पाठ 5 : यहोवा के लिए पर्व
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सारांश
यहोवा के लिए पर्व यहोवा के लिए पर्वों का महत्व यहोवा ने लोगों को पर्वों को मनाने की आज्ञा दी ताकि वे -
- एक मण्डली के रूप में एकत्र हों और यहोवा के सामने आनन्द मनाएं।
- धार्मिक मामलों में संलग्न हों।
- मन्नतें मानें और भेंटें लाएँ।
- उसके मन्दिर में परमेश्वर की महिमा को देखें और आदर एवं भक्ति से उसकी उपासना करें। सात धार्मिक पर्वों के अतिरिक्त, विभिन्न पर्वों के लिए वर्ष के नब्बे दिन नियत थे। विश्वासी के लिए, प्रत्येक दिन यहोवा के पर्व का दिन है, अतः वह निरंतर आनन्द मनाता है।
- फसह का पर्व इस्त्राएलियों के घरों के चौखटों तथा अलंगों पर एक घात किए गए मेम्ने का लोहू के कारण नाश करने वाला दूत लांघ कर चला गया था और उनके पहिलौठे जीवित छोड़ दिए गए थे, जबकि वे प्रत्येक घर जिन के चैखटों पर लोहू नहीं लगा था वे घर उनके पहिलौठों की मृत्यु द्वारा शापित हुए। उसी रात्रि इस्त्राएली बंधन से मुक्त किए गए। फिरौन ने महामारियों के होने पर भी अपने हृदय को कठोर किया और इस सबसे भयंकर दण्ड के कारण ही पछताया। मसीह हमारा फसह का मेम्ना है (1 कुरिं. 5:7)। उस पर हमारा विश्वास ही हमें स्वतंत्र करता है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि मसीह उस दिन मरा जिस दिन यहूदियों ने फसह मनाया। यह पर्व नव वर्ष के प्रथम महीने में मनाया जाना था। हमारे फसह के मेम्ने मसीह के लोहू द्वारा छुटकारा प्राप्त विश्वासी एक नए जीवन में प्रवेश करते हैं। वे शैतान के दासत्व से स्वतंत्र हैं।
- अखमीरी रोटी का पर्व
छुटकारे के फसह के पर्व के पश्चात् अखमीरी रोटी का पर्व होता है। आत्मिक विचार से ‘खमीर’ बुराई को दर्शाता है (1 कुरिं. 5:8; मत्ती 15:11-12)। हमारे सोच एवं कार्य बुराई से रंगे हैं एक विश्वासी को परमेश्वर के समक्ष पवित्र, शरीर की अशुद्धता से शुद्ध होना चाहिए (2कुरिं. 7:1; गला. 5:7-9)। एक विश्वासी के लिए निर्धारित क्रम है - पहला, छुटकारा, फिर पवित्र जीवन। इस पर्व को सप्ताह के सात दिन मनाया जाता था। यह इस बात को दर्शाता था कि सप्ताह के पूरे सात दिन हमें पवित्र जीवन जीना है। वह मन्ना जिसे इस्त्राएलियों ने 40 वर्षों तक खाया वह खमीर नहीं था। मन्ना परमेश्वर के वचन को दर्शाता है। हमें इसे पढ़ना, अध्ययन करना और उस पर मनन करना चाहिए, कि अपने जीवनों के खमीर को दूर करें। सात दिनों तक घरों में खमीरी रोटी होने पर प्रतिबंध था (निर्गमन12:15, 18-20)। हमें अपने घरों में पवित्र होना है। प्रभु यीशु का जीवन(लूका 1:52) दोषरहित था और एक पवित्र जीवन के लिए वह हमारा उदाहरण है। फसह के पर्व पर खमीर को पूरी रीति से अलग कर दिया जाता था। मसीह की मृत्यु एवं पुनरुत्थान के कारण हमने पवित्रीकरण पाया है (इब्रा10:14; 1 यूहन्ना 1:7)। - प्रथम फल का पर्व
यह पर्व अखमीरी रोटी के पर्व के सप्ताह में ही मनाया जाता था, अर्थात् सब्त के पश्चात् पहले दिन को। यह कटनी का आरम्भ होता था। कटनी के प्रथम फल पूलों के रूप में लाए जाते और याजक द्वारा यहोवा के सामने हिलाए जाते थे, जो कि यह दर्शाता था कि भूमि की उपज यहोवा की थी। यहोवा को प्रथम फल चढ़ाने के पश्चात् ही उसका उपयोग किया जा सकता था। यह पर्व मसीह के पुनरुत्थान का एक प्रतिरूप है। प्रथम फल, पुनरुत्थित, मसीह है (1 कुरिं. 15:20,23) और अब परमेश्वर के सामने ग्रहण है। लैव्य. 23:11 के अनुसार, यह पर्व सब्त के अगले दिन होता था, यह दर्शाता है कि मसीह भी सब्त (फसह) के पश्चात् अगले दिन, अर्थात् सप्ताह के प्रथम दिन जी उठा (मत्ती 28:1)। एक पूले में, असंख्य दानों की बालियाँ होती हैं। जो मसीह में मरते हैं वे उसके साथ जी भी उठेंगे (1 कुरिं. 15:20-23) और संतों की उस बड़ी भीड़ का अंग होंगे। ये तीन पर्व स्पष्ट रीति से हमारे छुटकारे के मेम्ने की मृत्यु, उसके पश्चात् जो पवित्रीकृत जीवन होना चाहिए और परमेश्वर की दृष्टि में एक विश्वासी के ग्रहण किए जाने को दर्शाते हैं।
बाइबल अध्यन
निर्गमन अध्याय 12 1 फिर यहोवा ने मिस्र देश में मूसा और हारून से कहा, 2 कि यह महीना तुम लोगों के लिये आरम्भ का ठहरे; अर्थात वर्ष का पहिला महीना यही ठहरे। 3 इस्राएल की सारी मण्डली से इस प्रकार कहो, कि इसी महीने के दसवें दिन को तुम अपने अपने पितरों के घरानों के अनुसार, घराने पीछे एक एक मेम्ना ले रखो। 4 और यदि किसी के घराने में एक मेम्ने के खाने के लिये मनुष्य कम हों, तो वह अपने सब से निकट रहने वाले पड़ोसी के साथ प्राणियों की गिनती के अनुसार एक मेम्ना ले रखे; और तुम हर एक के खाने के अनुसार मेम्ने का हिसाब करना। 5 तुम्हारा मेम्ना निर्दौष और पहिले वर्ष का नर हो, और उसे चाहे भेड़ों में से लेना चाहे बकरियों में से। 6 और इस महीने के चौदहवें दिन तक उसे रख छोड़ना, और उस दिन गोधूलि के समय इस्राएल की सारी मण्डली के लोग उसे बलि करें। 7 तब वे उसके लोहू में से कुछ ले कर जिन घरों में मेम्ने को खाएंगे उनके द्वार के दोनों अलंगोंऔर चौखट के सिरे पर लगाएं। 8 और वे उसके मांस को उसी रात आग में भूंजकर अखमीरी रोटी और कड़वे सागपात के साथ खाएं। 9 उसको सिर, पैर, और अतडिय़ों समेत आग में भूंजकर खाना, कच्चा वा जल में कुछ भी पकाकर न खाना। 10 और उस में से कुछ बिहान तक न रहने देना, और यदि कुछ बिहान तक रह भी जाए, तो उसे आग में जला देना। 11 और उसके खाने की यह विधि है; कि कमर बान्धे, पांव में जूती पहिने, और हाथ में लाठी लिए हुए उसे फुर्ती से खाना; वह तो यहोवा का पर्ब्ब होगा। 12 क्योंकि उस रात को मैं मिस्र देश के बीच में से हो कर जाऊंगा, और मिस्र देश के क्या मनुष्य क्या पशु, सब के पहिलौठों को मारूंगा; और मिस्र के सारे देवताओं को भी मैं दण्ड दूंगा; मैं तो यहोवा हूं। 13 और जिन घरों में तुम रहोगे उन पर वह लोहू तुम्हारे निमित्त चिन्ह ठहरेगा; अर्थात मैं उस लोहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊंगा, और जब मैं मिस्र देश के लोगों को मारूंगा, तब वह विपत्ति तुम पर न पड़ेगी और तुम नाश न होगे। 14 और वह दिन तुम को स्मरण दिलाने वाला ठहरेगा, और तुम उसको यहोवा के लिये पर्ब्ब करके मानना; वह दिन तुम्हारी पीढिय़ों में सदा की विधि जानकर पर्ब्ब माना जाए।
लैव्यव्यवस्था अध्याय 23 5 पहिले महीने के चौदहवें दिन को गोधूलि के समय यहोवा का फसह हुआ करे। 6 और उसी महीने के पंद्रहवें दिन को यहोवा के लिये अखमीरी रोटी का पर्ब्ब हुआ करे; उस में तुम सात दिन तक अखमीरी रोटी खाया करना। 7 उन में से पहिले दिन तुम्हारी पवित्र सभा हो; और उस दिन परिश्रम का कोई काम न करना। 8 और सातों दिन तुम यहोवा को हव्य चढ़ाया करना; और सातवें दिन पवित्र सभा हो; उस दिन परिश्रम का कोई काम न करना॥
गिनती अध्याय 28 16 फिर पहिले महीने के चौदहवें दिन को यहोवा का फसह हुआ करे। 17 और उसी महीने के पन्द्रहवें दिन को पर्ब्ब लगा करे; सात दिन तक अखमीरी रोटी खाई जाए। 18 पहिले दिन पवित्र सभा हो; और उस दिन परिश्रम का कोई काम न किया जाए; 19 उस में तुम यहोवा के लिये हव्य, अर्थात होमबलि चढ़ाना; सो दो बछड़े, एक मेढ़ा, और एक एक वर्ष के सात भेड़ के बच्चे हों; ये सब निर्दोष हों; 20 और उनका अन्नबलि तेल से सने हुए मैदे का हो; बछड़े पीछे एपा का तीन दसवां अंश और मेढ़े के सात एपा का दो दसवां अंश मैदा हो। 21 और सातों भेड़ के बच्चोंमें से प्रति एक बच्चे पीछे एपा का दसवां अंश चढ़ाना। 22 और एक बकरा भी पापबलि करके चढ़ाना, जिस से तुम्हारे लिये प्रायश्चित्त हो। 23 भोर का होमबलि जो नित्य होमबलि ठहरा है, उसके अलावा इन को चढ़ाना। 24 इस रीति से तुम उन सातों दिनों में भी हव्य का भोजन चढ़ाना, जो यहोवा को सुखदायक सुगन्ध देने के लिये हो; यह नित्य होमबलि और उसके अर्घ के अलावा चढ़ाया जाए। 25 और सातवें दिन भी तुम्हारी पवित्र सभा हो; और उस दिन परिश्रम का कोई काम न करना॥ 26 फिर पहिली उपज के दिन में, जब तुम अपने अठवारे नाम पर्ब्ब में यहोवा के लिये नया अन्नबलि चढ़ाओगे, तब भी तुम्हारी पवित्र सभा हो; और परिश्रम का कोई काम न करना। 27 और एक होमबलि चढ़ाना, जिस से यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्ध हो; अर्थात दो बछड़े, एक मेढ़ा, और एक एक वर्ष के सात भेड़ के बच्चे; 28 और उनका अन्नबलि तेल से सने हुए मैदे का हो; अर्थात बछड़े पीछे एपा का तीन दसवां अंश, और मेढ़े के संग एपा का दो दसवां अंश, 29 और सातों भेड़ के बच्चों में से एक एक बच्चे के पीछे एपा का दसवां अंश मैदा चढ़ाना। 30 और एक बकरा भी चढ़ाना, जिस से तुम्हारे लिये प्रायश्चित्त हो। 31 ये सब निर्दोष हों; और नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि और अर्घ के अलावा इस को भी चढ़ाना॥
1 कुरिन्थियों अध्याय 5 7 पुराना खमीर निकाल कर, अपने आप को शुद्ध करो: कि नया गूंधा हुआ आटा बन जाओ; ताकि तुम अखमीरी हो, क्योंकि हमारा भी फसह जो मसीह है, बलिदान हुआ है। 8 सो आओ हम उत्सव में आनन्द मनावें, न तो पुराने खमीर से और न बुराई और दुष्टता के खमीर से, परन्तु सीधाई और सच्चाई की अखमीरी रोटी से॥
मत्ती अध्याय 15 11 जो मुंह में जाता है, वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता, पर जो मुंह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। 12 तब चेलों ने आकर उस से कहा, क्या तू जानता है कि फरीसियों ने यह वचन सुनकर ठोकर खाई?
2 कुरिन्थियों अध्याय 7 1 सो हे प्यारो जब कि ये प्रतिज्ञाएं हमें मिली हैं, तो आओ, हम अपने आप को शरीर और आत्मा की सब मलिनता से शुद्ध करें, और परमेश्वर का भय रखते हुए पवित्रता को सिद्ध करें॥
गलातियों अध्याय 5 7 तुम तो भली भांति दौड रहे थे, अब किस ने तुम्हें रोक दिया, कि सत्य को न मानो। 8 ऐसी सीख तुम्हारे बुलाने वाले की ओर से नहीं। 9 थोड़ा सा खमीर सारे गूंधे हुए आटे को खमीर कर डालता है।
निर्गमन अध्याय 12 15 सात दिन तक अखमीरी रोटी खाया करना, उन में से पहिले ही दिन अपने अपने घर में से खमीर उठा डालना, वरन जो पहिले दिन से ले कर सातवें दिन तक कोई खमीरी वस्तु खाए, वह प्राणी इस्राएलियों में से नाश किया जाए।
निर्गमन अध्याय 18 20 इन्हें विधि और व्यवस्था प्रगट कर करके, जिस मार्ग पर इन्हें चलना, और जो जो काम इन्हें करना हो, वह इन को जता दिया कर।
लूका अध्याय 1 52 उस ने बलवानों को सिंहासनों से गिरा दिया; और दीनों को ऊंचा किया।
इब्रानियों अध्याय 10 14 क्योंकि उस ने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है।
1 यूहन्ना अध्याय 1 7 पर यदि जैसा वह ज्योति में है, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं; और उसके पुत्र यीशु का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है।
1 कुरिन्थियों अध्याय 15 20 परन्तु सचमुच मसीह मुर्दों में से जी उठा है, और जो सो गए हैं, उन में पहिला फल हुआ। 21 क्योंकि जब मनुष्य के द्वारा मृत्यु आई; तो मनुष्य ही के द्वारा मरे हुओं का पुनरुत्थान भी आया। 22 और जैसे आदम में सब मरते हैं, वैसा ही मसीह में सब जिलाए जाएंगे। 23 परन्तु हर एक अपनी अपनी बारी से; पहिला फल मसीह; फिर मसीह के आने पर उसके लोग।
मत्ती अध्याय 28 1 सब्त के दिन के बाद सप्ताह के पहिले दिन पह फटते ही मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम कब्र को देखने आईं।
प्रश्न-उत्तर
प्र 1. पर्वों को ठहराए जाने का उदेश्य क्या था ?
उ 1 : पर्वों को ठहराये जाने के उदेश्य निम्न हैं [a ] एक मण्डली के रूप में एकता हो और यहोवा के सामने आनंद मनायें। [b ] धार्मिक मामलों में संलंग्न हो। [c ]मन्नतें मांगे और भेंट लाए। [d ] परमेश्वर की अंदिर में परमेश्वर की महिमा को देखें और आदर-भक्ति से परमेश्वर की उपासना करें।प्र 2. यहोवा के सात पर्वों को बताइए ?
उ 2 :यहोवा के साथ पर्वों के नाम हैं : [a ] फसह का पर्व [b ]अखमीरी रोटी का पर्व[c ]प्रथम फल का पर्व [d ]सप्ताहों का पर्व [e ]नरसिंगों का पर्व [f ]झोंपड़ियों का पर्व [g ]सब्त का पर्व।प्र 3. फसह के पर्व से हम कौन सी शिक्षाएँ पाते है ?
उ 3 : फसह के पर्व से हम ने यह शिक्षायें पाईं कि मेम्ने के लोहू को जिस घर पर लगाया था उस घर के लोग मौत से बच गये और जिन्होने अपने घरोँ पर लहू नहीं लगाया था उन घरों के पहिलौठे के मृत्यु के द्वारा वे श्रापित हुए। मसीह हमारा फसह का मेम्ना है और उस पर हमारा विश्वास हि हमें स्वतंत्र करता है।प्र 4. हमें अखमीरी रोटी का पर्व ( आत्मिक रीति से ) कैसे मनाना चाहिए ?
उ 4 : मसीह हमारा फसह का मेम्ना है और मसीह के लोहू के द्वारा छुटकारा प्राप्त विश्वासी एक नऐ जीवन में प्रवेश करतें हैं। वे शैतान के दास्तव से स्वतन्त्र हैं।प्र 5. ' मसीह प्रथम फल है ,' समझाइए ?
उ 5 :प्रथम फल का पर्व मसीह के पुनरुत्थान मसीह है और अब परमेश्वर के सामने ग्रहण है।