पाठ 13 : दानिय्येल 1
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सारांश
दानिय्येल की भविष्यद्वाणी पुराने नियम की सत्ताईसवीं पुस्तक है। प्रकाशितवाक्य की पुस्तक नए नियम की सत्ताईसवीं पुस्तक है और मुख्यतः अंतिम दिनों की घटनाओं का वर्णन करती है। यह रुचिकर बात है कि उन दोनों पुस्तकों में बहुत सी समानताएं हैं। जिस प्रकार यूहन्ना ने जो ‘‘प्रिय शिष्य’’ था ;यूहन्ना 21:20 प्रकाशितवाक्य लिखा, उसी प्रकार दानिय्येल ने जो ‘‘अति प्रिय’’ था ;दानि. 9:23)(10:19द्ध अपनी भविष्यद्वाणियाँ लिखीं। दोनों ही लेखक पुस्तक को लिखते समय व्यवस्था में पहुँच चुके थे। दानिय्येल नाम का अर्थ है- ‘‘यहोवा मेरा न्यायी है’’। उसके नाम का अर्थ उसकी पुस्तक के संदेश की ओर संकेत करता है। हर एक अध्याय में हम परमेश्वर को एक न्यायी के रूप में देख सकते हैं। लेखन और तिथि: दानिय्येल उन यहूदी बँधुओं में से एक था जिन्हें नबूकदनेस्सर बेबीलोन ले गया था। दानिय्येल ने यह पुस्तक लिखी और उसे प्राप्त दर्शन के विषय में लिखी। ;दानि. 7:2, 4( 8:1) 15 वह युवक ही था जब उसे ई.पू. 605 में बेबीलोन ले जाया गया। इस हिसाब से उसका जन्म योशिय्याह के राज्यकाल में हुआ था जो आत्मिक जागृति का सामय था। ;2 राजा 22 2 इतिहास 34। पुस्तक की रूप-रेखा: इस पुस्तक को दो मुख्य भागों में बाँटा जा सकता है-अध्याय 1-6 ऐतिहासिक हैं और 7-12 भविष्यद्वाणियाँ। हर एक अध्याय का विषय निम्नलिखित हैं- अध्याय 1. - निर्वासन अध्याय 2. - बड़ी मूर्ति अध्याय 3. - आग का भट्ठा अध्याय 4. - विशाल वृक्ष अध्याय 5. - दीवार पर लिखा जाना अध्याय 6. - सिंहों की माँद में-दानिय्येल अध्याय 7. - जंगली पशु अध्याय 8. - मेढ़े और बकरे का दर्शन अध्याय 9. - सत्तर हफ्रतों का दर्शन अध्याय 10. - नदी किनारे मिला दर्शन अध्याय 11. - पापी पुरुष अध्याय 12. - बन्द पुस्तक यद्यपि पहले छः अध्याय ऐतिहासिक हैं, परन्तु उनमें भविष्यवाणी के विषय भी पाए जाते हैं जिनके आधर पर भी हम इस पुस्तक का विभाजन कर सकते हैं- अध्याय 1 - परमेश्वर के लोगों पर न्याय अध्याय 2 - अन्यजाति दर्शनशास्त्रा पर न्याय अध्याय 3-4 - अन्यजाति अहंकार पर न्याय अध्याय 5 - अन्यजाति राष्ट्रों की अभक्ति पर न्याय अध्याय 6 - अन्यजाति अत्याचारियों पर न्याय अध्याय 7-12 - अन्यजातियों के राजनैतिक सामथ्र्य पर न्याय प्रभु यीशु ने अपने वक्तव्यों में दानिय्येल की पुस्तक से उदारण दिए है। ;मत्ती 24:15मरकुस 13:14।
बाइबल अध्यन
यूहन्ना 21:20 20 पतरस ने फिरकर उस चेले को पीछे आते देखा, जिस से यीशु प्रेम रखता था, और जिस ने भोजन के समय उस की छाती की और झुककर पूछा हे प्रभु, तेरा पकड़वाने वाला कौन है? दानिय्येल 9:23; 10:19 23 जब तू गिड़गिड़ाकर बिनती करने लगा, तब ही इसकी आज्ञा निकली, इसलिये मैं तुझे बताने आया हूं, क्योंकि तू अति प्रिय ठहरा है; इसलिये उस विषय को समझ ले और दर्शन की बात का अर्थ बूझ ले॥ 19 और उसने कहा, हे अति प्रिय पुरूष, मत डर, तुझे शान्ति मिले; तू दृढ़ हो और तेरा हियाव बन्धा रहे। जब उसने यह कहा, तब मैं ने हियाव बान्धकर कहा, हे मेरे प्रभु, अब कह, क्योंकि तू ने मेरा हियाव बन्धाया है। दानिय्येल 7:2,4;8:1,15 2 दानिय्येल ने यह कहा, मैं ने रात को यह स्वप्न देखा कि महासागर पर चौमुखी आंधी चलने लगी। 4 पहिला जन्तु सिंह के समान था और उसके पंख उकाब के से थे। और मेरे देखते देखते उसके पंखों के पर नोचे गए और वह भूमि पर से उठा कर, मनुष्य की नाईं पांवों के बल खड़ा किया गया; और उसको मनुष्य का हृदय दिया गया। 1 बेलशस्सर राजा के राज्य के तीसरे वर्ष में उस पहिले दर्शन के बाद एक और बात मुझ दानिय्येल को दर्शन के द्वारा दिखाई गई। 15 यह बात दर्शन मे देख कर, मैं, दानिय्येल, इसके समझने का यत्न करने लगा; इतने में पुरूष के रूप धरे हुए कोई मेरे सम्मुख खड़ा हुआ देख पड़ा। 2 राजा 22 1 जब योशिय्याह राज्य करने लगा, तब वह आठ वर्ष का था, और यरूशलेम में एकतीस वर्ष तक राज्य करता रहा। और उसकी माता का नाम यदीदा था जो बोस्कतवासी अदाया की बेटी थी। 2 उसने वह किया, जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है और जिस मार्ग पर उसका मूलपुरुष दाऊद चला ठीक उसी पर वह भी चला, और उस से न तो दाहिनी ओर और न बाईं ओर मुड़ा। 3 अपने राज्य के अठारहवें वर्ष में राजा योशिय्याह ने असल्याह के पुत्र शापान मंत्री को जो मशुल्लाम का पोता था, यहोवा के भवन में यह कह कर भेजा, कि हिलकिय्याह महायाजक के पास जा कर कह, 4 कि जो चान्दी यहोवा के भवन में लाई गई है, और द्वारपालों ने प्रजा से इकट्ठी की है, 5 उसको जोड़ कर, उन काम कराने वालों को सौंप दे, जो यहोवा के भवन के काम पर मुखिये हैं; फिर वे उसको यहोवा के भवन में काम करने वाले कारीगरों को दें, इसलिये कि उस में जो कुछ टूटा फूटा हो उसकी वे मरम्मत करें। 6 अर्थात बढ़इयों, राजों और संगतराशों को दें, और भवन की मरम्मत के लिये लकड़ी और गढ़े हुए पत्थर मोल लेने में लगाएं। 7 परन्तु जिनके हाथ में वह चान्दी सौंपी गई, उन से हिसाब न लिया गया, क्योंकि वे सच्चाई से काम करते थे। 8 और हिलकिय्याह महायाजक ने शापान मंत्री से कहा, मुझे यहोवा के भवन में व्यवस्था की पुस्तक मिली है; तब हिलकिय्याह ने शापान को वह पुस्तक दी, और वह उसे पढ़ने लगा। 9 तब शापान मंत्री ने राजा के पास लौट कर यह सन्देश दिया, कि जो चानदी भवन में मिली, उसे तेरे कर्मचारियो ने थैलियों में डाल कर, उन को सौंप दिया जो यहोवा के भवन में काम कराने वाले हैं। 10 फिर शपान मंत्री ने राजा को यह भी बता दिया, कि हिलकिय्याह याजक ने उसे एक पुस्तक दी है। तब शपान उसे राजा को पढ़कर सुनाने लगा। 11 व्यवस्था की उस पुस्तक की बातें सुन कर राजा ने अपने वस्त्र फाड़े। 12 फिर उसने हिलकिय्याह याजक, शापान के पुत्र अहीकाम, मीकायाह के पुत्र अकबोर, शापान मंत्री और असाया नाम अपने एक कर्मचारी को आज्ञा दी, 13 कि यह पुस्तक जो मिली है, उसकी बातों के विष्य तुम जा कर मेरी और प्रजा की और सब यहूदियों की ओर से यहोवा से पूछो, क्योंकि यहोवा की बड़ी ही जलजलाहट हम पर इस कारण भड़की है, कि हमारे पुरखाओं ने इस पुस्तक की बातें न मानी कि कुछ हमारे लिये लिखा है, उसके अनुसार करते। 14 हिलकिय्याह याजक और अहीकाम, अकबोर, शापान और असाया ने हुल्दा नबिया के पास जा कर उस से बातें की, वह उस शल्लूम की पत्नी थी जो तिकवा का पुत्र और हर्हस का पोता और वस्त्रों का रखवाला था, ( और वह स्त्री यरूशलेम के नये टोले में रहती थी )। 15 उसने उन से कहा, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि जिस पुरुष ने तुम को मेरे पास भेजा, उस से यह कहो, 16 यहोवा यों कहता है, कि सुन, जिस पुस्तक को यहूदा के राजा ने पढ़ा है, उसकी सब बातों के अनुसार मैं इस स्थान और इसके निवासियों पर विपत्ति डाला चाहता हूँ। 17 उन लोगों ने मुझे त्याग कर पराये देवताओं के लिये धूप जलाया और अपनी बनाई हुई सब वस्तुओं के द्वारा मुझे क्रोध दिलाया है, इस कारण मेरी जलजलाहट इस स्थान पर भड़केगी और फिर शांत न होगी। 18 परन्तु यहूदा का राजा जिसने तुम्हें यहोवा से पूछने को भेजा है उस से तुम यों कहो, कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा कहता है। 19 इसलिये कि तू वे बातें सुन कर दीन हुआ, और मेरी वे बातें सुन कर कि इस स्थान और इसके निवासियों देख कर लोग चकित होंगे, और शाप दिया करेंगे, तू ने यहोवा के साम्हने अपना सिर नवाया, और अपने वस्त्र फाड़ कर मेरे साम्हने रोया है, इस कारण मैं ने तेरी सुनी है, यहोवा की यही वाणी है। 20 इसलिये देख, मैं ऐसा करूंगा, कि तू अपने पुरखाओं के संग मिल जाएगा, और तू शांति से अपनी कबर को पहुंचाया जाएगा, और जो विपत्ति मैं इस स्थान पर डाला चाहता हूँ, उस में से तुझे अपनी आंखों से कुछ भी देखना न पड़ेगा। तब उन्होंने लौट कर राजा को यही सन्देश दिया। मत्ती 24:15 15 सो जब तुम उस उजाड़ने वाली घृणित वस्तु को जिस की चर्चा दानिय्येल भविष्यद्वक्ता के द्वारा हुई थी, पवित्र स्थान में खड़ी हुई देखो, (जो पढ़े, वह समझे )। मरकुस 13:14 14 सो जब तुम उस उजाड़ने वाली घृणित वस्तु को जहां उचित नहीं वहां खड़ी देखो, (पढ़नेवाला समझ ले) तब जो यहूदिया में हों, वे पहाड़ों पर भाग जाएं।