पाठ 20 : परमेश्वर द्वारा उसके लोगों की देखभाल

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सारांश

पापी होने के कारण हमें छुड़ानेवाले की जरूरत है। उसी प्रकार गुलामों को छुड़ानेवाले की जरूरत होती है। हमारे प्रेमी परमेश्वर ने हमें उद्धारकर्ता छुडानेवाला और मार्गदर्शक के रूप में उसका एकलौता पुत्र दे दिया, उसने यात्रा में हमारे मार्गदर्शन के लिये पवित्र आत्मा दिया इसके अलावा परमेश्वर का वचन हमारे पैरों के लिये दीपक और मार्ग के लिये उजियाला है। (भजन 119:105)।इस्त्राएल की संतानों ने सक्कोत से यात्रा किया और एताम में डेरा किया जो जंगल के किनारे था। दिन के समय परमेश्वर उनके सामने बादल का खंबा बनकर और रात के समय आग का खंबा बनकर उनका मार्गदर्शन किया। परमेश्वर ने सूखे जंगल में भी उनका रक्षक होकर उन्हें ले चला जहाँ जहरीले साँप और बिच्छु थे। दिन के समय बादल उनके छावनियों को धूप से बचाने को ढाँक लेता था और रात में वह आग का खंबा बन जाता था जो उन्हें प्रकाश देता था। उन्हें रात के अंधियारे का डर नहीं लगता था। क्योंकि उन्हें पर्याप्त प्रकाश मिलता था, रात के समय भी यात्रा आरामदेह होती थी। जंगल की यात्रा के पूरे 40 वर्ष परमेश्वर उनका रक्षक और मार्गदर्शक था। बादल द्वारा उसकी देखभाल और अगुवाई यह दिखाती है कि परमेश्वर हमारी ओर से है, हमारे साथ है और हमारे भीतर है।जब इस्त्राएली लाल समुद्र के किनारे थे, बादल ने अपनी स्थिति इस्त्राएल की संतानों और मिस्त्रियों के बीच कर लिया। मिस्त्रियों के लिये वह अंधियारे का बादल बन गया। लेकिन इस्त्राएल की संतानों के लिये वह प्रकाश देता था। वे जब भी यात्रा करते थे, बादल उनके आगे-आगे चलता था। जहाँ बादल उठता था तो यात्रा शुरू करते थे। जब तक बादल मिलापवाले तम्बू पर ठहरा रहता था, वे भी वहीं ठहरे रहते थे और आगे की यात्रा के लिये परमेश्वर की ओर से चिन्ह की प्रतीक्षा करते थे। नए नियम के विश्वासियों के लिये यह कितने सौभाग्य की बात है कि वे इस जंगल की यात्रा में पवित्र आत्मा द्वारा चलाए जाते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम पवित्र आत्मा की वाणी द्वारा चलाए जाएँ। इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिये कि पवित्र आत्मा की अगुवाई कभी भी परमेश्वर के वचन के विपरीत नहीं होगी। इस्त्राएल की संतानों में लालची लोग भी थे। उन्होंने कहा, ‘‘कौन हमें खाने के लिये माँस देगा?’’ मूसा ने परमेश्वर से प्रार्थना किया। परमेश्वर ने मूसा से कहा, ‘‘इस्त्राएलियों का बुड़बुड़ाना मैंने सुना है, उनसे कह दे कि गोधूलि के समय तुम माँस खाओगे और भोर को तुम रोटी से तृप्त हो जाओगे, और तुम यह जान लोगे कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।’’ तब मूसा ने उनसे कहा, ‘‘यहोवा तुम को माँस खाने को देगा, और तुम खाना। फिर तुम एक दिन, या दो, या पाँच, या दस, या बीस दिन ही नहीं परंतु महिने भर खाते रहोगे, जब तक वह तुम्हारे नथनों से निकलने न लगे और तुमको उससे घृणा न हो जाए।’’ तब परमेश्वर ने एक बड़ी आंधी भेजा और समुद्र की बटेरों को छावनी की ओर उड़ाकर लाया और वे जमीन से दो हाथ उंचाई तक आकर उड़ने लगीं। लोगों ने उन्हें तीन दिन तक बटोरा। यहाँ तक कि उनमें से सबसे कम बटोरने वाले ने दस होमेर (करीब 200 किलो) बटोरा। उन्होंने उन्हें छावनी के आसपास फैलाया और सुखाया। जब माँस उनके मुँह में ही था, और वे उसे खाने न पाए थे कि यहोवा का कोप उन पर भड़क उठा। उनमें से कई लोग लालची थे वे बीमार हो गये। वे वहीं मर गए और दफनाए गए। उसके पश्चात उस स्थान का नाम किब्रोथत्तावा पड़ा जिसका मतलब ‘‘लालचियों की कब्र’’ होता है। परमेश्वर की देखभाल और दया को भुलाकर उन्होंने बुड़बुड़ाया और उसके साथ अविश्वासयोग्य रहे। ऐसे पापों की हमेशा परमेश्वर की ओर से मिलती है।यद्यपि इस्त्राएल की संतानों ने जंगल में 40 वर्ष बिताया, उनके न तो कपड़े फटे और न उनकी, जूतियाँ पुरानी हुई (व्यवस्थाविवरण 29:5)। यह भी इस बात को दर्शाता है कि परमेश्वर ने उनकी देखभाल किया। नए नियम के विश्वासियों को मसीह के साथ नए जीवन की चाल चलना चाहिये। (रोमियों 6:4)। यशायाह 40:30-31 भी पढे़ं। इस्त्राएल की संतानों ने एदोम जाने के लिये लाल समुद्र के मार्ग से यात्रा किया। लोग यात्रा के कारण थक गए और निराश थे। उन्होंने परमेश्वर और मूसा के विरोध में कहा। तब परमेश्वर ने उनके बीच जहरीले साँप भेजा। उनके काटने से कई लोग मर गए। फिर लोग मूसा के पास गये और उसे उनके लिये प्रार्थना करने को कहा। जब मूसा से प्रार्थना किया तो परमेश्वर ने उससे कहा, ‘‘तू एक पीतल का साँप बनाकर उसे खंबे में लटका दे, और जो कोई जिसे साँप ने काटा है, उसकी ओर देखेगा, बच जाएगा।’’ जैसे जंगल में मूसा ने साँप को ऊँचे पर उठाया था, मनुष्य का पुत्र भी उठाया गया, ताकि ‘‘जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो, परंतु अनंत जीवन पाए।’’ (यूहन्ना 3:16)। हमारा प्रभु न केवल हमारा उद्धारकर्ता है परंतु हमारा सामर्थी बचाने वाला भी है। यहूदा 24।

बाइबल अध्यन

निर्गमन अध्याय 13 21 और यहोवा उन्हें दिन को मार्ग दिखाने के लिये मेघ के खम्भे में, और रात को उजियाला देने के लिये आग के खम्भे में हो कर उनके आगे आगे चला करता था, जिससे वे रात और दिन दोनों में चल सकें। 22 उसने न तो बादल के खम्भे को दिन में और न आग के खम्भे को रात में लोगों के आगे से हटाया॥

निर्गमन अध्याय 14 19 तब परमेश्वर का दूत जो इस्राएली सेना के आगे आगे चला करता था जा कर उनके पीछे हो गया; और बादल का खम्भा उनके आगे से हटकर उनके पीछे जा ठहरा। 20 इस प्रकार वह मिस्रियों की सेना और इस्राएलियों की सेना के बीच में आ गया; और बादल और अन्धकार तो हुआ, तौभी उससे रात को उन्हें प्रकाश मिलता रहा; और वे रात भर एक दूसरे के पास न आए।

गिनती अध्याय 9 15 जिस दिन निवास जो साक्षी का तम्बू भी कहलाता है खड़ा किया गया, उस दिन बादल उस पर छा गया; और सन्ध्या को वह निवास पर आग सा दिखाई दिया और भोर तक दिखाई देता रहा। 16 और नित्य ऐसा ही हुआ करता था; अर्थात दिन को बादल छाया रहता, और रात को आग दिखाई देती थी। 17 और जब जब वह बादल तम्बू पर से उठ जाता तब इस्त्राएली प्रस्थान करते थे; और जिस स्थान पर बादल ठहर जाता वहीं इस्त्राएली अपने डेरे खड़े करते थे। 18 यहोवा की आज्ञा से इस्त्राएली कूच करते थे, और यहोवा ही की आज्ञा से वे डेरे खड़े भी करते थे; और जितने दिन तक वह बादल निवास पर ठहरा रहता उतने दिन तक वे डेरे डाले पड़े रहते थे। 19 और जब जब बादल बहुत दिन निवास पर छाया रहता तब इस्त्राएली यहोवा की आज्ञा मानते, और प्रस्थान नहीं करते थे। 20 और कभी कभी वह बादल थोड़े ही दिन तक निवास पर रहता, और तब भी वे यहोवा की आज्ञा से डेरे डाले पड़े रहते थे और फिर यहोवा की आज्ञा ही से प्रस्थान करते थे। 21 और कभी कभी बादल केवल सन्ध्या से भोर तक रहता; और जब वह भोर को उठ जाता था तब वे प्रस्थान करते थे, और यदि वह रात दिन बराबर रहता तो जब बादल उठ जाता तब ही वे प्रस्थान करते थे। 22 वह बादल चाहे दो दिन, चाहे एक महीना, चाहे वर्ष भर, जब तक निवास पर ठहरा रहता तब तक इस्त्राएली अपने डेरों में रहते और प्रस्थान नहीं करते थे; परन्तु जब वह उठ जाता तब वे प्रस्थान करते थे। 23 यहोवा की आज्ञा से वे अपने डेरें खड़े करते, और यहोवा ही की आज्ञा से वे प्रस्थान करते थे; जो आज्ञा यहोवा मूसा के द्वारा देता था उसको वे माना करते थे॥

भजन संहिता अध्याय 119 105 तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है।

व्यवस्थाविवरण अध्याय 29 5 मैं तो तुम को जंगल में चालीस वर्ष लिए फिरा; और न तुम्हारे तन पर वस्त्र पुराने हुए, और न तेरी जूतियां तेरे पैरों में पुरानी हुई;

रोमियो अध्याय 6 4 सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें।

यशायाह अध्याय 40 30 तरूण तो थकते और श्रमित हो जाते हैं, और जवान ठोकर खाकर गिरते हैं; 31 परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे॥

यूहन्ना अध्याय 3 16 क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।

प्रश्न-उत्तर

प्र 1. परमेश्वर ने इस्राएल को जंगल में से किस तरह से अगुवाई किया ,बताएं ?
प्र 2. परमेश्वर नए नियम के लोगों को किस तरह अगुवाई करता है ?
प्र 3. परमेश्वर ने लालची लोगों को किस तरह नाश किया ?
प्र 4. परमेश्वर ने जंगल कई यात्रा में इस्राएल की संतानों कई किस तरह देखभाल किया ?
प्र 5. परमेश्वर ने इस्राएलियों के मध्य जहरीले सांप क्यों भेजा ? पीड़ितों को क्या करने को कहा गया था ?

संगीत

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बे खबर, बे खबर, बे खबर
तेरी मंजिल है मंजिल किधर? तुझको यीशु पुकारे उधर, उसकी राहों में करले सफ़र।