनती करता है। ;1:19द्ध।
- प्रभु का दिन ;2:1-15 यहाँ पर हम प्रभु के दिन का आरंभ देखते हैं क्योंकि इस्राएल राष्ट्र ने मन पिफराने में विलंब किया। अध्याय 1 के पद 6 में हम पढ़ते हैं कि एक सामर्थी राष्ट्र उनके विरु( चढ़ाई कर रहा है। उस सामर्थी राष्ट्र के आक्रमण का परिणाम हम 2:1-10 में देखते हैं अर्थात् प्रभु के दिन का वर्णन। इस प्रकार के प्रभु के दिन ;यशा. 20:10-22द्ध भविष्य में पिफर से आएँगे जिसका संकेत प्रकाशितवाक्य 19:11-21 में दिया गया है।
- पश्चाताप ;2:12-17 इस्राएल राष्ट्र के सामने एकमात्रा मार्ग यह था कि पश्चाताप करें और लौट आएँ। परन्तु उन्होंने उस क्षण तक मन न पिफराया। अतः पद 12 में परमेश्वर उन से पिफर से कहते हैं कि ‘‘उपवास के साथ, रोते-पीटते,अपने पूरे मन से पिफरकर मेरे पास आओ।’’ यद्यपि परमेश्वर सच्चा न्यायी और ध्र्मी है तौभी वह प्रेमी और दयालु ;पद 13भी है। वह क्षमा करने के लिए तैयार है।
- आशीषें ;2:18-32ऋ 3:18-20 सच्चा पश्चाताप आशीष लाता है। अतः परमेश्वर ने उन्हें उनके शत्रुओं से बचाया और उन्हें सांसारिक और आत्मिक आशीषें दीं। ओबद्याह: भविष्यद्वक्ता और उसका संदेश: इस भविष्यद्वक्ता के विषय में हमें अध्कि जानकारी नहीं मिलती।माना जाता है कि योशिय्याह राजा के समय उसने भविष्यद्वाणी की थी।उसके नाम का अर्थ है‘‘दास’’ अथवा ‘‘यहोवा का आराध्क’’ उसने एदोम पर परमेश्वर के न्याय के विषय में प्रचार किया। एदोम: एसाव का दूसरा नाम एदोम है। दो भाइयों की संतानें होने के कारण इस्राएली और एदोमियों में अच्छे संबंधें की अपेक्षा की जाती है। पद 3 और 11 से यह ज्ञात होता है कि एदोमी ज्ञानी लोग थे। परन्तु उनके ज्ञान का परिणाम प्रेम नहीं परंतु शत्रुता थी। बाइबल में हम अनेक स्थानों पर देखते हैं कि विभिन्न अवसरों पर एदोमियों ने इस्राएलियों के विरु( बलवा किया। अतः परमेश्वर ने उन्हें दण्ड देने का निश्चय किया और अंततः एदोमी एक तिरस्कृत जाति बन गई। एदोम का पाप और दंड: अन्यजाति जब यरूशलेम की संपत्ति लूट कर ले जा रहे थे, तब एदोमियों को इस्राएलियों की सहायता करनी चाहिए थी। परन्तु वे शत्रुओं के साथ मिलकर इस्राएल के विरु( खड़े हुए। परन्तु इस्राएली एदोमियों के इस विषय को परमेश्वर के सम्मुख लाए। पद 9 से 15 में हम उस,क्रूरता को देखते हैं जो एदोमियों ने उन पर किए।हम एदोमियों पर परमेश्वर के न्याय के विषय में भी पढ़ते हैं। और यह भी कि किस प्रकार एदोम के देश पर शत्रुओं ने कब्जा कर लिया और इस्राएली एदोमियों के हाथ से छुड़ाए गए। एदोमियों को यह समझाया गया कि ‘‘राज्य यहोवा का ही है।’’ ;पद 21। नए नियम में एदोम को इदुमिया कहा गया है। ईस्वी सन् 70 में एदोमियों का इतिहास समाप्त हो गया।
बाइबल अध्यन
योएल 1:4 4 जो कुछ गाजाम नाम टिड्डी से बचा; उसे अर्बे नाम टिड्डी ने खा लिया। और जो कुछ अर्बे नाम टिड्डी से बचा, उसे येलेक नाम टिड्डी ने खा लिया, और जो कुछ येलेक नाम टिड्डी से बचा, उसे हासील नाम टिड्डी ने खा लिया है। व्यवस्थाविवरण 28:38-39 38 तू खेत में बीज तो बहुत सा ले जाएगा, परन्तु उपज थोड़ी ही बटोरेगा; क्योंकि टिड्डियां उसे खा जाएंगी। 39 तू दाख की बारियां लगाकर उन मे काम तो करेगा, परन्तु उनकी दाख का मधु पीने न पाएगा, वरन फल भी तोड़ने न पाएगा; क्योंकि कीड़े उन को खा जाएंगे। 1राजा 8:37-39 37 जब इस देश में काल वा मरी वा झुलस हो वा गेरुई वा टिड्डियां वा कीड़े लगें वा उनके शत्रु उनके देश के फाटकों में उन्हें घेर रखें, अथवा कोई विपत्ति वा रोग क्यों न हों, 38 तब यदि कोई मनुष्य वा तेरी प्रजा इस्राएल अपने अपने मन का दु:ख जान लें, और गिड़गिड़ाहट के साथ प्रार्थना करके अपने हाथ इस भवन की ओर फैलाएं; 39 तो तू अपने स्वगींय निवासस्थान में से सुनकर क्षमा करना, और ऐसा करना, कि एक एक के मन को जानकर उसकी समस्त चाल के अनुसार उसको फल देना: तू ही तो सब आदमियों के मन के भेदों का जानने वाला है। 1 यूहन्ना 1:8-10 8 यदि हम कहें, कि हम में कुछ भी पाप नहीं, तो अपने आप को धोखा देते हैं: और हम में सत्य नहीं। 9 यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। 10 यदि कहें कि हम ने पाप नहीं किया, तो उसे झूठा ठहराते हैं, और उसका वचन हम में नहीं है॥ योएल 2:1-15 1 सिय्योन में नरसिंगा फूंको ; मेरे पवित्र पर्वत पर सांस बान्ध कर फूंको! देश के सब रहने वाले कांप उठें, क्योंकि यहोवा का दिन आता है, वरन वह निकट ही है। 2 वह अन्धकार और तिमिर का दिन है, वह बदली का दिन है और अन्धियारे का सा फैलता है। जैसे भोर का प्रकाश पहाड़ों पर फैलता है, वैसे ही एक बड़ी और सामर्थी जाति आएगी; प्राचीनकाल में वैसी कभी न हुई, और न उसके बाद भी फिर किसी पीढ़ी में होगी॥ 3 उसके आगे आगे तो आग भस्म करती जाएगी, और उसके पीछे पीछे लौ जलती जाएगी। उसके आगे की भूमि तो एदेन की बारी के समान होगी, परन्तु उसके पीछे की भूमि उजाड़ मरूस्थल बन जाएगी, और उस से कुछ न बचेगा॥ 4 उनका रूप घोड़ों का सा है, और वे सवारी के घोड़ों की नाईं दौड़ते हैं। 5 उनके कूदने का शब्द ऐसा होता है जैसा पहाड़ों की चोटियों पर रथों के चलने का, वा खूंटी भस्म करती हुई लौ का, था जैसे पांति बान्धे हुए बली योद्धाओं का शब्द होता है॥ 6 उनके सामने जाति जाति के लोग पीड़ित होते हैं, सब के मुख मलीन होते हैं। 7 वे शूरवीरों की नाईं दौड़ते, और योद्धाओं की भांति शहरपनाह पर चढ़ते हैं वे अपने अपने मार्ग पर चलते हैं, और कोई अपनी पांति से अलग न चलेगा। 8 वे एक दूसरे को धक्का नहीं लगाते, वे अपनी अपनी राह पर चलते हैं; शस्त्रों का साम्हना करने से भी उनकी पांति नहीं टूटती। 9 वे नगर में इधर-उधर दौड़ते, और शहरपनाह पर चढ़ते हैं; वे घरों में ऐसे घुसते हैं जैसे चोर खिड़कियों से घुसते हैं॥ 10 उनके आगे पृथ्वी कांप उठती है, और आकाश थरथराता है। सूर्य और चन्द्रमा काले हो जाते हैं, और तारे नहीं झलकते। 11 यहोवा अपने उस दल के आगे अपना शब्द सुनाता है, क्योंकि उसकी सेना बहुत ही बड़ी है; जो अपना वचन पूरा करने वाला है, वह सामर्थी है। क्योंकि यहोवा का दिन बड़ा और अति भयानक है; उसको कौन सह सकेगा? 12 तौभी यहोवा की यह वाणी है, अभी भी सुनो, उपवास के साथ रोते-पीटते अपने पूरे मन से फिरकर मेरे पास आओ। 13 अपने वस्त्र नहीं, अपने मन ही को फाड़ कर अपने परमेश्वर यहोवा की ओर फिरो; क्योंकि वह अनुग्रहकारी, दयालु, विलम्ब से क्रोध करने वाला, करूणानिधान और दु:ख देकर पछतानेहारा है। 14 क्या जाने वह फिरकर पछताए और ऐसी आशीष दे जिस से तुम्हारे परमेश्वर यहोवा का अन्नबलि और अर्घ दिया जाए॥ 15 सिय्योन में नरसिंगा फूको, उपवास का दिन ठहराओ, महासभा का प्रचार करो; प्रकाशितवाक्य 19:11-21 11 फिर मैं ने स्वर्ग को खुला हुआ देखा; और देखता हूं कि एक श्वेत घोड़ा है; और उस पर एक सवार है, जो विश्वास योग्य, और सत्य कहलाता है; और वह धर्म के साथ न्याय और लड़ाई करता है। 12 उस की आंखे आग की ज्वाला हैं: और उसके सिर पर बहुत से राजमुकुट हैं; और उसका एक नाम लिखा है, जिस उस को छोड़ और कोई नहीं जानता। 13 और वह लोहू से छिड़का हुआ वस्त्र पहिने है: और उसका नाम परमेश्वर का वचन है। 14 और स्वर्ग की सेना श्वेत घोड़ों पर सवार और श्वेत और शुद्ध मलमल पहिने हुए उसके पीछे पीछे है। 15 और जाति जाति को मारने के लिये उसके मुंह से एक चोखी तलवार निकलती है, और वह लोहे का राजदण्ड लिए हुए उन पर राज्य करेगा, और वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के भयानक प्रकोप की जलजलाहट की मदिरा के कुंड में दाख रौंदेगा। 16 और उसके वस्त्र और जांघ पर यह नाम लिखा है, राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु॥ 17 फिर मैं ने एक स्वर्गदूत को सूर्य पर खड़े हुए देखा, और उस ने बड़े शब्द से पुकार कर आकाश के बीच में से उड़ने वाले सब पक्षियों से कहा, आओ परमेश्वर की बड़ी बियारी के लिये इकट्ठे हो जाओ। 18 जिस से तुम राजाओं का मांस, ओर सरदारों का मांस, और शक्तिमान पुरूषों का मांस, और घोड़ों का, और उन के सवारों का मांस, और क्या स्वतंत्र, क्या दास, क्या छोटे, क्या बड़े, सब लोगों का मांस खाओ॥ 19 फिर मैं ने उस पशु और पृथ्वी के राजाओं और उन की सेनाओं को उस घोड़े के सवार, और उस की सेना से लड़ने के लिये इकट्ठे देखा। 20 और वह पशु और उसके साथ वह झूठा भविष्यद्वक्ता पकड़ा गया, जिस ने उसके साम्हने ऐसे चिन्ह दिखाए थे, जिन के द्वारा उस ने उन को भरमाया, जिन्हों ने उस पशु की छाप ली थी, और जो उस की मूरत की पूजा करते थे, ये दोनों जीते जी उस आग की झील में जो गन्धक से जलती है, डाले गए। 21 और शेष लोग उस घोड़े के सवार की तलवार से जो उसके मुंह से निकलती थी, मार डाले गए; और सब पड़ी उन के मांस से तृप्त हो गए॥ योएल 2:12-32 12 तौभी यहोवा की यह वाणी है, अभी भी सुनो, उपवास के साथ रोते-पीटते अपने पूरे मन से फिरकर मेरे पास आओ। 13 अपने वस्त्र नहीं, अपने मन ही को फाड़ कर अपने परमेश्वर यहोवा की ओर फिरो; क्योंकि वह अनुग्रहकारी, दयालु, विलम्ब से क्रोध करने वाला, करूणानिधान और दु:ख देकर पछतानेहारा है। 14 क्या जाने वह फिरकर पछताए और ऐसी आशीष दे जिस से तुम्हारे परमेश्वर यहोवा का अन्नबलि और अर्घ दिया जाए॥ 15 सिय्योन में नरसिंगा फूको, उपवास का दिन ठहराओ, महासभा का प्रचार करो; 16 लोगों को इकट्ठा करो। सभा को पवित्र करो; पुरनियों को बुला लो; बच्चों और दूधपीउवों को भी इकट्ठा करो। दुल्हा अपनी कोठरी से, और दुल्हिन भी अपने कमरे से निकल आएं॥ 17 याजक जो यहोवा के टहलुए हैं, वे आंगन और वेदी के बीच में रो रोकर कहें, हे यहोवा अपनी प्रजा पर तरस खा; और अपने निज भाग की नामधराई न होने दे; न अन्यजातियां उसकी उपमा देने पाएं। जाति जाति के लोग आपस में क्यां कहने पाएं, कि उनका परमेश्वर कहां रहा? 18 तब यहोवा को अपने देश के विषय में जलन हुई, और उसने अपनी प्रजा पर तरस खाया। 19 यहोवा ने अपनी प्रजा के लोगों को उत्तर दिया, सुनो, मैं अन्न और नया दाखमधु और ताजा तेल तुम्हें देने पर हूं, और तुम उन्हें पाकर तृप्त होगे; और मैं भविष्य में अन्यजातियों से तुम्हारी नामधराई न होने दूंगा॥ 20 मैं उत्तर की ओर से आई हुई सेना को तुम्हारे पास से दूर करूंगा, और उसे एक निर्जल और उजाड़ देश में निकाल दूंगा; उसका आगा तो पूरब के ताल की ओर और उसका पीछा पश्चिम के समुद्र की ओर होगा; उस से दुर्गन्ध उठेगी, और उसकी सड़ी गन्ध फैलेगी, क्योंकि उसने बहुत बुरे काम किए हैं॥ 21 हे देश, तू मत डर; तू मगन हो और आनन्द कर, क्योंकि यहोवा ने बड़े बड़े काम किए हैं! 22 हे मैदान के पशुओं, मत डरो, क्योंकि जंगल में चराई उगेगी, और वृक्ष फलने लगेंगे; अंजीर का वृक्ष और दाखलता अपना अपना बल दिखाने लगेंगी। 23 हे सिय्योनियों, तुम अपने परमेश्वर यहोवा के कारण मगन हो, और आनन्द करो; क्योंकि तुम्हारे लिये वह वर्षा, अर्थात बरसात की पहिली वर्षा बहुतायत से देगा; और पहिले के समान अगली और पिछली वर्षा को भी बरसाएगा॥ 24 तब खलिहान अन्न से भर जाएंगे, और रासकुण्ड नये दाखमधु और ताजे तेल से उमड़ेंगे। 25 और जिन वर्षों की उपज अर्बे नाम टिड्डियों, और येलेक, और हासील ने, और गाजाम नाम टिड्डियों ने, अर्थात मेरे बड़े दल ने जिस को मैं ने तुम्हारे बीच भेजा, खा ली थी, मैं उसकी हानि तुम को भर दूंगा॥ 26 तुम पेट भरकर खाओगे, और तृप्त होगे, और अपने परमेश्वर यहोवा के नाम की स्तुति करोगे, जिसने तुम्हारे लिये आश्चर्य के काम किए हैं। और मेरी प्रजा की आशा फिर कभी न टूटेगी। 27 तब तुम जानोगे कि मैं इस्राएल के बीच में हूं, और मैं, यहोवा, तुम्हारा परमेश्वर हूं और कोई दूसरा नहीं है। और मेरी प्रजा की आशा फिर कभी न टूटेगी॥ 28 उन बातों के बाद मैं सब प्राणियों पर अपना आत्मा उण्डेलूंगा; तुम्हारे बेटे-बेटियां भविष्यद्वाणी करेंगी, और तुम्हारे पुरनिये स्वप्न देखेंगे, और तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे। 29 तुम्हारे दास और दासियों पर भी मैं उन दिनों में अपना आत्मा उण्डेलूंगा॥ 30 और मैं आकाश में और पृथ्वी पर चमत्कार, अर्थात लोहू और आग और धूएं के खम्भे दिखाऊंगा। 31 यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन के आने से पहिले सूर्य अन्धियारा होगा और चन्द्रमा रक्त सा हो जाएगा। 32 उस समय जो कोई यहोवा से प्रार्थना करेगा, वह छुटकारा पाएगा; और यहोवा के वचन के अनुसार सिय्योन पर्वत पर, और यरूशलेम में जिन बचे हुओं को यहोवा बुलाएगा, वे उद्धार पाएंगे॥ योएल 3:18-20 18 और उस समय पहाड़ों से नया दाखमधु टपकने लगेगा, और टीलों से दूध बहने लगेगा, और यहूदा देश के सब नाले जल से भर जाएंगे; और यहोवा के भवन में से एक सोता फूट निकलेगा, जिस से शित्तीम का नाम नाला सींचा जाएगा॥ 19 यहूदियों पर उपद्रव करने के कारण, मिस्र उजाड़ और एदोम उजड़ा हुआ मरूस्थल हो जाएगा, क्योंकि उन्होंने उनके देश में निर्दोष की हत्या की थी। 20 परन्तु यहूदा सर्वदा और यरूशलेम पीढ़ी पीढ़ी तब बना रहेगा।