पाठ 27 : यीशु मुर्दों को जिलाता है
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सारांश
याईर आराधनालय का सरदार था। उसकी छोटी सी बेटी मरने पर थी। वह यीशु के चरणों में आकर गिर पड़ा और विनती किया कि वह उसके घर चले। जब वह जा रहा था तो भीड़ उसे चारों तरफ से घेरे हुए थी। रास्ते में याईर के घर से कुछ लोग आए और याईर से बोले, ‘‘तेरी बेटी मर चुकी है। अब गुरू को क्यों तकलीफ देता है? यीशु ने याईर से कहा, ‘‘मत डर, केवल विश्वास रख।’’ जब वह घर पहुँचा तो उसने भीतर आने के लिये सिर्फ पतरस, याकूब और यूहन्ना को ही अनुमति दिया। यीशु ने वहाँ लोगांे को रोते और चिल्लाते देखा। ‘‘तुम क्यों हल्ला मचाते और रोते हो? लड़की मरी नहीं पर सो रही है।’’ जब उन्होंने यह सुना तो वे उसकी हँसी करने लगे। यीशु ने सबको घर से बाहर निकाल दिया। और लड़की के माता-पिता और तीन चेलों के साथ उस कमरे में गया जहाँ लड़की पड़ी थी। उसने उसका हाथ उठाकर कहा, ‘‘तलीता कूमी।’’ (जिसका अर्थ है, छोटी लड़की, मैं तुझसे कहता हूँ, उठ!’’)। वह लड़की तुरंत उठ गई और चलने फिरने लगी (वह बारह वर्ष की थी)। इसे देखकर वे बहुत चकित हुए। उसने उन्हें चिताया कि वे इस बात के विषय किसी से न कहें और कहा कि उस लड़की को कुछ खाने को दें। विधवा का बेटी लूका 7:11-17 यीशु नाइन नामक एक नगर को जा रहा था। उसके चेले और एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली। जब वे नगर के फाटक पर पहुँचे, तब वहाँ से लोग एक मुर्दे को ले जा रहे थे जो एक विधवा का अकेला बेटा था। उसके साथ गाँव के कई शोक करने वाले भी थे। दुखी माँ को देखकर यीशु का हृदय तरस से भर गया। उसने कहा, ‘‘मत रो।’’ और फिर वह कफन के पास गया और उसे छुआ। और उठाने वाले ठहर गये। तब उसने कहा, ‘‘हे जवान मैं तुझसे कहता हूँ, उठ।’’ तुरंत ही वह लड़का उठकर बैठ गया और उसके आसपास के लोगों से बातें करने लगा। आश्चर्य और आनंद के माहौल में उसने उस लड़के को उसकी माँ को सौंप दिया।आज कई जवान लोग मृत्यु के मार्ग पर चलते हैं और उनके प्रियों को दुख पहुँचाते हैं। यीशु उन्हें जीवन के मार्ग में वापस ला सकता है, और उनके लिये जो दुख के बदले आनंद ला सकता है जो उनके लिये प्रार्थना करते हैं। लाजर यूहन्ना 11:1-46 इस संसार में यीशु के पास उसका अपना कोई घर नहीं था। एक बार उसने एक मनुष्य से कहा, ‘‘मनुष्य के पुत्र को सिर धरने की भी जगह नहीं।’’ (लूका 9:58)। लेकिन बैतनिय्याह में एक घर उसके लिये खुला था। उस घर में तीन लोग रहते थे जो उससे बहुत प्रेम करते थे मार्था, उसकी बहन मरियम और लाजर उनका भाई। यीशु भी इस परिवार से प्रेम करता था। ‘‘लाजर’’ नाम एलियाजर का छोटा रूप है जिसका अर्थ ‘‘परमेश्वर मेरी सहायता है’’होता है। उसकी बहनों ने यीशु को खबर भेजी, ‘‘प्रभु तेरा प्रिय बीमार है।’’ लेकिन जब यीशु ने यह सुना तो वह जहाँ था वहीं दो दिन और ठहर गया।दो दिनों के बाद यीशु ने चेलों से कहा, ‘‘आओ, हम यहूदिया को चलें।’’ जब चेलों ने 9 मृतक के शरीर को दफनाने की यहूदी प्रथा उसे मलमल के कपड़े में लपेटने की थी। हाथों और पावों को कपड़े की पट्टियों से लपेटा जाता था और सिर को अलग अंगोछे से बांधा जाता था। यरूशलेम जाने में आनाकानी दिखाया तो यीशु ने उनसे कहा, ‘‘हमारा मित्र लाजर सो गया है, परंतु मैं उसे जगाने जाता हूँ।’’ चेलों ने सोचा कि यीशु प्राकृतिक नींद के विषय कह रहा था। फिर यीशु ने उनसे स्पष्ट कहा, ‘‘लाजर मर चुका है।’’जब यीशु वहाँ पहुँचा तो लाजर को कब्र में रखे चार दिन हो चुके थे। कई यहूदी लोग मार्था और मरियम को सांत्वना देने आए थे। जब मार्था ने सुनी कि यीशु आ रहा था जो वह उससे मिलने गई, परंतु मरियम घर पर ही रही। मार्था ने यीशु से बोली, ‘‘प्रभु यीशु तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता। लेकिन अब भी जानती हूँ कि जो कुछ तो परमेश्वर से मांगेगा,परमेश्वर तुझे देगा।’’ यीशु ने उससे कहा, ‘‘तेरा भाई फिर जी उठेगा।’’ मार्था ने उत्तर दी, मैं जानती हूँ कि अंतिम दिन में पुनरूत्थान के समय वह जी उठेगा।’’यीशु ने उससे कहा, ‘‘पुनरूत्थान और जीवन मैं ही हूँ जो कोई मुझ पर विश्वास करता है, यदि वह मर भी जाए तौभी जीएगा और जो कोई जीवित है, और मुझ पर विश्वास करता है वह अनंतकाल तक न मरेगा। क्या तू इस बात पर विश्वास करती है? ‘‘हाँ प्रभु, वह बोली, ‘‘मैं विश्वास करती हूँ कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आनेवाला था, वह तू ही है।’’ तब वह उसे छोड़कर मरियम के पास लौट गई। उसने उसे शोक करने वालों के बीच से बुलाई और बोली कि, ‘‘गुरू यहीं है, और तुझको बुलाता है।’’ तब मरियम उठकर तुरंत उसके पास गई। यीशु अब भी उसी स्थान में था जहाँ मार्था उससे मिली थी। जब मरियम आई और यीशु से बोली तो वह उसके पैरों पर गिर पड़ी, और बोली, ‘‘हे प्रभु यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता।’’जब यीशु ने उसका रोना देखा और उसके साथ दूसरों को भी रोते हुए देखा तो वह आत्मा में बहुत ही उदास और व्याकुल हुआ। ‘‘तुमने उसे कहाँ रखा है?’’ उन्होंने उससे कहा, ‘‘हे प्रभु चलकर देख ले।’’ तब यीशु रोया। लोग जो वहाँ खड़े थे कहने लगे, ‘‘देखो वह उससे कितना प्रेम रखता था।’’ परंतु उनमें से कुछ ने कहा, ‘‘क्या यह जिसने अंधे की आखें खोली यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता?’’यीशु फिर से मन में उदास हुआ। फिर वे कब्र के पास आए। वह एक गुफा थी और एक पत्थर उस पर रखा था। ‘‘पत्थर को हटाओ’’ यीशु ने उनसे कहा। परंतु मार्था बोली, ‘‘हे प्रभु उसमें से अब तो दुर्गंध आती है, क्योंकि उसे मरे चार दिन हो चुके हैं।’’ यीशु ने कहा, ‘‘क्या मैंने तुझसे नहीं कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी?’’ तब उन्होंने पत्थर को हटा दिया। तब यीशु ने स्वर्ग की ओर देखकर कहा, ‘‘हे पिता मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ कि तूने मेरी सुन ली है। मैं जानता था कि तू सदा मेरी सुनता है, परंतु जो भीड़ आसपास खड़ी है, उनके कारण मैंने कहा, जिससे कि वे विश्वास करें कि तूने मुझे भेजा है।’’ जब यीशु ने बड़े शब्द से पुकारा, हे लाजर निकल आ।’’ जो मर गया था वह कफन से हाथ पाँव बंधे हुए निकल आया, और उसका मुँह अंगोछे से लिपटा हुआ था। यीशु ने उससे कहा, ‘‘उसे खोल दो,9 और जाने दो। इस चमत्कार को देखकर, वे सब जो वहाँ थे, उस पर विश्वास किये।यहाँ हमारे पास यीशु द्वारा मुर्दे जिलाने के तीन मामले हैं। याईर की बेटी जो मर गई थी,उसे तुरंत जिलाया गया था। विधवा के पुत्र को तब जिलाया गया जब उसे दफनाने के लिये ले जाया जा रहा था। दूसरी ओर लाजर मर चुका था और गाड़ दिया जा चुका था। उसे चार दिनों के बाद ही जिलाया गया था। यीशु मसीह जो जीवन का स्त्रोत है मुर्दों को जीवित कर सकता था। ये चमत्कार इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है। उसी समय यह भी ध्यान दिया जाना चाहिये कि यीशु ने लाजर की कब्र के पास तरस के आँसु बहाया था। यह उसकी मानवता को दिखाता है। वह मनुष्य के हृदय की वेदना को बाँट लेता है। वह हमारा महायाजक है जो हमारे निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी होता है (इब्रानियों 4:15)। यीशु मसीह सिद्ध परमेश्वर और सिद्ध मनुष्य है। यही कारण है कि वह परमेश्वर और मनुष्य के बीच मध्यस्थी करता है। इसलिये वह परोपकारी मृत्यु मर सका और सारी मानव जाति को उद्धार प्रदान कर सका।
बाइबल अध्यन
मत्ती अध्याय 9 23 जब यीशु उस सरदार के घर में पहुंचा और बांसली बजाने वालों और भीड़ को हुल्लड़ मचाते देखा तब कहा। 24 हट जाओ, लड़की मरी नहीं, पर सोती है; इस पर वे उस की हंसी करने लगे। 25 परन्तु जब भीड़ निकाल दी गई, तो उस ने भीतर जाकर लड़की का हाथ पकड़ा, और वह जी उठी।
मरकुस अध्याय 5 21 जब यीशु फिर नाव से पार गया, तो एक बड़ी भीड़ उसके पास इकट्ठी हो गई; और वह झील के किनारे था। 22 और याईर नाम आराधनालय के सरदारों में से एक आया, और उसे देखकर, उसके पांवों पर गिरा। 23 और उस ने यह कहकर बहुत बिनती की, कि मेरी छोटी बेटी मरने पर है: तू आकर उस पर हाथ रख, कि वह चंगी होकर जीवित रहे। 24 तब वह उसके साथ चला; और बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली, यहां तक कि लोग उस पर गिरे पड़ते थे॥
लूका अध्याय 8 40 जब यीशु लौट रहा था, तो लोग उस से आनन्द के साथ मिले; क्योंकि वे सब उस की बाट जोह रहे थे। 41 और देखो, याईर नाम एक मनुष्य जो आराधनालय का सरदार था, आया, और यीशु के पांवों पर गिर के उस से बिनती करने लगा, कि मेरे घर चल। 42 क्योंकि उसके बारह वर्ष की एकलौती बेटी थी, और वह मरने पर थी: जब वह जा रहा था, तब लोग उस पर गिरे पड़ते थे॥
लूका अध्याय 8 49 वह यह कह ही रहा था, कि किसी ने आराधनालय के सरदार के यहां से आकर कहा, तेरी बेटी मर गई: गुरु को दु:ख न दे। 50 यीशु ने सुनकर उसे उत्तर दिया, मत डर; केवल विश्वास रख; तो वह बच जाएगी। 51 घर में आकर उस ने पतरस और यूहन्ना और याकूब और लड़की के माता-पिता को छोड़ और किसी को अपने साथ भीतर आने न दिया। 52 और सब उसके लिये रो पीट रहे थे, परन्तु उस ने कहा; रोओ मत; वह मरी नहीं परन्तु सो रही है। 53 वे यह जानकर, कि मर गई है, उस की हंसी करने लगे। 54 परन्तु उस ने उसका हाथ पकड़ा, और पुकारकर कहा, हे लड़की उठ! 55 तब उसके प्राण फिर आए और वह तुरन्त उठी; फिर उस ने आज्ञा दी, कि उसे कुछ खाने को दिया जाए। 56 उसके माता-पिता चकित हुए, परन्तु उस ने उन्हें चिताया, कि यह जो हुआ है, किसी से न कहना॥
लूका अध्याय 7 11 थोड़े दिन के बाद वह नाईंन नाम के एक नगर को गया, और उसके चेले, और बड़ी भीड़ उसके साथ जा रही थी। 12 जब वह नगर के फाटक के पास पहुंचा, तो देखो, लोग एक मुरदे को बाहर लिए जा रहे थे; जो अपनी मां का एकलौता पुत्र था, और वह विधवा थी: और नगर के बहुत से लोग उसके साथ थे। 13 उसे देख कर प्रभु को तरस आया, और उस से कहा; मत रो। 14 तब उस ने पास आकर, अर्थी को छुआ; और उठाने वाले ठहर गए, तब उस ने कहा; हे जवान, मैं तुझ से कहता हूं, उठ। 15 तब वह मुरदा उठ बैठा, और बोलने लगा: और उस ने उसे उस की मां को सौप दिया। 16 इस से सब पर भय छा गया; और वे परमेश्वर की बड़ाई करके कहने लगे कि हमारे बीच में एक बड़ा भविष्यद्वक्ता उठा है, और परमेश्वर ने अपने लोगों पर कृपा दृष्टि की है। 17 और उसके विषय में यह बात सारे यहूदिया और आस पास के सारे देश में फैल गई॥
यूहन्ना अध्याय 11 1 मरियम और उस की बहिन मारथा के गांव बैतनिय्याह का लाजर नाम एक मनुष्य बीमार था। 2 यह वही मरियम थी जिस ने प्रभु पर इत्र डालकर उसके पांवों को अपने बालों से पोंछा था, इसी का भाई लाजर बीमार था। 3 सो उस की बहिनों ने उसे कहला भेजा, कि हे प्रभु, देख, जिस से तू प्रीति रखता है, वह बीमार है। 4 यह सुनकर यीशु ने कहा, यह बीमारी मृत्यु की नहीं, परन्तु परमेश्वर की महिमा के लिये है, कि उसके द्वारा परमेश्वर के पुत्र की महिमा हो। 5 और यीशु मारथा और उस की बहन और लाजर से प्रेम रखता था। 6 सो जब उस ने सुना, कि वह बीमार है, तो जिस स्थान पर वह था, वहां दो दिन और ठहर गया। 7 फिर इस के बाद उस ने चेलों से कहा, कि आओ, हम फिर यहूदिया को चलें। 8 चेलों ने उस से कहा, हे रब्बी, अभी तो यहूदी तुझे पत्थरवाह करना चाहते थे, और क्या तू फिर भी वहीं जाता है? 9 यीशु ने उत्तर दिया, क्या दिन के बारह घंटे नहीं होते यदि कोई दिन को चले, तो ठोकर नहीं खाता है, क्योंकि इस जगत का उजाला देखता है। 10 परन्तु यदि कोई रात को चले, तो ठोकर खाता है, क्योंकि उस में प्रकाश नहीं। 11 उस ने ये बातें कहीं, और इस के बाद उन से कहने लगा, कि हमारा मित्र लाजर सो गया है, परन्तु मैं उसे जगाने जाता हूं। 12 तब चेलों ने उस से कहा, हे प्रभु, यदि वह सो गया है, तो बच जाएगा। 13 यीशु ने तो उस की मृत्यु के विषय में कहा था: परन्तु वे समझे कि उस ने नींद से सो जाने के विषय में कहा। 14 तब यीशु ने उन से साफ कह दिया, कि लाजर मर गया है। 15 और मैं तुम्हारे कारण आनन्दित हूं कि मैं वहां न था जिस से तुम विश्वास करो, परन्तु अब आओ, हम उसके पास चलें। 16 तब थोमा ने जो दिदुमुस कहलाता है, अपने साथ के चेलों से कहा, आओ, हम भी उसके साथ मरने को चलें। 17 सो यीशु को आकर यह मालूम हुआ कि उसे कब्र में रखे चार दिन हो चुके हैं। 18 बैतनिय्याह यरूशलेम के समीप कोई दो मील की दूरी पर था। 19 और बहुत से यहूदी मारथा और मरियम के पास उन के भाई के विषय में शान्ति देने के लिये आए थे। 20 सो मारथा यीशु के आने का समचार सुनकर उस से भेंट करने को गई, परन्तु मरियम घर में बैठी रही। 21 मारथा ने यीशु से कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता। 22 और अब भी मैं जानती हूं, कि जो कुछ तू परमेश्वर से मांगेगा, परमेश्वर तुझे देगा। 23 यीशु ने उस से कहा, तेरा भाई जी उठेगा। 24 मारथा ने उस से कहा, मैं जानती हूं, कि अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा। 25 यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा। 26 और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा, क्या तू इस बात पर विश्वास करती है? 27 उस ने उस से कहा, हां हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूं, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आनेवाला था, वह तू ही है। 28 यह कहकर वह चली गई, और अपनी बहिन मरियम को चुपके से बुलाकर कहा, गुरू यहीं है, और तुझे बुलाता है। 29 वह सुनते ही तुरन्त उठकर उसके पास आई। 30 (यीशु अभी गांव में नहीं पहुंचा था, परन्तु उसी स्थान में था जहां मारथा ने उस से भेंट की थी।) 31 तब जो यहूदी उसके साथ घर में थे, और उसे शान्ति दे रहे थे, यह देखकर कि मरियम तुरन्त उठके बाहर गई है और यह समझकर कि वह कब्र पर रोने को जाती है, उसके पीछे हो लिये। 32 जब मरियम वहां पहुंची जहां यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पांवों पर गिर के कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता तो मेरा भाई न मरता। 33 जब यीशु न उस को और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ, और घबरा कर कहा, तुम ने उसे कहां रखा है? 34 उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, चलकर देख ले। 35 यीशु के आंसू बहने लगे। 36 तब यहूदी कहने लगे, देखो, वह उस से कैसी प्रीति रखता था। 37 परन्तु उन में से कितनों ने कहा, क्या यह जिस ने अन्धे की आंखें खोली, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता 38 यीशु मन में फिर बहुत ही उदास होकर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था। 39 यीशु ने कहा; पत्थर को उठाओ: उस मरे हुए की बहिन मारथा उस से कहने लगी, हे प्रभु, उस में से अब तो र्दुगंध आती है क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए। 40 यीशु ने उस से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी। 41 तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आंखें उठाकर कहा, हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं कि तू ने मेरी सुन ली है। 42 और मै जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उन के कारण मैं ने यह कहा, जिस से कि वे विश्वास करें, कि तू ने मुझे भेजा है। 43 यह कहकर उस ने बड़े शब्द से पुकारा, कि हे लाजर, निकल आ। 44 जो मर गया था, वह कफन से हाथ पांव बन्धे हुए निकल आया और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ तें यीशु ने उन से कहा, उसे खोलकर जाने दो॥ 45 तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे, और उसका यह काम देखा था, उन में से बहुतों ने उस पर विश्वास किया। 46 परन्तु उन में से कितनों ने फरीसियों के पास जाकर यीशु के कामों का समाचार दिया॥
लूका अध्याय 9 58 यीशु ने उस से कहा, लोमडिय़ों के भट और आकाश के पक्षियों के बसेरे होते हैं, पर मनुष्य के पुत्र को सिर धरने की भी जगह नहीं।
प्रश्न-उत्तर
प्र 1. मार्था , मरियम और लजार कहाँ रहते थे ?
उप्र 2. जब यीशु ने लाजर की बीमारी के विषय सुना तो उसने क्या किया ?
उप्र 3. एक अविश्वासी और विश्वासी की मृत्यु में क्या अंतर है ?
उप्र 4. ' पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ |' इसका संदर्भ बताएँ | उसने इसे कैसे सिद्ध किया ?
उप्र 5. यीशु मसीह ' सिद्ध मनुष्य ' और 'सिद्ध परमेश्वर ' है | लाजर के जिलाऐ जाने की घटना द्वारा इसे सिद्ध करें ?
उ
संगीत
मेरी राहों में ना कांटे (अब रहेंगे), -2 मेरी मंजिल में भी मातम अब न होंगें, हो गया दूर है मौत का साया।
जब से दिल में यीशु आया मेरा जीवन बदल गया, जबसे मैंने उसे हैं पाया मेरा जीवन बदल गया।