पाठ 15 : मीकायाह और सिदकिय्याह

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सारांश

मीकायाह और सिदकिय्याह यह उस समय की बात है जब आहाब इस्राएल का और यहोशापात यहूदा का राजा था। इस्राएल का अरामियों के साथ युद्ध जारी था। लेकिन अपेक (1 राजा 20:26-34) के युद्ध के बाद उनके बीच तीन वर्ष युद्ध नहीं हुआ। 3रे वर्ष में अहाब के मन में आया कि उसे अरामियों के हाथों से रामोत गिलाद को वापस ले लिया जाए जिसे उन्होंने पहले इस्राएल से हथिया लिया था। यह यरदन से 35 कि.मी पूर्व और गलील के समुद्र किन्नेरत से 22 किमी दक्षिण में स्थित गाद के गोत्रों का मुख्य शहर था। यह शरणार्थियों के शहरों में से एक था जिसे बेन्हदद ने प्रतिज्ञा के अनुसार इस्राएल को नहीं लौटाया था। अहाब ने यहोशापात से कहा कि वह अरामी राजा बेन्हदाद-2 के विरुद्ध उसके साथ हो लें। यहोशापात ने, जो एक धर्मी राजा था और परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य था, राजनैतिक कारणों से प्रस्ताव को मान लिया। लेकिन उसने सुझाव दिया कि उन्हें भविष्यद्वक्ता के द्वारा परमेश्वर से इस विषय पूछना चाहिये। अहाब के दरबार में 400 भविष्यद्वक्ताओं ने इस योजना के पक्ष में और विजय की प्रतिज्ञा के साथ समर्थन किया। उन भविष्यद्वक्ताओं को परमेश्वर के सच्चे वचन को प्राप्त करने या उससे संबंधित होने की कोई चिंता नहीं थी। इनका उद्देश्य यही था कि राजा को वही सलाह दी जाए जो वह सुनना चाहता है। इससे वह प्रसन्न होता था और उन्हें इनाम देता था। किसी तरह उनके शब्दों ने यहोशापात को समझा दिया कि उनका मन परमेश्वर का सा न था। उसने पूछा क्या यहाँ यहोवा का और भी कोई नबी नहीं है जिससे हम पूछ लें? मैं उससे भी यही प्रश्न पूछना चाहता हूँ।" अहाब राजा ने जवाब दिया, “हाँ, यिम्ला का पुत्र मीकायाह एक पुरुष और है जिसके द्वारा हम यहोवा से पूछ सकते है। परंतु मैं उससे घृणा करता हूँ क्योंकि वह मेरे विषय कल्याण की नहीं वरन हानि ही की भविष्यद्वाणी करता है।” यहोशापात ने कहा, “राजा ऐसा न कहे।” तब इस्राएल के राजा ने एक हाकिम को बुलवाकर कहा, “जल्दी से मीकायाह को बुला ला।” मीकायाह एक निडर भविष्यद्वक्ता था जिससे अहाब उसके अस्वीकार्य संदेशों के कारण घृणा करता था। राजा आहाब और राजा यहोशापात अपने राजवस्त्र पहने हुए शमरोन के फाटक में खुले स्थान में अपने अपने सिंहासन में बैठे थे। अहाब के सभी भविष्यद्वक्ता उनके सामने भविष्यद्वाणी कर रहे थे। उनमें से एक कनाना के पुत्र सिदकियाह ने लोहे के सींग बनाकर कहा, “यहोवा यों कहता है, इनसे तू अरामियों को मारते मारते नष्ट कर डालेगा।” बाकी सब नबियों ने इस बात से सहमत होकर कहा, “हाँ, गिलाद के रामोत पर चढ़ाई कर और तू कृतार्थ हो, क्योंकि यहोवा उसे राजा के हाथ में कर देगा!” इसी बीच जो दूत मीकायाह को बुलाने गया था उसने उससे कहा, “सुन, भविष्यद्वक्ता एक मुँह से राजा के विषय शुभ वचन कहते हैं तो तेरी बातें उनकी सी हों; तू भी शुभ वचन कहना।” मीकायाह ने कहा, “यहोवा के जीवन की शपथ जो कुछ यहोवा मुझसे कहे, वही मैं कहूंगा।” जब वह राजा के पास आया, तब राजा ने उससे पूछा, “हे मीकायाह! क्या हम गिलाद के रामोत से युद्ध करने के लिये चढ़ाई करें या रूके रहें? उसने उसको उत्तर दिया, “हाँ चढ़ाई कर और तू कृतार्थ हो और यहोवा उसको राजा के हाथ में कर दे।” यह बात उसने राजा से व्यंग्यात्मक भाव में कहा। अहाब इसे समझ गया और उसने मीकायाह को सच कहने की शपथ दिया। तब भविष्यद्वक्ता ने एक दर्शन बताया जिसमें इस्राएल को भटका हुआ बताया क्योंकि उनका कोई चरवाहा नहीं था। और इस दर्शन के द्वारा उसने यह बताया कि अहाब मारा जाएगा और उसकी सेना तितर-बितर हो जाएगी। अहाब ने इस चेतावनी पर प्रतिक्रिया किया परंतु वह इसे गंभीरता से लेने के लिये इच्छुक नहीं था। मीकायाह ने आगे बताया कि परमेश्वर ने उसे क्या दिखाया था। उसने आगे कहा, “इस कारण तू यहोवा का यह वचन सुन। ‘मुझे सिंहासन पर विराजमान यहोवा और उसके दाएँ बाएँ खड़ी हुई स्वर्ग की समस्त सेना दिखाई दी है। तब यहोवा ने पूछा, अहाब को कौन ऐसा बहकाएगा कि वह गिलाद के रामोत पर चढ़ाई करके खेत आए? तब किसी ने कुछ और किसी ने कुछ कहा। अंत में एक आत्मा पास आकर यहोवा के सम्मुख खड़ी हुई और कहने लगी, मैं उसको बहकाऊँगी: यहोवा ने पूछा, “किस उपाय से?” उसने कहा, मैं जाकर उसके सब भविष्यद्वक्ताओं में पैठकर उसने झूठ बुलवाऊँगी।’ यहोवा ने कहा, तेरा उसको बहकाना सफल होगा, जाकर ऐसा ही कर।” तो अब तुम यहोवा ने तेरे उन सब भविष्यद्वक्ताओं के मुँह में एक झूठ बोलनेवाली आत्मा पैठाई है, और यहोवा ने तेरे विषय हानि की बात कही हैं। क्योंकि उसने तेरा विनाश करना निश्चित किया है।” जाहिर है कि यहोवा ने एक “झूठ बोलनेवाली आत्मा (अर्थात दुष्ट आत्मा) को 400 भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बोलने की अनुमति दिया था ताकि उसका उद्देश्य पूरा हो सके। अन्य लोगों के समान सिदकिय्याह ने निश्चित रूप से मीकायाह का संदेश समझ लिया। यह समझते ही कि वह और उसके भविष्यद्वक्ताओं पर झूठ बोलने का आरोप लगा है, उसने मीकायाह के गाल पर थप्पड़ मारा और पूछा, “यहोवा का आत्मा मुझे छोड़कर तुझ से बातें करने को किधर गया?” गाल पर तमाचा बड़ा अपमान था। मीकायाह ने कहा सिदकिय्याह सत्य को तब जानेगा जब वे अहाब की मृत्यु के बाद गुप्त स्थान में छिपेंगे। इस्राएल के गुस्साए राजा ने आज्ञा दिया कि मीकायाह को बंदीगृह में डाला जाए और उसे दुख की रोटी और पानी दिया करो जब तक मैं रामोत गिलाद से शांति से न लौट जाऊँ। मीकायाह ने उत्तर दिया, “यदि तू कभी कुशल से लौटे तो जान कि यहोवा ने मेरे द्वारा नहीं कहा।” तब उसने वहाँ खड़े लेागो से कहा, “हे लोगों सुन लो मैंने क्या कहा!” अहाब ने युद्ध पर जाने से पहले स्वयं को छद्म बनाने की सोचा। उसने सोचा कि इस तरह वह मीका की भविष्यद्वाणी से बच जाएगा। दूसरी ओर युद्ध के लिये यहोशापात ने राजा के वस्त्र पहने और स्वयं को खतरे में डाल दिया। इस प्रकार अहाब ने प्रभु को और अरामी राजा को मूर्ख बनाने का प्रयास किया, परंतु “परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है वही काटेगा” (गलातियों 6:7)। अहाब युद्ध में मारा गया, परंतु यहोशापात बचाया गया। मीकायाह इसलिये बंदीगृह में पाया गया क्योंकि उसने परमेश्वर के वचन का विश्वासयोग्यता के साथ प्रचार किया था। सच्चे गवाहों को प्रभु को लिये क्लेश उठाने के लिये तैयार रहना होगा। मीकायाह को जब गाल पर थप्पड़ मारा तो उसने वापस नहीं मारा। उसी प्रकार यीशु मसीह ने स्वयँ को नम्रता से उसे समर्पित किया जिसने धार्मिकता से न्याय किया। यहाँ तक कि यहूदा का धर्मी और नम्र हृदयी राजा भी उसकी गलत संगति के कारण परमेश्वर के सच्चे भविष्यद्वक्ता के क्लेश का मूक गवाह बना रहा। सिदकिय्याह 400 भविष्यद्वक्ताओं का अगुवा था। वह ऐसी सब बातें कहने के लिये तत्पर रहता था जो राजा के कानों को मधुर लगती थी। हम उसे खुले आम थप्पड़ मारने की क्रिया द्वारा अपनी भविष्यद्वाणी को वैध ठहराने का प्रयास करते हुए देखते हैं। सच्चे भविष्यद्वक्ता को मुँह पर थप्पड़ मारने के द्वारा वास्तव में उसने अपनी मुसीबतें बढ़ा लिया था। जब अहाब मारा गया तब झूठे भविष्यद्वक्ता डर से भाग गए। आज हमारे बीच में भी झूठे शिक्षक पए जाते हैं। वे गुप्त रीति से झूठी शिक्षा देते हैं, यहाँ तक कि वे सर्वसामर्थी परमेश्वर का भी इन्कार करते और अपने आप पर तत्काल विनाश को आमंत्रित करते हैं। (2 पतरस 2:1)

बाइबल अध्यन

1 राजा अध्याय 22 1 और तीन वर्ष तक अरामी और इस्राएली बिना युद्ध रहे। 2 तीसरे वर्ष में यहूदा का राजा यहोशापात इस्राएल के राजा के पास गया। 3 तब इस्राएल के राजा ने अपने कर्मचारियों से कहा, क्या तुम को मालूम है, कि गिलाद का रामोत हमारा है? फिर हम क्यों चुपचाप रहते और उसे अराम के राजा के हाथ से क्यों नहीं छीन लेते हैं? 4 और उसने यहोशापात से पूछा, क्या तू मेरे संग गिलाद के रामोत से लड़ने के लिये जाएगा? यहोशापात ने इस्राएल के राजा को उत्तर दिया, जैसा तू है वैसा मैं भी हूँ। जैसी तेरी प्रजा है वैसी ही मेरी भी प्रजा है, और जैसे तेरे घोड़े हैं वैसे ही मेरे भी घोड़े हैं। 5 फिर यहोशापात ने इस्राएल के राजा से कहा, 6 कि आज यहोवा की इच्छा मालूम कर ले, तब इस्राएल के राजा ने नबियों को जो कोई चार सौ पुरुष थे इकट्ठा करके उन से पूछा, क्या मैं गिलाद के रामोत से युद्ध करने के लिये चढ़ाई करूं, वा रुका रहूं? उन्होंने उत्तर दिया, चढ़ाई कर: क्योंकि प्रभु उसको राजा के हाथ में कर देगा। 7 परन्तु यहोशापात ने पूछा, क्या यहां यहोवा का और भी कोई नबी नहीं है जिस से हम पूछ लें? 8 इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, हां, यिम्ला का पुत्र मीकायाह एक पुरुष और है जिसके द्वारा हम यहोवा से पूछ सकते हैं? परन्तु मैं उस से घृणा रखता हूँ, क्योंकि वह मेरे विष्य कल्याण की नहीं वरन हानि ही की भविष्यद्वाणी करता है। 9 यहोशापात ने कहा, राजा ऐसा न कहे। तब इस्राएल के राजा ने एक हाकिम को बुलवा कर कहा, यिम्ला के पुत्र मीकायाह को फुतीं से ले आ। 10 इस्राएल का राजा और यहूदा का राजा यहोशापात, अपने अपने राजवस्त्र पहिने हुए शोमरोन के फाटक में एक खुले स्थान में अपने अपने सिंहासन पर विराजमान थे और सब भविष्यद्वक्ता उनके सम्मुख भविष्यद्वाणी कर रहे थे। 11 तब कनाना के पुत्र सिदकिय्याह ने लोहे के सींग बना कर कहा, यहोवा यों कहता है, कि इन से तू अरामियों को मारते मारते नाश कर डालेगा। 12 और सब नबियों ने इसी आशय की भविष्यद्वाणी करके कहा, गिलाद के रामोत पर चढ़ाई कर और तू कृतार्थ हो; क्योंकि यहोवा उसे राजा के हाथ में कर देगा। 13 और जो दूत मीकायाह को बुलाने गया था उसने उस से कहा, सुन, भविष्यद्वक्ता एक ही मुंह से राजा के विषय शुभ वचन कहते हैं तो तेरी बातें उनकी सी हों; तू भी शुभ वचन कहना। 14 मीकायाह ने कहा, यहोवा के जीवन की शपथ जो कुछ यहोवा मुझ से कहे, वही मैं कहूंगा। 15 जब वह राजा के पास आया, तब राजा ने उस से पूछा, हे मीकायाह! क्या हम गिलाद के रामोत से युद्ध करने के लिये चढ़ाई करें वा रुके रहें? उसने उसको उत्तर दिया हां, चढ़ाई कर और तू कृतार्थ हो; और यहोवा उसको राजा के हाथ में कर दे। 16 राजा ने उस से कहा, मुझे कितनी बार तुझे शपथ धराकर चिताना होगा, कि तू यहोवा का स्मरण करके मुझ से सच ही कह। 17 मीकायाह ने कहा मुझे समस्त इस्राएल बिना चरवाहे की भेड़ बकरियों की नाईं पहाड़ों पर ; तित्तर बित्तर देख पड़ा, और यहोवा का यह वचन आया, कि वे तो अनाथ हैं; अतएव वे अपने अपने घर कुशल क्षेम से लौट जाएं। 18 तब इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा था, कि वह मेरे विषय कल्याण की नहीं हानि ही की भविष्यद्वाणी करेगा। 19 मीकायाह ने कहा इस कारण तू यहोवा का यह वचन सुन! मुझे सिंहासन पर विराजमान यहोवा और उसके पास दाहिने बांयें खड़ी हुई स्वर्ग की समस्त सेना दिखाई दी है। 20 तब यहोवा ने पूछा, अहाब को कौन ऐसा बहकाएगा, कि वह गिलाद के रामो पर चढ़ाई करके खेत आए तब किसी ते कुछ, और किसी ने कुछ कहा। 21 निदान एक आत्मा पास आकर यहोवा के सम्मुख खड़ी हुई, और कहने लगी, मैं उसको बहकाऊंगी: यहोवा ने पूछा, किस उपाय से? 22 उसने कहा, मैं जा कर उसके सब भविष्यद्वक्ताओं में पैठकर उन से झूठ बुलवाऊंगी। यहोवा ने कहा, तेरा उसको बहकाना सफल होगा, जा कर ऐसा ही कर। 23 तो अब सुन यहोवा ने तेरे इन सब भविष्यद्वक्ताओं के मुंह में एक झूठ बोलने वाली आत्मा पैठाई है, और यहोवा ने तेरे विष्य हानि की बात कही है। 24 तब कनाना के पुत्र सिदकिय्याह ने मीकायाह के निकट जा, उसके गाल पर थपेड़ा मार कर पूछा, यहोवा का आत्मा मुझे छोड़कर तूझ से बातें करने को किधर गया? 25 मीकायाह ने कहा, जिस दिन तू छिपने के लिये कोठरी से कोठरी में भागेगा, तब तुझे बोध होगा। 26 तब इस्राएल के राजा ने कहा, मीकायाह को नगर के हाकिम आमोन और योआश राजकुमार के पास ले जा; 27 और उन से कह, राजा यों कहता है, कि इस को बन्दीगृह में डालो, और जब तक मैं कुशल से न आऊं, तब तक इसे दु:ख की रोटी और पानी दिया करो। 28 और मीकायाह ने कहा, यदि तू कभी कुशल से लौटे, तो जान कि यहोवा ने मेरे द्वारा नहीं कहा। फिर उसने कहा, हे लोगो तुम सब के सब सुन लो। 29 तब इस्राएल के राजा और यहूदा के राजा यहोशापात दोनों ने गिलाद के रामोत पर चढ़ाई की। 30 और इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, मैं तो भेष बदल कर युद्ध क्षेत्र में जाऊंगा, परन्तु तू अपने ही वस्त्र पहिने रहना। तब इस्राएल का राजा भेष बदल कर युद्ध क्षेत्र में गया। 31 और अराम के राजा ने तो अपने रथों के बत्तीसों प्रधानों को आज्ञा दी थी, कि न तो छोटे से लड़ो और न बड़े से, केवल इस्राएल के राजा से युद्ध करो। 32 तो जब रथों के प्रधानों ने यहोशापात को देखा, तब कहा, निश्चय इस्राएल का राजा वही है। और वे उसी से युद्ध करने को मुड़े; तब यहोशपात चिल्ला उठा। 33 यह देख कर कि वह इस्राएल का राजा नहीं है, रथों के प्रधान उसका पीछा छोड़ कर लौट गए। 34 तब किसी ने अटकल से एक तीर चलाया और वह इस्राएल के राजा के झिलम और निचले वस्त्र के बीच छेदकर लगा; तब उसने अपने सारथी से कहा, मैं घायल हो गया हूँ इसलिये बागडोर फेर कर मुझे सेना में से बाहर निकाल ले चल। 35 और उस दिन युद्ध बढ़ता गया और राजा अपने रथ में औरों के सहारे अरामियों के सम्मुख खड़ा रहा, और सांझ को मर गया; और उसके घाव का लोहू बह कर रथ के पौदान में भर गया। 36 सूर्य डूबते हुए सेना में यह पुकार हुई, कि हर एक अपने नगर और अपने देश को लौट जाए। 37 जब राजा मर गया, तब शोमरोन को पहुंचाया गया और शोमरोन में उसे मिट्टी दी गई। 38 और यहोवा के वचन के अनुसार जब उसका रथ शोमरोन के पोखरे में धोया गया, तब कुत्तों ने उसका लोहू चाट लिया, और वेश्याएं यहीं स्नान करती थीं। 39 अहाब के और सब काम जो उसने किए, और हाथी दांत का जो भवन उसने बनाया, और जो जो नगर उसने बसाए थे, यह सब क्या इस्राएली राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है? 40 निदान अहाब अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसका पुत्र अहज्याह उसके स्थान पर राज्य करने लगा। 41 इस्राएल के राजा अहाब के चौथे वर्ष में आसा का पुत्र यहोशापात यहूदा पर राज्य करने लगा। 42 जब यहोशापात राज्य करने लगा, तब वह पैंतीस वर्ष का था। और पचीस पर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। और उसकी माता का नाम अजूबा था, जो शिल्ही की बेटी थी। 43 और उसकी चाल सब प्रकार से उसके पिता आसा की सी थी, अर्थात जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है वही वह करता रहा, और उस से कुछ न मुड़ा। तौभी ऊंचे स्थान ढाए न गए, प्रजा के लोग ऊंचे स्थानों पर उस समय भी बलि किया करते थे और धूप भी जलाया करते थे। 44 यहोशापात ने इस्राएल के राजा से मेल किया। 45 और यहोशापात के काम और जो वीरता उसने दिखाई, और उसने जो जो लड़ाइयां कीं, यह सब क्या यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है? 46 पुरुषगामियों में से जो उसके पिता आसा के दिनों में रह गए थे, उन को उसने देश में से नाश किया। 47 उस समय एदोम में कोई राजा न था; एक नायब राजकाज का काम करता था। 48 फिर यहोशापात ने तशींश के जहाज सोना लाने के लिये ओपीर जाने को बनवा लिए, परन्तु वे एश्योनगेबेर में टूट गए, इसलिये वहां न जा सके। 49 तब अहाब के पुत्र अहज्याह ने यहोशापात से कहा, मेरे जहाजियों को अपने जहाजियों के संग, जहाजों में जाने दे, परन्तु यहोशापात ने इनकार किया। 50 निदान यहोशापात अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसको उसके पुरखाओं के साथ उसके मूलपुरुष दाऊद के नगर में मिट्टी दी गई। और उसका पुत्र यहोराम उसके स्थान पर राज्य करने लगा। 51 यहूदा के राजा यहोशापत के सत्रहवें वर्ष में अहाब का पुत्र अहज्याह शोमरोन में इस्राएल पर राज्य करने लगा और दो वर्ष तक इस्राएल पर राज्य करता रहा। 52 और उसने वह किया, जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था। और उसकी चाल उसके माता पिता, और नबात के पुत्र यारोबाम की सी थी जिसने इस्राएल से पाप करवाया था। 53 जैसे उसका पिता बाल की उपासना और उसे दण्डवत करने से इस्राएल के परमेश्वर यहोवा को क्रोधित करता रहा वैसे ही अहज्याह भी करता रहा।

2 इतिहास अध्याय 18 1 यहोशपात बड़ा धनवान और ऐश्वर्यवान हो गया; और उसने अहाब के साथ समधियाना किया। 2 कुछ वर्ष के बाद वह शोमरोन में अहाब के पास गया, तब अहाब ने उसके और उसके संगियों के लिये बहुत सी भेड़-बकरियां और गाय-बैल काटकर, उसे गिलाद के रामोत पर चढ़ाई करने को उकसाया। 3 और इस्राएल के राजा अहाब ने यहूदा के राजा यहोशापात से कहा, क्या तू मेरे साथ गिलाद के रामोत पर चढ़ाई करेगा? उसने उसे उत्तर दिया, जैसा तू वैसा मैं भी हूँ, और जैसी तेरी प्रजा, वैसी मेरी भी प्रजा है। हम लोग युद्ध में तेरा साथ देंगे। 4 फिर यहोशापात ते इस्राएल के राजा से कहा, आज यहोवा की आज्ञा ले। 5 तब इस्राएल के राजा ने नबियों को जो चार सौ पुरुष थे, इकट्ठा कर के उन से पूछा, क्या हम गिलाद के रामोत पर युद्ध करने को चढ़ाई करें, अथवा मैं रुका रहूं? उन्होंने उत्तर दिया चढ़ाई कर, क्योंकि परमेश्वर उसको राजा के हाथ कर देगा। 6 परन्तु यहोशापात ने पूछा, क्या यहां यहोवा का और भी कोई नबी नहीं है जिस से हम पूछ लें? 7 इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, हां, एक पुरुष और है, जिसके द्वारा हम यहोवा से पूछ सकते हैं; परन्तु मैं उस से घृणा करता हूँ; क्योंकि वह मेरे विष्य कभी कल्याण की नहीं, सदा हानि ही की नबूवत करता है। वह यिम्ला का पुत्र मीकायाह है। यहोशापात ने कहा, राजा ऐसा न कहे। 8 तब इस्राएल के राजा ने एक हाकिम को बुलवा कर कहा, यिम्ला के पुत्र मीकायाह को फुर्ती से ले आ। 9 इस्राएल का राजा और यहूदा का राजा यहोशापात अपने अपने राजवस्त्र पहिने हुए, अपने अपने सिंहासन पर बैठे हुए थे; वे शोमरोन के फाटक में एक खुले स्थान में बैठे थे और सब नबी उनके साम्हने नबूवत कर रहे थे। 10 तब कनाना के पुत्र सिदकिय्याह ने लोहे के सींग बनवा कर कहा, यहोवा यों कहता है, कि इन से तू अरामियों को मारते मारते नाश कर डालेगा। 11 और सब नबियों ने इसी आशय की नबूवत कर के कहा, कि गिलाद के रामोत पर चढ़ाई कर और तू कृतार्थ होवे; क्योंकि यहोवा उसे राजा के हाथ कर देगा। 12 और जो दूत मीकायाह को बुलाने गया था, उसने उस से कहा, सुन, नबी लोग एक ही मुंह से राजा के विषय शुभ वचन कहते हैं; सो तेरी बात उनकी सी हो, तू भी शुभ वचन कहना। 13 मीकायाह ने कहा, यहोवा के जीवन की सौंह, जो कुछ मेरा परमेश्वर कहे वही मैं भी कहूंगा। 14 जब वह राजा के पास आया, तब राजा ने उस से पूछा, हे मीकायाह, क्या हम गिलाद के रामोत पर युद्ध करने को चढ़ाई करें अथवा मैं रुका रहूं? उसने कहा, हां, तुम लोग चढ़ाई करो, और कृतार्थ होओ; और वे तुम्हारे हाथ में कर दिए जाएंगे। 15 राजा ने उस से कहा, मुझे कितनी बार तुझे शपथ धरा कर चिताना होगा, कि तू यहोवा का स्मरण कर के मुझ से सच ही कह। 16 मीकायाह ने कहा, मुझे सारा इस्राएल बिना चरवाहे की भेंड़-बकरियों की नाईं पहाड़ों पर तितर बितर दिखाई पड़ा, और यहोवा का वचन आया कि वे तो अनाथ हैं, इसलिये हर एक अपने अपने घर कुशल क्षेम से लौट जाएं। 17 तब इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा था, कि वह मेरे विषय कल्याण की नहीं, हानि ही की नबूवत करेगा? 18 मीकायाह ने कहा, इस कारण तुम लोग यहोवा का यह वचन सुनो: मुझे सिंहासन पर विराजमान यहोवा और उसके दाहिने बाएं खड़ी हुई स्वर्ग की सारी सेना दिखाई पड़ी। 19 तब यहोवा ने पूछा, इस्राएल के राजा अहाब को कौन ऐसा बहकाएगा, कि वह गिलाद के रामोत पर चढ़ाई कर के खेत आए, तब किसी ने कुछ और किसी ने कुछ कहा। 20 निदान एक आत्मा पास आकर यहोवा के सम्मुख खड़ी हुई, और कहने लगी, मैं उसको बहकाऊंगी। 21 यहोवा ने पूछा, किस उपाय से? उसने कहा, मैं जा कर उसके सब नबियों में पैठ के उन से झूठ बुलवाऊंगी। यहोवा ने कहा, तेरा उसको बहकाना सफल होगा, जा कर ऐसा ही कर। 22 इसलिये सुन अब यहोवा ने तेरे इन नबियों के मुंह में एक झूठ बोलने वाली आत्मा पैठाई है, और यहोवा ने तेरे विषय हानि की बात कही है। 23 तब कनाना के पुत्र सिदकिय्याह ने निकट जा, मीकायाह के गाल पर थप्पड़ मार कर पूछा, यहोवा का आत्मा मुझे छोड़ कर तुझ से बातें करने को किधर गया। 24 उसने कहा, जिस दिन तू छिपने के लिये कोठरी से कोठरी में भागेगा, तब जान लेगा। 25 इस पर इस्राएल के राजा ने कहा, कि मीकायाह को नगर के हाकिम आमोन और राजकुमार योआश के पास लौटा कर, 26 उन से कहो, राजा यों कहता है, कि इस को बन्दीगृह में डालो, और जब तक मैं कुशल से न आऊं, तब तक इसे दु:ख की रोटी और पानी दिया करो। 27 तब मीकायाह ने कहा, यदि तू कभी कुशल से लौटे, तो जान, कि यहोवा ने मेरे द्वारा नहीं कहा। फिर उसने कहा, हे लोगो, तुम सब के सब सुन लो। 28 तब इस्राएल के राजा और यहूदा के राजा यहोशापात दोनों ने गिलाद के रामोत पर चढ़ाई की। 29 और इस्राएल के राजा ने यहोशापात से कहा, मैं तो भेष बदल कर युद्ध में जाऊंगा, परन्तु तू अपने ही वस्त्र पहिने रह। इस्राएल के राजा ने भेष बदला और वे दोनों युद्ध में गए। 30 अराम के राजा ने तो अपने रथों के प्रधानों को आज्ञा दी थी, कि न तो छोटे से लड़ो और न बड़े से, केवल इस्राएल के राजा से लड़ो। 31 सो जब रथों के प्रधानों ने यहोशापात को देखा, तब कहा इस्राएल का राजा वही है, और वे उसी से लड़ने को मुड़े। इस पर यहोशापात चिल्ला उठा, तब यहोवा ने उसकी सहायता की। और परमेश्वर ने उन को उसके पास से फिर जाने की प्रेरणा की। 32 सो यह देखकर कि वह इस्राएल का राजा नहीं है, रथों के प्रधान उसका पीछा छोड़ के लौट गए। 33 तब किसी ने अटकल से एक तीर चलाया, और वह इस्राएल के राजा के झिलम और निचले वस्त्र के बीच छेद कर लगा; तब उसने अपने सारथी से कहा, मैं घायल हुआ, इसलिये लगाम फेर के मुझे सेना में से बाहर ले चल। 34 और उस दिन युद्ध बढ़ता गया और इस्राएल का राजा अपने रथ में अरामियों के सम्मुख सांझ तक खड़ा रहा, परन्तु सूर्य अस्त होते-होते वह मर गया।

1 राजा अध्याय 20:(26-34) 29 और वे सात दिन आम्हने साम्हने डेरे डाले पड़े रहे; तब सातवें दिन युद्ध छिड़ गया; और एक दिन में इस्राएलियों ने एक लाख अरामी पियादे मार डाले। 30 जो बच गए, वह अपेक को भागकर नगर में घुसे, और वहां उन बचे हुए लोगों में से सत्ताईस हजार पुरुष श्हरपनाह की दीवाल के गिरने से दब कर मर गए। बेन्हदद भी भाग गया और नगर की एक भीतरी कोठरी में गया। 31 तब उसके कर्मचारियों ने उस से कहा, सुन, हम ने तो सुना है, कि इस्राएल के घराने के राजा दयालु राजा होते हैं, इसलिये हमें कमर में टाट और सिर पर रस्सियां बान्धे हुए इस्राएल के राजा के पास जाने दे, सम्भव है कि वह तेरा प्राण बचा ले। 32 तब वे कमर में टाट और सिर पर रस्सियां बान्ध कर इस्राएल के राजा के पास जा कर कहने लगे, तेरा दास बेन्हदद तुझ से कहता है, कृपा कर के मुझे जीवित रहने दे। राजा ने उत्तर दिया, क्या वह अब तक जीवित है? वह तो मेरा भाई है। 33 उन लोगों ने इसे शुभ शकुन जानकर, फुतीं से बूझ लेने का यत्न किया कि यह उसके मन की बात है कि नहीं, और कहा, हां तेरा भाई बेन्हदद। राजा ने कहा, जा कर उसको ले आओ। तब बेन्हदद उसके पास निकल आया, और उसने उसे अपने रथ पर चढ़ा लिया। 34 तब बेन्हदद ने उस से कहा, जो नगर मेरे पिता ने तेरे पिता से ले लिए थे, उन को मैं फेर दूंगा; और जैसे मेरे पिता ने शोमरोन में अपने लिये सड़कें बनवाई, वैसे ही तू दमिश्क में सड़कें बनवाना। अहाब ने कहा, मैं इसी वाचा पर तुझे छोड़ देता हूँ, तब उसने बेन्हदद से वाचा बान्ध कर, उसे स्वतन्त्र कर दिया।

गलातियों अध्याय 6:7 7 धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।

2 पतरस अध्याय 2:1 1 और जिस प्रकार उन लोगों में झूठे भविष्यद्वक्ता थे उसी प्रकार तुम में भी झूठे उपदेशक होंगे, जो नाश करने वाले पाखण्ड का उद्घाटन छिप छिपकर करेंगे और उस स्वामी का जिस ने उन्हें मोल लिया है इन्कार करेंगे और अपने आप को शीघ्र विनाश में डाल देंगे।