पाठ 20 : यूहन्ना रचित सुसमाचार
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सारांश
यूहन्ना रचित सुसमाचार लेखक ऐसा कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है कि यूहन्ना ने इस सुसमाचार को लिखा। वह अक्सर उन घटनाओं का प्रत्यक्षदर्शी होने का दावा करता है जिन्हें वह लिखता है। वह स्वयं को ‘वह चेला जिससे यीशु प्रेम करता था’ कहता है। यह भी बहुत स्पष्ट है कि यह लेखक पुराना नियम और यहूदी पर्वों को अच्छी रीति से जानता था। और अनेक ऐसी बातें हैं जो यूहन्ना के लेखक होने को प्रमाणित करती हैं। वह जब्दी का पुत्र और याकूब का भाई था (मत्ती 4:21)। याकूब एवं पतरस के साथ वह घनिष्ठ शिष्यों में से एक था। उसकी माता सलोमी, यीशु की माता मरियम की बहन थी (मरकुस 15:40-41)। ऐसा लगता है कि उसका परिवार सम्पन्न था। यूहन्ना पहले तो यूहन्ना बपतिस्मादाता का शिष्य था। (यूहन्ना 1:35-42) में हम देखते हैं कि वह अन्द्रियास के साथ यीशु के पास गया। यह तथ्य कि वह सबसे प्रिय चेला था (यूहन्ना 13:23-25) में प्रकट किया गया है। उसे ‘प्रेम का प्रेरित’ रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि उसका मुख्य विषय प्रेम है। इस सुसमाचार के अतिरिक्त यूहन्ना की पत्रियों तथा प्रकाशितवाक्य के लेखन का श्रेय भी उसे दिया जाता है। ये सब प्रथम शताब्दी के समाप्त होते होते लिखी गई थीं। यूहन्ना ने अपने जीवन के अंतिम दिनों को इफीसुस में व्यतीत किया। उसे कलीसिया में आई झूठी शिक्षाओं, विशेषकर मसीह के ईश्वरत्व से सम्बंधित, से लड़ना पड़ा था। जब वह पतमोस के टापू में बंदी था तब उसे ‘प्रकाशन’ दिए गए। यह माना जाता है कि वह दीर्घायु पाकर स्वाभाविक मृत्यु से मरा। सुसमाचार यह सुसमाचार जो ‘परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह’ के विषय बताता है, उसके ईश्वरीय स्वभाव को प्रकट करता है। यहेजकेल के उकाब सदृश चेहरे वाला प्राणी और मिलाप के तम्बू का नीले रंग का पर्दा मसीह के ईश्वरत्व को चित्रित करते हैं। यूहन्ना इस सुसमाचार को लिखने का उद्देश्य बताता है, “कि तुम विश्वास करो कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है, और विश्वास करके उसके नाम से जीवन पाओ” (20:31)। यीशु द्वारा किए गए आश्चर्यकर्मों को यह प्रमाणित करने के लिए लिखा गया है कि वह परमेश्वर है। उसने पानी को दाखरस बनाया (2:1-11), यह दर्शाता है कि वह पानी को अच्छा एवं मीठा बना सकता था, उसने राजकर्मचारी के सेवक को चंगा किया जो बीस मील की दूरी पर था (4:46-54), यह प्रमाणित करते हुए कि उस के आश्चर्यजनक कार्यों के दूरी कोई रूकावट नहीं थी, उसने 38 वर्ष के बीमार एक मनुष्य को चंगा करने के द्वारा ‘समय’ पर अपनी प्रभुता प्रकट किया (5:1-18), उसने पाँच रोटी से पाँच हजार लोगों को खिलाया। यह दर्शाता है कि वह थोड़े से बहुतायत उत्पन्न कर सकता है (6:1-14)। जब वह पानी पर चला तो प्रकृति पर प्रभु का अधिकार प्रकट हुआ (6:16-21)।उसने जन्म से अंधे को चंगाकर यह प्रकट किया कि वह जन्मजात रोग को चंगा कर सकता था (9:1-11)। लाज़र को कब्र से जिन्दा कर मृत्यु पर अपने अधिकार को प्रमाणित किया। किन्हें लिखा गया जबकि प्रथम तीन सुसमाचार यहूदियों एवं अन्यजातियों को लिखे गए थे यह सुसमाचार परमेश्वर की कलीसिया के लिए लिखा गया था। यूहन्ना चाहता था कि विश्वासी लोग मसीह के ईश्वरत्व के सिद्धांत से भटक न जाएं। प्रथम शताब्दी के अंत तक अनेक झूठे शिक्षक कलीसिया में घुस आए थे। यूहन्ना चाहता था कि विश्वासी लोग ऐसी झूठी शिक्षाओं का विरोध करें। यह माना जाता है कि उसने इफिसुस से लिखा। यद्यपि भाषा सरल है, इसमें गहन विचार है। “विश्वास करो” और “प्रेम करो” जैसे शब्द अनेक बार आते हैं। इस सुसमाचार की तुलना मिलापवाले तम्बू के विभिन्न भागों से की जा सकती है। प्रथम ग्यारह अध्यायों में प्रभु भीड़ के मध्य कार्य कर रहा है, जैसे कि बाहरी आंगन में था। बारहवें अध्याय में हम कोसे की वेदी को देखते हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि यीशु ने चार बार अपनी मृत्यु के बारे में कहा। तेरहवां अध्याय चीतल की हौदी को दर्शाते हैं और वहाँ हम प्रभु को अपने चेलों के पाँव धोते देखते हैं। अध्याय चैदह और सत्रह में हमारा प्रभु परमपवित्र स्थान में है। अंतिम अध्याय में अपने पिता के साथ सहभागिता करता प्रभु अपने बहुमूल्य लोहू को बहाने के द्वारा प्रभु द्वारा लाए छुटकारे को दर्शाता है।
बाइबल अध्यन
यूहन्ना 1:1-18 ,35-42 1 आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था। 2 यही आदि में परमेश्वर के साथ था। 3 सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई। 4 उस में जीवन था; और वह जीवन मुनष्यों की ज्योति थी। 5 और ज्योति अन्धकार में चमकती है; और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया। 6 एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिस का नाम यूहन्ना था। 7 यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं। 8 वह आप तो वह ज्योति न था, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था। 9 सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आनेवाली थी। 10 वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना। 11 वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। 12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। 13 वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। 14 और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा। 15 यूहन्ना ने उसके विषय में गवाही दी, और पुकारकर कहा, कि यह वही है, जिस का मैं ने वर्णन किया, कि जो मेरे बाद आ रहा है, वह मुझ से बढ़कर है क्योंकि वह मुझ से पहिले था। 16 क्योंकि उस की परिपूर्णता से हम सब ने प्राप्त किया अर्थात अनुग्रह पर अनुग्रह। 17 इसलिये कि व्यवस्था तो मूसा के द्वारा दी गई; परन्तु अनुग्रह, और सच्चाई यीशु मसीह के द्वारा पहुंची। 18 परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा, एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में हैं, उसी ने उसे प्रगट किया॥ 35 दूसरे दिन फिर यूहन्ना और उसके चेलों में से दो जन खड़े हुए थे। 36 और उस ने यीशु पर जो जा रहा था दृष्टि करके कहा, देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है। 37 तब वे दोनों चेले उस की यह सुनकर यीशु के पीछे हो लिए। 38 यीशु ने फिरकर और उन को पीछे आते देखकर उन से कहा, तुम किस की खोज में हो? उन्होंने उस से कहा, हे रब्बी, अर्थात (हे गुरू) तू कहां रहता है? उस ने उन से कहा, चलो, तो देख लोगे। 39 तब उन्होंने आकर उसके रहने का स्थान देखा, और उस दिन उसी के साथ रहे; और यह दसवें घंटे के लगभग था। 40 उन दोनों में से जो यूहन्ना की बात सुनकर यीशु के पीछे हो लिए थे, एक तो शमौन पतरस का भाई अन्द्रियास था। 41 उस ने पहिले अपने सगे भाई शमौन से मिलकर उस से कहा, कि हम को ख्रिस्तुस अर्थात मसीह मिल गया। 42 वह उसे यीशु के पास लाया: यीशु ने उस पर दृष्टि करके कहा, कि तू यूहन्ना का पुत्र शमौन है, तू केफा, अर्थात पतरस कहलाएगा॥ यूहन्ना 2:1-11 1 फिर उस से कहा, मैं तुम से सच सच कहता हूं कि तुम स्वर्ग को खुला हुआ, और परमेश्वर के स्वर्गदूतों को ऊपर जाते और मनुष्य के पुत्रा के ऊपर उतरते देखोगे।। 2 फिर तीसरे दिन गलील के काना में किसी का ब्याह था, और यीशु की माता भी वहां थी। 3 और यीशु और उसके चेले भी उस ब्याह में नेवते गए थे। 4 जब दाखरस घट गया, तो यीशु की माता ने उस से कहा, कि उन के पास दाखरस नहीं रहा। 5 यीशु ने उस से कहा, हे महिला मुझे तुझ से क्या काम? अभी मेरा समय नहीं आया। 6 उस की माता ने सेवकों से कहा, जो कुछ वह तुम से कहे, वही करना। 7 वहां यहूदियों के शुद्ध करने की रीति के अनुसार पत्थर के छ: मटके धरे थे, जि में दो दो, तीन तीन मन समाता था। 8 यीशु ने उन से कहा, अब निकालकर भोज के प्रधान के पास ले जाओ। 9 वे ले गए, जब भोज के प्रधान ने वह पानी चखा, जो दाखरस बन गया था, और नहीं जानता था, कि वह कहां से आया हे, ( परन्तु जिन सेवकों ने पानी निकाला था, वे जानते थे) तो भोज के प्रधान ने दूल्हे को बुलाकर, उस से कहा। 10 हर एक मनुष्य पहिले अच्छा दाखरस देता है और जब लोग पीकर छक जाते हैं, तब मध्यम देता है; परन्तु तू ने अच्छा दाखरस अब तक रख छोड़ा है। 11 यीशु ने गलील के काना में अपना यह पहिला चिन्ह दिखाकर अपनी महिमा प्रगट की और उसके चेलों ने उस पर विश्वास किया॥ यूहन्ना 4:46-54 46 तब वह फिर गलील के काना में आया, जहां उस ने पानी को दाख रस बनाया था: और राजा का एक कर्मचारी था जिस का पुत्र कफरनहूम में बीमार था। 47 वह यह सुनकर कि यीशु यहूदिया से गलील में आ गया है, उसके पास गया और उस से बिनती करने लगा कि चलकर मेरे पुत्र को चंगा कर दे: क्योंकि वह मरने पर था। 48 यीशु ने उस से कहा, जब तक तुम चिन्ह और अद्भुत काम न देखोगे तब तक कदापि विश्वास न करोगे। 49 राजा के कर्मचारी ने उस से कहा; हे प्रभु, मेरे बालक की मृत्यु होने से पहिले चल। 50 यीशु ने उस से कहा, जा, तेरा पुत्र जीवित है: उस मनुष्य ने यीशु की कही हुई बात की प्रतीति की, और चला गया। 51 वह मार्ग में जा रहा था, कि उसके दास उस से आ मिले और कहने लगे कि तेरा लड़का जीवित है। 52 उस ने उन से पूछा कि किस घड़ी वह अच्छा होने लगा उन्होंने उस से कहा, कल सातवें घण्टे में उसका ज्वर उतर गया। 53 तब पिता जान गया, कि यह उसी घड़ी हुआ जिस घड़ी यीशु ने उस से कहा, तेरा पुत्र जीवित है, और उस ने और उसके सारे घराने ने विश्वास किया। 54 यह दूसरा आश्चर्यकर्म था, जो यीशु ने यहूदिया से गलील में आकर दिखाया॥ यूहन्ना 5:1-18 1 इन बातों के पीछे यहूदियों का एक पर्व हुआ और यीशु यरूशलेम को गया॥ 2 यरूशलेम में भेड़-फाटक के पास एक कुण्ड है जो इब्रानी भाषा में बेतहसदा कहलाता है, और उसके पांच ओसारे हैं। 3 इन में बहुत से बीमार, अन्धे, लंगड़े और सूखे अंग वाले (पानी के हिलने की आशा में) पड़े रहते थे। 4 (क्योंकि नियुक्ति समय पर परमेश्वर के स्वर्गदूत कुण्ड में उतरकर पानी को हिलाया करते थे: पानी हिलते ही जो कोई पहिले उतरता वह चंगा हो जाता था चाहे उसकी कोई बीमारी क्यों न हो।) 5 वहां एक मनुष्य था, जो अड़तीस वर्ष से बीमारी में पड़ा था। 6 यीशु ने उसे पड़ा हुआ देखकर और जानकर कि वह बहुत दिनों से इस दशा में पड़ा है, उस से पूछा, क्या तू चंगा होना चाहता है? 7 उस बीमार ने उस को उत्तर दिया, कि हे प्रभु, मेरे पास कोई मनुष्य नहीं, कि जब पानी हिलाया जाए, तो मुझे कुण्ड में उतारे; परन्तु मेरे पहुंचते पहुंचते दूसरा मुझ से पहिले उतर पड़ता है। 8 यीशु ने उस से कहा, उठ, अपनी खाट उठाकर चल फिर। 9 वह मनुष्य तुरन्त चंगा हो गया, और अपनी खाट उठाकर चलने फिरने लगा। 10 वह सब्त का दिन था। इसलिये यहूदी उस से, जो चंगा हुआ था, कहने लगे, कि आज तो सब्त का दिन है, तुझे खाट उठानी उचित्त नहीं। 11 उस ने उन्हें उत्तर दिया, कि जिस ने मुझे चंगा किया, उसी ने मुझ से कहा, अपनी खाट उठाकर चल फिर। 12 उन्होंने उस से पूछा वह कौन मनुष्य है जिस ने तुझ से कहा, खाट उठाकर चल फिर? 13 परन्तु जो चंगा हो गया था, वह नहीं जानता था वह कौन है; क्योंकि उस जगह में भीड़ होने के कारण यीशु वहां से हट गया था। 14 इन बातों के बाद वह यीशु को मन्दिर में मिला, तब उस ने उस से कहा, देख, तू तो चंगा हो गया है; फिर से पाप मत करना, ऐसा न हो कि इस से कोई भारी विपत्ति तुझ पर आ पड़े। 15 उस मनुष्य ने जाकर यहूदियों से कह दिया, कि जिस ने मुझे चंगा किया, वह यीशु है। 16 इस कारण यहूदी यीशु को सताने लगे, क्योंकि वह ऐसे ऐसे काम सब्त के दिन करता था। 17 इस पर यीशु ने उन से कहा, कि मेरा पिता अब तक काम करता है, और मैं भी काम करता हूं। 18 इस कारण यहूदी और भी अधिक उसके मार डालने का प्रयत्न करने लगे, कि वह न केवल सब्त के दिन की विधि को तोड़ता, परन्तु परमेश्वर को अपना पिता कह कर, अपने आप को परमेश्वर के तुल्य ठहराता था॥ यूहन्ना 6:1-21 1 इन बातों के बाद यीशु गलील की झील अर्थात तिबिरियास की झील के पास गया। 2 और एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली क्योंकि जो आश्चर्य कर्म वह बीमारों पर दिखाता था वे उन को देखते थे। 3 तब यीशु पहाड़ पर चढ़कर अपने चेलों के साथ वहां बैठा। 4 और यहूदियों के फसह के पर्व निकट था। 5 तब यीशु ने अपनी आंखे उठाकर एक बड़ी भीड़ को अपने पास आते देखा, और फिलेप्पुस से कहा, कि हम इन के भोजन के लिये कहां से रोटी मोल लाएं? 6 परन्तु उस ने यह बात उसे परखने के लिये कही; क्योंकि वह आप जानता था कि मैं क्या करूंगा। 7 फिलेप्पुस ने उस को उत्तर दिया, कि दो सौ दीनार की रोटी उन के लिये पूरी भी न होंगी कि उन में से हर एक को थोड़ी थोड़ी मिल जाए। 8 उसके चेलों में से शमौन पतरस के भाई अन्द्रियास ने उस से कहा। 9 यहां एक लड़का है जिस के पास जव की पांच रोटी और दो मछिलयां हैं परन्तु इतने लोगों के लिये वे क्या हैं? 10 यीशु ने कहा, कि लोगों को बैठा दो। उस जगह बहुत घास थी: तब वे लोग जो गिनती में लगभग पांच हजार के थे, बैठ गए: 11 तब यीशु ने रोटियां लीं, और धन्यवाद करके बैठने वालों को बांट दी: और वैसे ही मछिलयों में से जितनी वे चाहते थे बांट दिया। 12 जब वे खाकर तृप्त हो गए तो उस ने अपने चेलों से कहा, कि बचे हुए टुकड़े बटोर लो, कि कुछ फेंका न जाए। 13 सो उन्होंने बटोरा, और जव की पांच रोटियों के टुकड़े जो खाने वालों से बच रहे थे उन की बारह टोकिरयां भरीं। 14 तब जो आश्चर्य कर्म उस ने कर दिखाया उसे वे लोग देखकर कहने लगे; कि वह भविष्यद्वक्ता जो जगत में आनेवाला था निश्चय यही है। 15 यीशु यह जानकर कि वे मुझे राजा बनाने के लिये आकर पकड़ना चाहते हैं, फिर पहाड़ पर अकेला चला गया। 16 फिर जब संध्या हुई, तो उसके चेले झील के किनारे गए। 17 और नाव पर चढ़कर झील के पार कफरनहूम को जाने लगे: उस समय अन्धेरा हो गया था, और यीशु अभी तक उन के पास नहीं आया था। 18 और आन्धी के कारण झील में लहरे उठने लगीं। 19 सो जब वे खेते खेते तीन चार मील के लगभग निकल गए, तो उन्होंने यीशु को झील पर चलते, और नाव के निकट आते देखा, और डर गए। 20 परन्तु उस ने उन से कहा, कि मैं हूं; डरो मत। 21 सो वे उसे नाव पर चढ़ा लेने के लिये तैयार हुए और तुरन्त वह नाव उस स्थान पर जा पहुंची जहां वह जाते थे। यूहन्ना 13:23-25 23 उसके चेलों में से एक जिस से यीशु प्रेम रखता था, यीशु की छाती की ओर झुका हुआ बैठा था। 24 तब शमौन पतरस ने उस की ओर सैन करके पूछा, कि बता तो, वह किस के विषय में कहता है 25 तब उस ने उसी तरह यीशु की छाती की ओर झुक कर पूछा, हे प्रभु, वह कौन है? यीशु ने उत्तर दिया, जिसे मैं यह रोटी का टुकड़ा डुबोकर दूंगा, वही है। यूहन्ना 20:31 31 परन्तु ये इसलिये लिखे गए हैं, कि तुम विश्वास करो, कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है: और विश्वास करके उसके नाम से जीवन पाओ॥ मत्ती 4:21 21 और वहां से आगे बढ़कर, उस ने और दो भाइयों अर्थात जब्दी के पुत्र याकूब और उसके भाई यूहन्ना को अपने पिता जब्दी के साथ नाव पर अपने जालों को सुधारते देखा; और उन्हें भी बुलाया मरकुस 15:40-41 40 कई स्त्रियां भी दूर से देख रही थीं: उन में मरियम मगदलीनी और छोटे याकूब की और योसेस की माता मरियम और शलोमी थीं। 41 जब वह गलील में था, तो ये उसके पीछे हो लेती थीं और उस की सेवा-टहल किया करती थीं; और और भी बहुत सी स्त्रियां थीं, जो उसके साथ यरूशलेम में आई थीं॥ 1 यूहन्ना 1: 1-4 1 उस जीवन के वचन के विषय में जो आदि से था, जिसे हम ने सुना, और जिसे अपनी आंखों से देखा, वरन जिसे हम ने ध्यान से देखा; और हाथों से छूआ। 2 (यह जीवन प्रगट हुआ, और हम ने उसे देखा, और उस की गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्त जीवन का समाचार देते हैं, जो पिता के साथ था, और हम पर प्रगट हुआ)। 3 जो कुछ हम ने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं, इसलिये कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो; और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ, और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है। 4 और ये बातें हम इसलिये लिखते हैं, कि हमारा आनन्द पूरा हो जाए॥ 1 यूहन्ना 5:20 20 और यह भी जानते हैं, कि परमेश्वर का पुत्र आ गया है और उस ने हमें समझ दी है, कि हम उस सच्चे को पहचानें, और हम उस में जो सत्य है, अर्थात उसके पुत्र यीशु मसीह में रहते हैं: सच्चा परमेश्वर और अनन्त जीवन यही है।