पाठ 9 : मारा और एलिम

Media

Lesson Summary

Content not prepared yet or Work in Progress.


Lesson Prayer

Content not prepared yet or Work in Progress.


Song

Content not prepared yet or Work in Progress.


Instrumental

Content not prepared yet or Work in Progress.


सारांश

यह उस समय की बात है जब इस्त्राएली मिस्त्र से छुड़ाए गये थे और उन्होंने आराधना के गीत गाए थे। केवल एक उद्धार प्राप्त व्यक्ति ही प्रभु की अर्थपूर्ण स्तुति कर सकता है। इस्त्राएल की संतानों ने परमेश्वर के अद्भुत छुटकारे और उद्धार को अनुभव किया था और उस पर विश्वास किया था। इसलिये उन्होंने विजय का गीत गाया। वे उन लोगों के समान थे जो भयानक गढ़हे से, और दलदल की कीच से निकाले गये थे और उनके मुँह में एक नया गीत दिया गया था। इथिओपिया का खोजा जिसने परमेश्वर के वचन को सुना, विश्वास किया, बप्तिस्मा दिया गया। वह आनंद करते हुए अपने मार्ग चला गया। लाल समुद्र के पास छुटकारे के बाद, मूसा और इस्त्राएल की संतानों ने विजय का एक महान गीत गाया। मैं यहोवा का गीत गाऊँगा, क्योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है, फिरौन के घोड़ों समेत सवारों को उसने समुद्र में पटक दिया है। ‘‘यहोवा योद्धा है, उसका नाम यहोवा है। फिरौन के रथों और सेना को उसने समुद्र में फेंक दिया। उसके उत्तम से उत्तम रथी लाल समुद्र में डूब गए। हे यहोवा तेरा दाहिना हाथ शत्रु को चकनाचूर कर देता है। उनमें डर और घबराहट समा जाएगी। यहोवा सदा सर्वदा राज्य करता रहेगा…।’’ (निर्गमन )। इस्त्राएल की संतानों ने यात्रा किया और लाल समुद्र से होकर वे शूर के जंगल पहुँचे। वे तीन दिनों तक जंगल से गुजरते रहे और जब वे पीने का पानी नहीं पा सके तो न गीत गा सके और न नाच सके। उनके लिये यह एक नया अनुभव था क्योंकि मिस्त्र में काफी पानी था। ‘‘भूख और प्यास के मारे वे विकल हो गए।’’ (भजन 107:5)। ‘‘हम क्या पीएं?’’ उन्होंने मूसा से पूछा। कड़वाहट के कारण उन्होंने मूसा के विरुद्ध कुड़कुड़ाया। प्रभु, हम परमेश्वर की संतानों की सहायता करें, कि हम बिना कुड़कुड़ाए जंगल की इस यात्रा को पूरी करें। आइये हम यात्रा करते समय प्रभु पर भरोसा करें और उसमें आनंदित होवें। इस्त्राएल की संतानों ने यात्रा जारी रखा और वे मारा पहुँचे। वहाँ उन्हें पानी मिला; परंतु वे उसे पी नही सके क्योंकि वह कड़वा था। इसलिये मूसा ने परमेश्वर की दोहाई दिया कि उसकी सहायता करे, और परमेश्वर ने उसे एक पेड़ दिखाया। मूसा ने उसकी डाल लेकर पानी में फेंक दिया। इससे पानी मीठा हो गया। यह ध्यान देने वाली रोचक बात है कि इस्त्राएल के लोगों ने एक ही बार, एक ही स्थान में मीठा पानी पीया, वह मारा में था, वह स्थान जो कड़वे पानी का था। मारा में वह पेड़ मसीह का चित्रण है। मसीह के बिना जीवन कड़वा हो जाता है। रूत की पुस्तक में हम नओमी के विषय पढ़ते हैं जिसने स्वयँ को मारा (कड़वी) के रूप में बताई थी जब वह मोआब से बैतलहम पहुँची थी। उसने ‘‘भोजन के घर’’ को छोड़ी थी और मोआब को चली गई थी जो बंजर स्थान था। उसी प्रकार जब हम प्रभु की ओर लौटते है, जो ‘‘जीवन की रोटी’’ हैं, हमारा जीवन मीठा हो जाता है। ‘‘विश्वासी के कानों ने यीशु का नाम कितना मीठा सुन पड़ता है,’’ हम गाते हैं। इस्त्राएल की संतानों ने यात्रा जारी रखा और वे एलीम पहुँचे। वहाँ 12 कुएँ और खजूर के 70 पेड़ थे। उन्होंने पानी के पास ही डेरा किया। एलीम प्रतिज्ञा किया हुआ कनान नहीं परंतु केवल एक मरूद्यान है। मारा के बाद एक एलीम है। क्लेश के बाद बहुतायात का आनंद होता है। पृथ्वी पर जीवन आनंद और दुख से भरा है। जब लाजर मरा तब मार्था और मरियम रोने लगी थीं, परंतु जब उसे पुन जिलाया गया, तो वे अत्याधिक खुश हुईं। तूफान आएँगे परंतु उसके बाद शांति भी आती हैं, ‘‘धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा।’’ (रोमियों 1:17)। आइये हम प्रार्थना करें, ‘‘हे प्रभु हमारे विश्वास को बढ़ा।’’ (लूका 17:5)

बाइबल अध्यन

निर्गमन अध्याय 15 22 तब मूसा इस्राएलियों को लाल समुद्र से आगे ले गया, और वे शूर नाम जंगल में आए; और जंगल में जाते हुए तीन दिन तक पानी का सोता न मिला। 23 फिर मारा नाम एक स्थान पर पहुंचे, वहां का पानी खारा था, उसे वे न पी सके; इस कारण उस स्थान का नाम मारा पड़ा। 24 तब वे यह कहकर मूसा के विरुद्ध बकझक करने लगे, कि हम क्या पीएं? 25 तब मूसा ने यहोवा की दोहाई दी, और यहोवा ने उसे एक पौधा बतला दिया, जिसे जब उसने पानी में डाला, तब वह पानी मीठा हो गया। वहीं यहोवा ने उनके लिये एक विधि और नियम बनाया, और वहीं उसने यह कहकर उनकी परीक्षा की, 26 कि यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा का वचन तन मन से सुने, और जो उसकी दृष्टि में ठीक है वही करे, और उसकी आज्ञाओं पर कान लगाए, और उसकी सब विधियों को माने, तो जितने रोग मैं ने मिस्रियों पर भेजा है उन में से एक भी तुझ पर न भेजूंगा; क्योंकि मैं तुम्हारा चंगा करने वाला यहोवा हूं॥ 27 तब वे एलीम को आए, जहां पानी के बारह सोते और सत्तर खजूर के पेड़ थे; और वहां उन्होंने जल के पास डेरे खड़े किए॥

भजन संहिता अध्याय 107 5 भूख और प्यास के मारे, वे विकल हो गए।

रोमियो अध्याय 1 17 क्योंकि उस में परमेश्वर की धामिर्कता विश्वास से और विश्वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, कि विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा॥

लूका अध्याय 17 5 तब प्रेरितों ने प्रभु से कहा, हमारा विश्वास बढ़ा।

प्रश्न-उत्तर

प्र 1. विजय का गीत किसने गया ? कब गाया ?
प्र 2. मरियम और स्त्रीयों ने क्या किया ?
प्र 3. इस्राए लियों ने मीठा पानी कहाँ पीया ?कैसे ?
प्र 4. पेड़ किस बात को दर्शाता है ?