पाठ 24 : मसीह के विभिन्न नाम और पदनाम ( क्रमागत )

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सारांश

मसीह के विभिन्न नाम और पदनाम (क्रमागत) यीशु मसीह जगत की ज्योति (यूहन्ना 8:12; 9:5) यीशु ने कहा, “जगत की ज्योति मैं ही हूँ।” हम (1यूहन्ना 1:5) में पढ़ते हैं कि, “परमेश्वर ज्योति है।” क्योंकि परमेश्वर ज्योति है इसलिए मसीह भी ज्योति है। मसीह के देहधारण से भी पहले, वह सच्ची ज्योति प्रत्येक मनुष्य को प्रकाशित करती है इस जगत में आई। जब मसीह इस जगत में आया तो उसने स्पष्ट कहा कि “जगत की ज्योति मैं ही हूँ।” उसमें कोई अंधकार नहीं है। (इफि. 5:9) कहता है कि “ज्योति का फल सब प्रकार की भलाई, धार्मिकता और सत्य है।” मसीह में हमेशा यह देखा गया था। ज्योति स्वयं चमकती है और सबकुछ प्रकट करती है। जहाँ ज्योति है वहाँ अंधकार के लिए कोई स्थान नहीं है। जो मसीह के अनुयायी हैं, वे ज्योति में हैं न कि अंधकार में। संसार को मसीह की ज्योति की आवश्यकता है। परंतु पाप इस धरती पर उस ज्योति को चमकने से रोकता है। जब यह दूर किया जाएगा तो ज्योति चमकेगी। क्योंकि यीशु मसीह ज्योति है, जहाँ कहीं वह जाता है ज्योति फैलती है। हमारे हृदय, घर तथा समाज उसकी उपस्थिति से प्रकाशित होते हैं। वह जगत की ज्योति है। द्वार (यूहन्ना 10:9) एक और नाम जिसे यीशु ने अपने लिए उपयोग किया वह “द्वार” है। “द्वार मैं हूँ” उसने कहा। कई लोगों ने दावा किया है कि उन्हें लोगों को भीतर लेने और बाहर निकालने का अधिकार है। यही वह अधिकार था जिसके द्वारा उस अंधे मनुष्य को समाज से बहिष्कृत किया गया था जिसे यीशु ने चंगा किया था (यूहन्ना 9)। यीशु उन्हें “चोर” कहता है। वे लोगों को धोखा देते थे। यीशु ने कहा कि केवल उसे ही लोगों को परमेश्वर की भेड़शाला मे लाने का अधिकार था। जो लोग उसके द्वारा प्रवेश करते हैं उन्हें ही अपने उद्धार की निश्चयता हो सकती है। वे सदाकाल के लिए सुरक्षित है। जो लोग मसीह के द्वारा प्रवेश करते हैं वे आत्मिक स्वतंत्रता में प्रवेश करते और आत्मिक पोषण करते हैं। मिलापवाले तम्बू का द्वार मसीह के विषय बताता है। उस द्वार का पर्दा रंग-बिरंगा और सुंदर है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि केवल एक ही द्वार था और वह बहुत चैड़ा था। जो द्वार पर खड़े हैं उन्हें भेड़शाला में प्रवेश करने के लिए मात्र एक ही कदम उठाना है। मार्ग सत्य और जीवन (यूहन्ना 14:16) पिछले पाठों में हमने ‘मार्ग’ और ‘सत्य’ के विषय में कुछ सीखा था। अब हम यीशु के जीवन होने के पहलू के विषय कुछ देखेंगे। कई लोग जो परमेश्वर की उपस्थिति मे जाना चाहते हैं नहीं पहुँच पाते हैं क्योंकि वे उस सच्चे मार्ग को नहीं पाते हैं जिसके द्वारा वे प्रवेश कर सकें। वे यह नहीं समझते हैं कि केवल एक ही द्वार है, और वे गलत स्थानों पर जाते और निराश होते हैं। “जीवन का द्वार” वास्तव में “जीवन के मार्ग” का आरम्भ है। यह द्वार मसीह है, मार्ग भी मसीह है। मिलापवाले तम्बू के बाहरी आंगन का द्वार उस मार्ग का आरम्भ है और कांसे की वेदी, हौदी, पवित्र स्थान और परम पवित्र स्थान को ले जाता है। जो लोग मसीह के द्वार से प्रवेश करते हैं उन्हें मार्ग पूछने की आवश्यकता नहीं है। वह सही मार्ग पर हैं। यदि कोई मसीह में है तो वह जीवन के मार्ग पर है। वह देखता है कि उसके सामने मार्ग स्पष्ट होता जाता है। मसीह के विषय ज्ञान दिन प्रतिदिन बढ़ता जाता है। जो द्वार से होकर मिलापवाले तम्बू में प्रवेश करता है वह कांसे की वेदी, हौदी तथा पवित्र स्थान में पहुँचता है। पवित्र स्थान में हम भेंट की रोटी, दीपदान तथा धूप की वेदी देखते हैं। भोजन, ज्योति और खुशबू इस स्थान के महत्वपूर्ण गुण हैं। जो लोग पवित्र स्थान में प्रवेश करते हैं वे संगति, आत्मिक प्रकाशन तथा आराधना में भाग लेते हैं। मसीह की मृत्यु के द्वारा हम, उस फटे पर्दे के द्वारा जो कि मसीह की देह है, परम पवित्र स्थान में प्रवेश करते हैं। वहाँ हम मसीह के साथ एक होते और परमेश्वर के तेज़ को पाते हैं।

बाइबल अध्यन

यूहन्ना 8:12 12 तब यीशु ने फिर लोगों से कहा, जगत की ज्योति मैं हूं; जो मेरे पीछे हो लेगा, वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा। यूहन्ना 9 : 1-41 1 फिर जाते हुए उस ने एक मनुष्य को देखा, जो जन्म का अन्धा था। 2 और उसके चेलों ने उस से पूछा, हे रब्बी, किस ने पाप किया था कि यह अन्धा जन्मा, इस मनुष्य ने, या उसके माता पिता ने? 3 यीशु ने उत्तर दिया, कि न तो इस ने पाप किया था, न इस के माता पिता ने: परन्तु यह इसलिये हुआ, कि परमेश्वर के काम उस में प्रगट हों। 4 जिस ने मुझे भेजा है; हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आनेवाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता। 5 जब तक मैं जगत में हूं, तब तक जगत की ज्योति हूं। 6 यह कहकर उस ने भूमि पर थूका और उस थूक से मिट्टी सानी, और वह मिट्टी उस अन्धे की आंखों पर लगाकर। 7 उस से कहा; जा शीलोह के कुण्ड में धो ले, (जिस का अर्थ भेजा हुआ है) सो उस ने जाकर धोया, और देखता हुआ लौट आया। 8 तब पड़ोसी और जिन्हों ने पहले उसे भीख मांगते देखा था, कहने लगे; क्या यह वही नहीं, जो बैठा भीख मांगा करता था? 9 कितनों ने कहा, यह वही है: औरों ने कहा, नहीं; परन्तु उसके समान है: उस ने कहा, मैं वही हूं। 10 तब वे उस से पूछने लगे, तेरी आंखें क्योंकर खुल गईं? 11 उस ने उत्तर दिया, कि यीशु नाम एक व्यक्ति ने मिट्टी सानी, और मेरी आंखों पर लगाकर मुझ से कहा, कि शीलोह में जाकर धो ले; सो मैं गया, और धोकर देखने लगा। 12 उन्होंने उस से पूछा; वह कहां है? उस ने कहा; मैं नहीं जानता॥ 13 लोग उसे जो पहिले अन्धा था फरीसियों के पास ले गए। 14 जिस दिन यीशु ने मिट्टी सानकर उस की आंखे खोलीं थी वह सब्त का दिन था। 15 फिर फरीसियों ने भी उस से पूछा; तेरी आंखें किस रीति से खुल गईं? उस न उन से कहा; उस ने मेरी आंखो पर मिट्टी लगाई, फिर मैं ने धो लिया, और अब देखता हूं। 16 इस पर कई फरीसी कहने लगे; यह मनुष्य परमेश्वर की ओर से नहीं, क्योंकि वह सब्त का दिन नहीं मानता। औरों ने कहा, पापी मनुष्य क्योंकर ऐसे चिन्ह दिखा सकता है? सो उन में फूट पड़ी। 17 उन्होंने उस अन्धे से फिर कहा, उस ने जो तेरी आंखे खोलीं, तू उसके विषय में क्या कहता है? उस ने कहा, यह भविष्यद्वक्ता है। 18 परन्तु यहूदियों को विश्वास न हुआ कि यह अन्धा था और अब देखता है जब तक उन्होंने उसके माता-पिता को जिस की आंखे खुल गईं थी, बुलाकर। 19 उन से न पूछा, कि क्या यह तुम्हारा पुत्र है, जिसे तुम कहते हो कि अन्धा जन्मा था? फिर अब क्योंकर देखता है? 20 उसके माता-पिता ने उत्तर दिया; हम तो जानते हैं कि यह हमारा पुत्र है, और अन्धा जन्मा था। 21 परन्तु हम यह नहीं जानते हैं कि अब क्योंकर देखता है; और न यह जानते हैं, कि किस ने उस की आंखे खोलीं; वह सयाना है; उसी से पूछ लो; वह अपने विषय में आप कह देगा। 22 ये बातें उसके माता-पिता ने इसलिये कहीं क्योंकि वे यहूदियों से डरते थे; क्योंकि यहूदी एका कर चुके थे, कि यदि कोई कहे कि वह मसीह है, तो आराधनालय से निकाला जाए। 23 इसी कारण उसके माता-पिता ने कहा, कि वह सयाना है; उसी से पूछ लो। 24 तब उन्होंने उस मनुष्य को जो अन्धा था दूसरी बार बुलाकर उस से कहा, परमेश्वर की स्तुति कर; हम तो जानते हैं कि वह मनुष्य पापी है। 25 उस ने उत्तर दिया: मैं नहीं जानता कि वह पापी है या नहीं: मैं एक बात जानता हूं कि मैं अन्धा था और अब देखता हूं। 26 उन्होंने उस से फिर कहा, कि उस ने तेरे साथ क्या किया? और किस तेरह तेरी आंखें खोलीं? 27 उस ने उन से कहा; मैं तो तुम से कह चुका, और तुम ने ना सुना; अब दूसरी बार क्यों सुनना चाहते हो? क्या तुम भी उसके चेले होना चाहते हो? 28 तब वे उसे बुरा-भला कहकर बोले, तू ही उसका चेला है; हम तो मूसा के चेले हैं। 29 हम जानते हैं कि परमेश्वर ने मूसा से बातें कीं; परन्तु इस मनुष्य को नहीं जानते की कहां का है। 30 उस ने उन को उत्तर दिया; यह तो अचम्भे की बात है कि तुम नहीं जानते की कहां का है तौभी उस ने मेरी आंखें खोल दीं। 31 हम जानते हैं कि परमेश्वर पापियों की नहीं सुनता परन्तु यदि कोई परमेश्वर का भक्त हो, और उस की इच्छा पर चलता है, तो वह उस की सुनता है। 32 जगत के आरम्भ से यह कभी सुनने में नहीं आया, कि किसी ने भी जन्म के अन्धे की आंखे खोली हों। 33 यदि यह व्यक्ति परमेश्वर की ओर से न होता, तो कुछ भी नहीं कर सकता। 34 उन्होंने उस को उत्तर दिया, कि तू तो बिलकुल पापों में जन्मा है, तू हमें क्या सिखाता है? और उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया॥ 35 यीशु ने सुना, कि उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया है; और जब उसे भेंट हुई तो कहा, कि क्या तू परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करता है? 36 उस ने उत्तर दिया, कि हे प्रभु; वह कौन है कि मैं उस पर विश्वास करूं? 37 यीशु ने उस से कहा, तू ने उसे देखा भी है; और जो तेरे साथ बातें कर रहा है वही है। 38 उस ने कहा, हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूं: और उसे दंडवत किया। 39 तब यीशु ने कहा, मैं इस जगत में न्याय के लिये आया हूं, ताकि जो नहीं देखते वे देखें, और जो देखते हैं वे अन्धे हो जाएं। 40 जो फरीसी उसके साथ थे, उन्होंने ये बातें सुन कर उस से कहा, क्या हम भी अन्धे हैं? 41 यीशु ने उन से कहा, यदि तुम अन्धे होते तो पापी न ठहरते परन्तु अब कहते हो, कि हम देखते हैं, इसलिये तुम्हारा पाप बना रहता है॥ यूहन्ना 10:9 9 द्वार मैं हूं: यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे तो उद्धार पाएगा और भीतर बाहर आया जाया करेगा और चारा पाएगा। यूहन्ना 14:6,16 6 यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता। 16 और मैं पिता से बिनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे। इफ़िसियों 5:9 9 क्योंकि ज्योति का फल सब प्रकार की भलाई, और धामिर्कता, और सत्य है।