पाठ 27 : दानिय्येल 15
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सारांश
‘‘तब सिखाने वालों की चमक आकाशमण्डल की सी होगी, और जो बहुतों को धर्मी बनाते हैं, वे सर्वदा तारों के समान प्रकाशमान रहेंगे।’’ ;दानि. 12:3 अध्याय 12 का आरंभ ‘‘उसी समय’’ शब्दों के साथ होता है जिसका अर्थ है, ‘‘अंत के समय के दौरान’’। यह वह समय है जब ख्रीस्त विरोधी इस्राएल के साथ अपनी वाचा को तोड़ेगा और मंदिर पर कब्जा कर लेगा और स्वयं को ईश्वर करके ठहराएगा। दानिय्येल के सत्तर सप्ताहों के अंत के साढ़े तीन वर्ष भयंकर पीड़ा के होंगे। इस भयंकर समय में दृीस्त विरोधी इस्राएल के साथ यु( करेगा, परन्तु मीकाएल स्वर्गदूत जो यहूदियों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है, वह उनकी सहायता के लिए आएगा। परमेश्वर के चुने हुए लोग सुरक्षित रहेंगे। उनमें वे 144,000 लोग भी होंगे जिन पर प्रभु की छाप लगी है। अब्राहम से किए अपने वायदे के अनुसार परमेश्वर बचे हुए यहूदियों को उस राज्य में पहुँचाएँगे जिसकी उनसे प्रतिज्ञा की गई थी। दानिय्येल को यह भी बताया गया कि अनेक मृतक जी उठेंगे। जब प्रभु यीशु अपनी कलीसिया को लेने बादलों पर आएँगे, तब जो प्रभु में मरे हैं वे पहले जी उठेंगे तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे उनके साथ बादलों पर उठा लिए जाएँगे कि प्रभु के साथ रहें। ;1 थिस्स. 4:13-18। क्लेश के समय के अंत में प्रभु अपने लोगों के साथ पृथ्वी पर लौटेंगे और वे उस विजय और महिमा में भागीदार होंगे। उस समय पुराने नियम के संत और क्लेश काल के शहीद जिलाए जाएँगे ताकि उस राज्य में प्रवेश कर सकें। परन्तु जो लोग प्रभु पर विश्वास किए बगैर मर गए वे इस राज्य के युग के अन्त होने तक जीवित नहीं होंगे, परन्तु उसके बाद उनका न्याय होगा। जैसे दानिय्येल कहता है कि कुछ लोग जी उठेंगे ताकि परमेश्वर के साथ महिमामय जीवन का आनंद उठाएँ, परन्तु कुछ लोग जी उठेंगे ;एक हजार वर्ष के पश्चात्द्ध कि अनंतकाल के शर्म और दण्ड को भोगें। मसीह के न्याय आसन के सामने हमें क्या प्रतिपफल मिलेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम ने कैसा जीवन व्यतीत किया और प्रभु की सेवा की। हम प्रभु की महिमा के भागीदार होंगे और जिन्होंने अन्य लोगों को प्रभु के पास लाने में परिश्रम किया वे स्वर्ग में तारों के समान चमकेंगे। प्रभु ने जोर देकर कहा कि जो लोग उनके प्रति सच्चे और वफादार रहेंगे वे आने वाले राज्य में उत्तरा अधिकारी और प्रतिफल प्राप्त करेंगे। ;मत्ती 13:43 लूका 19:12-27)( प्रका. 2:26-27। प्रभु के सेवक को किसी बात की चिन्ता नहीं करनी चाहिए क्योंकि प्रभु सही समय पर उन्हें निर्देश देते और उनका मार्गदर्शन करते हैं। अपने लंबे जीवन काल में दानिय्येल ने विश्वासयोग्यता के साथ प्रार्थना की और वचन का अध्ययन किया और प्रभु की सेवा करने का प्रयत्न किया। परमेश्वर ने हमेशा उसकी सहायता की, अगुवाई की, सुरक्षा की और अपनी महिमा के लिए उसका उपयोग किया। आज हम भविष्यद्वाणी का अध्ययन कर सकते हैं क्योंकि उस समय दानिय्येल विश्वस्त रहा। यद्यपि दानिय्येल ने परमेश्वर से प्राप्त सभी भविष्यद्वाणियों को लिख लिया तौभी वह उन्हें पूरी तरह से समझ नहीं पाया था। तब उसे निर्देश दिया गया कि ‘‘हे दानिय्येल, चला जा, क्योंकि ये बातें अन्त समय के लिए बन्द हैं और इन पर मुहर दी हुई है।’’ ;पद 9। दानिय्येल को यह सूचना भी दी गई थी कि ‘‘जब पवित्र प्रजा की शक्ति टूटते-टूटते समाप्त हो जाएगी, तब ये सब बातें पूरी होंगी।’’ ;पद 7। वे इस्राएली और अन्यजाति लोग जो मसीही बन गए, उनका संसार के शासक के द्वारा न्याय होगा। दानिय्येल ने पिफर से कहा कि उसे भविष्यद्वाणी का अर्थ समझ नहीं आया अतः उसने पूछा, ‘‘हे मेरे प्रभु, इन बातों का अन्तपफल क्या होगा?’’ तब स्वर्गदूत ने उसे उत्तर दिया, ‘‘हे दानिय्येल, चला जा, क्योंकि ये बातें अन्त समय के लिए बन्द हैं,और उन पर मुहर दी हुई है।’’ ;पद 8-9। दानिय्येल को यह भी बताया गया कि ‘‘बहुत से लोग तो अपने-अपने को निर्मल और उजले करेंगे, और स्वच्छ हो जाएँगे, परन्तु दुष्ट लोग दुष्टता ही करते रहेंगे।’’ ;पद 10। अंततः अंत समय के अंत में ‘‘नित्य होमबलि उठाई जाएगी,और वह घिनौनी वस्तु जो उजाड़ करा देती है, स्थापित की जाएगी, तब से 1290 दिन बीतेंगे। क्या ही ध्न्य है वह, जो ध्ीरज ध्रकर 1335 दिन के अंत तक भी पहुँचे।’’ ;पद 11-12द्ध। महान क्लेश के अंतिम साढ़े तीन वर्ष में नित्य होमबलि समाप्त करके घृणित वस्तु को मंदिर में लाया जाएगा। ;7:25( 9:27, प्रका. 11:2-3। यह न्याय का भयंकर समय होगा।स्पष्टतः दानिय्येल को इन भविष्यद्वाणियों का अर्थ समझ में नहीं आया। उसे कहा गया कि उसकी मृत्यु के पश्चात् यह होगा, ‘‘अब तू जाकर अन्त तक ठहरा रह, और तू विश्राम करता रहेगा, और उन दिनों के अन्त में तू अपने निज भाग पर खड़ा होगा।’’ ;12:13द्ध। दानिय्येल ने सर्वज्ञानी परमेश्वर के सम्मुख अपना जीवन व्यतीत किया और परमेश्वर को प्रसन्न करने वाले कार्य किए। उसने उन संदेशों को लोगों तक पहुँचाया जो परमेश्वर ने उसे दिए थे और उसके परिणाम को परमेश्वर पर छोड़ दिया। गीतकार फिलप्पी के द्वारा लिखे गए गीत का स्थायी कहता है- ‘‘दानिय्येल बनने का साहस है!अकेले खड़े होने का साहस है!दृढ़ उद्देश्य का साहस है!उसे सबको बता देने का साहस है!’’
बाइबल अध्यन
दानिय्येल 12
1 उसी समय मीकाएल नाम बड़ा प्रधान, जो तेरे जाति-भाइयों का पक्ष करने को खड़ा रहता है, वह उठेगा। तब ऐसे संकट का समय होगा, जैसा किसी जाति के उत्पन्न होने के समय से ले कर अब तक कभी न हुआ होगा; परन्तु उस समय तेरे लोगों में से जितनों के नाम परमेश्वर की पुस्तक में लिखे हुए हैं, वे बच निकलेंगे।
2 और जो भूमि के नीचे सोए रहेंगे उन में से बहुत से लोग जाग उठेंगे, कितने तो सदा के जीवन के लिये, और कितने अपनी नामधराई और सदा तक अत्यन्त घिनौने ठहरने के लिये।
3 तब सिखाने वालों की चमक आकाशमण्डल की सी होगी, और जो बहुतों को धर्मी बनाते हैं, वे सर्वदा की नाईं प्रकाशमान रहेंगे।
4 परन्तु हे दानिय्येल, तू इस पुस्तक पर मुहर कर के इन वचनों को अन्त समय तक के लिये बन्द रख। और बहुत लोग पूछ-पाछ और ढूंढ-ढांढ करेंगे, और इस से ज्ञान बढ़ भी जाएगा॥
5 यह सब सुन, मुझ दानिय्येल ने दृष्टि कर के क्या देखा कि और दो पुरूष खड़ें हैं, एक तो नदी के इस तीर पर, और दूसरा नदी के उस तीर पर है।
6 तब जो पुरूष सन का वस्त्र पहिने हुए नदी के जल के ऊपर था, उस से उन पुरूषों में से एक ने पूछा, इन आश्चर्यकर्मों का अन्त कब तक होगा?
7 तब जो पुरूष सन का वस्त्र पहिने हुए नदी के जल के ऊपर था, उसने मेरे सुनते दहिना और बांया अपने दोनों हाथ स्वर्ग की ओर उठा कर, सदा जीवित रहने वाले की शपथ खाकर कहा, यह दशा साढ़े तीन काल तक ही रहेगी; और जब पवित्र प्रजा की शक्ति टूटते टूटते समाप्त हो जाएगी, तब ये बातें पूरी होंगी।
8 यह बात मैं सुनता तो था परन्तु कुछ ना समझा। तब मैंने कहा, हे मेरे प्रभु, इन बातों का अन्तफल क्या होगा?
9 उस ने कहा, हे दानिय्येल चला जा; क्योंकि ये बातें अन्त समय के लिये बन्द हैं और इन पर मुहर दी हुई है।
10 बहुत लोग तो अपने अपने को निर्मल और उजले करेंगे, और स्वच्छ हो जाएंगे; परन्तु दुष्ट लोग दुष्टता ही करते रहेंगे; और दुष्टों में से कोई ये बातें न समझेगा; परन्तु जो बुद्धिमान है वे ही समझेंगे।
11 और जब से नित्य होमबलि उठाई जाएगी, और वह घिनौनी वस्तु जो उजाड़ करा देती है, स्थापित की जाएगी, तब से बारह सौ नब्बे दिन बीतेंगे।
12 क्या ही धन्य है वह, जो धीरज धर कर तेरह सौ पैंतीस दिन के अन्त तक भी पहुंचे।
13 अब तू जा कर अन्त तक ठहरा रह; और तू विश्राम करता रहेगा; और उन दिनों के अन्त में तू अपने निज भाग पर खड़ा होगा॥
1थिस्सलुनीकियों 4:13-18
13 हे भाइयों, हम नहीं चाहते, कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञान रहो; ऐसा न हो, कि तुम औरों की नाईं शोक करो जिन्हें आशा नहीं।
14 क्योंकि यदि हम प्रतीति करते हैं, कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा।
15 क्योंकि हम प्रभु के वचन के अनुसार तुम से यह कहते हैं, कि हम जो जीवित हैं, और प्रभु के आने तक बचे रहेंगे तो सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेंगे।
16 क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे।
17 तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे।
18 सो इन बातों से एक दूसरे को शान्ति दिया करो॥
मत्ती 13:43
43 उस समय धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य की नाईं चमकेंगे; जिस के कान हों वह सुन ले॥
लूका 19:12-27
12 सो उस ने कहा, एक धनी मनुष्य दूर देश को चला ताकि राजपद पाकर फिर आए।
13 और उस ने अपने दासों में से दस को बुलाकर उन्हें दस मुहरें दीं, और उन से कहा, मेरे लौट आने तक लेन-देन करना।
14 परन्तु उसके नगर के रहने वाले उस से बैर रखते थे, और उसके पीछे दूतों के द्वारा कहला भेजा, कि हम नहीं चाहते, कि यह हम पर राज्य करे।
15 जब वह राजपद पाकर लौट आया, तो ऐसा हुआ कि उस ने अपने दासों को जिन्हें रोकड़ दी थी, अपने पास बुलवाया ताकि मालूम करे कि उन्होंने लेन-देन से क्या क्या कमाया।
16 तब पहिले ने आकर कहा, हे स्वामी तेरे मोहर से दस और मोहरें कमाई हैं।
17 उस ने उस से कहा; धन्य हे उत्तम दास, तुझे धन्य है, तू बहुत ही थोड़े में विश्वासी निकला अब दस नगरों पर अधिकार रख।
18 दूसरे ने आकर कहा; हे स्वामी तेरी मोहर से पांच और मोहरें कमाई हैं।
19 उस ने कहा, कि तू भी पांच नगरों पर हाकिम हो जा।
20 तीसरे ने आकर कहा; हे स्वामी देख, तेरी मोहर यह है, जिसे मैं ने अंगोछे में बान्ध रखी।
21 क्योंकि मैं तुझ से डरता था, इसलिये कि तू कठोर मनुष्य है: जो तू ने नहीं रखा उसे उठा लेता है, और जो तू ने नहीं बोया, उसे काटता है।
22 उस ने उस से कहा; हे दुष्ट दास, मैं तेरे ही मुंह से तुझे दोषी ठहराता हूं: तू मुझे जानता था कि कठोर मनुष्य हूं, जो मैं ने नहीं रखा उसे उठा लेता, और जो मैं ने नहीं बोया, उसे काटता हूं।
23 तो तू ने मेरे रूपये कोठी में क्यों नहीं रख दिए, कि मैं आकर ब्याज समेत ले लेता?
24 और जो लोग निकट खड़े थे, उस ने उन से कहा, वह मोहर उस से ले लो, और जिस के पास दस मोहरें हैं उसे दे दो।
25 (उन्होंने उस से कहा; हे स्वामी, उसके पास दस मोहरें तो हैं)।
26 मैं तुम से कहता हूं, कि जिस के पास है, उसे दिया जाएगा; और जिस के पास नहीं, उस से वह भी जो उसके पास है ले लिया जाएगा।
27 परन्तु मेरे उन बैरियों को जो नहीं चाहते थे कि मैं उन पर राज्य करूं, उन को यहां लाकर मेरे सामने घात करो॥
प्रकाशितवाक्य 2:26,27
26 जो जय पाए, और मेरे कामों के अनुसार अन्त तक करता रहे, मैं उसे जाति जाति के लोगों पर अधिकार दूंगा।
27 और वह लोहे का राजदण्ड लिये हुए उन पर राज्य करेगा, जिस प्रकार कुम्हार के मिट्टी के बरतन चकनाचूर हो जाते है: जैसे कि मै ने भी ऐसा ही अधिकार अपने पिता से पाया है।
दानिय्येल 7:25;9:27
25 और वह परमप्रधान के विरुद्ध बातें कहेगा, और परमप्रधान के पवित्र लोगों को पीस डालेगा, और समयों और व्यवस्था के बदल देने की आशा करेगा, वरन साढ़े तीन काल तक वे सब उसके वश में कर दिए जाएंगे।
27 और वह प्रधान एक सप्ताह के लिये बहुतों के संग दृढ़ वाचा बान्धेगा, परन्तु आधे सप्ताह के बीतने पर वह मेलबलि और अन्नबलि को बन्द करेगा; और कंगूरे पर उजाड़ने वाली घृणित वस्तुएं दिखाई देंगी और निश्चय से ठनी हुई बात के समाप्त होने तक परमेश्वर का क्रोध उजाड़ने वाले पर पड़ा रहेगा॥
प्रकाशितवाक्य 11:2,3
2 और मन्दिर के बाहर का आंगन छोड़ दे; उस मत नाप, क्योंकि वह अन्यजातियों को दिया गया है, और वे पवित्र नगर को बयालीस महीने तक रौंदेंगी।
3 और मैं अपने दो गवाहों को यह अधिकार दूंगा, कि टाट ओढे हुए एक हजार दो सौ साठ दिन तक भविष्यद्ववाणी करें।