पाठ 13 : न्यायी ( क्रमागत )

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सारांश

न्यायी (क्रमागत) 9. यिप्तह (11:1-12:7) यिप्तह नामक गिलादी एक महान योद्धा था। उसकी माता एक वेश्या थी। उसका पिता का नाम भी गिलाद था उसकी वैध पत्नी से भी अनेक पुत्र थे। उन्होंने अपने सौतेले भाई यिप्तह को स्वीकार नहीं किया था। उन्होंने उसे देश से निकाल दिया। उसने देश के निकम्मे लोगों के मध्य शरण लिया। जल्द वह उन्मा नायक और अगुवा बन गया। अ. यिप्तह - इस्राएल की सेना का प्रधान (11:4-11) जब अम्मोन के राजा ने इस्त्राएल के विरूद्ध लड़ाई की तैयारी किया, तब प्राचीन लोग तोब को गए और यिप्तह से अपनी सेना का प्रधान होने का निवेदन किया क्योंकि उन्होंने जाना था कि उसमें नेतृत्व के गुण थे। यिप्तह ने उनके मध्य से अपने आपको निकाले जाने के दिनों का स्मरण किया, और केवल इस शर्त पर उनकी सेना की अगुवाई करने पर सहमत हुआ कि यदि शत्रुओं के विरूद्ध वह जीत जाता है तो उसे इस्त्राएल का प्रधान बनाया जाएगा। लोगों ने उसे अपना अगुवा बनाया, और वह अम्मोनियों से युद्ध करने निकला। ब.अम्मोनियों पर यिप्तह की विजय (11:29-30) प्रभु के आत्मा से परिपूर्ण, यिप्तह पहले मिस्पा को गया। वहाँ उसने प्रभु के लिए एक मन्नत मानी। पहले तो वह प्रभु के लिए ठहरा। यह प्रभु पर उसके भरोसे और उसके मार्गों पर उसकी निर्भरता को दर्शाता है। उसे प्रतिज्ञात देश की ओर इस्त्राएलियों की यात्रा में प्रभु के समस्त पराक्रमी तथा अद्भुत कार्यों के विषय ज्ञात था। अम्मोनी राजा को उसका संदेश एक चेतावनी था (11:12-27)। प्रभु के ‘योद्धा’ का परमेश्वर पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए। इसके अलावा उसे प्रभु के वचन मालूम होना चाहिए। 11:33 में हम पढ़ते हैं कि यिप्तह ने अम्मोनियों को अपने अधीन किया। क. यिप्तह अपनी पुत्री की बलि चढ़ाता है (11:36-40) यिप्तह ने प्रभु से मन्नत मांगा था कि यदि प्रभु अम्मोनियों को उसके अधीन कर देगा तो घर लौटने पर जो भी सबसे पहले उसके घर के द्वार से निकलेगा उसे वह प्रभु के लिए होमबलि करके चढ़ाएगा। विडम्बना थी कि, उसकी पुत्री उससे मिलने को निकली और यिप्तह उसे बलि चढ़ाने से पीछे नहीं हटा। प्रभु इस बलिदान से प्रसन्न नहीं था। परंतु कनानियों में मनुष्यों की बलि की प्रथा थी। इस घटना ने यिप्तह की दृढ़ इच्छा को प्रमाणित किया। ड.एप्रैम विरुद्ध युद्ध (12:1-6) जैसा कि गिदोन के समय हुआ था, एप्रैम के लोगों ने यिप्तह से पूछा कि उसने युद्ध में उन्हें क्यों नहीं बुलाया था। यह घटना उस गृह युद्ध को दर्शाती है जो इस्राएलियों में उनके गोत्रों के मध्य था। यिप्तह ने, गिदोन के विपरीत, विरोध किया और उन्हें हटा डाला। उसने छः वर्ष तक इस्राएल का न्याय किया। 10. इबसान (12:8-10) बैतलहम (शायद जबूलत का बैतलहम न कि बैतलहम-एप्राता, (यहोशू 19:15) निवासी इसबान ने सात वर्ष तक इस्राएल का न्याय किया। तीन पुत्रों एवं तीस पुत्रियों के लिए जीवनसाथी ढूंढ़ने को उसकी सबसे बड़ी ‘उपलब्धी’ बताई गई है। यहाँ हम एक ऐसे व्यक्ति का उदाहरण देखते हैं जिसकी रूचि परमेश्वर के घराने से अधिक उसके अपने घराने में थी। 11. एलोन (12:11) उसने 10 वर्षों तक इस्राएल का न्याय किया। वह एक जबूलूनी था। 12. अबदोन एलोन के पश्चात, पिरातोनी हिल्लेल के पुत्र अब्दोन ने आठ वर्ष तक इस्राएल का न्याय किया। उसके समय के विषय कोई विवरण नहीं दिया गया है। (पिरातोन - एप्रैम प्रक्षेत्र में अमालेकियों के पहाड़ी देश में एक नगर था)

बाइबल अध्यन

न्यायियों : 11-40 1 यिप्तह नाम गिलादी बड़ा शूरवीर था, और वह वेश्या का बेटा था; और गिलाद से यिप्तह उत्पन्न हुआ था। 2 गिलाद की स्त्री के भी बेटे उत्पन्न हुए; और जब वे बड़े हो गए तब यिप्तह को यह कहकर निकाल दिया, कि तू तो पराई स्त्री का बेटा है; इस कारण हमारे पिता के घराने में कोई भाग न पाएगा। 3 तब यिप्तह अपने भाइयों के पास से भागकर तोब देश में रहने लगा; और यिप्तह के पास लुच्चे मनुष्य इकट्ठे हो गए; और उसके संग फिरने लगे॥ 4 और कुछ दिनों के बाद अम्मोनी इस्राएल से लड़ने लगे। 5 जब अम्मोनी इस्राएल से लड़ते थे, तब गिलाद के वृद्ध लोग यिप्तह को तोब देश से ले आने को गए; 6 और यिप्तह से कहा, चलकर हमारा प्रधान हो जा, कि हम अम्मोनियों से लड़ सकें। 7 यिप्तह ने गिलाद के वृद्ध लोगों से कहा, क्या तुम ने मुझ से बैर करके मुझे मेरे पिता के घर से निकाल न दिया था? फिर अब संकट में पड़कर मेरे पास क्यों आए हो? 8 गिलाद के वृद्ध लोगों ने यिप्तह से कहा, इस कारण हम अब तेरी ओर फिरे हैं, कि तू हमारे संग चलकर अम्मोनियों से लड़े; तब तू हमारी ओर से गिलाद के सब निवासियों का प्रधान ठहरेगा। 9 यिप्तह ने गिलाद के वृद्ध लोगों से पूछा, यदि तुम मुझे अम्मोनियों से लड़ने को फिर मेरे घर ले चलो, और यहोवा उन्हें मेरे हाथ कर दे, तो क्या मैं तुम्हारा प्रधान ठहरूंगा? 10 गिलाद के वृद्ध लोगों ने यिप्तह से कहा, निश्चय हम तेरी इस बाते के अनुसार करेंगे; यहोवा हमारे और तेरे बीच में इन वचनों का सुननेवाला है। 11 तब यिप्तह गिलाद के वृद्ध लोगों के संग चला, और लोगों ने उसको अपने ऊपर मुखिया और प्रधान ठहराया; और यिप्तह ने अपनी सब बातें मिस्पा में यहोवा के सम्मुख कह सुनाईं॥ 12 तब यिप्तह ने अम्मोनियों के राजा के पास दूतों से यह कहला भेजा, कि तुझे मुझ से क्या काम, कि तू मेरे देश में लड़ने को आया है? 13 अम्मोनियों के राजा ने यिप्तह के दूतों से कहा, कारण यह है, कि जब इस्राएली मिस्र से आए, तब अर्नोन से यब्बोक और यरदन तक जो मेरा देश था उसको उन्होंने छीन लिया; इसलिये अब उसको बिना झगड़ा किए फेर दे। 14 तब यिप्तह ने फिर अम्मोनियों के राजा के पास यह कहने को दूत भेजे, 15 कि यिप्तह तुझ से यों कहता है, कि इस्राएल ने न तो मोआब का देश ले लिया और न अम्मोनियों का, 16 वरन जब वे मिस्र से निकले, और इस्राएली जंगल में होते हुए लाल समुद्र तक चले, और कादेश को आए, 17 तब इस्राएल ने एदोम के राजा के पास दूतों से यह कहला भेजा, कि मुझे अपने देश में हो कर जाने दे; और एदोम के राजा ने उनकी न मानी। इसी रीति उसने मोआब के राजा से भी कहला भेजा, और उसने भी न माना। इसलिये इस्राएल कादेश में रह गया। 18 तब उसने जंगल में चलते चलते एदोम और मोआब दोनों देशों के बाहर बाहर घूमकर मोआब देश की पूर्व ओर से आकर अर्नोन के इसी पार अपने डेरे डाले; और मोआब के सिवाने के भीतर न गया, क्योंकि मोआब का सिवाना अर्नोन था। 19 फिर इस्राएल ने एमोरियों के राजा सीहोन के पास जो हेश्बोन का राजा था दूतों से यह कहला भेजा, कि हमें अपने देश में से हो कर हमारे स्थान को जाने दे। 20 परन्तु सीहोन ने इस्राएल का इतना विश्वास न किया कि उसे अपने देश में से हो कर जाने देता; वरन अपनी सारी प्रजा को इकट्ठी कर अपने डेरे यहस में खड़े करके इस्राएल से लड़ा। 21 और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने सीहोन को सारी प्रजा समेत इस्राएल के हाथ में कर दिया, और उन्होंने उन को मार लिया; इसलिये इस्राएल उस देश के निवासी एमोरियों के सारे देश का अधिकारी हो गया। 22 अर्थात वह अनौन से यब्बोक तक और जंगल से ले यरदन तक एमोरियों के सारे देश का अधिकारी हो गया। 23 इसलिये अब इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने अपनी इस्राएली प्रजा के साम्हने से एमोरियों को उनके देश से निकाल दिया है; फिर क्या तू उसका अधिकारी होने पाएगा? 24 क्या तू उसका अधिकारी न होगा, जिसका तेरा कमोश देवता तुझे अधिकारी कर दे? इसी प्रकार से जिन लोगों को हमारा परमेश्वर यहोवा हमारे साम्हने से निकाले, उनके देश के अधिकारी हम होंगे। 25 फिर क्या तू मोआब के राजा सिप्पोर के पुत्र बालाक से कुछ अच्छा है? क्या उसने कभी इस्राएलियों से कुछ भी झगड़ा किया? क्या वह उन से कभी लड़ा? 26 जब कि इस्राएल हेश्बोन और उसके गावों में, और अरोएल और उसके गावों में, और अर्नोन के किनारे के सब नगरों में तीन सौ वर्ष से बसा है, तो इतने दिनों में तुम लोगों ने उसको क्यों नहीं छुड़ा लिया? 27 मैं ने तेरा अपराध नहीं किया; तू ही मुझ से युद्ध छेड़कर बुरा व्यवहार करता है; इसलिये यहोवा जो न्यायी है, वह इस्राएलियों और अम्मोनियों के बीच में आज न्याय करे। 28 तौभी अम्मोनियों के राजा ने यिप्तह की ये बातें न मानीं जिन को उसने कहला भेजा था॥ 29 तब यहोवा का आत्मा यिप्तह में समा गया, और वह गिलाद और मनश्शे से हो कर गिलाद के मिस्पे में आया, और गिलाद के मिस्पे से हो कर अम्मोनियों की ओर चला। 30 और यिप्तह ने यह कहकर यहोवा की मन्नत मानी, कि यदि तू नि:सन्देह अम्मोनियों को मेरे हाथ में कर दे, 31 तो जब मैं कुशल के साथ अम्मोनियों के पास से लौट आऊं तब जो कोई मेरे भेंट के लिये मेरे घर के द्वार से निकले वह यहोवा का ठहरेगा, और मैं उसे होमबलि करके चढ़ाऊंगा। 32 तब यिप्तह अम्मोनियों से लड़ने को उनकी ओर गया; और यहोवा ने उन को उसके हाथ में कर दिया। 33 और वह अरोएर से ले मिन्नीत तक, जो बीस नगर हैं, वरन आबेलकरामीम तक जीतते जीतते उन्हें बहुत बड़ी मार से मारता गया। और अम्मोनी इस्राएलियों से हार गए॥ 34 जब यिप्तह मिस्पा को अपने घर आया, तब उसकी बेटी डफ बजाती और नाचती हुई उसकी भेंट के लिये निकल आई; वह उसकी एकलौती थी; उसको छोड़ उसके न तो कोई बेटा था और कोई न बेटी। 35 उसको देखते ही उसने अपने कपड़े फाड़कर कहा, हाथ, मेरी बेटी! तू ने कमर तोड़ दी, और तू भी मेरे कष्ट देने वालों में हो गई है; क्योंकि मैंने यहोवा को वचन दिया है, और उसे टाल नहीं सकता। 36 उसने उस से कहा, हे मेरे पिता, तू ने जो यहोवा को वचन दिया है, तो जो बात तेरे मुंह से निकली है उसी के अनुसार मुझ से बर्ताव कर, क्योंकि यहोवा ने तेरे अम्मोनी शत्रुओं से तेरा पलटा लिया है। 37 फिर उसने अपने पिता से कहा, मेरे लिये यह किया जाए, कि दो महीने तक मुझे छोड़े रह, कि मैं अपनी सहेलियों सहित जा कर पहाड़ों पर फिरती हुई अपनी कुंवारीपन पर रोती रहूं। 38 उसने कहा, जा। तब उसने उसे दो महिने की छुट्टी दी; इसलिये वह अपनी सहेलियों सहित चली गई, और पहाड़ों पर अपनी कुंवारीपन पर रोती रही। 39 दो महीने के बीतने पर वह अपने पिता के पास लौट आई, और उसने उसके विषय में अपनी मानी हुइ मन्नत को पूरी किया। और उस कन्या ने पुरूष का मुंह कभी न देखा था। इसलिये इस्राएलियों में यह रीति चली 40 कि इस्राएली स्त्रियां प्रतिवर्ष यिप्तह गिलादी की बेटी का यश गाने को वर्ष में चार दिन तक जाया करती थीं॥ न्यायियों-12:1-11 1 तब एप्रैमी पुरूष इकट्ठे हो कर सापोन को जा कर यिप्तह से कहने लगे, कि जब तू अम्मोनियों से लड़ने को गया तब हमें संग चलने को क्यों नहीं बुलवाया? हम तेरा घर तुझ समेत जला देंगे। 2 यिप्तह ने उन से कहा, मेरा और मेरे लोगों का अम्मोनियों से बड़ा झगड़ा हुआ था; और जब मैं ने तुम से सहायता मांगी, तब तुम ने मुझे उनके हाथ से नहीं बचाया। 3 तब यह देखकर कि तुम मुझे नहीं बचाते मैं अपने प्राणों को हथेली पर रखकर अम्मोनियों के विरुद्ध चला, और यहोवा ने उन को मेरे हाथ में कर दिया; फिर तुम अब मुझ से लड़ने को क्यों चढ़ आए हो? 4 तब यिप्तह गिलाद के सब पुरूषों को इकट्ठा करके एप्रैम से लड़ा और एप्रैम जो कहता था, कि हे गिलादियो, तुम तो एप्रैम और मनश्शे के बीच रहने वाले एप्रैमियों के भगोड़े हो, और गिलादियों ने उन को मार लिया। 5 और गिलादियों ने यरदन का घाट उन से पहिले अपने वश में कर लिया। और जब कोई एप्रैमी भगोड़ा कहता, कि मुझे पार जाने दो, तब गिलाद के पुरूष उस से पूछते थे, क्या तू एप्रैमी है? और यदि वह कहता नहीं, 6 तो वह उस से कहते, अच्छा, शिब्बोलेत कह, और वह कहता सिब्बोलेत, क्योंकि उस से वह ठीक बोला नहीं जाता था; तब वे उसको पकड़ कर यरदन के घाट पर मार डालते थे। इस प्रकार उस समय बयालीस हजार एप्रैमी मारे गए॥ 7 यिप्तह छ: वर्ष तक इस्राएल का न्याय करता रहा। तब यिप्तह गिलादी मर गया, और उसको गिलाद के किसी नगर में मिट्टी दी गई॥ 8 उसके बाद बेतलेहेम का निवासी इबसान इस्राएल का न्याय करने लगा। 9 और उसके तीस बेटे हुए; और उसने अपनी तीस बेटियां बाहर ब्याह दीं, और बाहर से अपने बेटों का ब्याह करके तीस बहू ले आया। और वह इस्राएल का न्याय सात वर्ष तक करता रहा। 10 तब इबसान मर गया, और उसको बेतलेहेम में मिट्टी दी गई॥ 11 उसके बाद जबूलूनी एलोन इस्राएल का न्याय करने लगा; और वह इस्राएल का न्याय दस वर्ष तक करता रहा।