पाठ 5 : मूसा मिद्यान में

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सारांश

जब मूसा एक कुएँ के पास बैठा था तब मिद्यानी याजक रूएल4 की बेटियाँ उनके पिता कीभेड़-बकरियों को पिलाने के लिये कठौती में पानी भरने आई। परंतु कुछ चरवाहों ने जो वहाँ आए थे, उन्हें हटाने लगे। तब मूसा ने स्त्रियों की मदद किया और उनके भेड़-बकरियों को पानी पिलाया, और वे उस दिन रोज की अपेक्षा जल्दी ही पिता के घर लौट र्गइं। उनके पिता ने उनसे पूछा कि वे इतनी जल्दी कैसे लौट गईं। उन्होंने बताई कि एक मिस्त्री ने उन्हें चरवाहों से बचाया उनके पशुओं को पानी पिलाया। तब उनके पिता ने उन्हें उसे खाने पर बुला लाने को कहा। इस प्रकार मूसा यित्रों के पास आया और उसके साथ खुशी से रहा। बाद में यित्रो ने अपनी बेटी सिप्पोरा का विवाह मूसा से कर दिया। जब उसे पुत्र उत्पन्न हुआ तो उसने यह कहकर उसका नाम ‘गेर्शोम’ रखा क्योंकि वह इस नए देश में परदेशी है। इसलिये मूसा जो फिरौन के सामने से भाग गया था, परमेश्वर ने उसकी सुधि लिया। उसने उसे शांति और विश्राम के स्थान में ले आया था। मूसा 40 वर्ष तक उसके ससुर की भेड़-बकरियों की देखरेख में लगा रहा जब वह भेड़-बकरियाँ चरा रहा था तो वह होरेब पर्वत पर चला गया। वहाँ उसने एक जलती हुई झाड़ी देखा, परंतु वह झाड़ी स्वयँ नहीं जल रही थी। उसने जलती झाड़ी में से परमेश्वर को उसका नाम लेकर उसे पुकारते हुए सुना। परमेश्वर ने कहा, ‘‘इधर पास मत आ, और अपने पावों से जूतियों को उतार दे, क्योंकि जिस स्थान पर तू खड़ा है वह पवित्रभूमि है।’’ फिर परमेश्वर ने उससे कहा कि उसने इस्त्राएलियों के दुख को देखा है और उनकी पुकार को सुना है उनके कारण जो उनसे कठिन परिश्रम करवाते हैं और उन्हें मिस्त्रियों को छुड़ाने उसे उस देश में ले जाने को उतर आया है जहाँ दूध और शहद की धारा बहती हैं। उसने मूसा से यह भी कहा कि वह इस्त्राएलियों को छुड़ाने के लिये फिरौन के पास जाए। जब मूसा ने कहा कि वे उसकी बात नही सुनेंगे तो परमेश्वर ने उसे उसके हाथ की छड़ी नीचे डाल देने को कहा। जब उसने ऐसा किया, तो वह साँप बन गई। फिर परमेश्वर ने उसे हाथ बढ़ाकर उसे पूछँ से पकड़ने को कहा। जब उसने ऐसा ही किया, तो वह उसके हाथ में फिर से छड़ी बन गई। तब परमेश्वर ने मूसा से उसका हाथ उसकी छाती पर रखने को कहा। जब उसने ऐसा किया तब उसका हाथ कोढ़ से सफेद हो गया। उसने उसे फिर से उसका हाथ छाती पर रखने को कहा, और जब उसने फिर से अपना हाथ हटाया, तो वह उसके शरीर के अन्य भाग के समान साफ और शुद्ध बन गया। फिर परमेश्वर ने मूसा से कहा, यदि वे इन दो चिन्हों को न मानें तो नदी का कुछ पानी सूखी जमीन पर डाले, और वह लहू बन जाएगा।तब मूसा ने परमेश्वर से कहा, ‘‘हे मेरे प्रभु, मैं बोलने में निपुण नहीं, न तो पहले था और न जब से तू अपने दास से बातें करने लगा, मैं तो मुँह और जीभ का भद्दा हूँ।’’ जब मूसा ने परमेश्वर से कहा कि वह किसी और को भेज दे। तब परमेश्वर का क्रोध उस पर भड़क उठा। और परमेश्वर ने कहा, ‘‘क्या तेरा भाई लेवीय हारून नही हैं?’’ परमेश्वर ने उससे कहा कि हारून उससे मिलने आ रहा है और उसके लिये वही लोगों से बात करेगा। फिर मूसा, उसके ससुर यित्रो के पास लौट गया कि वह उसे विदा करे। उसकी पत्नी और पुत्रों के साथ वह मिस्त्र लौट गया। क्या हम परमेश्वर की सेवा के लिये उसकी बुलाहट को मूसा के समान टालने की कोशिश करते हैं।4 रूएल का अर्थ ‘परमेश्वर का मित्र है।’ उसका दूसरा नाम यित्रो था (अर्थात्: श्रेष्ठता) जो शायद उसके कुल के मुखिये के रूप में उसका पद था।

बाइबल अध्यन

निर्गमन अध्याय 2 15 जब फिरौन ने यह बात सुनी तब मूसा को घात करने की युक्ति की। तब मूसा फिरौन के साम्हने से भागा, और मिद्यान देश में जा कर रहने लगा; और वह वहां एक कुएं के पास बैठ गया। 16 मिद्यान के याजक की सात बेटियां थी; और वे वहां आकर जल भरने लगीं, कि कठौतों में भरके अपने पिता की भेड़बकरियों को पिलाएं। 17 तब चरवाहे आकर उन को हटाने लगे; इस पर मूसा ने खड़ा हो कर उनकी सहायता की, और भेड़-बकरियों को पानी पिलाया। 18 जब वे अपने पिता रूएल के पास फिर आई, तब उसने उन से पूछा, क्या कारण है कि आज तुम ऐसी फुर्ती से आई हो? 19 उन्होंने कहा, एक मिस्री पुरूष ने हम को चरवाहों के हाथ से छुड़ाया, और हमारे लिये बहुत जल भरके भेड़-बकरियों को पिलाया। 20 तब उसने अपनी बेटियों से कहा, वह पुरूष कहां है? तुम उसको क्योंछोड़ आई हो? उसको बुला ले आओ कि वह भोजन करे। 21 और मूसा उस पुरूष के साथ रहने को प्रसन्न हुआ; उसने उसे अपनी बेटी सिप्पोरा को ब्याह दिया। 22 और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ, तब मूसा ने यह कहकर, कि मैं अन्य देश में परदेशी हूं, उसका नाम गेर्शोम रखा॥ 23 बहुत दिनों के बीतने पर मिस्र का राजा मर गया। और इस्राएली कठिन सेवा के कारण लम्बी लम्बी सांस ले कर आहें भरने लगे, और पुकार उठे, और उनकी दोहाई जो कठिन सेवा के कारण हुई वह परमेश्वर तक पहुंची। 24 और परमेश्वर ने उनका कराहना सुनकर अपनी वाचा को, जो उसने इब्राहीम, और इसहाक, और याकूब के साथ बान्धी थी, स्मरण किया। 25 और परमेश्वर ने इस्राएलियों पर दृष्टि करके उन पर चित्त लगाया॥

प्रेरितों के काम अध्याय 7 20 उस समय मूसा उत्पन्न हुआ जो बहुत ही सुन्दर था; और वह तीन महीने तक अपने पिता के घर में पाला गया। 21 परन्तु जब फेंक दिया गया तो फिरौन की बेटी ने उसे उठा लिया, और अपना पुत्र करके पाला। 22 और मूसा को मिसरियों की सारी विद्या पढ़ाई गई, और वह बातों और कामों में सामर्थी था। 23 जब वह चालीस वर्ष का हुआ, तो उसके मन में आया कि मैं अपने इस्त्राएली भाइयों से भेंट करूं। 24 और उस ने एक व्यक्ति पर अन्याय होने देखकर, उसे बचाया, और मिसरी को मारकर सताए हुए का पलटा लिया। 25 उस ने सोचा, कि मेरे भाई समझेंगे कि परमेश्वर मेरे हाथों से उन का उद्धार करेगा, परन्तु उन्होंने न समझा। 26 दूसरे दिन जब वे आपस में लड़ रहे थे, तो वह वहां आ निकला; और यह कहके उन्हें मेल करने के लिये समझाया, कि हे पुरूषो, तुम तो भाई भाई हो, एक दूसरे पर क्यों अन्याय करते हो? 27 परन्तु जो अपने पड़ोसी पर अन्याय कर रहा था, उस ने उसे यह कहकर हटा दिया, कि तुझे किस ने हम पर हाकिम और न्यायी ठहराया है? 28 क्या जिस रीति से तू ने कल मिसरी को मार डाला मुझे भी मार डालना चाहता है? 29 यह बात सुनकर, मूसा भागा; और मिद्यान देश में परदेशी होकर रहने लगा: और वहां उसके दो पुत्र उत्पन्न हुए। 30 जब पूरे चालीस वर्ष बीत गए, तो एक स्वर्ग दूत ने सीनै पहाड़ के जंगल में उसे जलती हुई झाड़ी की ज्वाला में दर्शन दिया। 31 मूसा ने उस दर्शन को देखकर अचम्भा किया, और जब देखने के लिये पास गया, तो प्रभु का यह शब्द हुआ। 32 कि मैं तेरे बाप दादों, इब्राहीम, इसहाक और याकूब का परमेश्वर हूं: तब तो मूसा कांप उठा, यहां तक कि उसे देखने का हियाव न रहा। 33 तब प्रभु ने उस से कहा; अपने पावों से जूती उतार ले, क्योंकि जिस जगह तू खड़ा है, वह पवित्र भूमि है। 34 मैं ने सचमुच अपने लोगों की र्दुदशा को जो मिसर में है, देखी है; और उन की आह और उन का रोना सुन लिया है; इसलिये उन्हें छुड़ाने के लिये उतरा हूं। अब आ, मैं तुझे मिसर में भेंजूंगा। 35 जिस मूसा को उन्होंने यह कहकर नकारा था कि तुझे किस ने हम पर हाकिम और न्यायी ठहराया है; उसी को परमेश्वर ने हाकिम और छुड़ाने वाला ठहरा कर, उस स्वर्ग दूत के द्वारा जिस ने उसे झाड़ी में दर्शन दिया था, भेजा। 36 यही व्यक्ति मिसर और लाल समुद्र और जंगल में चालीस वर्ष तक अद्भुत काम और चिन्ह दिखा दिखाकर उन्हें निकाल लाया। 37 यह वही मूसा है, जिस ने इस्त्राएलियों से कहा; कि परमेश्वर तुम्हारे भाइयों में से तुम्हारे लिये मुझ सा एक भविष्यद्वक्ता उठाएगा। 38 यह वही है, जिस ने जंगल में कलीसिया के बीच उस स्वर्गदूत के साथ सीनै पहाड़ पर उस से बातें की, और हमारे बाप दादों के साथ था: उसी को जीवित वचन मिले, कि हम तक पहुंचाए। 39 परन्तु हमारे बाप दादों ने उस की मानना न चाहा; वरन उसे हटाकर अपने मन मिसर की ओर फेरे। 40 और हारून से कहा; हमारे लिये ऐसा देवता बना, जो हमारे आगे आगे चलें; क्योंकि यह मूसा जा हमें मिसर देश से निकाल लाया, हम नहीं जानते उसे क्या हुआ?

प्रश्न-उत्तर

प्र 1. क्या हुआ जब मूसा परमेश्वर के ठहराए हुए समय से पहले इस्राएलियों को बचाने गया ?
प्र 2. जब मूसा मिसत्र से भागा तो परमेश्वर ने उसकी सुरक्षा कैसे किया ?
प्र 3. मूसा मिधान में कब तक रहा ?
प्र 4. वह तरीका बताऐं जिसने परमेश्वर ने मूसा को मिसत्र जाने को कहा ?
प्र 5. परमेश्वर के द्वारा मूसा को कौन से संकेत दिए गये ?

संगीत

पाप और दुःख में चारों तरफ मरते है इन्सान, दया करो भारत पर वह हुआ परेशान।

घर घर जाकर करो प्यारो यीशु का बयान, वह है राजा, मुक्तिदाता सब पर मेहरबान।

जल्दी करो, सुनाओ सबको यीशु का फरमान, पापी बचते जाते, लाते जो उस पर ईमान।

प्यारो हिम्मत बँधो आगे बढ़ो क्रूस का लो निशान जीतेंगे हम यारों हारेगा शैतान।