पाठ 31 : गलातियों और 1 तथा 2 थिस्सलुनीकियों सर्वेक्षण

Media

Lesson Summary

Content not prepared yet or Work in Progress.


Lesson Prayer

Content not prepared yet or Work in Progress.


Song

Content not prepared yet or Work in Progress.


Instrumental

Content not prepared yet or Work in Progress.


सारांश

गलातियों और 1,2 और 3 थिस्सलुनीकियों का सर्वेक्षण गलातियों की पत्री मसीहियों का बुनियादी कानून है। गलातियों ने मसीही विश्वास का जीवन शुरूवात किया,बाद में विश्वास से हट गएऔर कर्मों पर आधारित बातों पर नया जीवन शुरू कर दिया था। गलातियों को उसका पत्र कार्यों के सुसमाचार पर घातक हमला और विश्वास के सुसमाचार की रक्षा है। इस पुस्तक को “प्रोज़ गलाताज” याने “गलातियों को” कहा जाता है और यही एकमात्र पत्री है जिसमें पौलुस ने कई कलीसियाओं को संबोधित किया है। “गलातियों” शब्द या नाम लोगों के दो भिन्न समूहों के लिये प्रयुक्त किया गया है। शुद्धि रीति से भौगोलिक राजनीति भाव में प्रयुक्त यह शब्द सेल्टिक वंश (गॉल) के लोगों पर लागू होता है जो उत्तरी एशिया मायनर (आज का टर्की) में बस गए हैं। इस नाम का उपयोग समस्त गलातिया के रोमी प्रांत के लिये भी किया जाता है जिसमें एशिया मानयर का उत्तरी प्रांत भी सम्मिलित है परंतु करीब-करीब भूमध्य सागर के दक्षिण तक फैला है।कई वर्षों तक यह वाद विवाद चलता रहा है कि पौलुस ने “उत्तरवासियों” को लिखा था या रोमी गलातिया के दक्षिणी प्रांत के लोगों को लिखा था। प्रमाण बताते हैं कि पौलुस ने दक्षिणी गलातियों को लिखा था क्योंकि उसकी पहली मिश्नरी यात्रा ने उसे पिसिदिया अंताकिया, इकुनियुम, लुस्त्रा और दिरबे में ले गई। और पौलुस ने उन कलीसियाओं का जहाँ वह रहा था, राजनैतिक भाव में जिक्र किया था। इसलिये गलाति लोग संभवतः दक्षिण गलातिया के रहवासी थे जो पौलुस को मिश्नरी यात्रा के दौरान मसीही बनाए गए थे। शायद पौलुस ने उन्हें यह पत्री उसकी यात्रा के बाद करीब सन 49 में अंताकिया से लिखा था।चूंकि गलातियों की पत्री विशेष नास्तिकता के प्रति पौलुस की प्रतिक्रिया है, यह पत्र सीधा, संक्षिप्त और समझने में सरल है। प्रथम दो अध्याय व्यक्तिगत हैं, पौलुस उसकी प्रेरिताई की रक्षा करता है और उस सुसमाचार की भी जिसका वह प्रचार करता है। विश्वास द्वारा धर्मी ठहराए जाने की रक्षा पर केंद्रित है और इस बात पर कि किस तरह विश्वास कानूनवाद या व्यवस्था से स्वतंत्र करता है।अंतिम दो अध्याय ज्यादा प्रायोगिक हैं, क्याोंकि पौलुस गलातियों को प्रेम और सेवा की आत्मा से मसीही स्वतंत्रता का जीवन जीने को प्रोत्साहित करता है।गलातिया में पौलुस को कलीसिया स्थापित किए ज्यादा समय नहीं हुआ था, कि कुछ यहूदी मसीहियों ने इन नए विश्वासियों को सिखाया कि परमेश्वर की संपूर्ण आशीष पाने के लिये यहूदी होना जरूरी है। इसलिये उन्हें पहचान का निशान देना होगा कि वे यहूदी हैं: खतना, सब्त का मानना आदि।वरोधी शिक्षकों के संदेश ने गलातिया की कलीसियाओं में जवाबदारी की डोर बांध दी। गलातिया के परिवर्तितों में सामाजिक पहचान के खोने की भावना रही होगी क्योंकि मसीह में उनके नए विश्वास ने उन्हें विधर्मी मंदिरों और यहूदी आराधनालयों दोनों से वंचित कर दिया था। इसलिये उन्होंने व्यवस्था के पालन के द्वारा स्वयं की यहूदियों से समानता बनाया। उनका ध्यान विश्वास के द्वारा मसीह के साथ मेल और निर्भरता से यहूदी राष्ट्र के साथ पहचान और व्यवस्था के पालन पर चला गया। ये शिक्षक - जो यहूदी कहलाते थे ऐसा सोचते थे कि पौलुस काफी दूर निकल गया था, कि उसका सुसमाचार अति सरल था और आरामदेह जीवन की पैरवी करता था। उनका विश्वास था कि उद्धार प्राप्ति और यकीन के लिये विश्वास के साथ साथ यहूदी संस्कार भी संपन्न किए जाने चाहिये। दूसरे शब्दों में मात्र यीशु ही पर्याप्त नहीं था।इन यहूदी शिक्षकों के लिए पौलुस के पास एक संदेश था, “वे शापित हो!” (गलातियों 1:8-9)। केवल यीशु ही हमारा उद्धार, हमारी धार्मिकता है। उद्धार के लिये मानवीय कर्मों की मांग करना, परमेश्वर के कार्यों का श्रेय स्वयं लेना है। अनुग्रह से सुसमाचार की रक्षा की गई (1 और 2) पौलुस उसे दी गई ईश्वरीय प्रेरिताई की पुष्टि करता है और सुसमाचार को प्रस्तुत करता है (1:1-15) क्योंकि उसे गलातियों के बीच झूठे शिक्षकों द्वारा तोड़-मरोड़ किया गया था (1:6-10)। पौलुस विश्वास द्वारा धर्मी ठहराए जाने के सच्चे सुसमाचार के तर्क को यह बताकर प्रस्तुत करता है कि उसने यह संदेश मनुष्यों की ओर से नहीं परंतु सीधे परमेश्वर की ओर से पाया है (1:11-24)। जब वह प्रेरितों को यरूशलेम में मसीही स्वतंत्रता की शिक्षा देता है, वे सब उसके संदेश की वैधता और अधिकार को स्वीकार करते हैं (2:1-10)। पौलुस पतरस को व्यवस्था से स्वतंत्रता के विषय उसकी गलती को सुधारता है। (2:11-21)। अनुग्रह के सुसमाचार को समझाया गया (3 और 4) इस भाग में विश्वास द्वारा धर्मी ठहराए जाने के तर्क को निम्नलिखित कथन द्वारा प्रस्तुत करता है:

बाइबल अध्यन

गलातियों अध्याय 1 1 पौलुस की, जो न मनुष्यों की ओर से, और न मनुष्य के द्वारा, वरन यीशु मसीह और परमेश्वर पिता के द्वारा, जिस ने उस को मरे हुओं में से जिलाया, प्रेरित है। 2 और सारे भाइयों की ओर से, जो मेरे साथ हैं; गलतिया की कलीसियाओं के नाम। 3 परमेश्वर पिता, और हमारे प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे। 4 उसी ने अपने आप को हमारे पापों के लिये दे दिया, ताकि हमारे परमेश्वर और पिता की इच्छा के अनुसार हमें इस वर्तमान बुरे संसार से छुड़ाए। 5 उस की स्तुति और बड़ाई युगानुयुग होती रहे। आमीन॥ 6 मुझे आश्चर्य होता है, कि जिस ने तुम्हें मसीह के अनुग्रह से बुलाया उस से तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे। 7 परन्तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं: पर बात यह है, कि कितने ऐसे हैं, जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं। 8 परन्तु यदि हम या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो श्रापित हो। 9 जैसा हम पहिले कह चुके हैं, वैसा ही मैं अब फिर कहता हूं, कि उस सुसमाचार को छोड़ जिसे तुम ने ग्रहण किया है, यदि कोई और सुसमाचार सुनाता है, तो श्रापित हो। अब मैं क्या मनुष्यों को मनाता हूं या परमेश्वर को? क्या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता हूं? 10 यदि मैं अब तक मनुष्यों को ही प्रसन्न करता रहता, तो मसीह का दास न होता॥ 11 हे भाइयो, मैं तुम्हें जताए देता हूं, कि जो सुसमाचार मैं ने सुनाया है, वह मनुष्य का सा नहीं। 12 क्योंकि वह मुझे मनुष्य की ओर से नहीं पहुंचा, और न मुझे सिखाया गया, पर यीशु मसीह के प्रकाश से मिला। 13 यहूदी मत में जो पहिले मेरा चाल चलन था, तुम सुन चुके हो; कि मैं परमेश्वर की कलीसिया को बहुत ही सताता और नाश करता था। 14 और अपने बहुत से जाति वालों से जो मेरी अवस्था के थे यहूदी मत में बढ़ता जाता था और अपने बाप दादों के व्यवहारों में बहुत ही उत्तेजित था। 15 परन्तु परमेश्वर की, जिस ने मेरी माता के गर्भ ही से मुझे ठहराया और अपने अनुग्रह से बुला लिया, 16 जब इच्छा हुई, कि मुझ में अपने पुत्र को प्रगट करे कि मैं अन्यजातियों में उसका सुसमाचार सुनाऊं; तो न मैं ने मांस और लोहू से सलाह ली; 17 और न यरूशलेम को उन के पास गया जो मुझ से पहिले प्रेरित थे, पर तुरन्त अरब को चला गया: और फिर वहां से दमिश्क को लौट आया॥ 18 फिर तीन बरस के बाद मैं कैफा से भेंट करने के लिये यरूशलेम को गया, और उसके पास पन्द्रह दिन तक रहा। 19 परन्तु प्रभु के भाई याकूब को छोड़ और प्रेरितों में से किसी से न मिला। 20 जो बातें मैं तुम्हें लिखता हूं, देखो परमेश्वर को उपस्थित जानकर कहता हूं, कि वे झूठी नहीं। 21 इस के बाद मैं सूरिया और किलिकिया के देशों में आया। 22 परन्तु यहूदिया की कलीसियाओं ने जो मसीह में थी, मेरा मुँह तो कभी नहीं देखा था। 23 परन्तु यही सुना करती थीं, कि जो हमें पहिले सताता था, वह अब उसी धर्म का सुसमाचार सुनाता है, जिसे पहिले नाश करता था। 24 और मेरे विषय में परमेश्वर की महिमा करती थीं॥

गलातियों अध्याय 2 1 चौदह वर्ष के बाद मैं बरनबास के साथ यरूशलेम को गया और तितुस को भी साथ ले गया। 2 और मेरा जाना ईश्वरीय प्रकाश के अनुसार हुआ: और जो सुसमाचार मैं अन्यजातियों में प्रचार करता हूं, उस को मैं ने उन्हें बता दिया, पर एकान्त में उन्हीं को जो बड़े समझे जाते थे, ताकि ऐसा न हो, कि मेरी इस समय की, या अगली दौड़ धूप व्यर्थ ठहरे। 3 परन्तु तितुस भी जो मेरे साथ था और जो यूनानी है; खतना कराने के लिये विवश नहीं किया गया। 4 और यह उन झूठे भाइयों के कारण हुआ, जो चोरी से घुस आए थे, कि उस स्वतंत्रता का जो मसीह यीशु में हमें मिली है, भेद लेकर हमें दास बनाएं। 5 उन के आधीन होना हम ने एक घड़ी भर न माना, इसलिये कि सुसमाचार की सच्चाई तुम में बनी रहे। 6 फिर जो लोग कुछ समझे जाते थे (वे चाहे कैसे ही थे, मुझे इस से कुछ काम नहीं, परमेश्वर किसी का पक्षपात नहीं करता) उन से जो कुछ भी समझे जाते थे, मुझे कुछ भी नहीं प्राप्त हुआ। 7 परन्तु इसके विपरीत जब उन्होंने देखा, कि जैसा खतना किए हुए लोगों के लिये सुसमाचार का काम पतरस को सौंपा गया वैसा ही खतना रहितों के लिये मुझे सुसमाचार सुनाना सौंपा गया। 8 (क्योंकि जिस ने पतरस से खतना किए हुओं में प्रेरिताई का कार्य बड़े प्रभाव सहित करवाया, उसी ने मुझ से भी अन्यजातियों में प्रभावशाली कार्य करवाया) 9 और जब उन्होंने उस अनुग्रह को जो मुझे मिला था जान लिया, तो याकूब, और कैफा, और यूहन्ना ने जो कलीसिया के खम्भे समझे जाते थे, मुझ को और बरनबास को दाहिना हाथ देकर संग कर लिया, कि हम अन्यजातियों के पास जाएं, और वे खतना किए हुओं के पास। 10 केवल यह कहा, कि हम कंगालों की सुधि लें, और इसी काम के करने का मैं आप भी यत्न कर रहा था। 11 पर जब कैफा अन्ताकिया में आया तो मैं ने उसके मुंह पर उसका साम्हना किया, क्योंकि वह दोषी ठहरा था। 12 इसलिये कि याकूब की ओर से कितने लोगों के आने से पहिले वह अन्यजातियों के साथ खाया करता था, परन्तु जब वे आए, तो खतना किए हुए लोगों के डर के मारे उन से हट गया और किनारा करने लगा। 13 और उसके साथ शेष यहूदियों ने भी कपट किया, यहां तक कि बरनबास भी उन के कपट में पड़ गया। 14 पर जब मैं ने देखा, कि वे सुसमाचार की सच्चाई पर सीधी चाल नहीं चलते, तो मैं ने सब के साम्हने कैफा से कहा; कि जब तू यहूदी होकर अन्यजातियों की नाईं चलता है, और यहूदियों की नाईं नहीं तो तू अन्यजातियों को यहूदियों की नाईं चलने को क्यों कहता है? 15 हम जो जन्म के यहूदी हैं, और पापी अन्यजातियों में से नहीं। 16 तौभी यह जानकर कि मनुष्य व्यवस्था के कामों से नहीं, पर केवल यीशु मसीह पर विश्वास करने के द्वारा धर्मी ठहरता है, हम ने आप भी मसीह यीशु पर विश्वास किया, कि हम व्यवस्था के कामों से नहीं पर मसीह पर विश्वास करने से धर्मी ठहरें; इसलिये कि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी धर्मी न ठहरेगा। 17 हम जो मसीह में धर्मी ठहरना चाहते हैं, यदि आप ही पापी निकलें, तो क्या मसीह पाप का सेवक है? कदापि नहीं। 18 क्योंकि जो कुछ मैं ने गिरा दिया, यदि उसी को फिर बनाता हूं, तो अपने आप को अपराधी ठहराता हूं। 19 मैं तो व्यवस्था के द्वारा व्यवस्था के लिये मर गया, कि परमेश्वर के लिये जीऊं। 20 मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूं, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूं, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिस ने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया। 21 मैं परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं ठहराता, क्योंकि यदि व्यवस्था के द्वारा धामिर्कता होती, तो मसीह का मरना व्यर्थ होता॥

1 थिस्सलुनीकियों अध्याय 3 1 इसलिये जब हम से और भी न रहा गया, तो हम ने यह ठहराया कि एथेन्स में अकेले रह जाएं। 2 और हम ने तीमुथियुस को जो मसीह के सुसमाचार में हमारा भाई, और परमेश्वर का सेवक है, इसलिये भेजा, कि वह तुम्हें स्थिर करे; और तुम्हारे विश्वास के विषय में तुम्हें समझाए। 3 कि कोई इन क्लेशों के कारण डगमगा न जाए; क्योंकि तुम आप जानते हो, कि हम इन ही के लिये ठहराए गए हैं। 4 क्योंकि पहिले भी, जब हम तुम्हारे यहां थे, तो तुम से कहा करते थे, कि हमें क्लेश उठाने पड़ेंगे, और ऐसा ही हुआ है, और तुम जानते भी हो। 5 इस कारण जब मुझ से और न रहा गया, तो तुम्हारे विश्वास का हाल जानने के लिये भेजा, कि कहीं ऐसा न हो, कि परीक्षा करने वाले ने तुम्हारी परीक्षा की हो, और हमारा परिश्रम व्यर्थ हो गया हो। 6 परअभी तीमुथियुस ने जो तुम्हारे पास से हमारे यहां आकर तुम्हारे विश्वास और प्रेम का सुसमाचार सुनाया और इस बात को भी सुनाया, कि तुम सदा प्रेम के साथ हमें स्मरण करते हो, और हमारे देखने की लालसा रखते हो, जैसा हम भी तुम्हें देखने की। 7 इसलिये हे भाइयों, हम ने अपनी सारी सकेती और क्लेश में तुम्हारे विश्वास से तुम्हारे विषय में शान्ति पाई। 8 क्योंकि अब यदि तुम प्रभु में स्थिर रहो तो हम जीवित हैं। 9 और जैसा आनन्द हमें तुम्हारे कारण अपने परमेश्वर के साम्हने है, उसके बदले तुम्हारे विषय में हम किस रीति से परमेश्वर का धन्यवाद करें? 10 हम रात दिन बहुत ही प्रार्थना करते रहते हैं, कि तुम्हारा मुंह देखें, और तुम्हारे विश्वास की घटी पूरी करें॥ 11 अब हमारा परमेश्वर और पिता आप ही और हमारा प्रभु यीशु, तुम्हारे यहां आने के लिये हमारी अगुवाई करे। 12 और प्रभु ऐसा करे, कि जैसा हम तुम से प्रेम रखते हैं; वैसा ही तुम्हारा प्रेम भी आपस में, और सब मनुष्यों के साथ बढ़े, और उन्नति करता जाए। 13 ताकि वह तुम्हारे मनों को ऐसा स्थिर करे, कि जब हमारा प्रभु यीशु अपने सब पवित्र लोगों के साथ आए, तो वे हमारे परमेश्वर और पिता के साम्हने पवित्रता में निर्दोष ठहरें॥ गलातियों अध्याय 5 1 मसीह ने स्वतंत्रता के लिये हमें स्वतंत्र किया है; सो इसी में स्थिर रहो, और दासत्व के जूए में फिर से न जुतो॥

गलातियों अध्याय 1:(8-9)

8 परन्तु यदि हम या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो श्रापित हो। 9 जैसा हम पहिले कह चुके हैं, वैसा ही मैं अब फिर कहता हूं, कि उस सुसमाचार को छोड़ जिसे तुम ने ग्रहण किया है, यदि कोई और सुसमाचार सुनाता है, तो श्रापित हो। अब मैं क्या मनुष्यों को मनाता हूं या परमेश्वर को? क्या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता हूं?

प्रेरितों के काम अध्याय 17:10 10 भाइयों ने तुरन्त रात ही रात पौलुस और सीलास को बिरीया में भेज दिया: और वे वहां पहुंचकर यहूदियों के आराधनालय में गए।