पाठ 33 : पुनरुत्थान एवं प्रकटीकरण

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सारांश

पुनरुत्थान एवं प्रकटीकरण प्रभु मृतकों में से जी उठा। प्रभु के पुनरुत्थान से पहले भी कई लोग जीवित हो उठे थे (लाज़र, याईर की बेटी, नाइन नगर की विधवा का बेटा, शुनेमिन का बेटा, वह मनुष्य जिसे एलीशा की कब्र में गाड़ा गया था)। परंतु वे सब नाशमान देह में जीवित हुए, जबकि यीशु मसीह उस महिमामय देह में जीवित हो उठा, जिसे मृत्यु द्वारा रोका नहीं जा सका था। प्रभु के द्वितीय आगमन पर संतगण भी प्रभु के समान जी उठेंगे। अपने पुनरुत्थान के द्वारा मसीह ने मृत्यु की शक्ति को नाश किया। वह विजयी रूप से मृतकों में से जी उठा और उसने शैतान की शक्ति को नाश किया (इब्रा. 2:14)। उसके पास मृत्यु एवं नर्क की कुँजी है (प्रका. 1:18)। जिस रीति से एक नई सरकार के आरम्भ में कुछ बन्दियों को छोड़ दिया जाता है, यीशु ख्रीस्त ने भी कई संतों को अपने पुनरुत्थान पर उनकी कब्रों से मुक्त किया (मत्ती 27:52)। प्रभु जी उठा है और स्वर्ग पर चढ़ा है कि पृथ्वी और स्वर्ग के साथ अधिकार प्राप्त करे (मत्ती 28:18)। वर्तमान में ऐसा प्रतीत हो सकता है कि सबकुछ उसके नियंत्रण में नहीं है, क्योंकि वह कुछ समय के लिए शैतान को अपनी मनमानी करने देता है। परंतु वह दिन आता है जब वह प्रभुओं का प्रभु और राजाओं का राजा के रूप में सबकुछ पर नियंत्रण प्राप्त करेगा। पुनरुत्थान से स्वर्गारोहण के मध्य 40 दिनों में यीशु मसीह ने अनेक बार चेलों को दर्शन दिए, परंतु वह संसार पर प्रकट नहीं हुआ। पुनरुत्थान के पश्चात दर्शन

  1. मरियम मगदलीनी (मरकुस 16:9-11; यूहन्ना 20:11-18) मरियम मगदलीनी सब से बढ़कर प्रभु से प्रेम करती थी। प्रभु ने उसके पापों के क्षमा किया था और उसमें से दुष्टात्माओं को निकाला था। प्रभु की सार्वजनिक सेवकाई के समय वह अन्य कुछ स्त्रियों के साथ उसके पीछे चलती थी। वह क्रूस के निकट थी। जब यीशु की देह को कब्र में रखा गया तो वह वहाँ थी। वह इतवार की भोर को कब्र पर र्गइ थी। प्रभु के प्रति प्रेम ने उसे साहस दिया था कि जब अभी अंधेरा ही था, वह कब्र पर जाए। प्रभु उसे दिखाई दिया। जब प्रभु ने उसे ‘मरियम’ कहा तो वह उसे पहचान गई। अपने पुनरुत्थान के पश्चात् हमारे प्रभु ने एक स्त्री को सबसे पहले दर्शन दिया।
  2. स्त्रियाँ (मत्ती 28:8-10) मसीह के क्रूस के निकट चार स्त्रियाँ थीं। (1) यीशु की माता (2) मरियम मगदलीनी (3) सलोमी, जो कि याकूब एवं यूहन्ना की माता तथा जब्दी की पत्नी थी। वह प्रभु की माता की बहन थी (4) क्लोपास की पत्नी मरियम। मरियम मगदलीनी, योअन्ना और याकूब की माता मरियम (लूका 24:10) इतवार की भोर को कब्र पर गई थीं। (यूहन्ना 20:11-18) में मरियम मगदलीनी को प्रभु के दर्शन के विषय में लिखा है। इसके पश्चात् मसीह ने अन्य दो स्त्रियों को दर्शन दिया और उन्होंने पैर पकड़कर उसको दण्डवत किया (मत्ती 28:10)।
  3. पतरस (लूका 24:34; 1 कुरिं. 15:5) यह नहीं लिखा है कि मसीह ने पतरस को किस रीति से दर्शन दिया। पतरस बहुत दुखी था क्योंकि उसने तीन बार प्रभु का इनकार किया था। अतः यह सम्भव है कि प्रभु ने पतरस को विशेष रूप से दर्शन दिया कि उसके विश्वास को दृढ़ करे।
  4. इम्माअस के मार्ग पर चेलों को (मरकुस 16:12-13; लूका 24:13-33) प्रभु एक अजनबी के समान दो मनुष्यों के साथ चल रहा था। मार्ग में उसने उन्हें वह समझाया जो पवित्र शास्त्र में कहा गया था। अंत में, जब वह उनके साथ भोजन करने बैठा उनकी आँखें खुल गईं और उन्होंने मसीह को पहचान लिया।
  5. दस चेलों को (यूहन्ना 20:19-23) चेले भयभीत थे और एक घर में द्वार बंद कर बैठे हुए थे। यीशु आया और उनके मध्य खड़े होकर उसने कहा, “तुम्हें शांति मिले।” तब उसने उन्हें अपने हाथ और पंजर दोनों दिखाए। उन्होंने उसे देखा और विश्वास किया। चेले आनन्द से भर गए। अब थोमा, उन बारहों में से एक उस समय उनके साथ नहीं था। जब उसे यीशु के प्रकट होने के बारे में मालूम हुआ उसने कहा, “जब तक मैं उसके हाथों में कीलों के चिन्ह न देख लूं और कीलों के छेद में अपनी उंगली न डालूं और उसके पंजर में अपने हाथ न डालूं, तब तक मैं विश्वास न करूंगा।” 6.चेलों को, थोमा उपस्थित था (मरकुस 16:14; यूह. 20:26-31) एक सप्ताह इतवार के दिन पश्चात् जब उसके चेले एक साथ थे, और थोमा उनके साथ था, यीशु आया और उनके मध्य खड़ा हुआ। तब यीशु ने थोमा से कहा, “अपनी उंगली यहाँ ला और मेरे हाथों को देख, और अपना हाथ बढ़ाकर मेरे पंजर में डाल और अविश्वासी नहीं परंतु विश्वासी हो।” थोमा ने तुरंत उत्तर दिया, “हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर।”
  6. तिबिरियास की झील पर सात चेलों को (यूह. 21:1-23) हमारा प्रभु यरूशलेम में मरा और जी उठा। स्पष्टतः हमारे प्रभु के आरम्भिक दर्शन यरूशलेम में दिए गए। प्रभु चेलों से गलील को जाने के लिए कह चुका था (मत्ती 26:32; 28:10)। और वे वहाँ गए। जैसे जैसे दिन बीतने लगे वे प्रभु के दर्शन से प्राप्त जोश को खोने लगे। वे अपनी रोजी रोटी के बारे में सोचने लगे। एक संध्या पतरस ने कहा, “मैं मछली पकड़ने जा रहा हूँ।” छः अन्य उसके साथ हो लिए। वे गलील की झील में मछली पकड़ने गए थे। परंतु उस रात्रि उन्होंने कुछ भी नहीं पकड़ा। जब भोर होने लगी उनकी नाव तट से बहुत दूर थी। यीशु तट पर खड़ा था। उसके चेलों ने उसे नहीं पहचाना। उसने उनसे कहा, “बच्चो, तुम्हें मछलियाँ नहीं मिलीं, न?” उन्होंने उत्तर दिया, “नहीं।” यीशु ने कहा, “नाव के दाहिने ओर जाल डालो तो पाओगे।” उन्होंने वैसा ही किया, उन्हें बहुत मछलियाँ मिलीं। इस आश्चर्यकर्म द्वारा चेलों का विश्वास दृढ़ हुआ (लूका 5:1-11)।
  7. गलील के पर्वत पर (मत्ती 28:16-20) (मत्ती 28:16) में एक और घटना का वर्णन है। यह गलील के पर्वत पर हुई। सम्भवतः इसी घटना का वर्णन (1 कुरिं. 15:6) में एक साथ 500 लोगों को दर्शन देने के रूप में किया गया है।
  8. स्वर्गारोहण के समय में बैतनिय्याह (प्र.वा. 1:11-12; लूका 24:50-51) बैतनिय्याह जैतून पर्वत के निकट एक गाँव है। इसी पर्वत पर से यीशु स्वर्ग को चढ़ा। उसके चेलों ने उसे ऊपर जाते देखा जब वे आकाश की ओर देख रहे थे। और बादल ने उसे अपनी आँखों से ओझल कर दिया। अचानक से दो पुरुष श्वेत वस्त्र पहिने हुए उनके पास आ खड़े हुए। उन्होंने कहा, “गलीली पुरुषों, तुम खड़े खड़े आकाश की ओर क्यों देख रहे हो? यही यीशु जो तुम्हारे पास से स्वर्ग को उठा लिया गया है, वैसे ही फिर आएगा और जैसे तुमने उसे स्वर्ग में जाते देखा है।”
  9. यीशु के भी याकूब को (1 कुरिं. 15:7) यीशु के भाई याकूब (मत्ती 13:53; मरकुस 6:3) ने यीशु पर विश्वास नहीं किया था जबकि वह पृथ्वी पर था (यूहन्ना 7:5)। हमारा प्रभु ने मृतकों में से जीवित होने के पश्चात् उसे दर्शन दिया। इससे उसका जीवन बदल गया। उसने विश्वास किया कि यीशु ही मसीह और उद्धारकर्ता था। यरूशलेम की कलीसिया में याकूब एक मुख्य अगुवा बना (प्रे.का. 15:12-21; गला. 1:19; 12:9) अंततः वह शहीद हुआ।
  10. दमिश्क के मार्ग पर शाऊल को (1 कुरिं. 15:8) तर्शीश का शाऊल (पौलुस) मसीह एवं उसके चेलों का शत्रु था। वह किसी भी कीमत पर मसीहियों को नाश करना चाहता था। जब वह मसीहियों को बंदी बनाने तथा दण्ड के लिए यरूशलेम लाने के लिए यरूशलेम से दमिश्क की जा रहा था, एक आश्चर्यकर्म हुआ। वह दिन का समय था। तब आकाश से एक ज्योति उसके चारों ओर चमकी और वह भूमि पर गिर पड़ा। वहाँ उसने जी उठे प्रभु का दर्शन पाया। हम इस प्रकटीकरण के विषय प्रे.काम 9:1-16; 22:3-21; और 26:12-18 में पढ़ते हैं। मसीही धर्म हमारे प्रभु यीशु मसीह के पुनरुत्थान की पक्की ऐतिहासिक नींव पर आधारित है। अब जब वह जीवित है। वह आकर एक विश्वासी के जीवन में रह सकता है और एक मसीही कह सकता है कि, “मेरे लिए जीना मसीह और मरना लाभ है।”

बाइबल अध्यन

इब्रानियों 2:14 14 इसलिये जब कि लड़के मांस और लोहू के भागी हैं, तो वह आप भी उन के समान उन का सहभागी हो गया; ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को निकम्मा कर दे। प्रकाशितवाक्य 1:18 18 मैं मर गया था, और अब देख; मैं युगानुयुग जीवता हूं; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियां मेरे ही पास हैं। मत्ती 27:52 52 और कब्रें खुल गईं; और सोए हुए पवित्र लोगों की बहुत लोथें जी उठीं। मत्ती 28:18 18 यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। मरकुस 16:9-11 9 सप्ताह के पहिले दिन भोर होते ही वह जी उठ कर पहिले पहिल मरियम मगदलीनी को जिस में से उस ने सात दुष्टात्माएं निकाली थीं, दिखाई दिया। 10 उस ने जाकर उसके साथियों को जो शोक में डूबे हुए थे और रो रहे थे, समाचार दिया। 11 और उन्होंने यह सुनकर की वह जीवित है, और उस ने उसे देखा है प्रतीति न की॥ यूहन्ना 20:11-18 11 परन्तु मरियम रोती हुई कब्र के पास ही बाहर खड़ी रही और रोते रोते कब्र की ओर झुककर, 12 दो स्वर्गदूतों को उज्ज़वल कपड़े पहिने हुए एक को सिरहाने और दूसरे को पैताने बैठे देखा, जहां यीशु की लोथ पड़ी थी। 13 उन्होंने उस से कहा, हे नारी, तू क्यों रोती है? उस ने उन से कहा, वे मेरे प्रभु को उठा ले गए और मैं नहीं जानती कि उसे कहां रखा है। 14 यह कहकर वह पीछे फिरी और यीशु को खड़े देखा और न पहचाना कि यह यीशु है। 15 यीशु ने उस से कहा, हे नारी तू क्यों रोती है? किस को ढूंढ़ती है? उस ने माली समझकर उस से कहा, हे महाराज, यदि तू ने उसे उठा लिया है तो मुझ से कह कि उसे कहां रखा है और मैं उसे ले जाऊंगी। 16 यीशु ने उस से कहा, मरियम! उस ने पीछे फिरकर उस से इब्रानी में कहा, रब्बूनी अर्थात हे गुरू। 17 यीशु ने उस से कहा, मुझे मत छू क्योंकि मैं अब तक पिता के पास ऊपर नहीं गया, परन्तु मेरे भाइयों के पास जाकर उन से कह दे, कि मैं अपने पिता, और तुम्हारे पिता, और अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर के पास ऊपर जाता हूं। 18 मरियम मगदलीनी ने जाकर चेलों को बताया, कि मैं ने प्रभु को देखा और उस ने मुझ से ये बातें कहीं॥ मत्ती 28:8-10 8 और वे भय और बड़े आनन्द के साथ कब्र से शीघ्र लौटकर उसके चेलों को समाचार देने के लिये दौड़ गई। 9 और देखो, यीशु उन्हें मिला और कहा; ‘सलाम’और उन्होंने पास आकर और उसके पाँव पकड़कर उस को दणडवत किया। 10 तब यीशु ने उन से कहा, मत डरो; मेरे भाईयों से जाकर कहो, कि गलील को चलें जाएं वहाँ मुझे देखेंगे॥ लूका 24:10,34
10 जिन्हों ने प्रेरितों से ये बातें कहीं, वे मरियम मगदलीनी और योअन्ना और याकूब की माता मरियम और उन के साथ की और स्त्रियां भी थीं। 34 वे कहते थे, प्रभु सचमुच जी उठा है, और शमौन को दिखाई दिया है। 1 कुरिन्थियों 15:5,6,7,8
5 और कैफा को तब बारहों को दिखाई दिया। 6 फिर पांच सौ से अधिक भाइयों को एक साथ दिखाई दिया, जिन में से बहुतेरे अब तक वर्तमान हैं पर कितने सो गए। 7 फिर याकूब को दिखाई दिया तब सब प्रेरितों को दिखाई दिया। 8 और सब के बाद मुझ को भी दिखाई दिया, जो मानो अधूरे दिनों का जन्मा हूं। मरकुस 16:12-14
12 इस के बाद वह दूसरे रूप में उन में से दो को जब वे गांव की ओर जा रहे थे, दिखाई दिया। 13 उन्होंने भी जाकर औरों को समाचार दिया, परन्तु उन्होंने उन की भी प्रतीति न की॥ 14 पीछे वह उन ग्यारहों को भी, जब वे भोजन करने बैठे थे दिखाई दिया, और उन के अविश्वास और मन की कठोरता पर उलाहना दिया, क्योंकि जिन्हों ने उसके जी उठने के बाद उसे देखा था, इन्होंने उन की प्रतीति न की थी। लूका 24:13-33 13 देखो, उसी दिन उन में से दो जन इम्माऊस नाम एक गांव को जा रहे थे, जो यरूशलेम से कोई सात मील की दूरी पर था। 14 और वे इन सब बातों पर जो हुईं थीं, आपस में बातचीत करते जा रहे थे। 15 और जब वे आपस में बातचीत और पूछताछ कर रहे थे, तो यीशु आप पास आकर उन के साथ हो लिया। 16 परन्तु उन की आंखे ऐसी बन्द कर दी गईं थी, कि उसे पहिचान न सके। 17 उस ने उन से पूछा; ये क्या बातें हैं, जो तुम चलते चलते आपस में करते हो? वे उदास से खड़े रह गए। 18 यह सुनकर, उनमें से क्लियुपास नाम एक व्यक्ति ने कहा; क्या तू यरूशलेम में अकेला परदेशी है; जो नहीं जानता, कि इन दिनों में उस में क्या क्या हुआ है? 19 उस ने उन से पूछा; कौन सी बातें? उन्होंने उस से कहा; यीशु नासरी के विषय में जो परमेश्वर और सब लोगों के निकट काम और वचन में सामर्थी भविष्यद्वक्ता था। 20 और महायाजकों और हमारे सरदारों ने उसे पकड़वा दिया, कि उस पर मृत्यु की आज्ञा दी जाए; और उसे क्रूस पर चढ़वाया। 21 परन्तु हमें आशा थी, कि यही इस्त्राएल को छुटकारा देगा, और इन सब बातों के सिवाय इस घटना को हुए तीसरा दिन है। 22 और हम में से कई स्त्रियों ने भी हमें आश्चर्य में डाल दिया है, जो भोर को कब्र पर गई थीं। 23 और जब उस की लोथ न पाई, तो यह कहती हुई आईं, कि हम ने स्वर्गदूतों का दर्शन पाया, जिन्हों ने कहा कि वह जीवित है। 24 तब हमारे साथियों में से कई एक कब्र पर गए, और जैसा स्त्रियों ने कहा था, वैसा ही पाया; परन्तु उस को न देखा। 25 तब उस ने उन से कहा; हे निर्बुद्धियों, और भविष्यद्वक्ताओं की सब बातों पर विश्वास करने में मन्दमतियों! 26 क्या अवश्य न था, कि मसीह ये दुख उठाकर अपनी महिमा में प्रवेश करे? 27 तब उस ने मूसा से और सब भविष्यद्वक्ताओं से आरम्भ करके सारे पवित्र शास्त्रों में से, अपने विषय में की बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया। 28 इतने में वे उस गांव के पास पहुंचे, जहां वे जा रहे थे, और उसके ढंग से ऐसा जान पड़ा, कि वह आगे बढ़ना चाहता है। 29 परन्तु उन्होंने यह कहकर उसे रोका, कि हमारे साथ रह; क्योंकि संध्या हो चली है और दिन अब बहुत ढल गया है। तब वह उन के साथ रहने के लिये भीतर गया। 30 जब वह उन के साथ भोजन करने बैठा, तो उस ने रोटी लेकर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उन को देने लगा। 31 तब उन की आंखे खुल गईं; और उन्होंने उसे पहचान लिया, और वह उन की आंखों से छिप गया। 32 उन्होंने आपस में कहा; जब वह मार्ग में हम से बातें करता था, और पवित्र शास्त्र का अर्थ हमें समझाता था, तो क्या हमारे मन में उत्तेजना न उत्पन्न हुई? 33 वे उसी घड़ी उठकर यरूशलेम को लौट गए, और उन ग्यारहों और उन के साथियों को इकट्ठे पाया। यूहन्ना 20:19-23 19 उसी दिन जो सप्ताह का पहिला दिन था, सन्ध्या के समय जब वहां के द्वार जहां चेले थे, यहूदियों के डर के मारे बन्द थे, तब यीशु आया और बीच में खड़ा होकर उन से कहा, तुम्हें शान्ति मिले। 20 और यह कहकर उस ने अपना हाथ और अपना पंजर उन को दिखाए: तब चेले प्रभु को देखकर आनन्दित हुए। 21 यीशु ने फिर उन से कहा, तुम्हें शान्ति मिले; जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता हूं। 22 यह कहकर उस ने उन पर फूंका और उन से कहा, पवित्र आत्मा लो। 23 जिन के पाप तुम क्षमा करो वे उन के लिये क्षमा किए गए हैं जिन के तुम रखो, वे रखे गए हैं॥ यूहन्ना 20:26-31 26 आठ दिन के बाद उस के चेले फिर घर के भीतर थे, और थोमा उन के साथ था, और द्वार बन्द थे, तब यीशु ने आकर और बीच में खड़ा होकर कहा, तुम्हें शान्ति मिले। 27 तब उस ने थोमा से कहा, अपनी उंगली यहां लाकर मेरे हाथों को देख और अपना हाथ लाकर मेरे पंजर में डाल और अविश्वासी नहीं परन्तु विश्वासी हो। 28 यह सुन थोमा ने उत्तर दिया, हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर! 29 यीशु ने उस से कहा, तू ने तो मुझे देखकर विश्वास किया है, धन्य वे हैं जिन्हों ने बिना देखे विश्वास किया॥ 30 यीशु ने और भी बहुत चिन्ह चेलों के साम्हने दिखाए, जो इस पुस्तक में लिखे नहीं गए। 31 परन्तु ये इसलिये लिखे गए हैं, कि तुम विश्वास करो, कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है: और विश्वास करके उसके नाम से जीवन पाओ॥ यूहन्ना 21:1-23 1 इन बातों के बाद यीशु ने अपने आप को तिबिरियास झील के किनारे चेलों पर प्रगट किया और इस रीति से प्रगट किया। 2 शमौन पतरस और थोमा जो दिदुमुस कहलाता है, और गलील के काना नगर का नतनएल और जब्दी के पुत्र, और उसके चेलों में से दो और जन इकट्ठे थे। 3 शमौन पतरस ने उन से कहा, मैं मछली पकड़ने को जाता हूं: उन्होंने उस से कहा, हम भी तेरे साथ चलते हैं: सो वे निकलकर नाव पर चढ़े, परन्तु उस रात कुछ न पकड़ा। 4 भोर होते ही यीशु किनारे पर खड़ा हुआ; तौभी चेलों ने न पहचाना कि यह यीशु है। 5 तब यीशु ने उन से कहा, हे बाल को, क्या तुम्हारे पास कुछ खाने को है? उन्होंने उत्तर दिया कि नहीं। 6 उस ने उन से कहा, नाव की दाहनी ओर जाल डालो, तो पाओगे, तब उन्होंने जाल डाला, और अब मछिलयों की बहुतायत के कारण उसे खींच न सके। 7 इसलिये उस चेले ने जिस से यीशु प्रेम रखता था पतरस से कहा, यह तो प्रभु है: शमौन पतरस ने यह सुनकर कि प्रभु है, कमर में अंगरखा कस लिया, क्योंकि वह नंगा था, और झील में कूद पड़ा। 8 परन्तु और चेले डोंगी पर मछिलयों से भरा हुआ जाल खींचते हुए आए, क्योंकि वे किनारे से अधिक दूर नहीं, कोई दो सौ हाथ पर थे। 9 जब किनारे पर उतरे, तो उन्होंने कोएले की आग, और उस पर मछली रखी हुई, और रोटी देखी। 10 यीशु ने उन से कहा, जो मछिलयां तुम ने अभी पकड़ी हैं, उन में से कुछ लाओ। 11 शमौन पतरस ने डोंगी पर चढ़कर एक सौ तिर्पन बड़ी मछिलयों से भरा हुआ जाल किनारे पर खींचा, और इतनी मछिलयां होने से भी जाल न फटा। 12 यीशु ने उन से कहा, कि आओ, भोजन करो और चेलों में से किसी को हियाव न हुआ, कि उस से पूछे, कि तू कौन है? क्योंकि वे जानते थे, कि हो न हो यह प्रभु ही है। 13 यीशु आया, और रोटी लेकर उन्हें दी, और वैसे ही मछली भी। 14 यह तीसरी बार है, कि यीशु ने मरे हुओं में से जी उठने के बाद चेलों को दर्शन दिए॥ 15 भोजन करने के बाद यीशु ने शमौन पतरस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू इन से बढ़कर मुझ से प्रेम रखता है? उस ने उस से कहा, हां प्रभु तू तो जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उस ने उस से कहा, मेरे मेमनों को चरा। 16 उस ने फिर दूसरी बार उस से कहा, हे शमौन यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रेम रखता है? उस ने उन से कहा, हां, प्रभु तू जानता है, कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: उस ने उस से कहा, मेरी भेड़ों की रखवाली कर। 17 उस ने तीसरी बार उस से कहा, हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू मुझ से प्रीति रखता है? पतरस उदास हुआ, कि उस ने उसे तीसरी बार ऐसा कहा; कि क्या तू मुझ से प्रीति रखता है? और उस से कहा, हे प्रभु, तू तो सब कुछ जानता है: तू यह जानता है कि मैं तुझ से प्रीति रखता हूं: यीशु ने उस से कहा, मेरी भेड़ों को चरा। 18 मैं तुझ से सच सच कहता हूं, जब तू जवान था, तो अपनी कमर बान्धकर जहां चाहता था, वहां फिरता था; परन्तु जब तू बूढ़ा होगा, तो अपने हाथ लम्बे करेगा, और दूसरा तेरी कमर बान्धकर जहां तू न चाहेगा वहां तुझे ले जाएगा। 19 उस ने इन बातों से पता दिया कि पतरस कैसी मृत्यु से परमेश्वर की महिमा करेगा; और यह कहकर, उस से कहा, मेरे पीछे हो ले। 20 पतरस ने फिरकर उस चेले को पीछे आते देखा, जिस से यीशु प्रेम रखता था, और जिस ने भोजन के समय उस की छाती की और झुककर पूछा हे प्रभु, तेरा पकड़वाने वाला कौन है? 21 उसे देखकर पतरस ने यीशु से कहा, हे प्रभु, इस का क्या हाल होगा? 22 यीशु ने उस से कहा, यदि मैं चाहूं कि वह मेरे आने तक ठहरा रहे, तो तुझे क्या? तू मेरे पीछे हो ले। 23 इसलिये भाइयों में यह बात फैल गई, कि वह चेला न मरेगा; तौभी यीशु ने उस से यह नहीं कहा, कि यह न मरेगा, परन्तु यह कि यदि मैं चाहूं कि यह मेरे आने तक ठहरा रहे, तो तुझे इस से क्या? मत्ती 26:32 32 परन्तु मैं अपने जी उठने के बाद तुम से पहले गलील को जाऊंगा। लूका 5:1-11 1 जब भीड़ उस पर गिरी पड़ती थी, और परमेश्वर का वचन सुनती थी, और वह गन्नेसरत की झील के किनारे पर खड़ा था, तो ऐसा हुआ। 2 कि उस ने झील के किनारे दो नावें लगी हुई देखीं, और मछुवे उन पर से उतरकर जाल धो रहे थे। 3 उन नावों में से एक पर जो शमौन की थी, चढ़कर, उस ने उस से बिनती की, कि किनारे से थोड़ा हटा ले चले, तब वह बैठकर लोगों को नाव पर से उपदेश देने लगा। 4 जब वे बातें कर चुका, तो शमौन से कहा, गहिरे में ले चल, और मछिलयां पकड़ने के लिये अपने जाल डालो। 5 शमौन ने उसको उत्तर दिया, कि हे स्वामी, हम ने सारी रात मिहनत की और कुछ न पकड़ा; तौभी तेरे कहने से जाल डालूंगा। 6 जब उन्होंने ऐसा किया, तो बहुत मछिलयां घेर लाए, और उन के जाल फटने लगे। 7 इस पर उन्होंने अपने साथियों को जो दूसरी नाव पर थे, संकेत किया, कि आकर हमारी सहायता करो: और उन्होंने आकर, दोनो नाव यहां तक भर लीं कि वे डूबने लगीं। 8 यह देखकर शमौन पतरस यीशु के पांवों पर गिरा, और कहा; हे प्रभु, मेरे पास से जा, क्योंकि मैं पापी मनुष्य हूं। 9 क्योंकि इतनी मछिलयों के पकड़े जाने से उसे और उसके साथियों को बहुत अचम्भा हुआ। 10 और वैसे ही जब्दी के पुत्र याकूब और यूहन्ना को भी, जो शमौन के सहभागी थे, अचम्भा हुआ: तब यीशु ने शमौन से कहा, मत डर: अब से तू मनुष्यों को जीवता पकड़ा करेगा। 11 और व नावों को किनारे पर ले आए और सब कुछ छोड़कर उसके पीछे हो लिए॥ मत्ती 28:16-20 16 और ग्यारह चेले गलील में उस पहाड़ पर गए, जिसे यीशु ने उन्हें बताया था। 17 और उन्होंने उसके दर्शन पाकर उसे प्रणाम किया, पर किसी किसी को सन्देह हुआ। 18 यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। 19 इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। 20 और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं॥ प्रकाशितवाक्य 1:11-12 11 कि जो कुछ तू देखता है, उसे पुस्तक में लिख कर सातों कलीसियाओं के पास भेज दे, अर्थात इफिसुस और स्मुरना, और पिरगमुन, और थुआतीरा, और सरदीस, और फिलेदिलफिया, और लौदीकिया में। 12 और मैं ने उसे जो मुझ से बोल रहा था; देखने के लिये अपना मुंह फेरा; और पीछे घूम कर मैं ने सोने की सात दीवटें देखीं। लूका 24:50-51 50 तब वह उन्हें बैतनिय्याह तक बाहर ले गया, और अपने हाथ उठाकर उन्हें आशीष दी। 51 और उन्हें आशीष देते हुए वह उन से अलग हो गया और स्वर्ग से उठा लिया गया। मत्ती 13:53 53 जब यीशु ये सब दृष्टान्त कह चुका, तो वहां से चला गया। मकुस 6:3 3 क्या यह वही बढ़ई नहीं, जो मरियम का पुत्र, और याकूब और योसेस और यहूदा और शमौन का भाई है? और क्या उस की बहिनें यहां हमारे बीच में नहीं रहतीं? इसलिये उन्होंने उसके विषय में ठोकर खाई। यूहन्ना 7:5 5 क्योंकि उसके भाई भी उस पर विश्वास नहीं करते थे। प्रेरितों के काम 15:12-21
12 तब सारी सभा चुपचाप होकर बरनबास और पौलुस की सुनने लगी, कि परमेश्वर ने उन के द्वारा अन्यजातियों में कैसे कैसे चिन्ह, और अद्भुत काम दिखाए। 13 जब वे चुप हुए, तो याकूब कहने लगा, कि॥ 14 हे भाइयो, मेरी सुनो: शमौन ने बताया, कि परमेश्वर ने पहिले पहिल अन्यजातियों पर कैसी कृपा दृष्टि की, कि उन में से अपने नाम के लिये एक लोग बना ले। 15 और इस से भविष्यद्वक्ताओं की बातें मिलती हैं, जैसा लिखा है, कि। 16 इस के बाद मैं फिर आकर दाऊद का गिरा हुआ डेरा उठाऊंगा, और उसके खंडहरों को फिर बनाऊंगा, और उसे खड़ा करूंगा। 17 इसलिये कि शेष मनुष्य, अर्थात सब अन्यजाति जो मेरे नाम के कहलाते हैं, प्रभु को ढूंढें। 18 यह वही प्रभु कहता है जो जगत की उत्पत्ति से इन बातों का समाचार देता आया है। 19 इसलिये मेरा विचार यह है, कि अन्यजातियों में से जो लोग परमेश्वर की ओर फिरते हैं, हम उन्हें दु:ख न दें। 20 परन्तु उन्हें लिख भेंजें, कि वे मूरतों की अशुद्धताओं और व्यभिचार और गला घोंटे हुओं के मांस से और लोहू से परे रहें। 21 क्योंकि पुराने समय से नगर नगर मूसा की व्यवस्था के प्रचार करने वाले होते चले आए है, और वह हर सब्त के दिन अराधनालय में पढ़ी जाती है। गलातियों 1:19 ; 2:9 19 परन्तु प्रभु के भाई याकूब को छोड़ और प्रेरितों में से किसी से न मिला। 9 और जब उन्होंने उस अनुग्रह को जो मुझे मिला था जान लिया, तो याकूब, और कैफा, और यूहन्ना ने जो कलीसिया के खम्भे समझे जाते थे, मुझ को और बरनबास को दाहिना हाथ देकर संग कर लिया, कि हम अन्यजातियों के पास जाएं, और वे खतना किए हुओं के पास। प्रेरितों के काम 9:1-16
1 और शाऊल जो अब तक प्रभु के चेलों को धमकाने और घात करने की धुन में था, महायाजक के पास गया। 2 और उस से दमिश्क की अराधनालयों के नाम पर इस अभिप्राय की चिट्ठियां मांगी, कि क्या पुरूष, क्या स्त्री, जिन्हें वह इस पंथ पर पाए उन्हें बान्ध कर यरूशलेम में ले आए। 3 परन्तु चलते चलते जब वह दमिश्क के निकट पहुंचा, तो एकाएक आकाश से उसके चारों ओर ज्योति चमकी। 4 और वह भूमि पर गिर पड़ा, और यह शब्द सुना, कि हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? 5 उस ने पूछा; हे प्रभु, तू कौन है? उस ने कहा; मैं यीशु हूं; जिसे तू सताता है। 6 परन्तु अब उठकर नगर में जा, और जो कुछ करना है, वह तुझ से कहा जाएगा। 7 जो मनुष्य उसके साथ थे, वे चुपचाप रह गए; क्योंकि शब्द तो सुनते थे, परन्तु किसी को दखते न थे। 8 तब शाऊल भूमि पर से उठा, परन्तु जब आंखे खोलीं तो उसे कुछ दिखाई न दिया और वे उसका हाथ पकड़के दमिश्क में ले गए। 9 और वह तीन दिन तक न देख सका, और न खाया और न पीया। 10 दमिश्क में हनन्याह नाम एक चेला था, उस से प्रभु ने दर्शन में कहा, हे हनन्याह! उस ने कहा; हां प्रभु। 11 तब प्रभु ने उस से कहा, उठकर उस गली में जा जो सीधी कहलाती है, और यहूदा के घर में शाऊल नाम एक तारसी को पूछ ले; क्योंकि देख, वह प्रार्थना कर रहा है। 12 और उस ने हनन्याह नाम एक पुरूष को भीतर आते, और अपने ऊपर आते देखा है; ताकि फिर से दृष्टि पाए। 13 हनन्याह ने उत्तर दिया, कि हे प्रभु, मैं ने इस मनुष्य के विषय में बहुतों से सुना है, कि इस ने यरूशलेम में तेरे पवित्र लोगों के साथ बड़ी बड़ी बुराईयां की हैं। 14 और यहां भी इस को महायाजकों की ओर से अधिकार मिला है, कि जो लोग तेरा नाम लेते हैं, उन सब को बान्ध ले। 15 परन्तु प्रभु ने उस से कहा, कि तू चला जा; क्योंकि यह, तो अन्यजातियों और राजाओं, और इस्त्राएलियों के साम्हने मेरा नाम प्रगट करने के लिये मेरा चुना हुआ पात्र है। 16 और मैं उसे बताऊंगा, कि मेरे नाम के लिये उसे कैसा कैसा दुख उठाना पड़ेगा। प्रेरितों के काम 22:3-21 3 मैं तो यहूदी मनुष्य हूं, जो किलिकिया के तरसुस में जन्मा; परन्तु इस नगर में गमलीएल के पांवों के पास बैठकर पढ़ाया गया, और बाप दादों की व्यवस्था की ठीक रीति पर सिखाया गया; और परमेश्वर के लिये ऐसी धुन लगाए था, जैसे तुम सब आज लगाए हो। 4 और मैं ने पुरूष और स्त्री दोनों को बान्ध बान्धकर, और बन्दीगृह में डाल डालकर, इस पंथ को यहां तक सताया, कि उन्हें मरवा भी डाला। 5 इस बात के लिये महायाजक और सब पुरिनये गवाह हैं; कि उन में से मैं भाइयों के नाम पर चिट्ठियां लेकर दमिश्क को चला जा रहा था, कि जो वहां हों उन्हें भी दण्ड दिलाने के लिये बान्धकर यरूशलेम में लाऊं। 6 जब मैं चलते चलते दमिश्क के निकट पहुंचा, तो ऐसा हुआ कि दोपहर के लगभग एकाएक एक बड़ी ज्योति आकाश से मेरे चारों ओर चमकी। 7 और मैं भूमि पर गिर पड़ा: और यह शब्द सुना, कि हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? मैं ने उत्तर दिया, कि हे प्रभु, तू कौन है? 8 उस ने मुझ से कहा; मैं यीशु नासरी हूं, जिस तू सताता है। 9 और मेरे साथियों ने ज्योति तो देखी, परन्तु जो मुझ से बोलता था उसका शब्द न सुना। 10 तब मैने कहा; हे प्रभु मैं क्या करूं प्रभु ने मुझ से कहा; उठकर दमिश्क में जा, और जो कुछ तेरे करने के लिये ठहराया गया है वहां तुझ से सब कह दिया जाएगा। 11 जब उस ज्योति के तेज के मारे मुझे कुछ दिखाई न दिया, तो मैं अपने साथियों के हाथ पकड़े हुए दमिश्क में आया। 12 और हनन्याह नाम का व्यवस्था के अनुसार एक भक्त मनुष्य, जो वहां के रहने वाले सब यहूदियों में सुनाम था, मेरे पास आया। 13 और खड़ा होकर मुझ से कहा; हे भाई शाऊल फिर देखने लग: उसी घड़ी मेरे नेत्र खुल गए और मैं ने उसे देखा। 14 तब उस ने कहा; हमारे बाप दादों के परमेश्वर ने तुझे इसलिये ठहराया है, कि तू उस की इच्छा को जाने, और उस धर्मी को देखे, और उसके मुंह से बातें सुने। 15 क्योंकि तू उस की ओर से सब मनुष्यों के साम्हने उन बातों का गवाह होगा, जो तू ने देखी और सुनी हैं। 16 अब क्यों देर करता है? उठ, बपतिस्मा ले, और उसका नाम लेकर अपने पापों को धो डाल। 17 जब मैं फिर यरूशलेम में आकर मन्दिर में प्रार्थना कर रहा था, तो बेसुध हो गया। 18 और उस ने देखा कि मुझ से कहता है; जल्दी करके यरूशलेम से झट निकल जा: क्योंकि वे मेरे विषय में तेरी गवाही न मानेंगे। 19 मैं ने कहा; हे प्रभु वे तो आप जानते हैं, कि मैं तुझ पर विश्वास करने वालों को बन्दीगृह में डालता और जगह जगह आराधनालय में पिटवाता था। 20 और जब तेरे गवाह स्तिफनुस का लोहू बहाया जा रहा था तब मैं भी वहां खड़ा था, और इस बात में सहमत था, और उसके घातकों के कपड़ों की रखवाली करता था। 21 और उस ने मुझ से कहा, चला जा: क्योंकि मैं तुझे अन्यजातियों के पास दूर दूर भेजूंगा॥ प्रेरितों के काम 26:12-18 12 इसी धुन में जब मैं महायाजकों से अधिकार और परवाना लेकर दमिश्क को जा रहा था। 13 तो हे राजा, मार्ग में दोपहर के समय मैं ने आकाश से सूर्य के तेज से भी बढ़कर एक ज्योति अपने और अपने साथ चलने वालों के चारों ओर चमकती हुई देखी। 14 और जब हम सब भूमि पर गिर पड़े, तो मैं ने इब्रानी भाषा में, मुझ से यह कहते हुए यह शब्द सुना, कि हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? पैने पर लात मारना तेरे लिये कठिन है। 15 मैं ने कहा, हे प्रभु तू कौन है? प्रभु ने कहा, मैं यीशु हूं: जिसे तू सताता है। 16 परन्तु तू उठ, अपने पांवों पर खड़ा हो; क्योंकि मैं ने तुझे इसलिये दर्शन दिया है, कि तुझे उन बातों का भी सेवक और गवाह ठहराऊं, जो तू ने देखी हैं, और उन का भी जिन के लिये मैं तुझे दर्शन दूंगा। 17 और मैं तुझे तेरे लोगों से और अन्यजातियों से बचाता रहूंगा, जिन के पास मैं अब तुझे इसलिये भेजता हूं। 18 कि तू उन की आंखे खोले, कि वे अंधकार से ज्योति की ओर, और शैतान के अधिकार से परमेश्वर की ओर फिरें; कि पापों की क्षमा, और उन लोगों के साथ जो मुझ पर विश्वास करने से पवित्र किए गए हैं, मीरास पाएं।