पाठ 2 : शाऊल (आगे )

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सारांश

शाऊल (आगे) शाऊल के द्वारा परमेश्वर का निरंतर तिरस्कार किये जाने के बाद, शमुएल को कहा गया कि वह इस्राएल के सिंहासन पर बैठने के लिये शाऊल के उत्तराधिकारी की खोज करे। उसे बैतलहम जाकर यिशै के एक पुत्र का अभिषेक करना था। परमेश्वर ने लोगों को उनकी पसंद का राजा चुनने की अनुमति दिया था। अब जबकि राजा के चुनाव में उनकी गलती स्पष्टतः प्रगट हो चुकी थी, तब परमेश्वर ने अपनी बुद्धि के सर्वश्रेष्ठता को एक ऐसे राजा के चुनाव के द्वारा सिद्ध किया जो उसकी सिद्ध इच्छा को पूरी करने के योग्य था। यिशै का पुत्र दाऊद परमेश्वर द्वारा चुना गया और शमूएल द्वारा अभिषेक किया गया। इस अभिषेक में चरवाहे लड़के पर परमेश्वर की आत्मा का सामर्थ के साथ उतारना भी शामिल था। जिस प्रकार दाऊद पवित्र आत्मा द्वारा बलवंत किया गया था, उसी प्रकार उसी आत्मा ने शाऊल का छोड़ दिया था। इस समय तक वह दुष्टात्मा से ग्रसित हो चुका था। जब उसने संगीतज्ञ खोजने का आदेश दिया तो उसके दासों ने सलाह दिया कि राजा ही ऐसे व्यक्ति को ढूंढ निकाले जिसे संगीत का ऐसा ज्ञान हो कि उसे शांत कर सके। दाऊद का नाम सुझाया गया और शाऊल ने उसे बुलावा भेजा। पवित्र आत्मा ने दाऊद को सामर्थ दिया कि दुष्टात्मा को दूर भगा सके जो शाऊल को उत्तेजित करती थी। शाऊल ने दाऊद को इतना प्रेम किया कि उसने उसे अपना व्यक्तिगत हथियार ढोनेवाला बना लिया। कुछ समय के पश्चात् इस्राएल को फिर से पलिश्तियों द्वारा कष्ट हुआ। दोनों ओर की सेनाएँ एला नामक घाटी में आमने सामने खड़ी हो गई। गोलियात नामक एक वीर पलिश्तियों की छावनी से चालीस दिनों तक लगातार निकलकर इस्राएली सेनाओं को ललकारता रहा कि वे उसके योग्य योद्धा को भेजें। गोलियात करीब नौ फीट नौ इंच ऊँचा था और कम से कम 175 पाऊंड वजन के शस्त्र धारण किया हुआ था। जब दाऊद उसके पिता के कहने पर उसके भाइयों के लिये कुछ वस्तुएँ लेकर इस्राएल की छावनी में पहुँचा तो उसने गोलियात के चुनौतीपूर्ण शब्दों को सुना। उसने पूछा कि जो व्यक्ति इस व्यक्ति को मार देगा उसके लिये क्या किया जाएगा। उसके सबसे बड़े भाई एलीयाब ने जब यह सुना तो उसने दाऊद को डाँटा। परंतु दाऊद उन इनामों के विषय जानने का प्रयास करता रहा जो उस व्यक्ति को मिलनेवाला था, जिसके हाथों यह पलिश्ती मारा जाने वाला था। जल्द ही शाऊल को यह समाचार मिला कि इस्राएल से एक जवान युवक मिला है जो पलिश्ती से लड़ सकता है और दाऊद को उसके सामने लाया गया। जब उसने दाऊद को देखा तो उसे लड़के की योग्यता पर संदेह हुआ। परंतु दाऊद ने अपने माध्यम से परमेश्वर की सामर्थ को कार्य करते हुए अनुभव कर लिया था जब उसने अपनी भेड़-बकरियों को सिंह और भालू से बचाया था। उसके उत्साह और निश्चय को देखकर शाऊल ने उसे अपनी झीलम और शस्त्र धारण के लिये दिया परंतु दाऊद ने उन्हें नहीं पहना क्योंकि वे उसके लिये रूकावट थे। उसके बदले वह पाँच चिकने पत्थर, गोफन, छड़ी और जीवते परमेश्वर की सामर्थ से लैस होकर आगे बढ़ा। शाऊल अनिच्छा से राजी हुआ और दाऊद ने गोलियात को मार डाला और विजय घोष करते हुए उसका कटा हुआ सिर लेकर लौटा। गोलियात पर विजय पाने के बाद शाऊल ने फिर से दाऊद को महल में ले आया, और इस बार वह उसकी सेना का प्रधान था। उस समय शाऊल के बड़े पुत्र योनातान और दाऊद के बीच घनिष्ट दीर्घकालीन मित्रता हो गई। उनकी मित्रता इतनी घनिष्ट थी कि योनातान जो इस्राएल के सिंहासन का उत्तराधिकार था, उसने अपने राजसी अधिकार को त्यागपूर्ण रीति से दाऊद पर न्यौछावर कर दिया। दाऊद की विजय को स्त्रियों द्वारा यह गीत गाकर मनाया गया: शाऊल ने हजारों को मारा, तो दाऊद ने लाखों को मारा। शाऊल इतना अधिक ईर्ष्या से भर गया था और क्रोधित हो गया था कि उसकी महिमा के अंत के दिनों में, उसने दुष्टात्मा से प्रेरित होकर दाऊद को अपने भाले से तीन बार मारने का प्रयास किया। परंतु परमेश्वर ने दाऊद को बचाया और उसकी लोकप्रियता को खूब बढ़ाया। फिर से जब शाऊल ने दाऊद को उसी के घर में मारने के लिये दूतों को भेजा तो शाऊल की बेटी ‘मीकल और दाऊद की पत्नी को इस षडयंत्र का पता चल गया और उसने उसे छिपने में सहायता किया। दाऊद शमुएल को मिलने के लिये रामाह भाग गया। शाऊल के दूत दाऊद को मारने के लिये तीन बार असफल रहे क्योंकि जब भी वे उन भविष्यद्वक्ताओं के पास आते थे जो शमूएल के साथ रहते थे, वे खुद भविष्यद्वाणी करने लगते थे। बाद में जब स्वयं शाऊल दाऊद के पास गया, वह भी परमेश्वर की सामर्थ से प्रभावित हो गया। जब तक परमेश्वर ने शाऊल को भूमि पर औधा गिराकर रखा रहा, दाऊद वहाँ से बच निकला। योनातान ने शाऊल अर्थात अपने पिता और दाऊद उसके मित्र के बीच मेल-मिलाप कराने का प्रयास किया। जब योनातान इस विषय को लेकर शाऊल के पास गया तो शाऊल आगबबूला हो गया और उसने योनातन पर आरोप लगाया कि वह उस व्यक्ति का दोस्त बन गया है और यहाँ तक कि उसने अपने ही बेटे को भाले से मारने का प्रयास किया। फिर जब योनातान ने दाऊद को उचित संकेतों द्वारा अपने पिता के इरादों के विषय बताया, तो वह वहाँ से भाग गया और नोब के याजक अहिमेलेक के पास शरण लिया। थकान भरी यात्रा के कारण दाऊद ने याजक से रोटी मांगा। परंतु जो कुछ उपलब्ध था वह पवित्र रोटी थी जिसका उपयोग मिलापवाले तंबु में आराधना के लिये किया जाता था। याजक ने उसे वही दे दिया। उसी समय शाऊल का एक दास दोएग नोब में यहोवा के आगे रूका था। उसने दाऊद के साथ अहिमेलेक के संबंध को देखा और जाकर शाऊल को बता दिया। उसी बीच दाऊद ने अहिमेलेक से हथियार की मांग किया। गोलियात की तलवार जो वहाँ रखी हुई थी दाऊद को दी गयी और उसने उसे तुरंत ले लिया। जब दोएग ने शाऊल को बताया कि अहिमेलेक ने किस तरह वस्तुएँ देकर सहायता किया और प्रभु से उसके विषय पूछा था, तो शाऊल ने याजक और उसके परिवार को बुलवाया। क्रोध में आकर शाऊल ने कारण सुने बिना ही अपने दासों को आज्ञा दिया कि उन याजकों को मार डाले। वे उसकी आज्ञा का पालन किया और उनमें से 85 को मार डाला जो मलमल का बागा पहने हुए थे। उन्हें उसने नोब पर भी चढ़ाई किया जो अहिमेलेक का नगर था और वहाँ के सभी रहवासियों और पशुओं को मार डाला। केवल अब्यातार ही बच गया, वह भागकर दाऊद के पास गया और जो कुछ हुआ था वह सुनाया। दाऊद उसके 600 लोगों के साथ भागता रहा। उस समय पलिश्ती लोग किला के लोगों की भोजन रसद को रोक रहे थे। कीला को स्वतंत्र कराने से पहले दाऊद ने परमेश्वर की इच्छा जाना। परमेश्वर की अगुवाई में वह शत्रु से लड़ा और नगर को बचाया और बड़ी संख्या में पशुधन पर कब्जा किया। जब शाऊल ने सुना कि दाऊद कीला में है तो उसने उसे वहीं पकड़ने का निर्णय लिया। दाऊद को इस षड़यंत्र का पता चल गया और उसने परमेश्वर से मार्गदर्शन मांगा। उस एपोद के द्वारा जो एब्यातार ने लाया था और उरीम और थुम्मीम1 के द्वारा परमेश्वर ने प्रगट किया कि लोग दाऊद के साथ छल करेंगे। निश्चित रूप से लोगों ने दाऊद की दयालुता का बदला उसे धोका दिया! दाऊद 600 लोगों के साथ जीप के जंगलो में चला गया। वहाँ भी जीप के लोगों ने उसके साथ धोखा किया और दाऊद माओन के जंगल में चला गया। अंततः शाऊल का सामना दाऊद से एनगदी में हुआ और उसने उसे करीब-करीब खोज ही लिया था। लेकिन परमेश्वर की । योजना कुछ और ही थी और ऐसा हुआ कि शाऊल के प्राण उस समय दाऊद के हाथ में आ गए जब शाऊल उसी गुफा में दिशा फेरने के लिये गया जहाँ दाऊद छिपा था। दाऊद उसके इतनी करीब था कि उसने उसके चोगे का एक कोना काट लिया यह कहने के लिये कि वह उसे मार भी सकता था। परंतु दाऊद ऐसा नहीं करना चाहता था क्योंकि वह शाऊल को परमेश्वर का अभिषिक्त मानता था। जब दाऊद ने शाऊल से कहा कि उसे मारने की बात नहीं सोचना चाहिये तो पश्चाताप करते हुए शाऊल ने दाऊद की धार्मिकता का स्वीकार किया और यह सच्चाई भी स्वीकार किया कि दाऊद ही राजा बनेगा। (24:20)। एक दिन ऐसा आया जब पलिश्तियों ने इस्राएल पर भारी हमला करने की योजना बनाया। शाऊल ने स्वयँ को विकट स्थिति में पाया। शमूएल मर चुका था और पलिश्तिी लोग शूनेम में छावनी डाले हुए थे। जब शाऊल को परमेश्वर की ओर से कोई उत्तर न मिला, न स्वप्नों से, न उरीम न थुम्मीम से और न ही भविष्यद्वक्ताओं से तो उसने एक भूत-सिद्धी करनेवाली की मदद लिया। इससे पहले उसने इस्राएल के सभी जादू-टोना करनेवालों और भूतसिद्धी करनेवालों को मार डालने या देश से निकाल देने का आदेश दिया था, जो व्यवस्था के मुताबिक था। अंततः एन्दोर में एक भूत सिद्धि करने वाली खोज ली गई। तब शाऊल ने भेष बदला और मृतक से सलाह लेने उस स्त्री के पास गया। वहाँ पहुँचने के बाद शाऊल ने उसे शमूएल से संपर्क करने को कहा। उसने शमूएल के जैसे एक शैतानी बहुरूपिया से संबंध जोड़ने की कोशिश की। लेकिन जब उसने शमूएल को देखी तो वह चैंक गई और जान गई कि यह परमेश्वर का काम है, और वह व्यक्ति शाऊल राजा है। परमेश्वर ने अपनी दया के अनुसार शाऊल को भविष्यद्वक्ता से मिलवाया जिससे उसे सबसे पहले उसके पिता की खोई हुई गदहियों की खोज के समय मिलवाया था। परंतु इस बार शमूएल के पास उसके लिये अच्छी खबर नहीं थी। उसने बताया कि उसका राज्य उससे छीन लिया गया है और दाऊद को दे दिया गया है। और जैसे उसे परमेश्वर ने अमालेकियों के विषय किए गए पाप के कारण तिरस्कृत कर दिया था, उसी प्रकार अब वह उसे पलिश्तियों के हाथ कर देगा जिससे उसकी और उसके पुत्रों की मृत्यु हो जाएगी। अनिच्छा से उस स्त्री के घर कुछ खाकर शाऊल उठा और निराश होकर चला गया। जैसे शमुएल ने भविष्यवाणी में किया था पलिश्तियों ने जल्द ही और आसानी से इस्राएल को हरा दिया। अपने तीन पुत्रों के साथ शाऊल गिलबो पहाड़ी पर भाग गया। लेकिन उसे घेर लिया गया और उसके पुत्रों का संहार करने के बाद उसे भी घायल किया गया। इस बात से डरकर कि कहीं फिलिस्ती उसे ढूंढकर मृत्यु तक प्रताड़ित न करें उसने अपने हथियार ढोनेवाले से कहा कि वह उसे मार डाले, ऐसा आदेश जिसका पालन करने से उसके सेवक ने इन्कार कर दिया। फिर शाऊल ने इस्राएली विश्वास के विरुद्ध आत्महत्या कर लिया। उसने एक तलवार पर गिरकर अपने प्राण लिये।2 उसके तुरंत बाद उसके हथियार ढोने वाले ने उसकी आज्ञा का पालन किया। जब इस्राएलियों ने सुना कि उसका राजा मर गया है, तो वे अपने नगरों से भाग गए और जंगल में जा छिपे। आखिरकार पलिश्ती लोगों ने आकर शाऊल और उसके तीन बेटों का शवों को लिया शाऊल का सिर काटा, और उसके हथियारों को अश्तोरेत देवी के मंदिर में रख दिया और उसके शरीर को बेतशान की शहरपनाह में जड़ दिया। याबेश गिलाद के लोग इतने डर गये थे कि उन्होंने शाऊल और उसके बेटों के शरीरों को रात के अंधियारे में निकाल लिया और अपने नगर ले आए। वहाँ उन्होंने शवों को जलाया और हड्डियों को गाड़ दिया। सम्मान का यह कार्य वास्तव में उन कृतज्ञ लोगों के द्वारा किया गया था जिनके शहर को 40 वर्ष पूर्व शाऊल ने उसके पहले सार्वजनिक कार्य के रूप में अम्मोनियों के हाथ से छुड़ाया था। बाद में दाऊद ने शाऊल और योनातान की हड्डियों को निकालकर उन्हें बिन्यामीन में ले जाकर पुनः दफनाया था। शाऊल के अंतिम दिन निराशा और खेदपूर्ण थे; और अंत में वह आत्महत्या करने के द्वारा मरा। उसका जीवन एक दुर्घटना थी क्योंकि उसके परिणामों के विषय सोचे बिना व्यक्ति बच नहीं सकता। फिर भी उसकी असफलता के कारण वही थे जो आज के लोगों की असफलता के कारण हैं। वह परिस्थितियों के और स्वयँ के आगे झुक गया, यहाँ तक कि वह दूसरों के सामने भी झुक गया, परंत उसने परमेश्वर के सामने झुकने से इंकार कर दिया।

बाइबल अध्यन

1 शमूएल अध्याय 16 1 और यहोवा ने शमूएल से कहा, मैं ने शाऊल को इस्राएल पर राज्य करने के लिये तुच्छ जाना है, तू कब तक उसके विषय विलाप करता रहेगा? अपने सींग में तेल भर के चल; मैं तुझ को बेतलेहेमी यिशै के पास भेजता हूं, क्योंकि मैं ने उसके पुत्रों में से एक को राजा होने के लिये चुना है। 2 शमूएल बोला, मैं क्योंकर जा सकता हूं? यदि शाऊल सुन लेगा, तो मुझे घात करेगा। यहोवा ने कहा, एक बछिया साथ ले जा कर कहना, कि मैं यहोवा के लिये यज्ञ करने को आया हूं। 3 और यज्ञ पर यिशै को न्योता देना, तब मैं तुझे जता दूंगा कि तुझ को क्या करना है; और जिस को मैं तुझे बताऊं उसी को मेरी ओर से अभिषेक करना। 4 तब शमूएल ने यहोवा के कहने के अनुसार किया, और बेतलहेम को गया। उस नगर के पुरनिये थरथराते हुए उस से मिलने को गए, और कहने लगे, क्या तू मित्रभाव से आया है कि नहीं? 5 उसने कहा, हां, मित्रभाव से आया हूं; मैं यहोवा के लिये यज्ञ करने को आया हूं; तुम अपने अपने को पवित्र करके मेरे साथ यज्ञ में आओ। तब उसने यिशै और उसके पुत्रों को पवित्र करके यज्ञ में आने का न्योता दिया। 6 जब वे आए, तब उसने एलीआब पर दृष्टि करके सोचा, कि निश्चय जो यहोवा के साम्हने है वही उसका अभिषिक्त होगा। 7 परन्तु यहोवा ने शमूएल से कहा, न तो उसके रूप पर दृष्टि कर, और न उसके डील की ऊंचाई पर, क्योंकि मैं ने उसे अयोग्य जाना है; क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है। 8 तब यिशै ने अबीनादाब को बुलाकर शमूएल के साम्हने भेजा। और उस से कहा, यहोवा ने इस को भी नहीं चुना। 9 फिर यिशै ने शम्मा को साम्हने भेजा। और उसने कहा, यहोवा ने इस को भी नहीं चुना। 10 योंही यिशै ने अपने सात पुत्रों को शमूएल के साम्हने भेजा। और शमूएल यिशै से कहता गया, यहोवा ने इन्हें नहीं चुना। 11 तब शमूएल ने यिशै से कहा, क्या सब लड़के आ गए? वह बोला, नहीं, लहुरा तो रह गया, और वह भेड़-बकरियों को चरा रहा है। शमूएल ने यिशै से कहा, उसे बुलवा भेज; क्योंकि जब तक वह यहां न आए तब तक हम खाने को न बैठेंगे। 12 तब वह उसे बुलाकर भीतर ले आया। उसके तो लाली झलकती थी, और उसकी आंखें सुन्दर, और उसका रूप सुडौल था। तब यहोवा ने कहा, उठ कर इस का अभिषेक कर: यही है। 13 तब शमूएल ने अपना तेल का सींग ले कर उसके भाइयों के मध्य में उसका अभिषेक किया; और उस दिन से ले कर भविष्य को यहोवा का आत्मा दाऊद पर बल से उतरता रहा। तब शमूएल उठ कर रामा को चला गया॥ 14 और यहोवा का आत्मा शाऊल पर से उठ गया, और यहोवा की ओर से एक दुष्ट आत्मा उसे घबराने लगा। 15 और शाऊल के कर्मचारियों ने उस से कहा, सुन, परमेश्वर की ओर से एक दुष्ट आत्मा तुझे घबराता है। 16 हमारा प्रभु अपने कर्मचारियों को जो उपस्थित हैं आज्ञा दे, कि वे किसी अच्छे वीणा बजाने वाले को ढूंढ़ ले आएं; और जब जब परमेश्वर की ओर से दुष्ट आत्मा तुझ पर चढ़े, तब तब वह अपने हाथ से बजाए, और तू अच्छा हो जाए। 17 शाऊल ने अपने कर्मचारियों से कहा, अच्छा, एक उत्तम बजवैया देखो, और उसे मेरे पास लाओ। 18 तब एक जवान ने उत्तर देके कहा, सुन, मैं ने बेतलहमी यिशै के एक पुत्र को देखा जो वीणा बजाना जानता है, और वह वीर योद्धा भी है, और बात करने में बुद्धिमान और रूपवान भी है; और यहोवा उसके साथ रहता है। 19 तब शाऊल ने दूतों के हाथ यिशै के पास कहला भेजा, कि अपने पुत्र दाऊद को जो भेड़-बकरियों के साथ रहता है मेरे पास भेज दे। 20 तब यिशै ने रोटी से लदा हुआ एक गदहा, और कुप्पा भर दाखमधु, और बकरी का एक बच्चा ले कर अपने पुत्र दाऊद के हाथ से शाऊल के पास भेज दिया। 21 और दाऊद शाऊल के पास जा कर उसके साम्हने उपस्थित रहने लगा। और शाऊल उस से बहुत प्रीति करने लगा, और वह उसका हथियार ढोने वाला हो गया। 22 तब शाऊल ने यिशै के पास कहला भेजा, कि दाऊद को मेरे साम्हने उपस्थित रहने दे, क्योंकि मैं उस से बहुत प्रसन्न हूं। 23 और जब जब परमेश्वर की ओर से वह आत्मा शाऊल पर चढ़ता था, तब तब दाऊद वीणा ले कर बजाता; और शाऊल चैन पाकर अच्छा हो जाता था, और वह दुष्ट आत्मा उस में से हट जाता था॥

अध्याय 17 1 अब पलिश्तियों ने युद्ध के लिये अपनी सेनाओं को इकट्ठा किया; और यहूदा देश के सोको में एक साथ हो कर सोको और अजेका के बीच एपेसदम्मीम में डेरे डाले। 2 और शाऊल और इस्राएली पुरूषों ने भी इकट्ठे हो कर एला नाम तराई में डेरे डाले, और युद्ध के लिये पलिश्तियों के विरुद्ध पांती बान्धी। 3 पलिश्ती तो एक ओर के पहाड़ पर और इस्राएली दूसरी ओर के पहाड़ पर और इस्राएली दूसरी ओर के पहाड़ पर खड़े रहे; और दोनों के बीच तराई थी। 4 तब पलिश्तियों की छावनी में से एक वीर गोलियत नाम निकला, जो गत नगर का था, और उसके डील की लम्बाई छ: हाथ एक बित्ता थी। 5 उसके सिर पर पीतल का टोप था; और वह एक पत्तर का फिलम पहिने हुए था, जिसका तौल पांच हजार शेकेल पीतल का था। 6 उसकी टांगों पर पीतल के कवच थे, और उस से कन्धों के बीच बरछी बन्धी थी। 7 उसके भाले की छड़ जुलाहे के डोंगी के समान थी, और उस भाले का फल छ: सौ शेकेल लोहे का था, और बड़ी ढाल लिए हुए एक जन उसके आगे आगे चलता था 8 वह खड़ा हो कर इस्राएली पांतियों को ललकार के बोला, तुम ने यहां आकर लड़ाई के लिये क्यों पांति बान्धी है? क्या मैं पलिश्ती नहीं हूं, और तुम शाऊल के आधीन नहीं हो? अपने में से एक पुरूष चुना, कि वह मेरे पास उत्तर आए। 9 यदि वह मुझ से लड़कर मुझे मार सके, तब तो हम तुम्हारे आधीन हो जाएंगे; परन्तु यदि मैं उस पर प्रबल हो कर मांरू, तो तुम को हमारे आधीन हो कर हमारी सेवा करनी पड़ेगी। 10 फिर वह पलिश्ती बोला, मैं आज के दिन इस्राएली पांतियों को ललकारता हूं, किसी पुरूष को मेरे पास भेजो, कि हम एक दूसरे से लड़ें। 11 उस पलिश्ती की इन बातों को सुनकर शाऊल और समस्त इस्राएलियों का मन कच्चा हो गया, और वे अत्यन्त डर गए॥ 12 दाऊद तो यहूदा के बेतलेहेम के उस एप्राती पुरूष को पुत्र था, जिसका नाम यिशै था, और उसके आठ पुत्र थे और वह पुरूष शाऊल के दिनों में बूढ़ा और निर्बल हो गया था। 13 यिशै के तीन बड़े पुत्र शाऊल के पीछे हो कर लड़ने को गए थे; और उसके तीन पुत्रों के नाम जो लड़ने को गए थे ये थे, अर्थात ज्येष्ठ का नाम एलीआब, दूसरे का अबीनादाब, और तीसरे का शम्मा था। 14 और सब से छोटा दाऊद था; और तीनों बड़े पुत्र शाऊल के पीछे हो कर गए थे, 15 और दाऊद बेतलहेम में अपने पिता की भेड़ बकरियां चराने को शाऊल के पास से आया जाया करता था॥ 16 वह पलिश्ती तो चालीस दिन तक सवेरे और सांझ को निकट आकर खड़ा हुआ करता था। 17 और यिशै ने अपने पुत्र दाऊद से कहा, यह एपा भर चबैना, और ये दस रोटियां ले कर छावनी में अपने भाइयों के पास दौड़ जा; 18 और पनीर की ये दस टिकियां उनके सहस्रपति के लिये ले जा। और अपने भाइयों का कुशल देखकर उन की कोई चिन्हानी ले आना। 19 शाऊल, और वे भाई, और समस्त इस्राएली पुरूष एला नाम तराई में पलिश्तियों से लड़ रहे थे। 20 और दाऊद बिहान को सबेरे उठ, भेड़ बकरियों को किसी रखवाले के हाथ में छोड़कर, उन वस्तुओं को ले कर चला; और जब सेना रणभूमि को जा रही, और संग्राम के लिये ललकार रही थी, उसी समय वह गाडिय़ों के पड़ाव पर पहुंचा। 21 तब इस्राएलियों और पलिश्तियों ने अपनी अपनी सेना आम्हने साम्हने करके पांति बांन्धी। 22 औ दाऊद अपनी समग्री सामान के रखवाले के हाथ में छोड़कर रणभूमि को दौड़ा, और अपने भाइयों के पास जा कर उनका कुशल क्षेम पूछा। 23 वह उनके साथ बातें कर ही रहा था, कि पलिश्तियों की पांतियों में से वह वीर, अर्थात गतवासी गोलियत नाम वह पलिश्ती योद्धा चढ़ आया, और पहिले की सी बातें कहने लगा। और दाऊद ने उन्हें सुना। 24 उस पुरूष को देखकर सब इस्राएली अत्यन्त भय खाकर उसके साम्हने से भागे। 25 फिर इस्राएली पुरूष कहने लगे, क्या तुम ने उस पुरूष को देखा है जो चढ़ा आ रहा है? निश्चय वह इस्राएलियों को ललकारने को चढ़ा आता है; और जो कोई उसे मार डालेगा उसको राजा बहुत धन देगा, और अपनी बेटी ब्याह देगा, और उसके पिता के घराने को इस्राएल में स्वतन्त्र कर देगा। 26 तब दाऊद ने उन पुरूषों से जो उसके आस पास खड़े थे पूछा, कि जो उस पलिश्ती को मार के इस्राएलियों की नामधराई दूर करेगा उसके लिये क्या किया जाएगा? वह खतनारहित पलिश्ती तो क्या है कि जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारे? 27 तब लोगों ने उस से वही बातें कहीं, अर्थात यह, कि जो कोई उसे मारेगा उस से ऐसा ऐसा किया जाएगा। 28 जब दाऊद उन मनुष्यों से बातें कर रहा था, तब उसका बड़ा भाई एलीआब सुन रहा था; और एलीआब दाऊद से बहुत क्रोधित हो कर कहने लगा, तू यहां क्या आया है? और जंगल में उन थोड़ी सी भेड़ बकरियों को तू किस के पास छोड़ आया है? तेरा अभिमान और तेरे मन की बुराई मुझे मालूम है; तू तो लड़ाई देखने के लिये यहां आया है। 29 दाऊद ने कहा, मैं ने अब क्या किया है, वह तो निरी बात थी? 30 तब उसने उसके पास से मुंह फेरके दूसरे के सम्मुख हो कर वैसी ही बात कही; और लोगों ने उसे पहिले की नाईं उत्तर दिया। 31 जब दाऊद की बातों की चर्चा हुई, तब शाऊल को भी सुनाईं गई; और उसने उसे बुलवा भेजा। 32 तब दाऊद ने शाऊल से कहा, किसी मनुष्य का मन उसके कारण कच्चा न हो; तेरा दास जा कर उस पलिश्ती से लड़ेगा। 33 शाऊल ने दाऊद से कहा, तू जा कर उस पलिश्ती के विरुद्ध नहीं युद्ध कर सकता; क्योंकि तू तो लड़का ही है, और वह लड़कपन ही से योद्धा है। 34 दाऊद ने शाऊल से कहा, तेरा दास अपने पिता की भेड़ बकरियां चराता था; और जब कोई सिंह वा भालू झुंड में से मेम्ना उठा ले गया, 35 तब मैं ने उसका पीछा करके उसे मारा, और मेम्ने को उसके मुंह से छुड़ाया; और जब उसने मुझ पर चढ़ाई की, तब मैं ने उसके केश को पकड़कर उसे मार डाला। 36 तेरे दास ने सिंह और भालू दोनों को मार डाला; और वह खतनारहित पलिश्ती उनके समान हो जाएगा, क्योंकि उसने जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारा है। 37 फिर दाऊद ने कहा, यहोवा जिसने मुझ सिंह और भालू दोनों के पंजे से बचाया है, वह मुझे उस पलिश्ती के हाथ से भी बचाएगा। शाऊल ने दाऊद से कहा, जा, यहोवा तेरे साथ रहे। 38 तब शाऊल ने अपने वस्त्र दाऊद को पहिनाए, और पीतल का टोप उसके सिर पर रख दिया, और झिलम उसको पहिनाया। 39 और दाऊद ने उसकी तलवार वस्त्र के ऊपर कसी, और चलने का यत्न किया; उसने तो उन को न परखा था। इसलिये दाऊद ने शाऊल से कहा, इन्हें पहिने हुए मुझ से चला नहीं जाता, क्योंकि मैं ने नहीं परखा। और दाऊद ने उन्हें उतार दिया। 40 तब उसने अपनी लाठी हाथ में ले नाले में से पांच चिकने पत्थर छांटकर अपनी चरवाही की थैली, अर्थात अपने झोले में रखे; और अपना गोफन हाथ में ले कर पलिश्ती के निकट चला। 41 और पलिश्ती चलते चलते दाऊद के निकट पहुंचने लगा, और जो जन उसकी बड़ी ढाल लिए था वह उसके आगे आगे चला। 42 जब पलिश्ती ने दृष्टि करके दाऊद को देखा, तब उसे तुच्छ जाना; क्योंकि वह लड़का ही था, और उसके मुख पर लाली झलकती थी, और वह सुन्दर था। 43 तब पलिश्ती ने दाऊद से कहा, क्या मैं कुत्ता हूं, कि तू लाठी ले कर मेरे पास आता है? तब पलिश्ती अपने देवताओं के नाम ले कर दाऊद को कोसने लगा। 44 फिर पलिश्ती ने दाऊद से कहा, मेरे पास आ, मैं तेरा मांस आकाश के पक्षियों और वनपशुओं को दे दूंगा। 45 दाऊद ने पलिश्ती से कहा, तू तो तलवार और भाला और सांग लिए हुए मेरे पास आता है; परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूं, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तू ने ललकारा है। 46 आज के दिन यहोवा तुझ को मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझ को मारूंगा, और तेरा सिर तेरे धड़ से अलग करूंगा; और मैं आज के दिन पलिश्ती सेना की लोथें आकाश के पक्षियों और पृथ्वी के जीव जन्तुओं को दे दूंगा; तब समस्त पृथ्वी के लोग जान लेंगे कि इस्राएल में एक परमेश्वर है। 47 और यह समस्त मण्डली जान लेगी की यहोवा तलवार वा भाले के द्वारा जयवन्त नहीं करता, इसलिये कि संग्राम तो यहोवा का है, और वही तुम्हें हमारे हाथ में कर देगा। 48 जब पलिश्ती उठ कर दाऊद का साम्हना करने के लिये निकट आया, तब दाऊद सेना की ओर पलिश्ती का साम्हना करने के लिये फुर्ती से दौड़ा। 49 फिर दाऊद ने अपनी थैली में हाथ डालकर उस में से एक पत्थर निकाला, और उसे गोफन में रखकर पलिश्ती के माथे पर ऐसा मारा कि पत्थर उसके माथे के भीतर घुस गया, और वह भूमि पर मुंह के बल गिर पड़ा। 50 यों दाऊद ने पलिश्ती पर गोफन और एक ही पत्थर के द्वारा प्रबल हो कर उसे मार डाला; परन्तु दाऊद के हाथ में तलवार न थी। 51 तब दाऊद दौड़कर पलिश्ती के ऊपर खड़ा हुआ, और उसकी तलवार पकड़कर मियान से खींची, और उसको घात किया, और उसका सिर उसी तलवार से काट डाला। यह देखकर कि हमारा वीर मर गया पलिश्ती भाग गए। 52 इस पर इस्राएली और यहूद पुरूष ललकार उठे, और गत और एक्रोन से फाटकों तक पलिश्तियों का पीछा करते गए, और घायल पलिश्ती शारैम के मार्ग में और गत और एक्रोन तक गिरते गए। 53 तब इस्राएली पलिश्तियों का पीछा छोड़कर लौट आए, और उनके डेरों को लूट लिया। 54 और दाऊद पलिश्ती का सिर यरूशलेम में ले गया; और उसके हथियार अपने डेरे में धर लिए॥ 55 जब शाऊल ने दाऊद को उस पलिश्ती का साम्हना करने के लिये जाते देखा, तब उसने अपने सेनापति अब्नेर से पूछा, हे अब्नेर, वह जवान किस का पुत्र है? अब्नेर ने कहा, हे राजा, तेरे जीवन की शपथ, मैं नहीं जानता। 56 राजा ने कहा, तू पूछ ले कि वह जवान किस का पुत्र है। 57 जब दाऊद पलिश्ती को मारकर लौटा, तब अब्नेर ने उसे पलिश्ती का सिर हाथ में लिए हुए शाऊल के साम्हने पहुंचाया। 58 शाऊल ने उस से पूछा, हे जवान, तू किस का पुत्र है? दाऊद ने कहा, मैं तो तेरे दास बेतलेहेमी यिशै का पुत्र हूं॥

1 शमूएल 15:28-30 28 तब शमूएल ने उस से कहा आज यहोवा ने इस्राएल के राज्य को फाड़कर तुझ से छीन लिया, और तेरे एक पड़ोसी को जो तुझ से अच्छा है दे दिया है। 29 और जो इस्राएल का बलमूल है वह न तो झूठ बोलता और न पछताता है; क्योंकि वह मनुष्य नहीं है, कि पछताए। 30 उसने कहा, मैं ने पाप तो किया है; तौभी मेरी प्रजा के पुरनियों और इस्राएल के साम्हने मेरा आदर कर, और मेरे साथ लौट, कि मैं तेरे परमेश्वर यहोवा को दण्डवत करूं।

1 शमूएल 16:17 17 शाऊल ने अपने कर्मचारियों से कहा, अच्छा, एक उत्तम बजवैया देखो, और उसे मेरे पास लाओ।