पाठ 35 : नया जन्म
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सारांश
हमने यीशु को बड़ी भीड़ों में देखा है। अब हम उसे नीकुदेमुस नामक एक व्यक्ति से बात करते हुए देखेंगे। वह एक फरीसी था, ‘यहूदियों का सरदार’ और सन्हेद्रिन15 का सदस्य था। वह अन्य फरीसियों के समान पाखंडी नहीं था, वह ऐसा था जो सत्य को जानना चाहता था।एक रात वह यीशु से बात करने आया। उसकी बातचीत में उसने यह स्वीकार किया कि यीशु एक गुरू था जो परमेश्वर की ओर से आया था। उसने कहा कि ‘‘कोई इन चिन्हों को जो तू दिखाता है, यदि परमेश्वर उसके साथ न हो तो नहीं दिखा सकता।’’ नीकुदेमुस की बात पर कोई टिप्पणी न करते हुए यीशु ने विषय का संबंध नए जन्म से जोड़ दिया जो यहूदी शिक्षक के लिये पूरी तरह नई बात थी। उसने कहा, ‘‘मैं तुझ से सच सच कहता हूँ यदि कोई नए सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता।’’ नीकुदेमुस समझ नहीं पाया कि यीशु किस विषय कह रहा था। यीशु आत्मिक जन्म के विषय कह रहा था, परंतु उसने केवल शारीरिक जन्म के विषय ही सोचा। इसलिये प्रभु को कहना पड़ा कि व्यक्ति का जन्म पानी और पवित्र आत्मा से होता है। यहाँ पानी का मतलब परमेश्वर का वचन है (इफिसियों 5:25; 1 पतरस 1:28; याकूब 1:18; यूहन्ना 17:17)। यीशु ने यह स्पष्ट किया कि नया जन्म इसलिये आवश्यक है क्योंकि शरीर, शरीर को जन्म देता है, परंतु आत्मा, आत्मा को जन्म देता है कोई भी व्यक्ति इसलिये मसीही नहीं होता क्योंकि वह मसीही माता-पिता से जन्मा है। उदाहरण के लिये, जरूरी नहीं कि डॉक्टर का बेटा डॉक्टर हो। डॉक्टर बनने के लिये उसे उस स्थिति के योग्य बनना होगा। यीशु ने यह कहते हुए अपने शब्द जारी रखा, ‘‘जिस रीति से मूसा ने जंगल में साँप को उँचे पर चढ़ाया, उसी रीति से अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र भी उँचे पर चढ़ाया जाए, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह अनंत जीवन पाए।’’ यहाँ यीशु इस्त्राएलियों के जंगल यात्रा की घटना के संबंध में बता रहा था। (गिनती 21:4-9)। इस्त्राएलियों के हठ के कारण, परमेश्वर ने जहरीले साँपों को भेजा जिन्होंने उन्हें काटा और वे मर गए। मूसा ने लोगों के लिये मध्यस्थी किया और परमेश्वर ने मूसा से एक पीतल का साँप बनाने और खंबे पर लटकाने को कहा कि सब उसे देखें।परमेश्वर ने कहा कि साँप द्वारा डसा हुआ कोई भी व्यक्ति जो उस साँप को देखेगा, वह तुरंत चंगा हो जाएगा। यह घटना परमेश्वर के न्याय को, और अनुग्रह और विश्वास के द्वारा उद्धार का बताता है (इफिसियों 2:8-10)। हम जानते हैं कि हमारा प्रभु यीशु, मनुष्यों के उद्धार के लिये क्रूस पर चढ़ाया गया। पापरहित व्यक्ति पापियों के लिये क्रूस पर चढ़ाया गया।इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिये कि जहरीले साँपों में विष होता था और उससे मृत्यु हो जाती थी, जबकि पीतल का साँप जो बिना ‘‘विष’’ का था, विश्वास करने वालों के लिये जीवन लाता था।पहले नीकुदेमुस यीशु को मात्र गुरू समझता था। लेकिन स्वामी के साथ उसकी बातचीत से उसे यकीन दिला दिया कि परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिये नया जन्म आवश्यक था। उसी समय से पीतल का साँप जो जंगल में चढ़ाया गया था, उसका उदाहरण उसके विचारों में समा गया था। इसलिये जब उसने यीशु को क्रूस पर चढ़ाया हुआ देखा, तो उसे यकीन हो गया कि यीशु परमेश्वर का पुत्र और उद्धारकर्ता था। उसने उस पर विश्वास किया और उद्धार पाया। यही कारण था कि अरिमतियाह के यूसुफ के साथ हो लिया कि वे यीशु को दफना सकें।
बाइबल अध्यन
यूहन्ना अध्याय 3 1 फरीसियों में से नीकुदेमुस नाम एक मनुष्य था, जो यहूदियों का सरदार था। 2 उस ने रात को यीशु के पास आकर उस से कहा, हे रब्बी, हम जानते हैं, कि तू परमेश्वर की आरे से गुरू हो कर आया है; क्योंकि कोई इन चिन्हों को जो तू दिखाता है, यदि परमेश्वर उसके साथ न हो, तो नहीं दिखा सकता। 3 यीशु ने उस को उत्तर दिया; कि मैं तुझ से सच सच कहता हूं, यदि कोई नये सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता। 4 नीकुदेमुस ने उस से कहा, मनुष्य जब बूढ़ा हो गया, तो क्योंकर जन्म ले सकता है? क्या वह अपनी माता के गर्भ में दुसरी बार प्रवेश करके जन्म ले सकता है? 5 यीशु ने उत्तर दिया, कि मैं तुझ से सच सच कहता हूं; जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे तो वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता। 6 क्योंकि जो शरीर से जन्मा है, वह शरीर है; और जो आत्मा से जन्मा है, वह आत्मा है। 7 अचम्भा न कर, कि मैं ने तुझ से कहा; कि तुम्हें नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है। 8 हवा जिधर चाहती है उधर चलती है, और तू उसका शब्द सुनता है, परन्तु नहीं जानता, कि वह कहां से आती और किधर को जाती है? जो कोई आत्मा से जन्मा है वह ऐसा ही है। 9 नीकुदेमुस ने उस को उत्तर दिया; कि ये बातें क्योंकर हो सकती हैं? 10 यह सुनकर यीशु ने उस से कहा; तू इस्त्राएलियों का गुरू हो कर भी क्या इन बातों को नहीं समझता? 11 मैं तुझ से सच सच कहता हूं कि हम जो जानते हैं, वह कहते हैं, और जिसे हम ने देखा है उस की गवाही देते हैं, और तुम हमारी गवाही ग्रहण नहीं करते। 12 जब मैं ने तुम से पृथ्वी की बातें कहीं, और तुम प्रतीति नहीं करते, तो यदि मैं तुम से स्वर्ग की बातें कहूं, तो फिर क्योंकर प्रतीति करोगे? 13 और कोई स्वर्ग पर नहीं चढ़ा, केवल वही जो स्वर्ग से उतरा, अर्थात मनुष्य का पुत्र जो स्वर्ग में है। 14 और जिस रीति से मूसा ने जंगल में सांप को ऊंचे पर चढ़ाया, उसी रीति से अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र भी ऊंचे पर चढ़ाया जाए। 15 ताकि जो कोई विश्वास करे उस में अनन्त जीवन पाए॥ 16 क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। 17 परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए। 18 जो उस पर विश्वास करता है, उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती, परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहर चुका; इसलिये कि उस ने परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया। 19 और दंड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उन के काम बुरे थे। 20 क्योंकि जो कोई बुराई करता है, वह ज्योति से बैर रखता है, और ज्योति के निकट नहीं आता, ऐसा न हो कि उसके कामों पर दोष लगाया जाए। 21 परन्तु जो सच्चाई पर चलता है वह ज्योति के निकट आता है, ताकि उसके काम प्रगट हों, कि वह परमेश्वर की ओर से किए गए हैं।
इफिसियों अध्याय 5 25 हे पतियों, अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो, जैसा मसीह ने भी कलीसिया से प्रेम करके अपने आप को उसके लिये दे दिया।
1 पतरस अध्याय 1 23 क्योंकि तुम ने नाशमान नहीं पर अविनाशी बीज से परमेश्वर के जीवते और सदा ठहरने वाले वचन के द्वारा नया जन्म पाया है।
याकूब अध्याय 1 18 उस ने अपनी ही इच्छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्पन्न किया, ताकि हम उस की सृष्टि की हुई वस्तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों॥
यूहन्ना अध्याय 17 17 सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर: तेरा वचन सत्य है।
गिनती अध्याय 21 4 फिर उन्होंने होर पहाड़ से कूच करके लाल समुद्र का मार्ग लिया, कि एदोम देश से बाहर बाहर घूमकर जाएं; और लोगों का मन मार्ग के कारण बहुत व्याकुल हो गया। 5 सो वे परमेश्वर के विरुद्ध बात करने लगे, और मूसा से कहा, तुम लोग हम को मिस्र से जंगल में मरने के लिये क्यों ले आए हो? यहां न तो रोटी है, और न पानी, और हमारे प्राण इस निकम्मी रोटी से दुखित हैं। 6 सो यहोवा ने उन लोगों में तेज विष वाले सांप भेजे, जो उन को डसने लगे, और बहुत से इस्त्राएली मर गए। 7 तब लोग मूसा के पास जा कर कहने लगे, हम ने पाप किया है, कि हम ने यहोवा के और तेरे विरुद्ध बातें की हैं; यहोवा से प्रार्थना कर, कि वह सांपों को हम से दूर करे। तब मूसा ने उनके लिये प्रार्थना की। 8 यहोवा ने मूसा से कहा एक तेज विष वाले सांप की प्रतिमा बनवाकर खम्भे पर लटका; तब जो सांप से डसा हुआ उसको देख ले वह जीवित बचेगा। 9 सो मूसा ने पीतल को एक सांप बनवाकर खम्भे पर लटकाया; तब सांप के डसे हुओं में से जिस जिसने उस पीतल के सांप को देखा वह जीवित बच गया।
इफिसियों अध्याय 28 क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है। 9 और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे। 10 क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1. नीकुदेमुस कौन था ? उसने प्रभु को किस तरह संबोधित किया ?
उप्र 2. कोई व्यक्ति स्वर्ग के राज्य में कैसे प्रवेश कर सकता है ?
उप्र 3. नया जन्म क्या था ?
उप्र 4. ' पानी ' किस बात को दर्शाता है ? इसके समर्थन में कम से कम दो पद बताएँ ?
उप्र 5. साँप किस बात का प्रतीक है ?
उप्र 6. नीकुदेमुस कैसे समझा कि यीशु मसीह ही उद्धारकर्ता है ?
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