पाठ 6 : मिस्र में विपत्तियाँ

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सारांश

जब मूसा और हारून ने फिरौन से कहा कि वह इस्त्राएल के लोगों को जंगल में जाने दे, ताकि वे परमेश्वर के लिये पर्व मना सकें, फिरौन ने कहा, ‘‘यहोवा कौन है कि मैं उसका वचन मानकर इस्त्राएलियों को जाने दूँ? मैं यहोवा को नहीं जानता, और मैं इस्त्राएलियों को नहीं जाने दूँगा।’’ फिर उसने परिश्रम करवाने वालों को बुलाया और उनसे कहा कि ईंट बनाने वे उन्हें पुआल5 न दें। उन्हें ही पुआल इकट्ठा करने देना फिर भी उनसे पहले के समान उतनी ही ईंटे बनवाना। उन्हें परिश्रम करवाने वालों द्वारा मारा भी जाता था। जब इस्त्राएल के सरदारों ने समझ लिया कि वे बहुत मुसीबत में फँस चुके थे तो उन्होंने मूसा और हारून से शिकायत किया। उन्होंने इस विषय को परमेश्वर से कहा। परमेश्वर ने उनसे कहा कि वह उसके लोगों को हाथ बढ़ाकर और बड़े न्याय के द्वारा छुड़ाएगा और कनान देश ले जाएगा जिसे देने की प्रतिज्ञा उसने किया था, परंतु जब इस्त्राएलियों ने यह सुना तो वे उनके दुख और भारी बोझ के कारण स्वीकार नहीं कर सके।जब मूसा और हारून फिरौन के पास गये और छड़ी को नीचे डाला जैसा परमेश्वर ने उनसे कहा था, तो वह छड़ी साँप बन गई। मिस्त्र के जादूगरों ने भी ऐसा ही किया परंतु हारून की छड़ी ने उनकी छड़ियों को निगल गई। परंतु फिरौन ने उसका हृदय कठोर कर लिया और लोगों को जाने देने से इन्कार कर दिया। फिर परमेश्वर ने उसके कहे अनुसार दंड दिया। फिरौन के झुकने के पहले दस विपत्तियाँ आई। सुबह मूसा और हारून छड़ी लेकर नदी के किनारे खड़े हुए। जब फिरौन वहाँ आया तो हारून ने अपना हाथ पानी की ओर बढ़ाकर लाठी को पानी में मारा और पानी लहू बन गया और नदी की सभी मछलियाँ मर गईं। जादूगरों ने यह भी कर दिया और फिरौन ने फिर से अपना हृदय कठोर कर लिया और अपने महल को लौट गया। इस घटना के सात दिनों के बाद, मूसा फिर से फिरौन के पास गया और उसके लोगों को मिस्त्र से जाने देने को कहा, परंतु राजा ने इन्कार कर दिया। फिर हारून ने अपना हाथ पानी की ओर बढ़ाया और उसमें से मेंढक निकाल आए और सारे देश में छा गए। जादूगरों ने यह भी कर दिखाया। यह दूसरी विपत्ति थी। मेंढक सभी जगह छा गये थे, महल में, नौकरों के घरों में उनके चूल्हों और बर्तनों में भी। फिर फिरौन ने मूसा को बुलाकर कहा कि वह परमेश्वर से प्रार्थना करे कि मेंढक हट जाएँ और प्रतिज्ञा किया कि फिर वह उन्हें जाने देगा। फिर मूसा और हारून ने परमेश्वर से प्रार्थना किया और सारे मेंढक मर गए, परंतु जब फिरौन ने देखा कि विपत्ति चली गई थी, उसने अपना हृदय कठोर कर लिया और लोगों को जाने नहीं दिया।तीसरी बार हारून ने हाथ बढ़ाया और धूल पर मारा और वह मनुष्यों और पशुओं पर कुटकियाँ बन गई। जादूगरों ने भी कोशिश किया परंतु वे कुटकियाँ नहीं ला सके। तब भी फिरौन ने लोगों को जाने नहीं दिया। चैथी विपत्ति ने डाँसों को लाई जिसने सारे देश को छा लीं, फिरौन का महल, दासों के घर, परंतु गोशेन जहाँ इस्त्राएली संताने रहती थीं, छोड़ दिया गया। फिर फिरौन ने कहा कि वे मिस्त्र देश में ही परमेश्वर को बलिदान चढ़ा सकते थे। मूसा इस बात से सहमत नहीं हुआ। हमें 3 दिन की यात्रा करते हुए जंगल मे जाना ही होगा। उसने कहा। फिरौन ने कहा, ‘‘मैं तुम्हें जंगल में जाने दूंगा परंतू बहुत दूर नहीं। मेरे लिये बिनती करो।’’ परमेश्वर ने डाँसों को हटा दिया परंतु फिरौन ने फिर से अपना हृदय कठोर कर लिया। पाँचवीं विपत्ति एक बीमारी थी जिसने मिस्त्रियों के सभी जानवरों को मार डाला परंतु इस्त्राएलियों का एक भी जानवर नहीं मरा। छठवीं विपत्ति ने फफोले और फोड़े लाई जो मनुष्यों और जानवरों दोनों पर आए। सातवीं बार परमेश्वर ने मेघों का गरजना और ओले और आग गिरने जैसी विपत्ति भेजा। इस विपत्ति ने उन सबको मार डाला जो मैदानों में थे,और फसल को पूरी तरह नष्ट कर दिया। मूसा ने फिरौन को चेतावनी दिया कि टिड्डियाँ आठवीं विपत्ति होगी। फिरोन के दासों ने राजा से बिनती किया कि वह इस्त्राएलियों को जाने दे, परंतु फिरौन केवल पुरुषों को ही जाने देने के लिये राजी हुआ। जब मूसा ने यह जिद किया कि जवान और बूढ़ों को उनके पशुओं और भेड़ बकरियों के साथ जाने दिया जाए, तो फिरौन ने उन्हें अपनी उपस्थिति से बाहर निकाल दिया। फिर मूसा ने अपना हाथ बढ़ाकर छड़ी को मिस्त्र पर छुमाया और पूर्वी हवाओं ने अपने साथ टिड्डियाँ ले आईं जो सारे देश में छा र्गइं। जल्द ही टिड्डियों ने सारी हरियाली चट कर ली और मिस्त्र की सीमाओं के वृक्ष भी खा गई। तुरंत ही फिरौन ने मूसा और हारून को बुलवा भेजा और परमेश्वर से प्रार्थना करने को कहा। जब उन्होंने प्रार्थना किया तो परमेश्वर ने पश्चिम से हवाएँ भेजा जो सारी टिड्डियों को लाल समुद्र ले गईं। परंतु परमेश्वर ने फिरौन का हृदय कठोर कर दिया और उसने लोगों को जाने नहीं दिया। नौवीं विपत्ति के लिये मूसा ने अपना हाथ स्वर्ग की ओर बढ़ाया और सारे देश में तीन दिन तक अंधियारा छाया रहा, परंतु सभी इस्त्राएलियों के आवासों में प्रकाश था। फिर से फिरौन ने विनती के आधे भाग को मानते हुए सौदा करने का प्रयास किया, परंतु परमेश्वर ने उसके लोगों को पूरा छुटकारा देने की प्रतिज्ञा किया था इसलिये उसने उन पर एक और विपत्ति भेजा। मध्यरात्रि के समय परमेश्वर का दूत सारे देश में से होकर निकला और हर परिवार के पहिलौठे को मार डाला, जिसमें फिरौन का पहिलौठा भी शामिल था। फिरौन ने मूसा को रात में ही बुलाया और कहा कि उन्हें तुरंत ही मिस्त्र छोड़ देना चाहिये। इसलिये लोग जल्दबाजी में निकल पड़े, और गूँथे हुए आटे को खमीर होने से पहले ही साथ ले गए। जब इस्त्राएलियों ने सोना और चांदी मांगा तो मिस्त्रियों ने खुशी-खुशी दे दिया। उन्होंने रामसेस से पैदल यात्रा शुरू किया और उनमें केवल पुरुष ही 6 लाख थे।ऐसे कई लोग हैं जो बार-बार परमेश्वर की आवाज सुनकर भी अपना हृदय कठोर कर लेते हैं। ‘‘यदि आज तुम उसका शब्द सुनो, तो अपने मन को कठोर न करो।’’ (इब्रानियों 3:8

बाइबल अध्यन

निर्गमन अध्याय 5 1 इसके पश्चात मूसा और हारून ने जा कर फिरौन से कहा, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि मेरी प्रजा के लोगों को जाने दे, कि वे जंगल में मेरे लिये पर्व्व करें। 2 फिरौन ने कहा, यहोवा कौन है, कि मैं उसका वचन मानकर इस्राएलियों को जाने दूं? मैं यहोवा को नहीं जानता, और मैं इस्राएलियों को नहीं जाने दूंगा। 3 उन्होंने कहा, इब्रियों के परमेश्वर ने हम से भेंट की है; सो हमें जंगल में तीन दिन के मार्ग पर जाने दे, कि अपने परमेश्वर यहोवा के लिये बलिदान करें, ऐसा न हो कि वह हम में मरी फैलाए वा तलवार चलवाए। 4 मिस्र के राजा ने उन से कहा, हे मूसा, हे हारून, तुम क्यों लोगों से काम छुड़वाने चाहते हो? तुम जा कर अपने अपने बोझ को उठाओ। 5 और फिरोन ने कहा, सुनो, इस देश में वे लोग बहुत हो गए हैं, फिर तुम उन को परिश्रम से विश्राम दिलाना चाहते हो! 6 और फिरौन ने उसी दिन उन परिश्रम करवाने वालों को जो उन लोगों के ऊपर थे, और उनके सरदारों को यह आज्ञा दी, 7 कि तुम जो अब तक ईटें बनाने के लिये लोगों को पुआल दिया करते थे सो आगे को न देना; वे आप ही जा कर अपने लिये पुआल इकट्ठा करें। 8 तौभी जितनी ईंटें अब तक उन्हें बनानी पड़ती थीं उतनी ही आगे को भी उन से बनवाना, ईंटोंकी गिनती कुछ भी न घटाना; क्योंकि वे आलसी हैं; इस कारण यह कहकर चिल्लाते हैं, कि हम जा कर अपने परमेश्वर के लिये बलिदान करें। 9 उन मनुष्यों से और भी कठिन सेवा करवाई जाए कि वे उस में परिश्रम करते रहें और झूठी बातों पर ध्यान न लगाएं। 10 तब लोगों के परिश्रम कराने वालों ने और सरदारों ने बाहर जा कर उन से कहा, फिरौन इस प्रकार कहता है, कि मैं तुम्हें पुआल नहीं दूंगा। 11 तुम ही जा कर जहां कहीं पुआल मिले वहां से उसको बटोर कर ले आओ; परन्तु तुम्हारा काम कुछ भी नहीं घटाया जाएगा। 12 सो वे लोग सारे मिस्र देश में तित्तर-बित्तर हुए कि पुआल की सन्ती खूंटी बटोरें। 13 और परिश्रम करने वाले यह कह कहकर उन से जल्दी करते रहे, कि जिस प्रकार तुम पुआल पाकर किया करते थे उसी प्रकार अपना प्रतिदिन का काम अब भी पूरा करो। 14 और इस्राएलियों में से जिन सरदारों को फिरौन के परिश्रम कराने वालों ने उनका अधिकारी ठहराया था, उन्होंने मार खाई, और उन से पूछा गया, कि क्या कारण है कि तुम ने अपनी ठहराई हुई ईंटों की गिनती के अनुसार पहिले की नाईं कल और आज पूरी नहीं कराई? 15 तब इस्राएलियों के सरदारोंने जाकर फिरौन की दोहाई यह कहकर दी, कि तू अपने दासों से ऐसा बर्ताव क्यों करता है? 16 तेरे दासों को पुआल तो दिया ही नहीं जाता और वे हम से कहते रहते हैं, ईंटे बनाओ, ईंटें बनाओ, और तेरे दासों ने भी मार खाई हैं; परन्तु दोष तेरे ही लोगों का है। 17 फिरौन ने कहा, तुम आलसी हो, आलसी; इसी कारण कहते हो कि हमे यहोवा के लिये बलिदान करने को जाने दे। 18 और जब आकर अपना काम करो; और पुआल तुम को नहीं दिया जाएगा, परन्तु ईटों की गिनती पूरी करनी पड़ेगी। 19 जब इस्राएलियों के सरदारों ने यह बात सुनी कि उनकी ईंटों की गिनती न घटेगी, और प्रतिदिन उतना ही काम पूरा करना पड़ेगा, तब वे जान गए कि उनके दुर्भाग्य के दिन आ गए हैं। 20 जब वे फिरौन के सम्मुख से बाहर निकल आए तब मूसा और हारून, जो उन से भेंट करने के लिये खड़े थे, उन्हें मिले। 21 और उन्होंने मूसा और हारून से कहा, यहोवा तुम पर दृष्टि करके न्याय करे, क्योंकि तुम ने हम को फिरौन और उसके कर्मचारियों की दृष्टि में घृणित ठहरवाकर हमें घात करने के लिये उनके हाथ में तलवार दे दी है। 22 तब मूसा ने यहोवा के पास लौट कर कहा, हे प्रभु, तू ने इस प्रजा के साथ ऐसी बुराई क्यों की? और तू ने मुझे यहां क्यों भेजा? 23 जब से मैं तेरे नाम से फिरौन के पास बातें करने के लिये गया तब से उसने इस प्रजा के साथ बुरा ही व्यवहार किया है, और तू ने अपनी प्रजा का कुछ भी छुटकारा नहीं किया।

निर्गमन अध्याय 6 1 तब यहोवा ने मूसा से कहा, अब तू देखेगा कि मैं फिरौन ने क्या करूंगा; जिस से वह उन को बरबस निकालेगा, वह तो उन्हें अपने देश से बरबस निकाल देगा॥ 2 और परमेश्वर ने मूसा से कहा, कि मैं यहोवा हूं। 3 मैं सर्वशक्तिमान ईश्वर के नाम से इब्राहीम, इसहाक, और याकूब को दर्शन देता था, परन्तु यहोवा के नाम से मैं उन पर प्रगट न हुआ। 4 और मैं ने उनके साथ अपनी वाचा दृढ़ की है, अर्थात कनान देश जिस में वे परदेशी हो कर रहते थे, उसे उन्हें दे दूं। 5 और इस्राएली जिन्हें मिस्री लोग दासत्व में रखते हैं उनका कराहना भी सुनकर मैं ने अपनी वाचा को स्मरण किया है। 6 इस कारण तू इस्राएलियों से कह, कि मैं यहोवा हूं, और तुम को मिस्रियों के बोझों के नीचे से निकालूंगा, और उनके दासत्व से तुम को छुड़ाऊंगा, और अपनी भुजा बढ़ाकर और भारी दण्ड देकर तुम्हें छुड़ा लूंगा, 7 और मैं तुम को अपनी प्रजा बनाने के लिये अपना लूंगा, और मैं तुम्हारा परमेश्वर ठहरूंगा; और तुम जान लोगे कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूं जो तुम्हें मिस्रियों के बोझों के नीचे से निकाल ले आया। 8 और जिस देश के देने की शपथ मैं ने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब से खाई थी उसी में मैं तुम्हें पहुंचाकर उसे तुम्हारा भाग कर दूंगा। मैं तो यहोवा हूं। 9 और ये बातें मूसा ने इस्राएलियों को सुनाईं; परन्तु उन्होंने मन की बेचैनी और दासत्व की क्रूरता के कारण उसकी न सुनी॥ 10 तब यहोवा ने मूसा से कहा, 11 तू जा कर मिस्र के राजा फिरौन से कह, कि इस्राएलियों को अपने देश में से निकल जाने दे। 12 और मूसा ने यहोवा से कहा, देख, इस्राएलियों ने मेरी नहीं सुनी; फिर फिरौन मुझ भद्दे बोलने वाले की क्योंकर सुनेगा? 13 और यहोवा ने मूसा और हारून को इस्राएलियोंऔर मिस्र के राजा फिरौन के लिये आज्ञा इस अभिप्राय से दी कि वे इस्राएलियों को मिस्र देश से निकाल ले जाएं। 14 उनके पितरों के घरानोंके मुख्य पुरूष ये हैं: इस्राएल के जेठा रूबेन के पुत्र: हनोक, पल्लू, हेस्रोन और कर्म्मी थे; इन्हीं से रूबेन के कुल निकले। 15 और शिमोन के पुत्र: यमूएल, यामीन, ओहद, याकिन, और सोहर थे, और एक कनानी स्त्री का बेटा शाउल भी था; इन्हीं से शिमोन के कुल निकले। 16 और लेवी के पुत्र जिन से उनकी वंशावली चली है, उनके नाम ये हैं: अर्थात गेर्शोन, कहात और मरारी, और लेवी को पूरी अवस्था एक सौ सैंतीस वर्ष की हुई। 17 गेर्शोन के पुत्र जिन से उनका कुल चला: लिबनी और शिमी थे। 18 और कहात के पुत्र: अम्राम, यिसहार, हेब्रोन और उज्जीएल थे, और कहात की पूरी अवस्था एक सौ सैंतीस वर्ष की हुई। 19 और मरारी के पुत्र: महली और मूशी थे। लेवियों के कुल जिन से उनकी वंशावली चली ये ही हैं। 20 अम्राम ने अपनी फूफी योकेबेद को ब्याह लिया और उससे हारून और मूसा उत्पन्न हुए, और अम्राम की पूरी अवस्था एक सौ सैंतीस वर्ष की हुई। 21 और यिसहार के पुत्र कोरह, नेपेग और जिक्री थे। 22 और उज्जीएल के पुत्र: मीशाएल, एलसापन और सित्री थे। 23 और हारून ने अम्मीनादाब की बेटी, और नहशोन की बहिन एलीशेबा को ब्याह लिया; और उससे नादाब, अबीहू, ऐलाजार और ईतामार उत्पन्न हुए। 24 और कोरह के पुत्र: अस्सीर, एलकाना और अबीआसाप थे; और इन्हीं से कोरहियों के कुल निकले। 25 और हारून के पुत्र एलाजार ने पूतीएल की एक बेटी को ब्याह लिया; और उससे पीनहास उत्पन्न हुआ जिन से उनका कुल चला। लेवियों के पितरों के घरानों के मुख्य पुरूष ये ही हैं। 26 हारून और मूसा वे ही हैं जिन को यहोवा ने यह आज्ञा दी, कि इस्राएलियों को दल दल करके उनके जत्थों के अनुसार मिस्र देश से निकाल ले आओ। 27 ये वही मूसा और हारून हैं जिन्होंने मिस्र के राजा फिरौन से कहा, कि हम इस्राएलियों को मिस्र से निकाल ले जाएंगे॥ 28 जब यहोवा ने मिस्र देश में मूसा से यह बात कही, 29 कि मैं तो यहोवा हूं; इसलिये जो कुछ मैं तुम से कहूंगा वह सब मिस्र के राजा फिरौन से कहना। 30 और मूसा ने यहोवा को उत्तर दिया, कि मैं तो बोलने में भद्दा हूं; और फिरोन क्योंकर मेरी सुनेगा?

प्रश्न-उत्तर

प्र 1. उन विपत्तियों के नाम बताएं जो मिसत्र पर आई थी ?
प्र 2. इस्राएलियों के प्रदानों में बाधा डालने के लिए फिरौन ने क्या किया ?
प्र 3. जादूगर लोग कौन से चमत्कार कर सके थे ?
प्र 4. मिस्त्रियों पर अंतिम विपत्ति क्या थी ?

संगीत

एक ही दरवाजा है उसकी तरफ दो, अंदर तरफ बाहर तरफ तुम किस तरफ हो ? एक ही दरवाजा है उसकी तरफ दो,
मैं अंदर तरफ हूँ तुम किस तरफ हो?

2 एक ही मार्ग है उसके रास्ते दो सच्चाई का बुराई का तुम किस मार्ग पर हो ? एक ही मार्ग है उसके रास्ते दो मैं सच्चाई के मार्ग पर हूँ तुम किस मार्ग पर हो?