पाठ 7 : तीन विद्रोही

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सारांश

क्या आप उस कक्षा की स्थिति की कल्पना कर सकते हैं जब वहाँ टीचर नहीं होती? जब टीचर हाजिर होती है तो विद्यार्थी शांत क्यों रहते हैं? क्योंकि वे टीचर से डरते हैं। परमेश्वर चाहता है कि हर कोई उसका भय माने। हम परमेश्वर का भय न मानने के परिणामों का अध्ययन करेंगे। परमेश्वर ने अद्भुत रीति से मिस्त्र से इस्त्राएल का छुटकारा किया। उसके बाद, यद्यपि परमेश्वर ने उसकी रक्षा किया और उनकी जरूरतों को पूरा किया, वे बार-बार उसके विरुद्ध कुड़कुड़ाते रहे। पिछले पाठ में हमने सीखा कि किस तरह उन्होंने परमेश्वर के विरुद्ध बलवा दिया, भेदियों की गलत सलाह को माना। उन्होंने पानी के लिये कुड़कुड़ाया, फिर माँस के लिये और फिर किसी और चीज के लिये। गिनती 16वें अध्याय में हम उन्हें अगुवेपन के लिये कुड़कुड़ाते और बलवा करते पाते हैं। वह व्यक्ति जिसने बलवा की अगुवाई किया वह लेवी के गोत्र का कोरह था। उसके साथ दातान, अबीराम और रूबेन के गोत्र में से एक और इस्त्राएल के अन्य अगुवों में से 250 लोग जुड़ गये। उनका विद्रोह मूसा और हारून के विरुद्ध था। उनकी शिकायत यह थी कि वे स्वयँ को सबसे उपर समझते थे। अक्सर इर्ष्या ही झगड़ों का कारण होती है। यहाँ मुख्य कारण इर्ष्या ही थी। कोरह, हारून और मूसा कहात के परिवार से ही थे। कोरह को खुश होना चाहिये था कि उसके अपने परिवार के लोग ही उच्च पदों पर थे, परंतु खुश होने की बजाय वह इर्ष्यालू था। कोरह, यिसहार का पुत्र था जो कहात का दूसरा पुत्र था, परंतु एलिजफन कहात के चौथे बेटे का बेटा कहात परिवार का मुखिया बनाया गया। इस्त्राएल में अक्सर परिवार का सबसे बड़ा पुत्र ही याजक बनाया जाता था। इसलिये शायद कोरह एलीजफन से इर्ष्या करता था। कोरह और रूबेनवंशी पड़ोसी थे। परमेश्वर ने बताया था कि प्रत्येक गोत्र को कहाँ रहना चाहिये। इसी के अनुसार रूबेनवंशियों और कहातवंशियों की छावनियाँ मिलापवाले तंबू के दक्षिण भाग में थे। इसी बात ने उन्हें षडयंत्र रचने में सरलता प्रदान किया। हम अपने पड़ोसियों को भले या बुरे के लिये ही प्रभावित कर सकते हैं जब मूसा ने सुना कि विद्रोही क्या कह रहे हैं तो वह मुँह के बल गिर पड़ा। मूसा जानता था कि उनका विरोध उनके विषय नहीं परंतु परमेश्वर के विरुद्ध था। मूसा ने खड़े होकर उनसे कहा, ‘‘कल परमेश्वर दिखा देगा कि उसका कौन है।’’ फिर उसने कहा, ‘‘हे कोरह तुम अपनी सारी मंडली समेत यह करो, अर्थात अपना अपना धूपदान ठीक करो और कल उसमें आग रखकर यहोवा के सामने धूप देना तब जिसको यहोवा चुन ले वही पवित्र ठरहेगा।’’ क्या आप कभी परीक्षा करके देखते हैं कि क्या भला और क्या बुरा है? यह इसी प्रकार की परीक्षा थी। आग में धूप जलाना याजक का काम था। वे याजकीय पद के लिये ही कुड़कुड़ा रहे थे। परीक्षा याजकीय कार्य की ही ली गई थी उन्हें अपने पापों के विषय पश्चाताप करने के लिये काफी समय था। यदि वे पश्चाताप करते तो परमेश्वर उन्हें माफ कर दिया होता। ‘‘यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है।’’ (भजन 34:18)। उन्होंने न केवल पश्चाताप करने से इन्कार किया परंतु उन्होंने छावनी में मूसा और हारून के विरुद्ध प्रचार भी किया। वे इस्त्राएलियों के तंबुओं में गए और लोगों को मिलापवाले तंबु के प्रवेशद्वार पर इकट्ठा भी किये। तब परमेश्वर का क्रोध उनके विरुद्ध भड़क उठा। उसने मूसा और हारून से कहा, ‘‘उस मंडली के बीच में से अलग हो जाओ कि मैं उन्हें पलभर में भस्म कर डालूँ।’’ (पद 21)। फिर से मूसा और हारून ने गिरकर प्रार्थना किया कि परमेश्वर उन लोगों पर दया करे। देखिये मूसा कितना प्रार्थनामय व्यक्ति था। जब भी कोई मुसीबत आती थी वह परमेश्वर के पास जाता था। आइये, हम भी मूसा का अनुकरण करें। परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना का उत्तर दिया। उसने पूरी मंडली को नाश नहीं किया। केवल कोरह और उसके अनुयायी नाश किये गये। उनके नीचे की जमीन फट गई, और पृथ्वी ने अपना मुह खोली और उन्हें निगल गई। परमेश्वर की ओर से आग गिरी और 250 लोग जो धूप जला रहे थे भस्म हो गये। परमेश्वर और उसके दासों के विरुद्ध बोलना कितनी भयानक बात है! परंतु कोरह के पुत्र बचा लिये गये। वे प्रत्यक्ष रूप से उनके पिता के विरुद्ध थे जब वह बलवा कर रहा था। लेवी होने के कारण उन्हें बचपन से ही परमेश्वर का वचन सिखाया गया था और वे उनके पिता की तुलना में ज्यादा दृढ़ थे। चाहे कोई व्यक्ति जिससे आप प्रेम करते हैं पापी मार्ग से चले तो आपको उसके गलत कार्यों में सहमति नहीं जताना चाहिये और न ही उसके पाप में सहभागी होना चाहिये परमेश्वर ने कोरह के पुत्रों को आशीषित किया। उनके वंशजों में अच्छे भजनकार थे। शमुएल भविष्यवक्ता भी इसी परिवार से था (1 इतिहास 6:22-28)। जब कि परमेश्वर पाप से घृणा करता है, वह पापी से प्रेम करता है, और वह उन सब को माफ करता है जो अपने पापों का अंगीकार करते और उन्हें छोड़ देते हैं (नीतिवचन 28:13)। नोट : कोरह का अर्थ है गंजापन। यद्यपि हम पद 1 में पेलेत के पुत्र के विषय पढ़ते हैं जिसने कोरह के साथ मिलकर विद्रोह किया था, परंतु आगे उसके विषय कुछ नहीं पढ़ते। शायद उसने पश्चाताप किया था

बाइबल अध्यन

गिनती 16:1-35 रह जो लेवी का परपोता, कहात का पोता, और यिसहार का पुत्र था, वह एलीआब के पुत्र दातान और अबीराम, और पेलेत के पुत्र ओन, 2 इन तीनों रूबेनियों से मिलकर मण्डली के अढ़ाई सौ प्रधान, जो सभासद और नामी थे, उन को संग लिया; 3 और वे मूसा और हारून के विरुद्ध उठ खड़े हुए, और उन से कहने लगे, तुम ने बहुत किया, अब बस करो; क्योंकि सारी मण्डली का एक एक मनुष्य पवित्र है, और यहोवा उनके मध्य में रहता है; इसलिये तुम यहोवा की मण्डली में ऊंचे पद वाले क्यों बन बैठे हो? 4 यह सुनकर मूसा अपने मुंह के बल गिरा; 5 फिर उसने कोरह और उसकी सारी मण्डली से कहा, कि बिहान को यहोवा दिखला देगा कि उसका कौन है, और पवित्र कौन है, और उसको अपने समीप बुला लेगा; जिस को वह आप चुन लेगा उसी को अपने समीप बुला भी लेगा। 6 इसलिये, हे कोरह, तुम अपनी सारी मण्डली समेत यह करो, अर्थात अपना अपना धूपदान ठीक करो; 7 और कल उन में आग रखकर यहोवा के साम्हने धूप देना, तब जिस को यहोवा चुन ले वही पवित्र ठहरेगा। हे लेवियों, तुम भी बड़ी बड़ी बातें करते हो, अब बस करो। 8 फिर मूसा ने कोरह से कहा, हे लेवियों, सुनो, 9 क्या यह तुम्हें छोटी बात जान पड़ती है, कि इस्त्राएल के परमेश्वर ने तुम को इस्त्राएल की मण्डली से अलग करके अपने निवास की सेवकाई करने, और मण्डली के साम्हने खड़े हो कर उसकी भी सेवा टहल करने के लिये अपने समीप बुला लिया है; 10 और तुझे और तेरे सब लेवी भाइयों को भी अपने समीप बुला लिया है? फिर भी तुम याजक पद के भी खोजी हो? 11 और इसी कारण तू ने अपनी सारी मण्डली को यहोवा के विरुद्ध इकट्ठी किया है; हारून कौन है कि तुम उस पर बुड़बुड़ाते हो? 12 फिर मूसा ने एलीआब के पुत्र दातान और अबीराम को बुलवा भेजा; और उन्होंने कहा, हम तेरे पास नहीं आएंगे। 13 क्या यह एक छोटी बात है, कि तू हम को ऐसे देश से जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती है इसलिये निकाल लाया है, कि हमें जंगल में मार डाले, फिर क्या तू हमारे ऊपर प्रधान भी बनकर अधिकार जताता है? 14 फिर तू हमें ऐसे देश में जहां दूध और मधु की धाराएं बहती हैं नहीं पहुंचाया, और न हमें खेतोंऔर दाख की बारियों के अधिकारी किया। क्या तू इन लोगों की आंखों में धूलि डालेगा? हम तो नहीं आएंगे। 15 तब मूसा का कोप बहुत भड़क उठा, और उसने यहोवा से कहा, उन लोगों की भेंट की ओर दृष्टि न कर। मैं ने तो उन से एक गदहा भी नहीं लिया, और न उन में से किसी की हानि की है। 16 तब मूसा ने कोरह से कहा, कल तू अपनी सारी मण्डली को साथ ले कर हारून के साथ यहोवा के साम्हने हाजिर होना; 17 और तुम सब अपना अपना धूपदान ले कर उन में धूप देना, फिर अपना अपना धूपदान जो सब समेत अढ़ाई सौ होंगे यहोवा के साम्हने ले जाना; विशेष करके तू और हारून अपना अपना धूपदान ले जाना। 18 सो उन्होंने अपना अपना धूपदान ले कर और उन में आग रखकर उन पर धूप डाला; और मूसा और हारून के साथ मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खड़े हुए। 19 और कोरह ने सारी मण्डली को उनके विरुद्ध मिलापवाले तम्बू के द्वार पर इकट्ठा कर लिया। तब यहोवा का तेज सारी मण्डली को दिखाई दिया॥ 20 तब यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, 21 उस मण्डली के बीच में से अलग हो जाओ। कि मैं उन्हें पल भर में भस्म कर डालूं। 22 तब वे मुंह के बल गिरके कहने लगे, हे ईश्वर, हे सब प्राणियों के आत्माओं के परमेश्वर, क्या एक पुरूष के पाप के कारण तेरा क्रोध सारी मण्डली पर होगा? 23 यहोवा ने मूसा से कहा, 24 मण्डली के लोगों से कह, कि कोरह, दातान, और अबीराम के तम्बुओं के आसपास से हट जाओ। 25 तब मूसा उठ कर दातान और अबीराम के पास गया; और इस्त्राएलियों के वृद्ध लोग उसके पीछे पीछे गए। 26 और उसने मण्डली के लोगों से कहा, तुम उन दुष्ट मनुष्यों के डेरों के पास से हट जाओ, और उनकी कोई वस्तु न छूओ, कहीं ऐसा न हो कि तुम भी उनके सब पापों में फंसकर मिट जाओ। 27 यह सुन वे कोरह, दातान, और अबीराम के तम्बुओं के आसपास से हट गए; परन्तु दातान और अबीराम निकलकर अपनी पत्नियों, बेंटों, और बाल-बच्चों समेत अपने अपने डेरे के द्वार पर खड़े हुए। 28 तब मूसा ने कहा, इस से तुम जान लोगे कि यहोवा ने मुझे भेजा है कि यह सब काम करूं, क्योंकि मैं ने अपनी इच्छा से कुछ नहीं किया। 29 यदि उन मनुष्यों की मृत्यु और सब मनुष्यों के समान हो, और उनका दण्ड सब मनुष्यों के समान हो, तब जानों कि मैं यहोवा का भेजा हुआ नहीं हूं। 30 परन्तु यदि यहोवा अपनी अनोखी शक्ति प्रकट करे, और पृथ्वी अपना मुंह पसारकर उन को, और उनका सब कुछ निगल जाए, और वे जीते जी अधोलोक में जा पड़ें, तो तुम समझ लो कि इन मनुष्यों ने यहोवा का अपमान किया है। 31 वह ये सब बातें कह ही चुका था, कि भूमि उन लोगों के पांव के नीचे फट गई; 32 और पृथ्वी ने अपना मुंह खोल दिया और उनका और उनका घरद्वार का सामान, और कोरह के सब मनुष्यों और उनकी सारी सम्पत्ति को भी निगल लिया। 33 और वे और उनका सारा घरबार जीवित ही अधोलोक में जा पड़े; और पृथ्वी ने उन को ढांप लिया, और वे मण्डली के बीच में से नष्ट हो गए। 34 और जितने इस्त्राएली उनके चारों ओर थे वे उनका चिल्लाना सुन यह कहते हुए भागे, कि कहीं पृथ्वी हम को भी निगल न ले! 35 तब यहोवा के पास से आग निकली, और उन अढ़ाई सौ धूप चढ़ाने वालों को भस्म कर डाला॥ इब्रानियों 10:31 31 जीवते परमेश्वर के हाथों में पड़ना भयानक बात है॥ भजन 34:18 18 यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है॥ 1 इतिहास 6:22-28 22 फिर कहात का पुत्र अम्मीनादाब हुआ, अम्मीनादाब का कोरह, कोरह का अस्सीर। 23 अस्सीर का एल्काना, एल्काना का एब्यासाप, एब्यासाप का अस्सीर। 24 अस्सीर का तहत, तहत का ऊरीएल, ऊरीएल का उज्जिय्याह और उज्जिय्याह का पुत्र शाऊल हुआ। 25 फिर एल्काना के पुत्र अमासै और अहीमोत। 26 एल्काना का पुत्र सोपै, सोपै का नहत। 27 नहत का एलीआब, एलीआब का यरोहाम, और यरोहाम का पुत्र एल्काना हुआ। 28 और शमूएल के पुत्र, उसका जेठा योएल और दूसरा अबिय्याह हुआ। नीतिवचन 28:13 13 जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सुफल नहीं होता, परन्तु जो उन को मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जायेगी।

संगीत

राही मसीही बढ़ते ही रहना, अब तेरी मंजिल आने लगी है, दुनिया में फंसकर हार न जाना, आवाज़ मंज़िल से आने लगी है, दुनिया से हारो, तो हारा न समझो, सचमुच में तेरी यही जीत है।

राही मसीही बढ़ते ही रहना, अब तेरी मंजिल आने लगी है, दुनिया में फंसकर हार न जाना, आवाज़ मंज़िल से आने लगी है, दुनिया से हारो, तो हारा न समझो, सचमुच में तेरी यही जीत है।