पाठ 3 : लेवीय बलिदान
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सारांश
लेवीय बलिदान बलिदान लेवीय बलिदान जिस रीति से परमेश्वर द्वारा ठहराए गए हैं, दो प्रकार के हैंः अ. सुखदायक सुगन्ध वाले बलिदान ब. पाप बलिदान अ. सुखदायक सुगन्ध वाले बलिदान इन्हें सुखदायक सुगन्ध बलि इसलिए कहा गया है क्योंकि ये मसीह को उसकी अपनी सिद्धता में तथा परमेश्वर पिता की इच्छा के प्रति उसकी प्रेमपूर्ण भक्ति में दर्शाते हैं। निम्नलिखित सुखदायक सुगंध बलिदान हैंः 1.होमबलि बलिदान चढ़ाए जाने वाले पशु या पक्षी को पूरा जला दिया जाता था, जो कि परमेश्वर के प्रति पूर्ण आस्था का प्रतीक था। इस बलि को चढ़ाने वाले को निम्नलिखित बातें करने की आज्ञा दी गई थीः
- दोषरहित नर पशु को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर लाना था (लैव्य. 1:3)।
- उस पशु के सिर पर अपना हाथ रखना, इसके द्वारा स्वयं को उस पशु के साथ एक करना और यह सत्य स्वीकार करना कि वह पशु उसके पाप के प्रायश्चित के लिए मरेगा (लैव्य. 1:4)।
- यहोवा के सामने उस पशु को बलि करे (लैव्य. 1:5)।
- बलि चढ़ाए गए पशु के लोहू को उस वेदी पर चारों और छिड़के (लैव्य. 1:5)। लोहू बहाए बिना कोई प्रायश्चित नहीं है, “क्योंकि शरीर का प्राण तो लोहू में है” (लैव्य. 17:14)।
- सम्पूर्ण बलिदान को भस्म करे और वह यहोवा के लिए सुखदायक सुगन्धवाली अग्निबलि ठहरे (न्यायियों 13:20-21)। (4 एवं 5 को याजक द्वारा किया जाना था) होमबलि के विशेष पहलू
- सुखदायक सुगन्धबलि को स्वेच्छा से चढ़ाया जाना था (लैव्य. 1:3)।
- यह चढ़ानेवाले के पाप के लिए एक प्रायश्चित के रूप में ग्रहण किया जाना था (लैव्य. 1:4)।
- यह पूर्णतः भस्म की जाती थी (लैव्य. 1:8,9)। आत्मिक शिक्षा बलि चढ़ाया जाने वाला पशु दोषरहित बछड़ा हो सकता था, जो कि मसीह को उसकी सम्पूर्ण सहनशीलता तथा स्थिरता में दर्शाता है; यह एक भेड़ या मेम्ना हो सकता था, जो मसीह की (क्रूस पर मृत्यु तक) एक स्वैच्छिक बलिदान का प्रतीक है; यह एक पंडुक या कबूतर भी हो सकता था, जो कि अबोधता तथा दरिद्रता का प्रतीक है (वह हमारे लिए दरिद्र बना - 2 कुरिं. 8:9)।
- अन्नबलि यह होमबलि के साथ चढ़ाया जाने वाला एक लहूरहित बलिदान था (गिनती. 28:11,12)। यह बैतलहेम से क्रूस तक एक मनुष्य के रूप में यीशु मसीह के सम्पूर्ण जीवन के निष्पाप होने को दर्शाता है (1 पतरस 1:19)। इस बलिदान को चढ़ाने के लिए निम्नलिखित शर्तें थींः
- उत्तम मैदा (लैव्य. 2:1) यह यीशु मसीह के चरित्र की सिद्धता को बताता है। वह निष्पाप और पवित्र है (2 कुरिं. 5:21)।
- तेल (लैव्य. 2:1-6) यह तेल पवित्र आत्मा का रूपक है। मैदे के साथ मिला, तेल मसीह के पवित्र आत्मा द्वारा जन्म को बताता है (लूका 1:35)। मैदे पर तेल मसीह के पवित्र आत्मा के बपतिस्मे को बताता है (लूका 3:22)। टुकड़ों पर उण्डेला गया तेल मसीह को दर्शाता है जिसने अपने आपको पवित्र आत्मा द्वारा दे दिया (इब्रा9:14)।
- लोबान (लैव्य. 2:2) यह जलाए जाने पर एक सुखदायी सुगंध देता था, जो कि परमेश्वर के समक्ष मसीह के जीवन की सुगन्ध को दर्शाता है (इफिसियों 5:2)।
- नमक (लैव्य. 2:13) नमक स्वाद देता है। हमें स्मरण रखना है कि परमेश्वर की सन्तानें पृथ्वी का नमक हैं (मत्ती 5:13) और कि हमें इस संसार में मसीह का सा जीवन जीना है। इसका उपयोग संरक्षण के लिए भी किया जाता है। यह परमेश्वर एवं इस्राएल के मध्य विद्यमान “वाचा का नमक” के अनंत स्वभाव को दर्शाता है (गिनती 18:19; 2 इतिहास 13:5)।
- मधु का न होना (लैव्य. 2:11) अन्न बलि में, मधु नहीं होता था। हमारा यीशु मसीह ममें अपने आपमें मीठा है। उसे किसी मीठी की जाने वाली वस्तु की आवश्यकता नहीं है। यह मसीही सेवकाई में यह भी प्रकट करता है कि इसके आकर्षण को बढ़ाने के लिए हमें इसमें कुछ जोड़ने की आवश्यकता नहीं है।
- मेलबलि अ. महत्व मेलबलियाँ आनन्द के अवसरों से सम्बंधित थीं (व्यवस्था. 27:7)। यह परमेश्वर के साथ मेल को दर्शाती थी। पाप के प्रायश्चित के साथ, परमेश्वर एवं मनुष्य के मध्य खड़ी समस्त रूकावटें दूर हो जाती हैं। मेल हो जाता है। मसीह स्वयं हमारा मेलबलि है (इफिसियों 2:14)। उसने क्रूस पर अपनी मृत्यु द्वारा मेल किया (कुलु. 1:20), उनके लिए जो दूर थे ओर उनके लिए भी जो निकट थे (इफि. 2:13-17)। ब. मेलबलि के तीन पहलू
- एक निर्दोष मेम्ने को बलिदान चढ़ाना होता था।
- एक मन्नत या एक स्वेच्छाबलि, एक उठाने की भेंट के रूप में धन्यवाद के लिए इन बलियों को चढ़ाया जा सकता था (लैव्य. 7:11-21)।
- ये बलिदान “परमेश्वर के साथ मेल” (रोमियों 5:1), “परमेश्वर में शांति” (यूहन्ना 14:27), “परमेश्वर की शांति” (फिलि. 4:7) और “शांति के परमेश्वर” (इब्रा. 13:20) को चित्रित करते हैं। जब शांति नदी के रूप में मेरे मार्ग में आती है, जब दुख समुद्र के समान गरजता है, तूने मुझे यही कहना सिखाया है, “मेरा प्राण सुरक्षित है, मेरा प्राण सुरक्षित है, मेरा प्राण सुरक्षित है। मेरा प्राण सुरक्षित है, मेरा प्राण सुरक्षित है। क. बलिदान चढ़ाने की विधि एक निर्दोष मेम्ने को परमेश्वर की उपस्थिति में लाना था, और बलिदान चढ़ानेवाले को उसके सिर पर अपना हाथ रखना था और उसे बलि करना था। याजकों को उसके लोहू को वेदी पर तथा उसके चारों ओर छिड़कना था। चरबी को एक होमबलि के रूप में चढ़ाना था। ड. बलिदान भोज चरबी को चढ़ाने के पश्चात् मांस को याजकों, उनके परिवार तथा चढ़ानेवाले में बाँट लिया जाता था। यही वह एकमात्र बलिदान था जिसका कुछ अंश चढ़ानेवाले को भी मिलता था। यह सच में धन्यवादी बलिदान था। बलिदान चढ़ानेवाले को तेल से सने अखमीरी फुलके, अखमीरी रोटी के साथ तेल मिले मैदे के फुलके चढ़ाने की आज्ञा थी। जबकि अखमीरी फुलके एवं फुलके मसीह की संपूर्ण पवित्रता को दर्शाता है, ‘खमीरी रोटी’ चढ़ानेवाले के पापी होने को दर्शाता है। मेलबलि वस्तुतः मसीह के दुखों को दर्शाती है जो कि अब प्रभुभोज की मेज़ द्वारा प्रदर्शित है।
बाइबल अध्यन
लैव्यव्यवस्था अध्याय 1 10 और यदि वह भेड़ों वा बकरों का होमबलि चढ़ाए, तो निर्दोष नर को चढ़ाए।
लैव्यव्यवस्था अध्याय 3 17 यह तुम्हारे निवासों में तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी के लिये सदा की विधि ठहरेगी कि तुम चरबी और लोहू कभी न खाओ॥
लैव्यव्यवस्था अध्याय 6 9 हारून और उसके पुत्रों को आज्ञा देकर यह कह, कि होमबलि की व्यवस्था यह है; अर्थात होमबलि ईधन के ऊपर रात भर भोर तब वेदी पर पड़ा रहे, और वेदी की अग्नि वेदी पर जलती रहे। 10 और याजक अपने सनी के वस्त्र और अपने तन पर अपनी सनी की जांघिया पहिनकर होमबलि की राख, जो आग के भस्म करने से वेदी पर रह जाए, उसे उठा कर वेदी के पास रखे। 11 तब वह अपने वस्त्र उतारकर दूसरे वस्त्र पहिनकर राख को छावनी से बाहर किसी शुद्ध स्थान पर ले जाए। 12 और वेदी पर अग्नि जलती रहे, और कभी बुझने न पाए; और याजक भोर भोर उस पर लकडिय़ां जलाकर होमबलि के टुकड़ों को उसके ऊपर सजाकर धर दे, और उसके ऊपर मेलबलियों की चरबी को जलाया करे। 13 वेदी पर आग लगातार जलती रहे; वह कभी बुझने न पाए॥ 14 अन्नबलि की व्यवस्था इस प्रकार है, कि हारून के पुत्र उसको वेदी के आगे यहोवा के समीप ले आएं। 15 और वह अन्नबलि के तेल मिले हुए मैदे में से मुट्ठी भर और उस पर का सब लोबान उठा कर अन्नबलि के स्मरणार्थ के इस भाग को यहोवा के सम्मुख सुखदायक सुगन्ध के लिये वेदी पर जलाए। 16 और उस में से जो शेष रह जाए उसे हारून और उसके पुत्र खा जाएं; वह बिना खमीर पवित्र स्थान में खाया जाए, अर्थात वे मिलापवाले तम्बू के आंगन में उसे खाएं। 17 वह खमीर के साथ पकाया न जाए; क्योंकि मैं ने अपने हव्य में से उसको उनका निज भाग होने के लिये उन्हें दिया है; इसलिये जैसा पापबलि और दोषबलि परमपवित्र है वैसा ही वह भी है। 18 हारून के वंश के सब पुरूष उस में से खा सकते हैं तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में यहोवा के हवनों में से यह उनका भाग सदैव बना रहेगा; जो कोई उन हवनों को छूए वह पवित्र ठहरेगा॥
लैव्यव्यवस्था अध्याय 7 11 और मेलबलि की जिसे कोई यहोवा के लिये चढ़ाए व्यवस्था यह है। 12 यदि वह उसे धन्यवाद के लिये चढ़ाए, तो धन्यवाद-बलि के साथ तेल से सने हुए अखमीरी फुलके, और तेल से चुपड़ी हुई अखमीरी फुलके, और तेल से चुपड़ी हुई अखमीरी रोटियां, और तेल से सने हुए मैदे के फुलके तेल से तर चढ़ाए। 13 और वह अपने धन्यवाद वाले मेलबलि के साथ अखमीरी रोटियां भी चढ़ाए। 14 और ऐसे एक एक चढ़ावे में से वह एक एक रोटी यहोवा को उठाने की भेंट करके चढ़ाए; वह मेलबलि के लोहू के छिड़कने वाले याजक की होगी। 15 और उस धन्यवाद वाले मेलबलि का मांस बलिदान चढ़ाने के दिन ही खाया जाए; उस में से कुछ भी भोर तक शेष न रह जाए। 16 पर यदि उसके बलिदान का चढ़ावा मन्नत का वा स्वेच्छा का हो, तो उस बलिदान को जिस दिन वह चढ़ाया जाए उसी दिन वह खाया जाए, और उस में से जो शेष रह जाए वह दूसरे दिन भी खाया जाए। 17 परन्तु जो कुछ बलिदान के मांस में से तीसरे दिन तक रह जाए वह आग में जला दिया जाए। 18 और उसके मेलबलि के मांस में से यदि कुछ भी तीसरे दिन खाया जाए, तो वह ग्रहण न किया जाएगा, और न पुन में गिना जाएगा; वह घृणित कर्म समझा जाएगा, और जो कोई उस में से खाए उसका अधर्म उसी के सिर पर पड़ेगा। 19 फिर जो मांस किसी अशुद्ध वस्तु से छू जाए वह न खाया जाए; वह आग में जला दिया जाए। फिर मेलबलि का मांस जितने शुद्ध होंवे ही खाएं, 20 परन्तु जो अशुद्ध हो कर यहोवा के मेलबलि के मांस में से कुछ खाए वह अपने लोगों में से नाश किया जाए। 21 और यदि कोई किसी अशुद्ध वस्तु को छूकर यहोवा के मेलबलिपशु के मांस में से खाए, तो वह भी अपने लोगों में से नाश किया जाए, चाहे वह मनुष्य की कोई अशुद्ध वस्तु वा अशुद्ध पशु वा कोई भी अशुद्ध और घृणित वस्तु हो॥
2 कुरिन्थियों अध्याय 8 9 तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह जानते हो, कि वह धनी होकर भी तुम्हारे लिये कंगाल बन गया ताकि उसके कंगाल हो जाने से तुम धनी हो जाओ।
गिनती अध्याय 28 11 फिर अपने महीनों के आरम्भ में प्रतिमास यहोवा के लिये होमबलि चढ़ाना; अर्थात दो बछड़े, एक मेढ़ा, और एक एक वर्ष के निर्दोष भेड़ के सात बच्चे; 12 और बछड़े पीछे तेल से सना हुआ एपा का तीन दसवां अंश मैदा, और उस एक मेढ़े के साथ तेल से सना हुआ एपा का दो दसवां अंश मैदा;
1 पतरस अध्याय 1 19 पर निर्दोष और निष्कलंक मेम्ने अर्थात मसीह के बहुमूल्य लोहू के द्वारा हुआ।
व्यवस्थाविवरण अध्याय 27 7 और वहीं मेलबलि भी चढ़ाकर भोजन करना, और अपने परमेश्वर यहोवा के सम्मुख आनन्द करना।
इफिसियों अध्याय 2 14 क्योंकि वही हमारा मेल है, जिस ने दोनों को एक कर लिया: और अलग करने वाली दीवार को जो बीच में थी, ढा दिया।
कुलुस्सियों अध्याय 1 20 और उसके क्रूस पर बहे हुए लोहू के द्वारा मेल मिलाप करके, सब वस्तुओं का उसी के द्वारा से अपने साथ मेल कर ले चाहे वे पृथ्वी पर की हों, चाहे स्वर्ग में की।
इफिसियों अध्याय 2 13 पर अब तो मसीह यीशु में तुम जो पहिले दूर थे, मसीह के लोहू के द्वारा निकट हो गए हो। 14 क्योंकि वही हमारा मेल है, जिस ने दोनों को एक कर लिया: और अलग करने वाली दीवार को जो बीच में थी, ढा दिया। 15 और अपने शरीर में बैर अर्थात वह व्यवस्था जिस की आज्ञाएं विधियों की रीति पर थीं, मिटा दिया, कि दोनों से अपने में एक नया मनुष्य उत्पन्न करके मेल करा दे। 16 और क्रूस पर बैर को नाश करके इस के द्वारा दानों को एक देह बनाकर परमेश्वर से मिलाए। 17 और उस ने आकर तुम्हें जो दूर थे, और उन्हें जो निकट थे, दानों को मेल-मिलाप का सुसमाचार सुनाया।
प्रश्न-उत्तर
प्र 1. सुखदायी सुगन्ध बलिदानों को लिखीए ?
उ 1 :सुखदायी सुगंध बलिदान हैं [a ] होमबलि [b ]अन्नबलि [c ]मेलबलि।प्र 2. होमबलि,अनंबलि और मेलबलि में मसीह को कैसे दर्शाया गया है ?
उ 2 : होमबलि,अन्नबलि और मेलबलि में प्रभु यीशु मसीह को पूर्ण सिद्धता में तथा परमेश्वर पिता की इच्छा के प्रति प्रेमपूर्ण भक्ति को दर्शाया गया है।प्र 3. किस बलिदान में 'खमीर' की अनुमति दी गई थी ? यह क्या दर्शाता है ?
उ 3 : मेलबलि में 'खमीर'की अनुमति दी गयी थी क्योंकि परमेश्वर पवित्र है और सम्पूर्ण सिद्ध है लकिन मनुष्य में पाप है और क्योंकि यह बलि परमेश्वर और मनुष्य के बीच के मेल को दिखाता था। जब अखमीरी रोटी आग में पक जाती है तब उसका खमीर बेअसर हो जाता है। परमेश्वर मनुष्य के साथ मेल रखना चाहता है।प्र 4. अनंबलि से हम कौन सी आत्मिक शिक्षाएँ लेते है ?
उ 4 : अन्नबलि से हम यह आत्मिक शिक्षायें पातें हैं कि जिस प्रकार प्रभु यीशु मसीह ने बैतलहम से लेकर कलवारी के क्रूस तक मनुष्य रूप के सम्पूर्ण जीवन में पाप रहित थे उसी प्रकार हमें अपने जीवन को भी प्रभु यीशु मसीह के सामान पाप से दूर रहने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।प्र 5. चढ़ानेवाले को दी जाने वाली तीन गुना 'शांति' के नाम बताईए ?
उ 5 : चढ़ानेवाले को दी जाने वाली तीन गुना 'शान्ति ' के नाम हैं [a ] परमेश्वर में शांति [b ]परमेश्वर की शान्ति [c ]शान्ति का परमेश्वर।