पाठ 30 : नए नियम की पत्रियाँ
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सारांश
नए नियम की पत्रियाँ
परिचय: नए नियम में विभिन्न लेखकों द्वारा लिखी गई 21 पत्रियाँ है।
पौलुस प्रेरित की पत्रियाँ
क्रमांक पत्री का नाम संभाव्य वर्ष (अनुमानित)
1 गलातियों 49
2 1 और 2 थिस्सलुनीकियों 51
3 1 और 2 कुरिन्थियों 54-55
4 रोमियो 57
5 इफिसियों 60-62
6 कुलुस्सियों –,,–
7 फिलेमोन –,,–
8 फिलिप्पियों –,,–
9 1 तीमुथियुस 64-65
10 तीतुस –,,–
11 इब्रानियों 65
12 2 तीमुथियुस 67
अन्य सात पत्रियाँ:
क्रमांक पत्री का नाम संभाव्य वर्ष (अनुमानित)
1 याकूब 50
2 1 पतरस 63-64
3 2 पतरस 66
4 1 यूहन्ना 90
5 2 यूहन्ना 90
6 3 यूहन्ना 90
अकेले पौलुस ने ही 14 पत्रियाँ लिखीं (यदि इब्रानियों की पत्री को भी मिला
लिया जाए)।
पौलुस की पत्रियों की विभिन्न विशेषताएँ है। पुराने नियम में क्रूस की
भविष्यद्वाणियाँ, पुनरूत्थान और मसीह की वापसी है। इसमें संपूर्ण इतिहास में
इस्राएल का पहला स्थान था जिसमें मसीह के भविष्य में राज्य की भविष्यद्वाणी है।
लेकिन पुराने नियम में कलीसिया अर्थात मसीह की देह की बुलाहट का उद्देश्य
स्पष्ट नहीं किया गया है। प्रभु यीशु ने उस उद्देश्य की घोषणा किया और उसने दो
विधियों को कलीसिया को दिया अर्थात बपतिस्मा, प्रभु भोज जो उसने उसके क्रूस पर
चढ़ाए जाने के एक रात पहले किया था। उसने अपनी देह का संबंध कलीसिया के
साथ स्वयं से बताया। केवल पत्रियों में ही विधियाँ, स्थितियाँ सहूलियतें और कलीसिया
के कर्तव्य पूरी तरह दिए गए है।
यही बातें पौलुस की पत्रियों के विषय हैं। उनमें कलीसिया की शिक्षाएं विकसित
की गई है। सात कलीसियाओं को उसके पत्रों में (रोम, कुरिन्थ, इफिसुस, फिलिप्पी,
कुलुस्स और थिस्सलुनीके में) कलीसिया को मसीह की देह के रूप में, “भेद जो
सबके सृजनहार परमेश्वर में आदि से गुप्त था” (इफिसियों 3:9), उजागर किया
गया है। इन पत्रियों में कलीसिया को परमेश्वर की संगति और उद्देश्यों मे उसके
अनोखे स्थान के विषय निर्देश दिए गए हैं।
अनुग्रह का सिद्धांत जो मसीह की शिक्षा में पाया जाता है उसका भी पौलुस
द्वारा खुलासा किया गया है। पौलुस विस्तृत रूप से विश्वासी के धर्मी ठहराए जाने
के लिए पवित्रीकरण और महिमा के विषय समझाता है।
पत्रियाँ कई अन्य सिद्धांतों के विषय भी कहती हैं। वे मसीही सच्चाई के सत्यों,
सिद्धांतों और निर्देशों का निर्माण करती हैं , जो शिष्यता के लिये आवश्यक हैं। ये
शिक्षाएँ कलीसिया को देने के लिये दी गई हैं। (रोमियों 6:17)।
पौलुस की अधिकांश पत्रियाँ सन 49 और 67 के बीच लिखी गई थी। यह
बात सर्वत्र मानी जाती है कि गलातिया की कलीसिया को लिखी गई पत्री उसकी
पहली पत्री थी और 2 तीमुथियुस उसकी अंतिम कृति थी।
सात पत्रियाँ - याकूब, 1 और 2 पतरस, 1,2 और 3 यूहन्ना, और यहूदा
सामान्य पत्रियाँ मानी जाती है। उनके शीर्षक इस वास्तविकता को बताते हैं कि पौलुस
की पत्रियों के विपरीत, उन्हें किन्ही विशेष कलीसियाओं या व्यक्तियों को संबोधित नहीं
किया गया है परंतु एक बड़े क्षेत्र को या पूरी कलीसिया को ही संबोधित किया गया
है। ये पत्रियाँ पौलुस की शिक्षाओं की पूरक हैं और उनके विरोधी नहीं है। यद्यपि
पत्रियों के लेखक कई हैं और उनके संदेश भिन्न-भिन्न है, कुल मिलाकर वे हमें
परमेश्वर की पूरी समझ देते हैं।
बाइबल अध्यन
रोमियो अध्याय 6:(17,18) 17 परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे तौभी मन से उस उपदेश के मानने वाले हो गए, जिस के सांचे में ढाले गए थे। 18 और पाप से छुड़ाए जाकर धर्म के दास हो गए।
इफिसियों अध्याय 3:9 9 और सब पर यह बात प्रकाशित करूं, कि उस भेद का प्रबन्ध क्या है, जो सब के सृजनहार परमेश्वर में आदि से गुप्त था।