पाठ 8 : बिलाम
Media
Content not prepared yet or Work in Progress.
Content not prepared yet or Work in Progress.
Content not prepared yet or Work in Progress.
Content not prepared yet or Work in Progress.
सारांश
नेशनल जिओग्राफिक मेगजीन में यह रिपोर्ट छपी थी कि एजटेक नामक जाति के लोग जो मेक्सिको में पाए जाते हैं, उनके देवताओं को खुश करने के लिये मनुष्यों की बलि चढ़ाते थे, और इस काम के लिये वे उनके बंधकों को उपयोग में लाते थे। इससे पहले कि बंधकों को बलि चढ़ाया जाता उन्हें कुछ दिन बढ़ियाँ भोजन और आवास की सुविधाएँ दी जाती थीं। बंधकों को अक्सर यह मालूम नहीं होता था कि इस आलीशान जीवन के बाद उनका क्या होगा। उसी प्रकार अब भी कई लोग शैतान के बंधक हैं और संसारिक वैभव की ओर आकर्षित हैं। कई लोग धन के पीछे भाग रहे हैं। वे शैतान की बुरी युक्तियों को नहीं समझते, जो अंत में उनके प्राण हर लेगा और उन्हें नरक में ढकेल देगा। हम एक ऐसे भविष्यद्वक्ता के विषय देखेंगे जो धन के पीछे गया। इस्राएली लोग योआब के मैदानों में पहुँचे और वहाँ छावनी डाले। मोआब के राजा बालक ने सुना कि लोगों की एक बड़ी भीड़ उसके नजदीक ठहरी हुई है। वह जानता था कि वह उस बलवंत राष्ट्र से नहीं लढ़ सकता था जिसने ओग और सिहोन के शक्तिशाली राजाओं को हराया था। उसने सोचा कि वह बोर के पुत्र बिलाम को उन्हें शाप देने के लिये कहेगा। उन दिनों में कुछ राजाओं के पास विशेष अधिकारियों के रूप में जादूगर होते थे जो उनके शत्रुओं को शाप देते थे। उनका विश्वास था कि ऐसे शाप से उनके शत्रुओं पर आपदाएँ या बीमारियाँ आएँगी। उसी विश्वास के कारण बालाक ने बिलाम को बुलवाया। बिलाम मेसोपोटेमिया में युफ्रेटस नदी के किनारे पतोर मे रहता था, वही स्थान जहाँ से महान देशभक्त अब्राहम आया था। बिलाम को सच्चे परमेश्वर के विषय कुछ ज्ञान था, परंतु वह भावी भी कहता था (यहोशू 13:22)। बालाक ने अपने देश के कुछ राजकुमारों और मिद्यानियों को बिलाम को बुलाने भेजा। उन्होंने भावी कहलवाने के लिये बिलाम के पास कुछ इनाम भी ले गए। बालाक का संदेश सुनकर बिलाम ने कहा कि वह परमेश्वर की ओर से सुनने के बाद ही जवाब देगा, और उन्हें उस रात वहीं ठहरा लिया। उस रात परमेश्वर बिलाम के समक्ष प्रगट हुआ और स्पष्ट रीति से कहा कि वह बालाक के दूतों के साथ न जाए। वह सुबह उठा और दूतों से कहा, ‘‘यहोवा मुझे तुम्हारे साथ जाने की आज्ञा नहीं देता।’’ परंतु वास्तव में बिलाम जाना चाहता था क्योंकि वह उन इनामों को पाना चाहता था जो बालाक उसे देनेवाला था। यही कारण था कि उसने बालाक के दासों को उस रात वहीं रूकने को कहा था। अन्यतथा, वह उन्हें तुरंत वापस भेज सकता था। इतना ही नहीं उसने उन्हें वह सब की नहीं बताया जो परमेश्वर ने उससे कहा था। परमेश्वर ने जो कहा था वह यह था, ‘‘तू इनके संग मत जा, उन लोगों को शाप मत दे क्योंकि वे आशीष के भागी हो चुके हैं।’’ यदि बिलाम कह देता कि इस्राएली परमेश्वर के द्वारा आशीषित किये गये है, तो बालाक को यह बात पसंद नहीं आई होती, और उसे उसका इनाम नहीं मिला होता। इसी कारण से उसने उन्हें नहीं बताया। हमें यह सोचकर सत्य को नहीं छिपाना चाहिये कि दूसरों को यह बात पसंद नहीं आएगी या हमारा कोई नुकसान हो जाएगा। बालक ने बिलाम के पास फिर से लोगों को भेजा। इस बार उसने बड़े इनाम की प्रतिज्ञा किया। यद्यपि बिलाम परमेश्वर की स्पष्ट इच्छा को जानता था, फिर भी उसने फिर से उन्हें रात भर ठहरने को कहा। उस रात परमेश्वर ने उसे उसके दुष्ट हृदय के अनुसार करने की अनुमति दिया। कभी-कभी अपनी संतानों की भलाई के लिये परमेश्वर उनकी मांग को पूरा नहीं करता। फिर भी वह दुष्ट को उसकी इच्छानुसार दे सकता है, परंतु यह उनके विनाश के लिये होगा बलाम सुबह उठकर बालाक के दूतों के साथ चला गया, परंतु परमेश्वर का दूत तलवार उठाए उसे रोकने के लिये उसके मार्ग में खड़ा था। उस गधे ने जिस पर बिलाम सवार था, स्वर्गदूत को देखा। जानवर जो देख रहा था उसे भविष्यवक्ता नहीं देख पा रहा था। तभी एक अद्भुत बात हो गई! ऐसी बात जो पहले कभी नहीं हुई। गधे ने अपना मुँह खोलकर बिलाम से बात किया। यह अद्भुत बात है कि यद्यपि एक गधा बिलाम से बात किया, फिर भी उसने कोई डर या आश्चर्य प्रगट नहीं किया, परंतु उसके साथ तर्क वितर्क किया। कुछ समय के बाद बिलाम की आँखें खुल गईं और उसने परमेश्वर के दूत को देखा। परंतु इसके पहले उसे एक गधे के द्वारा चिताया गया था। उसने दूत से कहा, ‘‘यदि तूझे बुरा लगता है तो मैं लौट जाता हूँ।’’ परंतु परमेश्वर इस भावी कहने वाले के मुँह से अपने लोगों के लिये आशीष की घोषणा करवाने की सोचा था, इसलिये उसने बिलाम को जाने दिया। जब बालाक ने बिलाम को देखा तो वह बहुत खुश हुआ। उसने उसे और उसके मित्रों का बड़ा स्वागत किया। बिलाम ने सात वेदियाँ बनाया और बलिदान चढ़ाया। उसने स्वयँ को परमेश्वर के लोगों को शाप देने के लिये तैयार किया, परंतु उसके मुँह से निकलने वाले शब्द आशीष के थे (व्यवस्थाविवरण 23:5; यहोशू 24:9-10; नहेम्याह 13:2)। अंधविश्वासी बालाक ने सोचा कि बिलाम ने गलत स्थान पर आशीष के शब्द कह दिया था। उसने उसे अन्य स्थानों में ले गया और परखा। तब भी बिलाम इस्राएल को शाप न दे सका। जिनकी रक्षा परमेश्वर करता है, उन्हें शैतान और उसके अनुयायी नुकसान नहीं पहुँचा सकते। बिलाम जिसने अधर्म का इनाम पाया, बालाक को इस्त्राएलियों को संकट में डालने की सलाह देकर ही लौटा। बिलाम जानता था कि धर्मी न्यायी परमेश्वर उसके संतानों को भी सजा देता है यदि वे उसके विरुद्ध पाप करें (प्रकाशितवाक्य 2:14)। उसने बालाक के सलाह दिया कि वह इस्त्राएलियों को मूर्तियों को चढ़ाई गई बलि की वस्तुएँ खाने के लिये उत्तेजित करे, और परमेश्वर के पवित्र लोग इस्त्राएलियों और अन्यजातीय मोआबियों के बीच विवाह को बढ़ावा दें। ये दोनो बातें परमेश्वर की नजर में पाप थे। उस बीमारी से जिसे परमेश्वर ने सजा के तौर पर भेजा था 24000 लोग मारे गये। बिलाम उसके इनामों का आनंद नहीं उठा पाया क्योंकि वह इस्त्राएलियों द्वारा मिद्यानियों के साथ लड़ाई में मारा गया था (यहोशू 13:22)
बाइबल अध्यन
गिनती अध्याय 22 तब इस्त्राएलियों ने कूच करके यरीहो के पास यरदन नदी के इस पार मोआब के अराबा में डेरे खड़े किए॥ 2 और सिप्पोर के पुत्र बालाक ने देखा कि इस्त्राएल ने एमोरियों से क्या क्या किया है। 3 इसलिये मोआब यह जानकर, कि इस्त्राएली बहुत हैं, उन लोगों से अत्यन्त डर गया; यहां तक कि मोआब इस्त्राएलियों के कारण अत्यन्त व्याकुल हुआ। 4 तब मोआबियों ने मिद्यानी पुरनियों से कहा, अब वह दल हमारे चारों ओर के सब लोगों को चट कर जाएगा, जिस तरह बैल खेत की हरी घास को चट कर जाता है। उस समय सिप्पोर का पुत्र बालाक मोआब का राजा था; 5 और इस ने पतोर नगर को, जो महानद के तट पर बोर के पुत्र बिलाम के जातिभाइयों की भूमि थी, वहां बिलाम के पास दूत भेजे, कि वे यह कहकर उसे बुला लाएं, कि सुन एक दल मिस्र से निकल आया है, और भूमि उन से ढक गई है, और अब वे मेरे साम्हने ही आकर बस गए हैं। 6 इसलिये आ, और उन लोगों को मेरे निमित्त शाप दे, क्योंकि वे मुझ से अधिक बलवन्त हैं, तब सम्भव है कि हम उन पर जयवन्त हों, और हम सब इन को अपने देश से मारकर निकाल दें; क्योंकि यह तो मैं जानता हूं कि जिस को तू आशीर्वाद देता है वह धन्य होता है, और जिस को तू शाप देता है वह स्रापित होता है। 7 तब मोआबी और मिद्यानी पुरनिये भावी कहने की दक्षिणा ले कर चले, और बिलाम के पास पहुंचकर बालाक की बातें कह सुनाईं। 8 उसने उन से कहा, आज रात को यहां टिको, और जो बात यहोवा मुझ से कहेगा, उसी के अनुसार मैं तुम को उत्तर दूंगा; तब मोआब के हाकिम बिलाम के यहां ठहर गए। 9 तब परमेश्वर ने बिलाम के पास आकर पूछा, कि तेरे यहां ये पुरूष कौन हैं? 10 बिलाम ने परमेश्वर से कहा सिप्पोर के पुत्र मोआब के राजा बालाक ने मेरे पास यह कहला भेजा है, 11 कि सुन, जो दल मिस्र से निकल आया है उससे भूमि ढंप गई है; इसलिये आकर मेरे लिये उन्हें शाप दे; सम्भव है कि मैं उनसे लड़कर उन को बरबस निकाल सकूंगा। 12 परमेश्वर ने बिलाम से कहा, तू इनके संग मत जा; उन लोगों को शाप मत दे, क्योंकि वे आशीष के भागी हो चुके हैं। 13 भोर को बिलाम ने उठ कर बालाक के हाकिमों से कहा, तुम अपने देश को चले जाओ; क्योंकि यहोवा मुझे तुम्हारे साथ जाने की आज्ञा नहीं देता। 14 तब मोआबी हाकिम चले गए और बालाक के पास जा कर कहा, कि बिलाम ने हमारे साथ आने से नाह किया है। 15 इस पर बालाक ने फिर और हाकिम भेजे, जो पहिलों से प्रतिष्ठित और गिनती में भी अधिक थे। 16 उन्होंने बिलाम के पास आकर कहा, कि सिप्पोर का पुत्र बालाक यों कहता है, कि मेरे पास आने से किसी कारण नाह न कर; 17 क्योंकि मैं निश्चय तेरी बड़ी प्रतिष्ठा करूंगा, और जो कुछ तू मुझ से कहे वही मैं करूंगा; इसलिये आ, और उन लोगों को मेरे निमित्त शाप दे। 18 बिलाम ने बालाक के कर्मचारियों को उत्तर दिया, कि चाहे बालाक अपने घर को सोने चांदी से भरकर मुझे दे दे, तौभी मैं अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा को पलट नहीं सकता, कि उसे घटाकर वा बढ़ाकर मानूं। 19 इसलिये अब तुम लोग आज रात को यहीं टिके रहो, ताकि मैं जान लूं, कि यहोवा मुझ से और क्या कहता है। 20 और परमेश्वर ने रात को बिलाम के पास आकर कहा, यदि वे पुरूष तुझे बुलाने आए हैं, तो तू उठ कर उनके संग जा; परन्तु जो बात मैं तुझ से कहूं उसी के अनुसार करना। 21 तब बिलाम भोर को उठा, और अपनी गदही पर काठी बान्धकर मोआबी हाकिमों के संग चल पड़ा। 22 और उसके जाने के कारण परमेश्वर का कोप भड़क उठा, और यहोवा का दूत उसका विरोध करने के लिये मार्ग रोककर खड़ा हो गया। वह तो अपनी गदही पर सवार हो कर जा रहा था, और उसके संग उसके दो सेवक भी थे। 23 और उस गदही को यहोवा का दूत हाथ में नंगी तलवार लिये हुए मार्ग में खड़ा दिखाई पड़ा; तब गदही मार्ग छोड़कर खेत में चली गई; तब बिलाम ने गदही को मारा, कि वह मार्ग पर फिर आ जाए। 24 तब यहोवा का दूत दाख की बारियों के बीच की गली में, जिसके दोनों ओर बारी की दीवार थी, खड़ा हुआ। 25 यहोवा के दूत को देखकर गदही दीवार से ऐसी सट गई, कि बिलाम का पांव दीवार से दब गया; तब उसने उसको फिर मारा। 26 तब यहोवा का दूत आगे बढ़कर एक सकेत स्थान पर खड़ा हुआ, जहां न तो दाहिनी ओर हटने की जगह थी और न बाईं ओर। 27 वहां यहोवा के दूत को देखकर गदही बिलाम को लिये दिये बैठ गई; फिर तो बिलाम का कोप भड़क उठा, और उसने गदही को लाठी से मारा। 28 तब यहोवा ने गदही का मुंह खोल दिया, और वह बिलाम से कहने लगी, मैं ने तेरा क्या किया है, कि तू ने मुझे तीन बार मारा? 29 बिलाम ने गदही से कहा, यह कि तू ने मुझ से नटखटी की। यदि मेरे हाथ में तलवार होती तो मैं तुझे अभी मार डालता। 30 गदही ने बिलाम से कहा क्या मैं तेरी वही गदही नहीं जिस पर तू जन्म से आज तक चढ़ता आया है? क्या मैं तुझ से कभी ऐसा करती थी? वह बोला, नहीं। 31 तब यहोवा ने बिलाम की आंखे खोलीं, और उसको यहोवा का दूत हाथ में नंगी तलवार लिये हुए मार्ग में खड़ा दिखाई पड़ा; तब वह झुक गया, और मुंह के बल गिरके दण्डवत की। 32 यहोवा के दूत ने उससे कहा, तू ने अपनी गदही को तीन बार क्यों मारा? सुन, तेरा विरोध करने को मैं ही आया हूं, इसलिये कि तू मेरे साम्हने उलटी चाल चलता है; 33 और यह गदही मुझे देखकर मेरे साम्हने से तीन बार हट गई। जो वह मेरे साम्हने से हट न जाती, तो नि:सन्देह मैं अब तक तुझ को मार ही डालता, परन्तु उसको जीवित छोड़ देता। 34 तब बिलाम ने यहोवा के दूत से कहा, मैं ने पाप किया है; मैं नहीं जानता था कि तू मेरा साम्हना करने को मार्ग में खड़ा है। इसलिये अब यदि तुझे बुरा लगता है, तो मैं लौट जाता हूं। 35 यहोवा के दूत ने बिलाम से कहा, इन पुरूषों के संग तू चला जा; परन्तु केवल वही बात कहना जो मैं तुझ से कहूंगा। तब बिलाम बालाक के हाकिमों के संग चला गया। 36 यह सुनकर, कि बिलाम आ रहा है, बालाक उससे भेंट करने के लिये मोआब के उस नगर तक जो उस देश के अर्नोन वाले सिवाने पर है गया। 37 बालाक ने बिलाम से कहा, क्या मैं ने बड़ी आशा से तुझे नहीं बुलवा भेजा था? फिर तू मेरे पास क्यों नहीं चला आया? क्या मैं इस योग्य नहीं कि सचमुच तेरी उचित प्रतिष्ठा कर सकता? 38 बिलाम ने बालाक से कहा, देख मैं तेरे पास आया तो हूं! परन्तु अब क्या मैं कुछ कर सकता हूं? जो बात परमेश्वर मेरे मुंह में डालेगा वही बात मैं कहूंगा। 39 तब बिलाम बालाक के संग संग चला, और वे किर्यथूसोत तक आए। 40 और बालाक ने बैल और भेड़-बकरियों को बलि किया, और बिलाम और उसके साथ के हाकिमों के पास भेजा। 41 बिहान को बालाक बिलाम को बालू के ऊंचे स्थानों पर चढ़ा ले गया, और वहां से उसको सब इस्त्राएली लोग दिखाई पड़े॥ अध्याय 23 तब बिलाम ने बालाक से कहा, यहां पर मेरे लिये सात वेदियां बनवा, और इसी स्थान पर सात बछड़े और सात मेढ़े तैयार कर। 2 तब बालाक ने बिलाम के कहने के अनुसार किया; और बालाक और बिलाम ने मिलकर प्रत्येक वेदी पर एक बछड़ा और एक मेढ़ा चढ़ाया। 3 फिर बिलाम ने बालाक से कहा, तू अपने होमबलि के पास खड़ा रह, और मैं जाता हूं; सम्भव है कि यहोवा मुझ से भेंट करने को आए; और जो कुछ वह मुझ पर प्रकाश करेगा वही मैं तुझ को बताऊंगा। तब वह एक मुण्डे पहाड़ पर गया। 4 और परमेश्वर बिलाम से मिला; और बिलाम ने उससे कहा, मैं ने सात वेदियां तैयार की हैं, और प्रत्येक वेदी पर एक बछड़ा और एक मेढ़ा चढ़ाया है। 5 यहोवा ने बिलाम के मुंह में एक बात डालीं, और कहा, बालाक के पास लौट जो, और यों कहना। 6 और वह उसके पास लौटकर आ गया, और क्या देखता है, कि वह सारे मोआबी हाकिमों समेत अपने होमबलि के पास खड़ा है। 7 तब बिलाम ने अपनी गूढ़ बात आरम्भ की, और कहने लगा, बालाक ने मुझे आराम से, अर्थात मोआब के राजा ने मुझे पूरब के पहाड़ों से बुलवा भेजा: आ, मेरे लिये याकूब को शाप दे, आ, इस्त्राएल को धमकी दे! 8 परन्तु जिन्हें ईश्वर ने नहीं शाप दिया उन्हें मैं क्यों शाप दूं? और जिन्हें यहोवा ने धमकी नहीं दी उन्हें मैं कैसे धमकी दूं? 9 चट्टानों की चोटी पर से वे मुझे दिखाई पड़ते हैं, पहाडिय़ों पर से मैं उन को देखता हूं; वह ऐसी जाति है जो अकेली बसी रहेगी, और अन्यजातियों से अलग गिनी जाएगी! 10 याकूब के धूलि के किनके को कौन गिन सकता है, वा इस्त्राएल की चौथाई की गिनती कौन ले सकता है? सौभाग्य यदि मेरी मृत्यु धर्मियों की सी, और मेरा अन्त भी उन्हीं के समान हो! 11 तब बालाक ने बिलाम से कहा, तू ने मुझ से क्या किया है? मैं ने तुझे अपने शत्रुओं को शाप देने बुलवाया था, परन्तु तू ने उन्हें आशीष ही आशीष दी है। 12 उसने कहा, जो बात यहोवा ने मुझे सिखलाई क्या मुझे उसी को सावधानी से बोलना न चाहिये? 13 बालाक ने उससे कहा, मेरे संग दूसरे स्थान पर चल, जहां से वे तुझे दिखाई देंगे; तू उन सभों को तो नहीं, केवल बाहर वालों को देख सकेगा; वहां से उन्हें मेरे लिये शाप दे। 14 तब वह उसको सोपीम नाम मैदान में पिसगा के सिरे पर ले गया, और वहां सात वेदियां बनवाकर प्रत्येक पर एक बछड़ा और एक मेढ़ा चढ़ाया। 15 तब बिलाम ने बालाक से कहा, अपने होमबलि के पास यहीं खड़ा रह, और मैं उधर जा कर यहोवा से भेंट करूं। 16 और यहोवा ने बिलाम से भेंट की, और उसने उसके मुंह में एक बात डाली, और कहा, कि बालाक के पास लौट जा, और यों कहना। 17 और वह उसके पास गया, और क्या देखता है, कि वह मोआबी हाकिमों समेत अपने होमबलि के पास खड़ा है। और बालाक ने पूछा, कि यहोवा ने क्या कहा है? 18 तब बिलाम ने अपनी गूढ़ बात आरम्भ की, और कहने लगा, हे बालाक, मन लगाकर सुन, हे सिप्पोर के पुत्र, मेरी बात पर कान लगा: 19 ईश्वर मनुष्य नहीं, कि झूठ बोले, और न वह आदमी है, कि अपनी इच्छा बदले। क्या जो कुछ उसने कहा उसे न करे? क्या वह वचन देकर उस पूरा न करे? 20 देख, आशीर्वाद ही देने की आज्ञा मैं ने पाई है: वह आशीष दे चुका है, और मैं उसे नहीं पलट सकता। 21 उसने याकूब में अनर्थ नहीं पाया; और न इस्त्राएल में अन्याय देखा है। उसका परमेश्वर यहोवा उसके संग है, और उन में राजा की सी ललकार होती है। 22 उन को मिस्र में से ईश्वर ही निकाले लिये आ रहा है, वह तो बैनेले सांड के समान बल रखता है। 23 निश्चय कोई मंत्र याकूब पर नहीं चल सकता, और इस्त्राएल पर भावी कहना कोई अर्थ नहीं रखता; परन्तु याकूब और इस्त्राएल के विषय अब यह कहा जाएगा, कि ईश्वर ने क्या ही विचित्र काम किया है! 24 सुन, वह दल सिंहनी की नाईं उठेगा, और सिंह की नाईं खड़ा होगा; वह जब तक अहेर को न खा ले, और मरे हुओं के लोहू को न पी ले, तब तक न लेटेगा॥ 25 तब बालाक ने बिलाम से कहा, उन को न तो शाप देना, और न आशीष देना। 26 बिलाम ने बालाक से कहा, क्या मैं ने तुझ से नहीं कहा, कि जो कुछ यहोवा मुझ से कहेगा, वही मुझे करना पड़ेगा? 27 बालाक ने बिलाम से कहा चल, मैं तुझ को एक और स्थान पर ले चलता हूं; सम्भव है कि परमेश्वर की इच्छा हो कि तू वहां से उन्हें मेरे लिये शाप दे। 28 तब बालाक बिलाम को पोर के सिरे पर, जहां से यशीमोन देश दिखाई देता है, ले गया। 29 और बिलाम ने बालाक से कहा, यहां पर मेरे लिये सात वेदियां बनवा, और यहां सात बछड़े और सात मेढ़े तैयार कर। 30 बिलाम के कहने के अनुसार बालाक ने प्रत्येक वेदी पर एक बछड़ा और एक मेढ़ा चढ़ाया॥ अध्याय 24 यह देखकर, कि यहोवा इस्त्राएल को आशीष ही दिलाना चाहता है, बिलाम पहिले की नाईं शकुन देखने को न गया, परन्तु अपना मुंह जंगल की ओर कर लिया। 2 और बिलाम ने आंखे उठाई, और इस्त्राएलियों को अपने गोत्र गोत्र के अनुसार बसे हुए देखा। और परमेश्वर का आत्मा उस पर उतरा। 3 तब उसने अपनी गूढ़ बात आरम्भ की, और कहने लगा, कि बोर के पुत्र बिलाम की यह वाणी है, जिस पुरूष की आंखें बन्द थीं उसी की यह वाणी है, 4 ईश्वर के वचनों का सुनने वाला, जो दण्डवत में पड़ा हुआ खुली हुई आंखों से सर्वशक्तिमान का दर्शन पाता है, उसी की यह वाणी है: कि 5 हे याकूब, तेरे डेरे, और हे इस्त्राएल, तेरे निवास स्थान क्या ही मनभावने हैं! 6 वे तो नालों वा घाटियों की नाईं, और नदी के तट की वाटिकाओं के समान ऐसे फैले हुए हैं, जैसे कि यहोवा के लगाए हुए अगर के वृक्ष, और जल के निकट के देवदारू। 7 और उसके डोलों से जल उमण्डा करेगा, और उसका बीच बहुतेरे जलभरे खेतों में पड़ेगा, और उसका राजा अगाग से भी महान होगा, और उसका राज्य बढ़ता ही जाएगा। 8 उसको मिस्र में से ईश्वर की निकाले लिये आ रहा है; वह तो बनैले सांड़ के सामान बल रखता है, जाति जाति के लोग जो उसके द्रोही है उन को वह खा जायेगा, और उनकी हड्डियों को टुकड़े टुकड़े करेगा, और अपने तीरों से उन को बेधेगा। 9 वह दबका बैठा है, वह सिंह वा सिंहनी की नाईं लेट गया है; अब उसको कौन छेड़े? जो कोई तुझे आशीर्वाद दे सो आशीष पाए, और जो कोई तुझे शाप दे वह स्रापित हो॥ 10 तब बालाक का कोप बिलाम पर भड़क उठा; और उसने हाथ पर हाथ पटककर बिलाम से कहा, मैं ने तुझे अपने शत्रुओं के शाप देने के लिये बुलवाया, परन्तु तू ने तीन बार उन्हें आशीर्वाद ही आशीर्वाद दिया है। 11 इसलिये अब तू अपने स्थान पर भाग जा; मैं ने तो सोचा था कि तेरी बड़ी प्रतिष्ठा करूंगा, परन्तु अब यहोवा ने तुझे प्रतिष्ठा पाने से रोक रखा है। 12 बिलाम ने बालाक से कहा, जो दूत तू ने मेरे पास भेजे थे, क्या मैं ने उन से भी न कहा था, 13 कि चाहे बालाक अपने घर को सोने चांदी से भरकर मुझे दे, तौभी मैं यहोवा की आज्ञा तोड़कर अपने मन से न तो भला कर सकता हूं और न बुरा; जो कुछ यहोवा कहेगा वही मैं कहूंगा? 14 अब सुन, मैं अपने लोगों के पास लौट कर जाता हूं; परन्तु पहिले मैं तुझे चिता देता हूं कि अन्त के दिनों में वे लोग तेरी प्रजा से क्या क्या करेंगे। 15 फिर वह अपनी गूढ़ बात आरम्भ करके कहने लगा, कि बोर के पुत्र बिलाम की यह वाणी है, जिस पुरूष की आंखे बन्द थी उसी की यह वाणी है, 16 ईश्वर के वचनों का सुनने वाला, और परमप्रधान के ज्ञान का जानने वाला, जो दण्डवत में पड़ा हुआ खुली हुई आंखों से सर्वशक्तिमान का दर्शन पाता है, उसी की यह वाणी है: कि 17 मैं उसको देखूंगा तो सही, परन्तु अभी नहीं; मैं उसको निहारूंगा तो सही, परन्तु समीप होके नहीं: याकूब में से एक तारा उदय होगा, और इस्त्राएल में से एक राज दण्ड उठेगा; जो मोआब की अलंगों को चूर कर देगा, जो सब दंगा करने वालों को गिरा देगा। 18 तब एदोम और सेईर भी, जो उसके शत्रु हैं, दोनों उसके वश में पड़ेंगे, और इस्त्राएल वीरता दिखाता जाएगा। 19 और याकूब ही में से एक अधिपति आवेगा जो प्रभुता करेगा, और नगर में से बचे हुओं को भी सत्यानाश करेगा॥ 20 फिर उसने अमालेक पर दृष्टि करके अपनी गूढ़ बात आरम्भ की, और कहने लगा, अमालेक अन्यजातियों में श्रेष्ट तो था, परन्तु उसका अन्त विनाश ही है॥ 21 फिर उसने केनियों पर दृष्टि करके अपनी गूढ़ बात आरम्भ की, और कहने लगा, तेरा निवासस्थान अति दृढ़ तो है, और तेरा बसेरा चट्टान पर तो है; 22 तौभी केन उजड़ जाएगा। और अन्त में अश्शूर तुझे बन्धुआई में ले आएगा॥ 23 फिर उसने अपनी गूढ़ बात आरम्भ की, और कहने लगा, हाय जब ईश्वर यह करेगा तब कौन जीवित बचेगा? 24 तौभी कित्तियों के पास से जहाज वाले आकर अश्शूर को और एबेर को भी दु:ख देंगे; और अन्त में उसका भी विनाश हो जाएगा॥ 25 तब बिलाम चल दिया, और अपने स्थान पर लौट गया; और बालाक ने भी अपना मार्ग लिया॥ 1 तीमुथियुस 6:10 10 क्योंकि रूपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए कितनों ने विश्वास से भटक कर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है॥ यहोशू 13:22 22 और इस्राएलियों ने उनके और मारे हुओं के साथ बोर के पुत्र भावी कहने वाले बिलाम को भी तलवार से मार डाला। व्यवस्था 23:5 5 परन्तु तेरे परमेश्वर यहोवा ने बिलाम की ना सुनी; किन्तु तेरे परमेश्वर यहोवा ने तेरे निमित्त उसके शाप को आशीष से पलट दिया, इसलिये कि तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ से प्रेम रखता था। यहोशू 24:9-10 9 फिर मोआब के राजा सिप्पोर का पुत्र बालाक उठ कर इस्राएल से लड़ा; और तुम्हें शाप देने के लिये बोर के पुत्र बिलाम को बुलवा भेजा, 10 परन्तु मैं ने बिलाम की सुनने के लिये नाहीं की; वह तुम को आशीष ही आशीष देता गया; इस प्रकार मैं ने तुम को उसके हाथ से बचाया। नहेम्याह 13:2 2 क्योंकि उन्होंने अन्न जल ले कर इस्राएलियों से भेंट नहीं की, वरन बिलाम को उन्हें शाप देने के लिये दक्षिणा देकर बुलवाया था–तौभी हमारे परमेश्वर ने उस शाप को आशीष से बदल दिया। प्रकाशितवाक्य 2:14 14 पर मुझे तेरे विरूद्ध कुछ बातें कहनी हैं, क्योंकि तेरे यहां कितने तो ऐसे हैं, जो बिलाम की शिक्षा को मानते हैं, जिस ने बालाक को इस्त्राएलियों के आगे ठोकर का कारण रखना सिखाया, कि वे मूरतों के बलिदान खाएं, और व्यभिचार करें। यहोशू 13:22 22 और इस्राएलियों ने उनके और मारे हुओं के साथ बोर के पुत्र भावी कहने वाले बिलाम को भी तलवार से मार डाला।
संगीत
तेरे अनुग्रह तेरी दया को कैसे भूलुं मैं मसीह, मेरे श्राप को तूने हटाकर खुद श्रापित बना मसीह, तुने क्रूस पर लहू बहाकर मुझे पापों से शुद्ध किया, मेरे आँसूओं को तूने पोंछकर सारे दुख को दूर किया।
गाऊँगा मैं तेरे ही गीत हे यीशु तू है महान, तेरा ही नाम मेरे मसीह लेता हूँ सुबह और शाम।