पाठ 21 : यीशु का बपतिस्मा और परीक्षा
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सारांश
यीशु गलील से यरदन आया कि यूहन्ना से बप्तिस्मा ले। लेकिन यूहन्ना ने उसे यह कहकर रोक दिया, ‘‘मुझे तो तेरे हाथ से बप्तिस्मा लेने की आवश्यकता है, और तू मेरे पास आया है?’’ यीशु ने उसको यह उत्तर दिया, ‘‘अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।’’ यूहन्ना मान गया और उसे बप्तिस्मा दिया। बप्तिस्मा के बाद जब यीशु पानी से बाहर आया, स्वर्ग खुल गया और परमेश्वर का आत्मा कबूतर की नाई उस पर उतरा। फिर स्वर्ग से एक वाणी सुनाई दी, ‘‘यह मेरा प्रिय पुत्र है जिससे मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ।’’ यीशु का बप्तिस्मा चारों सुसमाचार में लिखा है। (मरकुस 1:9-11, लूका 3:21-22, यूहन्ना 1:29-34)। यीशु मसीह उसकी सार्वजनिक सेवकाई के लिये परमेश्वर की पवित्र आत्मा से परिपूर्ण किया गया। उसने स्वयँ को परमेश्वर की सेवा के लिये समर्पित किया कि उसकी इच्छा को पूरी करे। हमारे प्रभु ने उसके बप्तिस्मा के द्वारा हमें यह दिखा दिया कि वह हमारा छुड़ानेवाला है। यद्यपि वह पाप रहित था, उसने हमारे पाप अपने उपर लिया और हमारे बदले खुद को बलिदान होने के लिये दे दिया। इसी उद्देश्य के लिये यह जरूरी था कि वह हममें से एक के समान हो और यूहन्ना द्वारा बप्तिस्मा ले। यीश की परिाक्षएँ मत्ती4:1-11 पढें। (मरकुस 1:12-14; लूका 4:1-13 भी पढ़ें) हमें अंतिम आदम की परीक्षाओं का जो मसीह है, आदम से जो पहला मनुष्य था, तुलना करना चाहिये। मनुष्य का पतन महिमा के उच्च स्तर से हुआ था जहाँ उसे पृथ्वी के सभी जीवित प्राणियों पर प्रभुता करने के लिये रखा गया था। वह बगीचे के पेड़ों से चाहे उतना फल खा सकता था, परंतु उसे ‘‘भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष का फल खाने के लिये मना किया गया था। आदम स्त्री के कारण परीक्षा में पड़ा और उसका पतन हुआ। उसने सारी आशीषें खो दिया। पाप को छोड़कर यीशु सब बातों में हमारे जैसा बना। वह पिता का आज्ञाकारी था और सभी परीक्षाओं में से विजयी होकर निकला। शैतान का उद्देश्य यीशु को परमेश्वर की इच्छा के विरुद्ध ले जाना था। पहली परीक्षा कि वह पत्थर को रोटी बनाये उसकी शारिरीक भूख मिटाने के विषय थी। दूसरी परीक्षा चमत्कार द्वारा उसके प्राण को बचाने की थी। तीसरी परीक्षा इस संसार के राजकुमार को परमेश्वर के स्थान में रखने की थी। परमेश्वर के विश्वासयोग्य दास होने के नाते, उसने बुद्धिमानी से परमेश्वर के वचन का हवाला दिया और शैतान को हराया। दूसरी परीक्षा में, शैतान ने परमेश्वर के ही वचन का उपयोग किया, परंतु वह संदर्भ से हटकर था। परमेश्वर का वचन केवल उनके लिये प्रभावशाली है जो उसकी आज्ञा का पालन करते हैं। परमेश्वर का वचन हमें शैतान की परीक्षाओं का जीवित वचन के साथ सामना करने के लिये प्रोत्साहित करता है जो दोधारी तलवार है। हमारा प्रभु तीन विभिन्न प्रकार की परीक्षाओं में विजय हुआ, शरीर की अभिलाषा, आखों की अभिलाषा और जीवन का घमंड। हम भी इस संसार की किसी भी परीक्षा पर विजयी हो सकते हैं यदि हम भी वही तरीका अपनाएँ जो प्रभु ने अपनाया था। ‘‘धन्य है वह मनुष्य जो परीक्षा में स्थिर रहता है, क्योंकि वह खरा निकलकर जीवन का मुकुट पाएगा। जिसकी प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों से की है।’’ (याकूब 1ः12)।
बाइबल अध्यन
मत्ती अध्याय 3 13 उस समय यीशु गलील से यरदन के किनारे पर यूहन्ना के पास उस से बपतिस्मा लेने आया। 14 परन्तु यूहन्ना यह कहकर उसे रोकने लगा, कि मुझे तेरे हाथ से बपतिस्मा लेने की आवश्यक्ता है, और तू मेरे पास आया है? 15 यीशु ने उस को यह उत्तर दिया, कि अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धामिर्कता को पूरा करना उचित है, तब उस ने उस की बात मान ली। 16 और यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिये आकाश खुल गया; और उस ने परमेश्वर के आत्मा को कबूतर की नाईं उतरते और अपने ऊपर आते देखा। 17 और देखो, यह आकाशवाणी हुई, कि यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यन्त प्रसन्न हूं॥
मरकुस अध्याय 1 9 उन दिनों में यीशु ने गलील के नासरत से आकर, यरदन में यूहन्ना से बपतिस्मा लिया। 10 और जब वह पानी से निकलकर ऊपर आया, तो तुरन्त उस ने आकाश को खुलते और आत्मा को कबूतर की नाई अपने ऊपर उतरते देखा। 11 और यह आकाशवाणी हई, कि तू मेरा प्रिय पुत्र है, तुझ से मैं प्रसन्न हूं॥
लूका अध्याय 3 21 जब सब लोगों ने बपतिस्मा लिया, और यीशु भी बपतिस्मा लेकर प्रार्थना कर रहा था, तो आकाश खुल गया। 22 और पवित्र आत्मा शारीरिक रूप में कबूतर की नाईं उस पर उतरा, और यह आकाशवाणी हुई, कि तू मेरा प्रिय पुत्र है, मैं तुझ से प्रसन्न हूं॥
यूहन्ना अध्याय 1 29 दूसरे दिन उस ने यीशु को अपनी ओर आते देखकर कहा, देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है, जो जगत के पाप उठा ले जाता है। 30 यह वही है, जिस के विषय में मैं ने कहा था, कि एक पुरूष मेरे पीछे आता है, जो मुझ से श्रेष्ठ है, क्योंकि वह मुझ से पहिले था। 31 और मैं तो उसे पहिचानता न था, परन्तु इसलिये मैं जल से बपतिस्मा देता हुआ आया, कि वह इस्त्राएल पर प्रगट हो जाए। 32 और यूहन्ना ने यह गवाही दी, कि मैं ने आत्मा को कबूतर की नाईं आकाश से उतरते देखा है, और वह उस पर ठहर गया। 33 और मैं तो उसे पहिचानता नहीं था, परन्तु जिस ने मुझे जल से बपतिस्मा देने को भेजा, उसी ने मुझ से कहा, कि जिस पर तू आत्मा को उतरते और ठहरते देखे; वही पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देनेवाला है। 34 और मैं ने देखा, और गवाही दी है, कि यही परमेश्वर का पुत्र है॥
मत्ती अध्याय 4 1 तब उस समय आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि इब्लीस से उस की परीक्षा हो। 2 वह चालीस दिन, और चालीस रात, निराहार रहा, अन्त में उसे भूख लगी। 3 तब परखने वाले ने पास आकर उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियां बन जाएं। 4 उस ने उत्तर दिया; कि लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा। 5 तब इब्लीस उसे पवित्र नगर में ले गया और मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया। 6 और उस से कहा यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा; और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे; कहीं ऐसा न हो कि तेरे पांवों में पत्थर से ठेस लगे। 7 यीशु ने उस से कहा; यह भी लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न कर। 8 फिर शैतान उसे एक बहुत ऊंचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसका विभव दिखाकर 9 उस से कहा, कि यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूंगा। 10 तब यीशु ने उस से कहा; हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर। 11 तब शैतान उसके पास से चला गया, और देखो, स्वर्गदूत आकर उस की सेवा करने लगे॥
मरकुस अध्याय 1 12 तब आत्मा ने तुरन्त उस को जंगल की ओर भेजा। 13 और जंगल में चालीस दिन तक शैतान ने उस की परीक्षा की; और वह वन पशुओं के साथ रहा; और स्वर्गदूत उस की सेवा करते रहे॥ 14 यूहन्ना के पकड़वाए जाने के बाद यीशु ने गलील में आकर परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार किया।
लूका अध्याय 4 1 फिर यीशु पवित्रआत्मा से भरा हुआ, यरदन से लैटा; और चालीस दिन तक आत्मा के सिखाने से जंगल में फिरता रहा; और शैतान उस की परीक्षा करता रहा। 2 उन दिनों में उस ने कुछ न खाया और जब वे दिन पूरे हो गए, तो उसे भूख लगी। 3 और शैतान ने उस से कहा; यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो इस पत्थर से कह, कि रोटी बन जाए। 4 यीशु ने उसे उत्तर दिया; कि लिखा है, मनुष्य केवल रोटी से जीवित न रहेगा। 5 तब शैतान उसे ले गया और उस को पल भर में जगत के सारे राज्य दिखाए। 6 और उस से कहा; मैं यह सब अधिकार, और इन का विभव तुझे दूंगा, क्योंकि वह मुझे सौंपा गया है: और जिसे चाहता हूं, उसी को दे देता हूं। 7 इसलिये, यदि तू मुझे प्रणाम करे, तो यह सब तेरा हो जाएगा। 8 यीशु ने उसे उत्तर दिया; लिखा है; कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर; और केवल उसी की उपासना कर। 9 तब उस ने उसे यरूशलेम में ले जाकर मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया, और उस से कहा; यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को यहां से नीचे गिरा दे। 10 क्योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा, कि वे तेरी रक्षा करें। 11 और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे ऐसा न हो कि तेरे पांव में पत्थर से ठेस लगे। 12 यीशु ने उस को उत्तर दिया; यह भी कहा गया है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न करना। 13 जब शैतान सब परीक्षा कर चुका, तब कुछ समय के लिये उसके पास से चला गया॥
याकूब अध्याय 112 धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है।
प्रश्न-उत्तर
प्र 1. यीशु का बपतिस्मा चारों सुसमाचार में लिखा है | यह किस बात को दिखाता है ?
उप्र 2. यीशु का बपतिस्मा हमें क्या दर्शाता है ?
उप्र 3. यीशु में किन तीन परीक्षाओं का सामना किया ?
उ
संगीत
नव जनम पाकर, ईश्वर की संतान,
मैं बन गया, हाँ कितना आनन्द,
महान अनुग्रह! इज्जत और जीवन,
इसलिये मिला, क्योंकि प्रभु, वह जिन्दा है।
पिता का पैगाम यीशु है लाया, माफी शांति और दिव्य प्रेम का, बेदाग जीवन और पापबली द्वारा, कर्ज जग का माफ किया, वह है मृत्युंजय।