पाठ 9 : शरण - नगर

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सारांश

शरण-नगर देश पर विजय प्राप्त करने के पश्चात प्रभु ने यहोशू से ‘शरण-नगर’ ठहराने के लिए कहा। इस के सम्बंध में मूसा ने निर्देश दिए गए थे। ये नगर उस व्यक्ति को सुरक्षा देने के लिए थे जिसने किसी व्यक्ति की अनिच्छापूर्वक और अनजाने में हत्या कर दी थी। वह इन शरण-नगरों को भाग सकता था। व्यवस्था के अनुसार, एक हत्यारे को मार डाला जाना था (व्यवस्था19:11,12,20,21)। इस प्रकार के सख्त नियम लोगों को पाप करने से रोकने के लिए थे। फिर भी यदि कोई मनुष्य अनजाने में किसी की हत्या कर बैठता था वह इन शरण-नगरों को भाग सकता था। अनिच्छा से की गई हत्या से क्या तात्पर्य है? मान लें कि कोई व्यक्ति अपने पड़ोसी के साथ लकड़ी काटने जंगल जाता है। और वह कुल्हाड़ी चलाता है और उसक फल निकलकर उसके पड़ोसी को लग जाता है और वह मर जाता है (व्यवस्था. 19:4,5)। यह एक अनजाने में की गई हत्या का उदाहरण है। इस स्थिति में वह हत्यारा शरण के लिए इन शरण-नगरों को भाग सकता था कि लोहू के पलटे से बचे। इस प्रकार एक निर्दोष जीवन को बचाया जा सकता था। इसके लिए छः नगर चुने गए। यह ध्यान देने योग्य है कि इन नगरों को उन नगरों में से चुना गया था जो लेवी के याजकीय गोत्र को दिए गए थे। हत्यारा निकटतम शरण-नगर को भाग सकता था, नगर के प्राचीनों से नगर फाटक पर मिल सकता था और तब तक वहाँ रह सकता था जब तक उसे दण्ड न दिया जाए या जब तक महायाजक की मृत्यु न हो जाए। मसीह हमारा शरण स्थान है जहाँ हम सुरक्षा पा सकते हैं। इन में से तीन नगर यरदन के पश्चिम की ओर थे जबकि अन्य यरदन के पूर्व में। इसका अर्थ था कि ये स्थान उस देश के किसी भी व्यक्ति की निकट पहुँच में थे, जो कि परमेश्वर के प्रबंध को दर्शाता है। जबकि केवल अनजाने में हत्या करने वाला इन नगरों में शरण पा सकता था, एक पापी के लिए मसीह यीशु में शरण तथा उद्धार पाने के लिए कोई शर्त नहीं है। इन शरण नगरों के स्थान रोचक हैं। यरदन के पश्चिम की ओर के नगर

  1. गलील में कादेश: जो कि नप्ताली के पहाड़ी प्रदेश में है। इसका अर्थ है “पवित्रता” या “पवित्र स्थान।” यह पवित्र एवं शुद्ध पवित्र उद्धारकर्ता को दर्शाता है (इब्रा. 7:26)। जैसे कि वह पवित्र है, जिन्हें वह बुलाता है उन्हें भी सम्पूर्ण जीवन में पवित्र होना चाहिए (1 पतरस 1:15)।
  2. एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में शकेम में: इसका अर्थ है “कांधे” जो बोझ उठाते हैं। मत्ती 11:28 कहता है, “हे सब थके और बोझ सेदबे लोगों, मेरे पास आओ, मैं तुम्हें विश्राम दूँगा।” वह हमारा शरण है जो हमारे सब बोझ उठाता है। 3.यहूदा के पहाड़ी क्षेत्र हेब्रोन इसका अर्थ है, “सहभागिता।” परमेश्वर और मनुष्य के साथ हमारी सहभागिता का आधार मसीह है। सच्ची सहभागिता केवल उसी के द्वारा और उसी में प्राप्त होती हैं (1 यूहन्ना 1:3)। यरदन के पूर्व में शरण-नगर
  3. रूबेन के गोत्र के मैदान में जंगल में स्थित बेसेर: इसका अर्थ है, “अपरिजेय गढ़।” भजन 61:3 और 62:6 उद्धारकर्ता के एक ‘दृढ़ गढ़’ तथा एक ‘शरण स्थान’ के रूप में चित्रित करते हैं जहाँ पर सदा के लिए शरण एवं सुरक्षा प्राप्त हो सकती है। 2.गाद के गोत्र में गिलाद का रामोत: इसका अर्थ है “साक्षी का स्थान।” प्रभु ने एक सिद्ध उदाहरण रखाः उसके शत्रु तक उसमें कोई त्रुटि नहीं पा सके। स्वर्ग ने साक्षी दी कि वह प्रिय पुत्र था जिससे परमेश्वर प्रसन्न था (लूका 3:22; मत्ती 3:17)। इसी रीति से, जो उसमें हैं उन्हें भी सत्य में जीना चाहिए (1 यूहन्ना 3:19,20) और नैतिक स्तर रखना चाहिए।
  4. मनश्शे के गोत्र में बाशान का गोलान: इसका अर्थ है, “सेवा कार्य।” मनुष्य का पुत्र अपनी सेवा-टहल कराने नहीं वरन् सेवा करने आया (मत्ती 20:28; मरकुस 10:45)। रोमियों 6:18 कहता है कि हमें ‘धार्मिकता के दास’ होना चाहिए। पौलुस अपनी समस्त पत्रियों के आरम्भ में स्वयं को ‘मसीह यीशु का दास’ कहता है। ऐतिहासिक रूप से, ये शरण-नगर एक निर्दोष व्यक्ति की रक्षा करने के लिए ठहराए गए थे। आत्मिक रीति से ये हमें अद्भुत बातें सिखाते हैं। यह उस प्रबंध को दर्शाते हैं जो परमेश्वर ने हमारे उद्धार के लिए किया है।

बाइबल अध्यन

यहोशू अध्याय 20 1 फिर यहोवा ने यहोशू से कहा, 2 इस्राएलियों से यह कह, कि मैं ने मूसा के द्वारा तुम से शरण नगरों की जो चर्चा की थी उसके अनुसार उन को ठहरा लो, 3 जिस से जो कोई भूल से बिना जाने किसी को मार डाले, वह उन में से किसी में भाग जाए; इसलिये वे नगर खून के पलटा लेने वाले से बचने के लिये तुम्हारे शरणस्थान ठहरें। 4 वह उन नगरों में से किसी को भाग जाए, और उस नगर के फाटक में से खड़ा हो कर उसके पुरनियों को अपना मुकद्दमा कह सुनाए; और वे उसको अपने नगर में अपने पास टिका लें, और उसे कोई स्थान दें, जिस में वह उनके साथ रहे। 5 और यदि खून का पलटा लेनेवाला उसका पीछा करे, तो वे यह जानकर कि उसने अपने पड़ोसी को बिना जाने, और पहिले उस से बिना बैर रखे मारा, उस खूनी को उसके हाथ में न दें। 6 और जब तक वह मण्डली के साम्हने न्याय के लिये खड़ा न हो, और जब तक उन दिनों का महायाजक न मर जाए, तब तक वह उसी नगर में रहे; उसके बाद वह खूनी अपने नगर को लौटकर जिस से वह भाग आया हो अपने घर में फिर रहने पाए। 7 और उन्होंने नप्ताली के पहाड़ी देश में गलील के केदेश को, और एप्रैम के पहाड़ी देश में शकेम को, और यहूदा के पहाड़ी देश में किर्य्यतर्बा को, (जो हेब्रोन भी कहलाता है) पवित्र ठहराया। 8 और यरीहो के पास के यरदन के पूर्व की ओर उन्होंने रूबेन के गोत्र के भाग में बसेरे को, जो जंगल में चौरस भूमि पर बसा हुआ है, और गाद के गोत्र के भाग में गिलाद के रमोत को, और मनश्शे के गोत्र के भाग में बाशान के गालान को ठहराया। 9 सारे इस्राएलियों के लिये, और उन के बीच रहने वाले परदेशियों के लिये भी, जो नगर इस मनसा से ठहराए गए कि जो कोई किसी प्राणी को भूल से मार डाले वह उन में से किसी में भाग जाए, और जब तक न्याय के लिये मण्डली के साम्हने खड़ा न हो, तब तक खून का पलटा लेनेवाला उसे मार डालने न पाए, वे यह ही हैं॥

व्यवस्थाविवरण अध्याय 19 4 और जो खूनी वहां भाग कर अपने प्राण को बचाए, वह इस प्रकार का हो; अर्थात वह किसी से बिना पहिले बैर रखे वा उसको बिना जाने बूझे मार डाला हो 5 जैसे कोई किसी के संग लकड़ी काटने को जंगल में जाए, और वृक्ष काटने को कुल्हाड़ी हाथ से उठाए, और कुल्हाड़ी बेंट से निकल कर उस भाई को ऐसी लगे कि वह मर जाए तो वह उस नगरों में से किसी में भाग कर जीवित रहे;

इब्रानियों अध्याय 7 26 सो ऐसा ही महायाजक हमारे योग्य था, जो पवित्र, और निष्कपट और निर्मल, और पापियों से अलग, और स्वर्ग से भी ऊंचा किया हुआ हो।

1 पतरस अध्याय 1 15 पर जैसा तुम्हारा बुलाने वाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चाल चलन में पवित्र बनो।

मत्ती अध्याय 11 28 हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।

1 यूहन्ना अध्याय 1 3 जो कुछ हम ने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं, इसलिये कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो; और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ, और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है।

भजन संहिता अध्याय 61 3 क्योंकि तू मेरा शरणस्थान है, और शत्रु से बचने के लिये ऊंचा गढ़ है॥

भजन संहिता अध्याय 62 6 तू राजा की आयु को बहुत बढ़ाएगा; उसके वर्ष पीढ़ी पीढ़ी के बराबर होंगे।

लूका अध्याय 3 22 और पवित्र आत्मा शारीरिक रूप में कबूतर की नाईं उस पर उतरा, और यह आकाशवाणी हुई, कि तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझ से प्रसन्न हूं॥

मत्ती अध्याय 3 17 और देखो, यह आकाशवाणी हुई, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यन्त प्रसन्न हूं॥

1 यूहन्ना अध्याय 3 19 इसी से हम जानेंगे, कि हम सत्य के हैं; और जिस बात में हमारा मन हमें दोष देगा, उसके विषय में हम उसके साम्हने अपने अपने मन को ढाढ़स दे सकेंगे। 20 क्योंकि परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है; और सब कुछ जानता है।

मत्ती अध्याय 20 28 जैसे कि मनुष्य का पुत्र, वह इसलिये नहीं आया कि उस की सेवा टहल करी जाए, परन्तु इसलिये आया कि आप सेवा टहल करे और बहुतों की छुडौती के लिये अपने प्राण दे॥

मरकुस अध्याय 10 45 क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया, कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया, कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के लिये अपना प्राण दे॥

रोमियो अध्याय 6 8 सो यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि उसके साथ जीएंगे भी।