पाठ 2 : आरम्भिक बलिदान ( क्रमागत )

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सारांश

आरम्भिक बलिदान (क्रमागत) इब्राहीम के बलिदान

  1. साधारण बलिदान इब्राहीम का जन्म कसदियों के देश के उर नगर में हुआ था। परमेश्वर ने उसे दर्शन दिया (प्रे.काम 7:2,3) और कहा कि अपने पूर्वजों के देश को छोड़ दे और उस देश को जाए जो वह उसे दिखाएगा। अपने पिता तेरह के साथ वह हारान को गया। तेरह की मृत्यु के पश्चात्, यहोवा ने इब्राहीम से पुनः बात की (उत्पत्ति 12:1) और वह कनान को गया कि वहाँ रहे। वह एक यात्री के समान तम्बुओं में रहा। जहाँ कहीं वह गया, उसने एक वेदी बनाया और परमेश्वर की उपासना की। प्रार्थना और मनन उसकी उपासना का हिस्सा थे।
  2. विशेष बलिदान उत्पत्ति के अध्याय 15 और 22 में इब्राहीम के द्वारा चढ़ाए दो विशेष बलिदानों का वर्णन है। अ. अध्याय 15 में, इब्राहीम ने परमेश्वर द्वारा बताए पशुओं एवं पक्षियों को बलिदान चढ़ाया। इब्राहीम एक सन्तान की अभिलाषा करता था। जब उसने बलिदान चढ़ाए, परमेश्वर ने इब्राहीम के साथ एक वाचा बांधी और एक वंश की प्रतिज्ञा दिया जिसकी सन्तान आकाश के तारागणों जितनी होंगी। इब्राहीम को परमेश्वर ने निम्नलिखित प्रतिज्ञाएं दींः
  3. “मैं तुझे एक बड़ी जाति बनाऊँगा” (उत्पत्ति 12:2)
  4. “मैं तुझे आशीष दूँगा” (उत्पत्ति 12:2)
  5. “मैं तेरा नाम महान करूँगा” (उत्पत्ति 12:2)
  6. “तू आशीष का कारण होगा” (उत्पत्ति 12:2; गला. 3:14)
  7. “जो तुझे आशीर्वाद देंगे, मैं उन्हें आशीष दूँगा” (उत्पत्ति 12:3,4)
  8. “जो तुझे शाप दें, मैं उसे शाप दूँगा” (उत्पत्ति 12:3,4)
  9. “पृथ्वी के सब घराने तुझमें आशीष पाएँगे” (उत्पत्ति 12:3; 22:18) (इब्राहीम के साथ बांधी गई परमेश्वर की वाचा आज भी स्थिर है और इसीलिए यहूदी लोग पलिस्तीन देश पर अपना दावा करते हैं) ब. उत्पत्ति 22 में चढ़ाया गया बलिदान एक असाधारण बलिदान था। परमेश्वर ने इब्राहीम से मोरिय्याह देश को जाने और उसके एकलौते पुत्र को वहाँ के एक पर्वत पर होमबलि चढ़ाने के लिए कहा। इब्राहीम हिचकिचाया नहीं। जब परमेश्वर ने उसे यह करने के लिए कहा तो उसने किसी से सलाह नहीं ली, परंतु तुरंत परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया। वह परमेश्वर से बहुत कुछ तर्क-वितर्क कर सकता था जिसने उसे उसके वंश के द्वारा एक जाति की प्रतिज्ञा किया था, परंतु उसने कुछ नहीं कहा। उसने होमबलि के लिए सारी तैयार किया और इसहाक तथा अपने सेवकों के साथ भोर को ही मोरिय्याह की ओर निकल पड़ा। जिस स्थान को यहोवा ने ठहराया था, वहाँ वे तीसरे दिन पहँुचे। उसके प्रिय पुत्र द्वारा यह पूछे जाने पर कि, “होमबलि के लिए मेम्ना कहाँ है,” उसने उत्तर दिया, “परमेश्वर प्रबंध करेगा।” उसने एक वेदी बनाया, इसहाक को बांधा और उसे वेदी पर लिटा दिया; एक आज्ञाकारी पिता और एक आज्ञाकारी पुत्र! इसहाक समझ गया कि वह स्वयं ही बलिदान चढ़ाया जाने वाला मेम्ना था। यदि उस स्वर्गदूत ने हस्तक्षेप नहीं किया होता तो उस वेदी पर इसहाक को घात कर दिया गया होता। इसहाक के स्थान पर, एक मेढ़ा बलिदान चढ़ाया गया और इब्राहीम ने इसहाक को एक मृत्यु से छुड़ाए गए के रूप में घर ले गया। परमेश्वर ने इब्राहीम को आशीष दिया। यह बलिदान क्रूस पर यीशु की मृत्यु के दो आयामों को प्रकट करता है। (1) हम देखते हैं कि इसहाक के स्थान पर एक मेढ़ा बलिदान चढ़ाया गया जो कि मसीह की हमारे बदले में मृत्यु को दर्शाता है। (2) परमेश्वर ने मनुष्य के अनंत उद्धार के लिए अपने एकलौते पुत्र को दिया। यीशु मसीह ने क्रूस पर मृत्यु तक अपने पिता की आज्ञा का पालन किया और ठीक जिस रीति से इसहाक ने एक ऐसी मृत्यु से वापस जीवन पाया जो कि लगभग सुनिश्चित ही थी, मसीह मृतकों में से जी उठा। इब्राहीम का आज्ञापालन तथा उसका अटल विश्वास आदर्श है। हमारे विश्वास को हमारे कर्मों द्वारा दिखाई देना चाहिए। परमेश्वर से आशीष प्राप्त करने के लिए हमें उसका पूरा आज्ञापालन करना चाहिए।

बाइबल अध्यन

उत्पत्ति अध्याय 12 7 तब यहोवा ने अब्राम को दर्शन देकर कहा, यह देश मैं तेरे वंश को दूंगा: और उसने वहां यहोवा के लिये जिसने उसे दर्शन दिया था, एक वेदी बनाई। 8 फिर वहां से कूच करके, वह उस पहाड़ पर आया, जो बेतेल के पूर्व की ओर है; और अपना तम्बू उस स्थान में खड़ा किया जिसकी पच्छिम की ओर तो बेतेल, और पूर्व की ओर ऐ है; और वहां भी उसने यहोवा के लिये एक वेदी बनाई: और यहोवा से प्रार्थना की

उत्पत्ति अध्याय 15 9 यहोवा ने उससे कहा, मेरे लिये तीन वर्ष की एक कलोर, और तीन वर्ष की एक बकरी, और तीन वर्ष का एक मेंढ़ा, और एक पिण्डुक और कबूतर का एक बच्चा ले। 10 और इन सभों को ले कर, उसने बीच में से दो टुकड़े कर दिया, और टुकड़ों को आम्हने-साम्हने रखा: पर चिडिय़ाओं को उसने टुकड़े न किया। 11 और जब मांसाहारी पक्षी लोथों पर झपटे, तब अब्राम ने उन्हें उड़ा दिया। 12 जब सूर्य अस्त होने लगा, तब अब्राम को भारी नींद आई; और देखो, अत्यन्त भय और अन्धकार ने उसे छा लिया। 13 तब यहोवा ने अब्राम से कहा, यह निश्चय जान कि तेरे वंश पराए देश में परदेशी हो कर रहेंगे, और उसके देश के लोगों के दास हो जाएंगे; और वे उन को चार सौ वर्ष लों दु:ख देंगे; 14 फिर जिस देश के वे दास होंगे उसको मैं दण्ड दूंगा: और उसके पश्चात वे बड़ा धन वहां से ले कर निकल आएंगे। 15 तू तो अपने पितरों में कुशल के साथ मिल जाएगा; तुझे पूरे बुढ़ापे में मिट्टी दी जाएगी। 16 पर वे चौथी पीढ़ी में यहां फिर आएंगे: क्योंकि अब तक एमोरियों का अधर्म पूरा नहीं हुआ।

उत्पत्ति अध्याय 22 1 इन बातों के पश्चात ऐसा हुआ कि परमेश्वर ने, इब्राहीम से यह कहकर उसकी परीक्षा की, कि हे इब्राहीम: उसने कहा, देख, मैं यहां हूं। 2 उसने कहा, अपने पुत्र को अर्थात अपने एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है, संग ले कर मोरिय्याह देश में चला जा, और वहां उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मैं तुझे बताऊंगा होमबलि करके चढ़ा। 3 सो इब्राहीम बिहान को तड़के उठा और अपने गदहे पर काठी कसकर अपने दो सेवक, और अपने पुत्र इसहाक को संग लिया, और होमबलि के लिये लकड़ी चीर ली; तब कूच करके उस स्थान की ओर चला, जिसकी चर्चा परमेश्वर ने उससे की थी। 4 तीसरे दिन इब्राहीम ने आंखें उठा कर उस स्थान को दूर से देखा। 5 और उसने अपने सेवकों से कहा गदहे के पास यहीं ठहरे रहो; यह लड़का और मैं वहां तक जा कर, और दण्डवत करके, फिर तुम्हारे पास लौट आऊंगा। 6 सो इब्राहीम ने होमबलि की लकड़ी ले अपने पुत्र इसहाक पर लादी, और आग और छुरी को अपने हाथ में लिया; और वे दोनों एक साथ चल पड़े। 7 इसहाक ने अपने पिता इब्राहीम से कहा, हे मेरे पिता; उसने कहा, हे मेरे पुत्र, क्या बात है उसने कहा, देख, आग और लकड़ी तो हैं; पर होमबलि के लिये भेड़ कहां है? 8 इब्राहीम ने कहा, हे मेरे पुत्र, परमेश्वर होमबलि की भेड़ का उपाय आप ही करेगा। 9 सो वे दोनों संग संग आगे चलते गए। और वे उस स्थान को जिसे परमेश्वर ने उसको बताया था पहुंचे; तब इब्राहीम ने वहां वेदी बनाकर लकड़ी को चुन चुनकर रखा, और अपने पुत्र इसहाक को बान्ध के वेदी पर की लकड़ी के ऊपर रख दिया। 10 और इब्राहीम ने हाथ बढ़ाकर छुरी को ले लिया कि अपने पुत्र को बलि करे। 11 तब यहोवा के दूत ने स्वर्ग से उसको पुकार के कहा, हे इब्राहीम, हे इब्राहीम; उसने कहा, देख, मैं यहां हूं। 12 उसने कहा, उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उससे कुछ कर: क्योंकि तू ने जो मुझ से अपने पुत्र, वरन अपने एकलौते पुत्र को भी, नहीं रख छोड़ा; इस से मैं अब जान गया कि तू परमेश्वर का भय मानता है। 13 तब इब्राहीम ने आंखे उठाई, और क्या देखा, कि उसके पीछे एक मेढ़ा अपने सींगो से एक झाड़ी में बंझा हुआ है: सो इब्राहीम ने जाके उस मेंढ़े को लिया, और अपने पुत्र की सन्ती होमबलि करके चढ़ाया। 14 और इब्राहीम ने उस स्थान का नाम यहोवा यिरे रखा: इसके अनुसार आज तक भी कहा जाता है, कि यहोवा के पहाड़ पर उपाय किया जाएगा। 15 फिर यहोवा के दूत ने दूसरी बार स्वर्ग से इब्राहीम को पुकार के कहा, 16 यहोवा की यह वाणी है, कि मैं अपनी ही यह शपथ खाता हूं, कि तू ने जो यह काम किया है कि अपने पुत्र, वरन अपने एकलौते पुत्र को भी, नहीं रख छोड़ा; 17 इस कारण मैं निश्चय तुझे आशीष दूंगा; और निश्चय तेरे वंश को आकाश के तारागण, और समुद्र के तीर की बालू के किनकों के समान अनगिनित करूंगा, और तेरा वंश अपने शत्रुओं के नगरों का अधिकारी होगा: 18 और पृथ्वी की सारी जातियां अपने को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगी: क्योंकि तू ने मेरी बात मानी है। 19 तब इब्राहीम अपने सेवकों के पास लौट आया, और वे सब बेर्शेबा को संग संग गए; और इब्राहीम बेर्शेबा में रहता रहा॥ 20 इन बातों के पश्चात ऐसा हुआ कि इब्राहीम को यह सन्देश मिला, कि मिल्का के तेरे भाई नाहोर से सन्तान उत्पन्न हुए हैं। 21 मिल्का के पुत्र तो ये हुए, अर्थात उसका जेठा ऊस, और ऊस का भाई बूज, और कमूएल, जो अराम का पिता हुआ। 22 फिर केसेद, हज़ो, पिल्दाश, यिद्लाप, और बतूएल। 23 इन आठों को मिल्का इब्राहीम के भाई नाहोर के जन्माए जनी। और बतूएल ने रिबका को उत्पन्न किया। 24 फिर नाहोर के रूमा नाम एक रखेली भी थी; जिस से तेबह, गहम, तहश, और माका, उत्पन्न हुए॥

प्रेरितों के काम अध्याय 7 2 उस ने कहा; हे भाइयो, और पितरो सुनो, हमारा पिता इब्राहीम हारान में बसने से पहिले जब मिसुपुतामिया में था; तो तेजोमय परमेश्वर ने उसे दर्शन दिया। 3 और उस से कहा कि तू अपने देश और अपने कुटुम्ब से निकलकर उस देश मे चला जा, जिसे मैं तुझे दिखाऊंगा।

उत्पत्ति अध्याय 12 1 यहोवा ने अब्राम से कहा, अपने देश, और अपनी जन्मभूमि, और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊंगा।

प्रश्न-उत्तर

प्र 1. इब्राहीम को परमेश्वर की ओर से सबसे पहले कौन-सी आज्ञा मिली ?उ 1 :परमेश्वर ने इब्राहीम को एक दर्शन दिया कि वह अपने पूरजों के देश को छोड़ दें और उस देश को जायें जो परमेश्वर उसे दिखायेगा।
प्र 2. इब्राहीम को दी गई दूसरी आज्ञा क्या थी ?उ 2 :इब्राहीम के पिता तेरह की मृत्यु के पश्चात यहोवा ने पून: बात की और कनान देश में जाने के लिए कहा था। अपनी यात्राओं में इब्राहीम ने शकेम , बेतेल और हेब्रोन पर वेदियाँ बनाई थीं।
प्र 3. अपनी यात्राओं में इब्राहीम ने जिन स्थानों पर वेदियाँ बनाई उनके नाम लिखीए ?उ.:3 अपनी यात्राओं में इब्राहीम ने शकेम , बेतेल और हेब्रोन पर वेदियाँ बनाई थीं।
प्र 4. परमेश्वर ने इब्राहीम से कब वाचा बांधी ?उ 4 : जब इब्राहीम ने परमेश्वर द्वारा बताये पशुओं और पक्षियों का बलिदान चढ़ाया तब परमेश्वर ने इब्राहीम के साथ वाचा बाँधी।
प्र 5. इब्राहीम के साथ परमेश्वर की वाचा में कौन सी मुख्य बातें है ?उ 5 :इब्राहीम के साथ परमेश्वर की वाचा में यह बात मुख्य है कि इब्राहीम की संतान एक वंश होगी और आकाश के तारागण के जैसे अनगिनित होगीं और वे लोग आशीष के वारिस होंगें।
प्र 6. इब्राहीम ने जिन आशीषों को प्राप्त किया उनके द्वारा कौन धनी हुए है ?उ 6 :इब्राहीम ने जिन आशीषों को प्राप्त कियों के द्वारा इस्राएली लोग धनी हुए हैं।
प्र 7. इसहाक का बलिदान किस बात का प्रतीक है ?उ 7 : इसहाक का बलिदान क्रूस पर प्रभु यीशु मसीह की मृत्यु के दो बातों को प्रकट करता है। [a]: इशाक के स्थान पर एक मेढ़ा बलिदान चढ़ाया गया उसी प्रकार प्रभु यीशु मसीह भी हमारे लिए मृत्यु को सहा। [b ]: प्रभु यीशु मसीह परमेश्वर पिता की आज्ञाओं का पालन करकें खुद को बलिदान किया था जिस प्रकार इसहाक खुद का बलि होने के लिए तैयार था।
प्र 8. इसहाक के बलिदान से हम कौन सी आत्मिक शिक्षाएँ पाते है ?उ 8 :इसहाक के बलिदान से हम यह आत्मिक शिक्षायें पातें हैं कि विपरीत परिस्थितियों में हमें सम्पूर्ण विश्वास करना चाहिए और बिना कुडकुडायें आज्ञाओं का पालन करना चाहिए ।