पाठ 7 : इस्राएल कनान में

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सारांश

इस्राएल कनान में यरदन पार करना प्रतिज्ञात देश के पास पहुँचने पर इस्त्राएलियों ने तीन चुनौतियों का सामना किया - प्रवेश करना, विजय प्राप्त करना, और उस देश पर अधिकार करना। यहोशू की पुस्तक इसी विषय पर है। यहोशू इस्राएलियों को यरदन की ओर शित्तीम लाया और तब तीन दिन तक वहाँ पड़ाव डाला। इस पड़ाव डालने के तीन उद्देश्य थे।

  1. यरदन को पार करने के सम्बंध में परमेश्वर से स्पष्ट निर्देश पाना।
  2. उनके हृदयों को तैयार करना कि उन अद्भुत कार्यों की स्तुति कर समझ सकें जिनके साथ परमेश्वर उनकी अगुवाई करने जा रहा था। इसके द्वारा वे और अर्थपूर्ण तरीके से उसकी उपासना एवं भक्ति कर सकेंगे।
  3. उनके मध्य में परमेश्वर की पराक्रमी उपस्थिति के सम्बंध में उनके विश्वास को दृढ़ करना। यहोशू ने परमेश्वर के निर्देशों का अक्षरशः पालन किया। बारम्बार हम पढ़ते हैं कि “यहोवा ने यहोशू से कहा” (3:7; 4:15 इत्यादि) और यहोशू ने आज्ञापालन किया। जैसा कि गिनती 4:11 में बताया गया याजक लोग वाचा का सन्दूक लेकर आगे आगे चले (2 शमुएल 6 बताता है कि दाऊद कैसे उस सन्दूक के सम्बंध में प्रभु की आज्ञा से भटक गया और परमेश्वर के क्रोध को भड़काया)। लोग याजकों से लगभग दो हजार हाथ (1 हाथ = 1.5 फुट) की दूरी पर चल रहे थे। जब याजकों के तलवों ने यरदन नदी को स्पर्श किया, तो वह थम गई। जब याजकगण सूखी भूमि पर खड़े थे, समस्त इस्राइल सूखी भूमि पर से पार हुआ। वह सर्वसामर्थी परमेश्वर, जिसने पृथ्वी को और जो कुछ उसमें है बनाया है, आज्ञा देता है और पहाड़ियाँ, नदियाँ तथा समुद्र उसकी आज्ञा मानते हैं। वह समस्त पृथ्वी का स्वामी है (यहोशू 3ः11,13)। वर्तमान समय में, जब विज्ञान एवं तकनीक ने बड़ा विकास किया है, मनुष्य आश्चर्यकर्म पर कम विश्वास करते हैं, परंतु जो लोग सृष्टि पर परमेश्वर के प्रभुत्व को मानते हैं वे सहजता से इस तथ्य को ग्रहण कर सकते हैं कि वह निर्धारित क्रम को बदल सकता है। इस रीति से नदी को पार करना क्या अनिवार्य था?हम इस सम्ब ंध में निम्नलिखित विषयों पर विचार करेंगे।
  4. जब इस्त्राएलियों ने लाल सागर पार किया वे ऐसी समस्या का सामना कर रहे थे। वे हज़ारों पुरुष, स्त्रियाँ एवं बच्चे थे। संध्या समय नदी में अक्सर बाढ़ हुआ करती थी। स्थानीय परिवहन माध्यम पर निर्भर करना असम्भव होता। सर्वप्रथम, वे उस देश के लिए अपरिचित थे। दूसरा, इतनी बड़ी संख्या में वे लोग दिन रहते नावों में सवार हो पार नहीं कर सकते थे और न ही रात्रि से पहले अपने तम्बू खड़े कर सकते थे।
  5. उन्हें विश्वास में दृढ़ करने के लिए उनके डाँवाडोल मनों को प्रभु की महान शक्तियों को दिखाया जाता था।
  6. मूसा की मृत्यु के बाद, जिस व्यक्ति ने अब तक उनकी अगुवाई किया था, उन्हें अब यहोशू के साथ परमेश्वर के हाथ को देखता था (3:7) ताकि वे उसके नेतृत्व पर भरोसा रखें।
  7. इस आश्चर्यकर्म ने उन्हें उनके सामने की गैरयहूदी जातियों के बैर का सामना करने का साहस दिया। स्मारक पत्थरः लोग आसानी से भूल जाते हैं। एक बार जब यरदन पुनः बहने लगती यह सम्भव था कि वे उस आश्चर्यकर्म को भूल जाते जो प्रभु ने किया था। जिस रीति से प्रभु ने फसह के पर्व को स्थापित किया था, कि प्रजा को मिस्त्र से उनके छुटकारे को स्मरण दिलाए, उसने यरदन को पार करने के लिए एक स्मारक की आज्ञा दी। जिस स्थान पर याजकों के पैर दृढ़ता से जमे हुए हैं, उस स्थान से, इस्राएल के बारह गोत्रों को दर्शाते हुए, गोत्रों के चुने हुए बारह पुरुषों द्वारा बारह पत्थर लिए गए। इन पत्थरों को गिलगाल में खड़ा किया जाना था, जहाँ उन्होंने पड़ाव डाला (4:1-8)। साथ ही साथ यहोशू ने उस स्थान पर जहाँ याजक खड़े थे बारह पत्थर खड़े कर दिए (4:9)। यह सब कुछ उस समय किया गया जब याजकगण नदी के मध्य वाचा का सन्दूक लिए खड़े थे। तब लोगों ने शीघ्रता से नदी पार किया। इस स्मारक को उनके लिए चिन्ह होना था। जब उनकी सन्तान इन पत्थरों के विषय पूछती तो वे माता-पिता यरदन पर हुए उस आश्चर्यकर्म को उन्हें बताते (4:6,7)। गिलगालः इस्त्राएलियों ने यरदन से पाँच मील की दूरी पर अपना पहला शिविर खड़ा किया। यह स्थान यरीहो से दो मील की दूरी पर था, जिसे बाद में गिलगाल कहा गया। जंगल में यात्रा के समय, इस्त्राएलियों ने दो महत्वपूर्ण विधियों को पूरा नहीं किया था। प्रतिज्ञात देश पर अधिकार करने की लड़ाई में प्रवेश करने से पहले उन्हें इन विधियों को पूरा करना था। इब्राहीम की वाचा के अनुसार, खतना वह चिन्ह था जिसने परमेश्वर की प्रजा को अन्यजातियों से पृथक किया था। जो लोग चालीस वर्ष की यात्रा के समय जन्मे थे उनका खतना नहीं हुआ था। इसे, प्रभु ने ‘मिस्त्र में हुए अपमान’ कहा (5:9)। प्रभु ने यहोशू को आज्ञा दिया कि इस्त्राएल की सन्तान का खतना करे और उसने किया। “आज मैंने मिस्त्र में हुए तुम्हारे अपमान को दूर कर दिया है” प्रभु ने कहा और उस स्थान का नाम गिलगाल पड़ा। फसह एक और अवसर था जिन्हें उन्होंने अड़तीस वर्षों से अनदेखा किया था। उनकी यात्रा के दूसरे वर्ष के पहले महीने में उन्होंने सीनै के जंगल में फसह मनाया था। अब जबकि उन्होंने प्रभु की वाचा (खतना) का पालन किया था तो इस पर्व को मनाने के लिए स्वतंत्र थे और उन्होंने गिलगाल में उनके पड़ाव के चैथे दिन इसे मनाया। आत्मिक शिक्षाएंः इन महान घटनाओं का जिन्हें इन इस्राएलियों ने अनुभव किया, विश्वासियों के जीवनों से गहरा सम्बंध है।
  8. फसहः लहू द्वारा छुटकारा। यह कलवरी पर लोहू बहाए जाने और विश्वास द्वारा प्राप्त उद्धार को दर्शाता है (निर्गमन 12, 1 कुरिं. 5:7)।
  9. मिस्र की शत्रुता: यह एक विश्वासी के प्रति इस संसार के बैर को दर्शाता है। लाल सागर को पार करना एक विश्वासी का इस संसार से और इसकी रीतियों से अलगाव की साक्षी देता है।
  10. मारा, एलिम में जो कुछ हुआ, अमालेकियों के साथ लड़ाई में, इन सब को विश्वासियों के जीवन के प्रभाव में देखा जा सकता है।
  11. यरदन नदी को पार करने के पश्चात अन्यजातियों पर विजय की एक विश्वासी के नए जन्म के पश्चात उस विजयी जीवन के साथ तुलना की जा सकती है।
  12. गिलगाल पर के स्मारक पत्थर मसीह में दण्ड से उस छुटकारे को दर्शाते हैं जिनको एक विश्वासी प्राप्त करता है। यरदन के मध्य के पत्थर, मसीह के दुखभोग के प्रतिरूप हैं, जिसने दण्ड के शाप को अपने ऊपर ले लिया, ताकि हम उद्धार पाएं (भजन 42:7)।

बाइबल अध्यन

यहोशू अध्याय 3 1 बिहान को यहोशू सबेरे उठा, और सब इस्राएलियों को साथ ले शित्तीम से कूच कर यरदन के किनारे आया; और वे पार उतरने से पहिले वहीं टिक गए। 2 और तीन दिन के बाद सरदारों ने छावनी के बीच जा कर 3 प्रजा के लोगों को यह आज्ञा दी, कि जब तुम को अपने परमेश्वर यहोवा की वाचा का सन्दूक और उसे उठाए हुए लेवीय याजक भी देख पड़ें, तब अपने स्थान से कूच करके उसके पीछे पीछे चलना, 4 परन्तु उसके और तुम्हारे बीच में दो हजार हाथ के अटकल अन्तर रहे; तुम सन्दूक के निकट न जाना। ताकि तुम देख सको, कि किस मार्ग से तुम को चलना है, क्योंकि अब तक तुम इस मार्ग पर हो कर नहीं चले। 5 फिर यहोशू ने प्रजा के लोगों से कहा, तुम अपने आप को पवित्र करो; क्योंकि कल के दिन यहोवा तुम्हारे मध्य में आश्चर्यकर्म करेगा। 6 तब यहोशू ने याजकों से कहा, वाचा का सन्दूक उठा कर प्रजा के आगे आगे चलो। तब वे वाचा का सन्दूक उठा कर आगे आगे चले। 7 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, आज के दिन से मैं सब इस्राएलियों के सम्मुख तेरी प्रशंसा करना आरम्भ करूंगा, जिस से वे जान लें कि जैसे मैं मूसा के संग रहता था वैसे ही मैं तेरे संग भी हूं। 8 और तू वाचा के सन्दूक के उठाने वाले याजकों को यह आज्ञा दे, कि जब तुम यरदन के जल के किनारे पहुंचो, तब यरदन में खड़े रहना॥ 9 तब यहोशू ने इस्राएलियों से कहा, कि पास आकर अपने परमेश्वर यहोवा के वचन सुनो। 10 और यहोशू कहने लगा, कि इस से तुम जान लोगे कि जीवित ईश्वर तुम्हारे मध्य में है, और वह तुम्हारे सामहने से नि:सन्देह कनानियों, हित्तियों, हिव्वियों, परिज्जियों, गिर्गाशियों, एमोरियों, और यबूसियों को उनके देश में से निकाल देगा। 11 सुनो, पृथ्वी भर के प्रभु की वाचा का सन्दूक तुम्हारे आगे आगे यरदन में जाने पर है। 12 इसलिये अब इस्राएल के गोत्रों में से बारह पुरूषों को चुन लो, वे एक एक गोत्र में से एक पुरूष हो। 13 और जिस समय पृथ्वी भर के प्रभु यहोवा की वाचा का सन्दूक उठाने वाले याजकों के पांव यरदन के जल में पड़ेंगे, उस समय यरदन का ऊपर से बहता हुआ जल थम जाएगा, और ढेर हो कर ठहरा रहेगा। 14 सो जब प्रजा के लोगों ने अपने डेरों से यरदन पार जाने को कूच किया, और याजक वाचा का सन्दूक उठाए हुए प्रजा के आगे आगे चले, 15 और सन्दूक के उठाने वाले यरदन पर पहुंचे, और सन्दूक के उठाने वाले याजकों के पांव यरदन के तीर के जल में डूब गए (यरदन का जल तो कटनी के समय के सब दिन कड़ारों के ऊपर ऊपर बहा करता है), 16 तब जो जल ऊपर की ओर से बहा आता था वह बहुत दूर, अर्थात आदाम नगर के पास जो सारतान के निकट है रूककर एक ढेर हो गया, और दीवार सा उठा रहा, और जो जल अराबा का ताल, जो खारा ताल भी कहलाता है, उसकी ओर बहा जाता था, वह पूरी रीति से सूख गया; और प्रजा के लाग यरीहो के साम्हने पार उतर गए। 17 और याजक यहोवा की वाचा का सन्दूक उठाए हुए यरदन के बीचोंबीच पहुंचकर स्थल पर स्थिर खड़े रहे, और सब इस्राएली स्थल ही स्थल पार उतरते रहे, निदान उस सारी जाति के लोग यरदन पार हो गए॥

यहोशू अध्याय 4 1 जब उस सारी जाति के लोग यरदन के पार उतर चुके, तब यहोवा ने यहोशू से कहा, 2 प्रजा में से बारह पुरूष, अर्थात गोत्र पीछे एक एक पुरूष को चुनकर यह आज्ञा दे, 3 कि तुम यरदन के बीच में, जहां याजकों ने पांव धरे थे वहां से बारह पत्थर उठा कर अपने साथ पार ले चलो, और जहां आज की रात पड़ाव होगा वहीं उन को रख देना। 4 तब यहोशू ने उन बारह पुरूषों को, जिन्हें उसने इस्राएलियों के प्रत्येक गोत्र में से छांटकर ठहरा रखा था, 5 बुलवाकर कहा, तुम अपने परमेश्वर यहोवा के सन्दूक के आगे यरदन के बीच में जा कर इस्राएलियों के गोत्रों की गिनती के अनुसार एक एक पत्थर उठा कर अपने अपने कन्धे पर रखो, 6 जिस से यह तुम लोगों के बीच चिन्हानी ठहरे, और आगे को जब तुम्हारे बेटे यह पूछें, कि इन पत्थरों का क्या मतलब है? 7 तब तुम उन्हें उत्तर दो, कि यरदन का जल यहोवा की वाचा के सन्दूक के साम्हने से दो भाग हो गया था; क्योंकि जब वह यरदन पार आ रहा था, तब यरदन का जल दो भाग हो गया। सो वे पत्थर इस्राएल को सदा के लिये स्मरण दिलाने वाले ठहरेंगे। 8 यहोशू की इस आज्ञा के अनुसार इस्राएलियों ने किया, जैसा यहोवा ने यहोशू से कहा था वैसा ही उन्होंने इस्राएलियों ने किया, जैसा यहोवा ने यहोशू से कहा था वैसा ही उन्होंने इस्राएली गोत्रों की गिनती के अनुसार बारह पत्थर यरदन के बीच में से उठा लिए; और उन को अपने साथ ले जा कर पड़ाव में रख दिया। 9 और यरदन के बीच जहां याजक वाचा के सन्दूक को उठाए हुए अपने पांव धरे थे वहां यहोशू ने बारह पत्थर खड़े कराए; वे आज तक वहीं पाए जाते हैं। 10 और याजक सन्दूक उठाए हुए उस समय तक यरदन के बीच खड़े रहे जब तक वे सब बातें पूरी न हो चुकीं, जिन्हें यहोवा ने यहोशू को लोगों से कहने की आज्ञा दी थी। तब सब लोग फुर्ती से पार उतर गए; 11 और जब सब लोग पार उतर चुके, तब याजक और यहोवा का सन्दूक भी उनके देखते पार हुए। 12 और रूबेनी, गादी, और मनश्शे के आधे गोत्र के लोग मूसा के कहने के अनुसार इस्राएलियों के आगे पांति बान्धे हुए पार गए; 13 अर्थात कोई चालीस हजार पुरूष युद्ध के हथियार बान्धे हुए संग्राम करने के लिये यहोवा के साम्हने पार उतरकर यरीहो के पास के अराबा में पहुंचे। 14 उस दिन यहोवा ने सब इस्राएलियों के साम्हने यहोशू की महिमा बढ़ाई; और जैसे वे मूसा का भय मानते थे वैसे ही यहोशू का भी भय उसके जीवन भर मानते रहे॥ 15 और यहोवा ने यहोशू से कहा, 16 कि साक्षी का सन्दूक उठाने वाले याजकों को आज्ञा दे कि यरदन में से निकल आएं। 17 तो यहोशू ने याजकों को आज्ञा दी, कि यरदन में से निकल आओ। 18 और ज्योंही यहोवा की वाचा का सन्दूक उठाने वाले याजक यरदन के बीच में से निकल आए, और उनके पांव स्थल पर पड़े, त्योंही यरदन का जल अपने स्थान पर आया, और पहिले की नाईं कड़ारो के ऊपर फिर बहने लगा। 19 पहिले महिने के दसवें दिन को प्रजा के लोगों ने यरदन में से निकलकर यरीहो के पूर्वी सिवाने पर गिलगाल में अपने डेरे डाले। 20 और जो बारह पत्थर यरदन में से निकाले गए थे, उन को यहोशू ने गिलगाल में खड़े किए। 21 तब उसने इस्राएलियों से कहा, आगे को जब तुम्हारे लड़केबाले अपने अपने पिता से यह पूछें, कि इन पत्थरों का क्या मतलब है? 22 तब तुम यह कहकर उन को बताना, कि इस्राएली यरदन के पार स्थल ही स्थल चले आए थे। 23 क्योंकि जैसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने लाल समुद्र को हमारे पार हो जाने तक हमारे साम्हने से हटाकर सुखा रखा था, वैसे ही उसने यरदन का भी जल तुम्हारे पार हो जाने तक तुम्हारे साम्हने से हटाकर सुखा रखा; 24 इसलिये कि पृथ्वी के सब देशों के लोग जान लें कि यहोवा का हाथ बलवन्त है; और तुम सर्वदा अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानते रहो॥

गिनती अध्याय 4 11 फिर वे सोने की वेदी पर एक नीला कपड़ा बिछाकर उसको सूइसों की खालों के ओहार से ढ़ांपें, और उसके डण्डों को लगा दें।

यहोशू अध्याय 3 11 सुनो, पृथ्वी भर के प्रभु की वाचा का सन्दूक तुम्हारे आगे आगे यरदन में जाने पर है। 13 और जिस समय पृथ्वी भर के प्रभु यहोवा की वाचा का सन्दूक उठाने वाले याजकों के पांव यरदन के जल में पड़ेंगे, उस समय यरदन का ऊपर से बहता हुआ जल थम जाएगा, और ढेर हो कर ठहरा रहेगा।

1 कुरिन्थियों अध्याय 5 7 पुराना खमीर निकाल कर, अपने आप को शुद्ध करो: कि नया गूंधा हुआ आटा बन जाओ; ताकि तुम अखमीरी हो, क्योंकि हमारा भी फसह जो मसीह है, बलिदान हुआ है।

भजन संहिता अध्याय 42 7 तेरी जलधाराओं का शब्द सुनकर जल, जल को पुकारता है; तेरी सारी तरंगों और लहरों में मैं डूब गया हूं।

प्रश्न-उत्तर

प्र 1. इस्राएलियों ने यरदन नदी कैसे पार की ?उ 1 :परमेश्वर के निर्देशों के अनुसार जब याजकों ने वाचा का संदूक लेकर आगे-आगे चले और जब याजकों के पैर के तलवों ने यरदन नदी को स्पर्श किया तब वो नदी थम गयी और समस्त इस्राइल सूखी भूमि पर से पार हुऐ।
प्र 2. इस आश्चर्यकर्म का स्मारक क्या था ?इस स्मारक को क्यों बनाया गया ?उ 2 :यरदन नदी का पार करने का आश्चर्यकर्म का स्मारक यह था कि 12 पत्थरों को लेकर गिलगाल में खड़ा किया। इस स्मारक को इसलिए बनाया गया कि इस्राएली कभी भी इस आश्चर्य कर्म को भूल न जायें।
प्र 3. यरदन के मध्य में खड़े किए गए पत्थर किस बात को दर्शाता है ?उ 3 :इस स्थान पर याजकों के पैर दृढ़ता से जमे हैं उस स्थान से इस्राएल के १२ गोत्रों को दर्शातें हुए 12 पत्थर लिए गये थे। यह पत्थर गिलगाल में खड़ा किया। यह मसीह में दंड से उस छुटकारे को दर्शातें हैं जिन को एक विश्वासी प्राप्त करता है।
प्र 4. गिलगाल का महत्त्व क्या है ?उ 4 : गिलगाल स्मारक का जगह है जहां इस्राएलियों ने खतना किया था जो पाप को दूर करने का निशान है।
प्र 5. यरदन को पार करने से हम कौन सी आत्मिक शिक्षाएं पा सकते है ?उ 5 : यरदन को पार करने से हमैं यह आत्मिक शिक्षायें मिलती हैं कि जिस प्रकार यरदन को पार करने के बाद अन्यजातियों पर विजय पाई उसी प्रकार एक विश्वासी नये जन्म के बाद उस विजयी जीवन के साथ खुद को तुलना कर सकता है।