पाठ 31 : यीशु गतसमनी में
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सारांश
यीशु गतसमनी में गतसमनी, किद्रोन तराई के पार यरूशलेम के पूर्व में जैतून पर्वत के नीचे जैतून की एक बारी है। अरामी में इस नाम का अर्थ है ‘एक तेल निकालने का कुण्ड।’ यह वह स्थान था जहाँ हमारा प्रभु अक्सर अपने चेलों के साथ जाकर विश्राम करता था (यूहन्ना 18:2)। आईए, अब हम उस घटना का अध्ययन करें जब हमारे प्रभु ने अंतिम बार उस यादगार बारी में प्रवेश किया। यरूशलेम में उपरौठी कोठरी में फसह के भोज के पश्चात् यीशु और उसके चेलों ने रात्रि के समय उस बारी में प्रवेश किया। वहाँ उसने उन से कहा, “जब तक मैं वहाँ जाकर प्रार्थना करता हूँ, तुम यहीं बैठो।” तथापि, उसने अपने साथ पतरस, यूहन्ना और याकूब को लिया। उसने उनसे कहा कि उसका मन बहुत उदास है और यहाँ तक कि वह मरने पर है। उन्हें वहीं ठहरने और उसके साथ जागते रहने के लिए कहकर, वह उनसे थोड़ा आगे बढ़ा और मुँह के बल गिरकर प्रार्थना करने लगा। उसने कहा, “हे मेरे पिता, यदि सम्भव हो तो यह प्याला मुझ से टल जाए। फिर भी मेरी नहीं, पर तेरी इच्छा पूरी हो।” तब परमेश्वर का दूत उसे दिखाई दिया जो उसे सामर्थ देता था। इब्रानियों का लेखक इस प्रार्थना का और जो उत्तर यीशु ने पाया उसका उल्लेख करता है (इब्रा. 5:7)। जब वह व्याकुलता में प्रार्थना कर रहा था उसका पसीना रक्त की बूंद के समान भूमि पर गिर रहा था। जब वह अपने चेलों के पास लौटा तो उसने उन्हें सोते हुए पाया। उनसे उठने और प्रार्थना करने के लिए कहा कि वे परीक्षा में न पड़ें। तुरंत ही यहूदा जो उस स्थान को जानता था (यूहन्ना 18:2), रोमी सेना के एक दल को और मुख्य याजकों तथा फरीसियों की ओर से सिपाहियों को लेकर वहाँ लालटेनें, मशालों और हथियारों सहित आया। यहूदा ने चाँदी के तीस सिक्कों के बदले प्रभु को पकड़वाने के लिए उनसे समझौता किया था (मत्ती 26:14-16)। वह यीशु के पास आया और उसे चूमा। यह ‘पहचान’ का एक चिन्ह था। यीशु ने कहा, “मित्र, क्या तू मनुष्य के पुत्र को चूमकर धोखे से पकड़वाता है?” यहूदा ने कोई उत्तर नहीं दिया। यीशु ने उन गिरफ्तार करनेवालों का सामना किया और कहा, “तुम किसे ढूंढ़ते हो?” उन्होंने कहा, “यीशु नासरी को।” यीशु ने कहा, “मैं हूँ।” उस पवित्र वाक्यांश को सुन, जो केवल परमेश्वर ही कह सकता था, वे पीछे हटे और भूमि पर गिर पड़े। उसने उस प्रश्न को दोहराया, जब वे सम्भल ही रहे थे, और उन्होंने वही उत्तर दिया। यीशु ने कहा, “मैं तुमसे कह चुका हूँ मैं वही हूँ, इसलिए यदि तुम मुझे ढूंढ़ते हो तो इन्हें जाने दो।” भय एवं चिन्ता से ग्रस्त पतरस ने तलवार खींचकर महायाजक के दास मलकुस पर चलाई और उसका दाहिना कान काट डाला। यीशु ने आज्ञा दिया, “तलवार मियान में रख! जो प्याला पिता ने मुझे दिया, क्या मैं उसे न पीऊं?” तत्पश्चात यीशु को गिरफ्तार कर लिया गया। इस प्रकार पृथ्वी पर हमारे प्रभु यीशु मसीह के अंतिम वाक्यांशों में से एक का अंत हुआ। तब जो कुछ हुआ वह हमारे पापों की बहुतायत, मसीह के प्रेम की विशालता और उस बड़े मूल्य को बताता है जो उसने हमारे छुटकारे के लिए दिया। उसने हम से प्रेम किया और हमारे लिए अपने आपको दे दिया।
बाइबल अध्यन
लूका 22:39-51 39 तब वह बाहर निकलकर अपनी रीति के अनुसार जैतून के पहाड़ पर गया, और चेले उसके पीछे हो लिए। 40 उस जगह पहुंचकर उस ने उन से कहा; प्रार्थना करो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो। 41 और वह आप उन से अलग एक ढेला फेंकने के टप्पे भर गया, और घुटने टेक कर प्रार्थना करने लगा। 42 कि हे पिता यदि तू चाहे तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले, तौभी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो। 43 तब स्वर्ग से एक दूत उस को दिखाई दिया जो उसे सामर्थ देता था। 44 और वह अत्यन्त संकट में व्याकुल होकर और भी ह्रृदय वेदना से प्रार्थना करने लगा; और उसका पसीना मानो लोहू की बड़ी बड़ी बून्दों की नाईं भूमि पर गिर रहा था। 45 तब वह प्रार्थना से उठा और अपने चेलों के पास आकर उन्हें उदासी के मारे सोता पाया; और उन से कहा, क्यों सोते हो? 46 उठो, प्रार्थना करो, कि परीक्षा में न पड़ो॥ 47 वह यह कह ही रहा था, कि देखो एक भीड़ आई, और उन बारहों में से एक जिस का नाम यहूदा था उनके आगे आगे आ रहा था, वह यीशु के पास आया, कि उसका चूमा ले। 48 यीशु ने उस से कहा, हे यहूदा, क्या तू चूमा लेकर मनुष्य के पुत्र को पकड़वाता है? 49 उसके साथियों ने जब देखा कि क्या होनेवाला है, कहा; हे प्रभु, क्या हम तलवार चलाएं? 50 और उन में से एक ने महायाजक के दास पर चलाकर उसका दाहिना कान उड़ा दिया। 51 इस पर यीशु ने कहा; अब बस करो: और उसका कान छूकर उसे अच्छा किया। मत्ती 26:36-45 36 तब यीशु ने अपने चेलों के साथ गतसमनी नाम एक स्थान में आया और अपने चेलों से कहने लगा कि यहीं बैठे रहना, जब तक कि मैं वहां जाकर प्रार्थना करूं। 37 और वह पतरस और जब्दी के दोनों पुत्रों को साथ ले गया, और उदास और व्याकुल होने लगा। 38 तब उस ने उन से कहा; मेरा जी बहुत उदास है, यहां तक कि मेरे प्राण निकला चाहते: तुम यहीं ठहरो, और मेरे साथ जागते रहो। 39 फिर वह थोड़ा और आगे बढ़कर मुंह के बल गिरा, और यह प्रार्थना करने लगा, कि हे मेरे पिता, यदि हो सके, तो यह कटोरा मुझ से टल जाए; तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, परन्तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो। 40 फिर चेलों के पास आकर उन्हें सोते पाया, और पतरस से कहा; क्या तुम मेरे साथ एक घड़ी भी न जाग सके? 41 जागते रहो, और प्रार्थना करते रहो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो: आत्मा तो तैयार है, परन्तु शरीर दुर्बल है। 42 फिर उस ने दूसरी बार जाकर यह प्रार्थना की; कि हे मेरे पिता, यदि यह मेरे पीए बिना नहीं हट सकता तो तेरी इच्छा पूरी हो। 43 तब उस ने आकर उन्हें फिर सोते पाया, क्योंकि उन की आंखें नींद से भरी थीं। 44 और उन्हें छोड़कर फिर चला गया, और वही बात फिर कहकर, तीसरी बार प्रार्थना की। 45 तब उस ने चेलों के पास आकर उन से कहा; अब सोते रहो, और विश्राम करो: देखो, घड़ी आ पहुंची है, और मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है। मरकुस 14:32-50 32 फिर वे गतसमने नाम एक जगह में आए, और उस ने अपने चेलों से कहा, यहां बैठे रहो, जब तक मैं प्रार्थना करूं। 33 और वह पतरस और याकूब और यूहन्ना को अपने साथ ले गया: और बहुत ही अधीर, और व्याकुल होने लगा। 34 और उन से कहा; मेरा मन बहुत उदास है, यहां तक कि मैं मरने पर हूं: तुम यहां ठहरो, और जागते रहो। 35 और वह थोड़ा आगे बढ़ा, और भूमि पर गिरकर प्रार्थना करने लगा, कि यदि हो सके तो यह घड़ी मुझ पर से टल जाए। 36 और कहा, हे अब्बा, हे पिता, तुझ से सब कुछ हो सकता है; इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले: तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, पर जो तू चाहता है वही हो। 37 फिर वह आया, और उन्हें सोते पाकर पतरस से कहा; हे शमौन तू सो रहा है? क्या तू एक घड़ी भी न जाग सका? 38 जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो: आत्मा तो तैयार है, पर शरीर दुर्बल है। 39 और वह फिर चला गया, और वही बात कहकर प्रार्थना की। 40 और फिर आकर उन्हें सोते पाया, क्योंकि उन की आंखे नींद से भरी थीं; और नहीं जानते थे कि उसे क्या उत्तर दें। 41 फिर तीसरी बार आकर उन से कहा; अब सोते रहो और विश्राम करो, बस, घड़ी आ पहुंची; देखो मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है। 42 उठो, चलें: देखो, मेरा पकड़वाने वाला निकट आ पहुंचा है॥ 43 वह यह कह ही रहा था, कि यहूदा जो बारहों में से था, अपने साथ महायाजकों और शास्त्रियों और पुरनियों की ओर से एक बड़ी भीड़ तलवारें और लाठियां लिए हुए तुरन्त आ पहुंची। 44 और उसके पकड़ने वाले ने उन्हें यह पता दिया था, कि जिस को मैं चूमूं वही है, उसे पकड़ कर यतन से ले जाना। 45 और वह आया, और तुरन्त उसके पास जाकर कहा; हे रब्बी और उस को बहुत चूमा। 46 तब उन्होंने उस पर हाथ डालकर उसे पकड़ लिया। 47 उन में से जो पास खड़े थे, एक ने तलवार खींच कर महायाजक के दास पर चलाई, और उसका कान उड़ा दिया। 48 यीशु ने उन से कहा; क्या तुम डाकू जानकर मेरे पकड़ने के लिये तलवारें और लाठियां लेकर निकले हो? 49 मैं तो हर दिन मन्दिर में तुम्हारे साथ रहकर उपदेश दिया करता था, और तब तुम ने मुझे न पकड़ा: परन्तु यह इसलिये हुआ है कि पवित्र शास्त्र की बातें पूरी हों। 50 इस पर सब चेले उसे छोड़कर भाग गए॥ यूहन्ना 18:1-11 1 यीशु ये बातें कहकर अपने चेलों के साथ किद्रोन के नाले के पार गया, वहां एक बारी थी, जिस में वह और उसके चेले गए। 2 और उसका पकड़वाने वाला यहूदा भी वह जगह जानता था, क्योंकि यीशु अपने चेलों के साथ वहां जाया करता था। 3 तब यहूदा पलटन को और महायाजकों और फरीसियों की ओर से प्यादों को लेकर दीपकों और मशालों और हथियारों को लिए हुए वहां आया। 4 तब यीशु उन सब बातों को जो उस पर आनेवाली थीं, जानकर निकला, और उन से कहने लगा, किसे ढूंढ़ते हो? 5 उन्होंने उस को उत्तर दिया, यीशु नासरी को: यीशु ने उन से कहा, मैं ही हूं: और उसका पकड़वाने वाला यहूदा भी उन के साथ खड़ा था। 6 उसके यह कहते ही, कि मैं हूं, वे पीछे हटकर भूमि पर गिर पड़े। 7 तब उस ने फिर उन से पूछा, तुम किस को ढूंढ़ते हो। 8 वे बोले, यीशु नासरी को। यीशु ने उत्तर दिया, मैं तो तुम से कह चुका हूं कि मैं ही हूं, यदि मुझे ढूंढ़ते हो तो इन्हें जाने दो। 9 यह इसलिये हुआ, कि वह वचन पूरा हो, जो उस ने कहा था कि जिन्हें तू ने मुझे दिया, उन में से मैं ने एक को भी न खोया। 10 शमौन पतरस ने तलवार, जो उसके पास थी, खींची और महायाजक के दास पर चलाकर, उसका दाहिना कान उड़ा दिया, उस दास का नाम मलखुस था। 11 तब यीशु ने पतरस से कहा, अपनी तलवार काठी में रख: जो कटोरा पिता ने मुझे दिया है क्या मैं उसे न पीऊं? इब्रानियों 5:7 7 उस ने अपनी देह में रहने के दिनों में ऊंचे शब्द से पुकार पुकार कर, और आंसू बहा बहा कर उस से जो उस को मृत्यु से बचा सकता था, प्रार्थनाएं और बिनती की और भक्ति के कारण उस की सुनी गई। मत्ती 26:14-16 14 तब यहूदा इस्करियोती नाम बारह चेलों में से एक ने महायाजकों के पास जाकर कहा। 15 यदि मैं उसे तुम्हारे हाथ पकड़वा दूं, तो मुझे क्या दोगे? उन्होंने उसे तीस चान्दी के सिक्के तौलकर दे दिए। 16 और वह उसी समय से उसे पकड़वाने का अवसर ढूंढ़ने लगा॥