पाठ 12 : व्यवस्था का दिया जाना
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सारांश
इस्त्राएली लोग रपीदीम से यात्रा करके सीनै पर पहुँचे। वहाँ उन्होंने पर्वत के सामने डेरा किया।फिर मूसा उपर प्रभु के पास गया और परमेश्वर ने पर्वत में होकर उससे बात किया। परमेश्वर ने मूसा से कहा कि वह लोगों से कहे, ‘‘तुमने देखा है कि मैंने मिस्त्रियों से क्या-क्या किया,तुमको मानो उकाब पक्षी के पंखों पर चढ़ाकर अपने पास ले आया हूँ। इसलिये अब यदि तुम निश्चय मेरी मानोगो, और मेरी वाचा का पालन करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरा निज धन ठहरोगे, समस्त पृथ्वी तो मेरी है। और तुम मेरी दृष्टि में याजकों का राज्य और पवित्र जाति ठहरोगे।’’ जब मूसा ने ये बातें लोगों को बताया तो उन्होंने एक साथ मिलकर कहा, ‘‘जो कुछ यहोवा ने कहा है वह सब हम नित करेंगे।’’ तब परमेश्वर ने लोगों को 3 दिन में पवित्र होने और तैयार होने की आज्ञा दिया। तीसरे दिन परमेश्वर आग में होकर सीनै पर्वत पर उतरा। उस समय बादल गरजने और बिजली चमकने लगी, और नरसिंगे का शब्द हुआ। सीनै पर्वत काले बादल से ढँक गया। फिर परमेश्वर ने उसे दस आज्ञाएँ दिया।परमेश्वर ने कहा, ‘‘मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूँ जो तुझे दासत्व के घर अर्थात मिस्त्र देश से निकाल लाया है। तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर करके न मानना। तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना। तू उनको दंडवत न करना और न उनकी उपासना करना। तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना। तू विश्राम दिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना।तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना। तू हत्या न करना। तू व्यभिचार न करना। तू चोरी न करना। तू किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी न देना। तू किसी भी चीज की लालच न करना जो तेरे पड़ोसी का हो।’’ (तालिका ‘‘दस आज्ञाएँ’’ को देखें)। इनके अलावा परमेश्वर ने और भी कई आज्ञाएँ दिया। परमेश्वर ने मूसा को पत्थर की पटियों पर परमेश्वर के उंगलियों द्वारा लिखी गवाहियों की दो पटियाएँ दिया। मूसा पर्वत पर चालीस दिन और चालीस रात रहा।हमारे प्रभु यीशु ने दस आज्ञाओं को दो भागों में विभाजित किया, एक भाग जो परमेश्वर के प्रेम को दिखाता है और दूसरा एक दूसरे के साथ प्रेम को दिखाता है (मत्ती 22:37-40)। दस आज्ञाओं में से सब्त के अलावा सभी आज्ञाएँ नये नियम में दोहराई गई हैं। प्रभु ने स्वयँ कहा, ‘‘मूसा ने व्यवस्था में यह कहा,’’ परंतु उसने उन कथनों के आगे यह जोड़ दिया ‘‘परंतु मैं तुमसे कहता हूँ’’ जो इन सिद्धांतों को गहरा अर्थ प्रदान करता है। हम ‘‘व्यवस्थारहित’’नहीं है, परंतु हम ‘‘स्वतंत्रता के राजव्यवस्था के अधीन हैं’’ (याकूब 2:8)। आज हम आज्ञाओं का पालन जीवन शैली के रूप में नहीं करते, जैसे पुराने नियम के इस्त्राएली करते थे। हम उन्हें इसलिये मानते हैं क्योंकि हम हमारे स्वामी की आज्ञा का पालन करते हैं। आज हमारी आज्ञा पालन स्वेच्छा से है। दस आज्ञाएं:
- मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूँ, तू मुझे छोड़ किसी और को ईश्वर करके न मानना।
- तू अपने लिये कोई मूर्ति न बनाना। तू उनको दंडवत न करना और न उनकी उपासना करना।
- तू अपने प्रभु परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना।
- तू विश्राम दिन (सब्त) को मानने के लिये स्मरण रखना।
- अपने पिता और माता का आदर करना।
- तू हत्या न करना।
- तू व्यभिचार न करना।
- तू चोरी न करना।
- तू किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी न देना।
- तू लालच न करना। जिस दिन व्यवस्था दी गई उस दिन से इस्त्राएलियों के लिये एक नए युग की शुरूवात हुई जिसे व्यवस्था का दिया जाना कहते हैं।जब लोगों ने देखा कि मूसा को पर्वत से आने में देर हो रही है तो वे हारून के पास गये और उससे कहा, ‘‘अब हमारे लिये देवता बना जो हमारे आगे-आगे चले, क्योंकि उस पुरुष मूसा को जो हमें मिस्त्र देश से निकाल ले आया है हम नहीं जानते कि क्या हुआ।’’ तब उन्होंने अपनी सोने की बालियाँ निकाला और उन्हें हारून के पास ले आए। उसने अपने टांकी से गढ़कर सोने का बछड़ा बनाया। फिर उसने उसके सामने एक वेदी बनाया और घोषणा किया, ‘‘कल यहोवा के लिये पर्व होगा।’’ ‘‘लोगों ने बैठकर खाया-पिया और उठकर खेलने लगे।’’ फिर मूसा गवाहियों की दो पटियों को लेकर पर्वत से नीचे उतरा।जब मूसा ने बछड़े को देखा और लोगों को नाचते देखा तो वह क्रोधित हुआ और उसने उन पटियों को नीचे फेंककर तोड़ डाला। फिर उसने बछड़े को आग में जला डाला, उसका चूरा बनाया और उसे पानी में मिलाकर इस्त्राएल की संतानों को पीने लगाया। जब मूसा ने देखा कि लोग उनके शत्रुओं के सामने उपहास का कारण बन गए हैं तब उसने पूछा, ‘‘जो कोई यहोवा की ओर का है वह मेरे पास आए।’’ तब सारे लेवी इकट्ठे होकर उसके पास आए। तब उन्होंने अपनी तलवारें लिया और छावनी में घूम-घूम कर लोगों को मार डाला। उस दिन 3000 लोग मारे गये थे।मिस्त्री लोग बछड़े की आराधना करते थे।वे लोग जो बचाए जाने के बाद भी पाप की ओर फिरते हैं, वे उस सुअर के समान होते हैं, जो कीचड़ पसंद करता है। (2 पतरस 2:22)। जब व्यवस्था दी गई, तब तीन हजार लोग मारे गये थे। उस दिन जब संसार में पेन्तिकुस्त के दिन पवित्र आत्मा उतरा था, तीन हजार लोग बचाए गए थे और उन्हें कलीसिया में सम्मिलित किया गया था (प्रेरितों के काम 2:41)।
बाइबल अध्यन
निर्गमन अध्याय 19 1 इस्त्राएलियों को मिस्र देश से निकले हुए जिस दिन तीन महीने बीत चुके, उसी दिन वे सीनै के जंगल में आए। 2 और जब वे रपीदीम से कूच करके सीनै के जंगल में आए, तब उन्होंने जंगल में डेरे खड़े किए; और वहीं पर्वत के आगे इस्त्राएलियों ने छावनी डाली। 3 तब मूसा पर्वत पर परमेश्वर के पास चढ़ गया, और यहोवा ने पर्वत पर से उसको पुकार कर कहा, याकूब के घराने से ऐसा कह, और इस्त्राएलियों को मेरा यह वचन सुना, 4 कि तुम ने देखा है कि मैं ने मिस्रियोंसे क्या क्या किया; तुम को मानो उकाब पक्षी के पंखों पर चढ़ाकर अपने पास ले आया हूं। 5 इसलिये अब यदि तुम निश्चय मेरी मानोगे, और मेरी वाचा का पालन करोगे, तो सब लोगों में से तुम ही मेरा निज धन ठहरोगे; समस्त पृथ्वी तो मेरी है। 6 और तुम मेरी दृष्टि में याजकों का राज्य और पवित्र जाति ठहरोगे। जो बातें तुझे इस्त्राएलियों से कहनी हैं वे ये ही हैं। 7 तब मूसा ने आकर लोगों के पुरनियों को बुलवाया, और ये सब बातें, जिनके कहने की आज्ञा यहोवा ने उसे दी थी, उन को समझा दीं। 8 और सब लोग मिलकर बोल उठे, जो कुछ यहोवा ने कहा है वह सब हम नित करेंगे। लोगों की यह बातें मूसा ने यहोवा को सुनाईं। 9 तब यहोवा ने मूसा से कहा, सुन, मैं बादल के अंधियारे में हो कर तेरे पास आता हूं, इसलिये कि जब मैं तुझ से बातें करूं तब वे लोग सुनें, और सदा तेरी प्रतीति करें। और मूसा ने यहोवा से लोगों की बातों का वर्णन किया। 10 तब यहोवा ने मूसा से कहा, लोगों के पास जा और उन्हें आज और कल पवित्र करना, और वे अपने वस्त्र धो लें, 11 और वे तीसरे दिन तक तैयार हो रहें; क्योंकि तीसरे दिन यहोवा सब लोगों के देखते सीनै पर्वत पर उतर आएगा। 12 और तू लोगों के लिये चारों ओर बाड़ा बान्ध देना, और उन से कहना, कि तुम सचेत रहो कि पर्वत पर न चढ़ो और उसके सिवाने को भी न छूओ; और जो कोई पहाड़ को छूए वह निश्चय मार डाला जाए। 13 उसको कोई हाथ से तो न छूए, परन्तु वह निश्चय पत्थरवाह किया जाए, वा तीर से छेदा जाए; चाहे पशु हो चाहे मनुष्य, वह जीवित न बचे। जब महाशब्द वाले नरसिंगे का शब्द देर तक सुनाई दे, तब लोग पर्वत के पास आएं। 14 तब मूसा ने पर्वत पर से उतर कर लोगों के पास आकर उन को पवित्र कराया; और उन्होंने अपने वस्त्र धो लिए। 15 और उसने लोगों से कहा, तीसरे दिन तक तैयार हो रहो; स्त्री के पास न जाना। 16 जब तीसरा दिन आया तब भोर होते बादल गरजने और बिजली चमकने लगी, और पर्वत पर काली घटा छा गई, फिर नरसिंगे का शब्द बड़ा भरी हुआ, और छावनी में जितने लोग थे सब कांप उठे। 17 तब मूसा लोगों को परमेश्वर से भेंट करने के लिये छावनी से निकाल ले गया; और वे पर्वत के नीचे खड़े हुए। 18 और यहोवा जो आग में हो कर सीनै पर्वत पर उतरा था, इस कारण समस्त पर्वत धुएं से भर गया; और उसका धुआं भट्टे का सा उठ रहा था, और समस्त पर्वत बहुत कांप रहा था 19 फिर जब नरसिंगे का शब्द बढ़ता और बहुत भारी होता गया, तब मूसा बोला, और परमेश्वर ने वाणी सुनाकर उसको उत्तर दिया। 20 और यहोवा सीनै पर्वत की चोटी पर उतरा; और मूसा को पर्वत की चोटी पर बुलाया और मूसा ऊपर चढ़ गया। 21 तब यहोवा ने मूसा से कहा, नीचे उतर के लोगों को चितावनी दे, कहीं ऐसा न हो कि वे बाड़ा तोड़ के यहोवा के पास देखने को घुसें, और उन में से बहुत नाश हो जाएं। 22 और याजक जो यहोवा के समीप आया करते हैं वे भी अपने को पवित्र करें, कहीं ऐसा न हो कि यहोवा उन पर टूट पड़े। 23 मूसा ने यहोवा से कहा, वे लोग सीनै पर्वत पर नहीं चढ़ सकते; तू ने तो आप हम को यह कहकर चिताया, कि पर्वत के चारों और बाड़ा बान्धकर उसे पवित्र रखो। 24 यहोवा ने उससे कहा, उतर तो जा, और हारून समेत ऊपर आ; परन्तु याजक और साधारण लोग कहीं यहोवा के पास बाड़ा तोड़ के न चढ़ आएं, कहीं ऐसा न हो कि वह उन पर टूट पड़े। 25 थे ही बातें मूसा ने लोगों के पास उतर के उन को सुनाईं॥
निर्गमन अध्याय 20 1 तब परमेश्वर ने ये सब वचन कहे, 2 कि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूं, जो तुझे दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश से निकाल लाया है॥ 3 तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर करके न मानना॥ 4 तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, न किसी कि प्रतिमा बनाना, जो आकाश में, वा पृथ्वी पर, वा पृथ्वी के जल में है। 5 तू उन को दण्डवत न करना, और न उनकी उपासना करना; क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला ईश्वर हूं, और जो मुझ से बैर रखते है, उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को भी पितरों का दण्ड दिया करता हूं, 6 और जो मुझ से प्रेम रखते और मेरी आज्ञाओं को मानते हैं, उन हजारों पर करूणा किया करता हूं॥ 7 तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना; क्योंकि जो यहोवा का नाम व्यर्थ ले वह उसको निर्दोष न ठहराएगा॥ 8 तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना। 9 छ: दिन तो तू परिश्रम करके अपना सब काम काज करना; 10 परन्तु सातवां दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये विश्रामदिन है। उस में न तो तू किसी भांति का काम काज करना, और न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी, न तेरे पशु, न कोई परदेशी जो तेरे फाटकों के भीतर हो। 11 क्योंकि छ: दिन में यहोवा ने आकाश, और पृथ्वी, और समुद्र, और जो कुछ उन में है, सब को बनाया, और सातवें दिन विश्राम किया; इस कारण यहोवा ने विश्रामदिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया॥ 12 तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जिस से जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में तू बहुत दिन तक रहने पाए॥ 13 तू खून न करना॥ 14 तू व्यभिचार न करना॥ 15 तू चोरी न करना॥ 16 तू किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी न देना॥ 17 तू किसी के घर का लालच न करना; न तो किसी की स्त्री का लालच करना, और न किसी के दास-दासी, वा बैल गदहे का, न किसी की किसी वस्तु का लालच करना॥ 18 और सब लोग गरजने और बिजली और नरसिंगे के शब्द सुनते, और धुआं उठते हुए पर्वत को देखते रहे, और देख के, कांपकर दूर खड़े हो गए; 19 और वे मूसा से कहने लगे, तू ही हम से बातें कर, तब तो हम सुन सकेंगे; परन्तु परमेश्वर हम से बातें न करे, ऐसा न हो कि हम मर जाएं। 20 मूसा ने लोगों से कहा, डरो मत; क्योंकि परमेश्वर इस निमित्त आया है कि तुम्हारी परीक्षा करे, और उसका भय तुम्हारे मन में बना रहे, कि तुम पाप न करो। 21 और वे लोग तो दूर ही खड़े रहे, परन्तु मूसा उस घोर अन्धकार के समीप गया जहां परमेश्वर था॥ 22 तब यहोवा ने मूसा से कहा, तू इस्त्राएलियों को मेरे ये वचन सुना, कि तुम लोगों ने तो आप ही देखा है कि मैं ने तुम्हारे साथ आकाश से बातें की हैं। 23 तुम मेरे साथ किसी को सम्मिलित न करना, अर्थात अपने लिये चान्दी वा सोने से देवताओं को न गढ़ लेना। 24 मेरे लिये मिट्टी की एक वेदी बनाना, और अपनी भेड़-बकरियोंऔर गाय-बैलों के होमबलि और मेलबलि को उस पर चढ़ाना; जहां जहां मैं अपने नाम का स्मरण कराऊं वहां वहां मैं आकर तुम्हें आशीष दूंगा। 25 और यदि तुम मेरे लिये पत्थरों की वेदी बनाओ, तो तराशे हुए पत्थरों से न बनाना; क्योंकि जहां तुम ने उस पर अपना हयियार लगाया वहां तू उसे अशुद्ध कर देगा। 26 और मेरी वेदी पर सीढ़ी से कभी न चढ़ना, कहीं ऐसा न हो कि तेरा तन उस पर नंगा देख पड़े॥
निर्गमन अध्याय 32 1 जब लोगों ने देखा कि मूसा को पर्वत से उतरने में विलम्ब हो रहा है, तब वे हारून के पास इकट्ठे हो कर कहने लगे, अब हमारे लिये देवता बना, जो हमारे आगे आगे चले; क्योंकि उस पुरूष मूसा को जो हमें मिस्र देश से निकाल ले आया है, हम नहीं जानते कि उसे क्या हुआ? 2 हारून ने उन से कहा, तुम्हारी स्त्रियों और बेटे बेटियों के कानों में सोने की जो बालियां है उन्हें तोड़कर उतारो, और मेरे पास ले आओ। 3 तब सब लोगों ने उनके कानों से सोने की बालियों को तोड़कर उतारा, और हारून के पास ले आए। 4 और हारून ने उन्हें उनके हाथ से लिया, और एक बछड़ा ढालकर बनाया, और टांकी से गढ़ा; तब वे कहने लगे, कि हे इस्त्राएल तेरा परमेश्वर जो तुझे मिस्र देश से छुड़ा लाया है वह यही है। 5 यह देखके हारून ने उसके आगे एक वेदी बनवाई; और यह प्रचार किया, कि कल यहोवा के लिये पर्ब्ब होगा। 6 और दूसरे दिन लोगों ने तड़के उठ कर होमबलि चढ़ाए, और मेलबलि ले आए; फिर बैठकर खाया पिया, और उठ कर खेलने लगे॥ 7 तब यहोवा ने मूसा से कहा, नीचे उतर जा, क्योंकि तेरी प्रजा के लोग, जिन्हें तू मिस्र देश से निकाल ले आया है, सो बिगड़ गए हैं; 8 और जिस मार्ग पर चलने की आज्ञा मैं ने उन को दी थी उसको झटपट छोड़कर उन्होंने एक बछड़ा ढालकर बना लिया, फिर उसको दण्डवत किया, और उसके लिये बलिदान भी चढ़ाया, और यह कहा है, कि हे इस्त्राएलियों तुम्हारा परमेश्वर जो तुम्हें मिस्र देश से छुड़ा ले आया है वह यही है। 9 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, मैं ने इन लोगों को देखा, और सुन, वे हठीले हैं। 10 अब मुझे मत रोक, मेरा कोप उन पर भड़क उठा है जिस से मैं उन्हें भस्म करूं; परन्तु तुझ से एक बड़ी जाति उपजाऊंगा। 11 तब मूसा अपने परमेश्वर यहोवा को यह कहके मनाने लगा, कि हे यहोवा, तेरा कोप अपनी प्रजा पर क्यों भड़का है, जिसे तू बड़े सामर्थ्य और बलवन्त हाथ के द्वारा मिस्र देश से निकाल लाया है? 12 मिस्री लोग यह क्यों कहने पाए, कि वह उन को बुरे अभिप्राय से, अर्थात पहाड़ों में घात करके धरती पर से मिटा डालने की मनसा से निकाल ले गया? तू अपने भड़के हुए कोप को शांत कर, और अपनी प्रजा को ऐसी हानि पहुचाने से फिर जा। 13 अपने दास इब्राहीम, इसहाक, और याकूब को स्मरण कर, जिन से तू ने अपनी ही किरिया खाकर यह कहा था, कि मैं तुम्हारे वंश को आकाश के तारों के तुल्य बहुत करूंगा, और यह सारा देश जिसकी मैं ने चर्चा की है तुम्हारे वंश को दूंगा, कि वह उसके अधिकारी सदैव बने रहें। 14 तब यहोवा अपनी प्रजा की हानि करने से जो उस ने कहा था पछताया॥ 15 तब मूसा फिरकर साक्षी की दानों तख्तियों को हाथ में लिये हुए पहाड़ से उतर गया, उन तख्तियों के तो इधर और उधर दोनों अलंगों पर कुछ लिखा हुआ था। 16 और वे तख्तियां परमेश्वर की बनाईं हुई थीं, और उन पर जो खोदकर लिखा हुआ था वह परमेश्वर का लिखा हुआ था॥ 17 जब यहोशू को लोगों के कोलाहल का शब्द सुनाईं पड़ा, तब उसने मूसा से कहा, छावनी से लड़ाई का सा शब्द सुनाईं देता है। 18 उसने कहा, वह जो शब्द है वह न तो जीतने वालों का है, और न हारने वालों का, मुझे तो गाने का शब्द सुन पड़ता है। 19 छावनी के पास आते ही मूसा को वह बछड़ा और नाचना देख पड़ा, तब मूसा का कोप भड़क उठा, और उसने तख्तियों को अपने हाथों से पर्वत के नीचे पटककर तोड़ डाला। 20 तब उसने उनके बनाए हुए बछड़े को ले कर आग में डालके फूंक दिया। और पीसकर चूर चूर कर डाला, और जल के ऊपर फेंक दिया, और इस्त्राएलियों को उसे पिलवा दिया। 21 तब मूसा हारून से कहने लगा, उन लोगों ने तुझ से क्या किया कि तू ने उन को इतने बड़े पाप में फंसाया? 22 हारून ने उत्तर दिया, मेरे प्रभु का कोप न भड़के; तू तो उन लोगों को जानता ही है कि वे बुराई में मन लगाए रहते हैं। 23 और उन्होंने मुझ से कहा, कि हमारे लिये देवता बनवा जो हमारे आगे आगे चले; क्योंकि उस पुरूष मूसा को, जो हमें मिस्र देश से छुड़ा लाया है, हम नहीं जानते कि उसे क्या हुआ? 24 तब मैं ने उन से कहा, जिस जिसके पास सोने के गहनें हों, वे उन को तोड़कर उतार लाएं; और जब उन्होंने मुझ को दिया, मैं ने उन्हें आग में डाल दिया, तब यह बछड़ा निकल पड़ा 25 हारून ने उन लोगों को ऐसा निरंकुश कर दिया था कि वे अपने विरोधियों के बीच उपहास के योग्य हुए, 26 उन को निरंकुश देखकर मूसा ने छावनी के निकास पर खड़े हो कर कहा, जो कोई यहोवा की ओर का हो वह मेरे पास आए; तब सारे लेवीय उस के पास इकट्ठे हुए। 27 उसने उन से कहा, इस्त्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि अपनी अपनी जांघ पर तलवार लटका कर छावनी से एक निकास से दूसरे निकास तक घूम घूमकर अपने अपने भाइयों, संगियों, और पड़ोसियों घात करो। 28 मूसा के इस वचन के अनुसार लेवियों ने किया और उस दिन तीन हजार के अटकल लोग मारे गए। 29 फिर मूसा ने कहा, आज के दिन यहोवा के लिये अपना याजकपद का संस्कार करो, वरन अपने अपने बेटों और भाइयों के भी विरुद्ध हो कर ऐसा करो जिस से वह आज तुम को आशीष दे। 30 दूसरे दिन मूसा ने लोगों से कहा, तुम ने बड़ा ही पाप किया है। अब मैं यहोवा के पास चढ़ जाऊंगा; सम्भव है कि मैं तुम्हारे पाप का प्रायश्चित्त कर सकूं। 31 तब मूसा यहोवा के पास जा कर कहने लगा, कि हाय, हाय, उन लोगों ने सोने का देवता बनवाकर बड़ा ही पाप किया है। 32 तौभी अब तू उनका पाप क्षमा कर नहीं तो अपनी लिखी हुई पुस्तक में से मेरे नाम को काट दे। 33 यहोवा ने मूसा से कहा, जिसने मेरे विरुद्ध पाप किया है उसी का नाम मैं अपनी पुस्तक में से काट दूंगा। 34 अब तो तू जा कर उन लोगों को उस स्थान में ले चल जिसकी चर्चा मैं ने तुझ से की थी; देख मेरा दूत तेरे आगे आगे चलेगा। परन्तु जिस दिन मैं दण्ड देने लगूंगा उस दिन उन को इस पाप का भी दण्ड दूंगा। 35 और यहोवा ने उन लोगों पर विपत्ति डाली, क्योंकि हारून के बनाए हुए बछड़े को उन्हीं ने बनवाया था।
मत्ती अध्याय 22 37 उस ने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। 38 बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। 39 और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। 40 ये ही दो आज्ञाएं सारी व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं का आधार है॥
याकूब अध्याय 2 8 तौभी यदि तुम पवित्र शास्त्र के इस वचन के अनुसार, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख, सचमुच उस राज व्यवस्था को पूरी करते हो, तो अच्छा ही करते हो।
2 पतरस अध्याय 2 22 कि कुत्ता अपनी छांट की ओर और धोई हुई सुअरनी कीचड़ में लोटने के लिये फिर चली जाती है॥
प्रेरितों के काम अध्याय 2 41 सो जिन्हों ने उसका वचन ग्रहण किया उन्होंने बपतिस्मा लिया; और उसी दिन तीन हजार मनुष्यों के लगभग उन में मिल गए।
प्रश्न-उत्तर
प्र 1. रपीदीम में मूसा के द्वारा लोगों को कौनसी आज्ञा दी गई थी ?
उप्र 2. लोगों ने क्या जबाब दिया ?
उप्र 3. परमेश्वर द्वारा कौनसी दस आज्ञाएँ दी गई ?
उप्र 4. व्यवस्था किस समय के लिए दी गई थी ?
उप्र 5. जब मूसा को पर्वत से लौटने में देर हो रही थी , तब इस्राएलियों की छावनी में क्या चल रहा था?
उ
संगीत
है मूसा का फरमान इसमें, है दाऊद का ईमान इसमें, खुदा की मुहब्बत बताती, है पतरस का अरमान इसमें, गुनाहों से माफी की कुन्जी, मसीहा की है ये जुबान ।
यह बाइबल मेरी जिन्दगी है, यह बाइबल खुदा का कलाम, खुदा ने जहाँ को दिया है बड़ा बेशकीमत इनाम, यह बाइबल -3 यह बाइबल खुदा का कलाम ।