पाठ 3 : मिस्र में गुलामी

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Instrumental

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सारांश

जैसे-जैसे वर्ष बीतते गए, यूसुफ, उसके भाई और जो उन्हीं की पीढ़ी के थे, मर गए। उनके वंशज इस्त्राएली बहुगुणित होते गए और मिस्त्र देश उनसे भर गया। फिर एक नया राजा जो यूसुफ को नहीं जानता था सत्ता में आया। मिस्त्री लोग इस्त्राएलियों से उनकी शक्ति के कारण डरते थे। उन्हें डर था कि शत्रु के द्वारा युद्ध छेड़े जाने पर वे उनके साथ मिल सकते थे। इसलिये उन्होंने उन्हें निर्दयी बेगार काम लेने वालों के अधीन रखकर उनसे कठिन परिश्रम करवाना शुरू किया। इस्त्राएलियों ने फिरौन के लिये पितोम और रामसेस नामक भंडारवाले नगर बनाया। लेकिन उन्हें जितना अधिक सताया जाता था, उतनी ही अधिक संख्या में वे बढ़ते जाते थे। उनका जीवन काफी कड़वाहट से भर गया था। मिस्त्र के राजा ने शिप्रा और पूआ नामक दो इब्री धाइयों को आज्ञा दिया कि मिस्त्र में पैदा होने वाले सभी पुत्र शिशुओं को वे जन्म होते ही मार डालें , परंतु लड़कियों को जीवित छोड़ देने को कहा। परंतु धाईयाँ जो परमेश्वर का भय मानती थीं, उन्होंने लड़के शिशुओं को जीवित छोड़ दी। इसलिये राजा ने उन्हें बुलाया और उनसे इसका कारण पूछा। धाइयों ने बताई की इब्री स्त्रियाँ मिस्त्र की स्त्रियों के समान नहीं थीं। वे ऐसी फुर्तीली हैं कि धाइयों के वहाँ पहुँचाने से पहले ही उनका बच्चा जन्म ले लेता था। परमेश्वर ने उन दो स्त्रियों को आशीष दिया क्योंकि वे परमेश्वर का भय मानती थीं। इस्त्राएली लोग संख्या में बढ़ते गए। इसलिये फिरौन ने एक नई आज्ञा दिया कि सभी नए जन्में बच्चों को नदी में फेंक दिया जाए। इस बात ने इस्त्राएलियों के जीवन को और भी दूभर बना दिया। उन्होंने उनके पिता अब्राहम को पुकारा और उसने नीचे उतरकर उन्हें बचाया। उसी प्रकार, उसने अपना एकलौता पुत्र यीशु मसीह को, पापियों को बचाने के लिये इस संसार में भेजा जो लोग शैतान के गुलाम हैं।फिरौन शैतान का और मिस्त्र संसार का चित्रण है।

बाइबल अध्यन

निर्गमन अध्याय 1

6 और यूसुफ, और उसके सब भाई, और उस पीढ़ी के सब लोग मर मिटे। 7 और इस्राएल की सन्तान फूलने फलने लगी; और वे अत्यन्त सामर्थी बनते चले गए; और इतना बढ़ गए कि कुल देश उन से भर गया॥ 8 मिस्र में एक नया राजा गद्दी पर बैठा जो यूसुफ को नहीं जानता था। 9 और उसने अपनी प्रजा से कहा, देखो, इस्राएली हम से गिनती और सामर्थ्य में अधिक बढ़ गए हैं। 10 इसलिये आओ, हम उनके साथ बुद्धिमानी से बर्ताव करें, कहीं ऐसा न हो कि जब वे बहुत बढ़ जाएं, और यदि संग्राम का समय आ पड़े, तो हमारे बैरियों से मिलकर हम से लड़ें और इस देश से निकल जाएं। 11 इसलिये उन्होंने उन पर बेगारी कराने वालों को नियुक्त किया कि वे उन पर भार डाल डालकर उन को दु:ख दिया करें; तब उन्होंने फिरौन के लिये पितोम और रामसेस नाम भण्डार वाले नगरों को बनाया। 12 पर ज्यों ज्यों वे उन को दु:ख देते गए त्यों त्यों वे बढ़ते और फैलते चले गए; इसलिये वे इस्राएलियों से अत्यन्त डर गए। 13 तौभी मिस्रियों ने इस्राएलियों से कठोरता के साथ सेवकाई करवाई। 14 और उनके जीवन को गारे, ईंट और खेती के भांति भांति के काम की कठिन सेवा से दु:खी कर डाला; जिस किसी काम में वे उन से सेवा करवाते थे उस में वे कठोरता का व्यवहार करते थे। 15 शिप्रा और पूआ नाम दो इब्री धाइयों को मिस्र के राजा ने आज्ञा दी, 16 कि जब तुम इब्री स्त्रियों को बच्चा उत्पन्न होने के समय जन्मने के पत्थरों पर बैठी देखो, तब यदि बेटा हो, तो उसे मार डालना; और बेटी हो, तो जीवित रहने देना। 17 परन्तु वे धाइयां परमेश्वर का भय मानती थीं, इसलिये मिस्र के राजा की आज्ञा न मानकर लड़कों को भी जीवित छोड़ देती थीं। 18 तब मिस्र के राजा ने उन को बुलवाकर पूछा, तुम जो लड़कों को जीवित छोड़ देती हो, तो ऐसा क्यों करती हो? 19 धाइयों ने फिरौन को उतर दिया, कि इब्री स्त्रियां मिस्री स्त्रियों के समान नहीं हैं; वे ऐसी फुर्तीली हैं कि धाइयों के पहुंचने से पहिले ही उन को बच्चा उत्पन्न हो जाता है। 20 इसलिये परमेश्वर ने धाइयों के साथ भलाई की; और वे लोग बढ़कर बहुत सामर्थी हो गए। 21 और धाइयां इसलिये कि वे परमेश्वर का भय मानती थीं उसने उनके घर बसाए। 22 तब फिरौन ने अपनी सारी प्रजा के लोगों को आज्ञा दी, कि इब्रियों के जितने बेटे उत्पन्न हों उन सभों को तुम नील नदी में डाल देना, और सब बेटियों को जीवित रख छोड़ना॥

प्रश्न-उत्तर

प्र 1. मिसत्र का राजा फिरौन इस्राएल से क्यों डरता था ?
प्र 2. फिरौन ने इस्राएलियों को किन तरीकों से सताया ?
प्र 3. फिरौन ने इस्राएली जनसंख्या पर किस तरह रोक लगाया ?
प्र 4. फिरौन किस बात का चित्रण है ?
प्र 5. मिसत्र किस बात का चित्रण है ?

संगीत

पाप की गन्दगी से मुझे उठाया, दिया उसने नया गीत मेरे जीवन में।

कीच से उसने मेरे प्राण को खींच के निकाला, खून से उसने दुर्गन्ध को बिल्कुल दूर किया।

मेरे दिल में नया गाना मुंजी यीशु देता है, आनन्द से गाऊंगा,जीवन भर अपने प्रभु की स्तुति करूंगा। हल्लेलूय्याह-2