पाठ 39 : जन्म का लंगड़ा

Media

Lesson Summary

Content not prepared yet or Work in Progress.


Lesson Prayer

Content not prepared yet or Work in Progress.


Song

Content not prepared yet or Work in Progress.


Instrumental

Content not prepared yet or Work in Progress.


सारांश

पिछले पाठ में हमने जाना कि पवित्र आत्मा के आने के बाद वे प्रारंभिक विश्वासी निडरता से मसीह की गवाही देने के लिये आनंद और स्तुति और सामर्थ से परिपूर्ण थे। एक दिन पतरस और यूहन्ना मंदिर में गये। हम पतरस और यूहन्ना को अक्सर साथ देखते हैं। प्रभु ने फसह तैयार करने के लिये उन्हें साथ में भेजा। जब प्रभु को बंदी बनाया गया, ये दोनों शिष्य भी उसके साथ थे (यूहन्ना 18:15)। पुनरूत्थान के बाद प्रभु की कब्र पर भी साथ गये थे (यूहन्ना 20:3)। और भी अन्य अवसर थे (देखें यूहन्ना 21:7,20; प्रेरितों के काम 4:19; 8:14)। यह नौवाँ पहर था जब वे मंदिर गए थे। हमारे समय के अनुसार दोपहर के 3 बजे का समय था, यह प्रार्थना का समय था। मंदिर के कई द्वार थे। उनमें से एक ‘‘सुन्दर फाटक’’ कहलाता था। यह नाम उसके भीतर की पीतल की सुन्दरता के कारण दिया गया था। उस फाटक पर एक व्यक्ति बैठता था जो जन्म से लंगडा था। यद्यपि वह स्थान जहाँ वह बैठता था सुन्दर कहलाता था, वह एक लंगड़ा भिखारी था जो चल नहीं सकता था। वह व्यक्ति जिसने पापों की क्षमा प्राप्त नहीं किया है वह आत्मिक लंगडा है, और बिना शांति का है भले ही उसके आसपास का वातावरण बहुत अच्छा होउस व्यक्ति का जीवन कितना कठिन होगा जो कभी चला ही नहीं! यदि वह कहीं जाना चाहता हो उसे दूसरों को ले जाना होगा। इस व्यक्ति वे दूसरों के द्वारा रोज मंदिर के फाटक तक पहुँचाया जाता था। वे जो लोग भी थे उस गरीब की बड़ी सेवा कर रहे थे। हमें भी उन अपंगों को प्रभु के पास लाना चाहिये, जिन्हें वह चंगा कर सकता है जब उसने पतरस और यूहन्ना को देखा तो उनसे आदत के मुताबिक भीख मांगा। जब पतरस और यूहन्ना ने उसकी ऐसी असहाय स्थिति को देखा तो उन्हें उस पर तरस आया और कहा, ‘‘हमारी ओर देख!’’ उसने आशा भरी नजरों से उसकी ओर देखा। उन्होंने उसके मुख पर क्लेश और दुख को देखा और उसने उनकी आखों में तरस और प्रेम को देखा। पतरस ने उससे कहा, ‘‘चांदी और सोना तो मेरे पास है नहीं, परंतु जो मेरे पास है वह तुझे देता हूँ, यीशु नासरी के नाम से चल फिर।’’ उसने लंगड़े व्यक्ति का हाथ पकड़कर उसे उठाया। तुरंत ही वह उछलकर अपने पैरों पर खड़ा हो गया। देखिये यीशु के नाम में कितनी सामर्थ है! जैसे ही उसके पैरों और टखनों मे बल आया वह खड़े होकर चलने लगा। उसने परमेश्वर की स्तुति किया। फिर वह पतरस और यूहन्ना के साथ मंदिर में गया। पाप के कारण हम भी आत्मिक रीति से जन्म से ही लंगडे़ थे, परंतु यीशु के नाम ने हमें चंगा किया। हम जो चंगे हो गये हैं, हमें उछलना, कूदना और स्तुति करना चाहिये। जैसे वह मंदिर में गया, हमें भी परमेश्वर की आराधना करना चाहिये और परमेश्वर की संतानों के साथ संगति करना चाहिये।जब लोगों ने उसे देखा तो वे आश्चर्य करने लगे और कई लोग सुलैमान के ओसारे में जमा हो गये। इस मौके का उपयोग करते हुए सुना दिया। उसने उनकी अपनी सामर्थ से नहीं हुआ औ न उनकी पवित्रता से जिससे कि लंगडा व्यक्ति चंगा हुआ था। लोग अपने विश्वास की महानता या पवित्रता पर गर्व करते हैं, परंतु परमेश्वर की संतानों को अपनी अच्छाई के विषय दूसरों को नहीं बोलना चाहिये। उन्हें केवल परमेश्वर की अच्छाई के विषय बोलना चाहिये और उसकी महिमा करना चाहिये पतरस क उपदेश का सार इस प्रकार है

  1. यहूदियों ने तीन बातें किया (पद 13-15) (क) उसे पकड़वाया। (ख) उसका इन्कार किया (ग) उसे मार डाला।
  2. परमेश्वर ने तीन बातें किया। (क) यीशु को भेजा (पद 26) (ख) उसे मृतकों में से जिलाया। (पद 25) (ग) उसकी महिमा किया। (पद 13)
  3. सुननेवालों को तीन बातें करना पड़ा : (क) उसे सुनना (पद 22 परमेश्वर जानता है कि ऐसा उन्होंने अज्ञानता से किया, सभी लोगों को आज्ञा देता है कि वे पश्चाताप करें। और परिवर्तित हो जाएँ। ‘‘परिवर्तित होने’’ का मतलब ‘‘बदल जाना है।’’ कुछ लोग जब कुछ अच्छे निश्चय करते हैं तो वे कहते हैं कि वे बदल गए हैं, परंतु वास्तव में, उनका जीवन परिवर्तित नहीं होता। जो लोग सचमुच प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करते हैं, उनके हृदय और जीवन बदल जाएंगे। अंत में पतरस ने कहा, ‘‘परमेश्वर ने अपने सेवक को उठाकर पहले तुम्हारे पास भेजा कि तुममें से हर एक को उसकी बुराईयों से फेरकर आशीष दे।’’ नोट : सुन्दर फाटक : संभवतः यह फाटक मंदिर के पश्चिमी भाग में जैतून के पर्वत के सामने था। यह फाटक पीतल से बना था और उस पर सोना और चांदी मढ़ा हुआ था। यह अन्यजातियों के आंगन से इस्त्राएलियों के आंगन तक प्रवेश द्वार था। सुलैमान का ओसारा : मंदिर के बाहरी आंगन में स्तंभ समूह था। इनमें से एक सुलैमान का ओसारा कहलाता था (यूहन्ना 10:23)। यहीं पर लिखनेवाले बैठते और सिखाते थे।

बाइबल अध्यन

प्रेरितों के कार्य अध्याय 3 पतरस और यूहन्ना तीसरे पहर प्रार्थना के समय मन्दिर में जा रहे थे। 2 और लोग एक जन्म के लंगड़े को ला रहे थे, जिस को वे प्रति दिन मन्दिर के उस द्वार पर जो सुन्दर कहलाता है, बैठा देते थे, कि वह मन्दिर में जाने वालों से भीख मांगे। 3 जब उस ने पतरस और यूहन्ना को मन्दिर में जाते देखा, तो उन से भीख मांगी। 4 पतरस ने यूहन्ना के साथ उस की ओर ध्यान से देखकर कहा, हमारी ओर देख। 5 सो वह उन से कुछ पाने की आशा रखते हुए उन की ओर ताकने लगा। 6 तब पतरस ने कहा, चान्दी और सोना तो मेरे पास है नहीं; परन्तु जो मेरे पास है, वह तुझे देता हूं: यीशु मसीह नासरी के नाम से चल फिर। 7 और उस ने उसका दाहिना हाथ पकड़ के उसे उठाया: और तुरन्त उसके पावों और टखनों में बल आ गया। 8 और वह उछलकर खड़ा हो गया, और चलने फिरने लगा और चलता; और कूदता, और परमेश्वर की स्तुति करता हुआ उन के साथ मन्दिर में गया। 9 सब लोगों ने उसे चलते फिरते और परमेश्वर की स्तुति करते देखकर। 10 उस को पहचान लिया कि यह वही है, जो मन्दिर के सुन्दर फाटक पर बैठ कर भीख मांगा करता था; और उस घटना से जो उसके साथ हुई थी; वे बहुत अचम्भित और चकित हुए॥ 11 जब वह पतरस और यूहन्ना को पकड़े हुए था, तो सब लोग बहुत अचम्भा करते हुए उस ओसारे में जो सुलैमान का कहलाता है, उन के पास दौड़े आए। 12 यह देखकर पतरस ने लोगों से कहा; हे इस्त्राएलियों, तुम इस मनुष्य पर क्यों अचम्भा करते हो, और हमारी ओर क्यों इस प्रकार देख रहे हो, कि मानो हम ही ने अपनी सामर्थ या भक्ति से इसे चलना-फिरता कर दिया। 13 इब्राहीम और इसहाक और याकूब के परमेश्वर, हमारे बाप दादों के परमेश्वर ने अपने सेवक यीशु की महिमा की, जिसे तुम ने पकड़वा दिया, और जब पीलातुस ने उसे छोड़ देने का विचार किया, तब तुम ने उसके साम्हने उसका इन्कार किया। 14 तुम ने उस पवित्र और धर्मी का इन्कार किया, और बिनती की, कि एक हत्यारे को तुम्हारे लिये छोड़ दिया जाए। 15 और तुम ने जीवन के कर्ता को मार डाला, जिसे परमेश्वर ने मरे हुओं में से जिलाया; और इस बात के हम गवाह हैं। 16 और उसी के नाम ने, उस विश्वास के द्वारा जो उसके नाम पर है, इस मनुष्य को जिसे तुम देखते हो और जानते भी हो सामर्थ दी है; और निश्चय उसी विश्वास ने जो उसके द्वारा है, इस को तुम सब के साम्हने बिलकुल भला चंगा कर दिया है। 17 और अब हे भाइयो, मैं जानता हूं कि यह काम तुम ने अज्ञानता से किया, और वैसा ही तुम्हारे सरदारों ने भी किया। 18 परन्तु जिन बातों को परमेश्वर ने सब भविष्यद्वक्ताओं के मुख से पहिले ही बताया था, कि उसका मसीह दु:ख उठाएगा; उन्हें उस ने इस रीति से पूरी किया। 19 इसलिये, मन फिराओ और लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिटाए जाएं, जिस से प्रभु के सम्मुख से विश्रान्ति के दिन आएं। 20 और वह उस मसीह यीशु को भेजे जो तुम्हारे लिये पहिले ही से ठहराया गया है। 21 अवश्य है कि वह स्वर्ग में उस समय तक रहे जब तक कि वह सब बातों का सुधार न कर ले जिस की चर्चा परमेश्वर ने अपने पवित्र भविष्यद्वक्ताओं के मुख से की है, जो जगत की उत्पत्ति से होते आए हैं। 22 जैसा कि मूसा ने कहा, प्रभु परमेश्वर तुम्हारे भाइयों में से तुम्हारे लिये मुझ सा एक भविष्यद्वक्ता उठाएगा, जो कुछ वह तुम से कहे, उस की सुनना। 23 परन्तु प्रत्येक मनुष्य जो उस भविष्यद्वक्ता की न सुने, लोगों में से नाश किया जाएगा। 24 और शमूएल से लेकर उसके बाद वालों तक जितने भविष्यद्वक्ताओं ने बातें की हैं उन सब ने इन दिनों का सन्देश दिया है। 25 तुम भविष्यद्वक्ताओं की सन्तान और उस वाचा के भागी हो, जो परमेश्वर ने तुम्हारे बाप दादों से बान्धी, जब उस ने इब्राहीम से कहा, कि तेरे वंश के द्वारा पृथ्वी के सारे घराने आशीष पाएंगे। 26 परमेश्वर ने अपने सेवक को उठाकर पहिले तुम्हारे पास भेजा, कि तुम में से हर एक को उस की बुराइयों से फेरकर आशीष दे॥

संगीत

Peter and John went to pray, they met a lame man on the way He asked for alms and held out his palms, and this is what Peter did say".