पाठ 4 : मूसा
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सारांश
फिरौन ने आज्ञा दिया कि इस्त्राएलियों को पैदा होने वाले सभी लड़कों को नदी में फेंक दिया जाए। लेवी के गोत्र के एक इस्त्राएली अम्राम ने एक लेवी स्त्री योकेबेद (निर्गमन 6:20) से विवाह कर लिया। उनको एक पुत्र हुआ जो बहुत सुन्दर था और उन्होंने उसे तीन महिने तक छिपा रखा। फिर उसे और अधिक छिपाकर रखना असंभव हो गया। इसलिये उन्होंने सरकड़ें की टोकरी बनाया, उस पर चिकनी मिट्टी चढ़ाया और फिर उसे नदी के किनारे कांसों के बीच छोड़ आए। बच्चे की बहन (मरियम) यह देखने के लिये कि बच्चे का आगे क्या होता है, वहीं पास में कहीं खड़ी रही। कुछ समय के बाद फिरौन की बेटी वहाँ नहाने के लिये आई। उसकी सहेलियाँ भी नदी किनारे चली गईं। जब उसने कासों के बीच टोकरी को देखी तो एक दासी को उसे उठाकर लाने को बोली। जब टोकरी को खोला गया, उसने बच्चे को रोता हुआ पाई। यह सोचकर कि वह कोई इब्री बालक है उसे उस पर दया आ गई। फिर बच्चे की बहन ने जो वहीं आ पहुँची थीं, फिरौन की बेटी से पूछी कि क्या वह किसी इब्री स्त्री को बुलाकर ला सकती है जो इस बच्चे की देखरेख कर सके। फिरौन की बेटी ने अपनी सहमति दी और लड़की ने बच्चे की माँ को बुला लाई। फिरौन की बेटी ने उस स्त्री से कही कि वह बच्चे को ले जाए और उसके लिये उसकी देखभाल करे। उसने उसे उसकी मजदूरी देने की भी बात कही। इसलिये वह स्त्री उस बच्चे को ले गई और उसकी देखरेख करने लगी। (कहा जाता है कि फिरौन की बेटी की अपनी कोई संतान नहीं थीं)। जब बालक बड़ा हुआ तो वह फिरौन की बेटी का बेटा कहलाया। उसने उसका नाम मूसा रखी क्योंकि उसने उसे पानी से निकाली थी। क्योंकि मूसा ने अपने जीवन के आरंभिक वर्ष अपने ही घर में बिताया था, उसे सच्चे परमेश्वर पर विश्वास बढ़ाने का मौका मिला था, और उसके लोगों के लिये उन प्रतिज्ञाओं को जानने का भी जो उन्होनंे परमेश्वर से प्राप्त किया था। बाद में मूसा मिस्त्रियों की सारी शिक्षा प्राप्त किया और वह वचन और कर्म दोनों में सामर्थी था। (प्रेरितों के काम 7:22)। जब मूसा 40 वर्ष का था उसने उसके भाइयों के दुख को देखा और उनकी सहायता करने और उन्हें छुड़ाने की सोचा। (इब्रानियों 11:25-26)। जब उसने उसके एक भाई को मिस्त्री के हाथों पिटते देखा, तो उसने यहाँ वहाँ देखा कि कहीं उसे कोई देख तो नहीं रहा। जब उसे यकीन हो गया कि वह अकेला था, उसने उसे मिस्त्री व्यक्ति को मार डाला और उसे रेत में दफना दिया। अगले दिन उसने दो इब्रियों को लड़ते देखा उसने दोषी व्यक्ति से पूछा कि वह उसके भाई को क्यों मार रहा है? उस व्यक्ति ने कहा, किसने तुझे हम लोगों पर लोगों पर हाकिम और न्यायी ठहराया? जिस भांति तूने मिस्त्री को घात किया, क्या उसी भांति तू मुझे भी घात करना चाहता है?’’ तब मूसा समझ गया कि उसने जो किया था वह लोगों को मालुम हो गया था। वह डर गया और मिद्यान देश को भाग गया। हम देखते हैं कि मूसा द्वारा इस्त्राएल को छुड़ाने का वह परमेश्वर का समय नहीं था। वह अपने लोगों की मदद करने के चुनाव में सही था, परंतु उसने परमेश्वर के वचन को सुनना नहीं सीखा था। उसे यह बात मिद्यान के मरूस्थल में सीखना पड़ा।
बाइबल अध्यन
निर्गमन अध्याय 2 1 लेवी के घराने के एक पुरूष ने एक लेवी वंश की स्त्री को ब्याह लिया।
2 और वह स्त्री गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ; और यह देखकर कि यह बालक सुन्दर है, उसे तीन महीने तक छिपा रखा। 3 और जब वह उसे और छिपा न सकी तब उसके लिये सरकंड़ों की एक टोकरी ले कर, उस पर चिकनी मिट्टी और राल लगाकर, उस में बालक को रखकर नील नदी के तीर पर कांसों के बीच छोड़ आई। 4 उस बालक कि बहिन दूर खड़ी रही, कि देखे इसका क्या हाल होगा। 5 तब फिरौन की बेटी नहाने के लिये नदी के तीर आई; उसकी सखियां नदी के तीर तीर टहलने लगीं; तब उसने कांसों के बीच टोकरी को देखकर अपनी दासी को उसे ले आने के लिये भेजा। 6 तब उसने उसे खोल कर देखा, कि एक रोता हुआ बालक है; तब उसे तरस आया और उसने कहा, यह तो किसी इब्री का बालक होगा। 7 तब बालक की बहिन ने फिरौन की बेटी से कहा, क्या मैं जा कर इब्री स्त्रियों में से किसी धाई को तेरे पास बुला ले आऊं जो तेरे लिये बालक को दूध पिलाया करे? 8 फिरौन की बेटी ने कहा, जा। तब लड़की जा कर बालक की माता को बुला ले आई। 9 फिरौन की बेटी ने उससे कहा, तू इस बालक को ले जा कर मेरे लिये दूध पिलाया कर, और मैं तुझे मजदूरी दूंगी। तब वह स्त्री बालक को ले जा कर दूध पिलाने लगी। 10 जब बालक कुछ बड़ा हुआ तब वह उसे फिरौन की बेटी के पास ले गई, और वह उसका बेटा ठहरा; और उसने यह कहकर उसका नाम मूसा रखा, कि मैं ने इस को जल से निकाल लिया॥ 11 उन दिनों में ऐसा हुआ कि जब मूसा जवान हुआ, और बाहर अपने भाई बन्धुओं के पास जा कर उनके दु:खों पर दृष्टि करने लगा; तब उसने देखा, कि कोई मिस्री जन मेरे एक इब्री भाई को मार रहा है। 12 जब उसने इधर उधर देखा कि कोई नहीं है, तब उस मिस्री को मार डाला और बालू में छिपा दिया॥ 13 फिर दूसरे दिन बाहर जा कर उसने देखा कि दो इब्री पुरूष आपस में मारपीट कर रहे हैं; उसने अपराधी से कहा, तू अपने भाई को क्यों मारता है? 14 उसने कहा, किस ने तुझे हम लोगों पर हाकिम और न्यायी ठहराया? जिस भांति तू ने मिस्री को घात किया क्या उसी भांति तू मुझे भी घात करना चाहता है? तब मूसा यह सोचकर डर गया, कि निश्चय वह बात खुल गई है। 15 जब फिरौन ने यह बात सुनी तब मूसा को घात करने की युक्ति की। तब मूसा फिरौन के साम्हने से भागा, और मिद्यान देश में जा कर रहने लगा; और वह वहां एक कुएं के पास बैठ गया। 16 मिद्यान के याजक की सात बेटियां थी; और वे वहां आकर जल भरने लगीं, कि कठौतों में भरके अपने पिता की भेड़बकरियों को पिलाएं। 17 तब चरवाहे आकर उन को हटाने लगे; इस पर मूसा ने खड़ा हो कर उनकी सहायता की, और भेड़-बकरियों को पानी पिलाया। 18 जब वे अपने पिता रूएल के पास फिर आई, तब उसने उन से पूछा, क्या कारण है कि आज तुम ऐसी फुर्ती से आई हो? 19 उन्होंने कहा, एक मिस्री पुरूष ने हम को चरवाहों के हाथ से छुड़ाया, और हमारे लिये बहुत जल भरके भेड़-बकरियों को पिलाया। 20 तब उसने अपनी बेटियों से कहा, वह पुरूष कहां है? तुम उसको क्योंछोड़ आई हो? उसको बुला ले आओ कि वह भोजन करे। 21 और मूसा उस पुरूष के साथ रहने को प्रसन्न हुआ; उसने उसे अपनी बेटी सिप्पोरा को ब्याह दिया। 22 और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ, तब मूसा ने यह कहकर, कि मैं अन्य देश में परदेशी हूं, उसका नाम गेर्शोम रखा॥ 23 बहुत दिनों के बीतने पर मिस्र का राजा मर गया। और इस्राएली कठिन सेवा के कारण लम्बी लम्बी सांस ले कर आहें भरने लगे, और पुकार उठे, और उनकी दोहाई जो कठिन सेवा के कारण हुई वह परमेश्वर तक पहुंची। 24 और परमेश्वर ने उनका कराहना सुनकर अपनी वाचा को, जो उसने इब्राहीम, और इसहाक, और याकूब के साथ बान्धी थी, स्मरण किया। 25 और परमेश्वर ने इस्राएलियों पर दृष्टि करके उन पर चित्त लगाया॥
निर्गमन अध्याय 6 20 अम्राम ने अपनी फूफी योकेबेद को ब्याह लिया और उससे हारून और मूसा उत्पन्न हुए, और अम्राम की पूरी अवस्था एक सौ सैंतीस वर्ष की हुई।
प्रेरितों के काम अध्याय 7 22 और मूसा को मिसरियों की सारी विद्या पढ़ाई गई, और वह बातों और कामों में सामर्थी था।
इब्रानियों अध्याय 11 25 इसलिये कि उसे पाप में थोड़े दिन के सुख भोगने से परमेश्वर के लोगों के साथ दुख भोगना और उत्तम लगा। 26 और मसीह के कारण निन्दित होने को मिसर के भण्डार से बड़ा धन समझा: क्योंकि उस की आंखे फल पाने की ओर लगी थीं।
प्रश्न-उत्तर
प्र 1. मूसा के माता -पिता कौन थे ?
उप्र 2. उन्होनें उसे बचाने की कोशिश क्यों किया ?
उप्र 3. वह अपने ही परिवार में कैसे रह सका और सच्चा विश्वास सीख सका ?
उप्र 4. जब वह बड़ा हुआ तो उसने क्या चुनाव किया ?
उप्र 5. वह मिसत्र से क्यों भाग गया ?
उप्र 6. वह कहाँ गया ?
उ
संगीत
मेरे बालकपन से उसने मुझे चुन लिया मैं था भटका और दूर हो गया, उसकी करूणा ने फिर भी नहीं छोड़ा नया जीवन मुझे दे दिया।
कोः-आहा आनन्द है! परम आनन्द है! यह ही मेरा सौभाग्य है! इस सृष्टि का पालनहारा मेरे हृदय का राजा हुआ ।