पाठ 19 : लूका रचित सुसमाचार

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सारांश

लुका रचित सुसमाचार लेखक इस तीसरे सुसमाचार तथा प्रेरितों के काम की पुस्तक के लिखे जाने का श्रेय लूका को दिया गया है जो कि अन्ताकिया का एक यूनानी था। पौलुस ने उसे ‘वैद्य’ कहा है (कुलु. 4:14)। जिस दक्षता के साथ उसने इस पुस्तक को लिखा है, यह दर्शाता है कि वह एक ज्ञानी मनुष्य था। विशेषकर आश्चर्यकर्मों से सम्बंधित दक्ष अवलोकन इस बात को दर्शाते हैं कि वह एक वैद्य था। इसलिए कभी कभी इस पुस्तक को पौलुस रचित सुसमाचार भी कहते हैं। लूका पौलुस का साथी एवं सहयोगी था। जबकि अनेकों ने पौलुस को छोड़ दिया, लूका अंत तक उसकी सेवकाई में उसके साथ रहा (2 तीमु. 4:11)। सुसमाचार हमने देखा कि मत्ती ने मसीह का चित्रण एक राजा के रूप में, और मरकुस ने एक दास के रूप में किया है। लूका मसीह को एक सिद्ध मनुष्य के रूप में चित्रित करता है। उसका सुसमाचार यहेजकेल की नबूवत के एक मनुष्य के से मुँह वाले जीवित प्राणी को प्रकट करता है (यहेजकेल 1:10)। मिलापवाले तम्बू का महीन पर्दा मसीह के निष्पाप होने को प्रकट करता है। यही इस सुसमाचार की विषय-वस्तु है। मसीह की मानवता के विभिन्न गुण देखे जा सकते हैं। मसीह की मानवता तथा उद्धार के लिए विश्वव्यापी सम्भावना पर जोर दिया गया है। उद्धार सबके लिए है, चाहे वे सामरिया वासी हों (9:52-56; 10:30-37; 17:11-19), या अन्यजाति (2:32; 3:6,8; 4:25-27; 7:9; 10:1; 24:47), या यहूदी (1:33; 2:10), महसूल लेने वाले या पापी (3:12; 5:27-32; 7:37-50; 19:2-10; 23:43), फरीसी (7:36; 11:37; 14:1), निर्धन (1:53; 2:7; 6:20; 7:22) या धनी (18:2; 23:50)। लूका इस बात पर भी जोर देता है कि उद्धारकर्ता आत्मा एवं शरीर को चंगा करता है और कि उद्धार अनंत है। इस सुसमाचार में अन्य सुसमाचारों की अपेक्षा अधिक ऐतिहासिक विवरण हैं। प्रार्थना एक और महत्वपूर्ण विषय है, इस पुस्तक में प्रभु के द्वारा प्रार्थना करने की अधिक घटनाएं हैं। मरियम, इलीशिबा, जकर्याह के स्तुतिगान तथा अन्य अनेक घटनाओं का केवल लूका ने विस्तृत विवरण किया है। परमेश्वर के महान प्रेम का उदाहरण देते हुए उड़ाऊ पुत्र की कहानी अध्याय 15 में दी गई है। मसीह की पूर्ण मानवता को उसके जन्म, जीवन तथा सेवकाई द्वारा प्रकट किया गया है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि यीशु ही मानवजाति का उद्धारकर्ता है। किन्हें लिखा गया उच्च स्तर की लेखनशैली यह दर्शाती है कि यह सुसमाचार बुद्धिजीवियों के लिए लिखा गया था। यूनानी लोग ज्ञान की खोज में रहते थे। उनका साहित्य एवं दर्शन उच्च स्तर के थे। इस सुसमाचार को मान्यवर थियोफिलुस को सम्बोधित किया गया है (1:13)। अतः यह बात और सिद्ध करती है कि लूका ने विशेषकर यूनानियों के लिए लिखा। इसके अतिरिक्त उसने इस पुस्तक से सम्बंधित घटनाओं को उस समय की ऐतिहासिक घटनाओं से जोड़ा (उदा. 2:1) ऐसे लोगों को ध्यान में रखते हुए जो इतिहास को भलीभांति जानते थे। यह माना जाता है कि यह सुसमाचार कैसरिया में पौलुस के बंदिगृह में रहने के समय लिखा गया था।

बाइबल अध्यन

लूका 1:1-14,33,53 1 इसलिये कि बहुतों ने उन बातों को जो हमारे बीच में होती हैं इतिहास लिखने में हाथ लगाया है। 2 जैसा कि उन्होंने जो पहिले ही से इन बातों के देखने वाले और वचन के सेवक थे हम तक पहुंचाया। 3 इसलिये हे श्रीमान थियुफिलुस मुझे भी यह उचित मालूम हुआ कि उन सब बातों का सम्पूर्ण हाल आरम्भ से ठीक ठीक जांच करके उन्हें तेरे लिये क्रमानुसार लिखूं। 4 कि तू यह जान ले, कि वे बातें जिनकी तू ने शिक्षा पाई है, कैसी अटल हैं॥ 5 यहूदियों के राजा हेरोदेस के समय अबिय्याह के दल में जकरयाह नाम का एक याजक था, और उस की पत्नी हारून के वंश की थी, जिस का नाम इलीशिबा था। 6 और वे दोनों परमेश्वर के साम्हने धर्मी थे: और प्रभु की सारी आज्ञाओं और विधियों पर निर्दोष चलने वाले थे। उन के कोई भी सन्तान न थी, 7 क्योंकि इलीशिबा बांझ थी, और वे दोनों बूढ़े थे॥ 8 जब वह अपने दलकी पारी पर परमेश्वर के साम्हने याजक का काम करता था। 9 तो याजकों की रीति के अनुसार उसके नाम पर चिट्ठी निकली, कि प्रभु के मन्दिर में जाकर धूप जलाए। 10 और धूप जलाने के समय लोगों की सारी मण्डली बाहर प्रार्थना कर रही थी। 11 कि प्रभु का एक स्वर्गदूत धूप की वेदी की दाहिनी ओर खड़ा हुआ उस को दिखाई दिया। 12 और जकरयाह देखकर घबराया और उस पर बड़ा भय छा गया। 13 परन्तु स्वर्गदूत ने उस से कहा, हे जकरयाह, भयभीत न हो क्योंकि तेरी प्रार्थना सुन ली गई है और तेरी पत्नी इलीशिबा से तेरे लिये एक पुत्र उत्पन्न होगा, और तू उसका नाम यूहन्ना रखना। 14 और तुझे आनन्द और हर्ष होगा: और बहुत लोग उसके जन्म के कारण आनन्दित होंगे। 33 और वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा; और उसके राज्य का अन्त न होगा। 53 उस ने भूखों को अच्छी वस्तुओं से तृप्त किया, और धनवानों को छूछे हाथ निकाल दिया। लूका 2:1,7,10,32 1 उन दिनों में औगूस्तुस कैसर की ओर से आज्ञा निकली, कि सारे जगत के लोगों के नाम लिखे जाएं। 7 और वह अपना पहिलौठा पुत्र जनी और उसे कपड़े में लपेटकर चरनी में रखा: क्योंकि उन के लिये सराय में जगह न थी। 10 तब स्वर्गदूत ने उन से कहा, मत डरो; क्योंकि देखो मैं तुम्हें बड़े आनन्द का सुसमाचार सुनाता हूं जो सब लोगों के लिये होगा। 32 कि वह अन्य जातियों को प्रकाश देने के लिये ज्योति, और तेरे निज लोग इस्राएल की महिमा हो। लूका 3:6,8,12 6 और हर प्राणी परमेश्वर के उद्धार को देखेगा॥ 8 सो मन फिराव के योग्य फल लाओ: और अपने अपने मन में यह न सोचो, कि हमारा पिता इब्राहीम है; क्योंकि मैं तुम से कहता हूं, 12 और महसूल लेने वाले भी बपतिस्मा लेने आए, और उस से पूछा, कि हे गुरू, हम क्या करें? लूका 4:25-27 25 और मैं तुम से सच कहता हूं, कि एलिय्याह के दिनों में जब साढ़े तीन वर्ष तक आकाश बन्द रहा, यहां तक कि सारे देश में बड़ा आकाल पड़ा, तो इस्राएल में बहुत सी विधवाएं थीं। 26 पर एलिय्याह उन में से किसी के पास नहीं भेजा गया, केवल सैदा के सारफत में एक विधवा के पास। 27 और इलीशा भविष्यद्वक्ता के समय इस्राएल में बहुत से कोढ़ी थे, पर नामान सूरयानी को छोड़ उन में से काई शुद्ध नहीं किया गया। लूका 5:27-32 27 और इसके बाद वह बाहर गया, और लेवी नाम एक चुंगी लेने वाले को चुंगी की चौकी पर बैठे देखा, और उस से कहा, मेरे पीछे हो ले। 28 तब वह सब कुछ छोड़कर उठा, और उसके पीछे हो लिया। 29 और लेवी ने अपने घर में उसके लिये बड़ी जेवनार की; और चुंगी लेने वालों की और औरों की जो उसके साथ भोजन करने बैठे थे एक बड़ी भीड़ थी। 30 और फरीसी और उन के शास्त्री उस के चेलों से यह कहकर कुड़कुड़ाने लगे, कि तुम चुंगी लेने वालों और पापियों के साथ क्यों खाते-पीते हो? 31 यीशु ने उन को उत्तर दिया; कि वैद्य भले चंगों के लिये नहीं, परन्तु बीमारों के लिये अवश्य है। 32 मैं धमिर्यों को नहीं, परन्तु पापियों को मन फिराने के लिये बुलाने आया हूं। लूका 6:20 20 तब उस ने अपने चेलों की ओर देखकर कहा; धन्य हो तुम, जो दीन हो, क्योंकि परमेश्वर का राज्य तुम्हारा है। लूका 7:9,22 ,37-50 9 यह सुनकर यीशु ने अचम्भा किया, और उस ने मुंह फेरकर उस भीड़ से जो उसके पीछे आ रही थी कहा, मैं तुम से कहता हूं, कि मैं ने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया। 22 और उस ने उन से कहा; जो कुछ तुम ने देखा और सुना है, जाकर यूहन्ना से कह दो; कि अन्धे देखते हैं, लंगड़े चलते फिरते हैं, कोढ़ी शुद्ध किए जाते हैं, बहिरे सुनते हैं, मुरदे जिलाये जाते हैं; और कंगालों को सुसमाचार सुनाया जाता है। 37 और देखो, उस नगर की एक पापिनी स्त्री यह जानकर कि वह फरीसी के घर में भोजन करने बैठा है, संगमरमर के पात्र में इत्र लाई। 38 और उसके पांवों के पास, पीछे खड़ी होकर, रोती हुई, उसके पांवों को आंसुओं से भिगाने और अपने सिर के बालों से पोंछने लगी और उसके पांव बारबार चूमकर उन पर इत्र मला। 39 यह देखकर, वह फरीसी जिस ने उसे बुलाया था, अपने मन में सोचने लगा, यदि यह भविष्यद्वक्ता होता तो जान लेता, कि यह जो उसे छू रही है, वह कौन और कैसी स्त्री है? क्योंकि वह तो पापिनी है। 40 यह सुन यीशु ने उसके उत्तर में कहा; कि हे शमौन मुझे तुझ से कुछ कहना है वह बोला, हे गुरू कह। 41 किसी महाजन के दो देनदार थे, एक पांच सौ, और दूसरा पचास दीनार धारता था। 42 जब कि उन के पास पटाने को कुछ न रहा, तो उस ने दोनो को क्षमा कर दिया: सो उन में से कौन उस से अधिक प्रेम रखेगा। 43 शमौन ने उत्तर दिया, मेरी समझ में वह, जिस का उस ने अधिक छोड़ दिया: उस ने उस से कहा, तू ने ठीक विचार किया है। 44 और उस स्त्री की ओर फिरकर उस ने शमौन से कहा; क्या तू इस स्त्री को देखता है मैं तेरे घर में आया परन्तु तू ने मेरे पांव धाने के लिये पानी न दिया, पर इस ने मेरे पांव आंसुओं से भिगाए, और अपने बालों से पोंछा! 45 तू ने मुझे चूमा न दिया, पर जब से मैं आया हूं तब से इस ने मेरे पांवों का चूमना न छोड़ा। 46 तू ने मेरे सिर पर तेल नहीं मला; पर इस ने मेरे पांवों पर इत्र मला है। 47 इसलिये मैं तुझ से कहता हूं; कि इस के पाप जो बहुत थे, क्षमा हुए, क्योंकि इस ने बहुत प्रेम किया; पर जिस का थोड़ा क्षमा हुआ है, वह थोड़ा प्रेम करता है। 48 और उस ने स्त्री से कहा, तेरे पाप क्षमा हुए। 49 तब जो लोग उसके साथ भोजन करने बैठे थे, वे अपने अपने मन में सोचने लगे, यह कौन है जो पापों को भी क्षमा करता है? 50 पर उस ने स्त्री से कहा, तेरे विश्वास ने तुझे बचा लिया है, कुशल से चली जा॥ लूका 9:52-56 52 और उस ने अपने आगे दूत भेजे: वे सामरियों के एक गांव में गए, कि उसके लिये जगह तैयार करें। 53 परन्तु उन लोगों ने उसे उतरने न दिया, क्योंकि वह यरूशलेम को जा रहा था। 54 यह देखकर उसके चेले याकूब और यूहन्ना ने कहा; हे प्रभु; क्या तू चाहता है, कि हम आज्ञा दें, कि आकाश से आग गिरकर उन्हें भस्म कर दे। 55 परन्तु उस ने फिरकर उन्हें डांटा और कहा, तुम नहीं जानते कि तुम कैसी आत्मा के हो। 56 क्योंकि मनुष्य का पुत्र लोगों के प्राणों को नाश करने नहीं वरन बचाने के लिये आया है: और वे किसी और गांव में चले गए॥ लूका 10:1,30-37 1 और इन बातों के बाद प्रभु ने सत्तर और मनुष्य नियुक्त किए और जिस जिस नगर और जगह को वह आप जाने पर था, वहां उन्हें दो दो करके अपने आगे भेजा। 30 यीशु ने उत्तर दिया; कि एक मनुष्य यरूशलेम से यरीहो को जा रहा था, कि डाकुओं ने घेरकर उसके कपड़े उतार लिए, और मार पीट कर उसे अधमूआ छोड़कर चले गए। 31 और ऐसा हुआ; कि उसी मार्ग से एक याजक जा रहा था: परन्तु उसे देख के कतरा कर चला गया। 32 इसी रीति से एक लेवी उस जगह पर आया, वह भी उसे देख के कतरा कर चला गया। 33 परन्तु एक सामरी यात्री वहां आ निकला, और उसे देखकर तरस खाया। 34 और उसके पास आकर और उसके घावों पर तेल और दाखरस डालकर पट्टियां बान्धी, और अपनी सवारी पर चढ़ाकर सराय में ले गया, और उस की सेवा टहल की। 35 दूसरे दिन उस ने दो दिनार निकालकर भटियारे को दिए, और कहा; इस की सेवा टहल करना, और जो कुछ तेरा और लगेगा, वह मैं लौटने पर तुझे भर दूंगा। 36 अब तेरी समझ में जो डाकुओं में घिर गया था, इन तीनों में से उसका पड़ोसी कौन ठहरा? 37 उस ने कहा, वही जिस ने उस पर तरस खाया: यीशु ने उस से कहा, जा, तू भी ऐसा ही कर॥ लूका 17:11-19 11 और ऐसा हुआ कि वह यरूशलेम को जाते हुए सामरिया और गलील के बीच से होकर जा रहा था। 12 और किसी गांव में प्रवेश करते समय उसे दस कोढ़ी मिले। 13 और उन्होंने दूर खड़े होकर, ऊंचे शब्द से कहा, हे यीशु, हे स्वामी, हम पर दया कर। 14 उस ने उन्हें देखकर कहा, जाओ; और अपने तई याजकों को दिखाओ; और जाते ही जाते वे शुद्ध हो गए। 15 तब उन में से एक यह देखकर कि मैं चंगा हो गया हूं, ऊंचे शब्द से परमेश्वर की बड़ाई करता हुआ लौटा। 16 और यीशु के पांवों पर मुंह के बल गिरकर, उसका धन्यवाद करने लगा; और वह सामरी था। 17 इस पर यीशु ने कहा, क्या दसों शुद्ध न हुए? तो फिर वे नौ कहां हैं? 18 क्या इस परदेशी को छोड़ कोई और न निकला, जो परमेश्वर की बड़ाई करता? 19 तब उस ने उस से कहा; उठकर चला जा; तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है॥ लूका 19:10 10 क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है॥ कुलुस्सियों 4:10-14
10 अरिस्तर्खुस जो मेरे साथ कैदी है, और मरकुस जो बरनबा का भाई लगता है। (जिस के विषय में तुम ने आज्ञा पाई थी कि यदि वह तुम्हारे पास आए, तो उस से अच्छी तरह व्यवहार करना।) 11 और यीशु जो यूस्तुस कहलाता है, तुम्हें नमस्कार कहते हैं। खतना किए हुए लोगों में से केवल ये ही परमेश्वर के राज्य के लिये मेरे सहकर्मी और मेरी शान्ति का कारण रहे हैं। 12 इपफ्रास जो तुम में से है, और मसीह यीशु का दास है, तुम से नमस्कार कहता है और सदा तुम्हारे लिये प्रार्थनाओं में प्रयत्न करता है, ताकि तुम सिद्ध होकर पूर्ण विश्वास के साथ परमेश्वर की इच्छा पर स्थिर रहो। 13 मैं उसका गवाह हूं, कि वह तुम्हारे लिये और लौदीकिया और हियरापुलिस वालों के लिये बड़ा यत्न करता रहता है। 14 प्रिय वैद्य लूका और देमास का तुम्हें नमस्कार। 2 तीमुथियुस 4 :10 10 क्योंकि देमास ने इस संसार को प्रिय जान कर मुझे छोड़ दिया है, और थिस्सलुनीके को चला गया है, और क्रेसकेंस गलतिया को और तीतुस दलमतिया को चला गया है। यहेजकेल 1 :10 10 उनके साम्हने के मुखों का रूप मनुष्य का सा था; और उन चारों के दाहिनी ओर के मुख सिंह के से, बाई ओर के मुख बैल के से थे, और चारों के पीछे के मुख उकाब पक्षी के से थे।