पाठ 13 : मिलापवाला तम्बू
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सारांश
जब मूसा सीनै पर्वत पर था, परमेश्वर ने उससे कहा, उनसे कह कि वे मेरे लिये एक निवास स्थान बनाएँ, ताकि मैं उनके बीच आकर रहूँ।’’ उसने मिलापवाले तंबू को बनाने के लिये विस्तृत निर्देश भी दिया। यह तम्बू उठाकर ले जानेवाला था जब इस्त्राएली जंगल से होकर यात्रा करते थे। यह उस समय तक बना रहा जब सुलैमान ने परमेश्वर का मंदिर बनाया। मिलापवाले तंबू को लोगों के स्वेच्छा दान द्वारा बनाया गया। इस काम के लिये किसी भी ऐसे व्यक्ति से दान नहीं लिया गया जो परमेश्वर की संतान नहीं था। जब उन्हें जरूरत से ज्यादा दान मिल गया तो मूसा ने उन्हें और दान न लाने को कहा। मूसा ने परमेश्वर की योजना के अनुसार मिलापवाला तंबू बनाया। परमेश्वर ने भी बसलेल और ओहोली आब को भी पवित्रस्थान में कार्य करने के लिये बुद्धि और समझ दिया।मिलापवाले तंबू के भीतर वाचा का संदूक और दया का सिंहासन अति पवित्र स्थान में था। अगला स्थान पवित्र स्थान था और फिर बाहरी आंगन।आंगन 100 हाथ लंबा और 50 हाथ चैड़ा था और उसमें चारों ओर 56 खंबे थे। (चित्र को देखे)। प्रत्येक खाबें में एक पीतल की कुर्सी, घुंडियाँ और चांदी को जोड़ने की छड़ें थी चांदी की छड़ें परदे लटकाने के लिये थी। आंगन के चारों और चांदी की छड़ें और झालर थीं। भजन 84:10 में भजनकार कहता है, ‘‘क्योंकि तेरे आंगनों में का एक दिन और कहीं के हजार दिन से उत्तम है।’’ भजन 65:4 में हम पढ़ते हैं, ‘‘क्या ही धन्य है वह; जिसको तू चुनकर अपने समीप आने देता है, कि वह तेरे आंगनों में वास करे।’’ दरवाजे पर एक पर्दा था जो नीले, बैंजनी और लाल रंग के सूक्ष्म बटी हुई सनी के कपड़े से बना था। पर्दा चार खंबों से बंधा था। तंबू में प्रवेश का एक ही द्वार था।द्वार पूर्व की ओर था। धनी, गरीब, बूढ़े या जवान तंबू में इसी द्वार से प्रवेश कर सकते थे। यह एक विशाल द्वार था, 20 हाथ चैड़ा, और 5 हाथ ऊँचा। यूहन्ना 10:9में हम पढ़ते हैं, ‘‘द्वार मैं हूँ, यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे, तो उद्धार पाएगा। हजारों हजारों लोगों ने मसीह के द्वारा प्रवेश किया है और बचाए गये हैं । इस द्वार से हम मृत्यु से जीवन में प्रवेश करते हैं, अंधियारे से ज्योति में आते हैं और शैतान के राज्य से परमेश्वर की आशीषों में प्रवेश करते हैं।आंगन में वेदी बलिदान चढ़ाने का स्थान था। हमारा प्रभु वेदी और बलिदान था। यह वही स्थान है जहाँ परमेश्वर पापी से मिलता है। परमेश्वर की उपस्थिति में आने के लिये वेदी के अलावा कोई और मार्ग नहीं है। वेदी 5 हाथ लंबी, 5 हाथ चैड़ी और 3 हाथ ऊँची थी।उसके चार सिंग थे जो पीतल और पीतल के रिंग से ढँके थे। बलि का पशु इन्हीं सीगों से बांध दिया जाता था। इसके अलावा जो कोई हत्या का दोषी होता था वह दया के लिये सींगों को पकड़ता था। (1 राजा 1:50)। बलि की राख को पीतल की जाली के नीचे बर्तन में इकट्ठा किया जाता था। ‘‘इसी कारण, यीशु ने भी लोगों को अपने ही लहू के द्वारा पवित्र करने के लिये फाटक के बाहर दुख उठाया।’’ (इब्रानियों 13:12)। यीशु मसीह मरा, गाड़ा गया और वह तीसरे दिन फिर जी उठा। हमारे छुटकारे के लिये जो कुछ जरूरी था, वह किया गया था। दाऊद राजा केदार से बने आलीशान महल की अपेक्षा तंबू के आंगन को ज्यादा पसंद करता था।आंगन में दूसरी चीज पीतल की हौदी थी। हौदी और उसका पाया जो पीतल से बनाए गये थे, महिलाओं व पीतल के दर्पणों6 से बनाए गये थे। इसे पवित्रस्थान और वेदी के बीच रखा गया था। याजक अपने हाथों और पैरों को तंबू में घुसने से पहले हौदी के पानी से ही धोते थे।हौदी जो परमेश्वर के वचन का चित्रण है, एक दर्पण के समान है जो इस संसार में हमारे दैनिक जीवन द्वारा निर्मित अपवित्रता को दिखाता है। यह याजकों के पैरों और हाथों को धोने के लिये पानी से भरा रहता था। उस पवित्र बलिदान के द्वारा जो हमेशा के लिये एक ही बार चढ़ाया गया था, हम अपने पापों से शुद्ध किए गए। (1 यूहन्ना 1:7)। फिर भी जब 6. पॉलिश किये हुए पीतल से बना दर्पण हम इस दुष्ट संसार में रहते हैं, हमारे लिये यह जरूरी है कि हम स्वयँ को पानी से धोएँ अर्थात, परमेश्वर के वचन से। यदि हम परमेश्वर के वचन से स्वयँ को शुद्ध न करें तो प्रभु के साथ हमारा कोई संबंध नहीं। आइये हम दाऊद के समान प्रार्थना करें, ‘‘हे ईश्वर, मुझे जांचकर जान ले! मुझे परखकर मेरी चिन्ताओं को जान ले! और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, और अनन्त के मार्ग में मेरी अगुवाई कर!’’
बाइबल अध्यन
निर्गमन अध्याय 27 1 फिर वेदी को बबूल की लकड़ी की, पांच हाथ लम्बी और पांच हाथ चौड़ी बनवाना; वेदी चौकोर हो, और उसकी ऊंचाई तीन हाथ की हो। 2 और उसके चारों कोनों पर चार सींग बनवाना; वे उस समेत एक ही टुकड़े के हों, और उसे पीतल से मढ़वाना। 3 और उसकी राख उठाने के पात्र, और फावडिय़ां, और कटोरे, और कांटे, और अंगीठियां बनवाना; उसका कुल सामान पीतल का बनवाना। 4 और उसके पीतल की जाली एक झंझरी बनवाना; और उसके चारों सिरों में पीतल के चार कड़े लगवाना। 5 और उस झंझरी को वेदी के चारों ओर की कंगनी के नीचे ऐसे लगवाना, कि वह वेदी की ऊंचाई के मध्य तक पहुंचे। 6 और वेदी के लिये बबूल की लकड़ी के डण्डे बनवाना, और उन्हें पीतल से मढ़वाना। 7 और डंडे कड़ों में डाले जाएं, कि जब जब वेदी उठाई जाए तब वे उसकी दोनों अलंगों पर रहें। 8 वेदी को तख्तों से खोखली बनवाना; जैसी वह इस पर्वत पर तुझे दिखाई गई है वैसी ही बनाईं जाए॥ 9 फिर निवास के आंगन को बनवाना। उसकी दक्खिन अलंग के लिये तो बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े के सब पर्दों को मिलाए कि उसकी लम्बाई सौ हाथ की हो; एक अलंग पर तो इतना ही हो। 10 और उनके बीस खम्भे बनें, और इनके लिये पीतल की बीस कुसिर्यां बनें, और खम्भों के कुन्डे और उनकी पट्टियां चांदी की हों। 11 और उसी भांति आंगन की उत्तर अलंग की लम्बाई में भी सौ हाथ लम्बे पर्दे हों, और उनके भी बीस खम्भे और इनके लिये भी पीतल के बीस खाने हों; और उन खम्भों के कुन्डे और पट्टियां चांदी की हों। 12 फिर आंगन की चौड़ाई में पच्छिम की ओर पचास हाथ के पर्दे हों, उनके खम्भे दस और खाने भी दस हों। 13 और पूरब अलंग पर आंगन की चौड़ाई पचास हाथ की हो। 14 और आंगन के द्वार की एक ओर पन्द्रह हाथ के पर्दे हों, और उनके खम्भे तीन और खाने तीन हों। 15 और दूसरी ओर भी पन्द्रह हाथ के पर्दे हों, उनके भी खम्भे तीन और खाने तीन हों। 16 और आंगन के द्वार के लिये एक पर्दा बनवाना, जो नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े और बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े का कामदार बना हुआ बीस हाथ का हो, उसके खम्भे चार और खाने भी चार हों। 17 आंगन की चारों ओर के सब खम्भे चांदी की पट्टियों से जुड़े हुए हों, उनके कुन्डे चांदी के और खाने पीतल के हों। 18 आंगन की लम्बाई सौ हाथ की, और उसकी चौड़ाई बराबर पचास हाथ की और उसकी कनात की ऊंचाई पांच हाथ की हो, उसकी कनात बटी हुई सुक्ष्म सनी के कपड़े की बने, और खम्भों के खाने पीतल के हों। 19 निवास के भांति भांति के बर्तन और सब सामान और उसके सब खूंटें और आंगन के भी सब खूंटे पीतल ही के हों॥
भजन संहिता अध्याय 84 10 क्योंकि तेरे आंगनों में का एक दिन और कहीं के हजार दिन से उत्तम है। दुष्टों के डेरों में वास करने से अपने परमेश्वर के भवन की डेवढ़ी पर खड़ा रहना ही मुझे अधिक भावता है।
भजन संहिता अध्याय 65 4 क्या ही धन्य है वह; जिस को तू चुनकर अपने समीप आने देता है, कि वह तेरे आंगनों में बास करे! हम तेरे भवन के, अर्थात तेरे पवित्र मन्दिर के उत्तम उत्तम पदार्थों से तृप्त होंगे॥
यूहन्ना अध्याय 10 9 द्वार मैं हूं: यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे तो उद्धार पाएगा और भीतर बाहर आया जाया करेगा और चारा पाएगा।
1 राजा अध्याय 1 50 और अदोनिय्याह सुलैमान से डर कर अठा, और जा कर वेदी के सींगों को पकड़ लिया।
इब्रानियों अध्याय 13 12 इसी कारण, यीशु ने भी लोगों को अपने ही लोहू के द्वारा पवित्र करने के लिये फाटक के बाहर दुख उठाया।
1 यूहन्ना अध्याय 1 7 पर यदि जैसा वह ज्योति में है, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं; और उसके पुत्र यीशु का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है।
प्रश्न-उत्तर
प्र 1. तंबू के बनाने के लिए आवश्यक वस्तुएँ किस तरह जुटाई गई ?
उप्र 2. तंबू के बनाने में किसने सहायता किया ?
उप्र 3. आंगन की लंबाई और चौड़ाई कितनी थी ?
उप्र 4.द्वार किस ओर था ?उसने नाप क्या थे ?
उप्र 5. बलिदान की वेदी से हम क्या सीख सकते हैं ?
उप्र 6. हौदी किस चीज से बनी थी ?
उप्र 7. हौदी की क्या विशेषता थी ?
उ
संगीत
मुझमें यीशु की शोभा दिखाई दे, उसका अद्भुत प्यार और वह निर्मलता, हे तू, आत्मा पवित्र! कर शुद्ध मेरा चरित्र, मुझमें यीशु की शोभा दिखाई दे।