पाठ 22 : पौलुस की पहली मिश्नरी यात्रा

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सारांश

पौलुस की पहली मिश्नरी यात्रा
बरनवास और पौलुस का भेज जाना कलीसिया के प्राचीनों को राहत सौंप कर पौलुस और बरनवास अंताकिया लौट गए। उन्होंने यूहन्ना मरकुस बरनवास का चचेरा भाई (शायद भतीजा) को अपने साथ ले लिया। अंताकिया की कलीसिया में सुप्रसिद्ध अगुवे थे जो भविष्यद्वक्ता और शिक्षक थे। लूका उनके नाम की सूची देता है। वे बरनबास, शिमोन जो निगार कहलाता था, लूसियस जो कुरैनी का था, मनाहेम जो हेरोद, का भाई था (जो हेरोद के साथ पला बढ़ा) और शाऊल है। जब वे परमेश्वर की आराधना और उपवास में लगे हुए थे, तब पवित्र आत्मा ने उनसे कहा, “मेरे लिए बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिसके लिये मैंने उन्हें बुलाया है।” जब पवित्र आत्मा ने उसकी इच्छा को प्रगट कर दिया तब वे लोग उपवास और प्रार्थना जारी रखे। फिर उन्होंने बरनबास और पौलुस पर हाथ रखा और उन्हें भेज दिया। साइप्रस सुसमाचार क) सलमीस: बरनबास और पौलुस चल पड़े। अंताकिया से वे सिलूकिया गए जो 20 कि मी दूर एक बंदरगाह का नगर है। वहाँ से वे जहाज से साइप्रस पहुँचे जो बरनबास का रहवासी नगर था। पुराने नियम में इस टापू को कित्तिम शिट्टिम (गिनती 24:24) कहते हैं। सलमीस में उतरने के बाद उन्होंने शहर के आराधनालयों में मसीह के सुसमाचार को सुनाया। उनके साथ सहायक के रूप में यूहन्ना मरकुस भी था। ख) पाफूस: सलमीस से यात्रा करके वे पाफूस पहुँचे जो साइप्रस की राजधानी थी। साइप्रस एक रोमी प्रांत था। जिसमें गर्वनर की हुकूमत चलती थी। उन दिनों में सिरगियुस पौलुस गर्वनर था जो अंति कुशाग्र बुद्धिवाला व्यक्ति था। नए अतिथियों के विषय सुनकर उसने उनसे सुनने की इच्छा व्यक्त किया। उस समय हाकिम के दरबार में इलीमास नामक एक टोन्हेवाला था। हाकिम ने परमेश्वर का वचन सुनने के लिये बरनबास और शाऊल को बुलाया। इलीमास टोन्हें ने उनका विरोध किया और हाकिम को विश्वास से हटाने का प्रयास किया। परंतु पौलुस ने पवित्र आत्मा से भरकर इलीमास को टकटकी लगाकर देखा और कहा, “हे सारे कपट और सब चतुराई से भरे हुए शैतान की संतान सकल धर्म के बैरी, क्या तू प्रभु के सीधे मार्गों को टेढ़ा करना न छोड़ेगा? अब देख प्रभु का हाथ तुझ पर लगा है; और तू कुछ समय तक अंधा रहेगा और सूर्य को न देखेगा।” तब तुरंत धुंधलापन और अंधेरा छा गया और वह इधर उधर टटोलने लगा ताकि कोई उसका हाथ पकड़ के ले चले। यह वही स्थान हैं जहाँ लूका ‘पौलुस’ नाम कहता है (प्रेरितों के काम 13:13) जो उसे रोमी नागरिक होने के पंजियन के समय दिया गया। क्योंकि पौलुस एक रोमी नागरिक था, पौलुस भी वहीं का नागरिक बन सकता था। नागरिक के पुत्र को 30 दिनों के भीतर नागरिक के रूप में पंजीकृत करवाना था। यहाँ से आगे पौलुस अगुवे की भूमिका अदा करने लगा। एशिया माइनर में से सुसमाचार पिरगा में पौलुस और बरनवास: पौलुस और बरनबास जहाज से पंफूलिया के पिरगा में आए। लूका यहाँ किए गए किसी भी कार्य के विषय कुछ नहीं कहता। लेकिन वह यह कहता है कि उनकी वापसी यात्रा में उन्होंने पिरगा में सुसमाचार सुनाया। लूका द्वारा बताई गई मुख्य घटना यूहन्ना मरकुस को गलती है। उसने मिश्नरी समूह को छोड़ दिया और यरूशलेम वापस लौट गया। लूका उसके इस गलती का कारण नहीं बताता। लेकिन कुछ पंक्तियों को पढ़कर हम बता सकते हैं कि वह क्यों चला गया।

  1. शायद वह अगुवाई में परिवर्तन के विषय भ्रमित था।
  2. पलिश्ती यहूदी होने के कारण मरकुस पौलुस के अन्यजातियों को सुसमाचार सुनाने की बात की सहमति नहीं दे सका।
  3. शायद वह उन झंझटों से भयभीत था जिनका उन्हें सामना करना था।
  4. पिरगा में पौलुस के बीमार पड़ने के (गलातियों 4:13) संभवतः मलेरिया से, कुछ प्रमाण है। वह शहर दलदल के कारण स्वास्थ्य के लिये हानिकारक था जिसके कारण वहाँ मलेरिया जोरों पर था।
  5. मरकुस को घर से काफी लगाव था। वह विधवा का एकलौता पुत्र रहा होगा। (प्रेरितों के काम 12:12)। कारण चाहे जो भी हो पौलुस ने इसे गंभीर कमी या दोष समझा। लेकिन उसके चले जाने से उनकी यात्रा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। पिसिदिया के अंताकिया में: पौलुस और बरनबास ने पिरगा छोड़ा और वे पिसिदिया में आए जो समुद्र सतह से 3600 फीट उपर है। यह अंताकिया फुगिया में था परंतु पिसिदिया का अंताकिया कहलाता था, क्योंकि यह पिसिदिया से काफी पास था। मिश्नरी सब्त के दिन आराधनालय में जाकर बैठे। मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों के नियमित पठन के बाद आराधनालय के प्रधानों ने उन्हें यह खबर भेजा, “हे भाइयो यदि लोगों के उपदेश के लिये तुम्हारे मन मे कोई बात हो तो कहो।” पौलुस ने खड़े होकर कहा। अपने उपदेश की शुरूवात उसने यहूदियों के इतिहास से किया। फिर उसने सुननेवालों का ध्यान मसीह के जीवन और सेवकाई तक खींचा। उसने यीशु के पुनरूत्थान, उसके गवाहियों और किस तरह इस विषय पहले ही कहा गया था, बताया। उसने कहा, “इसी के द्वारा पापों की क्षमा का समाचार तुम्हें दिया जाता है, और जिन बातों में तुम मूसा की व्यवस्था के द्वारा निर्दोष नहीं ठहर सकते थे उन्ही सब में हर एक विश्वास करनेवाला उसके द्वारा निर्दोष ठहरता है।” आराधनालय के अगुवों को पौलुस का संदेश अच्छा लगा और उन्होंने उनसे और भी सुनने की इच्छा किया। कुछ लोगों ने सुसमाचार पर विश्वास किया। पौलुस और बरनबास ने उन्हें परमेश्वर के अनुग्रह में बढ़ने का आग्रह किया। अगले सब्त के दिन करीब-करीब सारा शहर उन्हें सुनने के लिये इकट्ठा हुए। परंतु यहूदी ईर्ष्या से भर गए थे और उन्होंने पौलुस के विरुद्ध वाद-विवाद किया और निंदनीय कथन किया। इसलिये वे अन्यजातियों की ओर मुड़ गए और उन्हें सुसमाचार सुनाया। परिणामस्वरूप अन्यजातियों ने खुशी से सुसमाचार सुना और उस पर विश्वास किया। यहूदी बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने शहर के अगुवों को उकसाया और उन्हें वहाँ से निकलवा दिया। पौलुस और बरनबास ने अपने पैरों को धूल को झटक दिया। (यीशु के शब्दों के ही अनुसार। मरकुस 6:11) और इकुनियुम को चले गए। इकुनियुम में: पौलुस और बरनबास ने यहूदियों के आराधनालय में प्रचार किया और यहूदी और यूनानियों ने विश्वास किया। लेकिन अविश्वासी यहूदियों ने अन्यजातियों को भड़का दिया और उनके दिमाग को भाइयों के विरुद्ध कर दिया। परंतु वे लोग लंबे समय तक वहीं रूके रहे, प्रभु यीशु मसीह के नाम में निडरता से अनुग्रह के सुसमाचार का प्रचार किया। मिश्नरियों के द्वारा कई चिन्ह और चमत्कार किए गए। शहर की जनसंख्या दो भागों में बँट गई थी। कुछ लोग यहूदियों और कुछ लोग मिश्नरियों की तरफ हो गए। अंततः अविश्वासी अन्यजातियों और यहूदियों ने प्रेरितों पर हमला करने और उन्हें पथराव करने का निश्चय कर लिया। इसलिये वे लुस्त्रा को चले गए। लुस्त्रा में:: लुस्त्रा में उनका सामना एक व्यक्ति से हुआ जो जन्म से ही लंगड़ा था। जब पौलुस प्रचार कर रहा था तो वह सुन रहा था, और पौलुस उसे देख रहा था। यह समझकर कि उसमें चंगे होने का विश्वास है, पौलुस ने उसे उँची आवाज में कहा, “उठकर अपने पैरों पर खड़ा हो जा।” वह तुरंत उछलकर खड़ा हो गया और चलने फिरने लगा। जब भीड़ ने वह सब देखा जो उस लंगडे के साथ हुआ था, तो वे स्थानीय भाषा में चिल्ला पड़े, “देवता मनुष्यों के रूप में होकर हमारे पास उतर आए हैं।” उन्होंने बरनबास को ज्यूस और पौलुस को हिरमेस कहा। जो उसका प्रवक्ता था। ज्यूस के पुरोहितों ने जिनका मंदिर उनके नगर के सामने था उनके लिये बैल और मालाएँ चढ़ाने के लिये लेकर आए। परंतु जब पौलुस और बरनबास ने उनके इरादों को समझ लिया तो उन्होंने अपने वस्त्र फाड़े और यह कहकर लोगों की ओर छोड़े, “हे लोगो, तुम क्या करते हो? हम भी तो तुम्हारे समान दुखःसुख भोगी हैं, इन शब्दों के साथ, बड़ी कठिनाई से उन्होंने लोगों को चढ़ावा चढ़ाने से रोका। कुछ समय के बाद कुछ यहूदी अंताकिया और इकुनियुम से आए। उन्होंने भीड़ पर काबू पाया और पौलुस पर पथराव किया। वह गिरकर बेहोश हो गया। उन्होंने उन्हें यह सोचकर शहर के बाहर फेंक दिया कि वह मर चुका है और उसे वहीं छोड़ दिया। लेकिन जब चेले उसके आसपास खड़े हुए तो वह उठकर उनके साथ शहर में वापस चला गया। दिरबे में: अगले दिन मिश्नरी लोग दिरबे गए। पौलुस ओैर बरनबास ने वहाँ सुसमाचार सुनाया और कई लोगों ने विश्वास किया। दिरबे में मिश्नरियों को कोई सताव नहीं हुआ। वे सीरिया के अंताकिया लौटे: वे फिर से लुस्त्रा, इकुनियुम (पिसिदिया) और अंताकिया लौटे। इस बार उनकी सेवकाई मुख्यतः विश्वासियों को विश्वास में स्थिर करने और अगुवों की नियुक्ति करके उन्हें संगठित करने पर केंद्रित थी। पिसिदिया के अंताकिया से वे पिरगा गए जहाँ उन्होंने सुसमाचार का प्रचार किया। पिरगा से वे सीरिया के अंताकिया को जहाज से गये। आप को याद होगा कि वहीं से मिश्नरियों को परमेश्वर के कार्य के लिये परमेश्वर के अनुग्रह के अधीन समर्पित किया गया था। वे लोग करीब 2 वर्ष के बाद मिल रहे थे। यह निश्चित रूप से आनंद का अवसर था। कलीसिया ने मिश्नरियों के शब्दों को सांस थामकर सुना क्योंकि उन्होंने वही बताया जो परमेश्वर ने उनके द्वारा अन्यजातियों में किया था। बात यह नहीं थी कि उन्होंने परमेश्वर के लिये क्या किया था, परंतु यह कि वह उनके द्वारा क्या करवाना चाहता था। इस प्रकार पहली मिश्नरी यात्रा खत्म हुई जो करीब दो वर्षों तक चली थी। उन्होंने करीब 1100 कि.मी जमीनी यात्रा और 800 कि.मी समुद्री यात्रा किया था। इसके अलावा सुसमाचार ने यहूदियों और अन्यजातियों के बीच की दूरी की दीवार को ढा दिया था (इफिसियों 2:14-16)। सभी संभावनाओं के अनुसार पौलुस ने पहली यात्रा के बाद अंताकिया से गलातियों को पत्र लिखा था। वह अवश्य ही सन् 49 रहा होगा।

बाइबल अध्यन

प्रेरितों के काम अध्याय 13 1 अन्ताकिया की कलीसिया में कितने भविष्यद्वक्ता और उपदेशक थे; अर्थात बरनबास और शमौन जो नीगर कहलाता है; और लूकियुस कुरेनी, और देश की चौथाई के राजा हेरोदेस का दूध-भाई मनाहेम और शाऊल। 2 जब वे उपवास सहित प्रभु की उपासना कर रहे था, तो पवित्र आत्मा ने कहा; मेरे निमित्त बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिस के लिये मैं ने उन्हें बुलाया है। 3 तब उन्होंने उपवास और प्रार्थना कर के और उन पर हाथ रखकर उन्हें विदा किया॥ 4 सो वे पवित्र आत्मा के भेजे हुए सिलूकिया को गए; और वहां से जहाज पर चढ़कर कुप्रुस को चले। 5 और सलमीस में पहुंचकर, परमेश्वर का वचन यहूदियों की अराधनालयों में सुनाया; और यूहन्ना उन का सेवक था। 6 और उस सारे टापू में होते हुए, पाफुस तक पहुंचे: वहां उन्हें बार-यीशु नाम एक यहूदी टोन्हा और झूठा भविष्यद्वक्ता मिला। 7 वह सिरिगयुस पौलुस सूबेदार के साथ था, जो बुद्धिमान पुरूष था: उस ने बरनबास और शाऊल को अपने पास बुलाकर परमेश्वर का वचन सुनना चाहा। 8 परन्तु इलीमास टोन्हे ने, क्योंकि यही उसके नाम का अर्थ है उन का साम्हना करके, सूबेदार को विश्वास करने से रोकना चाहा। 9 तब शाऊल ने जिस का नाम पौलुस भी है, पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो उस की ओर टकटकी लगाकर कहा। 10 हे सारे कपट और सब चतुराई से भरे हुए शैतान की सन्तान, सकल धर्म के बैरी, क्या तू प्रभु के सीधे मार्गों को टेढ़ा करना न छोड़ेगा? 11 अब देख, प्रभु का हाथ तुझ पर लगा है; और तू कुछ समय तक अन्धा रहेगा और सूर्य को न देखेगा: तब तुरन्त धुन्धलाई और अन्धेरा उस पर छा गया, और वह इधर उधर टटोलने लगा, ताकि कोई उसका हाथ पकड़ के ले चले। 12 तब सूबेदार ने जो कुछ हुआ था, देखकर और प्रभु के उपदेश से चकित होकर विश्वास किया॥ 13 पौलुस और उसके साथी पाफुस से जहाज खोलकर पंफूलिया के पिरगा में आए: और यूहन्ना उन्हें छोड़कर यरूशलेम को लौट गया। 14 और पिरगा से आगे बढ़कर के पिसिदिया के अन्ताकिया में पहुंचे; और सब्त के दिन अराधनालय में जाकर बैठ गए। 15 और व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तक के पढ़ने के बाद सभा के सरदारों ने उन के पास कहला भेजा, कि हे भाइयों, यदि लोगों के उपदेश के लिये तुम्हारे मन में कोई बात हो तो कहो। 16 तब पौलुस ने खड़े होकर और हाथ से सैन करके कहा; हे इस्त्राएलियों, और परमेश्वर से डरने वालों, सुनो। 17 इन इस्त्राएली लोगों के परमेश्वर ने हमारे बापदादों को चुन लिया, और जब थे मिसर देश में परदेशी होकर रहते थे, तो उन की उन्नति की; और बलवन्त भुजा से निकाल लाया। 18 और वह कोई चालीस वर्ष तक जंगल में उन की सहता रहा। 19 और कनान देश में सात जातियों का नाश कर के उन का देश कोई साढ़े चार सौ वर्ष में इन की मीरास में कर दिया। 20 इस के बाद उस ने सामुएल भविष्यद्वक्ता तक उन में न्यायी ठहराए। 21 उसके बाद उन्हों ने एक राजा मांगा: तब परमेश्वर ने चालीस वषै के लिये बिन्यामीन के गोत्र में से एक मनुष्य अर्थात कीश के पुत्र शाऊल को उन पर राजा ठहराया। 22 फिर उसे अलग करके दाऊद को उन का राजा बनाया; जिस के विषय में उस ने गवाही दी, कि मुझे एक मनुष्य यिशै का पुत्र दाऊद, मेरे मन के अनुसार मिल गया है। वही मेरे सारी इच्छा पूरी करेगा। 23 इसी के वंश में से परमेश्वर ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार इस्त्राएल के पास एक उद्धारकर्ता, अर्थात यीशु को भेजा। 24 जिस के आने से पहिले यूहन्ना ने सब इस्त्राएलियों को मन फिराव के बपतिस्मा का प्रचार किया। 25 और जब यूहन्ना अपना दौर पूरा करने पर था, तो उस ने कहा, तुम मुझे क्या समझते हो? मैं वह नहीं! वरन देखो, मेरे बाद एक आनेवाला है, जिस के पांवों की जूती मैं खोलने के योग्य नहीं। 26 हे भाइयो, तुम जो इब्राहीम की सन्तान हो; और तुम जो परमेश्वर से डरते हो, तुम्हारे पास इस उद्धार का वचन भेजा गया है। 27 क्योंकि यरूशलेम के रहने वालों और उन के सरदारों ने, न उसे पहचाना, और न भविष्यद्वक्ताओं की बातें समझी; जो हर सब्त के दिन पढ़ी जाती हैं, इसलिये उसे दोषी ठहराकर उन को पूरा किया। 28 उन्होंने मार डालने के योग्य कोई दोष उस में ने पाया, तौभी पीलातुस से बिनती की, कि वह मार डाला जाए। 29 और जब उन्होंने उसके विषय में लिखी हुई सब बातें पूरी की, तो उसे क्रूस पर से उतार कर कब्र में रखा। 30 परन्तु परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया। 31 और वह उन्हें जो उसके साथ गलील से यरूशलेम आए थे, बहुत दिनों तक दिखाई देता रहा; लोगों के साम्हने अब वे भी उसके गवाह हैं। 32 और हम तुम्हें उस प्रतिज्ञा के विषय में, जो बाप दादों से की गई थी, यह सुसमाचार सुनाते हैं। 33 कि परमेश्वर ने यीशु को जिलाकर, वही प्रतिज्ञा हमारी सन्तान के लिये पूरी की, जैसा दूसरे भजन में भी लिखा है, कि तू मेरा पुत्र है; आज मैं ही ने तुझे जन्माया है। 34 और उसके इस रीति से मरे हुओं में से जिलाने के विषय में भी, कि वह कभी न सड़े, उस ने यों कहा है; कि मैं दाऊद पर की पवित्र और अचल कृपा तुम पर करूंगा। 35 इसलिये उस ने एक और भजन में भी कहा है; कि तू अपने पवित्र जन को सड़ने न देगा। 36 क्योंकि दाऊद तो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार अपने समय में सेवा करके सो गया; और अपने बाप दादों में जा मिला; और सड़ भी गया। 37 परन्तु जिस को परमेश्वर ने जिलाया, वह सड़ने नहीं पाया। 38 इसलिये, हे भाइयो; तुम जान लो कि इसी के द्वारा पापों की क्षमा का समाचार तुम्हें दिया जाता है। 39 और जिन बातों से तुम मूसा की व्यवस्था के द्वारा निर्दोष नहीं ठहर सकते थे, उन्हीं सब से हर एक विश्वास करने वाला उसके द्वारा निर्दोष ठहरता है। 40 इसलिये चौकस रहो, ऐसा न हो, कि जो भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तक में आया है, 41 तुम पर भी आ पड़े कि हे निन्दा करने वालो, देखो, और चकित हो, और मिट जाओ; क्योंकि मैं तुम्हारे दिनों में एक काम करता हूं; ऐसा काम, कि यदि कोई तुम से उसकी चर्चा करे, तो तुम कभी प्रतीति न करोगे॥ 42 उन के बाहर निकलते समय लोग उन से बिनती करने लगे, कि अगले सब्त के दिन हमें ये बातें फिर सुनाईं जाएं। 43 और जब सभा उठ गई तो यहूदियों और यहूदी मत में आए हुए भक्तों में से बहुतेरे पौलुस और बरनबास के पीछे हो लिए; और उन्होंने उन से बातें करके समझाया, कि परमेश्वर के अनुग्रह में बने रहो॥ 44 अगले सब्त के दिन नगर के प्राय: सब लोग परमेश्वर का वचन सुनने को इकट्ठे हो गए। 45 परन्तु यहूदी भीड़ को देख कर डाह से भर गए, और निन्दा करते हुए पौलुस की बातों के विरोध में बोलने लगे। 46 तब पोलुस और बरनबास ने निडर होकर कहा, अवश्य था, कि परमेश्वर का वचन पहिले तुम्हें सुनाया जाता: परन्तु जब कि तुम उसे दूर करते हो, और अपने को अनन्त जीवन के योग्य नहीं ठहराते, तो देखो, हम अन्यजातियों की ओर फिरते हैं। 47 क्योंकि प्रभु ने हमें यह आज्ञा दी है; कि मैने तुझे अन्याजातियों के लिये ज्योति ठहराया है; ताकि तू पृथ्वी की छोर तक उद्धार का द्वार हो। 48 यह सुनकर अन्यजाति आनन्दित हुए, और परमेश्वर के वचन की बड़ाई करने लगे: और जितने अनन्त जीवन के लिये ठहराए गए थे, उन्होंने विश्वास किया। 49 तब प्रभु का वचन उस सारे देश में फैलने लगा। 50 परन्तु यहूदियों ने भक्त और कुलीन स्त्रियों को और नगर के बड़े लोगों को उकसाया, और पौलुस और बरनबास पर उपद्रव करवाकर उन्हें अपने सिवानों से निकाल दिया। 51 तब वे उन के साम्हने अपने पांवों की धूल झाड़कर इकुनियुम को गए। 52 और चेले आनन्द से और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होते रहे॥

प्रेरितों के काम अध्याय 14 1 इकुनियुम में ऐसा हुआ कि वे यहूदियों की आराधनालय में साथ साथ गए, और ऐसी बातें की, कि यहूदियों और यूनानियों दोनों में से बहुतों ने विश्वास किया। 2 परन्तु न मानने वाले यहूदियों ने अन्यजातियों के मन भाइयों के विरोध में उकसाए, और बिगाड़ कर दिए। 3 और वे बहुत दिन तक वहां रहे, और प्रभु के भरोसे पर हियाव से बातें करते थे: और वह उन के हाथों से चिन्ह और अद्भुत काम करवाकर अपने अनुग्रह के वचन पर गवाही देता था। 4 परन्तु नगर के लोगों में फूट पड़ गई थी; इस से कितने तो यहूदियों की ओर, और कितने प्रेरितों की ओर हो गए। 5 परन्तु जब अन्यजाति और यहूदी उन का अपमान और उन्हें पत्थरवाह करने के लिये अपने सरदारों समेत उन पर दोड़े। 6 तो वे इस बात को जान गए, और लुकाउनिया के लुस्त्रा और दिरबे नगरों में, और आसपास के देश में भाग गए। 7 और वहां सुसमाचार सुनाने लगे॥ 8 लुस्त्रा में एक मनुष्य बैठा था, जो पांवों का निर्बल था: वह जन्म ही से लंगड़ा था, और कभी न चला था। 9 वह पौलुस को बातें करते सुन रहा था और इस ने उस की ओर टकटकी लगाकर देखा कि इस को चंगा हो जाने का विश्वास है। 10 और ऊंचे शब्द से कहा, अपने पांवों के बल सीधा खड़ा हो: तब वह उछलकर चलने फिरने लगा। 11 लोगों ने पौलुस का यह काम देखकर लुकाउनिया भाषा में ऊंचे शब्द से कहा; देवता हमारे पास उतर आए हैं। 12 और उन्होंने बरनबास को ज्यूस, और पौलुस को हिरमेस कहा, क्योंकि वह बातें करने में मुख्य था। 13 और ज्यूस के उस मन्दिर का पुजारी जो उस के नगर के साम्हने था, बैल और फूलों के हार फाटकों पर लाकर लोगों के साथ बलिदान करना चाहता था। 14 परन्तु बरनबास और पौलुस प्रेरितों ने जब सुना, तो अपने कपड़े फाड़े, और भीड़ में लपक गए, और पुकार कर कहने लगे; हे लोगो तुम क्या करते हो? 15 हम भी तो तुम्हारे समान दु:ख-सुख भोगी मनुष्य हैं, और तुम्हें सुसमाचार सुनाते हैं, कि तुम इन व्यर्थ वस्तुओं से अलग होकर जीवते परमेश्वर की ओर फिरो, जिस ने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जो कुछ उन में है बनाया। 16 उस ने बीते समयों में सब जातियों को अपने अपने मार्गों में चलने दिया। 17 तौभी उस ने अपने आप को बे-गवाह न छोड़ा; किन्तु वह भलाई करता रहा, और आकाश से वर्षा और फलवन्त ऋतु देकर, तुम्हारे मन को भोजन और आनन्द से भरता रहा। 18 यह कह कर भी उन्होंने लोगों को कठिनता से रोका कि उन के लिये बलिदान न करें॥ 19 परन्तु कितने यहूदियों ने अन्ताकिया और इकुनियम से आकर लोगों को अपनी ओर कर लिया, और पौलुस को पत्थरवाह किया, और मरा समझकर उसे नगर के बाहर घसीट ले गए। 20 पर जब चेले उस की चारों ओर आ खड़े हुए, तो वह उठकर नगर में गया और दूसरे दिन बरनबास के साथ दिरबे को चला गया। 21 और वे उस नगर के लोगों को सुसमाचार सुनाकर, और बहुत से चेले बनाकर, लुस्त्रा और इकुनियम और अन्ताकिया को लौट आए। 22 और चेलों के मन को स्थिर करते रहे और यह उपदेश देते थे, कि हमें बड़े क्लेश उठाकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना होगा। 23 और उन्होंने हर एक कलीसिया में उन के लिये प्राचीन ठहराए, और उपवास सहित प्रार्थना कर के, उन्हें प्रभु के हाथ सौंपा जिस पर उन्होंने विश्वास किया था। 24 और पिसिदिया से होते हुए वे पंफूलिया में पहुंचे; 25 और पिरगा में वचन सुनाकर अत्तलिया में आए। 26 और वहां से जहाज से अन्ताकिया में आए, जहां से वे उस काम के लिये जो उन्होंने पूरा किया था परमेश्वर के अनुग्रह पर सौंपे गए थे। 27 वहां पहुंचकर, उन्होंने कलीसिया इकट्ठी की और बताया, कि परमेश्वर ने हमारे साथ होकर कैसे बड़े बड़े काम किए! और अन्यजातियों के लिये विश्वास का द्वार खोल दिया। 28 और वे चेलों के साथ बहुत दिन तक रहे॥

गिनती अध्याय 24:24 24 तौभी कित्तियों के पास से जहाज वाले आकर अश्शूर को और एबेर को भी दु:ख देंगे; और अन्त में उसका भी विनाश हो जाएगा॥

गलातियों अध्याय 4:13 13 पर तुम जानते हो, कि पहिले पहिल मैं ने शरीर की निर्बलता के कारण तुम्हें सुसमाचार सुनाया।

प्रेरितों के काम अध्याय 12:12 12 और यह सोचकर, वह उस यूहन्ना की माता मरियम के घर आया, जो मरकुस कहलाता है; वहां बहुत लोग इकट्ठे होकर प्रार्थना कर रहे थे।

मरकुस अध्याय 6:11 11 जिस स्थान के लोग तुम्हें ग्रहण न करें, और तुम्हारी न सुनें, वहां से चलते ही अपने तलवों की धूल झाड़ डालो, कि उन पर गवाही हो।

इफिसियों अध्याय 2:(14-16) 14 क्योंकि वही हमारा मेल है, जिस ने दोनों को एक कर लिया: और अलग करने वाली दीवार को जो बीच में थी, ढा दिया। 15 और अपने शरीर में बैर अर्थात वह व्यवस्था जिस की आज्ञाएं विधियों की रीति पर थीं, मिटा दिया, कि दोनों से अपने में एक नया मनुष्य उत्पन्न करके मेल करा दे। 16 और क्रूस पर बैर को नाश करके इस के द्वारा दानों को एक देह बनाकर परमेश्वर से मिलाए।