पाठ 12 : न्यायी ( क्रमागत )
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सारांश
न्यायी (क्रमागत) 5. गिदोन कनानियों से इस्राएल के छुटकारे के पश्चात् चालीस वर्ष शांतिपूर्ण रहे। फिर पुनः लोगों की एक नई पीढ़ी आ चुकी थी, उन्होंने यह ध्यान देना न चाहा कि उनके प्रति प्रभु का अनुग्रह और दया कितनी महान थी। उन्होंने इस बात को नहीं जाना कि वह उनके दुराचरण के लिए उन्हें दण्ड देगा। अतः वे बुराई करने में लगे रहे और परमेश्वर को अप्रसन्न किया। (मसीह की कलीसिया की पवित्रता एवं साक्षी को बनाए रखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को व्यक्तिगत रीति से मसीह का अनुभव करना चाहिए। माता-पिता का विश्वासी होना पर्याप्त नहीं है, यह किसी व्यक्ति को विश्वासी नहीं बना सकता है।) लोगों के बुरे चाल-चलन ने उन पर पुनः परमेश्वर का क्रोध लाया। सात वर्ष तक मिद्यानियों द्वारा उनका दमन किया गया। अ.गिदोन की बुलाहट (न्यायियों 6:11-24) मिद्यानी देश की उपज को लूटने के लिए बड़ी संख्या में आए और इस प्रकार इस्त्राएलियों को न केवल उनके खेत में उपजे अनाज से वंचित किया परंतु उनके मवेशियों से भी। जब उनकी पुकार स्वर्ग को पहुँची प्रभु ने उन पर तरस खाया। यहोवा के एक दूत ने योआश के पुत्र गिदोन को दर्शन दिया, जबकि वह मिद्यानियों से छिपकर एक दाख के कुण्ड में गेहूं झाड़ रहा था। जब उस स्वर्गदूत ने गिदोन को उसके लिए योजना बताई तो उसने बड़ी दीनता से कहा, “मेरा परिवार मनश्शे में सबसे छोटा है और मैं अपने पिता के घराने में सबसे छोटा हूँ।” तब गिदोन ने स्वयं को निश्चय दिलाने के लिए एक चिन्ह मांगा कि स्वयं प्रभु ही स्वर्गदूत के द्वारा उससे बात कर रहा था। उसे चिन्ह दिया गया (न्यायियों 6:20-22)। अतः गिदोन ने प्रभु के लिए एक वेदी बनाया और वहाँ उसकी उपासना किया (उसे यहोवा शालोम नाम दिया)। प्रभु को जानना उसकी उपासना करना है - यह प्रत्येक विश्वासी का अनुभव होना चाहिए। यहोवा ने गिदोन को आज्ञा दिया कि बाल की वेदी को नाश करे और प्रभु के लिए एक वेदी बनाए। उसने तुरंत वैसा ही किया (6:25-27), और स्वयं के लिए जेरूब्बाल नाम प्राप्त किया (अर्थात, यदि बाल देवता है तो वह स्वयं विवाद करे)। ब. गिदोन द्वारा लड़ी लड़ाईयाँ जब मिद्यानी, अमालेकी और देश के पूर्व की ओर के लोग इस्राएल के विरूद्ध युद्ध छेड़ने के लिए एकजुट हुए, गिदोन पर यहोवा का आत्मा उतरा। नेतृत्व सम्भालते हुए, उसने एक बड़ी सेना बनाया, परंतु केवल यह सुनिश्चित करने के पश्चात् कि परमेश्वर ने उसे इस कार्य के लिए चुना था (यह भी परमेश्वर से एक चिन्ह पाने के द्वारा किया गया 6:38-39)। परमेश्वर की ओर से सकारात्मक चिन्ह ने उसके नेतृत्व में उसके अपने विश्वास तथा लोगों के विश्वास को दृढ़ किया। यहोवा का कार्य करते हुए, एक विश्वासी को दो बातें सुनिश्चित करना चाहिए - (1) कि वह आत्मा से परिपूर्ण है (2) कि वह परमेश्वर की इच्छा पूरी कर रहा है। यह समस्त विपत्तियों पर जय पाने में उसे बल प्रदान करेगा। आरम्भ में गिदोन की सेना लगभग बत्तीस हजार पुरुषों की थी। परमेश्वर ने पुनः हस्तक्षेप किया। वह नहीं चाहता है कि लोग उनकी अपनी सेना की शक्ति पर निर्भर या घमण्ड करें। तब उन्हें कम कर दस हजार किया गया (7:3)। संख्या को और कम करने के लिए, परमेश्वर ने नदी पर सैनिकों को परखा। उन्हें पानी पीने के लिए कहा गया। जिन्होंने पानी पीने के लिए घुटने टेकने में समय लगाया उन्हें अलग कर दिया गया। तथापि, जिन्होंने एक कुत्ते के समान चपड़ चपड़ करके पानी पिया उन्हें सेना में रखा गया। वे तीन सौ पुरुष थे। प्रभु को अपनी सेना में सजग तथा दीन सैनिकों की आवश्यकता है। प्रभु की सेवकाई में संस्था महत्वपूर्ण नहीं है परंतु ऐसे लोग जो कि समर्पित हों। प्रभु ने गिदोन को शत्रु की छावनी को जाने के लिए कहा। वहाँ उसने एक पुरुष को अपना स्वप्न बताते तथा दूसरे को उसकी व्याख्या करते सुना (7:9-14)। इस घटना से गिदोन को साहस मिला और उसने जाना कि प्रभु यही चाहता था। गिदोन और उसके शूरवीरों ने प्रभु के निर्देशों का पालन किया। उसने प्रत्येक सैनिक को एक एक नरसिंगा और खाली घड़ा दिया और हर एक घड़े में एक मशाल थी। उन्होंने सौ सौ पुरुषों की तीन टुकड़ियाँ बनाईं और शत्रु की छावनी को गए। उन्होंने नरसिंगे फूंकें, घड़ों को फोड़ दिया और अपने बाएं हाथ में मशाल लिए चिल्ला उठे, “यहोवा की तलवार और गिदोन की तलवार।” छावनी में बड़ी गड़बड़ी फैल गई। उन्होंने इस गड़बड़ी में उनके अपने संगी को मार डाला और शेष भाग खड़े हुए। दो शासक अर्थात् ओरब और जेब पकड़े गए और मार डाले गए। प्रभु ने पुनः इस्त्राएल को यह दिखाया कि वह कैसे साधारण वस्तु का उपयोग कर बड़ी सेना को हराने के लिए कर सकता था। क. युद्ध के बाद की स्थिति (न्यायियों 8:1-35) अध्याय 8 उस गहरे बैर, ईर्ष्या, क्षेत्रवाद तथा गोत्र के आत्म स्वार्थ को बताता जिसे इस्त्राएलियों ने प्रदर्शित किया। एप्रैम के लोगों ने बुरा माना क्योंकि उन्हें शत्रुओं के विरूद्ध लड़ाई में नहीं लिया गया था। अतः उन्होंने गिदोन से विवाद किया और अपने विरोध को प्रकट किया। सुक्कोत और पनुएल के लोगों ने गिदोन की थकी हुई सेना को भोजन देने से इन्कार कर दिया (8:1-17)। तब गिदोन ने जेबह तथा सल्मुन्ना की सेना का पीछा किया। उसके पास बीस हजार शूरवीर थे। उन्होंने राजाओं को बंधक बनाया और सेना को घात किया (8:31)। मिद्यानियों पर विजय प्राप्त करने के पश्चात, लोगों ने गिदोन को अपना राजा बनाना चाहा। वे वंशागत राजतंत्र चाहते थे। परंतु गिदोन ने मना कर दिया (8:22-23)। इस इन्कार में उसकी दीनता एवं विश्वस्तता स्पष्ट दिखाई देती है। फिर भी, बाद में उसने युद्ध की लूट में से कुछ ग्रहण किया और उससे सोने का एक एपोद बनवाया जिसे उसने अपने नगर में रखा (एपोद एक याजकीय वस्त्र था,जो कि परमेश्वर के प्रतिनिधि के रूप में एक याजक पद को दर्शाता था)। परमेश्वर इससे अप्रसन्न हुआ और वह एपोद गिदोन तथा उसके परिवार के लिए ‘फंदा’ ठहरा। 6. अबीमेलेक (न्यायियों 9:1-57) अबीमेलेक गिदोन के अनेक पुत्रों में से एक था। उसकी माता शकेम की थी। उसने शकेम में अपने सम्बंधियों के साथ मंत्रणा की और उसके अपने सत्तर भाइयों को मार डाला (9:15)। परंतु यह ध्यान देने योग्य है कि वह एक शर्मनाक मृत्यु से मरा जब एक स्त्री ने उसके सिर पर चक्की का पाट पटक दिया जिससे उसकी खोपड़ी फट गई। उसने अपने हथियार ढोनेवाले जवान से कहा कि वह उसे मार डाले क्योंकि वह यह नहीं चाहता था कि लोग जाने कि एक स्त्री ने उसकी हत्या की थी (9:54)। अबीमेलेक की गति ईश्वरीय पल्टे का एक अच्छा उदाहरण है। परमेश्वर का न्याय होने में देर होती लग सकती है, परंतु कोई उससे बच नहीं सकता है। “मनुष्य जो कुछ बोता है वही काटेगा” (गला. 6:4) और जो तलवार से मारता है वह तलवार से मारा जाएगा (प्रका. 13:10)। रोमियों 1:18 में वचन कहता है, “इसलिए परमेश्वर का क्रोध मनुष्यों की समस्त अभक्ति और अधार्मिकता पर स्वर्ग से प्रकट होता है, क्योंकि वे सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं।” 7. तोला (न्यायियों 10:1-2) इस्साकार के गोत्र के तोला ने तेईस वर्ष तक इस्राएल का न्याय किया, इस समय देश में शांति थी। 8. याईर (न्यायियों 10:3) गिलादी याईर ने बाईस वर्ष राज्य किया उसके राज्य की समय की किसी अप्रिय घटना का उल्लेख नहीं है।
बाइबल अध्यन
न्यायियों 6:11- 8:35 11 फिर यहोवा का दूत आकर उस बांजवृझ के तले बैठ गया, जो ओप्रा में अबीएजेरी योआश का था, और उसका पुत्र गिदोन एक दाखरस के कुण्ड में गेहूं इसलिये झाड़ रहा था कि उसे मिद्यानियों से छिपा रखे। 12 उसको यहोवा के दूत ने दर्शन देकर कहा, हे शूरवीर सूरमा, यहोवा तेरे संग है। 13 गिदोन ने उस से कहा, हे मेरे प्रभु, बिनती सुन, यदि यहोवा हमारे संग होता, तो हम पर यह सब विपत्ति क्यों पड़ती? और जितने आश्चर्यकर्मों का वर्णन हमारे पुरखा यह कहकर करते थे, कि क्या यहोवा हम को मिस्र से छुड़ा नहीं लाया, वे कहां रहे? अब तो यहोवा ने हम को त्याग दिया, और मिद्यानियों के हाथ कर दिया है। 14 तब यहोवा ने उस पर दृष्टि करके कहा, अपनी इसी शक्ति पर जा और तू इस्राएलियों को मिद्यानियों के हाथ से छुड़ाएगा; क्या मैं ने तुझे नहीं भेजा? 15 उसने कहा, हे मेरे प्रभु, बिनती सुन, मैं इस्राएल को क्योंकर छुड़ाऊ? देख, मेरा कुल मनश्शे में सब से कंगाल है, फिर मैं अपने पिता के घराने में सब से छोटा हूं। 16 यहोवा ने उस से कहा, निश्चय मैं तेरे संग रहूंगा; सो तू मिद्यानियों को ऐसा मार लेगा जैसा एक मनुष्य को। 17 गिदोन ने उस से कहा, यदि तेरा अनुग्रह मुझ पर हो, तो मुझे इसका कोई चिन्ह दिखा कि तू ही मुझ से बातें कर रहा है। 18 जब तक मैं तेरे पास फिर आकर अपनी भेंट निकाल कर तेरे साम्हने न रखूं, तब तक तू यहां से न जा। उसने कहा, मैं तेरे लौटने तक ठहरा रहूंगा। 19 तब गिदोन ने जा कर बकरी का एक बच्चा और एक एपा मैदे की अखमीरी रोटियां तैयार कीं; तब मांस को टोकरी में, और जूस को तसले में रखकर बांजवृझ के तले उसके पास ले जा कर दिया। 20 परमेश्वर के दूत ने उस से कहा, मांस और अखमीरी रोटियों को ले कर इस चट्टान पर रख दे, और जूस को उण्डेल दे। उसने ऐसा ही किया। 21 तब यहोवा के दूत ने अपने हाथ की लाठी को बढ़ाकर मांस और अखमीरी रोटियों को छूआ; और चट्टान से आग निकली जिस से मांस और अखमीरी रोटियां भस्म हो गई; तब यहोवा का दूत उसकी दृष्टि से अन्तरध्यान हो गया। 22 जब गिदोन ने जान लिया कि वह यहोवा का दूत था, तब गिदोन कहने लगा, हाय, प्रभु यहोवा! मैं ने तो यहोवा के दूत को साक्षात देखा है। 23 यहोवा ने उस से कहा, तुझे शान्ति मिले; मत डर, तू न मरेगा। 24 तब गिदोन ने वहां यहोवा की एक वेदी बनाकर उसका नाम यहोवा शालोम रखा। वह आज के दिन तक अबीएजेरियों के ओप्रा में बनी है। 25 फिर उसी रात को यहोवा ने गिदोन से कहा, अपने पिता का जवान बैल, अर्थात दूसरा सात वर्ष का बैल ले, और बाल की जो वेदी तेरे पिता की है उसे गिरा दे, और जो अशेरा देवी उसके पास है उसे काट डाल; 26 और उस दृढ़ स्थान की चोटी पर ठहराई हुई रीति से अपने परमेश्वर यहोवा की एक वेदी बना; तब उस दूसरे बैल को ले, और उस अशेरा की लकड़ी जो तू काट डालेगा जलाकर होमबलि चढ़ा। 27 तब गिदोन ने अपने संग दस दासों को ले कर यहोवा के वचन के अनुसार किया; परन्तु अपने पिता के घराने और नगर के लोगों के डर के मारे वह काम दिन को न कर सका, इसलिये रात में किया। 28 बिहान को नगर के लोग सवेरे उठ कर क्या देखते हैं, कि बाल की वेदी गिरी पड़ी है, और उसके पास की अशेरा कटी पड़ी है, और दूसरा बैल बनाई हुई वेदी पर चढ़ाया हुआ है। 29 तब वे आपस में कहने लगे, यह काम किस ने किया? और पूछपाछ और ढूंढ़-ढांढ़ करके वे कहने लगे, कि यह योआश के पुत्र गिदोन का काम है। 30 तब नगर के मनुष्यों ने योआश से कहा, अपने पुत्र को बाहर ले आ, कि मार डाला जाए, क्योंकि उसने बाल की वेदी को गिरा दिया है, और उसके पास की अशेरा को भी काट डाला है। 31 योआश ने उन सभों से जो उसके साम्हने खड़े हुए थे कहा, क्या तुम बाल के लिये वाद विवाद करोगे? क्या तुम उसे बचाओगे? जो कोई उसके लिये वाद विवाद करे वह मार डाला जाएगा। बिहान तक ठहरे रहो; तब तक यदि वह परमेश्वर हो, तो जिसने उसकी वेदी गिराई है उस से वह आप ही अपना वाद विवाद करे। 32 इसलिये उस दिन गिदोन का नाम यह कहकर यरूब्बाल रखा गया, कि इस ने जो बाल की वेदी गिराई है तो इस पर बाल आप वाद विवाद कर ले॥ 33 इसके बाद सब मिद्यानी और अमालेकी और पूर्वी इकट्ठे हुए, और पार आकर यिज्रेल की तराई में डेरे डाले। 34 तब यहोवा का आत्मा गिदोन में समाया; और उसने नरसिंगा फूंका, तब अबीएजेरी उसकी सुनने के लिये इकट्ठे हुए। 35 फिर उसने कुल मनश्शे के पास अपने दूत भेजे; और वे भी उसके समीप इकट्ठे हुए। और उसने आशेर, जबूलून, और नप्ताली के पास भी दूत भेजे; तब वे भी उस से मिलने को चले आए। 36 तब गिदोन ने परमेश्वर से कहा, यदि तू अपने वचन के अनुसार इस्राएल को मेरे द्वारा छुड़ाएगा, 37 तो सुन, मैं एक भेड़ी की ऊन खलिहान में रखूंगा, और यदि ओस केवल उस ऊन पर पड़े, और उसे छोड़ सारी भूमि सूखी रह जाए, तो मैं जान लूंगा कि तू अपने वचन के अनुसार इस्राएल को मेरे द्वारा छुड़ाएगा। 38 और ऐसा ही हुआ। इसलिये जब उसने बिहान को सबेरे उठ कर उस ऊन को दबाकर उस में से ओस निचोड़ी, तब एक कटोरा भर गया। 39 फिर गिदोन ने परमेश्वर से कहा, यदि मैं एक बार फिर कहूं, तो तेरा क्रोध मुझ पर न भड़के; मैं इस ऊन से एक बार और भी तेरी परीक्षा करूं, अर्थात केवल ऊन ही सूखी रहे, और सारी भूमि पर ओस पड़े। 40 इस रात को परमेश्वर ने ऐसा ही किया; अर्थात केवल ऊन ही सूखी रह गई, और सारी भूमि पर ओस पड़ी॥
अध्याय 7 1 तब गिदोन जो यरूब्बाल भी कहलाता है और सब लोग जो उसके संग थे सवेरे उठे, और हरोद नाम सोते के पास अपने डेरे खड़े किए; और मिद्यानियों की छावनी उनकी उत्तरी ओर मोरे नाम पहाड़ी के पास तराई में पड़ी थी॥ 2 तब यहोवा ने गिदोन से कहा, जो लोग तेरे संग हैं वे इतने हैं कि मैं मिद्यानियों को उनके हाथ नहीं कर सकता, नहीं तो इस्राएल यह कहकर मेरे विरुद्ध अपनी बड़ाई मारने लगे, कि हम अपने ही भुजबल के द्वारा बचे हैं। 3 इसलिये तू जा कर लोगों में यह प्रचार करके सुना दे, कि जो कोई डर के मारे थरथराता हो, वह गिलाद पहाड़ से लौटकर चला जाए। तब बाईस हजार लोग लौट गए, और केवल दस हजार रह गए। 4 फिर यहोवा ने गिदोन से कहा, अब भी लोग अधिक हैं; उन्हें सोते के पास नीचे ले चल, वहां मैं उन्हें तेरे लिये परखूंगा; और जिस जिसके विषय में मैं तुझ से कहूं, कि यह तेरे संग चले, वह तो तेरे संग चले; और जिस जिसके विषय मे मैं कहूं, कि यह तेरे संग न जाए, वह न जाए। 5 तब वह उन को सोते के पास नीचे ले गया; वहां यहोवा ने गिदोन से कहा, जितने कुत्ते की नाईं जीभ से पानी चपड़ चपड़ करके पीएं उन को अलग रख; और वैसा ही उन्हें भी जो घुटने टेककर पीएं। 6 जिन्होंने मुंह में हाथ लगा चपड़ चपड़ करके पानी पिया उनकी तो गिनती तीन सौ ठहरी; और बाकी सब लोगों ने घुटने टेककर पानी पिया। 7 तब यहोवा ने गिदोन से कहा, इन तीन सौ चपड़ चपड़ करके पीने वालों के द्वारा मैं तुम को छुड़ाऊंगा, और मिद्यानियों को तेरे हाथ में कर दूंगा; और सब लोग अपने अपने स्थान को लौट जाए। 8 तब उन लोगों ने हाथ में सीधा और अपने अपने नरसिंगे लिए; और उसने इस्राएल के सब पुरूषों को अपने अपने डेरे की ओर भेज दिया, परन्तु उन तीन सौ पुरूषों को अपने पास रख छोड़ा; और मिद्यान की छावनी उसके नीचे तराई में पड़ी थी॥ 9 उसी रात को यहोवा ने उस से कहा, उठ, छावनी पर चढ़ाई कर; क्योंकि मैं उसे तेरे हाथ कर देता हूं। 10 परन्तु यदि तू चढ़ाई करते डरता हो, तो अपने सेवक फूरा को संग ले कर छावनी के पास जा कर सुन, 11 कि वे क्या कह रहे है; उसके बाद तुझे उस छावनी पर चढ़ाई करने का हियाव होगा। तब वह अपने सेवक फूरा को संग ले उन हथियार-बन्दों के पास जो छावनी की छोर पर थे उतर गया। 12 मिद्यानी और अमालेकी और सब पूर्वी लोग तो टिड्डियों के समान बहुत से तराई में फैले पड़े थे; और उनके ऊंट समुद्रतीर के बालू के किनकों के समान गिनती से बाहर थे। 13 जब गिदोन वहां आया, तब एक जन अपने किसी संगी से अपना स्वप्न यों कह रहा था, कि सुन, मैं ने स्वप्न में क्या देखा है कि जौ की एक रोटी लुढ़कते लुढ़कते मिद्यान की छावनी में आई, और डेरे को ऐसा टक्कर मारा कि वह गिर गया, और उसको ऐसा उलट दिया, कि डेरा गिरा पड़ा रहा। 14 उसके संगी ने उत्तर दिया, यह योआश के पुत्र गिदोन नाम एक इस्राएली पुरूष की तलवार को छोड़ कुछ नहीं है; उसी के हाथ में परमेश्वर ने मिद्यान को सारी छावनी समेत कर दिया है॥ 15 उस स्वप्न का वर्णन और फल सुनकर गिदोन ने दण्डवत की; और इस्राएल की छावनी में लौटकर कहा, उठो, यहोवा ने मिद्यानी सेना को तुम्हारे वश में कर दिया है। 16 तब उसने उन तीन सौ पुरूषों के तीन झुण्ड किए, और एक एक पुरूष के हाथ में एक नरसिंगा और खाली घड़ा दिया, और घड़ों के भीतर एक मशाल थी। 17 फिर उसने उन से कहा, मुझे देखो, और वैसा ही करो; सुनो, जब मैं उस छावनी की छोर पर पहुंचूं, तब जैसा मैं करूं वैसा ही तुम भी करना। 18 अर्थात जब मैं और मेरे सब संगी नरसिंगा फूंकें तब तुम भी छावनी की चारों ओर नरसिंगे फूंकना, और ललकारना, कि यहोवा की और गिदोन की तलवार॥ 19 बीच वाले पहर के आदि में ज्योंही पहरूओं की बदली हो गई थी त्योहीं गिदोन अपने संग के सौ पुरूषों समेत छावनी की छोर पर गया; और नरसिंगे को फूंक दिया और अपने हाथ के घड़ों को तोड़ डाला। 20 तब तीनों झुण्डों ने नरसिंगों को फूंका और घड़ों को तोड़ डाला; और अपने अपने बाएं हाथ में मशाल और दाहिने हाथ में फूंकने को नरसिंगा लिए हुए चिल्ला उठे, यहोवा की तलवार और गिदोन की तलवार। 21 तब वे छावनी के चारों ओर अपने अपने स्थान पर खड़े रहे, और सब सेना के लोग दौड़ने लगे; और उन्होंने चिल्ला चिल्लाकर उन्हें भगा दिया। 22 और उन्होंने तीन सौ नरसिंगों को फूंका, और यहोवा ने एक एक पुरूष की तलवार उसके संगी पर और सब सेना पर चलवाई; तो सेना के लोग सरेरा की ओर बेतशित्ता तब और तब्बात के पास के आबेलमहोला तक भाग गए। 23 तब इस्राएली पुरूष नप्ताली और आशेर और मनश्शे के सारे देश से इकट्ठे हो कर मिद्यानियों के पीछे पड़े। 24 और गिदोन ने एप्रैम के सब पहाड़ी देश में यह कहने को दूत भेज दिए, कि मिद्यानियों से मुठभेड़ करने को चले आओ, और यरदन नदी के घाटों को बेतबारा तक उन से पहिले अपने वश में कर लो। तब सब एप्रैमी पुरूषों ने इकट्ठे हो कर यरदन नदी को बेतबारा तक अपने वश में कर लिया। 25 और उन्होंने ओरेब और जेब नाम मिद्यान के दो हाकिमों को पकड़ा; और ओरेब को ओरेब नाम चट्टान पर, और जेब को जेब नाम दाखरस के कुण्ड पर घात किया; और वे मिद्यानियों के पीछे पड़े; और ओरेब और जेब के सिर यरदन के पार गिदोन के पास ले गए॥
न्यायियों अध्याय 8 1 तब एप्रैमी पुरूषों ने गिदोन से कहा, तू ने हमारे साथ ऐसा बर्ताव क्यों किया है, कि जब तू मिद्यान से लड़ने को चला तब हम को नहीं बुलवाया? सो उन्होंने उस से बड़ा झगड़ा किया। 2 उसने उन से कहा, मैं ने तुम्हारे समान भला अब किया ही क्या है? क्या एप्रैम की छोड़ी हुई दाख भी अबीएजेर की सब फसल से अच्छी नहीं है? 3 तुम्हारे ही हाथों में परमेश्वर ने ओरब और जेब नाम मिद्यान के हाकिमों को कर दिया; तब तुम्हारे बराबर मैं कर ही क्या सका? जब उसने यह बात कही, तब उनका जी उसकी ओर से ठंड़ा हो गया॥ 4 तब गिदोन और उसके संग तीनों सौ पुरूष, जो थके मान्दे थे तौभी खदेड़ते ही रहे थे, यरदन के तीर आकर पार हो गए। 5 तब उसने सुक्कोत के लोगों से कहा, मेरे पीछे इन आने वालों को रोटियां दो, क्योंकि ये थके मान्दे हैं; और मैं मिद्यान के जेबह और सल्मुन्ना नाम राजाओं का पीछा कर रहा हूं। 6 सुक्कोत के हाकिमों ने उत्तर दिया, क्या जेबह और सल्मुन्ना तेरे हाथ में पड़ चुके हैं, कि हम तेरी सेना को रोटी दे? 7 गिदोन ने कहा, जब यहोवा जेबह और सल्मुन्ना को मेरे हाथ में कर देगा, तब मैं इस बात के कारण तुम को जंगल के कटीले और बिच्छू पेड़ों से नुचवाऊंगा। 8 वहां से वह पनूएल को गया, और वहां के लोगों से ऐसी ही बात कही; और पनूएल के लोगों ने सुक्कोत के लोगों का सा उत्तर दिया। 9 उसने पनूएल के लोगों से कहा, जब मैं कुशल से लौट आऊंगा, तब इस गुम्मट को ढा दूंगा॥ 10 जेबह और सल्मुन्ना तो कर्कोर में थे, और उनके साथ कोई पन्द्रह हजार पुरूषों की सेना थी, क्योंकि पूविर्यों की सारी सेना में से उतने ही रह गए थे; जो मारे गए थे वे एक लाख बीस हजार हथियारबन्द थे। 11 तब गिदोन ने नोबह और योग्बहा के पूर्व की ओर डेरों में रहने वालों के मार्ग में चढ़कर उस सेना को जो निडर पड़ी थी मार लिया। 12 और जब जेबह और सल्मुन्ना को पकड़ लिया, और सारी सेना को भगा दिया। 13 और योआश का पुत्र गिदोन हेरेस नाम चढ़ाई पर से लड़ाई से लौटा। 14 और सुक्कोत के एक जवान पुरूष को पकड़कर उस से पूछा, और उसने सुक्कोत के सतहत्तरों हाकिमोंऔर वृद्ध लोगों के पते लिखवाये। 15 तब वह सुक्कोत के मनुष्यों के पास जा कर कहने लगा, जेबह और सल्मुन्ना को देखा, जिनके विषय में तुम ने यह कहकर मुझे चिढ़ाया था, कि क्या जेबह और सल्मुन्ना अभी तेरे हाथ में हैं, कि हम तेरे थके मान्दे जनों को रोटी दें? 16 तब उसने उस नगर के वृद्ध लोगों को पकड़ा, और जंगल के कटीले और बिच्छू पेड़ ले कर सुक्कोत के पुरूषों को कुछ सिखाया। 17 और उसने पनूएल के गुम्मट को ढा दिया, और उस नगर के मनुष्यों को घात किया। 18 फिर उसने जेबह और सल्मुन्ना से पूछा, जो मनुष्य तुम ने ताबोर पर घात किए थे वे कैसे थे? उन्होंने उत्तर दिया, जैसा तू वैसे ही वे भी थे अर्थात एक एक का रूप राजकुमार का सा था। 19 उसने कहा, वे तो मेरे भाई, वरन मेरे सहोदर भाई थे; यहोवा के जीवन की शपथ, यदि तुम ने उन को जीवित छोड़ा होता, तो मैं तुम को घात न करता। 20 तब उसने अपने जेठे पुत्र यतेरे से कहा, उठ कर इन्हें घात कर। परन्तु जवान ने अपनी तलवार न खींची, क्योंकि वह उस समय तक लड़का ही था, इसलिये वह डर गया। 21 तब जेबह और सल्मुन्ना ने कहा, तू उठ कर हम पर प्रहार कर; क्योंकि जैसा पुरूष हो, वैसा ही उसका पौरूष भी होगा। तब गिदोन ने उठ कर जेबह और सल्मुन्ना को घात किया; और उनके ऊंटों के गलों के चन्द्रहारों को ले लिया॥ 22 तब इस्राएल के पुरूषों ने गिदोन से कहा, तू हमारे ऊपर प्रभुता कर, तू और तेरा पुत्र और पोता भी प्रभुता करे; क्योंकि तू ने हम को मिद्यान के हाथ से छुड़ाया है। 23 गिदोन ने उन से कहा, मैं तुम्हारे ऊपर प्रभुता न करूंगा, और न मेरा पुत्र तुम्हारे ऊपर प्रभुता करेगा; यहोवा ही तुम पर प्रभुता करेगा। 24 फिर गिदोन ने उन से कहा, मैं तुम से कुछ मांगता हूं; अर्थात तुम मुझ को अपनी अपनी लूट में की बालियां दो। (वे तो इशमाएली थे, इस कारण उनकी बालियां सोने की थीं।) उन्होंने कहा, निश्चय हम देंगे। 25 तब उन्होंने कपड़ा बिछाकर उस में अपनी अपनी लूट में से निकाल कर बालियां डाल दीं। 26 जो सोने की बालियां उसने मांग लीं उनका तौल एक हजार सात सौ शेकेल हुआ; और उन को छोड़ चन्द्रहार, झुमके, और बैंगनी रंग के वस्त्र जो मिद्यानियों के राजा पहिने थे, और उनके ऊंटों के गलों की जंजीर। 27 उनका गिदोन ने एक एपोद बनवाकर अपने ओप्रा नाम नगर में रखा; और सब इस्राएल वहां व्यभिचारिणी की नाईं उसके पीछे हो लिया, और वह गिदोन और उसके घराने के लिये फन्दा ठहरा। 28 इस प्रकार मिद्यान इस्रालियों से दब गया, और फिर सिर न उठाया। और गिदोन के जीवन भर अर्थात चालीस वर्ष तक देश चैन से रहा। 29 योआश का पुत्र यरूब्बाल तो जा कर अपने घर में रहने लगा। 30 और गिदोन के सत्तर बेटे उत्पन्न हुए, क्योंकि उसके बहुत स्त्रियां थीं। 31 और उसकी जो एक रखेली शकेम में रहती थी उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ, और गिदोन ने उसका नाम अबीमेलेक रखा। 32 निदान योआश का पुत्र गिदोन पूरे बुढ़ापे में मर गया, और अबीएजेरियों के ओप्रा नाम गांव में उसके पिता योआश की कबर में उसको मिट्टी दी गई॥ 33 गिदोन के मरते ही इस्राएली फिर गए, और व्यभिचारिणी की नाईं बाल देवताओं के पीछे हो लिए, और बालबरीत को अपना देवता मान लिया। 34 और इस्राएलियों ने अपने परमेश्वर यहोवा को, जिसने उन को चारों ओर के सब शत्रुओं के हाथ से छुड़ाया था, स्मरण न रखा; 35 और न उन्होंने यरूब्बाल अर्थात गिदोन की उस सारी भलाई के अनुसार जो उसने इस्राएलियों के साथ की थी उसके घराने को प्रीति दिखाई॥