पाठ 4 : लेवीय बलिदान ( क्रमागत )
Media
Content not prepared yet or Work in Progress.
Content not prepared yet or Work in Progress.
Content not prepared yet or Work in Progress.
Content not prepared yet or Work in Progress.
सारांश
लेवीय बलिदान (क्रमागत)
- पापबलि यह परमेश्वर द्वारा पापों की क्षमा के लिए ठहराई गई थी जिसके द्वारा मनुष्य एक दोषरहित विवेक के साथ जी सके। पाप का दण्ड मृत्यु है। परंतु एक पशु की बलि को ठहराया। मनुष्य के अनन्त उद्धार के लिए बलिदान के मेम्ने के रूप में परमेश्वर अपने एकलौते पुत्र को देने से नहीं हिचकिचाया, क्योंकि लोहू बहाए बिना पाप का प्रायश्चित नहीं है (इब्रा 9:22)। इस सिद्ध बलिदान के हमेशा के लिए चढ़ाए जाने के साथ अब किसी बलिदान की आवश्यकता नहीं रही है (इब्रा. 10:17,18)। पापबलि के सम्बंध में, परमेश्वर ने बलि चढ़ाए जाने वाले चार प्रकार के पशुओं के साथ इस्त्राएलियों को चार वर्गों में रखा। अ. याजक को एक दोषरहित बैल चढ़ाना था (लैव्य. 4:3)। ब. मण्डली को एक दोषरहित बछड़ा चढ़ाना था (लैव्य. 4:13)। क. अगुवे को एक दोषरहित बकरा चढ़ाना था (लैव्य. 4:22)। ड. साधारण व्यक्ति के एक दोषरहित बकरी चढ़ाना था (लैव्य. 4:27)। पाप की गंभीरता प्रत्येक व्यक्ति या समूह के दायित्व या पद पर निर्भर थी। मत्ती 11:20-24 में यीशु ने कहा कि न्याय के दिन सूर और सैदा की स्थिति ‘स्वर्ग में महिमान्वित’ नगर, कफरनहूम से बेहतर होंगी। शिक्षकों, प्रचारकों तथा अगुवों को सामान्य विश्वासियों से बढ़कर लेखा देना होगा (याकूब 3:1)। बलिदान की विधि और उसका महत्व
- बलिदान के लिए एक दोषरहित पशु लाया जाता है। इसी रीति से, यीशु मसीह, एक निर्दोष ने स्वयं को पापी मनुष्य के लिए बलिदान दिया।
- बलिदान चढ़ानेवाला अपने हाथ को बलिदान चढ़ाए जा रहे पशु के सिर पर रखता है कि स्वयं को उसके साथ एक करे, इस प्रकार अपने पाप को उस पशु पर स्थानांतरित करे। मसीह ने हमारे पापों को उसके अपने शरीर में क्रूस पर उठा लिया (1 पतरस 2:24)। यूहन्ना बपतिस्मादाता ने कहा, “देखो, परमेश्वर का मेम्ना जो जगत का पाप उठा ले जाता है” (यूहन्ना 1:29)।
- बलिदान चढ़ानेवाला उस पशु को घात करके उसका लहू बहाता है। परमेश्वर उस पशु की मृत्यु को उस बलि चढ़ानेवाले की मृत्यु के रूप में स्वीकार करता है।
- याजक उस लोहू को यहोवा के सामने पर्दे के सामने छिड़कता है, कुछ को वेदी के सींगों पर लगाता है,और शेष के वेदी के आधार पर उण्डेल देता है, इस प्रकार अपने पाप का प्रायश्चित करता है। क्रूस पर बहाए गए लोहू के द्वारा, मसीह हमारे पापों के लिए एक प्रायश्चित बना (रोमियों 3:25)।
- पशु की समस्त चरबी को जला दिया जाता है। संसार के पापों के विरूद्ध परमेश्वर का क्रोध क्रूस पर अग्नि के समान भड़का मसीह एक होमबलि के समान चढ़ाया गया था और उसका बलिदान परमेश्वर के सम्मुख एक सुखदायक सुगंध था। इस प्रकार किए गए पाप के प्रायश्चित के साथ, बलि चढ़ानेवाला शांति के साथ घर लौट सकता हैः परंतु इन बलिदानों को पाप किए जाने पर दोहराया जाना या एक वर्ष से कम से कम एक बार किया जाना होना था, क्योंकि बलि चढ़ाए जाने वाला पशु अनंत उद्धार नहीं दे सकता था। यह तब प्राप्त हुआ जब यीशु ने एक बार और हमेशा के लिए एक सिद्ध बलिदान के रूप में अपना जीवन दिया। जो उस पर मात्र विश्वास करता है वह पापों की क्षमा पाता है। 2.दोषबलि जबकि पापबलि मनुष्य के लिए उसके पाप से छुटकारा पाने के लिए थी, दोषबलि परमेश्वर या संगी भाई को पहुँचाई गई चोट, हानि या क्षति के लिए थी। यहाँ मुख्य बात पापी मनुष्य नहीं परंतु उसके ‘पाप’ हैं। अ. परमेश्वर के विरुद्ध अपराध: यह परमेश्वर की आज्ञाओं को तोड़ने तथा जाने-अनजाने में यहोवा के तम्बू के पवित्र पात्रों को दुरुपयोग से सम्बंधित है (लैव्य. 5:14,17)। ब. मनुष्य के विरुद्ध अपराध: पड़ोसी के विरूद्ध पाँच अपराधों का उल्लेख किया गया है (लैव्य. 6:2)।
- पड़ोसी की धरोहर पर अधिकार करना।
- मित्र को धोखा देना।
- बलपूर्वक एक मित्र की सम्पत्ति ले लेना।
- अपने मित्र से झूठ बोलना।
- किसी खोई हुई वस्तु को पाकर उसके विषय में झूठ बोलना और उसे न लौटाना। किसी की सम्पत्ति या अधिकार को बलपूर्वक ले लेने जैसा अपराध परमेश्वर के विरूद्ध पाप है (रोमियों 14:7; 1 कुरिं. 6:9-10)। परमेश्वर या मनुष्य के विरूद्ध चाहे जो भी अपराध किया गया हो, दोषबलि को चढ़ाया जाना होता था। इस बलिदान के कुछ महत्वपूर्ण आयाम हैंः
- जिसने पाप किया हो और उसका दोष सहना होगा (लैव्य. 5:17)।
- एक मेढ़ें की मृत्यु के द्वारा उस पापी मनुष्य के लिए याजक द्वारा प्रायश्चित करना होगा।
- उस पापी का दोष इस रीति से क्षमा किया जाएगा (5:16,18)।
- उसे अपनी गलतियों के लिए क्षतिपूर्ति करना होगा (5:15)।
- बलपूर्वक लिए गए धन सम्पत्ति को 1ध्5 अतिरिक्त मूल्य के साथ याजक को लौटाना होगा (5:16)। भजन 69:4 में लिखा है, “जो मैंने चुराया नहीं, वह भी मुझे भरना पड़ता है।” यह मसीह के विषय नबूवत है, उसने न केवल उसकी फिरौती दिया जो पाप के द्वारा खो गया था (अर्थात् अनंत जीवन) परंतु उसने विश्वासियों को अपने अनुग्रह का एक अतिरिक्त हिस्सा भी दिया। यद्यपि मसीह पर विश्वास करने के द्वारा पापों की क्षमा दी जाती है, विश्वासियों के लिए यह अपरिहार्य है कि उन्होंने अपने पाप के कारण यदि किसी की कोई हानि की हो तो उसकी भी क्षतिपूर्ति करे।
- अन्य बलिदान 1.अभिषेक के बलिदान (लैव्य. 8) हारून और उसके पुत्रों की याजकीय सेवा के अभिषेक के लिए मण्डली द्वारा बलि चढ़ाई गई।
- अग्नि द्वारा बलि (गिनती 28:3,4) दो मेम्नों की बलि, एक भोर को और एक सन्ध्या को, परमेश्वर के लिए सुखदायक सुगंध के रूप में होमबलि करके चढ़ाना था।
- स्तुतिरूपी बलिदान यह मेलबलि का एक हिस्सा था। इब्रानियों 13:15 स्तुतिरूपी बलिदान के विषय बताता है जो कि हमारे होठों का फल है। यह परमेश्वर को उसके उस दान के लिए जो वर्णन से बाहर है, धन्यवाद देता है (2 कुरिं. 9:15)।
- अर्ध (गिनती 28:7) दैनिक होमबलियों तथा विशेष दिनों पर यहोवा के सम्मुख मदिरा का अर्ध उण्डेला जाता था। अर्ध को कभी अकेले नहीं चढ़ाया जाता था। मुखाग्र पदः और व्यवस्था के अनुसार प्रायः सब वस्तुएं लोहू के द्वारा शुद्ध की जाती हैं; और बिना लोहू बहाए क्षमा नहीं होती। इफिसियों 9:22
बाइबल अध्यन
लैव्यव्यवस्था अध्याय 4 1 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 2 कि इस्त्राएलियों से यह कह, कि यदि कोई मनुष्य उन कामों में से जिन को यहोवा ने मना किया है किसी काम को भूल से करके पापी हो जाए; 3 और यदि अभिषिक्त याजक ऐसा पाप करे, जिस से प्रजा दोषी ठहरे, तो अपने पाप के कारण वह एक निर्दोष बछड़ा यहोवा को पापबलि करके चढ़ाए। 4 और वह उस बछड़े को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के आगे ले जा कर उसके सिर पर हाथ रखे, और उस बछड़े को यहोवा के साम्हने बलि करे। 5 और अभिषिक्त याजक बछड़े के लोहू में से कुछ ले कर मिलापवाले तम्बू में ले जाए; 6 और याजक अपनी उंगली लोहू में डुबो डुबोकर और उस में से कुछ ले कर पवित्रस्थान के बीच वाले पर्दे के आगे यहोवा के साम्हने सात बार छिड़के। 7 और याजक उस लोहू में से कुछ और ले कर सुगन्धित धूप की वेदी के सींगो पर जो मिलापवाले तम्बू में है यहोवा के साम्हने लगाए; फिर बछड़े के सब लोहू को वेदी के पाए पर जो मिलापवाले तम्बू के द्वार पर है उंडेल दे। 8 फिर वह पापबलि के बछड़े की सब चरबी को उससे अलग करे, अर्थात जिस चरबी से अंतडिय़ां ढपी रहती हैं, और जितनी चरबी उन में लिपटी रहती है, 9 और दोनों गुर्दे और उनके ऊपर की चरबी जो कमर के पास रहती है, और गुर्दों समेत कलेजे के ऊपर की झिल्ली, इन सभों को वह ऐसे अलग करे, 10 जैसे मेलबलि वाले चढ़ावे के बछड़े से अलग किए जाते हैं, और याजक इन को होमबलि की वेदी पर जलाए। 11 और उस बछड़े की खाल, पांव, सिर, अंतडिय़ां, गोबर, 12 और सारा मांस, निदान समूचा बछड़ा छावनी से बाहर शुद्ध स्थान में, जहां राख डाली जाएगी, ले जा कर लकड़ी पर रखकर आग से जलाए; जहां राख डाली जाती है वह वहीं जलाया जाए॥ 13 और यदि इस्त्राएल की सारी मण्डली अज्ञानता के कारण पाप करे और वह बात मण्डली की आंखों से छिपी हो, और वे यहोवा की किसी आज्ञा के विरुद्ध कुछ करके दोषी ठहरें हों; 14 तो जब उनका किया हुआ पाप प्रगट हो जाए तब मण्डली एक बछड़े को पापबलि करके चढ़ाए। वह उसे मिलापवाले तम्बू के आगे ले जाए, 15 और मण्डली के वृद्ध लोग अपने अपने हाथों को यहोवा के आगे बछड़े के सिर पर रखें, और वह बछड़ा यहोवा के साम्हने बलि किया जाए। 16 और अभिषिक्त याजक बछड़े के लोहू में से कुछ मिलापवाले तम्बू में ले जाए; 17 और याजक अपनी उंगली लोहू में डुबो डुबोकर उसे बीच वाले पर्दे के आगे सात बार यहोवा के साम्हने छिड़के। 18 और उसी लोहू में से वेदी के सींगों पर जो यहोवा के आगे मिलापवाले तम्बू में है लगाए; और बचा हुआ सब लोहू होमबलि की वेदी के पाए पर जो मिलापवाले तम्बू के द्वार पर है उंडेल दे। 19 और वह बछड़े की कुल चरबी निकाल कर वेदी पर जलाए। 20 और जैसे पापबलि के बछड़े से किया था वैसे ही इस से भी करे; इस भांति याजक इस्त्राएलियों के लिये प्रायश्चित्त करे, तब उनका पाप क्षमा किया जाएगा। 21 और वह बछड़े को छावनी से बाहर ले जा कर उसी भांति जलाए जैसे पहिले बछड़े को जलाया था; यह तो मण्डली के निमित्त पापबलि ठहरेगा॥ 22 जब कोई प्रधान पुरूष पाप करके, अर्थात अपने परमेश्वर यहोवा कि किसी आज्ञा के विरुद्ध भूल से कुछ करके दोषी हो जाए, 23 और उसका पाप उस पर प्रगट हो जाए, तो वह एक निर्दोष बकरा बलिदान करने के लिये ले आए; 24 और बकरे के सिर पर अपना हाथ धरे, और बकरे को उस स्थान पर बलि करे जहां होमबलि पशु यहोवा के आगे बलि किये जाते हैं; यह तो पापबलि ठहरेगा। 25 और याजक अपनी उंगली से पापबलि पशु के लोहू में से कुछ ले कर होमबलि की वेदी के सींगों पर लगाए, और उसका लोहू होमबलि की वेदी के पाए पर उंडेल दे। 26 और वह उसकी कुल चरबी को मेलबलि की चरबी की नाईं वेदी पर जलाए; और याजक उसके पाप के विषय में प्रायश्चित्त करे, तब वह क्षमा किया जाएगा॥ 27 और यदि साधारण लोगों में से कोई अज्ञानता से पाप करे, अर्थात कोई ऐसा काम जिसे यहोवा ने मना किया हो करके दोषी हो, और उसका वह पाप उस पर प्रगट हो जाए, 28 तो वह उस पाप के कारण एक निर्दोष बकरी बलिदान के लिये ले आए; 29 और वह अपना हाथ पापबलि पशु के सिर पर रखे, और होमबलि के स्थान पर पापबलि पशु का बलिदान करे। 30 और याजक उसके लोहू में से अपनी उंगली से कुछ ले कर होमबलि की वेदी के सींगों पर लगाए, और उसके सब लोहू को उसी वेदी के पाए पर उंडेल दे। 31 और वह उसकी सब चरबी को मेलबलिपशु की चरबी की नाईं अलग करे, तब याजक उसको वेदी पर यहोवा के निमित्त सुखदायक सुगन्ध के लिये जलाए; और इस प्रकार याजक उसके लिये प्रायश्चित्त करे, तब उसे क्षमा मिलेगी॥ 32 और यदि वह पापबलि के लिये एक भेड़ी का बच्चा ले आए, तो वह निर्दोष मादा हो, 33 और वह अपना हाथ पापबलि पशु के सिर पर रखे, और उसको पापबलि के लिये वहीं बलिदान करे जहां होमबलिपशु बलि किया जाता है। 34 और याजक अपनी उंगली से पापबलि के लोहू में से कुछ ले कर होमबलि की वेदी के सींगों पर लगाए, और उसके सब लोहू को वेदी के पाए पर उंडेल दे। 35 और वह उसकी सब चरबी को मेलबलि वाले भेड़ के बच्चे की चरबी की नाईं अलग करे, और याजक उसे वेदी पर यहोवा के हवनों के ऊपर जलाए; और इस प्रकार याजक उसके पाप के लिये प्रायश्चित्त करे, और वह क्षमा किया जाएगा॥
लैव्यव्यवस्था अध्याय 6 25 हारून और उसके पुत्रों से यह कह, कि पापबलि की व्यवस्था यह है; अर्थात जिस स्थान में होमबलिपशु वध किया जाता है उसी में पापबलिपशु भी यहोवा के सम्मुख बलि किया जाए; वह परमपवित्र है। 26 और जो याजक पापबलि चढ़ावे वह उसे खाए; वह पवित्र स्थान में, अर्थात मिलापवाले तम्बू के आँगन में खाया जाए। 27 जो कुछ उसके मांस से छू जाए, वह पवित्र ठहरेगा; और यदि उसके लोहू के छींटे किसी वस्त्र पर पड़ जाएं, तो उसे किसी पवित्रस्थान में धो देना। 28 और वह मिट्टी का पात्र जिस में वह पकाया गया हो तोड़ दिया जाए; यदि वह पीतल के पात्र में सिझाया गया हो, तो वह मांजा जाए, और जल से धो लिया जाए। 29 और याजकों में से सब पुरूष उसे खा सकते हैं; वह परमपवित्र वस्तु है। 30 पर जिस पापबलिपशु के लोहू में से कुछ भी खून मिलापवाले तम्बू के भीतर पवित्रस्थान में प्रायश्चित्त करने को पहुंचाया जाए तब तो उसका मांस कभी न खाया जाए; वह आग में जला दिया जाए॥
लैव्यव्यवस्था अध्याय 5 1 और यदि कोई साक्षी हो कर ऐसा पाप करे कि शपथ खिलाकर पूछने पर भी, कि क्या तू ने यह सुना अथवा जानता है, और वह बात प्रगट न करे, तो उसको अपने अधर्म का भार उठाना पड़ेगा। 2 और यदि कोई किसी अशुद्ध वस्तु को अज्ञानता से छू ले, तो चाहे वह अशुद्ध बनैले पशु की, चाहे अशुद्ध रेंगने वाले जीव-जन्तु की लोथ हो, तो वह अशुद्ध हो कर दोषी ठहरेगा। 3 और यदि कोई मनुष्य किसी अशुद्ध वस्तु को अज्ञानता से छू ले, चाहे वह अशुद्ध वस्तु किसी भी प्रकार की क्यों न हो जिस से लोग अशुद्ध हो जाते हैं तो जब वह उस बात को जान लेगा तब वह दोषी ठहरेगा। 4 और यदि कोई बुरा वा भला करने को बिना सोचे समझे शपथ खाए, चाहे किसी प्रकार की बात वह बिना सोचे विचारे शपथ खाकर कहे, तो ऐसी बात में वह दोषी उस समय ठहरेगा जब उसे मालूम हो जाएगा। 5 और जब वह इन बातों में से किसी भी बात में दोषी हो, तब जिस विषय में उसने पाप किया हो वह उसको मान ले, 6 और वह यहोवा के साम्हने अपना दोषबलि ले आए, अर्थात उस पाप के कारण वह एक भेड़ वा बकरी पापबलि करने के लिये ले आए; तब याजक उस पाप के विषय उसके लिये प्रायश्चित्त करे। 7 और यदि उसे भेड़ वा बकरी देने की सामर्थ्य न हो, तो अपने पाप के कारण दो पंडुकी वा कबूतरी के दो बच्चे दोषबलि चढ़ाने के लिये यहोवा के पास ले आए, उन में से एक तो पापबलि के लिये और दूसरा होमबलि के लिये।
लैव्यव्यवस्था अध्याय 7 1 फिर दोषबलि की व्यवस्था यह है। वह परमपवित्र है; 2 जिस स्थान पर होमबलिपशु का वध करते हैं उसी स्थान पर दोषबलिपशु का भी बलि करें, और उसके लोहू को याजक वेदी पर चारों ओर छिड़के। 3 और वह उस में की सब चरबी को चढ़ाए, अर्थात उसकी मोटी पूंछ को, और जिस चरबी से अंतडिय़ां ढपी रहती हैं वह भी, 4 और दोनों गुर्दे और जो चरबी उनके ऊपर और कमर के पास रहती है, और गुर्दों समेत कलेजे के ऊपर की झिल्ली; इन सभों को वह अलग करे; 5 और याजक इन्हें वेदी पर यहोवा के लिये हवन करे; तब वह दोषबलि होगा। 6 याजकों में के सब पुरूष उस में से खा सकते हैं; वह किसी पवित्रस्थान में खाया जाए; क्योंकि वह परमपवित्र है। 7 जैसा पापबलि है वैसा ही दोषबलि भी है, उन दोनों की एक ही व्यवस्था है; जो याजक उन बलियों को चढ़ा के प्रायश्चित्त करे वही उन वस्तुओं को ले ले।
इब्रानियों अध्याय 9 22 और व्यवस्था के अनुसार प्राय: सब वस्तुएं लोहू के द्वारा शुद्ध की जाती हैं; और बिना लोहू बहाए क्षमा नहीं होती॥
इब्रानियों अध्याय 10 17 (फिर वह यह कहता है, कि) मैं उन के पापों को, और उन के अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूंगा। 18 और जब इन की क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा॥
लैव्यव्यवस्था अध्याय 4 3 और यदि अभिषिक्त याजक ऐसा पाप करे, जिस से प्रजा दोषी ठहरे, तो अपने पाप के कारण वह एक निर्दोष बछड़ा यहोवा को पापबलि करके चढ़ाए।
लैव्यव्यवस्था अध्याय 4 13 और यदि इस्त्राएल की सारी मण्डली अज्ञानता के कारण पाप करे और वह बात मण्डली की आंखों से छिपी हो, और वे यहोवा की किसी आज्ञा के विरुद्ध कुछ करके दोषी ठहरें हों;
लैव्यव्यवस्था अध्याय 4 22 जब कोई प्रधान पुरूष पाप करके, अर्थात अपने परमेश्वर यहोवा कि किसी आज्ञा के विरुद्ध भूल से कुछ करके दोषी हो जाए,
लैव्यव्यवस्था अध्याय 4 27 और यदि साधारण लोगों में से कोई अज्ञानता से पाप करे, अर्थात कोई ऐसा काम जिसे यहोवा ने मना किया हो करके दोषी हो, और उसका वह पाप उस पर प्रगट हो जाए,
मत्ती अध्याय 11 20 तब वह उन नगरों को उलाहना देने लगा, जिन में उस ने बहुतेरे सामर्थ के काम किए थे; क्योंकि उन्होंने अपना मन नहीं फिराया था। 21 हाय, खुराजीन; हाय, बैतसैदा; जो सामर्थ के काम तुम में किए गए, यदि वे सूर और सैदा में किए जाते, तो टाट ओढ़कर, और राख में बैठकर, वे कब के मन फिरा लेते। 22 परन्तु मैं तुम से कहता हूं; कि न्याय के दिन तुम्हारी दशा से सूर और सैदा की दशा अधिक सहने योग्य होगी। 23 और हे कफरनहूम, क्या तू स्वर्ग तक ऊंचा किया जाएगा? तू तो अधोलोक तक नीचे जाएगा; जो सामर्थ के काम तुझ में किए गए है, यदि सदोम में किए जाते, तो वह आज तक बना रहता। 24 पर मैं तुम से कहता हूं, कि न्याय के दिन तेरी दशा से सदोम के देश की दशा अधिक सहने योग्य होगी।
याकूब अध्याय 3 1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे।
1 पतरस अध्याय 2 24 वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिए हुए क्रूस पर चढ़ गया जिस से हम पापों के लिये मर कर के धामिर्कता के लिये जीवन बिताएं: उसी के मार खाने से तुम चंगे हुए।
यूहन्ना अध्याय 1 29 दूसरे दिन उस ने यीशु को अपनी ओर आते देखकर कहा, देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है, जो जगत के पाप उठा ले जाता है।
रोमियो अध्याय 3 25 उसे परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहिले किए गए, और जिन की परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता से आनाकानी की; उन के विषय में वह अपनी धामिर्कता प्रगट करे।
लैव्यव्यवस्था अध्याय 5 14 फिर यहोवा ने मूसा से कहा 17 और यदि कोई ऐसा पाप करे, कि उन कामों में से जिन्हें यहोवा ने मना किया है किसी काम को करे, तो चाहे वह उसके अनजाने में हुआ हो, तौभी वह दोषी ठहरेगा, और उसको अपने अधर्म का भार उठाना पड़ेगा।
लैव्यव्यवस्था अध्याय 6 2 यदि कोई यहोवा का विश्वासघात करके पापी ठहरे, जैसा कि धरोहर, वा लेनदेन, वा लूट के विषय में अपने भाई से छल करे, वा उस पर अन्धेर करे,
रोमियो अध्याय 14 7 क्योंकि हम में से न तो कोई अपने लिये जीता है, और न कोई अपने लिये मरता है।
1 कुरिन्थियों अध्याय 6 9 क्या तुम नहीं जानते, कि अन्यायी लोग परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे? धोखा न खाओ, न वेश्यागामी, न मूर्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न लुच्चे, न पुरूषगामी। 10 न चोर, न लोभी, न पियक्कड़, न गाली देने वाले, न अन्धेर करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस होंगे।
लैव्यव्यवस्था अध्याय 5 17 और यदि कोई ऐसा पाप करे, कि उन कामों में से जिन्हें यहोवा ने मना किया है किसी काम को करे, तो चाहे वह उसके अनजाने में हुआ हो, तौभी वह दोषी ठहरेगा, और उसको अपने अधर्म का भार उठाना पड़ेगा।
भजन संहिता अध्याय 69 4 जो अकारण मेरे बैरी हैं, वे गिनती में मेरे सिर के बालों से अधिक हैं; मेरे विनाश करने वाले जो व्यर्थ मेरे शत्रु हैं, वे सामर्थी हैं, इसलिये जो मैं ने लूटा नहीं वह भी मुझ को देना पड़ा है।
गिनती अध्याय 28 3 और तू उन से कह, कि जो जो तुम्हें यहोवा के लिये चढ़ाना होगा वे ये हैं; अर्थात नित्य होमबलि के लिये एक एक वर्ष के दो निर्दोष भेड़ी के बच्चे प्रतिदिन चढ़ाया करे। 4 एक बच्चे को भोर को और दूसरे को गोधूलि के समय चढ़ाना;
इब्रानियों अध्याय 13 15 इसलिये हम उसके द्वारा स्तुति रूपी बलिदान, अर्थात उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें।
2 कुरिन्थियों अध्याय 9 15 परमेश्वर को उसके उस दान के लिये जो वर्णन से बाहर है, धन्यवाद हो॥
गिनती अध्याय 28 7 और उसका अर्घ प्रति एक भेड़ के बच्चे के संग एक चौथाई हीन हो; मदिरा का यह अर्घ यहोवा के लिये पवित्रस्थान में देना।
प्रश्न-उत्तर
प्र 1. विभिन्न पापबलियों के नाम बताईए ?
उ 1 : विभिन्न पापबलियों के नाम है न[a ]पापबलि [b ]दोषबलि।प्र 2. पापबलि किनके लिए चढ़ाई जाती थी ?
उ 2 :पाप बलि उनके लिए चढ़ाई जाती थी जब कोई भी मनुष्य उन कामों में से जिनको यहोवा ने मना किया है, किसी काम को भूल से करके पापी हो जाये और जब अभिषिक्त याजक ऐसा पाप करे जिससे प्रजा दोषी ठहरा।प्र 3. याजक के लिए और साधारण व्यक्ति के लिए चढ़ाई जाने वाली पापबलि के मध्य क्या अंतर थे ?
उ 3 : जो पापबलि याजक के लिए चढ़ाई जातीं थीं उसमे एक दोष रहित बैल की ज़रुरत थी और जो पापबलि साधारण व्यक्ति के लिए चढ़ाई जाती थी उसमे एक दोष रहित बकरी की ज़रुरत थी।प्र 4. एक व्यक्ति के द्वारा बलिदान चढ़ाए जाने पर उस पापी तथा याजक को क्या करना होता था ?
उ 4 :बलिदान चढ़ाने वाला व्यक्ति पशु को घात करके उसका लहू बहाएगा और याजक उस लहु को यहोवा के सामने परदे के सामने छिड़कता ,कुछ वेदी के सींगों पर लगाता , और बाकी को वेदी के आधार पर उंडेल देता था।प्र 5. 'मसीह हमारा पापबलि है,' समझाईए ?
उ 5 : पाप बलि चढ़ाए जाने वाले पशु से अनंत उद्धार नहीं मिलता है। प्रभु यीशु मसीह ने रक ही बार में हमेशा की सिद्ध बलि में अपना जीवन बलिदान किया है। जो भी प्रभु यीशु मसीह पर मात्र विश्वास करता है वह पापों से क्षमा प्राप्त करता है।.प्र 6. दोषबलि को समझाईए ?
उ 6 : दोषबलि परमेश्वर यां संगी भाई को पहुंचाई गयी चोट ,हानि यां क्षति के लिए चढ़ाई जाती थी।प्र 7. पापबलि तथा दोषबलि के मध्य क्या अंतर है ?
उ.