पाठ 8 : यहोशू की लड़ाईयां

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सारांश

यहोशु की लड़ाईयाँ गिलगाल पर शिविर डालने के पश्चात, इस्त्राएलियों को एक बैरी प्रजा से शेष देश को जीतना था। समीप ही, यरीहो नगर था जो कि सबसे बड़ा और बलवान था। वास्तव में यह प्रतिज्ञात देश, कनान के लिए एक प्रवेश द्वार था। इस नगर पर पहले विजय प्राप्त करना उनमें साहस एवं हियाव उत्पन्न करना। अतः प्रभु ने स्वयं को यहोशू पर सेनाओं के यहोवा के रूप में प्रगट किया (5:13-15) और उसे आज्ञा दिया कि उन लोगों को क्या करना था। वास्तव में उस लड़ाई के लिए कोई तैयारी नहीं थी। प्रतिदिन वे लोग उस दृढ़ नगर के चारों ओर निम्नलिखित क्रम में घूमे - शूरवीर सबसे आगे, सात याजक मेढ़ों के सींग से बनी तुरहियाँ फूंकते, और वाचा का संदूक उठाए याजकगण, और तब शेष प्रजा के लोग पीछे की ओर। इस प्रकार छः दिनों तक उन्होंने दिन में एक बार उस नगर की परिक्रमा की। सातवें दिन उन्होंने उस नगर की सात बार परिक्रमा की और अंत में यहोशू ने उनसे कहा, “जय जयकार करो, क्योंकि यहोवा ने यह नगर तुम्हें दे दिया है।” जब लोगों ने जयघोष किया और याजकों ने तुरहियाँ फूंकी, शहरपनाह गिर गई। और वे लोग अपने अपने सामने सीधे नगर में चढ़ गए और उन्होंने नगर को ले लिया। प्रभु के युद्ध में तरीके एवं हथियार मनुष्य की दृष्टि में साधारण हैं। एक गद्हे के जबड़े की हड्डी, मिट्टी के पात्र, या मटके, आग की मशाल, पत्थर एवं गोफन उसके हथियार रहे हैं। यरीहो के पतन के लिए प्रभु ने तुरहियों के शब्द का और लोगों के जयजयकार का उपयोग किया। इब्रा. 11:30 कहता है, “विश्वास ही से यरीहो की शहरपनाह भी ढह गई।” परमेश्वर अपनी विजय के लिए इन साधारण साधनों का उपयोग करता है, ताकि मनुष्य अपने स्रोतों एवं शक्ति पर घमण्ड न करे। प्रभु द्वारा यह आज्ञा दी गई थी कि उस नगर की धन-सम्पत्ति को परमेश्वर के लिए अर्पित किया जाए। समस्त चांदी एवं सोने के पात्रों, कोसे एवं लोहे इत्यादि की वस्तुओं को एकत्र करने के पश्चात उस नगर को जला डालना था। उन्हें उन पात्रों को प्रभु के कोष में रखना था और उनमें से कुछ भी अपने लिए नहीं रखना था क्योंकि यह उन पर शाप लाता। इस बीच जो प्रतिज्ञा राहाब वेश्या को दी गई थी, उसे पूरा किया गया। यरीहो के लोग इस्त्राएलियों से भयभीत थे क्योंकि उन्होंने यह माना था कि प्रभु का हाथ उनके साथ था। राहाब ने यह विश्वास करते हुए कि शीघ्र ही उस नगर पर इस्त्राएलियों का अधिकार हो जाएगा, उस देश पर इस्त्राएलियों की विजय से पहले यहोशू द्वारा जासूसी के लिए भेजे गए जासूसों की सहायता की और उन्हें शरण दी। उन्हें बच निकलने देने में सहायता करने के बदले उसने उनसे एक शपथ खिलवाई कि अंततः जब वे उस देश पर विजय प्राप्त कर लेंगे तो उसे एवं उसके घराने को ‘स्मरण’ रखेंगे। यहोशू ने राहाब एवं उसके घराने को अपने साथ रहने देने के द्वारा अपनी प्रतिज्ञा को पूरा किया। इस वेश्या का छुटकारा इस तथ्य को दर्शाता है, कि एक शापित नगर में भी, एक पापी व्यक्ति परमेश्वर पर विश्वास करने के द्वारा अनुग्रह एवं उद्धार पा सकता था। ऐ नगर में इस्राएल की पराजय ऐ नगर यरीहो के पश्चिम में 16 कि.मी. की दूरी पर था। जासूसी करने के लिए यहोशू द्वारा भेजे गए लोगों ने नगर को जीतने के लिए यहोशू से केवल थोड़ी ही सेना भेजने के लिए कहा क्योंकि वह नगर छोटा था और वहाँ थोड़े लोग थे। उस नगर को जीतने के लिए भेजे गए तीन हजार पुरुषों को ऐ नगर के लोगों ने पराजित कर दिया। उनमें से छत्तीस पुरुष मारे गए। यह एक शर्मनाक पराजय थी। यहोशू एवं इस्राएल के प्राचीनों ने अपने सिर धूल डाली। यहोशू ने अपने फाड़े और यहोवा के सन्दूक के सामने मुँह के बल गिर पड़ा। प्रभु ने उनकी पराजय के कारण को प्रकट किया। ऐ नगर में पराजय का कारण: प्रभु ने यहोशू से कहा (7:13) कि उन लोगों के मध्य पाप हुआ था। उन्होंने उसकी वाचा को तोड़ा था। अतः उन्हें पवित्र किया जाना था। प्रभु ने यहोशू की सहायता किया कि उस व्यक्ति को ढूंढ निकाले जिसने स्वयं के लिए यरीहो की सम्पत्ति लेने के द्वारा इस्त्राएल पर शाप लाया था! आकान पकड़ा गया और वह धन मिल गया। उसे उसके घराने के साथ आकोर की तराई ले जाया गया। उन्हें पथरवाह किया गया और उन्हें उनकी धन-सम्पत्ति सहित जला डाला गया। वहाँ उन्होंने उसके ऊपर पत्थरों का एक ढेर खड़ा किया। उनके पवित्र किए जाने के पश्चात् इस्राएल ने ऐ नगर पर विजय प्राप्त की। अतः उन्होंने जाना कि उस देश पर विजय प्राप्त करने में पाप कैसे एक रूकावट हो सकता था। ऐ नगर पर विजय प्राप्त करने के पश्चात, परमेश्वर लोगों को अपनी व्यवस्था स्मरण दिलाना चाहता था। यहोशू ने समस्त इस्त्राएल को एकत्र किया, अनगढ़े पत्थरों से एक वेदी बनाया और बलिदान चढ़ाए। तत्पश्चात उसने परमेश्वर की व्यवस्था को विस्तारपूर्वक पढ़कर सुनाया और समस्त मण्डली की उपस्थिति में उसने उस व्यवस्था को वेदी के पत्थरों पर लिख दिया (8:30-35)। निवासियों को अधीन करने के पश्चात कनान में इस्त्राएलियों को स्थापित करना वास्तव में परमेश्वर का कार्य था। इन कनानी लोगों ने नूह एवं लूत के दिनों के समान उनके अनेक पापों द्वारा अपने आप पर परमेश्वर का शाप बुलाया था। एक दुष्ट देश पर यह प्रभु का दण्ड था। यरीहो एवं ऐ नगर में इस्त्राएल की विजय ने आसपास के छोटे राज्यों के राजाओं को आतंकित कर दिया और उन्होंने चुनौती का सामना करने का निर्णय लिया। इस्राएल के विरुद्ध पाँच राजाओं की संधि: गिबोन के निवासियों ने अपने मार डाले जाने के डर से इस्त्राएल के साथ शांति स्थापना किया। यह सुनने पर कि गिबोनियों ने इस्त्राएल के साथ संधि कर ली है, यरूशलेम के राजा अदोनी-सेदेक ने हेब्रोन, यर्मूत, लाकीश और एग्लोन के राजा दबीर को इकट्ठे करके गिबोन के साथ युद्ध किया। गिबोनियों के निवेदन पर, यहोशू और उसके साथी उनकी सहायता के लिए गए। प्रभु ने यहोशू से प्रतिज्ञा किया कि वह शत्रुओं के उसके हाथ में कर देगा। आकाश से उन पर बड़े-बड़े पत्थर बरसे और इस्राएलियों की तलवार से अधिक लोग इन ओलों के द्वारा मारे गए। अतः उन्होंने जान लिया कि स्वयं परमेश्वर उनकी ओर से लड़ा था जैसा कि उसने यरीहो एवं ऐ में भी किया था। पुनः जब यहोशू के मालूम हुआ कि कुछ शत्रु पहाड़ियों से होकर भाग रहे थे उसने परमेश्वर से प्रार्थना किया कि सूर्य थम जाए (ताकि युद्ध का दिन बड़ा होवे) और चन्द्रमा न निकले (ताकि रात्रि न हो)। प्रभु ने वैसा ही किया, पूरे एक दिन। इसने पुनः प्रमाणित किया कि प्रभु ने इस्राएल की ओर से युद्ध किया था (10:42)। अपने सारे युद्ध अभियान में वे राजाओं को पराजित कर सके। इस प्रकार पलिस्तीन का अधिकांश दक्षिणी क्षेत्र उनके द्वारा जीत लिया गया (यहोशू 10:15-43)। उत्तरी शिविरः दक्षिण में इस्त्राएलियों की जीत के समाचार के साथ, हासोर के राजा याबीन के नेतृत्व में उत्तरी राजाओं ने रथों एवं घोड़ों की एक बड़ी सेना तैयार की। उन्होंने इस शक्तिशाली सेना पर यहोशू की एक और विजय को आश्वासित किया। प्रभु द्वारा उनके हाथों में शत्रुओं को करने के पश्चात उनके घोड़े नाश किए गए और रथों को जला दिया गया। यह इसलिए किया गया कि इस्राएल अपनी बाद की लड़ाईयों में इस प्रकार के युद्ध (घोड़ों एवं रथों के) का सहारा लेने की परीक्षा में न पड़े, वरन परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर करे। इस्राएल ने अनेक और लड़ाईयाँ जीतीं और यहोशू ने सारे देश पर अधिकार किया, जैसा कि परमेश्वर ने मूसा से प्रतिज्ञा किया था, तब देश को युद्ध से शांति मिली (11:23)।

बाइबल अध्यन

यहोशू अध्याय 6 1 और यरीहो के सब फाटक इस्राएलियों के डर के मारे लगातार बन्द रहे, और कोई बाहर भीतर आने जाने नहीं पाता था। 2 फिर यहोवा ने यहोशू से कहा, सुन, मैं यरीहो को उसके राजा और शूरवीरों समेत तेरे वश में कर देता हूं। 3 सो तुम में जितने योद्धा हैं नगर को घेर लें, और उस नगर के चारों ओर एक बार घूम आएं। और छ: दिन तक ऐसा ही किया करना। 4 और सात याजक सन्दूक के आगे आगे जुबली के सात नरसिंगे लिए हुए चलें; फिर सातवें दिन तुम नगर के चारों ओर सात बार घूमना, और याजक भी नरसिंगे फूंकते चलें। 5 और जब वे जुबली के नरसिंगे देर तक फूंकते रहें, तब सब लोग नरसिंगे का शब्द सुनते ही बड़ी ध्वनि से जयजयकार करें; तब नगर की शहरपनाह नेव से गिर जाएगी, और सब लोग अपने अपने साम्हने चढ़ जाएं। 6 सो नून के पुत्र यहोशू ने याजकों को बुलवाकर कहा, वाचा के सन्दूक को उठा लो, और सात याजक यहोवा के सन्दूक के आगे आगे जुबली के सात नरसिंगे लिए चलें। 7 फिर उसने लोगों से कहा, आगे बढ़कर नगर के चारों ओर घूम आओ; और हथियारबन्द पुरूष यहोवा के सन्दूक के आगे आगे चलें। 8 और जब यहोशू ये बातें लोगों से कह चुका, तो वे सात याजक जो यहोवा के साम्हने सात नरसिंगे लिये हुए थे नरसिंगे फूंकते हुए चले, और यहोवा की वाचा का सन्दूक उनके पीछे पीछे चला। 9 और हथियारबन्द पुरूष नरसिंगे फूंकने वाले याजकों के आगे आगे चले, और पीछे वाले सन्दूक के पीछे पीछे चले, और याजक नरसिंगे फूंकते हुए चले। 10 और यहोशू ने लोगों को आज्ञा दी, कि जब तक मैं तुम्हें जयजयकार करने की आज्ञा न दूं, तब तक जयजयकार न करो, और न तुम्हारा कोई शब्द सुनने में आए, न कोई बात तुम्हारे मुंह से निकलने पाए; आज्ञा पाते ही जयजयकार करना। 11 उसने यहोवा के सन्दूक को एक बार नगर के चारों ओर घुमवाया; तब वे छावनी में आए, और रात वहीं काटी॥ 12 बिहान को यहोशू सबेरे उठा, और याजकों ने यहोवा का सन्दूक उठा लिया। 13 और उन सात याजकों ने जुबली के सात नरसिंगे लिए और यहोवा के सन्दूक के आगे आगे फूंकते हुए चले; और उनके आगे हथियारबन्द पुरूष चले, और पीछे वाले यहोवा के सन्दूक के पीछे पीछे चले, और याजक नरसिंगे फूंकते चले गए। 14 इस प्रकार वे दूसरे दिन भी एक बार नगर के चारों ओर घूमकर छावनी में लौट आए। और इसी प्रकार उन्होंने छ: दिन तक किया। 15 फिर सातवें दिन वे भोर को बड़े तड़के उठ कर उसी रीति से नगर के चारों ओर सात बार घूम आए; केवल उसी दिन वे सात बार घूमे। 16 तब सातवीं बार जब याजक नरसिंगे फूंकते थे, तब यहोशू ने लोगों से कहा, जयजयकार करो; क्योंकि यहोवा ने यह नगर तुम्हें दे दिया है। 17 और नगर और जो कुछ उस में है यहोवा के लिये अर्पण की वस्तु ठहरेगी; केवल राहाब वेश्या और जितने उसके घर में होंवे जीवित छोड़े जाएंगे, क्योंकि उसने हमारे भेजे हुए दूतों को छिपा रखा था। 18 और तुम अर्पण की हुई वस्तुओं से सावधानी से अपने आप को अलग रखो, ऐसा न हो कि अर्पण की वस्तु ठहराकर पीछे उसी अर्पण की वस्तु में से कुछ ले लो, और इस प्रकार इस्राएली छावनी को भ्रष्ट करके उसे कष्ट में डाल दो। 19 सब चांदी, सोना, और जो पात्र पीतल और लोहे के हैं, वे यहोवा के लिये पवित्र हैं, और उसी के भण्डार में रखे जाएं। 20 तब लोगों ने जयजयकार किया, और याजक नरसिंगे फूंकते रहे। और जब लोगों ने नरसिंगे का शब्द सुना तो फिर बड़ी ही ध्वनि से उन्होंने जयजयकार किया, तब शहरपनाह नेव से गिर पड़ी, और लोग अपने अपने साम्हने से उस नगर में चढ़ गए, और नगर को ले लिया। 21 और क्या पुरूष, क्या स्त्री, क्या जवान, क्या बूढ़े, वरन बैल, भेड़-बकरी, गदहे, और जितने नगर में थे, उन सभों को उन्होंने अर्पण की वस्तु जानकर तलवार से मार डाला। 22 तब यहोशू ने उन दोनों पुरूषों से जो उस देश का भेद लेने गए थे कहा, अपनी शपथ के अनुसार उस वेश्या के घर में जा कर उसको और जो उसके पास हों उन्हें भी निकाल ले आओ। 23 तब वे दोनों जवान भेदिए भीतर जा कर राहाब को, और उसके माता-पिता, भाइयों, और सब को जो उसके यहां रहते थे, वरन उसके सब कुटुम्बियों को निकाल लाए, और इस्राएल की छावनी से बाहर बैठा दिया। 24 तब उन्होंने नगर को, और जो कुछ उस में था, सब को आग लगाकर फूंक दिया; केवल चांदी, सोना, और जो पात्र पीतल और लोहे के थे, उन को उन्होंने यहोवा के भवन के भण्डार में रख दिया। 25 और यहोशू ने राहाब वेश्या और उसके पिता के घराने को, वरन उसके सब लोगों को जीवित छोड़ दिया; और आज तक उसका वंश इस्राएलियों के बीच में रहता है, क्योंकि जो दूत यहोशू ने यरीहो के भेद लेने को भेजे थे उन को उसने छिपा रखा था। 26 फिर उसी समय यहोशू ने इस्राएलियों के सम्मुख शपथ रखी, और कहा, कि जो मनुष्य उठ कर इस नगर यरीहो को फिर से बनाए वह यहोवा की ओर से शापित हो। जब वह उसकी नेव डालेगा तब तो उसका जेठा पुत्र मरेगा, और जब वह उसके फाटक लगावाएगा तब उसका छोटा पुत्र मर जाएगा। 27 और यहोवा यहोशू के संग रहा; और यहोशू की कीर्ति उस सारे देश में फैल गई॥

यहोशू अध्याय 7 1 परन्तु इस्राएलियों ने अर्पण की वस्तु के विषय में विश्वासघात किया; अर्थात यहूदा के गोत्र का आकान, जो जेरहवंशी जब्दी का पोता और कर्म्मी का पुत्र था, उसने अर्पण की वस्तुओं में से कुछ ले लिया; इस कारण यहोवा का कोप इस्राएलियों पर भड़क उठा॥ 2 और यहोशू ने यरीहो से ऐ नाम नगर के पास, जो बेतावेन से लगा हुआ बेतेल की पूर्व की ओर है, कितने पुरूषों को यह कहकर भेजा, कि जा कर देश का भेद ले आओ। और उन पुरूषों ने जा कर ऐ का भेद लिया। 3 और उन्होंने यहोशू के पास लौटकर कहा, सब लोग वहां न जाएं, कोई दो वा तीन हजार पुरूष जा कर ऐ को जीत सकते हैं; सब लोगों को वहां जाने का कष्ट न दे, क्योंकि वे लोग थोड़े ही हैं। 4 इसलिये कोई तीन हजार पुरूष वहां गए; परन्तु ऐ के रहने वालों के साम्हने से भाग आए, 5 तब ऐ के रहने वालों ने उन में से कोई छत्तीस पुरूष मार डाले, और अपने फाटक से शबारीम तक उनका पीछा करके उतराई में उन को मारते गए। तब लोगों का मन पिघलकर जल सा बन गया। 6 तब यहोशू ने अपने वस्त्र फाड़े, और वह और इस्राएली वृद्ध लोग यहोवा के सन्दूक के साम्हने मुंह के बल गिरकर पृथ्वी पर सांझ तक पड़े रहे; और उन्होंने अपने अपने सिर पर धूल डाली। 7 और यहोशू ने कहा, हाय, प्रभु यहोवा, तू अपनी इस प्रजा को यरदन पार क्यों ले आया? क्या हमें एमोरियों के वश में करके नष्ट करने के लिये ले आया है? भला होता कि हम संतोष करके यरदन के उस पार रह जाते। 8 हाय, प्रभु मैं क्या कहूं, जब इस्राएलियों ने अपने शत्रुओं को पीठ दिखाई है! 9 क्योंकि कनानी वरन इस देश के सब निवासी यह सुनकर हम को घेर लेंगे, और हमारा नाम पृथ्वी पर से मिटा डालेंगे; फिर तू अपने बड़े नाम के लिये क्या करेगा? 10 यहोवा ने यहोशू से कहा, उठ, खड़ा हो जा, तू क्यों इस भांति मुंह के बल पृथ्वी पर पड़ा है? 11 इस्राएलियों ने पाप किया है; और जो वाचा मैं ने उन से अपने साथ बन्धाई थी उसको उन्होंने तोड़ दिया है, उन्होंने अर्पण की वस्तुओं में से ले लिया, वरन चोरी भी की, और छल करके उसको अपने सामान में रख लिया है। 12 इस कारण इस्राएली अपने शत्रुओं के साम्हने खड़े नहीं रह सकते; वे अपने शत्रुओं को पीठ दिखाते हैं, इसलिये कि वे आप अर्पण की वस्तु बन गए हैं। और यदि तुम अपने मध्य में से अर्पण की वस्तु को सत्यानाश न कर डालोगे, तो मैं आगे को तुम्हारे संग नहीं रहूंगा। 13 उठ, प्रजा के लोगों को पवित्र कर, उन से कह; कि बिहान तक अपने अपने को पवित्र कर रखो; क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है, कि हे इस्राएल, तेरे मध्य में अर्पण की वस्तु है; इसलिये जब तक तू अर्पण की वस्तु को अपने मध्य में से दूर न करे तब तक तू अपने शत्रुओं के साम्हने खड़ा न रह सकेगा। 14 इसलिये बिहान को तुम गोत्र गोत्र के अनुसार समीप खड़े किए जाओगे; और जिस गोत्र को यहोवा पकड़े वह एक एक कुल करके पास आए; और जिस कुल को यहोवा पकड़े सो घराना घराना करके पास आए; फिर जिस घराने को यहोवा पकड़े वह एक एक पुरूष करके पास आए। 15 तब जो पुरूष अर्पण की वस्तु रखे हुए पकड़ा जाएगा, वह और जो कुछ उसका हो सब आग में डालकर जला दिया जाए; क्योंकि उसने यहोवा की वाचा को तोड़ा है, और इस्राएल में अनुचित कर्म किया है॥ 16 बिहान को यहोशू सवेरे उठ कर इस्राएलियों को गोत्र गोत्र करके समीप लिवा ले गया, और यहूदा का गोत्र पकड़ा गया; 17 तब उसने यहूदा के परिवार को समीप किया, और जेरहवंशियों का कुल पकड़ा गया; फिर जेरहवंशियों के घराने के एक एक पुरूष को समीप लाया, और जब्दी पकडा गया; 18 तब उसने उसके घराने के एक एक पुरूष को समीप खड़ा किया, और यहूदा गोत्र का आकान, जो जेरहवंशी जब्दी का पोता और कर्म्मी का पुत्र था, पकड़ा गया। 19 तब यहोशू आकान से कहने लगा, हे मेरे बेटे, इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का आदर कर, और उसके आगे अंगीकार कर; और जो कुछ तू ने किया है वह मुझ को बता दे, और मुझ से कुछ मत छिपा। 20 और आकान ने यहोशू को उत्तर दिया, कि सचमुच मैं ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध पाप किया है, और इस प्रकार मैं ने किया है, 21 कि जब मुझे लूट में शिनार देश का एक सुन्दर ओढ़ना, और दो सौ शेकेल चांदी, और पचास शेकेल सोने की एक ईंट देख पड़ी, तब मैं ने उनका लालच करके उन्हें रख लिया; वे मेरे डेरे के भीतर भूमि में गड़े हैं, और सब के नीचे चांदी है। 22 तब यहोशू ने दूत भेजे, और वे उस डेरे में दौड़े गए; और क्या देखा, कि वे वस्तुएं उसके डेरे में गड़ी हैं, और सब के नीचे चांदी है। 23 उन को उन्होंने डेरे में से निकाल कर यहोशू और सब इस्राएलियों के पास लाकर यहोवा के साम्हने रख दिया। 24 तब सब इस्राएलियों समेत यहोशू जेरहवंशी आकान को, और उस चांदी और ओढ़ने और सोने की ईंट को, और उसके बेटे-बेटियों को, और उसके बैलों, गदहों और भेड़-बकरियों को, और उसके डेरे को, निदान जो कुछ उसका था उन सब को आकोर नाम तराई में ले गया। 25 तब यहोशू ने उस से कहा, तू ने हमें क्यों कष्ट दिया है? आज के दिन यहोवा तुझी को कष्ट देगा। तब सब इस्राएलियों ने उसको पत्थरवाह किया; और उन को आग में डालकर जलाया, और उनके ऊपर पत्थर डाल दिए। 26 और उन्होंने उसके ऊपर पत्थरों का बड़ा ढेर लगा दिया जो आज तक बना है; तब यहोवा का भड़का हुआ कोप शान्त हो गया। इस कारण उस स्थान का नाम आज तक आ को र तराई पड़ा है॥

यहोशू अध्याय 10 1 जब यरूशलेम के राजा अदोनीसेदेक ने सुना कि यहोशू ने ऐ को ले लिया, और उसको सत्यानाश कर डाला है, और जैसा उसने यरीहो और उसके राजा से किया है, और यह भी सुना कि गिबोन के निवासियों ने इस्राएलियों से मेल किया, और उनके बीच रहने लगे हैं, 2 तब वे निपट डर गए, क्योंकि गिबोन बड़ा नगर वरन राजनगर के तुल्य और ऐ से बड़ा था, और उसके सब निवासी शूरवीर थे। 3 इसलिये यरूशलेम के राजा अदोनीसेदेक ने हेब्रोन के राजा होहाम, यर्मूत के राजा पिराम, लाकीश के राजा यापी, और एग्लोन के राजा दबीर के पास यह कहला भेजा, 4 कि मेरे पास आकर मेरी सहायता करो, और चलो हम गिबोन को मारें; क्योंकि उसने यहोशू और इस्राएलियों से मेल कर लिया है। 5 इसलिये यरूशलेम, हेब्रोन, यर्मूत, लाकीश, और एग्लोन के पांचों एमोरी राजाओं ने अपनी अपनी सारी सेना इकट्ठी करके चढ़ाई कर दी, और गिबोन के साम्हने डेरे डालकर उस से युद्ध छेड़ दिया। 6 तक गिबोन के निवासियों ने गिलगाल की छावनी में यहोशू के पास यों कहला भेजा, कि अपने दासों की ओर से तू अपना हाथ न हटाना; शीघ्र हमारे पास आकर हमें बचा ले, और हमारी सहायता कर; क्योंकि पहाड़ पर रहने वाले एमोरियों के सब राजा हमारे विरुद्ध इकट्ठे हए हैं। 7 तब यहोशू सारे योद्धाओं और सब शूरवीरों को संग ले कर गिलगाल से चल पड़ा। 8 और यहोवा ने यहोशू से कहा, उन से मत डर, क्योंकि मैं ने उन को तेरे हाथ में कर दिया है; उन में से एक पुरूष भी तेरे साम्हने टिक न सकेगा। 9 तब यहोशू रातोरात गिलगाल से जा कर एकाएक उन पर टूट पड़ा। 10 तब यहोवा ने ऐसा किया कि वे इस्राएलियों से घबरा गए, और इस्राएलियों ने गिबोन के पास उनका बड़ा संहार किया, और बेथोरान के चढ़ाव पर उनका पीछा करके अजेका और मक्केदा तक उन को मारते गए। 11 फिर जब वे इस्राएलियों के साम्हने से भागकर बेथोरोन की उतराई पर आए, तब अजेका पहुंचने तक यहोवा ने आकाश से बड़े बड़े पत्थर उन पर बरसाए, और वे मर गए; जो ओलों से मारे गए उनकी गिनती इस्राएलियों की तलवार से मारे हुओं से अधिक थी॥ 12 और उस समय, अर्थात जिस दिन यहोवा ने एमोरियों को इस्राएलियों के वश में कर दिया, उस दिन यहोशू ने यहोवा से इस्राएलियों के देखते इस प्रकार कहा, हे सूर्य, तू गिबोन पर, और हे चन्द्रमा, तू अय्यालोन की तराई के ऊपर थमा रह॥ 13 और सूर्य उस समय तक थमा रहा; और चन्द्रमा उस समय तक ठहरा रहा, जब तक उस जाति के लोगों ने अपने शत्रुओं से पलटा न लिया॥ क्या यह बात याशार नाम पुस्तक में नहीं लिखी है कि सूर्य आकाशमण्डल के बीचोबीच ठहरा रहा, और लगभग चार पहर तक न डूबा? 14 न तो उस से पहिले कोई ऐसा दिन हुआ और न उसके बाद, जिस में यहोवा ने किसी पुरूष की सुनी हो; क्योंकि यहोवा तो इस्राएल की ओर से लड़ता था॥ 15 तब यहोशू सारे इस्राएलियों समेत गिलगाल की छावनी को लौट गया॥ 16 और वे पांचों राजा भागकर मक्केदा के पास की गुफा में जा छिपे। 17 तब यहोशू को यह समाचार मिला, कि पांचों राजा मक्केदा के पास की गुफा में छिपे हुए हमें मिले हैं। 18 यहोशू ने कहा, गुफा के मुंह पर बड़े बड़े पत्थर लुढ़काकर उनकी देख भाल के लिये मनुष्यों को उसके पास बैठा दो; 19 परन्तु तुम मत ठहरो, अपने शत्रुओं का पीछा करके उन में से जो जो पिछड़ गए हैं उन को मार डालो, उन्हें अपने अपने नगर में प्रवेश करने का अवसर न दो; क्योकि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने उन को तुम्हारे हाथ में कर दिया है। 20 जब यहोशू और इस्राएली उनका संहार करके नाश कर चुके, और उन में से जो बच गए वे अपने अपने गढ़ वाले नगर में घुस गए, 21 तब सब लोग मक्केदा की छावनी को यहोशू के पास कुशल-क्षेम से लौट आए; और इस्राएलियों के विरुद्ध किसी ने जीभ तक न हिलाई। 22 तब यहोशू ने आज्ञा दी, कि गुफा का मुंह खोल कर उन पांचों राजाओं को मेरे पास निकाल ले आओ। 23 उन्होंने ऐसा ही किया, और यरूशलेम, हेब्रोन, यर्मूत, लाकीश, और एग्लोन के उन पांचों राजओं को गुफा में से उसके पास निकाल ले आए। 24 जब वे उन राजाओं को यहोशू के पास निकाल ले आए, तब यहोशू ने इस्राएल के सब पुरूषों को बुलाकर अपने साथ चलने वाले योद्धाओं के प्रधानों से कहा, निकट आकर अपने अपने पांव इन राजाओं की गर्दनों पर रखो। और उन्होंने निकट जा कर अपने अपने पांव उनकी गर्दनों पर रखे। 25 तब यहोशू ने उन से कहा, डरो मत, और न तुम्हारा मन कच्चा हो; हियाव बान्धकर दृढ़ हो; क्योंकि यहोवा तुम्हारे सब शत्रुओं से जिन से तुम लड़ने वाले हो ऐसा ही करेगा। 26 इस के बाद यहोशू ने उन को मरवा डाला, और पांच वृक्षों पर लटका दिया। और वे सांझ तक उन वृक्षों पर लटके रहे। 27 सूर्य डूबते डूबते यहोशू से आज्ञा पाकर लोगों ने उन्हें उन वृक्षों पर से उतार के उसी गुफा में जहां वे छिप गए थे डाल दिया, और उस गुफा के मुंह पर बड़े बड़े पत्थर धर दिए, वे आज तक वहीं धरे हुए हैं॥ 28 उसी दिन यहोशू ने मक्केदा को ले लिया, और उसको तलवार से मारा, और उसके राजा को सत्यानाश किया; और जितने प्राणी उस में थे उन सभों में से किसी को जीवित न छोड़ा; और जैसा उसने यरीहो के राजा के साथ किया था वैसा ही मक्केदा के राजा से भी किया॥ 29 तब यहोशू सब इस्राएलियों समेत मक्केदा से चलकर लिब्ना को गया, और लिब्ना से लड़ा। 30 और यहोवा ने उसको भी राजा समेत इस्राएलियों के हाथ मे कर दिया; और यहोशू ने उसको और उस में के सब प्राणियों को तलवार से मारा; और उस में से किसी को भी जीवित न छोड़ा; और उसके राजा से वैसा ही किया जैसा उसने यरीहो के राजा के साथ किया था॥ 31 फिर यहोशू सब इस्राएलियों समेत लिब्ना से चलकर लाकीश को गया, और उसके विरुद्ध छावनी डालकर लड़ा; 32 और यहोवा ने लाकीश को इस्राएल के हाथ में कर दिया, और दूसरे दिन उसने उसको जीत लिया; और जैसा उसने लिब्ना के सब प्राणियों को तलवार से मारा था वैसा ही उसने लाकीश से भी किया। 33 तब गेजेर का राजा होराम लाकीश की सहायता करने को चढ़ आया; और यहोशू ने प्रजा समेत उसको भी ऐसा मारा कि उसके लिये किसी को जीवित न छोड़ा॥ 34 फिर यहोशू ने सब इस्राएलियों समेत लाकीश से चलकर एग्लोन को गया; और उसके विरुद्ध छावनी डालकर युद्ध करने लगा; 35 और उसी दिन उन्होंने उसको ले लिया, और उसको तलवार से मारा; और उसी दिन जैसा उसने लाकीश के सब प्राणियों को सत्यानाश कर डाला था वैसा ही उसने एग्लोन से भी किया॥ 36 फिर यहोशू सब इस्राएलियों समेत एग्लोन से चलकर हेब्रोन को गया, और उस से लड़ने लगा; 37 और उन्होंने उसे ले लिया, और उसको और उसके राजा और सब गावों को और उन में के सब प्राणियों को तलवार से मारा; जैसा यहोशू ने एग्लोन से किया था वैसा ही उसने हेब्रोन में भी किसी को जीवित न छोड़ा; उसने उसको और उस में के सब प्राणियों को सत्यानाश कर डाला॥ 38 तब यहोशू सब इस्राएलियों समेत घूमकर दबीर को गया, और उस से लड़ने लगा; 39 और राजा समेत उसे और उसके सब गांवों को ले लिया; और उन्होंने उन को तलवार से घात किया, और जितने प्राणी उन में थे सब को सत्यानाश कर डाला; किसी को जीवित न छोड़ा, जैसा यहोशू ने हेब्रोन और लिब्ना और उसके राजा से किया था वैसा ही उसने दबीर और उसके राजा से भी किया॥ 40 इसी प्रकार यहोशू ने उस सारे देश को, अर्थात पहाड़ी देश, दक्खिन देश, नीचे के देश, और ढालू देश को, उनके सब राजाओं समेत मारा; और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार किसी को जीवित न छोड़ा, वरन जितने प्राणी थे सभों को सत्यानाश कर डाला। 41 और यहोशू ने कादेशबर्ने से ले अज्जा तक, और गिबोन तक के सारे गोशेन देश के लोगों को मारा। 42 इन सब राजाओं को उनके देशों समेत यहोशू ने एक ही समय में ले लिया, क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा इस्राएलियों की ओर से लड़ता था। 43 तब यहोशू सब इस्राएलियों समेत गिलगाल की छावनी में लौट आया॥

इब्रानियों अध्याय 11 30 विश्वास ही से यरीहो की शहरपनाह, जब सात दिन तक उसका चक्कर लगा चुके तो वह गिर पड़ी।

यहोशू अध्याय 10 15 तब यहोशू सारे इस्राएलियों समेत गिलगाल की छावनी को लौट गया॥ 16 और वे पांचों राजा भागकर मक्केदा के पास की गुफा में जा छिपे। 17 तब यहोशू को यह समाचार मिला, कि पांचों राजा मक्केदा के पास की गुफा में छिपे हुए हमें मिले हैं। 18 यहोशू ने कहा, गुफा के मुंह पर बड़े बड़े पत्थर लुढ़काकर उनकी देख भाल के लिये मनुष्यों को उसके पास बैठा दो; 19 परन्तु तुम मत ठहरो, अपने शत्रुओं का पीछा करके उन में से जो जो पिछड़ गए हैं उन को मार डालो, उन्हें अपने अपने नगर में प्रवेश करने का अवसर न दो; क्योकि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने उन को तुम्हारे हाथ में कर दिया है। 20 जब यहोशू और इस्राएली उनका संहार करके नाश कर चुके, और उन में से जो बच गए वे अपने अपने गढ़ वाले नगर में घुस गए, 21 तब सब लोग मक्केदा की छावनी को यहोशू के पास कुशल-क्षेम से लौट आए; और इस्राएलियों के विरुद्ध किसी ने जीभ तक न हिलाई। 22 तब यहोशू ने आज्ञा दी, कि गुफा का मुंह खोल कर उन पांचों राजाओं को मेरे पास निकाल ले आओ। 23 उन्होंने ऐसा ही किया, और यरूशलेम, हेब्रोन, यर्मूत, लाकीश, और एग्लोन के उन पांचों राजओं को गुफा में से उसके पास निकाल ले आए। 24 जब वे उन राजाओं को यहोशू के पास निकाल ले आए, तब यहोशू ने इस्राएल के सब पुरूषों को बुलाकर अपने साथ चलने वाले योद्धाओं के प्रधानों से कहा, निकट आकर अपने अपने पांव इन राजाओं की गर्दनों पर रखो। और उन्होंने निकट जा कर अपने अपने पांव उनकी गर्दनों पर रखे। 25 तब यहोशू ने उन से कहा, डरो मत, और न तुम्हारा मन कच्चा हो; हियाव बान्धकर दृढ़ हो; क्योंकि यहोवा तुम्हारे सब शत्रुओं से जिन से तुम लड़ने वाले हो ऐसा ही करेगा। 26 इस के बाद यहोशू ने उन को मरवा डाला, और पांच वृक्षों पर लटका दिया। और वे सांझ तक उन वृक्षों पर लटके रहे। 27 सूर्य डूबते डूबते यहोशू से आज्ञा पाकर लोगों ने उन्हें उन वृक्षों पर से उतार के उसी गुफा में जहां वे छिप गए थे डाल दिया, और उस गुफा के मुंह पर बड़े बड़े पत्थर धर दिए, वे आज तक वहीं धरे हुए हैं॥ 28 उसी दिन यहोशू ने मक्केदा को ले लिया, और उसको तलवार से मारा, और उसके राजा को सत्यानाश किया; और जितने प्राणी उस में थे उन सभों में से किसी को जीवित न छोड़ा; और जैसा उसने यरीहो के राजा के साथ किया था वैसा ही मक्केदा के राजा से भी किया॥ 29 तब यहोशू सब इस्राएलियों समेत मक्केदा से चलकर लिब्ना को गया, और लिब्ना से लड़ा। 30 और यहोवा ने उसको भी राजा समेत इस्राएलियों के हाथ मे कर दिया; और यहोशू ने उसको और उस में के सब प्राणियों को तलवार से मारा; और उस में से किसी को भी जीवित न छोड़ा; और उसके राजा से वैसा ही किया जैसा उसने यरीहो के राजा के साथ किया था॥ 31 फिर यहोशू सब इस्राएलियों समेत लिब्ना से चलकर लाकीश को गया, और उसके विरुद्ध छावनी डालकर लड़ा; 32 और यहोवा ने लाकीश को इस्राएल के हाथ में कर दिया, और दूसरे दिन उसने उसको जीत लिया; और जैसा उसने लिब्ना के सब प्राणियों को तलवार से मारा था वैसा ही उसने लाकीश से भी किया। 33 तब गेजेर का राजा होराम लाकीश की सहायता करने को चढ़ आया; और यहोशू ने प्रजा समेत उसको भी ऐसा मारा कि उसके लिये किसी को जीवित न छोड़ा॥ 34 फिर यहोशू ने सब इस्राएलियों समेत लाकीश से चलकर एग्लोन को गया; और उसके विरुद्ध छावनी डालकर युद्ध करने लगा; 35 और उसी दिन उन्होंने उसको ले लिया, और उसको तलवार से मारा; और उसी दिन जैसा उसने लाकीश के सब प्राणियों को सत्यानाश कर डाला था वैसा ही उसने एग्लोन से भी किया॥ 36 फिर यहोशू सब इस्राएलियों समेत एग्लोन से चलकर हेब्रोन को गया, और उस से लड़ने लगा; 37 और उन्होंने उसे ले लिया, और उसको और उसके राजा और सब गावों को और उन में के सब प्राणियों को तलवार से मारा; जैसा यहोशू ने एग्लोन से किया था वैसा ही उसने हेब्रोन में भी किसी को जीवित न छोड़ा; उसने उसको और उस में के सब प्राणियों को सत्यानाश कर डाला॥ 38 तब यहोशू सब इस्राएलियों समेत घूमकर दबीर को गया, और उस से लड़ने लगा; 39 और राजा समेत उसे और उसके सब गांवों को ले लिया; और उन्होंने उन को तलवार से घात किया, और जितने प्राणी उन में थे सब को सत्यानाश कर डाला; किसी को जीवित न छोड़ा, जैसा यहोशू ने हेब्रोन और लिब्ना और उसके राजा से किया था वैसा ही उसने दबीर और उसके राजा से भी किया॥ 40 इसी प्रकार यहोशू ने उस सारे देश को, अर्थात पहाड़ी देश, दक्खिन देश, नीचे के देश, और ढालू देश को, उनके सब राजाओं समेत मारा; और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार किसी को जीवित न छोड़ा, वरन जितने प्राणी थे सभों को सत्यानाश कर डाला। 41 और यहोशू ने कादेशबर्ने से ले अज्जा तक, और गिबोन तक के सारे गोशेन देश के लोगों को मारा। 42 इन सब राजाओं को उनके देशों समेत यहोशू ने एक ही समय में ले लिया, क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा इस्राएलियों की ओर से लड़ता था। 43 तब यहोशू सब इस्राएलियों समेत गिलगाल की छावनी में लौट आया॥

प्रश्न-उत्तर

प्र 1. यरीहो के गढ़ों पर इस्त्राएल ने कैसे विजय प्राप्त की ?उ 1 :परमवश्वर के कहने पर, परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार प्रतिदिन इस्राएलियों ने यरीहो के चारों ओर चक्कर काटा और सातवेँ दिन सात बार परिक्रमा की। अंत में जयजयकार का नारा लगाया और याजकों ने तुरही फूंकी शहरपनाह को गिरा दिया।
प्र 2. कनान का पहला युद्ध कौन सा था ?उ 2 :कनान का पहला युद्ध यरीहो शहर के खिलाफ था।
प्र 3. ऐ नगर में इस्त्राएली क्यों पराजित हुए ?उ.3 ऐ नगर में इस्त्राएली इसलिए पराजित हुए क्योंकि इस्राएलियों के मध्य में पाप हुआ।उन्होंने परमेश्वर की वाचा को तोड़ा। यरीहो की सम्पति आकान नमक एक व्यक्ति ने ले लिया था , इस कारण इस्राएलियों में छापा लगाया था। परमेश्वर के हुज़ूरी के बिना इस्राएली ऐ नहर से पराजित हुए।
प्र 4. उन लड़ाईयों की सूची बनाईए जिन्हे यहोशू ने इस्त्राएल के लिए लड़ा ?उ 4 : [a ] यरीहो पर विजय ,[b ]ऐ शहर पर विजय [c ]पांच राजाओं के ऊपर विजय (यरूशलेम के राजा अदोनी-सेदेक, हेब्रोन, यर्मूत,लाकीश और एग्लोन के राजा दबीर [d] हासोर के राजा याबीन और उनके साथियों पर विजय