पाठ 37 : उद्धार का मार्ग

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सारांश

यीशु मसीह हमेशा ही बहिष्कृत लोगों का मित्र रहा है। चुंगी लेनेवालों को यहूदी हमेशा नीचा देखते थे। जक्कई चुंगी लेनेवाला था, जो यरीहो में रहता था। ‘जक्कई’ का मतलब ‘‘धर्मी’’ होता है। जाहिर है कि चुंगी लेने वाला होने के कारण वह अपने नाम के अनुसार नहीं रहता था। यद्यपि वह धनी था, वह खुश नहीं था क्योंकि उसे यहूदी समाज द्वारा तुच्छ समझा जाता था। एक दिन उसने सुना था कि यीशु यरीहो से होकर जा रहा था। उसकी आशाएँ बहुत बड़ी हो गई थीं। क्योंकि यीशु को तुच्छ समझे जाने वालों के प्रति तरस रखने वाला माना जाता था।यीशु ने यरीहो में प्रवेश किया और उसमें से होकर जाने लगा। जक्कई जानना चाहता था कि यीशु कौन था, परंतु कद में छोटा होने के कारण वह यीशु को नहीं देख सका, क्योंकि भीड़ उमड़ रही थी। इसलिये वह दौड़कर आगे गया और गूलर के पेड़ पर चढ़ गया कि वहाँ से उसे देख सके क्योंकि यीशु उसी मार्ग से जा रहा था। जब यीशु उस स्थान पर पहुँचा तो उसने उपर देखकर उससे कहा, ‘‘हे जक्कई झट उतर आ, क्योंकि आज मुझे तेरे घर में रहना अवश्य है।’’ यीशु ही है जो लोगों को उनके नाम से बुलाता है (यशायाह 43:1)। जक्कई तुरंत नीचे उतर आया और उसका खुशी से स्वागत किया। सभी लोगों ने यह देखा और बुदबुदाने लगे, ‘‘वह तो एक पापी मनुष्य के यहाँ जा उतरा है।’’ परंतु जक्कई ने खडे़ होकर यीशु से कहा, ‘‘हे प्रभु देख, मैं अपनी आधी संपत्ति कंगालों को देता हूँ, और यदि किसी का कुछ भी अन्याय करके ले लिया है तो उसे चैगुना करके फेर देता हूँ।’’ यीशु ने उससे कहा, ‘‘आज इस घर में उद्धार आया है इसलिये कि यह भी अब्राहम का एक पुत्र है। क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढने और उनका उद्धार करके आया है।’’ यीशु को देखने के लिये जक्कई दौड़कर गया और एक पेड़ पर चढ़ गया, परंतु उसने उम्मीद नहीं किया था कि यीशु उसे देख लेगा। सामान्यतः लोग उसे घृणा से देखते थे। लेकिन अब उसे वह मिल गया था जो उसे अनुग्रह की दृष्टि से देख रहा था। यीशु जक्कई के घर बिना आमंत्रण के ही चला गया था, क्योंकि वह जानता था कि जक्कई उसे देखने के लिये उत्सुक था। जक्कई ने सोचा कि वह यीशु को खोज रहा था, परंतु बात उल्टी थी, यीशु उसे देख रहा था। जक्कई उस समय सचमुच रोमांचित हो गया था जब उसने यीशु को यह कहते सुना, ‘‘आज मुझे तेरे घर में ठहरना अवश्य है।’’ यीशु की पहुनाई करने के लिये अपने घर को व्यवस्थित करने की बजाए जक्कई ने उसे ग्रहण करने के लिये अपने हृदय और मन को तैयार किया। इसीलिये वह कह सका कि वह अपनी संपत्ति का आधा भाग गरीबों में बाँट देगा और जो कुछ उसने अन्याय करके लिया है उसका चार गुना लौटा देगा। अब यीशु मेजबान था और जक्कई मेहमान। छोटे कद का आदमी मसीह में बड़ा बन गया था, और कंगाल पापी आत्मिक धनी बन गया था। कुड़कुड़ाने वाले यहूदियों के लिये जो यह कह रहे थे कि यीशु पापी के घर गया था, यीशु ने उचित जवाब दिया। उसने कहा, ‘‘…क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूँढ़ने और बचाने आया।’’ कुकर्मी जिसने पश्चाताप किया लूका 23:39-43 जब उन्होंने यीशु को क्रूस पर चढ़ा दिया तो उसके साथ दो कुकर्मी भी चढ़ाए गऐ थे, एक उसकी दाहिनी और दूसरा उसकी बाईं और। उन्होंने ऐसा इसलिये किया क्योंकि वे उसे चोरों और कुकर्मियों के साथ गिनना चाहते थे। लेकिन यह परमेश्वर की योजना थी कि उसका पुत्र कुकर्मियों के साथ गिना जाए।(यशायाह 53:12)। जब सरदार उसकी ठट्ठा कर रहे थे, तब लोग देखते हुए खड़े थे। उसी प्रकार सिपाही और दो कुकर्मी भी देख रहे थे। (मत्ती27:44)। लेकिन थोड़ी देर के बाद उनमें से एक कुकर्मी ने भिन्न रूप से सोचना शुरू किया। वह यीशु की उस प्रतिक्रिया से प्रभावित हुआ जो यीशु ने उनके विषय में किया था जिन्होंने उसे क्रूस पर चढ़ाया था।दूसरी कुकर्मी उसका अपमान कर रहा था। ‘‘क्या तू मसीह नहीं है? अपने आपको और हमें बचा।’’ उसका कहा। परंतु इस बार दूसरे कुकर्मी ने उसे डाँटा। ‘‘क्या तू परमेश्वर से भी नहीं डरता?’’ तू भी तो वहीं दंड पा रहा है और हम तो न्यायानुसार दंड पा रहे हैं, क्योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं, पर इसने कोई अनुचित काम नहीं किया।’’ फिर उसने कहा, ‘‘हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए तो मेरी सुधी लेना।’’ ऐसी प्रार्थना करने के पीछे उसका अपना कारण था। निश्चित रूप से उसने पिलातुस के उस वाक्य को पढ़ लिया था जो उसके क्रूस पर लगाया गया था, नासरी यीशु, यहूदियों का राजा।’’ वह अच्छी तरह जानता था कि यीशु निर्दोष था और वह उसके नहीं लेकिन दूसरों के पापों के लिये मर रहा था जो पापी लोग थे। इसलिये वह अवश्य ही उद्धारकर्ता राजा होगा। वह समय की मांग को पूरा कर सकता है। उसने एक निर्णय लिया। निर्णय यह था कि वह उसकी अनंतकालीन नियति उस राजा के हाथ में दे देगा जो अपने राज्य में वापस आएगा। उसकी प्रार्थना के उत्तर में, यीशु ने कहा, ‘‘मैं तुझसे सच कहता हूँ कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्ग लोग में होगा।’’दूसरे कुकर्मी के विषय क्या? उसने पश्चाताप नहीं किया और नाश हुआ। यह उनके लिये एक मौका था कि उन्हें यीशु के दोनों तरफ लटकाया गया था। दोनों भी उद्धारकर्ता से समान दूरी पर थे। दोनों के लिये अवसर समान थे। बात केवल चुनाव की थी। अपश्चातापी कुकर्मी का अंत इस बात की चेतावनी है उन सब के लिये कि उद्धारकर्ता सामने होकर भी वे अनंतकालीन नर्क में जा सकते हैं। लेकिन दूसरा जिसने सही चुनाव किया, वह प्रभु के साथ रहने को गया। एक आनंददायक स्वर्गलोक में गया और दूसरा अनंतकालीन आग में। इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिये कि उद्धार केवल अनुग्रह द्वारा विश्वास से हैं, तुरंत है, व्यक्तिगत और अनंतकाल के लिये सुरक्षित है।

बाइबल अध्यन

लूका अध्याय 19 1 वह यरीहो में प्रवेश करके जा रहा था। 2 और देखो, ज़क्कई नाम एक मनुष्य था जो चुंगी लेने वालों का सरदार और धनी था। 3 वह यीशु को देखना चाहता था कि वह कौन सा है परन्तु भीड़ के कारण देख न सकता था। क्योंकि वह नाटा था। 4 तब उस को देखने के लिये वह आगे दौड़कर एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया, क्योंकि वह उसी मार्ग से जाने वाला था। 5 जब यीशु उस जगह पहुंचा, तो ऊपर दृष्टि कर के उस से कहा; हे ज़क्कई झट उतर आ; क्योंकि आज मुझे तेरे घर में रहना अवश्य है। 6 वह तुरन्त उतर कर आनन्द से उसे अपने घर को ले गया। 7 यह देख कर सब लोगे कुड़कुड़ा कर कहने लगे, वह तो एक पापी मनुष्य के यहां जा उतरा है। 8 ज़क्कई ने खड़े होकर प्रभु से कहा; हे प्रभु, देख मैं अपनी आधी सम्पत्ति कंगालों को देता हूं, और यदि किसी का कुछ भी अन्याय करके ले लिया है तो उसे चौगुना फेर देता हूं। 9 तब यीशु ने उस से कहा; आज इस घर में उद्धार आया है, इसलिये कि यह भी इब्राहीम का एक पुत्र है। 10 क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है॥

यशायाह अध्याय 43 1 हे इस्राएल तेरा रचने वाला और हे याकूब तेरा सृजनहार यहोवा अब यों कहता है, मत डर, क्योंकि मैं ने तुझे छुड़ा लिया है; मैं ने तुझे नाम ले कर बुलाया है, तू मेरा ही है।

यशायाह अध्याय 53 12 इस कारण मैं उसे महान लोगों के संग भाग दूंगा, और, वह सामर्थियों के संग लूट बांट लेगा; क्योंकि उसने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया, वह अपराधियों के संग गिना गया; तौभी उसने बहुतों के पाप का बोझ उठ लिया, और, अपराधियों के लिये बिनती करता है॥

मत्ती अध्याय 27 44 इसी प्रकार डाकू भी जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे उस की निन्दा करते थे॥

प्रश्न-उत्तर

प्र 1. जक्कई कौन था ? वह कहाँ रहता था ?
प्र 2. उसकी बड़ी इच्छा क्या थी ?
प्र 3. यीशु को देखने के लिये उसने क्या किया ?
प्र 4. जब यीशु गूलर के पेड़ के पास आया तो उसने क्या देखा ?
प्र 5. लोगों ने यीशु के शब्दों पर कैसी प्रतिक्रिता किया ? जवाब में यीशु ने क्या कहा ?
प्र 6. अपने घर मे जक्कई ने यीशु से क्या कहा ?
प्र 7. पश्चातापी कुकर्मी ने यीशु से क्या कहा ? उसने ऐसा क्यों कहा ?
प्र 8. अपश्चातापी कुकर्मी ने यीशु से क्या कहा ?
प्र 9. उसने अंत के विषय बताएँ | उनके अंत से हम उद्धार के विषय क्या सीखते है ?

संगीत

पापियों का मित्र तू है पाप को तू मिटाने आया, तू है सच्चा मुक्ति दाता, आए है हम भजने भजने।

सत्य मार्ग जीवन तू है, पिता से हम को मिलाने आया, सिद्ध चरवाहा तू ही है, आए हैं हम भजने भजने।

भजने आए हैं पिता जी आत्मा सच्चाई से तुझको, झुकते हैं प्रणाम करके, आए हैं हम भजने भजने।