पाठ 8 : मिस्र से प्रस्थान
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सारांश
दसवीं विपत्ति अर्थात फिरौन के पहिलौठे और नदियों के पहिलौठों की मृत्यु सबसे भयानक थी। फिरौन समझ गया कि यह सजा केवल परमेश्वर की ओर से ही थी। उसके अपने पुत्र की मृत्यु इसी बात का पर्याप्त सबूत थी। इसलिये उस रात उसने मूसा और हारून को बुलाया और उन्हें जाने की अनुमति दे दिया। फिरौन उसके लोगों द्वारा इश्वरीय समझा जाता था, उसने मूसा से कहा कि वह उसे आशीषित करे! (निर्गमन 12:32)। परमेश्वर के निर्देशानुसार, इस्त्राएलियों ने मिस्त्रियों से चांदी और सोने की चीजे माँगा और कपड़े भी माँगा और उन्होंने जो कुछ माँगा, मिस्त्रियों ने उन्हें दे दिया। (निर्गमन 12:35-36,निर्गमन 3:21-22, 11:2-3 भी देखें)। यह बात ध्यान देने योग्य है कि परमेश्वर ने ऐसी व्यवस्था इसलिये किया था क्योंकि इस्त्राएलियों को गुलामी के कठिन परिश्रम की मजदूरी उन्हें नहीं दी जाती थी।इस्त्राएली लोग यात्रा पर निकल पड़े और परमेश्वर के निर्देशानुसार समुद्र के किनारे डेरा डाल दिये। इसी बीच फिरौन को कुछ नया विचार किया। उसे ऐसा लगा कि उन्हें इस तरह जाने नहीं देना था। इसलिये उसने अपनी सेना के साथ छः हजार चुने हुए रथ और उनके सरदारों को लेकर उनका पीछा किया। जब इस्त्राएलियों ने फिरौन और उसकी सेना को उसके पीछे आते देखा, तो वे डर गए और उन्होंने मूसा से कहा, ‘‘क्या मिस्त्र में कबरें न थीं, जो तू हमको वहाँ से मरने के लिये जंगल में ले आया है?’’ मूसा ने लोगों से कहा, ‘‘डरो मत,खड़े खड़े वह उद्धार का काम देखो जो यहोवा आज तुम्हारे लिये करेगा क्योंकि जिन मिस्त्रियों को तुम आज देखते हो फिर कभी न देखोगे। यहोवा आप ही तुम्हारे लिये लड़ेगा, इसलिये तुम चुपचाप रहो।’’ जब कठिनाइयाँ और समस्याएँ हमारे सामने आती हैं, जब हम अपनी सोच-समझ के अंत में होते हैं, तब हमें अपना विश्वास सर्व संपन्न परमेश्वर पर रखना चाहिये और निडरता से स्थिर रहना चाहिये।जब मूसा ने परमेश्वर से प्रार्थना किया, उसने उस से कहा, ‘‘तू क्यों मेरी दोहाई दे रहा है।इस्त्राएलियों को आज्ञा दे कि यहाँ कि से कूच करें।’’ तब मूसा ने अपना हाथ बढ़ाया और लाल समुद्र दो भाग में बँट गया इस्त्राएल की संतानों ने समुद्र पार किया और सूखी जमीन पर आ गये। जब परमेश्वर ने मिस्त्रियों के हृदय को कठोर किया, वे इस्त्राएलियों का पीछा करने लगे। जब सारे इस्त्राएली समुद्र पार कर चुके, तब मूसा ने फिर से समुद्र पर अपना हाथ बढ़ाया और पानी फिर से एक हो गया और रथों , घुड़सवारों और मिस्त्र की सेना को ढांप लिया। जब इस्त्राएल की संतानों ने समुद्र के किनारे मिस्त्रियों के शवों को देखा तो उन्होंने परमेश्वर का भय माना, और उस पर विश्वास किया और उसके दास मूसा पर भी विश्वास किया। जब वे फिरौन और उसकी सेना से छुड़ाए गये तब उन्होंने बहुत आनंद किया। मरियम जो भविष्यवक्तीन थी हाथ में डफ लिये सभी स्त्रियों के साथ परमेश्वर की स्तुति करती चलीं ‘‘यहोवा का गीत गाओ, क्योंकि वह महाप्रतापी ठहरा है, घोड़ों समेत सवारों को उसने समुद्र में फेंक दिया है।’’अब इस्त्राएलियों का मिस्त्र से पूरी तरह संबंध टूट चुका था। उनका पूरा छुटकारा हो चुका था। उसी प्रकार नया जन्म पाया हुआ परमेश्वर की सन्तान भी संसार से अलग हो जाती है।
बाइबल अध्यन
निर्गमन अध्याय 12 28 और इस्राएलियों ने जा कर, जो आज्ञा यहोवा ने मूसा और हारून को दी थी, उसी के अनुसार किया॥ 29 और ऐसा हुआ कि आधी रात को यहोवा ने मिस्र देश में सिंहासन पर विराजने वाले फिरौन से ले कर गड़हे में पड़े हुए बन्धुए तक सब के पहिलौठों को, वरन पशुओं तक के सब पहिलौठों को मार डाला। 30 और फिरौन रात ही को उठ बैठा, और उसके सब कर्मचारी, वरन सारे मिस्री उठे; और मिस्र में बड़ा हाहाकार मचा, क्योंकि एक भी ऐसा घर न था जिसमें कोई मरा न हो। 31 तब फिरौन ने रात ही रात में मूसा और हारून को बुलवाकर कहा, तुम इस्राएलियों समेत मेरी प्रजा के बीच से निकल जाओ; और अपने कहने के अनुसार जा कर यहोवा की उपासना करो। 32 अपने कहने के अनुसार अपनी भेड़-बकरियोंऔर गाय-बैलों को साथ ले जाओ; और मुझे आशीर्वाद दे जाओ। 33 और मिस्री जो कहते थे, कि हम तो सब मर मिटे हैं, उन्होंने इस्राएली लोगों पर दबाव डालकर कहा, कि देश से झटपट निकल जाओ। 34 तब उन्होंने अपने गून्धे गुन्धाए आटे को बिना खमीर दिए ही कठौतियों समेत कपड़ों में बान्ध के अपने अपने कन्धे पर डाल लिया। 35 और इस्राएलियों ने मूसा के कहने के अनुसार मिस्रियों से सोने चांदी के गहने और वस्त्र मांग लिये। 36 और यहोवा ने मिस्रियों को अपनी प्रजा के लोगों पर ऐसा दयालु किया, कि उन्होंने जो जो मांगा वह सब उन को दिया। इस प्रकार इस्राएलियों ने मिस्रियों को लूट लिया॥ 37 तब इस्राएली रामसेस से कूच करके सुक्कोत को चले, और बालबच्चों को छोड़ वे कोई छ: लाख पुरूष प्यादे थे। 38 और उनके साथ मिली जुली हुई एक भीड़ गई, और भेड़-बकरी, गाय-बैल, बहुत से पशु भी साथ गए। 39 और जो गून्धा आटा वे मिस्र से साथ ले गए उसकी उन्होंने बिना खमीर दिए रोटियां बनाईं; क्योंकि वे मिस्र से ऐसे बरबस निकाले गए, कि उन्हें अवसर भी न मिला की मार्ग में खाने के लिये कुछ पका सकें, इसी कारण वह गून्धा हुआ आटा बिना खमीर का था। 40 मिस्र में बसे हुए इस्राएलियों को चार सौ तीस वर्ष बीत गए थे। 41 और उन चार सौ तीस वर्षों के बीतने पर, ठीक उसी दिन, यहोवा की सारी सेना मिस्र देश से निकल गई। 42 यहोवा इस्राएलियों को मिस्र देश से निकाल लाया, इस कारण वह रात उसके निमित्त मानने के अति योग्य है; यह यहोवा की वही रात है जिसका पीढ़ी पीढ़ी में मानना इस्राएलियों के लिये अति अवश्य है॥ 43 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, पर्ब्ब की विधि यह है; कि कोई परदेशी उस में से न खाए; 44 पर जो किसी का मोल लिया हुआ दास हो, और तुम लोगों ने उसका खतना किया हो, वह तो उस में से खा सकेगा। 45 पर परदेशी और मजदूर उस में से न खाएं। 46 उसका खाना एक ही घर में हो; अर्थात तुम उसके मांस में से कुछ घर से बाहर न ले जाना; और बलिपशु की कोई हड्डी न तोड़ना। 47 पर्ब्ब को मानना इस्राएल की सारी मण्डली का कर्तव्य कर्म है। 48 और यदि कोई परदेशी तुम लोगों के संग रहकर यहोवा के लिये पर्ब्ब को मानना चाहे, तो वह अपने यहां के सब पुरूषों का खतना कराए, तब वह समीप आकर उसको माने; और वह देशी मनुष्य के तुल्य ठहरेगा। पर कोई खतनारहित पुरूष उस में से न खाने पाए। 49 उसकी व्यवस्था देशी और तुम्हारे बीच में रहने वाले परदेशी दोनों के लिये एक ही हो। 50 यह आज्ञा जो यहोवा ने मूसा और हारून को दी उसके अनुसार सारे इस्राएलियों ने किया। 51 और ठीक उसी दिन यहोवा इस्राएलियों को मिस्र देश से दल दल करके निकाल ले गया॥
निर्गमन अध्याय 12 32 अपने कहने के अनुसार अपनी भेड़-बकरियोंऔर गाय-बैलों को साथ ले जाओ; और मुझे आशीर्वाद दे जाओ।
निर्गमन अध्याय 12 35 और इस्राएलियों ने मूसा के कहने के अनुसार मिस्रियों से सोने चांदी के गहने और वस्त्र मांग लिये। 36 और यहोवा ने मिस्रियों को अपनी प्रजा के लोगों पर ऐसा दयालु किया, कि उन्होंने जो जो मांगा वह सब उन को दिया। इस प्रकार इस्राएलियों ने मिस्रियों को लूट लिया॥
निर्गमन अध्याय 3 21 तब मैं मिस्रियोंसे अपक्की इस प्रजा पर अनुग्रह करवाऊंगा; और जब तुम निकलोगे तब छूछे हाथ न निकलोगे। 22 वरन तुम्हारी एक एक स्त्री अपक्की अपक्की पड़ोसिन, और अपके अपके घर की पाहुनी से सोने चांदी के गहने, और वस्त्र मांग लेगी, और तुम उन्हें अपके बेटोंऔर बेटियोंको पहिराना; इस प्रकार तुम मिस्रियोंको लूटोगे।।
निर्गमन अध्याय 11 2 मेरी प्रजा को मेरी यह आज्ञा सुना, कि एक एक पुरूष अपने अपने पड़ोसी, और एक एक स्त्री अपनी अपनी पड़ोसिन से सोने चांदी के गहने मांग ले। 3 तब यहोवा ने मिस्रियों को अपनी प्रजा पर दयालु किया। और इससे अधिक वह पुरूष मूसा मिस्र देश में फिरौन के कर्मचारियों और साधारण लोगों की दृष्टि में अति महान था॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1. परमेश्वर क्यों चाहता था कि इस्राएल मिसत्र छोड़ें ?
उप्र 2. मिसत्र छोड़ने के बाद इस्राएलियों ने कहाँ डेरा डाला था ? वहाँ उन्हे किस प्रकार की तकलीफ हुई थी ?
उप्र 3. परमेश्वर ने उन्हे इससे किस तरह छुड़ाया था ?
उप्र 4. इस्राएलियों कर लाल समुन्द्र पार किये जाने से हम कौनसा आत्मिक सबक सीखते है ?
उ
संगीत
अब्राहम का मै परमेश्वर हूं, अद्भुत कार्य क्यों ना करूंगा, लाल सागर में रास्ता दिया आज भी मैं करने के योग्य हूं।
करता हूं मैं तेरी चिंता, तू क्यों चिंता करता हैं, आंसूओं की घाटियों में, साथ ना छोडू़ंगा तेरा।