पाठ 6 : जासूस

Media

Lesson Summary

Content not prepared yet or Work in Progress.


Lesson Prayer

Content not prepared yet or Work in Progress.


Song

Content not prepared yet or Work in Progress.


Instrumental

Content not prepared yet or Work in Progress.


सारांश

कुछ लोग उनकी नीतियों और व्यवहार में बहुत कठोर होते हैं। क्या आप ऐसे लोगों को जानते हैं? वे कैसी हरकतें करते हैं? (बच्चों को उनके विचार बताने दें।) क्या आप भी कभी जिद्दी बन जाते हैं? मूसा भी काफी हठी लोगों के समूह का अगुवा था। इस्त्राएल के लोगों ने कई बार आज्ञा उलंघन किया। आज हम देखेंगे कि एक बार परमेश्वर ने हठी लोगों से कैसा बर्ताव किया। हमने देखा कि इस्त्राएल की संतानें मिस्त्र में जाकर बस गई जब यूसुफ मिस्त्र का शासक था। वे वहाँ कई वर्ष तक रहे और गिनती में बढ़ गए। जब यूसुफ मर गया और उसे भुला दिया तो मिस्त्र के राजाओं ने इस्त्राएलियों को बंधुआ गुलामों की तरह काम करवाया। जब उन्होंने सताव झेला तो परमेश्वर को पुकारा। परमेश्वर ने उनकी पुकार को सुना और उन्हें छुड़ाने के लिये मूसा को भेजा। परमेश्वर उसकी संतानों की पुकार से अपने कान बंद नही करता। मूसा के द्वारा परमेश्वर ने इस्त्राएल को फिरौन के हाथों से छुड़ाया और वे प्रतिज्ञा के देश की ओर चल पड़े। जब सबसे पहले वे मिस्त्र में आए थे वे गिनती में केवल सत्तर थे, परंतु जब वे वहाँ से निकले तो वे एक बड़ी संख्या में थे। केवल पुरुष ही छः हजार से अधिक थे (निर्गमन 12:37)। यात्रा करते हुए वे एक मरूस्थल पर आए जो कनान की सीमा पर है जो कादेश बर्ने कहलाता है। यह सीनै प्रायद्वीप के उत्तरपूर्व में है। प्रतिज्ञा की भूमि ठीक उसी के सामने है। मूसा ने उन्हें वहाँ जाकर उस पर निड़रता से कब्जा करने को कहा (व्यवस्थाविवरण 1:21)। यदि वे आज्ञा का पालन करते तो वे जाकर भूमि पर कब्जा कर लिये होते, परंतु परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर पूरी तरह भरोसा करने की बजाय उन्होंने अपनी बुद्धि से काम किया। उन्होंने पहले उस देश का भेद लेने की सोचा (व्यवस्थाविवरण 1:22)। जब हमें परमेश्वर की इच्छा निश्चित रूप से मालूम हो जाती है, तब हमें अपनी बुद्धि से नहीं चलना चाहिये और न आज्ञापालन के पहले वाद-विवाद करना चाहिये। क्योंकि लोगों ने ऐसी इच्छा किया था, परमेश्वर ने मूसा को उनकी इच्छानुसार करने को कहा (गिनती 13:1)। इसी प्रकार कई वर्षों के बाद उन लोगों के वंशजों ने शमुएल से एक राजा देने को कहा (1 शमुएल 8:7)। वह भी परमेश्वर की सिद्ध इच्छा के अनुसार नहीं था, फिर भी उसने इसकी अनुमति दिया। यदि हम किसी बात के लिये लगातार प्रार्थना करते रहें जो परमेश्वर की सिद्ध इच्छानुसार नहीं है, तौभी कभी-कभी वह हमें दे देगा, परंतु वे हमारे आशीष के लिये नहीं होंगे। मूसा ने बारह अगुवे चुना इस्त्राएल के प्रत्येक गोत्र में से एक और उन्हें कनान देश का भेद लेने को भेजा। वे पूरे देश मे चालीस दिनों तक घूमते रहे और वापस कादेश में पाश्न के जंगल में आ गए जहाँ इस्त्राएली छावनी डाले हुए थे। उन्होंने अपने साथ अंगूर के बड़े गुच्छे, कुछ अनार, और अंजीर ले आए जो उन्होंने कनान में इकट्ठा किया था। इस अभियान की रिपोर्ट सुनने के लिये लोग जमा हो गए। भेदियों ने कहा, ‘‘सचमुच दूध और मधु की धाराएँ बहती है…परंतु उस देश के निवासी बलवान है। वहाँ के लोग बहुत ऊँचे कद वाले हैं। शहरों की दीवलें आकाश तक ऊँची हैं। हमने वहाँ बहुत विशाल लोगों को देखा अनाकवंशियों के पुत्रों को देखा। उनके सामने हम टिड्डियों के समान है। (गिनती 13; व्यवस्थाविवरण 1:28)। उनकी रिपोर्ट बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बताई हुई थी, और उसमें परमेश्वर का कोई जिक्र नहीं था। आप लोगों की भावनाओं का अंदाज लगा सकते हैं जिन्होंने यह सब सुना था। सभी लोग जोर से रो पड़े थे। वे परमेश्वर के विरुद्ध कुड़कुड़ाने लगे थे। यही होता है जब हम परमेश्वर के वचन पर विश्वास नहीं करते। हम भयभीत हो जाते हैं, शिकायत करते हैं और अनआज्ञाकारी हो जाते हैं, और दूसरों को भी डराते हैं। परंतु बारह भेदियों में दो पुरुष थे जिनका नाम यहोशू और कालेब था जो परमेश्वर पर विश्वास करते थे और उसके साथ विश्वासयोग्य थे। लोगों के उँचे कद उन्हें नहीं डरा सके। ‘‘यदि यहोवा हमारी ओर से हो तो हम वहाँ जाकर उस देश पर कब्जा कर सकते हैं’’ उन्होंने कहा। लेकिन लोगों ने यहोशू और कालेब के प्रोत्साहित करने वाले शब्दों को नहीं सुना। इसके विपरीत उन्होंने उन्हें ऐसे स्थान में ले आने के लिये परमेश्वर को दोषी ठहराया। उन्होंने उनकी गुलामी के स्थान मिस्त्र में लौटने का षडयंत्र रचा और यहाँ तक कि इस उद्देश्य के लिये उन्होंने एक अगुवा भी चुन लिया (नहेम्याह 9:17)। मूसा और हारून लोगों के सामने मुँह के बल गिर पड़े और उनसे परमेश्वर के विरुद्ध बलवा न करने को कहा। परंतु उन्होंने उन अगुवों को पथरवाह करने की बात कहा जिन्होंने उनकी यहाँ तक अगुवाई की थी। मनुष्य का हर्दये कितना दुष्ट है! ये वही लोग है जिन्हांने मिस्त्र में मूसा के द्वारा किए गए चमत्कारों को देखा था। अभी ज्यादा समय नहीं हुआ था जब लाल समुद्र दो भागों में बाँटा गया था और वे उसमें से चलकर सूखी भूमिपर आए थे। यहाँ तक कि जब वे कुड़कुड़ाते थे तब भी बादल और आग का खंबा उनकी यात्रा में उनका मार्गदर्शन करता था। उसी सुबह उन्होंने स्वर्ग की गिराई हुई मन्ना खाया था। वे लोग जिन्होंने यह सब देखा और इनका आनंद लिया था, वे लोग ही परमेश्वर पर संदेह कर रहे थे। यदि हम परमेश्वर की ओर से अनगिनित आशीषों को प्राप्त करने के बाद भी उसके विरुद्ध कुड़कुड़ाते हैं तो यह बड़ा पाप है परमेश्वर का क्रोध इस्त्राएल के विरुद्ध भड़क उठा। उसने कहा कि वह उन्हें नाश कर देगा और मूसा को आशीषित करके उसे उनसे भी बड़ा राष्ट्र बनाएगा। परंतू मूसा ने इस बात से इन्कार कर दिया और उन लोगों के लिये प्रार्थना किया जिन्होंने उसके विरुद्ध बोला था। क्या हम उनके लिये प्रार्थना करते हैं जो हमारे विरुद्ध बोलते हैं? परमेश्वर ने मूसा की प्रार्थना को सुना और इस्त्राएल को क्षमा किया। परंतु उसने कहा कि यहोशू और कालेब को छोड़ और उनमें से जो बीस वर्ष या उससे अधिक की आयु के थे, प्रतिज्ञा के देश में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। वे भेदिये जो बुरा समाचार लाये थे और पूरे राष्ट्र को परमेश्वर के विरुद्ध शिकायत करने के लिये उकसाए थे, बीमारी से मर गए। इस्त्राएल को चालीस वर्ष तक जंगल में भटकना पड़ा, एक वर्ष चालीस दिनों की खोज के प्रत्येक दिन के लिये। उस दौरान जितने लोग बीस वर्ष से ज्यादा के थे, मर गए। जब वे कुड़कुड़ा रहे थे, उन्होंने कहा, ‘‘काश हम मिस्त्र या मरूस्थल में ही मर गए होते’’ (गिनती 14:2)। उनके लिये वैसा ही हुआ जैसा वे चाहते थे। आप जब क्रोधित हों या नाराज हों तो आपको बहुत संभलकर बोलना चाहिये। वे मूर्खतापूर्ण शब्द जो हमारे मुँह से निकलते हैं, शैतान उन्हीं शब्दों को हम पर हमला करने के लिये उपयोग कर सकता है।यहोशू और कालेब जिन्होंने परमेश्वर के वचन पर विश्वास किया था, और विश्वासयोग्य थे, वे ही प्रतिज्ञा के देश में प्रवेश कर सके। इतना ही नहीं, भूमि पर कब्जा करने में इस्त्राएल की अगुवाई करने के लिये परमेश्वर ने यहोशू का चुनाव किया। परमेश्वर उन्हें आशीष देगा और उँचा उठाएगा जो उसके साथ विश्वासयोग्य रहते हैं। नोट : यहोशू का नाम पहले होशे था (गिनती 13:16)। होशे का मतलब उद्धार और यहोशू का मतलब उद्धारकर्ता है। यीशु का मतलब भी उद्धारकर्ता है

बाइबल अध्यन

गिनती अध्याय 13 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 कनान देश जिसे मैं इस्त्राएलियों को देता हूं उसका भेद लेने के लिये पुरूषों को भेज; वे उनके पितरों के प्रति गोत्र का एक प्रधान पुरूष हों। 3 यहोवा से यह आज्ञा पाकर मूसा ने ऐसे पुरूषों को पारान जंगल से भेज दिया, जो सब के सब इस्त्राएलियों के प्रधान थे। 4 उनके नाम ये हैं, अर्थात रूबेन के गोत्र में से जककूर का पुत्र शम्मू; 5 शिमोन के गोत्र में से होरी का पुत्र शापात; 6 यहूदा के गोत्र में से यपुन्ने का पुत्र कालेब; 7 इस्साकार के गोत्र में से योसेप का पुत्र यिगाल; 8 एप्रैम के गोत्र में से नून का पुत्र होशे; 9 बिन्यामीन के गोत्र में से रापू का पुत्र पलती; 10 जबूलून के गोत्र में से सोदी का पुत्र गद्दीएल; 11 यूसुफ वंशियों में, मनश्शे के गोत्र में से सूसी का पुत्र गद्दी; 12 दान के गोत्र में से गमल्ली का पुत्र अम्मीएल; 13 आशेर के गोत्र में से मीकाएल का पुत्र सतूर; 14 नप्ताली के गोत्र में से वोप्सी का पुत्र नहूबी; 15 गाद के गोत्र में से माकी का पुत्र गूएल। 16 जिन पुरूषों को मूसा ने देश का भेद लेने के लिये भेजा था उनके नाम ये ही हैं। और नून के पुत्र होशे का नाम उसने यहोशू रखा। 17 उन को कनान देश के भेद लेने को भेजते समय मूसा ने कहा, इधर से, अर्थात दक्षिण देश हो कर जाओ, 18 और पहाड़ी देश में जा कर उस देश को देख लो कि कैसा है, और उस में बसे हुए लोगों को भी देखो कि वे बलवान् हैं वा निर्बल, थोड़े हैं वा बहुत, 19 और जिस देश में वे बसे हुए हैं सो कैसा है, अच्छा वा बुरा, और वे कैसी कैसी बस्तियों में बसे हुए हैं, और तम्बुओं में रहते हैं वा गढ़ वा किलों में रहते हैं, 20 और वह देश कैसा है, उपजाऊ है वा बंजर है, और उस में वृक्ष हैं वा नहीं। और तुम हियाव बान्धे चलो, और उस देश की उपज में से कुछ लेते भी आना। वह समय पहली पक्की दाखों का था। 21 सो वे चल दिए, और सीन नाम जंगल से ले रहोब तक, जो हमात के मार्ग में है, सारे देश को देखभालकर उसका भेद लिया। 22 सो वे दक्षिण देश हो कर चले, और हेब्रोन तक गए; वहां अहीमन, शेशै, और तल्मै नाम अनाकवंशी रहते थे। हेब्रोन तो मिस्र के सोअन से सात वर्ष पहिले बसाया गया था। 23 तब वे एशकोल नाम नाले तक गए, और वहां से एक डाली दाखों के गुच्छे समेत तोड़ ली, और दो मनुष्य उस एक लाठी पर लटकाए हुए उठा ले चले गए; और वे अनारोंऔर अंजीरों में से भी कुछ कुछ ले आए। 24 इस्त्राएली वहां से जो दाखों का गुच्छा तोड़ ले आए थे, इस कारण उस स्थान का नाम एशकोल नाला रखा गया। 25 चालीस दिन के बाद वे उस देश का भेद ले कर लौट आए। 26 और पारान जंगल के कादेश नाम स्थान में मूसा और हारून और इस्त्राएलियों की सारी मण्डली के पास पहुंचे; और उन को और सारी मण्डली को संदेशा दिया, और उस देश के फल उन को दिखाए। 27 उन्होंने मूसा से यह कहकर वर्णन किया, कि जिस देश में तू ने हम को भेजा था उस में हम गए; उस में सचमुच दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, और उसकी उपज में से यही है। 28 परन्तु उस देश के निवासी बलवान् हैं, और उसके नगर गढ़ वाले हैं और बहुत बड़े हैं; और फिर हम ने वहां अनाकवंशियों को भी देखा। 29 दक्षिण देश में तो अमालेकी बसे हुए हैं; और पहाड़ी देश में हित्ती, यबूसी, और एमोरी रहते हैं; और समुद्र के किनारे किनारे और यरदन नदी के तट पर कनानी बसे हुए हैं। 30 पर कालेब ने मूसा के साम्हने प्रजा के लोगों को चुप कराने की मनसा से कहा, हम अभी चढ़ के उस देश को अपना कर लें; क्योंकि नि:सन्देह हम में ऐसा करने की शक्ति है। 31 पर जो पुरूष उसके संग गए थे उन्होंने कहा, उन लोगों पर चढ़ने की शक्ति हम में नहीं है; क्योंकि वे हम से बलवान् हैं। 32 और उन्होंने इस्त्राएलियों के साम्हने उस देश की जिसका भेद उन्होंने लिया था यह कहकर निन्दा भी की, कि वह देश जिसका भेद लेने को हम गये थे ऐसा है, जो अपने निवासियों निगल जाता है; और जितने पुरूष हम ने उस में देखे वे सब के सब बड़े डील डौल के हैं। 33 फिर हम ने वहां नपीलों को, अर्थात नपीली जाति वाले अनाकवंशियों को देखा; और हम अपनी दृष्टि में तो उनके साम्हने टिड्डे के सामान दिखाई पड़ते थे, और ऐसे ही उनकी दृष्टि में मालूम पड़ते थे॥ अध्याय 14 तब सारी मण्डली चिल्ला उठी; और रात भर वे लोग रोते ही रहे। 2 और सब इस्त्राएली मूसा और हारून पर बुड़बुड़ाने लगे; और सारी मण्डली उसने कहने लगी, कि भला होता कि हम मिस्र ही में मर जाते! वा इस जंगल ही में मर जाते! 3 और यहोवा हम को उस देश में ले जा कर क्यों तलवार से मरवाना चाहता है? हमारी स्त्रियां और बालबच्चे तो लूट में चलें जाएंगे; क्या हमारे लिये अच्छा नहीं कि हम मिस्र देश को लौट जाएं? 4 फिर वे आपस में कहने लगे, आओ, हम किसी को अपना प्रधान बना लें, और मिस्र को लौट चलें। 5 तब मूसा और हारून इस्त्राएलियों की सारी मण्डली के साम्हने मुंह के बल गिरे। 6 और नून का पुत्र यहोशू और यपुन्ने का पुत्र कालिब, जो देश के भेद लेने वालों में से थे, अपने अपने वस्त्र फाड़कर, 7 इस्त्राएलियों की सारी मण्डली से कहने लगे, कि जिस देश का भेद लेने को हम इधर उधर घूम कर आए हैं, वह अत्यन्त उत्तम देश है। 8 यदि यहोवा हम से प्रसन्न हो, तो हम को उस देश में, जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, पहुंचाकर उसे हमे दे देगा। 9 केवल इतना करो कि तुम यहोवा के विरुद्ध बलवा न करो; और न तो उस देश के लोगों से डरो, क्योंकि वे हमारी रोटी ठहरेंगे; छाया उनके ऊपर से हट गई है, और यहोवा हमारे संग है; उन से न डरो। 10 तब सारी मण्डली चिल्ला उठी, कि इन को पत्थरवाह करो। तब यहोवा का तेज सब इस्त्राएलियों पर प्रकाशमान हुआ॥ 11 तब यहोवा ने मूसा से कहा, वे लोग कब तक मेरा तिरस्कार करते रहेंगे? और मेरे सब आश्चर्यकर्म देखने पर भी कब तक मुझ पर विश्वास न करेंगे? 12 मैं उन्हें मरी से मारूंगा, और उनके निज भाग से उन्हें निकाल दूंगा, और तुझ से एक जाति उपजाऊंगा जो उन से बड़ी और बलवन्त होगी। 13 मूसा ने यहोवा से कहा, तब तो मिस्री जिनके मध्य में से तू अपनी सामर्थ्य दिखाकर उन लोगों को निकाल ले आया है यह सुनेंगे, 14 और इस देश के निवासियों कहेंगे। उन्होंने तो यह सुना है, कि तू जो यहोवा है इन लोगों के मध्य में रहता है; और प्रत्यक्ष दिखाई देता है, और तेरा बादल उनके ऊपर ठहरा रहता है, और तू दिन को बादल के खम्भे में, और रात को अग्नि के खम्भे में हो कर इनके आगे आगे चला करता है। 15 इसलिये यदि तू इन लोगों को एक ही बार में मार डाले, तो जिन जातियों ने तेरी कीर्ति सुनी है वे कहेंगी, 16 कि यहोवा उन लोगों को उस देश में जिसे उसने उन्हें देने की शपथ खाई थी पहुंचा न सका, इस कारण उसने उन्हें जंगल में घात कर डाला है। 17 सो अब प्रभु की सामर्थ्य की महिमा तेरे इस कहने के अनुसार हो, 18 कि यहोवा कोप करने में धीरजवन्त और अति करूणामय है, और अधर्म और अपराध का क्षमा करनेवाला है, परन्तु वह दोषी को किसी प्रकार से निर्दोष न ठहराएगा, और पूर्वजों के अधर्म का दण्ड उनके बेटों, और पोतों, और परपोतों को देता है। 19 अब इन लोगों के अधर्म को अपनी बड़ी करूणा के अनुसार, और जैसे तू मिस्र से ले कर यहां तक क्षमा करता रहा है वैसे ही अब भी क्षमा कर दे। 20 यहोवा ने कहा, तेरी बिनती के अनुसार मैं क्षमा करता हूं; 21 परन्तु मेरे जीवन की शपथ सचमुच सारी पृथ्वी यहोवा की महिमा से परिपूर्ण हो जाएगी; 22 उन सब लोगों ने जिन्होंने मेरी महिमा मिस्र देश में और जंगल में देखी, और मेरे किए हुए आश्चर्यकर्मों को देखने पर भी दस बार मेरी परीक्षा की, और मेरी बातें नहीं मानी, 23 इसलिये जिस देश के विषय मैं ने उनके पूर्वजों से शपथ खाई, उसको वे कभी देखने न पाएंगे; अर्थात जितनों ने मेरा अपमान किया है उन में से कोई भी उसे देखने न पाएगा। 24 परन्तु इस कारण से कि मेरे दास कालिब के साथ और ही आत्मा है, और उसने पूरी रीति से मेरा अनुकरण किया है, मैं उसको उस देश में जिस में वह हो आया है पहुंचाऊंगा, और उसका वंश उस देश का अधिकारी होगा। 25 अमालेकी और कनानी लोग तराई में रहते हैं, सो कल तुम घूमकर प्रस्थान करो, और लाल समुद्र के मार्ग से जंगल में जाओ॥ 26 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, 27 यह बुरी मण्डली मुझ पर बुड़बुड़ाती रहती है, उसको मैं कब तक सहता रहूं? इस्त्राएली जो मुझ पर बुड़बुड़ाते रहते हैं, उनका यह बुड़बुड़ाना मैं ने तो सुना है। 28 सो उन से कह, कि यहोवा की यह वाणी है, कि मेरे जीवन की शपथ जो बातें तुम ने मेरे सुनते कही हैं, नि:सन्देह मैं उसी के अनुसार तुम्हारे साथ व्यवहार करूंगा। 29 तुम्हारी लोथें इसी जंगल में पड़ी रहेंगी; और तुम सब में से बीस वर्ष की वा उससे अधिक अवस्था के जितने गिने गए थे, और मुझ पर बुड़बुड़ाते थे, 30 उस में से यपुन्ने के पुत्र कालिब और नून के पुत्र यहोशू को छोड़ कोई भी उस देश में न जाने पाएगा, जिसके विषय मैं ने शपथ खाई है कि तुम को उस में बसाऊंगा। 31 परन्तु तुम्हारे बालबच्चे जिनके विषय तुम ने कहा है, कि ये लूट में चले जाएंगे, उन को मैं उस देश में पहुंचा दूंगा; और वे उस देश को जान लेंगे जिस को तुम ने तुच्छ जाना है। 32 परन्तु तुम लोगों की लोथें इसी जंगल में पड़ी रहेंगी। 33 और जब तक तुम्हारी लोथें जंगल में न गल जाएं तक तक, अर्थात चालीस वर्ष तक, तुम्हारे बालबच्चे जंगल में तुम्हारे व्यभिचार का फल भोगते हुए चरवाही करते रहेंगे। 34 जितने दिन तुम उस देश का भेद लेते रहे, अर्थात चालीस दिन उनकी गिनती के अनुसार, दिन पीछे उस वर्ष, अर्थात चालीस वर्ष तक तुम अपने अधर्म का दण्ड उठाए रहोगे, तब तुम जान लोगे कि मेरा विरोध क्या है। 35 मैं यहोवा यह कह चुका हूं, कि इस बुरी मण्डली के लोग जो मेरे विरुद्ध इकट्ठे हुए हैं उसी जंगल में मर मिटेंगे; और नि:सन्देह ऐसा ही करूंगा भी। 36 तब जिन पुरूषों को मूसा ने उस देश के भेद लेने के लिये भेजा था, और उन्होंने लौटकर उस देश की नामधराई करके सारी मण्डली को कुड़कुड़ाने के लिये उभारा था, 37 उस देश की वे नामधराई करने वाले पुरूष यहोवा के मारने से उसके साम्हने मर गथे। 38 परन्तु देश के भेद लेने वाले पुरूषों में से नून का पुत्र यहोशू और यपुन्ने का पुत्र कालिब दोनों जीवित रहे। 39 तब मूसा ने ये बातें सब इस्त्राएलियों को कह सुनाईं और वे बहुत विलाप करने लगे। 40 और वे बिहान को सवेरे उठ कर यह कहते हुए पहाड़ की चोटी पर चढ़ने लगे, कि हम ने पाप किया है; परन्तु अब तैयार हैं, और उस स्थान को जाएंगे जिसके विषय यहोवा ने वचन दिया था। 41 तब मूसा ने कहा, तुम यहोवा की आज्ञा का उल्लंघन क्यों करते हो? यह सफल न होगा। 42 यहोवा तुम्हारे मध्य में नहीं है, मत चढ़ो, नहीं तो शत्रुओं से हार जाओगे। 43 वहां तुम्हारे आगे अमालेकी और कनानी लोग हैं, सो तुम तलवार से मारे जाओगे; तुम यहोवा को छोड़कर फिर गए हो, इसलिये वह तुम्हारे संग नहीं रहेगा। 44 परन्तु वे ढिठाई करके पहाड़ की चोटी पर चढ़ गए, परन्तु यहोवा की वाचा का सन्दूक, और मूसा, छावनी से न हटे। 45 अब अमालेकी और कनानी जो उस पहाड़ पर रहते थे उन पर चढ़ आए, और होर्मा तक उन को मारते चले आए॥ भजन 121:8 8 यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से ले कर सदा तक करता रहेगा॥ व्यवस्था 1:21-22 21 देखो, उस देश को तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे साम्हने किए देता है, इसलिऐ अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा के वचन के अनुसार उस पर चढ़ो, और उसे अपने अधिकार में ले लो; न तो तुम डरो और न तुम्हारा मन कच्चा हो। 22 और तुम सब मेरे पास आकर कहने लगे, हम अपने आगे पुरूषों को भेज देंगे, जो उस देश का पता लगाकर हम को यह सन्देश दें, कि कौन सा मार्ग हो कर चलना होगा और किस किस नगर में प्रवेश करना पड़ेगा? 1 शमूएल 8:7 7 और यहोवा ने शमूएल से कहा, वे लोग जो कुछ तुझ से कहें उसे मान ले; क्योंकि उन्होंने तुझ को नहीं परन्तु मुझी को निकम्मा जाना है, कि मैं उनका राजा न रहूं। व्यवस्था 1:28 28 हम किधर जाएँ? हमारे भाइयों ने यह कहके हमारे मन को कच्चा कर दिया है, कि वहाँ के लोग हम से बड़े और लम्बे हैं; और वहाँ के नगर बड़े बड़े हैं, और उनकी शहरपनाह आकाश से बातें करती हैं; और हम ने वहाँ अनाकवंशियों को भी देखा है। नहेम्याह 9:17 17 और आज्ञा मनने से इनकार किया, और जो आश्चर्यकर्म तू ने उनके बीच किए थे, उनका स्मरण न किया, वरन हठ करके यहां तक बलवा करने वाले बने, कि एक प्रधान ठहराया, कि अपने दासत्व की दशा में लौटे। परन्तु तू क्षमा करने वाला अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से कोप करने वाला, और अतिकरुणामय ईश्वर है, तू ने उन को न त्यागा।