पाठ 1 : इस्राएल देश
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सारांश
इतिहास में कई देश आए और गए। लेकिन केवल एक ही देश है जो प्रत्यक्ष पहचान में बना हुआ है। वह इस्त्राएल है जिसका 4000 वर्ष पुराना सांस्कृतिक और आत्मिक उत्तराधिकार है। बाइबल में उन्हें परमेश्वर के अपने चुने हुए लोग और उसके पहिलौठे (निर्गमन 6:7,4:22) बताया गया है। सभी गैर-इस्त्राएलियों को अन्यजातीय कहा गया है। बाइबल के विद्वानों ने इस्त्राएलियों को अक्सर जलती हुई झाड़ी के रूप में चित्रित किया जो वास्तव में जलती नहीं है (निर्गमन 3:2)। इस पाठ में हम राजतंत्र की शुरूवात होने तक उनके आरंभिक इतिहास का अध्ययन करेंगे।परमेश्वर ने अब्राहम को जब वह कसदियों (आज का इराक) के बीच ऊर में था, मूर्तिपूजा से बाहर निकाला। उसने उससे एक देश की प्रतिज्ञा किया जो वह उसे बताने वाला था। परमेश्वर पर पूरी तरह विश्वास करते हुए अब्राहम ने परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया और उसकी पत्नी सारा के साथ यात्रा पर निकल पड़ा। परमेश्वर ने उससे प्रतिज्ञा किया कि वह उसके वंश को आकाश के तारों के समान बढ़ाएगा। प्रतिज्ञा के अनुसार अब्राहम और सारा को इसहाक उत्पन्न हुआ। इसहाक ने रिबका से विवाह किया और उसके दो (जुडवाँ) पुत्र हुए: एसाव और याकूब। जबकि एसाव पराक्रमी और ‘‘मैदान में समय बिताने वाला व्यक्ति था, याकूब एक साधा व्यक्ति था जो तंबुओं में रहता था, (इब्रानियों 11:9)। याकूब परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं पर विश्वास करता था। लेकिन उसके नाम के मुताबिक उसने अपने भाई को धोखा दिया और पहले पहिलौठे का अधिकार और फिर इसहाक से आशीषें ले लिया।बेशक एसाव याकूब पर नाराज हुआ और उसकी माँ की सलाह के अनुसार याकूब पद्दनराम को भाग गया जहाँ उसका मामा लाबान रहता था। वहाँ उसने उसकी दो बेटियों से विवाह कर लिया और बीस वर्ष वहीं रहा। उसकी दो पत्नियों और दो दासियों से उसके ग्यारह पुत्र1 और एक पुत्री हुए। अब समय आ गया था कि वह और उसका परिवार पद्दनराम छोड़कर कनान लौट जाएँ जहाँ एसाव रहता था। वह यब्बोक के झरने के पास आया। बीस वर्ष पूर्व याकूब ने यब्बोक झरना केवल एक कर्मचारी के साथ पार किया था, परंतु अब वह एक बड़े परिवार का मुखिया है। जब उसने सुना कि उसका भाई एसाव 400 लोगों के लिये उससे मिलने आ रहा है तो वह बहुत डर गया और परमेश्वर से कहा कि वह उसे उसके भाई के हाथों से बचा ले। फिर उसने उसके लोगों को टुकड़ियों में बाँटकर नदी की दूसरी ओर भेजा, परंतु याकूब पनीएल में ही रूक गया। वहाँ एक पुरुष उससे पौ फटने तक लड़ता रहा, और जब उस व्यक्ति ने देखा कि वह याकूब पर हावी नहीं हो सकता तो उसने उसकी जांघ की नस को छुआ और उसकी जांघ के जोड़ से हटा दिया। फिर उसने कहा, मुझे जाने दे क्योंकि भोर होने वाला है, परंतु याकूब ने कहा, ‘‘जब तक तू मुझे आशीर्वाद न दे तब तक मैं तुझे जाने न दूँगा।’’ तब परमेश्वर ने कहा, ‘‘तेरा नाम अब याकूब नहीं परंतु इस्त्राएल होगा, क्योंकि तू परमेश्वर और मनुष्यों से भी युद्ध करके प्रबल हुआ है।’’ और उसने उसे वहीं आशीष दिया।याकूब ने छल से उसके भाई के पहिलौठे का अधिकार, उसके अपने पिता से आशीषें, और उसके ससुर लाबान से संपत्ति हासिल किया था। फिर भी उसने परमेश्वर से मल्लयुद्ध करने के द्वारा उससे आशीष प्राप्त किया और कनान में फिर से प्रवेश करने के पहले वह एक नया व्यक्ति बन गया था। ‘‘इस्त्राएल’’ का अर्थ है ‘‘परमेश्वर का राजकुमार’’। बाद में उसके बारह गोत्र जो उसके वंशज थे, इस्त्राएल नाम से जाने गए। याकूब के पुत्र बारह गोत्रों के प्रधान बने। याकूब राहेल के पुत्र यूसुफ से अन्य बच्चों से ज्यादा प्रेम करता था। इस बात ने भाइयों को इष्र्यालू बना दिया था। इसका परिणाम यूसुफ को मिस्त्रियों के हाथों गुलाम होने के लिये बेचा जाना हुआ। लेकिन परमेश्वर उसके साथ था और उसने परिस्थितियों को नियंत्रित किया जिसने उसे मिस्त्र का प्रधानमंत्री बना दिया। देश में बड़ा अकाल पड़ने के कारण कुल प्रधानों को उनके पिता के साथ मिस्त्र में आकर बसना पड़ा। वहाँ यूसुफ ने उन्हें पूरी सुरक्षा प्रदान किया। 430 वर्ष बीत गये और इस्त्राएल की संख्या बढ़कर बहुत बड़ी हो गई। उस समय 1 सबसे छोटा पुत्र बिन्यामिन का जन्म बाद में हुआ। उत्पत्ति 35:16-18। तक वे नई राजव्यवस्था के शासन में गुलाम थे। लेकिन परमेश्वर ने उन्हें मूसा की अगुवाई में मिस्त्र से छुड़ाया। वे 40 वर्ष तक जंगल में भटकते रहे। मूसा की मृत्यु के बाद यहोशू अगुवा बना। उन्होंने यरदन पार किया और उस देश के लोगों पर कब्जा किया। यहोशू ने उस देश को इस्त्राएल के बारह गोत्रों में विभाजित कर दिया। इस प्रकार इस्त्राएल एक राष्ट्र बन गया।आने वाले समय में दो न्यायियों ने शासन किया2 जिन्हें परमेश्वर ने समय≤ पर तैयार किया था। न्यायियों द्वारा सैकड़ों वर्ष के शासन के बाद इस्त्राएल अपने लिये एक राजा की मांग करने के लिये तैयार हुआ। परमेश्वर ने उन्हें कीश का पुत्र शाऊल को उन्हें राजा के रूप में दिया।
बाइबल अध्यन
उत्पत्ति अध्याय 15:5 और उसने उसको बाहर ले जाके कहा, आकाश की ओर दृष्टि करके तारागण को गिन, क्या तू उन को गिन सकता है? फिर उसने उससे कहा, तेरा वंश ऐसा ही होगा।
उत्पत्ति अध्याय 15:18 उसी दिन यहोवा ने अब्राम के साथ यह वाचा बान्धी, कि मिस्र के महानद से ले कर परात नाम बड़े नद तक जितना देश है,
उत्पत्ति अध्याय 32 24 और याकूब आप अकेला रह गया; तब कोई पुरूष आकर पह फटने तक उससे मल्लयुद्ध करता रहा। 25 जब उसने देखा, कि मैं याकूब पर प्रबल नहीं होता, तब उसकी जांघ की नस को छूआ; सो याकूब की जांघ की नस उससे मल्लयुद्ध करते ही करते चढ़ गई। 26 तब उसने कहा, मुझे जाने दे, क्योंकि भोर हुआ चाहता है; याकूब ने कहा जब तक तू मुझे आशीर्वाद न दे, तब तक मैं तुझे जाने न दूंगा। 27 और उसने याकूब से पूछा, तेरा नाम क्या है? उसने कहा याकूब। 28 उसने कहा तेरा नाम अब याकूब नहीं, परन्तु इस्राएल होगा, क्योंकि तू परमेश्वर से और मनुष्यों से भी युद्ध कर के प्रबल हुआ है। 29 याकूब ने कहा, मैं बिनती करता हूं, मुझे अपना नाम बता। उसने कहा, तू मेरा नाम क्यों पूछता है? तब उसने उसको वहीं आशीर्वाद दिया। 30 तब याकूब ने यह कह कर उस स्थान का नाम पनीएल रखा: कि परमेश्वर को आम्हने साम्हने देखने पर भी मेरा प्राण बच गया है। 31 पनूएल के पास से चलते चलते सूर्य उदय हो गया, और वह जांघ से लंगड़ाता था।
प्रश्न-उत्तर
प्र 1 . 'इस्राएल ' शब्द का क्या अर्थ है ?
उ .प्र 2 .याकूब इस्राएल कैसे बना ?
उ .प्र 3 .याकूब के कितने बच्चे थे ?
उप्र 4 .याकूब का घराना मिसत्र क्यों गया ?
उप्र 5. मिसत्र में उन्हें किसने सुरक्षा प्रदान किया ?
उप्र 6. किसकी अगुवाई में इस्राएल की संतानें मिसत्र से बाहर आई ?
उप्र 7. उन्हें प्रतिज्ञा की भूमि में किसने पहूँचाया ?उन्होंने उस पर किस तरह कब्जा किया ?
उप्र 8. उन पर राज्य करने के लिए परमेश्वर ने किसे नियुक्त किया ?
उप्र 9। इस्राएल का पहला राजा कौन था ?
उ।
संगीत
गाते है बजाते है खुशियाँ हम मनाते है क्योंकि परमेश्वर हमारे साथ है।
1 जिसने हमको बनाया, जिसने तुमको बनाया, जिसने सबको बनाया वो परमेश्वर हमारे साथ है।
2 पापों में मरते हो यारो, यीशु को तुम अपनाओ, पापों से माफी तुम मांगो यह गीत हमारे साथ तुम गााओ।