पाठ 26 : यीशु दुष्टात्मा ग्रस्तों को चंगा करता है
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सारांश
एक बार यीशु ने गलील का समुद्र पार किया और गदरेनियोंके देश में पहुँचा। जैसे ही यीशु नाव से उतरा, दुष्टआत्मा से ग्रसित एक व्यक्ति कब्रों के बीच से निकल कर आया। मत्ती इस कहानी में दो व्यक्तियों के विषय कहता है; मरकुस और लूका (8:26-27) केवल एक ही व्यक्ति के विषय कहते हैं। माना जाता है कि केवल मत्ती को दूसरे व्यक्ति के विषय मालुम था। यह व्यक्ति कपड़े नहीं पहनता था, और कब्रों के बीच रहता था, और उसे कोई नियंत्रित नहीं कर सकता था, यहाँ तक कि सांकल से बांधकर भी। जब भी उसे सांकलों और बेड़ियों से बांधकर रखा जाता था, हमेशा की तरह वह उन्हें अपने हाथों से तोड़ देता। कोई भी इतना ताकतवर नहीं था कि उसे नियंत्रित कर सके। पूरे दिनभर और रातभर वह कब्रों के बीच और पहाड़ों के बीच रहता था और चीखता चिल्लाता और स्वयँ को पत्थरों से घायल करता था। जब यीशु उससे कुछ दूर ही था तब इस मनुष्य ने उसे देख लिया। वह दौड़कर यीशु से मिलने गया और उसके आगे गिर गया।वहभयानक रीति से चीख पड़ा,‘‘हे यीशु परमप्रधान परमेश्वर के पुत्र, मुझे तुझसे क्या काम? मैं तुझे परमेश्वर की शपथ देता हूँ कि मुझे पीड़ा न दे।’’ क्योंकि यीशु ने अशुद्ध आत्मा को उस मनुष्य में से निकलने की आज्ञा दिया था, यीशु ने उससे पूछा, तेरा नाम क्या है? ‘‘और आत्मा ने जवाब दी, ‘‘सेना, क्योंकि हम बहुत हैं।’’ फिर उस दुष्ट आत्मा ने उससे बार-बार आगाह की कि उसे देश से बाहर न भेजे।वहीं पास में पहाड़ पर सुअरों का एक झुण्ड चर रहा था। ‘‘हमें उन सुअरों में भेज दे कि हम उनके भीतर जाएँ,’’ दुष्टआत्माओं ने विनती किया। यीशु ने उन्हें अनुमति दे दिया।इसलिये वे दुष्टआत्माएँ उस मनुष्य को छोड़कर सुअरों में चली गईं और सुअरों का पूरा झुण्ड पहाड़ी के नीचे झील में गिर पड़ा और डूब गया। झुण्ड के रखवाले भाग गये और उन्होंने इस घटना के विषय नगर और प्रांत में जाकर बताया। जो कुछ हुआ था उसे देखने लोग निकल आए। जल्द ही एक भीड़ यीशु के पास इकट्ठी हो गई, परंतु वे उस मनुष्य को देखकर डर गए जो दुष्ट आत्मा से ग्रसित था, क्योंकि वह कपडे़ पहने और पूरी तरह सचेत बैठा था। जिन्होंने वह सब देखा था जो उस मनुष्य और सुअरों के साथ हुआ था, हर किसी को उसके विषय बताया, और भीड़ यीशु से विनती करने लगी कि वह उन्हें अकेला छोड़कर चला जाए। जब यीशु वापस नाव में आया तो उस मनुष्य ने जिसमें से दुष्टआत्माएँ निकली थीं, यीशु से आग्रह किया कि वह उसे भी साथ ले ले। परंतु यीशु ने उसके आग्रह को नकार दिया और कहा, ‘‘अपने घर जाकर अपने लोगों को बता कि तुझ पर दया करके प्रभु ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किये हैं।’’ 2. एक गूँगा व्यक्ति हूँ मत्ती 9:32-33 एक अन्य अवसर पर लोगों ने दुष्टआत्मा से ग्रस्त एक गूँगे व्यक्ति को उसके पास लाया।यीशु ने दुष्ट आत्मा को निकाला। वह मनुष्य तुरंत बोलने लगा। भीड़ ने आश्चर्यचकित होकर कहा, ‘‘इस्त्राएल ने ऐसा कभी नहीं देखा गया।’’ परंतु फरीसियों ने यह कहकर नाराजी दिखाया कि यह तो दुष्टआत्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है। 3. कनानी स्त्री का बेटी मत्ती 15:21-28। (मरकुस 7:24-30 भी देखें)। यीशु सूर और सैदा चला गया। ये सीरिया के नगर थे। वह एक घर में गया और नहीं चाहता था कि कोई यह बात जाने, परंतु वह उसकी उपस्थिति को छिपाकर नहीं रख सका। जब एक स्त्री ने, जिसकी छोटी बेटी दुष्टात्मा से ग्रसित थी इसके विषय सुनी, आकर उसके पैरों पर गिर पड़ी। वह जन्म से यूनानी और सुरूफिनीकी जाति की थी। उसने यीशु से विनती की कि वह उसकी बच्ची को दुष्टात्मा के वश से स्वतंत्र कर दे। परंतु यीशु ने उसे कोई उत्तर नहीं दिया। उसके चेलों ने उससे आग्रह किया कि वह उसे विदा करे। तब यीशु ने कहा, ‘‘इस्त्राएल के घराने की खोई हुई भेड़ों को छोड़ मैं किसी के पास नहीं भेजा गया।’’ वह उसके सामने घुटने पर आकर उससे नम्रतापूर्वक याचना करने लगी, ‘‘हे प्रभु मेरी सहायता कर।’’ उसने कहा, ‘‘लड़कों की रोटी लेकर कुत्तों के आगे डालना अच्छा नहीं।’’ वह स्त्री निराश नहीं हुई। ‘‘सत्य है प्रभु, पर कुत्ते भी वह चूर चार खाते हैं, जो उनके स्वामियों की मेज से गिरते हैं।’’ तब यीशु ने कहा, ‘‘हे स्त्री तेरा विश्वास बड़ा है। जैसा तू चाहती है, तेरे लिये वैसा ही हो।’’ वह घर चली गई और उसकी बेटी को खाट पर पड़ी हुई पाई, और दुष्टआत्मा उसमें से निकल चुकी थी। 4. अशद्ध आत्मावाला मनुष्य मरकुस 1:23-28 (लूका 4:31-37 भी देखें) एक बार सब्त के दिन यीशु कफरनहूम में आराधनालय में गया और जो लोग वहाँ इकट्ठे थे उन्हें सिखाया। लोग चकित थे क्योंकि वह उनके शिक्षकों के विपरीत अधिकार से सिखाता था। वहाँ एक मनुष्य था जो दुष्ट आत्मा से ग्रसित था। उसने यीशु को देखा और जोर से चिल्लाकर कहा, ‘‘हे यीशु नासरी, हमें तुझ से क्या काम? क्या तू हमें नष्ट करने आया है? मैं तुझको जानता हूँ तू कौन है? परमेश्वर का पवित्र जन।’’ यीशु ने यह कहकर दुष्टात्मा को डाँटा, ‘‘चुप रह, और उसमें से निकल जा।’’ तब अशुद्ध आत्मा उसको मरोड़कर और बड़े शब्द से चिल्लाकर उसमें से निकल गई। सब लोग बहुत आश्चर्यचकित होकर एक दूसरे से कहने लगे, ‘‘यह क्या बात है? यह तो कोई नया उपदेश है। और अधिकार के साथ है वह अधिकार के साथ अशुद्ध आत्माओं को भी आज्ञा देता है, और वे उसकी आज्ञा मानती हैं।’’ इस बात की चर्चा गलील के सारे प्रांत में फैल गई। यहाँ हम सीखते हैं कि दुष्टात्माएँ जो शैतान के दास होते हैं, अच्छी तरह जानती थी कि यीशु परमेश्वर का पुत्र था, और वे जानती थी कि अंततः वह उन्हें नष्ट कर देगा। जैसा कि वे जानते थे कि अभी उनका समय नहीं आया था वे निडर थीं। लेकिन जब यीशु ने उन्हें डाँटा तो उन्हें आज्ञा का पालन करना पड़ा और वे छोड़कर चली गई। 8 मत्ती के एक अन्य आथराइज्ड़ अनुवाद में वह गिरासेनियों का देश बताता है (मत्ती 8:28); मरकुस और लूका कहते है यह गदरेनियों के देश में हुआ (मरकुस 5:1; लूका 8:26)। आश्चर्यकर्म का स्थान गरेसिया गांव के पास गदेरे नगर हो सकता है।
बाइबल अध्यन
मरकुस अध्याय 5 1 और वे झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुंचे। 2 और जब वह नाव पर से उतरा तो तुरन्त एक मनुष्य जिस में अशुद्ध आत्मा थी कब्रों से निकल कर उसे मिला। 3 वह कब्रों में रहा करता था। और कोई उसे सांकलों से भी न बान्ध सकता था। 4 क्योंकि वह बार बार बेडिय़ों और सांकलों से बान्धा गया था, पर उस ने सांकलों को तोड़ दिया, और बेडिय़ों के टुकड़े टुकड़े कर दिए थे, और कोई उसे वश में नहीं कर सकता था। 5 वह लगातार रात-दिन कब्रों और पहाड़ो में चिल्लाता, और अपने को पत्थरों से घायल करता था। 6 वह यीशु को दूर ही से देखकर दौड़ा, और उसे प्रणाम किया। 7 और ऊंचे शब्द से चिल्लाकर कहा; हे यीशु, पर मप्रधान परमेश्वर के पुत्र, मुझे तुझ से क्या काम? मैं तुझे परमेश्वर की शपथ देता हूं, कि मुझे पीड़ा न दे। 8 क्योंकि उस ने उस से कहा था, हे अशुद्ध आत्मा, इस मनुष्य में से निकल आ। 9 उस ने उस से पूछा; तेरा क्या नाम है? उस ने उस से कहा; मेरा नाम सेना है; क्योंकि हम बहुत हैं। 10 और उस ने उस से बहुत बिनती की, हमें इस देश से बाहर न भेज। 11 वहां पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था। 12 और उन्होंने उस से बिनती करके कहा, कि हमें उन सूअरों में भेज दे, कि हम उन के भीतर जाएं। 13 सो उस ने उन्हें आज्ञा दी और अशुद्ध आत्मा निकलकर सूअरों के भीतर पैठ गई और झुण्ड, जो कोई दो हजार का था, कड़ाडे पर से झपटकर झील में जा पड़ा, और डूब मरा। 14 और उन के चरवाहों ने भागकर नगर और गांवों में समाचार सुनाया। 15 और जो हुआ था, लोग उसे देखने आए। और यीशु के पास आकर, वे उस को जिस में दुष्टात्माएं थीं, अर्थात जिस में सेना समाई थी, कपड़े पहिने और सचेत बैठे देखकर, डर गए। 16 और देखने वालों ने उसका जिस में दुष्टात्माएं थीं, और सूअरों का पूरा हाल, उन को कह सुनाया। 17 और वे उस से बिनती कर के कहने लगे, कि हमारे सिवानों से चला जा। 18 और जब वह नाव पर चढ़ने लगा, तो वह जिस में पहिले दुष्टात्माएं थीं, उस से बिनती करने लगा, कि मुझे अपने साथ रहने दे। 19 परन्तु उस ने उसे आज्ञा न दी, और उस से कहा, अपने घर जाकर अपने लोगों को बता, कि तुझ पर दया करके प्रभु ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं। 20 वह जाकर दिकपुलिस में इस बात का प्रचार करने लगा, कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े काम किए; और सब अचम्भा करते थे॥
लूका अध्याय 8 26 फिर वे गिरासेनियों के देश में पहुंचे, जो उस पार गलील के साम्हने है। 27 जब वह किनारे पर उतरा, तो उस नगर का एक मनुष्य उसे मिला, जिस में दुष्टात्माएं थीं और बहुत दिनों से न कपड़े पहिनता था और न घर में रहता था वरन कब्रों में रहा करता था। 28 वह यीशु को देखकर चिल्लाया, और उसके साम्हने गिरकर ऊंचे शब्द से कहा; हे परम प्रधान परमेश्वर के पुत्र यीशु, मुझे तुझ से क्या काम! मैं तेरी बिनती करता हूं, मुझे पीड़ा न दे! 29 क्योंकि वह उस अशुद्ध आत्मा को उस मनुष्य में से निकलने की आज्ञा दे रहा था, इसलिये कि वह उस पर बार बार प्रबल होती थी; और यद्यपि लोग उसे सांकलों और बेडिय़ों से बांधते थे, तौभी वह बन्धनों को तोड़ डालता था, और दुष्टात्मा उसे जंगल में भगाये फिरती थी। 30 यीशु ने उस से पूछा; तेरा क्या नाम है? उसने कहा, सेना; क्योंकि बहुत दुष्टात्माएं उसमें पैठ गईं थीं। 31 और उन्होंने उस से बिनती की, कि हमें अथाह गड़हे में जाने की आज्ञा न दे। 32 वहां पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था, सो उन्होंने उस से बिनती की, कि हमें उन में पैठने दे, सो उस ने उन्हें जाने दिया। 33 तब दुष्टात्माएं उस मनुष्य से निकल कर सूअरों में गईं और वह झुण्ड कड़ाडे पर से झपटकर झील में जा गिरा और डूब मरा। 34 चरवाहे यह जो हुआ था देखकर भागे, और नगर में, और गांवों में जाकर उसका समाचार कहा। 35 और लोग यह जो हुआ था उसके देखने को निकले, और यीशु के पास आकर जिस मनुष्य से दुष्टात्माएं निकली थीं, उसे यीशु के पांवों के पास कपड़े पहिने और सचेत बैठे हुए पाकर डर गए। 36 और देखने वालों ने उन को बताया, कि वह दुष्टात्मा का सताया हुआ मनुष्य किस प्रकार अच्छा हुआ। 37 तब गिरासेनियों के आस पास के सब लोगों ने यीशु से बिनती की, कि हमारे यहां से चला जा; क्योंकि उन पर बड़ा भय छा गया था: सो वह नाव पर चढ़कर लौट गया। 38 जिस मनुष्य से दुष्टात्माऐं निकली थीं वह उस से बिनती करने लगा, कि मुझे अपने साथ रहने दे, परन्तु यीशु ने उसे विदा करके कहा। 39 अपने घर को लौट जा और लोगों से कह दे, कि परमेश्वर ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं: वह जाकर सारे नगर में प्रचार करने लगा, कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े काम किए॥ 40 जब यीशु लौट रहा था, तो लोग उस से आनन्द के साथ मिले; क्योंकि वे सब उस की बाट जोह रहे थे।
लूका अध्याय 8 26 फिर वे गिरासेनियों के देश में पहुंचे, जो उस पार गलील के साम्हने है। 27 जब वह किनारे पर उतरा, तो उस नगर का एक मनुष्य उसे मिला, जिस में दुष्टात्माएं थीं और बहुत दिनों से न कपड़े पहिनता था और न घर में रहता था वरन कब्रों में रहा करता था।
मत्ती अध्याय 9 32 जब वे बाहर जा रहे थे, तो देखो, लोग एक गूंगे को जिस में दुष्टात्मा थी उस के पास लाए। 33 और जब दुष्टात्मा निकाल दी गई, तो गूंगा बोलने लगा; और भीड़ ने अचम्भा करके कहा कि इस्राएल में ऐसा कभी नहीं देखा गया।
मत्ती अध्याय 15 21 यीशु वहां से निकलकर, सूर और सैदा के देशों की ओर चला गया। 22 और देखो, उस देश से एक कनानी स्त्री निकली, और चिल्लाकर कहने लगी; हे प्रभु दाऊद के सन्तान, मुझ पर दया कर, मेरी बेटी को दुष्टात्मा बहुत सता रहा है। 23 पर उस ने उसे कुछ उत्तर न दिया, और उसके चेलों ने आकर उस से बिनती कर कहा; इसे विदा कर; क्योंकि वह हमारे पीछे चिल्लाती आती है। 24 उस ने उत्तर दिया, कि इस्राएल के घराने की खोई हुई भेड़ों को छोड़ मैं किसी के पास नहीं भेजा गया। 25 पर वह आई, और उसे प्रणाम करके कहने लगी; हे प्रभु, मेरी सहायता कर। 26 उस ने उत्तर दिया, कि लड़कों की रोटी लेकर कुत्तों के आगे डालना अच्छा नहीं। 27 उस ने कहा, सत्य है प्रभु; पर कुत्ते भी वह चूरचार खाते हैं, जो उन के स्वामियों की मेज से गिरते हैं। 28 इस पर यीशु ने उस को उत्तर देकर कहा, कि हे स्त्री, तेरा विश्वास बड़ा है: जैसा तू चाहती है, तेरे लिये वैसा ही हो; और उस की बेटी उसी घड़ी से चंगी हो गई॥
मरकुस अध्याय 7 24 फिर वह वहां से उठकर सूर और सैदा के देशों में आया; और एक घर में गया, और चाहता था, कि कोई न जाने; परन्तु वह छिप न सका। 25 और तुरन्त एक स्त्री जिस की छोटी बेटी में अशुद्ध आत्मा थी, उस की चर्चा सुन कर आई, और उसके पांवों पर गिरी। 26 यह यूनानी और सूरूफिनीकी जाति की थी; और उस ने उस से बिनती की, कि मेरी बेटी में से दुष्टात्मा निकाल दे। 27 उस ने उस से कहा, पहिले लड़कों को तृप्त होने दे, क्योंकि लड़कों की रोटी लेकर कुत्तों के आगे डालना उचित नहीं है। 28 उस ने उस को उत्तर दिया; कि सच है प्रभु; तौ भी कुत्ते भी तो मेज के नीचे बालकों की रोटी का चूर चार खा लेते हैं। 29 उस ने उस से कहा; इस बात के कारण चली जा; दुष्टात्मा तेरी बेटी में से निकल गई है। 30 और उस ने अपने घर आकर देखा कि लड़की खाट पर पड़ी है, और दुष्टात्मा निकल गई है॥
मरकुस अध्याय 1 23 और उसी समय, उन की सभा के घर में एक मनुष्य था, जिस में एक अशुद्ध आत्मा थी। 24 उस ने चिल्लाकर कहा, हे यीशु नासरी, हमें तुझ से क्या काम?क्या तू हमें नाश करने आया है? मैं तुझे जानता हूं, तू कौन है? परमेश्वर का पवित्र जन! 25 यीशु ने उसे डांटकर कहा, चुप रह; और उस में से निकल जा। 26 तब अशुद्ध आत्मा उस को मरोड़कर, और बड़े शब्द से चिल्लाकर उस में से निकल गई। 27 इस पर सब लोग आश्चर्य करते हुए आपस में वाद-विवाद करने लगे कि यह क्या बात है? यह तो कोई नया उपदेश है! वह अधिकार के साथ अशुद्ध आत्माओं को भी आज्ञा देता है, और वे उस की आज्ञा मानती हैं। 28 सो उसका नाम तुरन्त गलील के आस पास के सारे देश में हर जगह फैल गया॥
लूका अध्याय 4 31 फिर वह गलील के कफरनहूम नगर में गया, और सब्त के दिन लोगों को उपदेश दे रहा था। 32 वे उस के उपदेश से चकित हो गए क्योंकि उसका वचन अधिकार सहित था। 33 आराधनालय में एक मनुष्य था, जिस में अशुद्ध आत्मा थी। 34 वह ऊंचे शब्द से चिल्ला उठा, हे यीशु नासरी, हमें तुझ से क्या काम? क्या तू हमें नाश करने आया है? मैं तुझे जानता हूं तू कौन है? तू परमेश्वर का पवित्र जन है। 35 यीशु ने उसे डांटकर कहा, चुप रह: और उस में से निकल जा: तब दुष्टात्मा उसे बीच में पटककर बिना हानि पहुंचाए उस में से निकल गई। 36 इस पर सब को अचम्भा हुआ, और वे आपस में बातें करके कहने लगे, यह कैसा वचन है कि वह अधिकार और सामर्थ के साथ अशुद्ध आत्माओं को आज्ञा देता है, और वे निकल जाती हैं। 37 सो चारों ओर हर जगह उस की धूम मच गई॥
प्रश्न-उत्तर
प्र 1. 'सेना ' द्वारा प्रसित दुष्टात्मा वाले व्यक्ति को प्रभु ने कैसे चंगा किया ?
उप्र 2. गदरेनी के लोगों ने यीशु को उसका क्षेत्र छोड़कर जाने को क्यों कहा ?
उप्र 3. 'लड़कों की रोटी लेकर कुत्तों के आगे डालना अच्छा नहीं ' यीशु ने कहा | इसका संदर्भ बताएँ ?
उप्र 4. कफरनहूम मे आराधनालय मे दुष्टात्माग्रस्त व्यक्ति ने कैसे चंगा किया ?
उ
संगीत
यीशु दोस्त है मेरा (3)
अब न कोई डर, न कोई फिकर
यीशु ने कुचला है, शैतान का सर।
धिन धिना, धिना, (3) ला..ला..ल….