पाठ 32 : यीशु के दृष्टांत - 4
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सारांश
यीशु मसीह बताता है कि बुद्धिमान कौन है। कई लोग परमेश्वर का वचन सुनते हैं, परंतु केवल वे लोग जो उस पर अमल करते हैं, वास्तव में वे ही बुद्धिमान हैं। इसके विपरीत, जो लोग वचन के केवल सुनने वाले होते हैं वे मूर्ख होते हैं। इसी बात को समझाने के लिये यीशु ने यह दृष्टांत कहा।‘‘इसलिये जो कोई मेरी ये बातें सुनकर उन्हें मानता है, वह उस बुद्धिमान मनुष्य के समान ठहरेगा जिसने अपना घर चट्टान पर बनाया और मेह बरसा, और बाढ़े आई, और आंधियाँ चलीं और उस घर से टकराईं, फिर भी वह नहीं गिरा, क्योंकि उसकी नींव चट्टान पर डाली गई थी। परंतु जो कोई मेरी ये बातें सुनता है, और उन पर नहीं चलता वह उस निर्बुद्धि मनुष्य के समान ठरहेगा जिसने अपना घर बालू पर बनाया, और मेह बरसा और बाढे़ं आई, और आंधियाँ चलीं और उस घर से टकराईं और वह गिरकर सत्य नाश हो गया।’’यह स्पष्टीकरण एक व्यवहारिक व्यक्ति का है। हमारा प्रभु यीशु स्वयँ एक कारगीर था जो घर बनाने के विषय अच्छी जानकारी रखता था। किसी भी घटना इमारत का महत्वपूर्ण भाग उसकी बुनियाद होती है। यहाँ बुनियाद का अर्थ परमेश्वर के वचन की आज्ञापालन है। कोई भी व्यक्ति जो प्रभु का वचन सुनता है, और उसका पालन नहीं करता, वह उस मूर्ख के समान होता है जिसने अपना घर बालू पर बनाया। उसके जीवन की इमारत जीवन की तूफानों में डगमगा जाएगी।यह दृष्टांत उन लोगों के भी जीवन को बताता है जो बचाए गए हैं और नहीं बचाए गये हैं। जिसने अपना जीवन प्रभु को सौंपा है, वह सचमुच अपना जीवन मसीह की चट्टान पर बनाता है। इसके विपरीत जो मसीह का तिरस्कार करते हैं, वे धन और शोहरत और व्यर्थ की बातों पर की बालू पर अपना जीवन बनाते हैं। उनका अंत विनाशकारी होता है। दाख की बारी में लगाया है आ अंजीर का पेड़ लूका 13:6-9 हमारा प्रभु कुछ लोगों से पश्चाताप के विषय बात कर रहा था। उसने कहा, ‘‘यदि तुम मन न फिराओगे तो तुम सब भी इसी रीति से नाश होगे।’’ फिर उसने यह दृष्टांत कहा। एक व्यक्ति के पास अंजीर का पेड़ था। वह उसमें फल ढूंढने आया, परंतु उसे फल न मिला।इसलिये उसने दाख की बारी के रखवाले से कहा, ‘‘तीन वर्ष से अब तक मैं इस पेड़ पर फल ढूंढने आता हूँ पंरतु नहीं पाता। इसे काट डाल। यह भूमि को क्यों रोके रहे?’’ ‘‘हे स्वामी,उस रखवाले ने कहा, ‘‘इसे एक वर्ष और रहने दे कि मैं इसके चारों तरफ खोदकर खाद डालूँ। यदि अगले वर्ष यह फले तो भला, नहीं तो इसे काट डालना।’’,अंजीर का पेड़ इस्त्राएल को दर्शाता है जो परमेश्वर की बारी में लगाया गया है जो यह संसार है। परमेश्वर स्वामी और यीशु उसका रखवाला है। परमेश्वर ने उसमें फल ढूंढा मगर न पाया।यह कहा गया है कि वह तीन वर्ष तक रूका रहा। यह यीशु की पहली तीन वर्ष की लोगों की सेवकाई को बताता है। लेकिन उसकी सेवकाई का फल नहीं निकला क्योंकि उन्होंने उसके संदेश पर ध्यान नहीं दिया। रखवाले की विनती पर एक वर्ष का अनुग्रह का समय दिया गया। तब भी यदि वह फलरहित पाया गया, तो उसे काटा जाए, रखवाले ने कहा। और यहूदियों के देश के साथ यही हुआ।यह दृष्टांत हमें यह भी दिखाता है कि हर कोई परमेश्वर को जवाबदेह है। यदि उपयोगीन रहें तो विनाश आता है। दाख की बारी क मजदूरों का दृष्टांत मत्ती 20:1-16 पतरस ने यीशु से एक प्रश्न पूछा। ‘‘हम तो सब कुछ छोड़कर तेरे पीछे हो लिये है , तो हमें क्या मिलेगा?’’ यीशु ने उत्तर दिया, मैं तुमसे सच कहता हूँ कि नई सृष्टि में जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा के सिंहासन पर बैठेगा तो तुम भी जो मेरे पीछे हो लिये हो, बारह सिंहासनों पर बैठकर इस्त्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करोगे। और जिस किसी ने घरों या भाइयों, या बहनों, या पिता, या माता, या बाल बच्चों को या खेतों को मेरे नाम के लिये छोड़ दिया है, उसको सौ गुना मिलेगा, और वह अनंत जीवन का अधिकारी होगा।’’ फिर उसने यह कहकर चर्चा समाप्त किया ‘‘परंतु बहुत से हैं जो पहले हैं, पिछले होंगे, और जो पिछले हैं, पहले होंगे।’’ इसे समझाने के लिये उसने यह दृष्टांत कहा।स्वर्ग का राज्य किसी गृहस्वामी के समान है जो सबेरे निकला कि अपनी दाख की बारी में मजदूरों को लगाए। उसने मजदूरों को एक दीनार रोज पर ठहराया और उन्हें अपनी दाख की बारी में भेजा। ‘‘तीसरे पहर के करीब 14 वह गया और लोगों को बाजार में बेकार खडे़ देखा। और उसने उनसे कहा, तुम भी दाख की बारी में जाओ, और जो कुछ ठीक है, तुम्हें दूंगा। इसलिये वे गये। ‘‘वह फिर छठवें और नवें पहर फिर गया और वही किया। उसने उनसे पूछा, तुम यहाँ दिन भर बेकार क्येां खड़े हों? उन्होंने उत्तर दिया, ‘‘इसलिये कि किसी ने हमें मजदूरी पर नहीं लगाया।’’ ‘‘उसने उनसे कहा, ‘‘तुम भी दाख की बारी में जाओ।’’ जब संध्या हुई, दाख की बारी के स्वामी ने भंडारी को बुलाकर कहा, ‘‘मजदूरों को बुलाकर पिछलों से लेकर पहलों तक उन्हें मजदूरी दे।’’ जो मजदूर ग्यारहवें पहर में आये थे, उन्हें भी एक दीनार मिला। तब जो पहले बुलाए गए थे, उन्होंने कुछ ज्यादा पाने की उम्मीद किया।परंतु उन्हें भी एक ही दीनार मिला। जब उन्होंने ले लिया तो वे स्वामी के विरुद्ध कुड़कुड़ाने लगे। इन पिछलों ने एक ही घंटा काम किया, और तूने उन्हें हमारे बराबर कर दिया, जिन्होंने दिनभर का भार उठाया और धूप सहीं? परंतु उसने उनमें से एक को उत्तर दिया, हे मित्र, मैं तुझसे कुछ अन्याय नहीं करता। क्या तूने ही मुझसे एक दीनार न ठहराया था। जो तेरा है उठा ले, और चला जा, मेरी इच्छा यह है कि जितना तुझे दूँ उतना ही इस पिछले को भी दूँ। क्या यह उचित नहीं कि मैं अपने माल से जो चाहूँ सो करूँ? क्या मेरे भले होने के कारण तू बुरी दृष्टि से देखता है? इसी रीति से जो पिछले हैं, वे पहले होंगे; और जो पहले हैं, वे पिछले होंगे।’’ यह दृष्टांत इस सत्य को समझाता है कि जब सभी सच्चे शिष्यों को प्रतिफल दिया जाएगा,तो प्रतिफल का क्रम उस आत्मा के अनुसार ठहराया जाएगा जिससे उन्होंने सेवा किया था। यह ध्यान देने योग्य बात है कि पहले के मजदूर ठहराकर बुलाए गये थे। जबकि अन्य ने स्वामी की इच्छा पर छोड़ दिया था। प्रतिफल के विषय आश्चर्यजनक बातें होगी। प्रभु कहता है कि, ‘‘जो कोई एक कटोरा पानी तुम्हें इसलिये पिलाए कि तुम मसीह के हो तो मैं तुमसे सच कहता हूँ कि वह अपना प्रतिफल किसी रीति से न खोएगा।’’ (मरकुस 9:41)। लेकिन कुछ लोग जो सोचते हैं कि उन्हें बड़ा प्रतिफल मिलेगा, वे निराश होंगे। यह इस बात पर निर्भर करता है कि हमने किसी नीति से परमेश्वर की सेवा किया।
बाइबल अध्यन
मत्ती अध्याय 7 24 इसलिये जो कोई मेरी ये बातें सुनकर उन्हें मानता है वह उस बुद्धिमान मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिस ने अपना घर चट्टान पर बनाया। 25 और मेंह बरसा और बाढ़ें आईं, और आन्धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं, परन्तु वह नहीं गिरा, क्योंकि उस की नेव चट्टान पर डाली गई थी। 26 परन्तु जो कोई मेरी ये बातें सुनता है और उन पर नहीं चलता वह उस निर्बुद्धि मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिस ने अपना घर बालू पर बनाया। 27 और मेंह बरसा, और बाढ़ें आईं, और आन्धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं और वह गिरकर सत्यानाश हो गया॥ 28 जब यीशु ये बातें कह चुका, तो ऐसा हुआ कि भीड़ उसके उपदेश से चकित हुई। 29 क्योंकि वह उन के शास्त्रियों के समान नहीं परन्तु अधिकारी की नाईं उन्हें उपदेश देता था॥
लूका अध्याय 13 6 फिर उस ने यह दृष्टान्त भी कहा, कि किसी की अंगूर की बारी में एक अंजीर का पेड़ लगा हुआ था: वह उस में फल ढूंढ़ने आया, परन्तु न पाया। 7 तब उस ने बारी के रखवाले से कहा, देख तीन वर्ष से मैं इस अंजीर के पेड़ में फल ढूंढ़ने आता हूं, परन्तु नहीं पाता, इसे काट डाल कि यह भूमि को भी क्यों रोके रहे। 8 उस ने उस को उत्तर दिया, कि हे स्वामी, इसे इस वर्ष तो और रहने दे; कि मैं इस के चारों ओर खोदकर खाद डालूं। 9 सो आगे को फले तो भला, नहीं तो उसे काट डालना।
मत्ती अध्याय 20 1 स्वर्ग का राज्य किसी गृहस्थ के समान है, जो सबेरे निकला, कि अपने दाख की बारी में मजदूरों को लगाए। 2 और उस ने मजदूरों से एक दीनार रोज पर ठहराकर, उन्हें अपने दाख की बारी में भेजा। 3 फिर पहर एक दिन चढ़े, निकल कर, और औरों को बाजार में बेकार खड़े देखकर, 4 उन से कहा, तुम भी दाख की बारी में जाओ, और जो कुछ ठीक है, तुम्हें दूंगा; सो वे भी गए। 5 फिर उस ने दूसरे और तीसरे पहर के निकट निकलकर वैसा ही किया। 6 और एक घंटा दिन रहे फिर निकलकर औरों को खड़े पाया, और उन से कहा; तुम क्यों यहां दिन भर बेकार खड़े रहे? उन्हों ने उस से कहा, इसलिये, कि किसी ने हमें मजदूरी पर नहीं लगाया। 7 उस ने उन से कहा, तुम भी दाख की बारी में जाओ। 8 सांझ को दाख बारी के स्वामी ने अपने भण्डारी से कहा, मजदूरों को बुलाकर पिछलों से लेकर पहिलों तक उन्हें मजदूरी दे दे। 9 सो जब वे आए, जो घंटा भर दिन रहे लगाए गए थे, तो उन्हें एक एक दीनार मिला। 10 जो पहिले आए, उन्होंने यह समझा, कि हमें अधिक मिलेगा; परन्तु उन्हें भी एक ही एक दीनार मिला। 11 जब मिला, तो वह गृहस्थ पर कुडकुड़ा के कहने लगे। 12 कि इन पिछलों ने एक ही घंटा काम किया, और तू ने उन्हें हमारे बराबर कर दिया, जिन्हों ने दिन भर का भार उठाया और घाम सहा? 13 उस ने उन में से एक को उत्तर दिया, कि हे मित्र, मैं तुझ से कुछ अन्याय नहीं करता; क्या तू ने मुझ से एक दीनार न ठहराया? 14 जो तेरा है, उठा ले, और चला जा; मेरी इच्छा यह है कि जितना तुझे, उतना ही इस पिछले को भी दूं। 15 क्या उचित नहीं कि मैं अपने माल से जो चाहूं सो करूं? क्या तू मेरे भले होने के कारण बुरी दृष्टि से देखता है? 16 इसी रीति से जो पिछले हैं, वह पहिले होंगे, और जो पहिले हैं, वे पिछले होंगे॥
मरकुस अध्याय 9 41 जो कोई एक कटोरा पानी तुम्हें इसलिये पिलाए कि तुम मसीह के हो तो मैं तुम से सच कहता हूं कि वह अपना प्रतिफल किसी रीति से न खोएगा।
प्रश्न-उत्तर
प्र 1. किसी इमारत का सबसे महत्वपूर्ण भाग क्या है ?
उप्र 2. चट्टान किस बात को दर्शाता है ?
उप्र 3. मूर्ख घर बनाने वालों के घर क्या होता है ?
उप्र 4. दाख की बारी में लगाए गए अंजीर के वृक्ष के दृष्टांत को बताए और उसका अर्थ समझाएँ ?
उप्र 5. जो मजबूरी पहले बुलाए गये थे उसकी क्या शिकायत थी ?
उप्र 6. स्वामी ने उन्हे क्या उत्तर दिया ?
उप्र 7. हमारा प्रतिफल किस बात प्र निर्भर करता है ?
उ
संगीत
चटटान पर बुद्धिमान ने बनाया अपना घर (3) (और) जोर की बारिश आई, और तुफान भी उठा (3) पर बुद्धिमान का घर स्थिर रहा।
2 बालू पर मूर्ख ने बनाया अपना घर (3) (और) जोर की बारिश आई, और तुफान भी उठा 3 और मूर्ख का घर गिर पड़ा।
3 लड़के लड़कियों को स्वर्ग जाना चाह है (3) अपने दिल मे यीशु को आने दो।