पाठ 23 : मसीह के विभिन्न नाम और पदनाम ( क्रमागत )

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सारांश

मसीह के विभिन्न नाम और पदनाम (क्रमागत) बारम्बार यीशु मसीह ने “मैं… हूँ” वाक्यांश का उपयोग करते हुए अनेक दावे किए। उदाहरण के लिए, उसने कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ।” जब यीशु मसीह ने दावा किया कि वह जीवन है, उसका तात्पर्य मात्र शारीरिक जीवन नहीं था, परंतु अनंत एवं आत्मिक जीवन था। जीवन (यूहन्ना 11:25) परमेश्वर ने जब मनुष्य को बनाया, तो उसने उसे जीवन दिया (उत्पत्ति 2:7)। परंतु किसी से मसीह में जीवन प्राप्त नहीं होता है। वह जीवन का स्रोत है। उसमें जीवन था (यूहन्ना 1:4)। इसके साथ ही मसीह ने दावा किया, “मार्ग, सत्य और जीवन मैं ही हूँ” (यूहन्ना 14:6)। फिर उसने कहा, “पिता इसलिए मुझसे प्रेम रखता है कि मैं अपना प्राण देता हूँ कि उसे फिर ले लूँ” (यूहन्ना 10:17)। उसने अपने दावे को मृतक को जीवित करने के द्वारा सच ठहराया, इस प्रकार जीवन और मृत्यु पर अधिकार प्रकट किया। मसीह के पास नर्क और मृत्यु की कुँजी है (प्रकाशित. 1:18)। मसीह न केवल शारीरिक रूप से मरे हुओं को जीवन देता है, परंतु उन्हें भी जो पापों और अपराधों के कारण मरे हुए हैं (इफि. 2:1; यूह10:28)। जिन्होंने मसीह को ग्रहण किया है वे मृत्यु से पार होकर अनंत जीवन में प्रवेश कर चुके हैं (यूहन्ना 5:24)। जो मसीह पर विश्वास करते हैं वे मसीह में हैं (कुलु. 3:4)। वह जो कि जीवन है और जीवन का स्रोत है, मर कैसे सकता है? असम्भव! परंतु उसके मनुष्य बनने के द्वारा यह असम्भव कार्य हो सका है। उसकी मानवता की पुष्टि उसकी मृत्यु के द्वारा और उसके ईश्वरत्व की पुष्टि उसके पुनरुत्थान के द्वारा हुई। जीवन की रोटी (यूहन्ना 6:48) जीवन के लिए रोटी अनिवार्य है। मसीह ने दावा किया कि वह ‘जीवन की रोटी’ है। अर्थात मसीह के बिना किसी का आत्मिक जीवन नहीं मिल सकता है, आत्मिक विकास की बात तो दूर की है। एकमात्र आश्चर्यकर्म जिसे चारों सुसमाचारों में लिखा गया है वह पाँच रोटी से पाँच हजार लोगों को खिलाने का है। इस आश्चर्यकर्म के कारण अनेक लोग मसीह के पीछे हो लिए थे। आज भी लोग भौतिक लाभ के लिए यीशु का अनुसरण करते हैं। यीशु ने इस अवसर पर उपयोग उन्हें यह सिखाने के लिए किया कि उन्हें आत्मिक रोटी के लिए भूखे होना चाहिए। तब उसने कहा, “जीवन की रोटी मैं हूँ” वही स्वर्ग से उतरी रोटी है। पुराना नियम की मन्ना यीशु मसीह का प्रतीक है। कुछ लोग झूठी शिक्षा देते हैं कि प्रभु भोज की मेज़ के तत्व वास्तव में मसीह की देह और लोहू हैं। इस धर्म सिद्धांत को ‘ट्रान्सबस्टेनसिएशन’ कहते हैं। यह कथन, “जीवन की रोटी मैं हूँ”, आत्मिक रूप से लिया जाना चाहिए। शारीरिक जीवन के लिए जिस रीति से रोटी और पानी अनिवार्य है, मसीह भी हमारे आत्मिक जीवन के लिए अनिवार्य है। जो उस से खाते और पीते हैं उन्हें पूर्ण संतुष्टि मिलेगी। वही जीवन की रोटी है।

बाइबल अध्यन

यूहन्ना 1:1-14 1 आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था। 2 यही आदि में परमेश्वर के साथ था। 3 सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई। 4 उस में जीवन था; और वह जीवन मुनष्यों की ज्योति थी। 5 और ज्योति अन्धकार में चमकती है; और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया। 6 एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिस का नाम यूहन्ना था। 7 यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं। 8 वह आप तो वह ज्योति न था, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था। 9 सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आनेवाली थी। 10 वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना। 11 वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। 12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। 13 वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। 14 और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा। यूहन्ना 5: 24 24 मैं तुम से सच सच कहता हूं, जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजने वाले की प्रतीति करता है, अनन्त जीवन उसका है, और उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती परन्तु वह मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका है। यूहन्ना 6:1-58 1 इन बातों के बाद यीशु गलील की झील अर्थात तिबिरियास की झील के पास गया। 2 और एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली क्योंकि जो आश्चर्य कर्म वह बीमारों पर दिखाता था वे उन को देखते थे। 3 तब यीशु पहाड़ पर चढ़कर अपने चेलों के साथ वहां बैठा। 4 और यहूदियों के फसह के पर्व निकट था। 5 तब यीशु ने अपनी आंखे उठाकर एक बड़ी भीड़ को अपने पास आते देखा, और फिलेप्पुस से कहा, कि हम इन के भोजन के लिये कहां से रोटी मोल लाएं? 6 परन्तु उस ने यह बात उसे परखने के लिये कही; क्योंकि वह आप जानता था कि मैं क्या करूंगा। 7 फिलेप्पुस ने उस को उत्तर दिया, कि दो सौ दीनार की रोटी उन के लिये पूरी भी न होंगी कि उन में से हर एक को थोड़ी थोड़ी मिल जाए। 8 उसके चेलों में से शमौन पतरस के भाई अन्द्रियास ने उस से कहा। 9 यहां एक लड़का है जिस के पास जव की पांच रोटी और दो मछिलयां हैं परन्तु इतने लोगों के लिये वे क्या हैं? 10 यीशु ने कहा, कि लोगों को बैठा दो। उस जगह बहुत घास थी: तब वे लोग जो गिनती में लगभग पांच हजार के थे, बैठ गए: 11 तब यीशु ने रोटियां लीं, और धन्यवाद करके बैठने वालों को बांट दी: और वैसे ही मछिलयों में से जितनी वे चाहते थे बांट दिया। 12 जब वे खाकर तृप्त हो गए तो उस ने अपने चेलों से कहा, कि बचे हुए टुकड़े बटोर लो, कि कुछ फेंका न जाए। 13 सो उन्होंने बटोरा, और जव की पांच रोटियों के टुकड़े जो खाने वालों से बच रहे थे उन की बारह टोकिरयां भरीं। 14 तब जो आश्चर्य कर्म उस ने कर दिखाया उसे वे लोग देखकर कहने लगे; कि वह भविष्यद्वक्ता जो जगत में आनेवाला था निश्चय यही है। 15 यीशु यह जानकर कि वे मुझे राजा बनाने के लिये आकर पकड़ना चाहते हैं, फिर पहाड़ पर अकेला चला गया। 16 फिर जब संध्या हुई, तो उसके चेले झील के किनारे गए। 17 और नाव पर चढ़कर झील के पार कफरनहूम को जाने लगे: उस समय अन्धेरा हो गया था, और यीशु अभी तक उन के पास नहीं आया था। 18 और आन्धी के कारण झील में लहरे उठने लगीं। 19 सो जब वे खेते खेते तीन चार मील के लगभग निकल गए, तो उन्होंने यीशु को झील पर चलते, और नाव के निकट आते देखा, और डर गए। 20 परन्तु उस ने उन से कहा, कि मैं हूं; डरो मत। 21 सो वे उसे नाव पर चढ़ा लेने के लिये तैयार हुए और तुरन्त वह नाव उस स्थान पर जा पहुंची जहां वह जाते थे। 22 दूसरे दिन उस भीड़ ने, जो झील के पार खड़ी थी, यह देखा, कि यहां एक को छोड़कर और कोई छोटी नाव न थी, और यीशु अपने चेलों के साथ उस नाव पर न चढ़ा, परन्तु केवल उसके चेले चले गए थे। 23 (तौभी और छोटी नावें तिबिरियास से उस जगह के निकट आई, जहां उन्होंने प्रभु के धन्यवाद करने के बाद रोटी खाई थी।) 24 सो जब भीड़ ने देखा, कि यहां न यीशु है, और न उसके चेले, तो वे भी छोटी छोटी नावों पर चढ़ के यीशु को ढूंढ़ते हुए कफरनहूम को पहुंचे। 25 और झील के पार उस से मिलकर कहा, हे रब्बी, तू यहां कब आया? 26 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच सच कहता हूं, तुम मुझे इसलिये नहीं ढूंढ़ते हो कि तुम ने अचम्भित काम देखे, परन्तु इसलिये कि तुम रोटियां खाकर तृप्त हुए। 27 नाशमान भोजन के लिये परिश्रम न करो, परन्तु उस भोजन के लिये जो अनन्त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा, क्योंकि पिता, अर्थात परमेश्वर ने उसी पर छाप कर दी है। 28 उन्होंने उस से कहा, परमेश्वर के कार्य करने के लिये हम क्या करें? 29 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया; परमेश्वर का कार्य यह है, कि तुम उस पर, जिसे उस ने भेजा है, विश्वास करो। 30 तब उन्होंने उस से कहा, फिर तू कौन का चिन्ह दिखाता है कि हम उसे देखकर तेरी प्रतीति करें, तू कौन सा काम दिखाता है? 31 हमारे बाप दादों ने जंगल में मन्ना खाया; जैसा लिखा है; कि उस ने उन्हें खाने के लिये स्वर्ग से रोटी दी। 32 यीशु ने उन से कहा, मैं तुम से सच सच कहता हूं कि मूसा ने तुम्हें वह रोटी स्वर्ग से न दी, परन्तु मेरा पिता तुम्हें सच्ची रोटी स्वर्ग से देता है। 33 क्योंकि परमेश्वर की रोटी वही है, जो स्वर्ग से उतरकर जगत को जीवन देती है। 34 तब उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, यह रोटी हमें सर्वदा दिया कर। 35 यीशु ने उन से कहा, जीवन की रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा। 36 परन्तु मैं ने तुम से कहा, कि तुम ने मुझे देख भी लिया है, तोभी विश्वास नहीं करते। 37 जो कुछ पिता मुझे देता है वह सब मेरे पास आएगा, उसे मैं कभी न निकालूंगा। 38 क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, वरन अपने भेजने वाले की इच्छा पूरी करने के लिये स्वर्ग से उतरा हूं। 39 और मेरे भेजने वाले की इच्छा यह है कि जो कुछ उस ने मुझे दिया है, उस में से मैं कुछ न खोऊं परन्तु उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊं। 40 क्योंकि मेरे पिता की इच्छा यह है, कि जो कोई पुत्र को देखे, और उस पर विश्वास करे, वह अनन्त जीवन पाए; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा। 41 सो यहूदी उस पर कुड़कुड़ाने लगे, इसलिये कि उस ने कहा था; कि जो रोटी स्वर्ग से उतरी, वह मैं हूं। 42 और उन्होंने कहा; क्या यह यूसुफ का पुत्र यीशु नहीं, जिस के माता पिता को हम जानते हैं? तो वह क्योंकर कहता है कि मैं स्वर्ग से उतरा हूं। 43 यीशु ने उन को उत्तर दिया, कि आपस में मत कुड़कुड़ाओ। 44 .कोई मेरे पास नहीं आ सकता, जब तक पिता, जिस ने मुझे भेजा है, उसे खींच न ले; और मैं उस को अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा। 45 भविष्यद्वक्ताओं के लेखों में यह लिखा है, कि वे सब परमेश्वर की ओर से सिखाए हुए होंगे। जिस किसी ने पिता से सुना और सीखा है, वह मेरे पास आता है। 46 यह नहीं, कि किसी ने पिता को देखा परन्तु जो परमेश्वर की ओर से है, केवल उसी ने पिता को देखा है। 47 मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो कोई विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसी का है। 48 जीवन की रोटी मैं हूं। 49 तुम्हारे बाप दादों ने जंगल में मन्ना खाया और मर गए। 50 यह वह रोटी है जो स्वर्ग से उतरती है ताकि मनुष्य उस में से खाए और न मरे। 51 जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी मैं हूं। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूंगा, वह मेरा मांस है। 52 इस पर यहूदी यह कहकर आपस में झगड़ने लगे, कि यह मनुष्य क्योंकर हमें अपना मांस खाने को दे सकता है? 53 यीशु ने उन से कहा; मैं तुम से सच सच कहता हूं जब तक मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, और उसका लोहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं। 54 जो मेरा मांस खाता, और मेरा लोहू पीता है, अनन्त जीवन उसी का है, और मैं अंतिम दिन फिर उसे जिला उठाऊंगा। 55 क्योंकि मेरा मांस वास्तव में खाने की वस्तु है और मेरा लोहू वास्तव में पीने की वस्तु है। 56 जो मेरा मांस खाता और मेरा लोहू पीता है, वह मुझ में स्थिर बना रहता है, और मैं उस में। 57 जैसा जीवते पिता ने मुझे भेजा और मैं पिता के कारण जीवित हूं वैसा ही वह भी जो मुझे खाएगा मेरे कारण जीवित रहेगा। 58 जो रोटी स्वर्ग से उतरी यही है, बाप दादों के समान नहीं कि खाया, और मर गए: जो कोई यह रोटी खाएगा, वह सर्वदा जीवित रहेगा। यूहन्ना 10:10,17,28 10 चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्ट करने को आता है। मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं। 17 पिता इसलिये मुझ से प्रेम रखता है, कि मैं अपना प्राण देता हूं, कि उसे फिर ले लूं। 28 और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूं, और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा। यूहन्ना 11:25 25 यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा। यूहन्ना 14:6 6 यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता। उत्पति 2:7 7 और यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूंक दिया; और आदम जीवता प्राणी बन गया। प्रकाशितवाक्य 1:18 18 मैं मर गया था, और अब देख; मैं युगानुयुग जीवता हूं; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियां मेरे ही पास हैं। कुलुस्सियों 3:4 4 जब मसीह जो हमारा जीवन है, प्रगट होगा, तब तुम भी उसके साथ महिमा सहित प्रगट किए जाओगे। इफ़िसियों 2:1 1 और उस ने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे।