पाठ 36 : परमेश्वर की मण्डली
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सारांश
ईश्वरीय संगति ‘कलीसिया’ शब्द का अर्थ ‘बुलाए हुए लोगों की सभा’ है। वे बुलाए हुए हैं और परमेश्वर के लिए संसार से अलग किए हुए हैं (1 कुरिं1:1,2)। वे बुलाए गए हैं कि आराधना एवं प्रार्थना में परमेश्वर को पुकारें और संसार में उसकी साक्षी दें। चालीस दिन पश्चात् पुनः जीवित हो उठा प्रभु स्वर्ग को उठा लिया गया, उसकी प्रतिज्ञा के अनुसार पवित्र आत्मा उतरा (प्रे.काम 2:1-4)। पवित्र आत्मा के बपतिस्मे के द्वारा विश्वासी लोग एक देह में मिलाए गए और कलीसिया का जन्म हुआ (1 कुरिं. 12:13)। जितनों ने यीशु मसीह को उद्धारकर्ता और प्रभु करके ग्रहण किया (पिन्तेकुस्त के दिन से कलीसिया के उठाए जाने तक) वे इस सार्वभौमिक संगति के सदस्य हैं। एक स्थान विशेष पर विश्वासियों की सभा को स्थानीय संगति कहा जाता है। कलीसिया को मसीह की देह कहा जाता है जिसका सिर मसीह है। दूसरे शब्दों में, सारे विश्वासी इस देह के सदस्य हैं (प्रे.काम 2:47)। प्रत्येक विश्वासी को इस देह की उन्नति के लिए वरदान दिए गए हैं (1कुरिं. 12)। इस देह में पवित्र आत्मा द्वारा प्राचीन नियुक्त किए गए हैं और विश्वासियों द्वारा उनका आदर किया गया है (प्रे.काम 20:28; इब्रा 13:7,17,24)। विभिन्न सेवकाईयों के लिए सेवक भी हैं (फिलि. 1:1)। मसीह की देह में, सब विश्वासी उसके साथ और एक दूसरे के साथ संगति करते हैं (1 कुरिं. 1:9; 1 यूहन्ना 1:3)। देह एक है और सब विश्वासियों को इस एकता को बनाए रखने के लिए कहा गया है (इफिसियों 4:3)। देह तब ही प्रभावशाली रीति से कार्य कर सकती है जब इसकी एकता बनी रहे। इस संगति को मसीह की दुल्हिन भी कहा गया है। मसीह दूल्हा है। वर्तमान में यह दुल्हिन मंगेतर है (2 कुरिं. 11:2) और जब यीशु मसीह दुबारा आएगा तब विवाह होगा। दुल्हिन को अपने आपको पवित्र रखना है और जब दूल्हा आए तो उसे ग्रहण करने के लिए तैयार रहना है। मसीह ने अपनी दुल्हिन के लिए अपना प्राण दिया। आज वह इसे शुद्ध कर रहा है (इफिसियों 5:25-27) और शीघ्र ही वह महिमा के परमेश्वर की उपस्थिति में निष्कलंक प्रस्तुत की जाएगी (यहूदा 24)। कलीसिया के लिए भवन का रूपक भी उपयोग किया गया है। यह भवन जीवित पत्थरों से, अर्थात् विश्वासियों से बनाया जा रहा है (1पतरस 2:4)। इस आत्मिक भवन में, जिसे परमेश्वर का मंदिर भी कहा जाता है, पवित्र आत्मा निवास करता है। इस मंदिर के समस्त सदस्य याजकों का एक पवित्र समाज है। वे आत्मिक बलिदान चढ़ाते हैं, अर्थात् परमेश्वर की उपासना करते हैं (1 पतरस 2:5; इब्रा. 13:15)। पिन्तेकुस्त के दिन के पश्चात् से प्रभु उद्धार पाए हुओं को प्रतिदिन इस संगति में जोड़ता है (प्रे.काम 2:47)। यह काम निरंतर चल रहा है। विश्वासियों की साक्षी के द्वारा दूसरे लोग प्रभु यीशु को जानते हैं। जब वे पापियों के लिए उसकी मृत्यु एवं पुनरुत्थान के विषय सुनते हैं, जो सुसमाचार है तो वे पश्चाताप करते और परमेश्वर की ओर फिरते हैं। इस रीति से वे उद्धार पाते हैं। वे सब जो उद्धार पाते हैं इस संगति में मिलाए जाते हैं। इस संगति का एक और नाम परमेश्वर की भेड़ें हैं। यीशु ख्रीस्त प्रधान चरवाहा है और समस्त विश्वासी भेड़ें हैं। वह उन्हें खिलाता है, उनकी अगुवाई करता है। भेड़ें उसका शब्द सुनती हैं और उसके पीछे चलती हैं (यूहन्ना 10:4)। प्राचीनों को चरवाहे भी कहा जाता है। वे ही प्रत्येक स्थानीय कलीसिया में भेड़ों की अगुवाई करते हैं।
बाइबल अध्यन
प्रेरितों के काम 2:41-47
41 सो जिन्हों ने उसका वचन ग्रहण किया उन्होंने बपतिस्मा लिया; और उसी दिन तीन हजार मनुष्यों के लगभग उन में मिल गए।
42 और वे प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने में और रोटी तोड़ने में और प्रार्थना करने में लौलीन रहे॥
43 और सब लोगों पर भय छा गया, और बहुत से अद्भुत काम और चिन्ह प्रेरितों के द्वारा प्रगट होते थे।
44 और वे सब विश्वास करने वाले इकट्ठे रहते थे, और उन की सब वस्तुएं साझे की थीं।
45 और वे अपनी अपनी सम्पत्ति और सामान बेच बेचकर जैसी जिस की आवश्यकता होती थी बांट दिया करते थे।
46 और वे प्रति दिन एक मन होकर मन्दिर में इकट्ठे होते थे, और घर घर रोटी तोड़ते हुए आनन्द और मन की सीधाई से भोजन किया करते थे।
47 और परमेश्वर की स्तुति करते थे, और सब लोग उन से प्रसन्न थे: और जो उद्धार पाते थे, उन को प्रभु प्रति दिन उन में मिला देता था॥
1 कुरिन्थियों 1:1,2
1 पौलुस की ओर से जो परमेश्वर की इच्छा से यीशु मसीह का प्रेरित होने के लिये बुलाया गया और भाई सोस्थिनेस की ओर से।
2 परमेश्वर की उस कलीसिया के नामि जो कुरिन्थुस में है, अर्थात उन के नाम जो मसीह यीशु में पवित्र किए गए, और पवित्र होने के लिये बुलाए गए हैं; और उन सब के नाम भी जो हर जगह हमारे और अपने प्रभु यीशु मसीह के नाम की प्रार्थना करते हैं।
प्रेरितों के काम 2:1-4
1 जब पिन्तेकुस का दिन आया, तो वे सब एक जगह इकट्ठे थे।
2 और एकाएक आकाश से बड़ी आंधी की सी सनसनाहट का शब्द हुआ, और उस से सारा घर जहां वे बैठे थे, गूंज गया।
3 और उन्हें आग की सी जीभें फटती हुई दिखाई दीं; और उन में से हर एक पर आ ठहरीं।
4 और वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ दी, वे अन्य अन्य भाषा बोलने लगे॥
1 कुरिन्थियों 12:13
13 क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गया।
1 कुरिन्थियों 12
1 हे भाइयों, मैं नहीं चाहता कि तुम आत्मिक वरदानों के विषय में अज्ञात रहो।
2 तुम जानते हो, कि जब तुम अन्यजाति थे, तो गूंगी मूरतों के पीछे जैसे चलाए जाते थे वैसे चलते थे।
3 इसलिये मैं तुम्हें चितौनी देता हूं कि जो कोई परमेश्वर की आत्मा की अगुआई से बोलता है, वह नहीं कहता कि यीशु स्त्रापित है; और न कोई पवित्र आत्मा के बिना कह सकता है कि यीशु प्रभु है॥
4 वरदान तो कई प्रकार के हैं, परन्तु आत्मा एक ही है।
5 और सेवा भी कई प्रकार की है, परन्तु प्रभु एक ही है।
6 और प्रभावशाली कार्य कई प्रकार के हैं, परन्तु परमेश्वर एक ही है, जो सब में हर प्रकार का प्रभाव उत्पन्न करता है।
7 किन्तु सब के लाभ पहुंचाने के लिये हर एक को आत्मा का प्रकाश दिया जाता है।
8 क्योंकि एक को आत्मा के द्वारा बुद्धि की बातें दी जाती हैं; और दूसरे को उसी आत्मा के अनुसार ज्ञान की बातें।
9 और किसी को उसी आत्मा से विश्वास; और किसी को उसी एक आत्मा से चंगा करने का वरदान दिया जाता है।
10 फिर किसी को सामर्थ के काम करने की शक्ति; और किसी को भविष्यद्वाणी की; और किसी को आत्माओं की परख, और किसी को अनेक प्रकार की भाषा; और किसी को भाषाओं का अर्थ बताना।
11 परन्तु ये सब प्रभावशाली कार्य वही एक आत्मा करवाता है, और जिसे जो चाहता है वह बांट देता है॥
12 क्योंकि जिस प्रकार देह तो एक है और उसके अंग बहुत से हैं, और उस एक देह के सब अंग, बहुत होने पर भी सब मिलकर एक ही देह हैं, उसी प्रकार मसीह भी है।
13 क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गया।
14 इसलिये कि देह में एक ही अंग नहीं, परन्तु बहुत से हैं।
15 यदि पांव कहे कि मैं हाथ नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं?
16 और यदि कान कहे; कि मैं आंख नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं?
17 यदि सारी देह आंख की होती तो सुनना कहां से होता? यदि सारी देह कान ही होती तो सूंघना कहां होता?
18 परन्तु सचमुच परमेश्वर ने अंगो को अपनी इच्छा के अनुसार एक एक कर के देह में रखा है।
19 यदि वे सब एक ही अंग होते, तो देह कहां होती?
20 परन्तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्तु देह एक ही है।
21 आंख हाथ से नहीं कह सकती, कि मुझे तेरा प्रयोजन नहीं, और न सिर पांवों से कह सकता है, कि मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं।
22 परन्तु देह के वे अंग जो औरों से निर्बल देख पड़ते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं।
23 और देह के जिन अंगो को हम आदर के योग्य नहीं समझते हैं उन्ही को हम अधिक आदर देते हैं; और हमारे शोभाहीन अंग और भी बहुत शोभायमान हो जाते हैं।
24 फिर भी हमारे शोभायमान अंगो को इस का प्रयोजन नहीं, परन्तु परमेश्वर ने देह को ऐसा बना दिया है, कि जिस अंग को घटी थी उसी को और भी बहुत आदर हो।
25 ताकि देह में फूट न पड़े, परन्तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्ता करें।
26 इसलिये यदि एक अंग दु:ख पाता है, तो सब अंग उसके साथ दु:ख पाते हैं; और यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्द मनाते हैं।
27 इसी प्रकार तुम सब मिल कर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो।
28 और परमेश्वर ने कलीसिया में अलग अलग व्यक्ति नियुक्त किए हैं; प्रथम प्रेरित, दूसरे भविष्यद्वक्ता, तीसरे शिक्षक, फिर सामर्थ के काम करने वाले, फिर चंगा करने वाले, और उपकार करने वाले, और प्रधान, और नाना प्रकार की भाषा बोलने वाले।
29 क्या सब प्रेरित हैं? क्या सब भविष्यद्वक्ता हैं? क्या सब उपदेशक हैं? क्या सब सामर्थ के काम करने वाले हैं?
30 क्या सब को चंगा करने का वरदान मिला है? क्या सब नाना प्रकार की भाषा बोलते हैं?
31 क्या सब अनुवाद करते हैं? तुम बड़े से बड़े वरदानों की धुन में रहो! परन्तु मैं तुम्हें और भी सब से उत्तम मार्ग बताता हूं॥
इब्रानियों 13:7,17,24
7 जो तुम्हारे अगुवे थे, और जिन्हों ने तुम्हें परमेश्वर का वचन सुनाया है, उन्हें स्मरण रखो; और ध्यान से उन के चाल-चलन का अन्त देखकर उन के विश्वास का अनुकरण करो।
17 अपने अगुवों की मानो; और उनके आधीन रहो, क्योंकि वे उन की नाईं तुम्हारे प्राणों के लिये जागते रहते, जिन्हें लेखा देना पड़ेगा, कि वे यह काम आनन्द से करें, न कि ठंडी सांस ले लेकर, क्योंकि इस दशा में तुम्हें कुछ लाभ नहीं।
24 अपने सब अगुवों और सब पवित्र लोगों को नमस्कार कहो। इतालिया वाले तुम्हें नमस्कार कहते हैं॥
फिलीप्पियों 1:1
1 मसीह यीशु के दास पौलुस और तीमुथियुस की ओर से सब पवित्र लोगों के नाम, जो मसीह यीशु में होकर फिलिप्पी में रहते हैं, अध्यक्षों और सेवकों समेत।
1 कुरिन्थियों 1:9
9 परमेश्वर सच्चा है; जिस ने तुम को अपने पुत्र हमारे प्रभु यीशु मसीह की संगति में बुलाया है॥
1 यूहन्ना 1:3
3 जो कुछ हम ने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं, इसलिये कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो; और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ, और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है।
इफिसियों 4:3
3 और मेल के बन्ध में आत्मा की एकता रखने का यत्न करो।
2 कुरिन्थियों 11:2
2 क्योंकि मैं तुम्हारे विषय मे ईश्वरीय धुन लगाए रहता हूं, इसलिये कि मैं ने एक ही पुरूष से तुम्हारी बात लगाई है, कि तुम्हें पवित्र कुंवारी की नाईं मसीह को सौंप दूं।
इफिसियों 5:25-27
25 हे पतियों, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो, जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम करके अपने आप को उसके लिये दे दिया।
26 कि उस को वचन के द्वारा जल के स्नान से शुद्ध करके पवित्र बनाए।
27 और उसे एक ऐसी तेजस्वी कलीसिया बना कर अपने पास खड़ी करे, जिस में न कलंक, न झुर्री, न कोई ऐसी वस्तु हो, वरन पवित्र और निर्दोष हो।
यहूदा 1:24
24 अब जो तुम्हें ठोकर खाने से बचा सकता है, और अपनी महिमा की भरपूरी के साम्हने मगन और निर्दोष करके खड़ा कर सकता है।
1 पतरस 2:4,5
4 उसके पास आकर, जिसे मनुष्यों ने तो निकम्मा ठहराया, परन्तु परमेश्वर के निकट चुना हुआ, और बहुमूल्य जीवता पत्थर है।
5 तुम भी आप जीवते पत्थरों की नाईं आत्मिक घर बनते जाते हो, जिस से याजकों का पवित्र समाज बन कर, ऐसे आत्मिक बलिदान चढ़ाओ, जो यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर को ग्राह्य हों।
इब्रानियों 13:15
15 इसलिये हम उसके द्वारा स्तुति रूपी बलिदान, अर्थात उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें।
यूहन्ना 10:4
4 और जब वह अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल चुकता है, तो उन के आगे आगे चलता है, और भेड़ें उसके पीछे पीछे हो लेती हैं; क्योंकि वे उसका शब्द पहचानती हैं।